कहते हैं ना पुलिस के डंडे के आगे अच्छे-अच्छों की बैंड बन जाती है,तो फिर सिने अभिनेता कौन सी चीज है। जी हां ये बात उस समय पूरी तरह से चरितार्थ हो गयी जिस समय बॉलीवुड की पिछले साल की सुपर डूपर हिट फिल्म दबंग के निर्माता अरबाज खान की बर्थ डे पार्टी पर पुलिस का डंडा चल गया।
दरअसल मुंबई के ऑलिव पब में अरबाज खान ने अपनी बर्थ डे पार्टी दी थी जिसमें बॉलीवुड के काफी चर्चित कलाकार मौजूद थे।
लेकिन अरबाज की पार्टी रात डेढ़ बजे तक ही मान्य थी लेकिन पार्टी डेढ़ बजे के बाद भी चलती रही जिसको रूकवाने के लिए मुंबई पुलिस को आना पड़ा। क्योंकि आसपास लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि तेज संगीत से उन्हें दिक्कत हो रही है।
ये वो ही पब था जहां पिछले साल कैटरीना के बर्थ पर सलमान ने बॉलीवुड को पार्टी दी थी। सलमान की पार्टी को भी पुलिस को रूकवाना पड़ा था। और इस पार्टी में सलमान-शाहरूख का झगड़ा हुआ था। आपको बता दें कि अरबाज की पार्टी में बॉलीवुड के कई नामी-गिरामी कलाकार मौजूद थे। सलमान भी इस पार्टी के हिस्सा थे। लेकिन वो जल्द ही चले गये थे।
पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Friday, August 5, 2011
Delhi Police : निहत्थे हेड कांस्टेबल की दिलेरी, हथियारबंद बदमाश को धर दबोचा
नई दिल्ली.दिल्ली यातायात पुलिस में तैनात हेड कांस्टेबल ने दिलेरी दिखाते हुए एक अपराधी को धर दबोचा। इस दौरान जहां बदमाश अमेरिकन पिस्तौल से लैस था, वहीं हेड कांस्टेबल निहत्था था। पकड़ा गया अपराधी गुलाबी बाग थाने का घोषित बदमाश है। उसपर 10 मामले दर्ज हैं। उसका साथी फरार होने में कामयाब रहा।
मिली जानकारी के अनुसार महेश कुमार राजौरी गार्डन सर्किल में चेस एंड चालान विंग में कार्यरत है। मंगलवार की शाम महेश की ड्यूटी राजा गार्डन चौक पर लगी थी। बाइक सवार दो युवक को रेड लाइट जंप करता देख उसने उनका पीछा किया। थोड़ी देर बाद युवकों की गाड़ी को रोककर उसने उनसे वाहन के कागजात दिखाने को कहा।
युवकों ने 200 रुपए देकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की। युवकों की गतिविधि संदिग्ध लगने के बाद उसने इसकी सूचना आसपास तैनात अन्य पुलिसकर्मियों को दी। इसी दौरान आरोपी सुनील को पिस्तौल निकालते देख उसने उसे दबोच लिया। इसके बाद सुनील के साथी ने एक राउंड फायर किया। तब तक अन्य पुलिसकर्मियों को आता देख वह फरार हो गया। सुनील को कीर्तिनगर थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
मिला इनाम :
महेश की बहादुरी को देखते हुए उसका नाम समय पूर्व प्रमोशन के लिए प्रस्तावित किया गया है। दिल्ली यातायात पुलिस के संयुक्त आयुक्त सत्येंद्र गर्ग ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस का हिस्सा नहीं होते हुए भी महेश कुमार ने जो बहादुरी दिखाई उसे देखते हुए उसका नाम समय से पहले प्रोन्नति के लिए आगे भेजा गया है।
गौरतलब है कि महेश कुमार 1991 में बतौर सिपाही दिल्ली पुलिस में शामिल हुआ था।2006 में उसे प्रोन्नत कर हेड कांस्टेबल बनाया गया।
