Wednesday, February 8, 2012

Punjab Police: Ludhiana: DSP बलराज गिल के मर्डर मामले में पुलिस परेशान, महिला के साथ एक फॉर्म हाउस में मिली थी डीएसपी साहब की लाश..

लुधियाना. डीएसपी और महिला हत्याकांड के 72 घंटे बाद भी पुलिस मामले में कोई सुराग नहीं लगा सकी है। वीरवार सुबह गोल्फ लिंक के फार्म हाउस में पत्रकारों के सामने कमिश्नर पुलिस ईश्वर चंद्र ने डीएसपी बलराज सिंह गिल की कार को नूरपुर बेट में लोकेट हुई बता कर शाम तक बरामद कर लेने का दावा किया था, मगर शनिवार तक कार बरामदगी की कोई सूचना नहीं थी। पुलिस महिला की इनोवा कार का भी कोई सुराग नहीं लगा सकी है। कंट्रोल रूम में की कमिश्नर ने मीटिंग दोहरे हत्याकांड को सुलझाने में विफल रहने पर हो रही फजीहत से बचने के लिए कमिश्नर पुलिस ने शनिवार शाम पुलिस अधिकारियों तथा थाना प्रभारियों के साथ पुलिस लाइन के कंट्रोल रूम में मीटिंग की। मामले को सुलझाने के लिए आपस में विचार विमर्श किया गया। जिसमें कमिश्नर ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश भी जारी किए हैं। इससे पहले डीसीपी आशीष चौधरी ने सीआईए में खुद बैठ कर हिरासत में लिए लोगों से पूछताछ की। डीएसपी गिल का भोग व अंतिम अरदास बुधवार रात महिला के साथ मौत का शिकार हुए डीएसपी बलराज सिंह गिल का शनिवार को भोग और अंतिम अरदास कर दी गई। फव्वारा चौक के सिम्रिटी रोड पर महावीर भवन में संपन्न हुए कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए एसएसपी मोगा इंद्रवीर सिंह समेत सभी एस और डीएसपी शामिल हुए। इसके अलावा कमिश्नर पुलिस ईश्वर चंदर शर्मा, डीसीपी आशीष चौधरी समेत पुलिस के अन्य अधिकारी डीएसपी गिल को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। एक साल पहले हुई थी घनिष्ठता शनिवार को पुलिस ने डीएसपी के साथ मौत का शिकार हुई महिला की एक सहेली को बुला कर पूछताछ की। महिला उससे हर बात शेयर किया करती थी। उसने बताया कि एक साल पहले कोई डाक्टर महिला को ब्लैक मेल करता था। जिसकी उसने पुलिस कमिश्नर को शिकायत दी थी। पुलिस कमिश्नर ने मामले की जांच बलराज सिंह गिल को सौंपी। महिला ने बताया कि मामले की जांच के दौरान डीएपी बलराज गिल तथा महिला के बीच घनिष्ठ संबंध बन गए।

Police Policy:UP Police: Loknow: 1992 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने की पुलिस एसोसियेशन बनाने की मांग, गृह सचिव को लिखा पत्र..

लखनऊ। 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने आज प्रमुख सचिव (गृह), उत्तर प्रदेश को एक बार पुनः उत्तर प्रदेश पुलिस के विभिन्न रैंकों के समस्त पुलिस कर्मियों के लिए ऐकिक पुलिस एसोशियेशन बनाए जाने के लिए पत्र प्रेषित किया है. उन्होंने यह पत्र आयुक्त, बस्ती एवं एसपी, सिद्धार्थनगर के बीच हुए विवाद के बाद आईपीएस एसोशियेशन द्वारा उठाये गए कदम एवं कई आईपीएस अधिकारियों द्वारा पद से इस्तीफा देने की मांग के सन्दर्भ में लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि यद्यपि आपीएस एसोशियेशन का किसी मुद्दे पर एक साथ आना और उसके अधिकारियों का एसपी, सिद्धार्थनगर के साथ हुए दुर्व्यवहार के विषय में इस्तीफा देने की बात कहना स्वागतयोग्य है पर एक तो यह कदम बहुत देरी से लिया गया है. दूसरे यह आईपीएस अधिकारियों द्वारा मात्र अपने हितों के लिए सोचने वाली बात है. इस तरह की समस्याएं पूरे उत्तर प्रदेश पुलिस में प्रत्येक रैंक के पुलिस अधिकारियों के साथ आये दिन होती रहती हैं. अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि मात्र आईपीएस अधिकारियों के हित की बात नहीं सोच कर पूरे पुलिस बल के हितों की रक्षा की बात सोची जाए.

