Saturday, February 11, 2012

Punjab Police: Ludhiana: डीसीपी गिल हत्याकांड में नहीं मिल रहा हत्यारा, साथ मृत मिली महिला के परिजनों को पूछताछ के लिए उठाया...

लुधियाना. डीएसपी हत्याकांड में पुलिस ने महिला मोनिका कपिला के पति, भाई तथा नजदीकी को राउंड अप किया है। हालांकि देर शाम उसके भाई को छोड़ दिया गया। मगर अन्य दोनों लोगों से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी खुद पूछताछ कर रहे हैं। उनके मिली अहम जानकारी के बाद पुलिस की तीन टीमों को शहर से बाहर रवाना किया गया है। मोनिका के भाई के जिस दोस्त को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है, वो गांव जवद्दी का रहने वाला बताया जा रहा है। दोहरे हत्याकांड के बाद गोल्फ लिंक इलाके से सटे गांवों की खाक छान रही एसआईटी ने कुछ सूचियां तैयार की हैं। इनमें उन संदिग्ध लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो वारदात वाले दिन या फिर उसके बाद से अपने घरों से गायब हैं। अब पुलिस का फोक्स उन लोगों की तरफ है, जो वारदात वाले दिन व समय घटना स्थल या फिर उसके आस पास मौजूद थे। मोबाइल टावरों द्वारा उस लोकेशन में जितने भी लोगों की मौजूदगी पाई गई है। पुलिस उनके नंबरों के आधार पर तलाश कर रही है। पुलिस की सीआईए टीम ने नूर पूर बेट, बारणहारा, तलवाड़ा और प्रताप सिंह वाला से दस लोगों को हिरासत में लिया है। उधर पुलिस घटनास्थल से मिले खून के सैंपल को उन संदिग्ध लोगों के खून से मैच कराएगी, जिनको चोट लगी हुई हैं।

MP Police: Shivpuri: मध्य प्रदेश पुलिस का शानदार काम, डकैत इंदर को मार गिराया..

शिवपुरी। डकैत इंदर आदिवासी को शुक्रवार की सुबह पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। सतनबाड़ा थाना क्षेत्र के रायपुरा के जंगल में हुई मुठभेड़ के दौरान इंदर के दो अन्य साथी भागने में सफल हो गए। डकैत के पास से पुलिस ने दो रायफल, 49 जिंदा कारतूस और सोलर प्लेट बरामद की है। पुलिस को सूचना मिली थी कि डकैतों का गिरोह पचपेड़िया गांव में डकैती डालने वाला है। डकैत इंदर ने छह महीने पहले कुख्यात डकैत पप्पू गुर्जर से अलग होकर अपना गिरोह बना लिया था। इंदर के खिलाफ पुलिस से हथियार लूटने, पुलिसकर्मी की हत्या और अपहरण समेत करीब एक दर्जन से अधिक मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं। पुलिस ने उस पर 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था। डकैतों के मूवमेंट की खबर मिलने पर पुलिस पूरी रात रायपुरा के जंगल में रास्ते के किनारे डेरा डाले रही, लेकिन डकैत नहीं आए। सुबह लगभग 6.30 बजे इंदर आदिवासी अपने दो अन्य साथियों के साथ आता दिखा, रोकने पर डकैतों ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की, जिसमें इंदर मौके पर ही ढेर हो गया, जबकि उसके दो अन्य साथी भागने में सफल हो गए। डकैत इंदर का परिचय नाम: इंदर आदिवासी पिता: भद्दू आदिवासी उम्र: 26 साल निवासी: डोंगर सहरयाना सतनबाड़ा

MP Police: Indore: नर्मदा में साल 2005 में बहे 70 लोगों की मौत पर उठा सवाल, हाईकोर्ट ने पूछा जांच पूरी क्यों नहीं हुई..

इंदौर। हाई कोर्ट इंदौर ने पुलिस से सवाल किया कि धाराजी हादसे (जिसमें 70 लोगों की मौत हुई थी) की जांच छह साल बाद भी पूरी क्यों नहीं हुई? कोर्ट ने जांच जल्द पूरी कर 13 मार्च तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को जस्टिस एम.सी. गर्ग की एकल पीठ में सुनवाई हुई। अदालत के आदेश पर देवास के प्रभारी एसपी तिलक सिंह एवं एसडीओपी के.के. शर्मा कोर्ट में हाजिर हुए। राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज द्विवेदी ने अदालत को बताया कि उस समय ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के लिए उन्हें मेमो दिया गया है। जांच अंतिम चरण में है और जल्द ही चालान पेश किया जाएगा। पुलिस ने सफाई दी कि नर्मदा हाईड्रोलिक कॉपरेरेशन लिमिटेड को 20 से अधिक बार पत्र लिखे किंतु उसने जानकारी देने में आनाकानी की कि नदी में बांध का पानी अचानक क्यों छोड़ा था? इस पर कोर्ट ने लताड़ लगाई कि पुलिस के पास समुचित अधिकार होते हुए भी उसका उपयोग क्यों नहीं किया जबकि निचली अदालत जांच में दस्तावेज प्राप्त करने के आदेश दे चुकी थी। स्टे समाप्त किया कॉपरेरेशन ने घटना के तीन साल बाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी कि अब तक जांच पूरी नहीं हुई है। अत: प्रकरण समाप्त किया जाए। इस पर कोर्ट ने स्टे दिया था। गुरुवार को हाई कोर्ट ने स्टे समाप्त करते हुए कॉपरेरेशन को निर्देश भी दिया कि वह पुलिस को जांच में सहयोग करते हुए हर जानकारी दे। यह है मामला देवास जिले की बागली तहसील में वर्ष 2005 में धाराजी तीर्थस्थल पर मेले के अवसर पर हजारों तीर्थ यात्री जमा थे। तभी अचानक नदी में पानी छोड़ने से 70 लोगों की बह जाने से मौत हो गई और 10 लोग लापता हो गए। हादसे के बाद पुलिस ने कॉपरेरेशन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की किंतु जांच ठंडे बस्ते में डाल दी। हालांकि कॉपरेरेशन को जानकारी देने के लिए पत्र लिखे कि पानी छोड़ने के लिए दोषी कौन है? कॉपरेरेशन ने भी यह जानकारी नहीं दी। पुलिस ने देवास की निचली अदालत में इस्तगासा लगाया, जिस पर निचली अदालत ने कॉपरेरेशन को जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।

Rajasthan Police: Jaipur: साढ़े चार करोड़ रुपये बकाया वसूलना है राजस्थान पुलिस को शिल्पा शेट्टी से...

राजस्थान क्रिकेट संघ और आईपीएल टीम राजस्थान रायल्स पर राज्य पुलिस का साढ़े चार करोड़ रुपए बकाया है. यह बकाया आईपीएल मैचों के दौरान सुरक्षा इंतजामों राजस्थान रायल्स पर हुआ था. राजस्थान पुलिस ने एक आरटीआई के जवाब में कहा कि राजस्थान क्रिकेट संघ सचिव पर 3.98 करोड़ रुपया बकाया है जबकि अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा की आईपीएल टीम पर 50.99 लाख रुपए बकाया है. आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल से मिले जवाब में कहा गया कि राजस्थान क्रिकेट संघ ने 2006 में चैम्पियंस ट्राफी मैचों के दौरान पुलिस की सेवाएं ली थी जिसके 1.14 करोड़ रुपए बकाया है. इसके अलावा 21 फरवरी 2010 को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए वनडे के 17.87 लाख और 2010 के आईपीएल मैचों के 83.60 लाख रुपए बकाया है. इसके अलावा भारत और न्यूजीलैंड के बीच एक दिसंबर 2010 को हुए मैच के 2.22 लाख और 2011 के आईपीएल मैचों के 1.79 करोड़ रुपए बकाया है.

Friday, February 10, 2012

BREAKING NEWS: 30K Hits क्लब में शामिल हुआ Police News...बधाई...बधाई...बधाई...

TOTAL PAGEVIEWS 30,001 सभी पुलिस न्यूज़ मित्रों को बधाई। हम अब तीस हजार हिट्स को पार कर गए हैं। ये बताता है कि हम सब कितनी तेजी से अपने साथियों के बारे में जानने को बेताब होते है। आप सभी के सुझाव आमंत्रित है। नीचे कमेंट में लिखें। और क्या किया जा सकता है। POLICE NEWS.

Thursday, February 9, 2012

Jharkhand Police: झारखंड पुलिस के आईजी का फरमान, अब पानी, स्कूल, चापाकल, बिजली हर समस्या का हल करेगी पुलिस..

जामताड़ा: अब लोगों को अपनी समस्याओं व फरियाद को लेकर लंबी दूरी तय कर थानों का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। क्योंकि पुलिस अब खुद उनके द्वार पर चौकी लगाएगी और उनकी समस्याओं की सुनवाई व समाधान करेगी। संतालपरगना के सभी जिलों में क्रम वार संबंधित जिला पुलिस- पुलिस आपके द्वार (पुलिस आन डोर) कार्यक्रम को चलाएगी। उक्त बातें संतालपरगना के आइजी डॉ. अरूण उरांव ने गुरुवार को एसडीपीओ कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कही। वे एसडीपीओ व जामताड़ा इंस्पेक्टर का कार्यालय निरीक्षण करने पहुंचे थे। उरांव ने कहा कि जामताड़ा जिले में पुलिस आपके द्वार इसी माह से शुरू होगा। इसमें नये जवान, जिनकी नई नियुक्ति हुई है, उन्हें भी शामिल किया जाएगा। जिला पुलिस के पास जवानों की जो कमी थी वह भी एक दो दिन में सुदृढ़ हो जाएगी। 228 जवान जिनकी हाल ही में बहाली हुई थी। उनका प्रशिक्षण पूरा हो गया है वे एक-दो दिन में जिले में योगदान देंगे। जिससे पुलिस बलों की क्षमता बढ़ेगी। उरांव ने कहा कि पुलिस का कार्य केवल विधि व्यवस्था तक ही सीमित नहीं है। पुलिस आपके द्वार कार्यक्रम के तहत पुलिस जंगली क्षेत्र से लेकर अति पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र तक पहुंचेगी। पुलिस हर जगह लोगों की समस्याओं को सुनने के साथ ही सरकार से मिलने वाली सुविधाएं उन्हें प्राप्त हो रही है कि नहीं उसका भी आकलन करेगी। गांव में चापाकल है कि नहीं, अगर है तो पानी मिलता है या नहीं, स्कूल है तो शिक्षक समय पर आते हैं कि नहीं। इन सारी बातों की जानकारी पुलिस लेगी व संबंधित विषयों को संबंधित विभाग के अधिकारियों व सरकार के समक्ष रखेगी। साथ ही कहा कि थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ने का कार्य जारी है। थाना प्रभारियों व अन्य पुलिस अधिकारियों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दूसरी ओर, एसडीपीओ कार्यालय निरीक्षण के बारे में उरांव ने कहा कि कार्यालय का भौतिक जांच के बाद मैं कुछ दस्तावेजों को ले जा रहा हूं। इस निरीक्षण का मैं एक रिपोर्ट तैयार करूंगा। जिसमें कुछ वक्त लगेगा। इसकेबाद ही कुछ बताया जा सकता है।

AP Police: Hyderabad Police: Hyderabad: हैदराबाद पुलिस के लिए सरदर्द बनते धार्मिक जुलूस, हर वक्त होता है बंदोबस्त ड्यूटी का फरमान..

हैदराबाद में धार्मिक जुलूसों की बढ़ती हुई संख्या शहर की पुलिस के लिए एक बहुत गंभीर समस्या और चुनौती बन गई है. शहर के पुलिस आयुक्त अब्दुल क़य्यूम ख़ान ने कहा है कि गत कुछ वर्षों में हर साल निकाले जाने वाले जुलूसों की संख्या में चार सौ की फ़ीसदी की वृद्धि हुई है जिस से पुलिस के लिए अपना असल काम करना मुश्किल हो गया है. पुलिस आयुक्त ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि पुलिस के 40 प्रतिशत संसाधन धार्मिक जुलूसों और त्योहारों के लिए प्रबंध करने पर ख़र्च हो रहे हैं जिससे न केवल पुलिस अपराधों की छानबीन और उनकी रोकथाम जैसे बुनयादी काम नहीं कर पा रही है बल्कि इस से हैदराबाद की छवि पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे जुलूसों की सुरक्षा प्रबंधन में आनेवाले ख़र्च के बारे में पुलिस आयुक्त ने कहा, "इस पर करोड़ों रूपए ख़र्च हो रहे हैं लेकिन सही आंकड़ा बताना मुश्किल है. असल बात यह है कि इन जुलूसों के लिए प्रबंध करने पर ही पुलिस के ज़्यादा साधन ख़र्च हो रहे हैं." उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े जुलूस से एक दिन पहले से ही हज़ारों पुलिसकर्मियों को तैनात करना पड़ता है और जुलूस के दूसरे दिन भी उन्हें सतर्क रहना पड़ता है. अगर इतने सारे जुलूस न हों तो पुलिस यही समय अपराधियों को पकड़ने, छानबीन करने और अपराधों की रोकथाम पर लगा सकती है. बढ़ती संख्या "अगर गत वर्ष किसी जुलूस में सौ दो सौ लोगों ने भाग लिया और इस वर्ष उसी में दस हज़ार लोग आ जाते हैं तो हम कुछ नहीं कर सकते" अब्दुल क़य्यूम, पुलिस आयुक्त इससे जुड़ी ख़बरें उत्तर प्रदेश में सभा, जुलूस करना मुश्किल हैदराबाद में शांति से निकला गणेश जुलूस नए हैदराबाद में फैली हिंसा की आग पहले हैदराबाद केवल एक ही जुलूस के लिए मशहूर था और वो था दस मोहराम्मा का ताज़िया जिस में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही भाग लिया करते थे. 1980 में गणेश जुलूस का सिलसिला शुरू हुआ जो हैदराबाद के निकट एक गांव बालापुर से निकल कर हैदराबाद के हुसैन सागर झील तक आता था. यह सिलसिला आज भी जारी है और इसका आकार बढ़ते-बढ़ते लगभग पांच लाख लोगों तक पहुंच गया है जिसमें हज़ारों मूर्तियाँ शामिल होती हैं. इसके साथ-साथ अब हिन्दू समुदाय हनुमान जयंती और दुर्गा पूजा के अवसर पर भी बड़े बड़े जुलूस निकलने लगे हैं और मुसलमानों ने भी मिलाद-उन-नबी या पैग़म्बर मोहम्मद के जन्मदिन के अवसर पर भी जुलूस निकलने शुरू कर दिए हैं. दो वर्ष पहले मिलाद उन-नबी और हनुमान जयंती के अवसर पर दोनों समुदायों के बीच दंगे भड़क उठे थे और नगर में कर्फ़्यू लगाना पड़ा था. इससे पहले हैदराबाद का सब से बड़ा दंगा 1984 में गणेश जुलूस के दौरान ही भड़का था. बहुआयामी समस्या
हैदराबाद में गणेश चतुर्थी और अन्य हिंदू धार्मिक त्योहारों में भीड़ का प्रबंधन भी पुलिस के लिए बड़ी समस्या होती है. पुलिस आयुक्त ख़ान ने कहा कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए अब पुलिस ने नए जुलूस की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, साथ ही मौजूदा जुलूसों को भी रास्ता बदलने की अनमति नहीं दी जा रही है. लेकिन दूसरी ओर अगर एक ही जुलूस में भाग लेने वालों की संख्या बढ़ जाती है तो फिर पुलिस के लिए नई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. पुलिस आयुक्त का कहना था, "अगर गत वर्ष किसी जुलूस में सौ दो सौ लोगों ने भाग लिया और इस वर्ष उसी में दस हज़ार लोग आ जाते हैं तो हम कुछ नहीं कर सकते." अधिकारियों का मानना है कि धार्मिक जुलूसों की बढ़ती हुई संख्या के पीछे शक्ति प्रदर्शन की राजनीति काम कर रही है और ऐसा लगता है कि राजनैतिक दलों में भी एक तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है. अगर गणेश जुलूस निकालने वाली भाग्यनगर गणेश उत्सव समिति की कमान भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिन्दू परिषद के हाथ में है तो मिलाद-उन-नबी के जुलूस को मजलिस-इ-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की सरपरस्ती हासिल है. पुलिस आयुक्त ख़ान कहते हैं कि इन जुलूसों पर नियंत्रण में सरकार की भूमिका है लेकिन खुद नागरिकों और ग़ैर सरकारी संगठनों और राजनैतिक दलों को भी सोचना चाहिए कि जो कुछ हो रहा है क्या वो नगर के लिए ठीक है? पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जुलूसों की इस बढ़ती संख्या का सबसे बुरा प्रभाव अनेक समुदायों के आपसी संबंधों पर पड़ रहा है क्योंकि शरारती तत्त्व ऐसे अवसरों पर सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने की कोशिश करते हैं