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Wednesday, March 21, 2012
UP Police: Locknow: अंबरीश शर्मा बने यूपी के नए पुलिस महानिदेशक..
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अंबरीश चंद्र शर्मा ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद का कार्यभार 19 मार्च 2012 को ग्रहण किया. इन्होंने अतुल कुमार का स्थान लिया.
मूल रूप से मथुरा जिले के निवासी अंबरीश चंद्र शर्मा 1977 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं. उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पद का कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व वह मुरादाबाद स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर पुलिस अकादमी में महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे. अंबरीश चन्द्र शर्मा 35 वर्ष से पुलिस सेवा में कार्यरत हैं। उन्हें राष्ट्रपति से दो मैडल मिले हुए हैं। डीजीपी अंबरीश शर्मा भौतिक विज्ञान में परास्नातक हैं और 1977 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं।
अंबरीश ने हैदराबाद में 24 वर्ष की आयु में बतौर अपर पुलिस अधीक्षक अपनी नौकरी की शुरुआत की थी। डीजीपी ए.सी शर्मा ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अपनी सेवाएं दी हैं। जिनमें कानपुर नगर, बरेली, मऊ, शाहजहांपुर शामिल हैं। इन जिलों में शर्मा एसपी तथा एसएसपी के पद पर तैनात रहे।
इसके अलावा वह डीआइजी रेंज लखनऊ, डीआइजी रेंज झांसी तथा डीआइजी रेंज सहारनपुर और आइजी जोन बरेली, इलाहाबाद, वाराणसी के पद भर भी रहे। शर्मा ने एडीजी क्राइम व कानून व्यवस्था का दायित्व भी संभाला। पांच वर्षों से वह मुरादाबाद में डा.भीमराव अम्बेडकर अकादमी में तैनात थे।
उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी के रूप में कार्यभार संभालने वाले अंबरीश चंद्र शर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यूपी पुलिस किसी के दबाव में आकर कार्य नहीं करेगी, हमारा पूरा फोकस कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने पर होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में पुलिस का इकबाल बुलंद करने के साथ कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाएंगे और अपराधियों को जेल भेजकर प्रदेश छोड़ने पर मजबूर करेंगे। डीजीपी अंबरीश चंद्र शर्मा ने बताया कि राज्य का डीजीपी होने के कारण हमारी तीन प्राथमिकताएं हैं। पहली अपराध पर लगाम लगाना, दूसरा लंबित पड़े मामलों का जल्द से जल्द वर्कआउट करना और तीसरा कानून व्यवस्था को बेहतर बनाना।
उन्होंने अपने मातहत कर्मचारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश पुलिस हर व्यक्ति के साथ शालीन व्यवहार करे और जनता द्वारा आने वाली शिकायतों पर फास्ट एक्शन ले। डीजीपी ने कहा कि वह जनपदों में तैनात पुलिस कप्तानों को निर्देश देंगे कि थाने में आने वाले हर पीड़ित की समस्या सुनकर उसे निर्धारित समय सीमा के भीतर निस्तारित किया जाए। यदि किसी पुलिसकर्मी की लापरवाही पाई गई तो उसके खिलाफ मिलने वाली शिकायत पर भी गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश पुलिस जनता की सेवा करे और लोगों को पुलिस की बदली छवि का अहसास हो, वो इसका प्रयास भी करेंगे। डीजीपी ने पुलिसकर्मियों की समस्याओं को दूर करने का वादा भी किया। चुनावों के दौरान बस्ती प्रकरण पर आइएएस एवं आइपीएस के बीच हुए विवाद पर उन्होंने कहा कि यह मामला सुलझ गया है। अब कोई विवाद नहीं है। कमेटी की रिपोर्ट आ चुकी है और उस पर कार्रवाई हो रही है।
Sunday, March 18, 2012
CG Police: CBI: Raipur: सीबीआई भी डरती है छत्तीसगढ़ पुलिस से...
रायपुर।छत्तीसगढ़ के विशेष पुलिस अधिकारियों से सीबीआई भी डरी हुई है। छत्तीसगढ़ में कुछ मामलों की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें स्थानीय पुलिस अधिकारियों से जान का खतरा है।
सीबीआई के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है कि उन्हें छत्तीसगढ़ में विशेष पुलिस अधिकारियों से बचाया जाए। सीबीआई के अधिकारी पिछले साल मार्च में दंतेवाड़ा के ताड़मेटला और पोलमपल्ली में आदिवासियों के 300 घरों में हुई आगज़नी और को सामजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले की जांच कर रहे हैं।
एजेंसी की तरफ से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा गया है कि ब्यूरो के चंद अधिकारियों पर विशेष पुलिस अधिकारियों ने इस साल की नौ फरवरी को हमला किया था। हलफनामे में कहा गया है कि उस दिन सीबीआई का एक जांच दल सुकमा गया हुआ था जब पता चला कि सुकमा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डीएस मरावी पर माओवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में एक एसपीओ यानी विशेष पुलिस अधिकारी कर्तम सूर्या के मारे जाने की बात कही जा रही है जबकि मरावी गंभीर रूप से घायल हुए थे।
सीबीआई के अनुसार ये कहा जा रहा था कि मरावी और उनके साथ शामिल विशेष पुलिस अधिकारी जांच के काम से गए हुए थे. मगर एजेंसी का कहना है कि इन लोगों का जांच से कोई संबंध नहीं था और ना ही इन्हें दोरनापाल बुलाया ही गया था। कोर्ट में दिए गए हलफनामे में सीबीआई ने कहा है कि कर्तम सूर्या का शव देख कर वहां मौजूद विशेष पुलिस अधिकारी उत्तेजित हो गए थे और उन्होंने अनुसंधान के लिए गयी ब्यूरो की टीम पर हमला कर दिया।
हालांकि सीबीआई के सभी सदस्य अपने कमरों में जा छुपे थे मगर उत्तेजित विशेष पुलिस अधिकारियों ने उनके दरवाजों को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया था। हलफनामे में कहा गया है कि यह सभी विशेष पुलिस अधिकारी हथियार बंद थे और उनके पास हथगोले भी थे। छत्तीसगढ़ में माओवादियों का सामना करने के लिए विशेष पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि सीबीआई की टीम को विशेष पुलिस अधिकारियों ने तीन से चार घंटों तक बंधक बनाकर रखा।
बाद में दोरनापाल में तैनात केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के जवानों द्वारा सीबीआई के सदस्यों को वहां से निकाला गया। इस दौरान जमकर गोलीबारी किये जाने की भी बात हलफनामे में कही गयी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ की सरकार ने दावा किया है कि उसने विशेष पुलिस अधिकारियों का पद समाप्त कर दिया है। उसके बदले में सहायक पुलिस बल का गठन किया गया है। कहा जा रहा है कि सारे विशेष पुलिस अधिकारीयों का समायोजन सहायक पुलिस बल में कर दिया गया है।
विशेष पुलिस अधिकारियों और कोया कमांडो पर आरोप है कि उन्होंने पिछले साल ताड़मेटला और पोलमपल्ली के इलाकों में आदिवासियों के घरों को जलाया था। बाद में राहत लेकर जा रहे प्रशासनिक अमले पर भी विशेष पुलिस अधिकारियों नें हमला किया था। जिन अधिकारियों पर हमला किया गया था उनमे बस्तर संभाग के कमिश्नर, दंतेवाड़ा जिले के तत्कालीन कलक्टर और सुकमा के अनुमंडल अधिकारी शामिल थे। इसी दौरान राहत लेकर जा रहे सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के काफिले पर भी विशेष पुलिस अधिकारियों नें हमला किया था।
UP Police: Locknow: navneet sikera: लो वापस आ गया यूपी का दबंग..यूपी का दयानायक..नवनीत सिकेरा..जिसके है अब तक 56 एनकाउंटर..
लखनऊ। जाबांज़, दबंग, ईमानदार और एकदम चौकन्ना रहने वाला यूपी पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी नवनीत सिकेरा पांच साल के वनवास के बाद वापसी कर चुका है। 36 वर्षीय नवनीत सिकेरा उत्तर प्रदेश के ‘दया नायक’ के रूप में जाना जाता है। हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सिकेरा का अंदाज़ भी बिल्कुल ही निराला है।
मुलायम सरकार से उनकी नज़दीकियों के कारण सिकेरा को मायावती सरकार में शंटींग में डाल दिया गया था। अब समाजवादी पार्टी सरकार की वापसी के साथ ही सिकेरा को एक बार फिर नया दम मिला है।
कौन है सिकेरा
नवनीत सिकेरा एक ऐसा नाम है जिसे उन ज़िलों का कार्यभार सौंपा गया था जहां अपराध का बोलबाला था। सिकेरा के नाम भर से अपराधी ज़िला छोड़ कर दुम दमा कर भाग निकलते थे। सिकेरा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी कप्तानी के दौरान यह साबित किया है कि उनके रहते अपराध सिर उठा कर नहीं बोल सकता।
अपराध का गढ़ माना जाने वाला प. उ.प्र. सिकेरा के नाम भर से थर-थर कांपता था। एकदम फिल्मी अंदाज़ में एक साल में 56 एनकाउंटर कर सिकेरा ने साबित कर दिया था कि पुलिसिया पलड़ा हमेशा ही गुनाह के पलड़े से भारी होता है।
हर वक्त चौकन्ना रहने वाले सिकेरा को वाराणसी में हार का मुहं देखना पड़ा। उनकी कप्तानी के दौरान वर्ष 2006 में गंगा के पावन घाट पर हुए बम धमाकों ने प्रशासन को झकझोर कर रख दिया। वहां से तुरंत तबादले के बाद सिकेरा को मेरठ भेज दिया गया। मेरठ में भी सिकेरा का खौफ जारी रहा।
Orissa Police: Bhubneshwar Police: भुवनेश्वर के बाहर लगा तमानडो पुलिस स्टेशन होगा हाई-फाई, उड़िसा का सबसे शानदार और चकाचक..