Delhi Police: Delhi: मोती- सी है सब- इंस्पेक्टर श्यामलन की लिखावट, कैलीग्राफी में बना दिया वर्ल्ड रिकार्ड...

नई दिल्ली, जासं : दिल्ली पुलिस मुख्यालय में कार्यरत दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर श्यामलन ने कैलीग्राफी में नया रिकार्ड बनाया है। श्यामलन ने 2009 में बनाए अपने ही रिकार्ड को तोड़कर यह रिकार्ड बनाया। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा। इससे पहले वर्ष 2011 में कैलीग्राफी के लिए ही उनका नाम इस रिकार्ड बुक में दर्ज हुआ था। श्यामलन ने तीन फरवरी को पुलिस मुख्यालय में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड के प्रतिनिधियों के सामने एक घंटे में कैलीग्राफी शैली में कार्ड पर 261 बार बेस्ट ऑफ लक लिखकर नया रिकार्ड बनाया।
मालूम हो कि श्यामलन को खास लिखावट शैली (कैलीग्राफी) के लिए अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं। पुलिस अधिकारी भी उसकी इस कला के मुरीद हैं। श्यामलन ड्यूटी के बाद काफी समय कैलीग्राफी के अभ्यास पर देते हैं। इसी के चलते उन्हें हाथ से सुंदर मुद्रा में लिखे जाने वाली कला 'कैलीग्राफी' में महारथ हासिल है।

Punjab Police: Barnala: पुलिस अधिकारियों की हत्या से दहला पंजाब, डीएसपी के बाद अब एक ASI का मर्डर..

बरनाला.मोगा में अभी डीएसपी की मौत का मामला सुलझा भी नहीं था कि शनिवार रात को पंजाब पुलिस के एक एएसआई का मर्डर कर दिया गया। भगौड़े अपराधियों की तलाश में गश्त पर गए थाना शैहणा के एएसआई और पटियाला (रूरल) के डीएसपी के सगे भाई हरभजन सिंह की तेजधार हथियारों से हत्या कर दी गई। एएसआई के सिर पर गहरे घाव के निशान मिले हैं। एएसआई के बेटे के बयान पर पुलिस ने अज्ञात लोगों पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। एएसआई हरभजन सिंह की लाश रविवार सुबह गांव छापा से कुतबा लिंक रोड पर मिली। लाश से करीब एक किमी. दूर एएसआई की कार बरामद हुई। हत्या करने वाले एएसआई की वर्दी उतारकर लाश सड़क पर ही फेंककर चले गए। साथ ही उनके हाथ से सोने की अंगूठी, मोबाइल फोन और पर्स भी ले गए। रविवार सुबह गांव छापा के दो लोगों ने खून से लथपथ लाश देखकर तुरंत ग्राम पंचायत ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।

MP Police: Bhopal: पुलिस हेडक्वार्टर में इतने हो गए ADG , कि अब Asst IG के कमरे में बैठना पड़ रहा है..

