अन्ना हजारे और कांग्रेस -
वर्तमान तनावपूर्ण, भविष्य अनिश्चित
भारत में अगला आम चुनाव होने में अभी तीन साल बाक़ी हैं लेकिन राजनीतिक पंडित अभी से इसका आकलन करने लगे हैं कि मौजूदा यूपीए सरकार का 2014 के चुनावों में क्या होगा.
राष्ट्रमंडल खेलों में ठीका दिए जाने में हुए घोटालों से लेकर स्पेक्ट्रम आबंटन में हुए घोटाले तक अनेक घोटालों से घिरी मनमोहन सरकार के लिए 2009 में सत्ता में दोबारा आने के बाद से शायद कुछ भी सही नहीं हो रहा है.
और इन सबके बाद अब अन्ना हज़ारे का मसला.
चौहत्तर साल के गांधीवादी समाजसेवक शायद मौजूदा केंद्र सरकार के लिए ज़्यादा बड़ी समस्या बन गए हैं.
मंगलवार को अन्ना हज़ारे को अनशन की इजाज़त नहीं दिए जाने के सरकार की समझ से परे फ़ैसले का उलटा असर हुआ है.
शायद ही कोई ऐसा है जो सरकार की इस दलील पर यक़ीन कर रहा है कि अन्ना हज़ारे को गिरफ़्तार करने का फ़ैसला केवल दिल्ली पुलिस का था.
भारत के स्वतंत्रता दिवस के कुछ ही घंटों बाद भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण तरीक़े से आंदोलन करने वाले 74 साल के एक बुज़ुर्ग को पहले अपमानित करना फिर उन्हें तिहाड़ जेल में बंद करना जो भ्रष्ट नेताओं, बलात्कारियों और चरमपंथियों का अंतिम शरण स्थल है, वो फ़ैसला मूर्खतापूर्ण था.
समर हरलांकर, हिंदुस्तान टाइम्स के वरिष्ठ संपादक
गुरूवार को हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार में वरिष्ठ संपादक समर हरलांकर ने लिखा, ''भारत के स्वतंत्रता दिवस के कुछ ही घंटों बाद भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण तरीक़े से आंदोलन करने वाले 74 साल के एक बुज़ुर्ग को पहले अपमानित करना फिर उन्हें तिहाड़ जेल में बंद करना जो भ्रष्ट नेताओं, बलात्कारियों और चरमपंथियों का अंतिम शरण स्थल है, वो फ़ैसला मूर्खतापूर्ण था.''
'बेख़बर'
ऐसा लगता है कि सरकार को ना तो इस बात का एहसास है कि लोगों की नारज़गी किस हद तक है और ना ही उसे अन्ना की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाज़ा है.
बुधवार को संसद में दिए अपने भाषण में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अन्ना हज़ारे पर हमला बोला था. मनमोहन सिंह ने कहा था, "अन्ना हज़ारे ने अपने मसौदे को संसद पर थोपने के लिए जो रास्ता चुना है वो पूरी तरह ग़लत है और हमारे संसदीय लोकतंत्र के लिए इसके नतीजे गंभीर हो सकते हैं."
सुरेश कलमाड़ी
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी में हुए घोटाले के लिए सुरेश कलमाड़ी फ़िलहाल जेल में हैं
राजनीतिक विश्लेषक सुकुमार मुरलीधरन ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा, ''मेरा ख़्याल है कि सरकार तेज़ी से अपनी शक्ति खोती जा रही है. प्रधानमंत्री चीज़ों को संभाल पाने में असफल दिख रहें हैं.''
अगले साल भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावों में सरकार की कड़ी परीक्षा होगी.
उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी की साख दाव पर लगी हुई है.
अगर कांगेस साल 2012 में होने वाले विधान सभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहती है तो फिर उसे वर्ष 2014 के आम चुनाव से पहले काफ़ी बल मिलेगा.
मेरा ख़्याल है कि सरकार तेज़ी से अपनी शक्ति खोती जा रही है. प्रधानमंत्री चीज़ों को संभाल पाने में असफल दिख रहें हैं.