मिली जानकारी के अनुसार महेश कुमार राजौरी गार्डन सर्किल में चेस एंड चालान विंग में कार्यरत है। मंगलवार की शाम महेश की ड्यूटी राजा गार्डन चौक पर लगी थी। बाइक सवार दो युवक को रेड लाइट जंप करता देख उसने उनका पीछा किया। थोड़ी देर बाद युवकों की गाड़ी को रोककर उसने उनसे वाहन के कागजात दिखाने को कहा।
युवकों ने 200 रुपए देकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की। युवकों की गतिविधि संदिग्ध लगने के बाद उसने इसकी सूचना आसपास तैनात अन्य पुलिसकर्मियों को दी। इसी दौरान आरोपी सुनील को पिस्तौल निकालते देख उसने उसे दबोच लिया। इसके बाद सुनील के साथी ने एक राउंड फायर किया। तब तक अन्य पुलिसकर्मियों को आता देख वह फरार हो गया। सुनील को कीर्तिनगर थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
मिला इनाम :
महेश की बहादुरी को देखते हुए उसका नाम समय पूर्व प्रमोशन के लिए प्रस्तावित किया गया है। दिल्ली यातायात पुलिस के संयुक्त आयुक्त सत्येंद्र गर्ग ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस का हिस्सा नहीं होते हुए भी महेश कुमार ने जो बहादुरी दिखाई उसे देखते हुए उसका नाम समय से पहले प्रोन्नति के लिए आगे भेजा गया है।
गौरतलब है कि महेश कुमार 1991 में बतौर सिपाही दिल्ली पुलिस में शामिल हुआ था।2006 में उसे प्रोन्नत कर हेड कांस्टेबल बनाया गया।
Tuesday, August 2, 2011
Rajasthan Police : चित्तौड़ एसपी विकास कुमार को हाथ पैर काटने की धमकी दी, तीनों धराए
उदयपुर। पिछले महीने चित्तौड़ एसपी विकास कुमार को हाथ पैर काट कर जान से मारने की धमकी देने वाले तीन आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के अनुसार इस मामले में उदयपुर में मल्लातलाई निवासी मजहर खान, चित्तौड़ में महाजन मोहल्ला निवासी अखिलेश व जीतेश गिरफ्तार किया गया। तीनों आरोपी पेशे से अवैध रूप से गाइडिंग करते है और लपका गिरोह के सदस्य है।
पहले पुलिस ने आरोपियों को पर्यटकों को परेशान करने के मामले में पकड़ा। बाद में इनसे पूछताछ में एसपी को धमकी देने वाले में गिरफ्तार किया गया। गौरतलब है कि 4 जुलाई को चित्तौडगढ़ जिले के एसपी विकास कुमार को एक पत्र मिला। जिसमें पकड़े गए आरोपियों ने हाथ से लिखे इस पत्र में दूसरों के नाम लिख दिया। जिसमें खुद को लपका किंग बताया।
एसपी को धमकी दी गई कि पर्यटन स्थलों पर लपकों के खिलाफ कार्रवाई के कारण यह पत्र लिखा गया। पत्र में लिखा गया कि आरोपी हर माह डिप्टी व थानेदार 50 हजार रुपए रिश्वत देते हैं। अगर हमें गिरफ्तार करोगे तो पछताओगे और हम जमानत पर बाहर आने के बाद एसपी के हाथ पैर काट कर मरवा देंगे।
पहले पुलिस ने आरोपियों को पर्यटकों को परेशान करने के मामले में पकड़ा। बाद में इनसे पूछताछ में एसपी को धमकी देने वाले में गिरफ्तार किया गया। गौरतलब है कि 4 जुलाई को चित्तौडगढ़ जिले के एसपी विकास कुमार को एक पत्र मिला। जिसमें पकड़े गए आरोपियों ने हाथ से लिखे इस पत्र में दूसरों के नाम लिख दिया। जिसमें खुद को लपका किंग बताया।
एसपी को धमकी दी गई कि पर्यटन स्थलों पर लपकों के खिलाफ कार्रवाई के कारण यह पत्र लिखा गया। पत्र में लिखा गया कि आरोपी हर माह डिप्टी व थानेदार 50 हजार रुपए रिश्वत देते हैं। अगर हमें गिरफ्तार करोगे तो पछताओगे और हम जमानत पर बाहर आने के बाद एसपी के हाथ पैर काट कर मरवा देंगे।
Delhi Police : दिल्ली में बिगड़ों के आगे लाचार पुलिस, जांच के लिए रोका तो दरोगा की कर दी धुनाई
ऐसा लगता है कि पुलिस व कानून का खौफ लोगों के दिलों में खत्म हो गया है। बारापुला सराय काले खां प्वाइंट पर यातायात पुलिस के दरोगा ने जांच के लिए गाड़ी को रोका तो इसके मालिक व चालक ने उनकी पिटाई कर दी और वर्दी भी फाड़ दी। सनलाइट थाना पुलिस ने गाड़ी मालिक व चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया है।
सब इंस्पेक्टर जयपाल सिंह (58) की तैनाती लाजपत नगर सर्किल में है। शनिवार को वह रिंग रोड पर बारापुला सराय कालेखां प्वाइंट पर मौजूद थे। सुबह करीब सवा दस बजे उन्हें नो-एंट्री के समय में महारानीबाग से सराय कालेखां रिंग रोड की तरफ डिलीवरी वैन आती दिखाई दी। पुलिसकर्मियों ने जब वैन को रोकने का इशारा किया तो चालक गाड़ी को तेजी से भगाने लगा। इस पर पुलिसकर्मियों ने पीछा कर उसे रोक लिया। गाड़ी में दो युवक थे। चेकिंग के लिए पुलिसकर्मियों ने जब कागजात मांगे तो खुद को वैन का मालिक बताने वाले संदीप सिंह ने कहा कि कागजात है पर वह नहीं दिखाएगा। कुछ देर बहस के बाद उसने सबइंस्पेक्टर को लाइसेंस देते हुए कहा कि वह छोटा मोटा चालान काट दें। लेकिन संदीप ने जब कानून के अनुसार चालान काटने की बात कही तो चालक राधेश्याम व संदीप ने उन पर हमला कर दिया। पिटाई में सबइंस्पेक्टर की वर्दी फट गई। इस पर एक राहगीर ने 100 नंबर पर कॉल कर दी। मौके पर पहुंची पुलिस राधेश्याम व संदीप को पकड़ कर थाने ले गई।
सब इंस्पेक्टर जयपाल सिंह (58) की तैनाती लाजपत नगर सर्किल में है। शनिवार को वह रिंग रोड पर बारापुला सराय कालेखां प्वाइंट पर मौजूद थे। सुबह करीब सवा दस बजे उन्हें नो-एंट्री के समय में महारानीबाग से सराय कालेखां रिंग रोड की तरफ डिलीवरी वैन आती दिखाई दी। पुलिसकर्मियों ने जब वैन को रोकने का इशारा किया तो चालक गाड़ी को तेजी से भगाने लगा। इस पर पुलिसकर्मियों ने पीछा कर उसे रोक लिया। गाड़ी में दो युवक थे। चेकिंग के लिए पुलिसकर्मियों ने जब कागजात मांगे तो खुद को वैन का मालिक बताने वाले संदीप सिंह ने कहा कि कागजात है पर वह नहीं दिखाएगा। कुछ देर बहस के बाद उसने सबइंस्पेक्टर को लाइसेंस देते हुए कहा कि वह छोटा मोटा चालान काट दें। लेकिन संदीप ने जब कानून के अनुसार चालान काटने की बात कही तो चालक राधेश्याम व संदीप ने उन पर हमला कर दिया। पिटाई में सबइंस्पेक्टर की वर्दी फट गई। इस पर एक राहगीर ने 100 नंबर पर कॉल कर दी। मौके पर पहुंची पुलिस राधेश्याम व संदीप को पकड़ कर थाने ले गई।
MP Police: Railway Police: रेलवे थाना प्रभारी सहित आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या करने, साक्ष्य मिटाने का केस
ग्वालियर। ापुलिस कस्टडी में एक युवक की मौत मामले में ग्वालियर रेलवे थाना प्रभारी सहित आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या करने और साक्ष्य मिटाने का केस दर्ज किया गया है।
रेलवे पुलिस की उप पुलिस अधीक्षक इमरीन शाह ने बताया कि गत 21 जुलाई को ग्वालियर के ब्राडगेज रेलवे पुलिस थाने में जेब काटने के आरोप में गिरफ्तार किए गए युवक सुनील तोमर की हवालात में मारपीट करने तथा उसकी हत्या कर शव चंबल नदी में बहा देने के मामले की जांच की गई थी। जांच के बाद तत्कालीन थाना प्रभारी आर.एस.चौहान, आरक्षक रवि सेन और दिवाकर के खिलाफ हत्या करने तथा हवलदार महेन्द्र सिंह बुंदेला, उमराव सिंह, आरक्षक धर्मेन्द्र, योगेश दीक्षित और मनोज सिंह के खिलाफ साजिश रचकर सबूत मिटाने का प्रकरण दर्ज किया गया है।
उल्लेखनीय है कि गत 21 जुलाई को ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर छत्तीसगढ एक्सप्रेस ट्रेन से हवलदार उमराव सिंह ने संदिग्ध युवक सुनील तोमर को बिना टिकट रेल में यात्रा करने और जेब काटने के मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में हवालात में ही मारपीट के दौरान युवक सुनील की मौत हो गई और रात में थाना प्रभारी चौहान ने साथी दो पुलिसकर्मियों के साथ युवक के शव को एक बाक्स में ले जाकर चंबल नदी में बहा दिया था। इसके बाद 23 जुलाई को हवलदार उमराव सिंह ने इस घटना की पूरी जानकारी मीडिया को दे दी। यह मामला उजागर होने के बाद रेलवे पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने यहां आकर जांच की थी।
रेलवे पुलिस की उप पुलिस अधीक्षक इमरीन शाह ने बताया कि गत 21 जुलाई को ग्वालियर के ब्राडगेज रेलवे पुलिस थाने में जेब काटने के आरोप में गिरफ्तार किए गए युवक सुनील तोमर की हवालात में मारपीट करने तथा उसकी हत्या कर शव चंबल नदी में बहा देने के मामले की जांच की गई थी। जांच के बाद तत्कालीन थाना प्रभारी आर.एस.चौहान, आरक्षक रवि सेन और दिवाकर के खिलाफ हत्या करने तथा हवलदार महेन्द्र सिंह बुंदेला, उमराव सिंह, आरक्षक धर्मेन्द्र, योगेश दीक्षित और मनोज सिंह के खिलाफ साजिश रचकर सबूत मिटाने का प्रकरण दर्ज किया गया है।
उल्लेखनीय है कि गत 21 जुलाई को ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर छत्तीसगढ एक्सप्रेस ट्रेन से हवलदार उमराव सिंह ने संदिग्ध युवक सुनील तोमर को बिना टिकट रेल में यात्रा करने और जेब काटने के मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में हवालात में ही मारपीट के दौरान युवक सुनील की मौत हो गई और रात में थाना प्रभारी चौहान ने साथी दो पुलिसकर्मियों के साथ युवक के शव को एक बाक्स में ले जाकर चंबल नदी में बहा दिया था। इसके बाद 23 जुलाई को हवलदार उमराव सिंह ने इस घटना की पूरी जानकारी मीडिया को दे दी। यह मामला उजागर होने के बाद रेलवे पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने यहां आकर जांच की थी।
HR Police: आईएसओ थाने को किसका शाप, नहीं टिकता कोई इंस्पेक्टर
हिसार, जागरण संवाददाता : हिसार के एकमात्र आईएसओ सर्टिफिाई सिविल लाइन थाना को करीब एक माह से प्रभारी के तौर आखिरकार पुलिस इंस्पेक्टर क्यों नहीं मिल रहा है? पुलिस विभाग में इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं कि यह थाना किसी भी इंस्पेक्टर के लिए शुभ नहीं है। हालांकि इसके प्रशासनिक कारण भी हो सकते हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार यहां पर पिछली बार सबसे ज्यादा करीब एक वर्ष का कार्यकाल इंस्पेक्टर रामरूप ने किया। जब 13 जून को लघु सचिवालय में लाठीचार्ज हुआ तब इंस्पेक्टर गोदारा ही यहां पर थे। इसके बाद वे भी यहां से चले गये और राजबीर सैनी को इसका प्रभारी बनाया गया लेकिन वे भी एक सप्ताह से ज्यादा नहीं टिके। इसके बाद भौंडसी से आये इंस्पेक्टर अशोक कुमार को यहां का प्रभारी नियुक्त किया गया जिन्होंने मात्र सात दिन काम किया और चार दिन के अवकाश पर चले गये। इसके बाद जब वे वापस लौटे तो उन्होंने तीन दिन काम किया और फिर दो दिन की छुट्टी पर चले गए। इसके बाद फिर से इंस्पेक्टर राजबीर सैनी को यहां लगाने के आदेश जारी किए गए लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। अब यह थाना बिना पुलिस इंस्पेक्टर के ही चल रहा है। आखिरकार जिला पुलिस के पास आईएसओ थाने के लिए कोई इंस्पेक्टर नहीं है या कुछ और बात है, यह बात पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बनी हुई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार यहां पर पिछली बार सबसे ज्यादा करीब एक वर्ष का कार्यकाल इंस्पेक्टर रामरूप ने किया। जब 13 जून को लघु सचिवालय में लाठीचार्ज हुआ तब इंस्पेक्टर गोदारा ही यहां पर थे। इसके बाद वे भी यहां से चले गये और राजबीर सैनी को इसका प्रभारी बनाया गया लेकिन वे भी एक सप्ताह से ज्यादा नहीं टिके। इसके बाद भौंडसी से आये इंस्पेक्टर अशोक कुमार को यहां का प्रभारी नियुक्त किया गया जिन्होंने मात्र सात दिन काम किया और चार दिन के अवकाश पर चले गये। इसके बाद जब वे वापस लौटे तो उन्होंने तीन दिन काम किया और फिर दो दिन की छुट्टी पर चले गए। इसके बाद फिर से इंस्पेक्टर राजबीर सैनी को यहां लगाने के आदेश जारी किए गए लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। अब यह थाना बिना पुलिस इंस्पेक्टर के ही चल रहा है। आखिरकार जिला पुलिस के पास आईएसओ थाने के लिए कोई इंस्पेक्टर नहीं है या कुछ और बात है, यह बात पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बनी हुई है।
Punjab Police : पंजाब पुलिस को नहीं आता मोबाइल ट्रेस करना
पंजाब पुलिस के लिए गुम हुए मोबाइल को ट्रेस करना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। मोबाइल को ट्रेस करने के लिए आईएमईआई नंबर को सर्च करने के लिए पंजाब पुलिस के पास कोई भी सेल नहीं है। इसका खुलासा एडवोकेट हरमिंदर सिंह संधू की तरफ से सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस कम लोक सूचना अधिकारी जालंधर ने किया। सूचना में यह भी बात सामने आई कि पिछले पांच सालों में जिले में महज 333 केस ही ऐसे दर्ज हुए हैं, जिनमें मोबाइल चोरी अथवा छीना झपटी में मोबाइल गया है। इनमें से भी महज 93 मामले ही ट्रेस हुए हैं, जबकि बाकी मोबाइल अभी तक पहेली ही हैं।
पंजाब पुलिस चोरी अथवा लूट में गए मोबाइल को ढूंढने के प्रति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच सालों में जिले में मात्र 333 मामले ही दर्ज हुए हैं। एक साल में 365 दिन होते हैं, जिसका मतलब है कि पुलिस के पास 1825 दिनों में 333 शिकायतें ही आई हैं। हकीकत इस बात से कहीं परे है। पुलिस महकमे से ही मिली जानकारी के मुताबिक रोज कोई न कोई मोबाइल गुम होने या चोरी होने की सूचना आती है, पर इसकी रिपोर्ट काफी कम दर्ज होती है। अधिकतर मामलों में लोग भी कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए मात्र शिकायत दे खानापूर्ति करते हैं, ताकि भविष्य में किसी परेशानी से बचा जा सके। वहीं पुलिस महकमे की भी कार्यप्रणाली सामने आती है, क्योंकि 333 मामलों में से भी महज 93 ही ट्रेस हुए हैं। यह मामले भी अधिकतर वह हैं, जिनमें कोई बड़ी वारदात के लिए मोबाइल ट्रेस हुआ है या कोई बड़ी सिफारिश वाला आदमी सामने आया। मोबाइल को ट्रेस करने के लिए आईएमईआई नंबर को ट्रेस करना आवश्यक है, जबकि आरटीआई की ही जानकारी के मुताबिक पंजाब पुलिस के पास आईएमईआई नंबर को ट्रेस करने के लिए कोई सेल ही नहीं है। पुलिस को किसी भी आईएमईआई नंबर को ट्रेस करने के लिए एडिशनल डायरेक्टर जनरल पुलिस (इंटेलीजेंस) चंडीगढ़ का सहारा लेना पड़ता है। वहीं डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस कम जिला सूचना अधिकारी का कहना है कि मोबाइल चोरी, लूट अथवा गुम होने के हर मामले को गंभीरता से लिया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे केसों की तफ्तीश के लिए पुलिस एकेडमी फिल्लौर में समय-समय पर पुलिस कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जाती है।
पंजाब पुलिस चोरी अथवा लूट में गए मोबाइल को ढूंढने के प्रति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच सालों में जिले में मात्र 333 मामले ही दर्ज हुए हैं। एक साल में 365 दिन होते हैं, जिसका मतलब है कि पुलिस के पास 1825 दिनों में 333 शिकायतें ही आई हैं। हकीकत इस बात से कहीं परे है। पुलिस महकमे से ही मिली जानकारी के मुताबिक रोज कोई न कोई मोबाइल गुम होने या चोरी होने की सूचना आती है, पर इसकी रिपोर्ट काफी कम दर्ज होती है। अधिकतर मामलों में लोग भी कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए मात्र शिकायत दे खानापूर्ति करते हैं, ताकि भविष्य में किसी परेशानी से बचा जा सके। वहीं पुलिस महकमे की भी कार्यप्रणाली सामने आती है, क्योंकि 333 मामलों में से भी महज 93 ही ट्रेस हुए हैं। यह मामले भी अधिकतर वह हैं, जिनमें कोई बड़ी वारदात के लिए मोबाइल ट्रेस हुआ है या कोई बड़ी सिफारिश वाला आदमी सामने आया। मोबाइल को ट्रेस करने के लिए आईएमईआई नंबर को ट्रेस करना आवश्यक है, जबकि आरटीआई की ही जानकारी के मुताबिक पंजाब पुलिस के पास आईएमईआई नंबर को ट्रेस करने के लिए कोई सेल ही नहीं है। पुलिस को किसी भी आईएमईआई नंबर को ट्रेस करने के लिए एडिशनल डायरेक्टर जनरल पुलिस (इंटेलीजेंस) चंडीगढ़ का सहारा लेना पड़ता है। वहीं डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस कम जिला सूचना अधिकारी का कहना है कि मोबाइल चोरी, लूट अथवा गुम होने के हर मामले को गंभीरता से लिया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे केसों की तफ्तीश के लिए पुलिस एकेडमी फिल्लौर में समय-समय पर पुलिस कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जाती है।
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