भोपाल। पुलिस मुख्यालय में अधिकारियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अब बैठने को ही जगह नहीं मिल रही है। स्थानाभाव के कारण अफसर अपने बैठने के लिए अब नए स्थान की तलाश करने लगे हैं। वर्ष 2008 में खटलापुरा मंदिर रोड पर मुख्यालय के नए भवन की नींव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी थी यह भवन दो साल में पूरा होना था लेकिन भवन में लगने वाली सामग्री महंगी हो जाने से उसका काम अटका और वह भवन तीन साल पूरा होने के बाद भी आज भी अधूरा ही है, पता चला है कि भवन को बनाने वाला ठेके दार ही गायब हो गया है, इस भवन को बनने में अभी कम से कम एक से डेढ़ साल का आकलन अधिकारी भी कर रहे हैं, अधिकारियों का मानना है कि भवन को बनाने के लिए रि-टेण्डरिंग की जाना है। इधर स्थानाभाव के कारण कई अधिकारी अपने अन्य अधिकारी के अवकाश पर अथवा कहीं और जाने का इंतजार करता है तब कही जाकर उसे सीट मुहैया हो पाती है। उक्त अधिकारी के आने के बाद वह फिर अपने स्थान की तलाश में लग जाता है। स्थानाभाव के कारण भी अधिकारी इस समय फुटïोव्वल की स्थिति में आ गए हैं। एक वरिष्ठï पुलिस अधिकारी को स्थानाभाव के चलते तीन स्थानों पर जाकर अपनी आमद देना पड़ी है। मुख्यालय में आलम यह हो गया है कि अधिकारी अपने तबादले से डरने लगा है कि किसी अन्यत्र स्थान पर तबादला हो गया और वहां बैठने की जगह नहीं मिली तो आखिर उसका क्या होगा। इस समस्या का खामियाजा संबंधित शाखा में काम करने वाले कर्मचारियों को भी भुगतना पड़ता है स्थिति साफ है कि फाइल पर हस्ताक्षर आदि के स्टाफ कर्मियों को वरिष्ठï अधिकारी के बैठने वाले स्थान पर जाना पड़ता है। बैठक का इस स्थान का समाधान नए भवन के बाद ही सुलझना संभव है, सभी अधिकारी मुख्यालय के नए भवन की ओर टकटकी लगाए बैठे है कि यह कब पूरा होगा और बैठने की समस्या सुलझेगी। 85-86 के बैच से बढ़ी परेशानी मुख्यालय में स्थानाभाव का संकट इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि पुलिस महानिरीक्षक से अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर पदोन्नति पाने वाला बैच 85-86 की संख्या बढ़ी हुई थी। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी बढ़ जाने से उनके बैठने का संकट सामने आ गया। जहां पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक नहीं थे उस शाखा में भी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को पदस्थ कर दिया गया, जैसे सायबर, एसटीएफ, पीटीआरआई एवं योजना एवं प्रबंध में एक एडीजी की जगह उनकी संख्या दो कर दी गई। उनमें से एक एडीजी को एआईजी का रुम आवंटित किया गया क्योंकि वह अवकाश पर थी। बताया जाता है कि यह संख्या आगे भी बढऩा है क्योंकि अभी पदोन्नति की कतार में 87 बैंच के अलावा तीन और अधिकारियों के पदस्थापना आदेश जारी होना है।

Police Policy: WB Police: Kolkata: पश्चिम बंगाल पुलिस एसोसिएशन, नॉन गेजेटेड पुलिस कर्मचारी समिति की मान्यता रद्द करने हाईकोर्ट पहुंचे बंगाल पुलिस के जवान, यूनिफार्म फोर्स में युनियन बनाने का मामला तो नहीं है???