BHUBANESWAR: The proposed Tamando police station is all set to go on stream early next month, leading to expectations of better crime control in the fast-growing suburb in Bhubaneswar.
The police station stands out owing to a host of amenities for police, public and the accused on its premises.
The police station boasts of separate cubicles for the accused, close circuit television cameras (CCTV), conference hall, police barrack and other facilities usually not found at other police stations.
Situated on NH-5 (from Khandagiri towards Khurda), the police station is being constructed by Odisha State Police Housing and Welfare Corporation Limited at an estimated cost of Rs 1.5 crore.
The much-vaunted three-storey police station is likely to be inaugurated in the first week of April, sources said.
"Tamando police station will be the biggest police station building in Odisha. Unlike crammed lockups, the accused will be kept in spacious and modern cubicles fitted with CCTVs. There will be toilet facility at each cubicle so that the accused need not be taken out of the lockups," said twin city commissioner of police B K Sharma.
"There will be an exclusive cell where accused will be interrogated," he added. "It will be an ultra-modern police station as well as a training centre for newly recruited cops. The police station was necessary in view of the fast growth in the area," Sharma said.
Currently, the Tamando area, consisting of six mouzas, falls under the jurisdiction of the Khandagiri police. Once the Tamando police station starts functioning, at least 15 villages (7-8 km radius) would be transferred from Khandagiri police limit to the former.
Tamando residents are hopeful the proposed police station will help prevent crimes and boost security. "Thefts, burglary and highway robbery are rife in the area. We were dependent on Khandagiri police station all this while, which was very far from our place. We hope Tamando police station will bring us some relief," said local sarpanch Sukanti Behera.
Notably, Indian Institute of Technology, Kharagpur, had prepared a micro-level planning to improve public utility facilities and quality of life in Tamando region. The zonal development plan has been conceived and prepared within the framework of comprehensive development plan (CDP) of Bhubaneswar.
Tamando is among the 14 zones of Bhubaneswar plan area, identified for overall development in line with the CDP.
The area has been earmarked for extensive development zones, relating to housing projects and construction of new roads for easy accessibility.
UP Police: Locknow: अखिलेश भैय्या से उलझने वाले मायावती के खास पुलिस अधिकारी निपटे, दोनों को चुनार पुलिस प्रशिक्षण सेंटर भेज दिया..
लखनऊ। मायावती सरकार में दो पुलिस अफसर सपा के प्रति अपनी कार्यशैली को लेकर खासे चर्चित हुए थे। इनमें से एक थे बीपी अशोक और दूसरे डीके ठाकुर। नौ मार्च 2011 को लखनऊ के एएसपी रहते बीपी अशोक ने सपा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ अमौसी एयरपोर्ट पर बदसुलूकी कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इसी दिन लखनऊ के डीआईजी डीके ठाकुर ने लोहिया वाहिनी के अध्यक्ष आनंद भदौरिया को सड़क पर गिराकर उसके मुंह को जूते से कुचला था।
शनिवार को इन दोनों अधिकारियों को 'प्राइम पोस्टिंग' से हटाते हुए चुनार भेज दिया गया। चुनार में पुलिस रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग सेंटर है जहां की तैनाती को बतौर सजा मना जाता है। डीके ठाकुर अभी तक लखनऊ में ही डीआइजी के पद पर तैनात थे जबकि बीपी अशोक मेरठ के एएसपी के पद पर तैनात थे। आशुतोष पांडे को लखनऊ का नया डीजी बनाया गया है। मेरठ में बीपी अशोक की जगह किसी की तैनाती नहीं हुई है।
डीके ठाकुर और बीपी अशोक के इस कृत्य पर बतौर सपा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उस समय कहा था बसपा के कार्यकर्ता की मानिंद काम करने वाले इन अफसरों को बख्शा नहीं जाएगा। सपा की सरकार आने पर इन्हें सजा मिलेगी। शनिवार को उन्होंने डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह को दोनों अफसरों को पद से हटाये जाने का निर्देश दे दिया।
AP Police: Hyderabad Police: वाह ! अब हैदराबाद पुलिस करेगी शहर के पानी के स्त्रोंतों की निगरानी, उस्मानसागर-हिम्मतसागर पर बनेगी पुलिस चौकी..
HYDERABAD: Police outposts have been proposed at the Osmansagar and Himayatsagar lakes on the lines of the one already in place at Hussainsagar to prevent illegal activities.
The Hyderabad Metropolitan Water Supply and Sewerage Board (HMWS&SB) has come up with this solution to check pollution of water bodies following a National Environment Engineering Research Institute (Neeri) report calling for an increased vigil at the city's two main water sources.
"Neeri states in its report that, in view of uncontrolled activities, the water quality in Osmansagar and Himayatsagar lakes has deteriorated substantially. We have held meetings with the Rangareddy district administration and the Panchayat Raj department to discuss the measures to be taken to protect the water sources from pollution," a senior HMWSS&B official told STOI.
The official added that the water board has already sent a proposal to the Rangareddy district administration in this regard. Although the water board has its own vigilance team, made up of a few police personnel, it visits the reservoirs only upon specific complaints of 'illegal' activities reaching them through locals.
For instance, although there is a ban on fishing, bathing and washing clothes in these water bodies, local fishermen and others fish in these reservoirs. "Although we have booked several offenders, these activities continue," the official added.
"We need round-the-clock patrolling of the shores of Osmansagar and Himayatsagar lakes. Police can then crack down against locals for polluting these man-made lakes with fertilizers and other chemicals," he said.
On weekends, moreover, there is a huge turnout of picnickers who fish and bathe in the reservoir waters. "Water board police cannot control these picknickers. So, we came up with the idea of a permanent police outpost. If all goes well, the police outpost will be in place by March-end," the official replied.
UT Police: Chandigarh Police: women Policing: चंडीगढ़ पुलिस का ऑल महिला पीसीआर का फंडा हुआ फेल, नहीं मिल रही महिला वाहन चालक..
महिलाओं की फरियाद सुनवाई के लिए पुलिस विभाग द्वारा शुरू की जाने वाली महिला पीसीआर पुलिस योजना दम तोड़ चुकी है। इसके तहत पीसीआर की एक गाड़ी में चालक से लेकर इंचार्ज तक महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाना था।
महिलाओं की फरियाद सुनने के लिए विभागीय अधिकारियों ने महिला पीसीआर पुलिस बनाने का फैसला लिया था। एक अलग सोच के साथ विभाग ने योजना का ऐलान तो कर दिया, लेकिन उस समय मुसीबत खड़ी हो गई जब ढूंढने पर भी विभाग को कोई महिला चालक पुलिसकर्मी नहीं मिली। यूटी पुलिस फोर्स में एक भी महिला पुलिसकर्मी गाड़ी चलाने को तैयार नहीं है जिस कारण महिलाओं को राहत देने के लिए शुरू की जाने वाली इस योजना ने फाइलों में ही दम तोड़ दिया।
पीसीआर यूनिट ने योजना को वास्तविक रूप देने के लिए यूटी पुलिस की तमाम महिला पुलिसकर्मियों से योजना को कारगर साबित करने के लिए आगे आने की अपील की थी लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। भले ही पुलिस विभाग द्वारा शुरू की गई कम्यूनिटी पुलिसिंग की बात हो, पब्लिक फ्रैंडली होने की बात हो, युवाओं को नशे की चपेट से दूर रखने की बात हो सभी योजनाएं एक के बाद एक औंधे मुंह गिरती रही। नतीजा शहरियों को वी केयर फॉर यू का भरोसा देने वाली हाईटेक पुलिस फेल साबित हुई और अपराधी लगातार वारदातों को अंजाम देकर पुलिस को लकीर पीटने पर मजबूर करने में कामयाब रहे। जमीनी स्तर पर पुलिस की नाकामी उस समय सामने आई जब अपराधियों ने पिछले वर्ष हत्या की 24 वारदातों को अंजाम दे डाला।
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