सुकुमार मुरलीधरन, राजनीतिक विश्लेषक
मुरलीधरन का मानना है कि भ्रष्टाचार का मुद्दा मनमोहन सिंह सरकार को तंग करता रहेगा. सरकार की मौजूदा समस्या पर टिप्पणी करते हुए मुरलीधरन ने कहा, ''मनमोहन सिंह की उम्र बढ़ती जा रही है , सोनिया गांधी बीमार हैं और देश से बाहर हैं, सरकार के लिए कई जटिल मुद्दे हैं.''
गठबंधन की दिक़्क़तें
मुरलीधरन के अनुसार कांग्रेस की चुनावी परेशानियां और भी बढ़ रही हैं क्योंकि उसके सहयोगी भी ख़राब स्थिति से गुज़र रहें हैं.
अप्रैल 2011 में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की सहयोगी डीएमका का लगभग सफ़ाया हो गया था.
भारत में चुनाव गठबंधन के बल पर जीते या हारे जाते हैं.
ए राजा
स्पेक्ट्रम घोटाला के मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा भी जेल में हैं.
लेकिन फ़िलहाल मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी गठबंधन के मामले में कोई बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है.
भाजपा भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई है. भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में उसके मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार निरोधक संस्था लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद इस्तीफ़ा देना पड़ा था.
लेकिन इसमे कोई शक नहीं कि लोगों की धारणा बनती जा रही है कि मौजूदा केंद्र सरकार भ्रष्टाचार से नहीं लड़ना चाहती है और इसके नतीजे में सरकार की लोकप्रियता लगातार घटती जा रही है.
अन्ना हज़ारे को निशाना बनाने के बाद बहुत सारे भारतीयों को विश्वास होने लगा है कि जो भी देश में फैले भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहा है सरकार उसको परेशान कर रही है.
हज़ारे और उनका अभियान मनमोहन सिंह सरकार को तो नहीं गिरा सकता है लेकिन निश्चित तौर पर उन्होंने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Friday, August 19, 2011
Delhi Police : Anna Hazare: क्या करें सिब्बल साब...जो होना था वह तो हो ही गया
नई दिल्ली. रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन की अनुमति से सबसे ज्यादा परेशान केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल हैं। उनकी हालत आसमान से गिरे खजूर पर अटके जैसी हो गई है। दरअसल रामलीला मैदान सिब्बल के निर्वाचन क्षेत्र में आता है। सिब्बल चाहते थे कि रामलीला मैदान को अनशन स्थल न बनाया जाए।
इसीलिए सरकार की ओर से शुरुआती स्तर पर जो विकल्प में भी रामलीला मैदान के विकल्प को ऊपर नहीं रखा गया। पर, सरकार के रणनीतिकारों को उसी स्थान का चुनाव करना पड़ा जहां उन्हें रामदेव को हटाने के लिए आधी रात को बलप्रयोग करना पड़ा था।
सिब्बल के नजदीकियों का मानना है कि अगर अनशन शांतिपूर्वक खत्म होता है तो ठीक। अगर किसी तरह की गड़बड़ होती है तो उसका सबसे ज्यादा असर उनके निर्वाचन क्षेत्र पर ही पड़ेगा। पिछले कुछ दिनों से सिब्बल के इलाके में जनलोकपाल की अवधारणा के खिलाफ लोगों को लामबंद करने की कोशिश भी हो रही है।
लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए सेमिनार व अन्य कार्यक्रमों में खुद सिब्बल शिरकत कर रहे हैं। दरअसल अन्ना के जनलोकपाल पर आग्रह के खिलाफ सरकार में सबसे ज्यादा मुखर मंत्रियों में सिब्बल रहे हैं। इसके चलते अन्ना टीम के निशाने पर वे सबसे प्रमुख तौर पर रहे हैं।
अन्ना टीम ने जनलोकपाल पर सर्वे के लिए सबसे पहले चांदनी चौक को चुना। जिसमें दावा किया गया कि करीब 85 फीसदी लोग अन्ना के साथ हैं। हालांकि सिब्बल ने इस सर्वे को मजाक में टाल दिया था। सिब्बल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। माना जा रहा है कि उन्होंने अपनी चिंताओं को प्रधानमंत्री के साथ साझा किया है।
इसीलिए सरकार की ओर से शुरुआती स्तर पर जो विकल्प में भी रामलीला मैदान के विकल्प को ऊपर नहीं रखा गया। पर, सरकार के रणनीतिकारों को उसी स्थान का चुनाव करना पड़ा जहां उन्हें रामदेव को हटाने के लिए आधी रात को बलप्रयोग करना पड़ा था।
सिब्बल के नजदीकियों का मानना है कि अगर अनशन शांतिपूर्वक खत्म होता है तो ठीक। अगर किसी तरह की गड़बड़ होती है तो उसका सबसे ज्यादा असर उनके निर्वाचन क्षेत्र पर ही पड़ेगा। पिछले कुछ दिनों से सिब्बल के इलाके में जनलोकपाल की अवधारणा के खिलाफ लोगों को लामबंद करने की कोशिश भी हो रही है।
लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए सेमिनार व अन्य कार्यक्रमों में खुद सिब्बल शिरकत कर रहे हैं। दरअसल अन्ना के जनलोकपाल पर आग्रह के खिलाफ सरकार में सबसे ज्यादा मुखर मंत्रियों में सिब्बल रहे हैं। इसके चलते अन्ना टीम के निशाने पर वे सबसे प्रमुख तौर पर रहे हैं।
अन्ना टीम ने जनलोकपाल पर सर्वे के लिए सबसे पहले चांदनी चौक को चुना। जिसमें दावा किया गया कि करीब 85 फीसदी लोग अन्ना के साथ हैं। हालांकि सिब्बल ने इस सर्वे को मजाक में टाल दिया था। सिब्बल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। माना जा रहा है कि उन्होंने अपनी चिंताओं को प्रधानमंत्री के साथ साझा किया है।
Delhi Police : Anna Hazare: माफ कीजिए लालू जी...हमारे गांधी, जेपी तो अन्ना ही हैं
नई दिल्ली. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक आंदोलनों और जयप्रकाश नारायण के ऐतिहासिक आंदोलन को हमें अपनी आंखों से देखने और समझने का मौका तो नहीं मिला लेकिन बुधवार को तिहाड़ जेल और इंडिया गेट पर जो नजारा मैंने अपनी आंखों से देखा वह कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हर हिन्दुस्तानी के दिल में जो उम्मीद की 'लौ' जलाई है उसके प्रज्ज्वलित होने का आभास कम से कम मुझे तो इंडिया गेट और तिहाड़ जेल का नजारा देखने के बाद तो हो ही गया।
लोकतंत्र के इस उत्सव में बच्चे, बूढ़े, नौजवान, छात्र-छात्राएं सभी जोश से भरे हुए थे। आलम यह था कि कोई यह नहीं देख रहा था कि दूसरा क्या कर रहा है, चार-पांच के समूह में लोग अपनी ही धुन में देशभक्ति के तराने गा रहे थे। जेल के बाहर मंगलवार रात से ही कुछ लोग जमीन पर बैठे थे तो कुछ थककर सो गए थे, लेकिन पास में ही एक जगह पिघली हुई मोमबत्तियों का मोम पड़ा था जो रात की कहानी बयां कर रहा था।
तिहाड़ जेल के बाहर लोगों का हुजूम देखने लायक था, लोगों के हांथों में तिरंगा था और वे लगातार 'भ्रष्टाचार बंद करो' और 'वंदेमात्रम' के नारे लगा रहे थे। एक बैनर पर तो लिखा था.'जो अन्ना नहीं वो गन्ना है।'
लोगों ने कहा कि यह जोश महज दो-चार दिनों का नहीं है और जब तक अन्ना हजारे के साथ हर भारतीय का मकसद पूरा नहीं हो जाता तब तक उनके साथ हम यह लड़ाई लड़ते रहेंगे। इसमें ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक थी जो दफ्तर से अवकाश लेकर या घर का काम-धंधा छोड़कर अन्ना हजारे की इस मुहिम में शामिल होने आए थे।
तिहाड़ जेल के बाहर एक महिला से मुलाकात हुई जो घर से खाना और पानी लाई थी और उसे लोगों में बांट रही थी। इस महिला ने कहा, "लोगों को खाना दे रही हूं कुछ लोग खाने से इंकार कर रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि जब तक अन्ना हजारे भूखे हैं तब तक हम कैसे खा सकते हैं।"
तिहाड़ के बाहर महात्मा गांधी की वेशभूषा में खड़े 21 वर्षीय संजय शर्मा पर सभी की निगाहें थीं। मैं भी अपने को रोक नहीं पाया। बरबस ही उनके पास चला गया। बातचीत करने के लिए। उन्होंने बताया कि वह फोटोग्राफर हैं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने तिहाड़ जाने की बात की तो परिवार ने उन्हें 'पागल' कहा लेकिन वह किसी की परवाह नहीं करते हुए यहां चले आए।
शर्मा झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं और उन्हें इस बात का दुख है कि उनके जैसे लोगों के लिए देश में कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा, "एमएलए आते हैं और वोट मांगकर चले जाते हैं। पिछले साल मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए मैंने 500 रुपये दिए थे।"
यह तो तिहाड़ जेल के बाहर का नजारा था लेकिन शाम चार बजे के करीब इंडिया गेट का नजारा देखकर तो मैं दंग रह गया। इंडिया गेट पर मौजूद लोग सरकार, खासतौर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से काफी नाराज दिखाई दे रहे थे। कुछ जगहों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भी नारेबाजी हो रही थी।
गुड़गांव से अपने पूरे परिवार के साथ आईं निशा राजदान ने कहा, "लोग यहां अपना घर-बार छोड़कर इसलिए आए हैं क्योंकि लोग भ्रष्टाचार से पक चुके हैं। पानी सर के ऊपर से बह रहा है। यहां हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। हर विभाग में लोग बिके हुए हैं। बिना पैसे दिए कोई काम नहीं होता। चपरासी से लेकर अफसर तक सभी पैसे खाते हैं। इन लोगों ने इतना परेशान कर रखा है कि अब बर्दाश्त की सीमा खत्म हो चुकी है।"
इंडिया गेट और तिहाड़ जेल पर दिन बिताने के बाद मैं शाम को जब घर पहुंचा तो काफी थका हुआ था। मन में काफी सारी बातें चल रहीं थी। एक डर यह भी कि क्या अन्ना हजारे का आंदोलन अपने अंजाम तक पहुंचेगा। तभी अचानक टीवी पर लालू जी प्रकट हो गए। एक समाचार चैनल पर संसद की कार्यवाही की कुछ झलक दिखाई जा रही थी।
लालू जी ने कहा, "मैं अन्ना हजारे की बहुत इज्जत करता हूं। अच्छे आदमी हैं। बापू और जयप्रकाश नारायण की राह पर चल रहे हैं लेकिन मैं आज संसद में कहना चाहता हूं कि देश में बापू, जेपी और आचार्य नरेंद्र देव का स्थान कोई नहीं ले सकता। हां, आप उनकी नकल जरूर कर सकते हैं।"
लालू जी की इस बात में कोई संदेह नहीं कि देश में जो स्थान 'बापू'और 'जेपी' को मिला वह शायद अन्ना हजारे को नहीं मिल सकता लेकिन क्या उन्हें इस बात का एहसास है कि उन्हें अन्ना हजारे की गांधी और जेपी की तुलना को लेकर ऐसी बात कहने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
क्या लालू जी यह बता सकते हैं कि देश में तमाम राजनीतिक हस्तियों के होने के बावजूद अन्ना हजारे को ही लोग 'देश का दूसरा गांधी' क्यों बता रहे हैं। क्या वह आज किसी एक ऐसे नेता का नाम बता सकते हैं, जिसके कहने पर पूरा देश इस तरह सड़कों पर उतर आए। शायद इसका जवाब लालू जी के पास भी नहीं होगा। आज के नेताओं को आत्मचिंतन और आत्ममंथन करने की आवश्यकता है नहीं तो मेरी तरह शायद देश का हर युवा यही कहेगा.. माफ कीजिए लालू जी हमारे गांधी और जेपी तो अन्ना हजारे ही हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हर हिन्दुस्तानी के दिल में जो उम्मीद की 'लौ' जलाई है उसके प्रज्ज्वलित होने का आभास कम से कम मुझे तो इंडिया गेट और तिहाड़ जेल का नजारा देखने के बाद तो हो ही गया।
लोकतंत्र के इस उत्सव में बच्चे, बूढ़े, नौजवान, छात्र-छात्राएं सभी जोश से भरे हुए थे। आलम यह था कि कोई यह नहीं देख रहा था कि दूसरा क्या कर रहा है, चार-पांच के समूह में लोग अपनी ही धुन में देशभक्ति के तराने गा रहे थे। जेल के बाहर मंगलवार रात से ही कुछ लोग जमीन पर बैठे थे तो कुछ थककर सो गए थे, लेकिन पास में ही एक जगह पिघली हुई मोमबत्तियों का मोम पड़ा था जो रात की कहानी बयां कर रहा था।
तिहाड़ जेल के बाहर लोगों का हुजूम देखने लायक था, लोगों के हांथों में तिरंगा था और वे लगातार 'भ्रष्टाचार बंद करो' और 'वंदेमात्रम' के नारे लगा रहे थे। एक बैनर पर तो लिखा था.'जो अन्ना नहीं वो गन्ना है।'
लोगों ने कहा कि यह जोश महज दो-चार दिनों का नहीं है और जब तक अन्ना हजारे के साथ हर भारतीय का मकसद पूरा नहीं हो जाता तब तक उनके साथ हम यह लड़ाई लड़ते रहेंगे। इसमें ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक थी जो दफ्तर से अवकाश लेकर या घर का काम-धंधा छोड़कर अन्ना हजारे की इस मुहिम में शामिल होने आए थे।
तिहाड़ जेल के बाहर एक महिला से मुलाकात हुई जो घर से खाना और पानी लाई थी और उसे लोगों में बांट रही थी। इस महिला ने कहा, "लोगों को खाना दे रही हूं कुछ लोग खाने से इंकार कर रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि जब तक अन्ना हजारे भूखे हैं तब तक हम कैसे खा सकते हैं।"
तिहाड़ के बाहर महात्मा गांधी की वेशभूषा में खड़े 21 वर्षीय संजय शर्मा पर सभी की निगाहें थीं। मैं भी अपने को रोक नहीं पाया। बरबस ही उनके पास चला गया। बातचीत करने के लिए। उन्होंने बताया कि वह फोटोग्राफर हैं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने तिहाड़ जाने की बात की तो परिवार ने उन्हें 'पागल' कहा लेकिन वह किसी की परवाह नहीं करते हुए यहां चले आए।
शर्मा झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं और उन्हें इस बात का दुख है कि उनके जैसे लोगों के लिए देश में कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा, "एमएलए आते हैं और वोट मांगकर चले जाते हैं। पिछले साल मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए मैंने 500 रुपये दिए थे।"
यह तो तिहाड़ जेल के बाहर का नजारा था लेकिन शाम चार बजे के करीब इंडिया गेट का नजारा देखकर तो मैं दंग रह गया। इंडिया गेट पर मौजूद लोग सरकार, खासतौर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से काफी नाराज दिखाई दे रहे थे। कुछ जगहों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भी नारेबाजी हो रही थी।
गुड़गांव से अपने पूरे परिवार के साथ आईं निशा राजदान ने कहा, "लोग यहां अपना घर-बार छोड़कर इसलिए आए हैं क्योंकि लोग भ्रष्टाचार से पक चुके हैं। पानी सर के ऊपर से बह रहा है। यहां हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। हर विभाग में लोग बिके हुए हैं। बिना पैसे दिए कोई काम नहीं होता। चपरासी से लेकर अफसर तक सभी पैसे खाते हैं। इन लोगों ने इतना परेशान कर रखा है कि अब बर्दाश्त की सीमा खत्म हो चुकी है।"
इंडिया गेट और तिहाड़ जेल पर दिन बिताने के बाद मैं शाम को जब घर पहुंचा तो काफी थका हुआ था। मन में काफी सारी बातें चल रहीं थी। एक डर यह भी कि क्या अन्ना हजारे का आंदोलन अपने अंजाम तक पहुंचेगा। तभी अचानक टीवी पर लालू जी प्रकट हो गए। एक समाचार चैनल पर संसद की कार्यवाही की कुछ झलक दिखाई जा रही थी।
लालू जी ने कहा, "मैं अन्ना हजारे की बहुत इज्जत करता हूं। अच्छे आदमी हैं। बापू और जयप्रकाश नारायण की राह पर चल रहे हैं लेकिन मैं आज संसद में कहना चाहता हूं कि देश में बापू, जेपी और आचार्य नरेंद्र देव का स्थान कोई नहीं ले सकता। हां, आप उनकी नकल जरूर कर सकते हैं।"
लालू जी की इस बात में कोई संदेह नहीं कि देश में जो स्थान 'बापू'और 'जेपी' को मिला वह शायद अन्ना हजारे को नहीं मिल सकता लेकिन क्या उन्हें इस बात का एहसास है कि उन्हें अन्ना हजारे की गांधी और जेपी की तुलना को लेकर ऐसी बात कहने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
क्या लालू जी यह बता सकते हैं कि देश में तमाम राजनीतिक हस्तियों के होने के बावजूद अन्ना हजारे को ही लोग 'देश का दूसरा गांधी' क्यों बता रहे हैं। क्या वह आज किसी एक ऐसे नेता का नाम बता सकते हैं, जिसके कहने पर पूरा देश इस तरह सड़कों पर उतर आए। शायद इसका जवाब लालू जी के पास भी नहीं होगा। आज के नेताओं को आत्मचिंतन और आत्ममंथन करने की आवश्यकता है नहीं तो मेरी तरह शायद देश का हर युवा यही कहेगा.. माफ कीजिए लालू जी हमारे गांधी और जेपी तो अन्ना हजारे ही हैं।
Mumbai Police : Anna Hazare: अन्ना के समर्थन में उतरे मुंबई के डिब्बेवाले,आज खाने कि सप्लाई नहीं करेगें
मुंबई। पूरा देश इस समय अन्ना हजारे के साथ खड़ा दिखायी दे रहा है। मुंबई के डब्बा वाले भी अपने अन्ना भाई के लिए आज दिन भर पर की हड़ताल की घोषणा कर दी है जिसके चलते आज मुंबई में करीब दो लाख से ज्यादा लोग खाना नहीं खा पायेगें। पिछले 120 सालों में ये पहली बार होगा कि डिब्बा वाले हड़ताल पर होंगे। लेकिन मुंबई वासियों का कहना है क उन्हें खुशी है कि वो आज अन्ना के लिए भूखे रहेगें। उन्होंने कहा कि अगर उनके भूखे रहने से देश औऱ देशवासियों का फायदा होता है तो ये उनके सौभाग्य की बात है।
इस बात की जानकारी मुंबई जीवन डिब्बावाला एसोसिएशन के अध्यक्ष ने दी है। पिछले करीब 120 सालों से लगातार डिब्बा वाले मुंबई वासियों को भोजन पहुंचाते हैं। इससे पहले उन्होंने बाबा रामदेव का भी समर्थन भी किया था लेकिन भ्रष्टाचार के चलते हड़ताल पहली बार कर रहे है। डिब्बे वालों का कहना है कि ये सब कुछ उनके ग्राहकों ने ही उनसे कहा है इसलिए वो ऐसा कर रहे हैं। डिब्बेवाला आज आजाद मैदान में इक्ट्ठा होंगे। उनका कहना है कि हमारे लोग अन्ना के लिए एक दिन भूखे रह सकते हैं।
आपको बता दें कि अन्ना को कल यानी गुरूवार को तीन बजे ही तिहाड़ से बाहर आ जाना था लेकिन रामलीला मैदान तैयार नहीं था। जिसके बाद से अन्ना को कल की रात भी तिहाड़ में बितानी पड़ी। कल शाम को अन्ना ने तिहाड़ से जारी वीडियो संदेश में कहा कि वो पूरी तरह से ठीक है। उन्हें लोगों के जोश और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते देख कर बहुत अच्छा लग रहा है। अन्ना ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देश अब बदलाव चाहता है। अपनी तबियत के बारे में अन्ना ने बोला कि लोगों के जोश को देखकर इतनी ऊर्जा मिल रही है जिसके चलते उनकी तबियत खराब ही नहीं हो सकती है। अन्ना ने कहा कि अगर ये ही हाल रहा तो सरकार को जनलोकपाल बिल हर हालत में लागू करवाना ही होगा।
इस बात की जानकारी मुंबई जीवन डिब्बावाला एसोसिएशन के अध्यक्ष ने दी है। पिछले करीब 120 सालों से लगातार डिब्बा वाले मुंबई वासियों को भोजन पहुंचाते हैं। इससे पहले उन्होंने बाबा रामदेव का भी समर्थन भी किया था लेकिन भ्रष्टाचार के चलते हड़ताल पहली बार कर रहे है। डिब्बे वालों का कहना है कि ये सब कुछ उनके ग्राहकों ने ही उनसे कहा है इसलिए वो ऐसा कर रहे हैं। डिब्बेवाला आज आजाद मैदान में इक्ट्ठा होंगे। उनका कहना है कि हमारे लोग अन्ना के लिए एक दिन भूखे रह सकते हैं।
आपको बता दें कि अन्ना को कल यानी गुरूवार को तीन बजे ही तिहाड़ से बाहर आ जाना था लेकिन रामलीला मैदान तैयार नहीं था। जिसके बाद से अन्ना को कल की रात भी तिहाड़ में बितानी पड़ी। कल शाम को अन्ना ने तिहाड़ से जारी वीडियो संदेश में कहा कि वो पूरी तरह से ठीक है। उन्हें लोगों के जोश और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते देख कर बहुत अच्छा लग रहा है। अन्ना ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देश अब बदलाव चाहता है। अपनी तबियत के बारे में अन्ना ने बोला कि लोगों के जोश को देखकर इतनी ऊर्जा मिल रही है जिसके चलते उनकी तबियत खराब ही नहीं हो सकती है। अन्ना ने कहा कि अगर ये ही हाल रहा तो सरकार को जनलोकपाल बिल हर हालत में लागू करवाना ही होगा।
Foreign Police: Anna Hazare: अन्ना हजारे के आंदोलन की आग पाकिस्तान तक
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन की आग अब देश के बाहर भी जा रही है। पाकिस्तान के इस्लामाबाद शहर में रहने वाले 68 वर्षीय व्यवसायी जहांगीर अख्तर ने अन्ना के आंदोलन से प्रभावित होकर 12 सितंबर से पाकिस्तान में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन करने का फैसला किया है।
अन्ना के आंदोलन की प्रशंसा करते हुए जहांगीर ने कहा कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार भारत से कहीं ज्यादा है। अख्तर चाहते हैं कि पाकिस्तानी संसद में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून पारित हो, जिसकी रूपरेखा बहुत हद तक वैसी ही हो, जिस तरह के कानून की मांग भारत में की जा रही है।
फोटोग्राफी बिजनेस से जुड़े अख्तर ने कहा कि मैं भ्रष्टाचार विरोधी कानून को नेशनल असेंबली में जल्द ही पेश होना चाहिए और इसके लिए तुरंत प्रयास किए जाने चाहिए।
अख्तर पहले भी इस्लामाबाद के व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए 22 दिनों तक अनशन किया था। (एजेंसियां)
अन्ना के आंदोलन की प्रशंसा करते हुए जहांगीर ने कहा कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार भारत से कहीं ज्यादा है। अख्तर चाहते हैं कि पाकिस्तानी संसद में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून पारित हो, जिसकी रूपरेखा बहुत हद तक वैसी ही हो, जिस तरह के कानून की मांग भारत में की जा रही है।
फोटोग्राफी बिजनेस से जुड़े अख्तर ने कहा कि मैं भ्रष्टाचार विरोधी कानून को नेशनल असेंबली में जल्द ही पेश होना चाहिए और इसके लिए तुरंत प्रयास किए जाने चाहिए।
अख्तर पहले भी इस्लामाबाद के व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए 22 दिनों तक अनशन किया था। (एजेंसियां)
Monday, August 15, 2011
Tuesday, August 9, 2011
BREAKING NEWS: Pageviews all time history 5,017, दोस्तों अपना POLICE NEWS दुनिया के 5K Hits Club में शामिल, आप सभी को बधाई,बधाई,बधाई
दोस्तों, हमें नहीं मालूम कि इस खुशी को, इस सफलता को आप सबसे कैसे बांटू। कैसे आप सभी से कहूं 'शुक्रिया दोस्तो'..आज हम दुनिया के साइबर दुनिया में एक नए मुकाम पर पहुंच गए हैं। आज अपना ब्लॉग http://policenewshome.blogspot.com/ साइबर दुनिया के ब्लॉग्स की दुनिया में एक खास क्लब में पहुंचने के काबिल हो गया है।
आज हम सभी पांच हजारियां हिट्स वाले ब्लॉग के सदस्य हो गए हैं। आज अपना http://policenewshome.blogspot.com/ ब्लॉग्स की दुनिया के 5K Hits Club में शामिल हो गया है। हु्र्रेरररररररररररररररररररररर
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