कोलकाता: पुलिस के दो संगठनों की स्वीकृति रद करने के राज्य सरकार के फरमान के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया है। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार से इन संगठनों की स्वीकृति से संबंधित कागजात तलब किए हैं। साथ ही गुरुवार तक किसी भी पुलिस के संगठन को हटाए जाने पर रोक लगा दी है। ज्ञात हो कि राज्य सरकार के गृह मंत्रालय ने 10 जनवरी को पुलिस के दो संगठन पश्चिम बंगाल पुलिस एसोसिएशन व नान गेजेटेड पुलिस कर्मचारी समिति की स्वीकृति रद करने की नोटिस जारी की थी। इन संगठनों के बदले पुलिस वेलफेयर बोर्ड गठित करने की बात कही गई थी। अपने निर्देश में सरकार ने दोनों संस्थाओं को रद करने के साथ उनके कब्जे वाले घरों को खाली करने को कहा था। इस निर्देश को चुनौती देते हुए संगठनों के सदस्यों ने हाईकोर्ट में मामला दायर किया। आवेदनकारियों के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व मेयर विकास रंजन भंट्टाचार्य, अरूणाभ घोष व मलय घोष ने अदालत से अंतरिम आदेश देने का आवेदन किया, जिससे राज्य सरकार का गृह विभाग नोटिस के आधार पर इन संगठनों के खिलाफ कार्रवाई न कर सके, क्योंकि ये संगठन 1923 से पंजीकृत हैं। 1969 में दोनों ही संगठनों को तत्कालीन राज्यपाल ने स्वीकृति दी थी। ऐसे में इन्हें रद कैसे किया जा सकता है? गृह विभाग ने संविधान के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करके नोटिस जारी की है। इस पर न्यायाधीश जयंत विश्वास की अदालत ने निर्देश दिया कि अगले गुरुवार तक किसी भी पुलिस संगठन को हटाया नहीं जा सकेगा। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।

Haryana Police: चरखी दादरी: जेबीटी टीचर्स से भी कम वेतन सुविधाएं पाते है पुलिसकर्मी, दूसरे संगठनों ने पुलिस के पक्ष में उठाई आवाज..

प्रदेश में कार्यरत पुलिस कर्मियों के वेतनमानों, उनके सेवा नियमों, ड्यूटी इत्यादि में कथित तौर पर बरती जा रही नाइंसाफी को लेकर यहां के विभिन्न संगठनों, पंचायतों से जुडे़ लोगों ने आवाज उठाई है। सर्व कर्मचारी संघ के पूर्व जिला महासचिव मास्टर ओमप्रकाश शर्मा, गांव कासनी के पूर्व सरपंच रणबीर सिंह उर्फ लालू, गांव ऊण के पूर्व सरपंच दयाकिशन, गांव रानीला के पूर्व सरपंच बलवंत सिंह, सहकारी मंच हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष रामनिवास मिर्च, श्री बालानाथ योगाश्रम के संचालक आचार्य देवी सिंह इत्यादि ने आज यहां जारी अपने संयुक्त बयान में कहा है कि पुलिस कर्मचारी सभी नेताओं, अफसरों की रक्षा करते हैं तथा कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखते हैं। प्रदेश में अगर किसी कर्मचारी की 24 घंटों डयूटी है तो वह पुलिस कर्मचारी की है। इसके बावजूद वेतनमानों व अन्य सुविधाओं के मामले में वे काफी पिछड़े हुए हैं। इनके मुकाबले में जेबीटी टीचर जिसकी डयूटी मात्र 6, 7 घंटे है। पुलिस कर्मियों का वेतन 40 फीसदी वेतन कम है। हरियाणा के पुलिस कर्मी कानून से बंधे हैं। वे यूनियन नहीं बना सकते। अन्य सभी कर्मचारी सरकार पर आंदोलन के जरिए अथवा अन्य तरीकों से दबाव डालकर अपनी मांगें मनवा लेते हैं लेकिन पुलिस कर्मी ऐसा नहीं करते। अभी हाल में ही पंजाब सरकार ने पुलिस कर्मियों के वेतनमान जेबीटी टीचर्स के समान कर दिया है। हरियाणा सरकार को भी कम से कम पुलिस कर्मियों को जेबीटी टीचर्स के समान तो वेतनमान देने ही चाहिए। चाहे टीचर्स हो या या कोई ओर जरूरत के अनुसार महंगाई को देखते हुए उनके वेतनमान बढ़ावा भी जरूरी है लेकिन पुलिस कर्मियों के साथ किए जा रहे भेदभाव को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने विभिन्न कर्मचारी संगठनों से आग्रह किया है कि वे भी पुलिस कर्मियों की जायज मांगों को अपने मंचों से उठाए। बयान में कहा गया है कि इस बारे में समाज के सभी वर्गो को पुलिस कर्मियों को न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए।