गुड़गांव. हरियाणा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर आईआरबी (इंडियन रिजर्व बटालियन) भोंडसी में तैनात आईजी मंजीत सिंह अहलावत (52) शनिवार रात एक फ्लैट से गिर गए। गंभीर रूप से घायल मंजीत को उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
रविवार सुबह पटौदी चौक के पास मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान परिजनों के साथ पुलिस कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर, गुड़गांव व आस-पास इलाकों के एसपी, डीएसपी और अन्य कई पुलिसकर्मी मौजूद रहे।
जानकारी के अनुसार, आईजी मंजीत सिंह सेक्टर-15 इलाके में किराए के मकान में परिवार के साथ रहते थे। शनिवार रात को दिल्ली से उनका एक साथी उनसे मिलने के लिए आने वाला था, लेकिन किसी कारणवश वह नहीं आया। इसके बाद वे कहीं बाहर चले गए। उधर, सेक्टर-57 स्थित बीपीटीपी फ्रीडम पार्क लाइफ सोसायटी के टावर बी के 401 नंबर फ्लैट में 32 वर्षीय प्रवीन कुमार एक महिला के साथ रहता है।
महिला का नाम पता नहीं चला है। सोसायटी के सुरक्षा सुपरवाइजर अशोक कुमार ने बताया कि शनिवार शाम करीब 6.30 बजे मंजीत सिंह कार से फ्लैट संख्या बी-401 में रहने वाली महिला के साथ आए थे। जब वे कार खड़ी कर फ्लैट में जाने लगे तो बी-ब्लॉक के सुरक्षाकर्मी ने मंजीत से पूछताछ की। इस पर महिला ने बताया कि मंजीत उसके साथ हैं।
करीब साढ़े आठ बजे प्रवीन कुमार भी आया। वह भी ऊपर फ्लैट में चला गया। ठीक आधा घंटे बाद करीब नौ बजे शोर सुनाई दिया। सुरक्षाकर्मी अशोक कुमार वहां गया तो देखा कि एक व्यक्ति फ्लैट के पीछे वाले हिस्से की तरफ पड़ा है। वह लहूलुहान था। मामले की सूचना पुलिस को दी गई। सदर थाने की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घायल को उपचार के लिए आर्टेमिस अस्पताल पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान मंजीत सिंह के रूप में हुई।
दोबारा कराया पोस्टमार्टम
आईजी मंजीत सिंह अहलावत की मौत रहस्य बनी हुई है। पुलिस ने मंजीत सिंह के शव का आर्टेमिस अस्पताल में ही एडीएम की उपस्थिति में पंचनामा कराया, लेकिन रविवार सुबह मीडिया में इसकी चर्चा के बाद गुड़गांव पुलिस ने सिविल अस्पताल में उनके शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराया।
मंजीत का जीवन सफर
मंजीत सिंह अहलावत का जन्म 9 फरवरी 1957 को हुआ था। 1989 में वे स्पेशल पुलिस सर्विस में डीएसपी नियुक्त हुए। 28 दिसंबर 1993 को उनका ओरिजिनल अपॉइंटमेंट हुआ। 21 अक्टूबर 2005 को वे डीआईजी बने। गुडग़ांव में कमिश्नरी व्यवस्था लागू होने के बाद 20 नवंबर 2007 से 15 जून 2009 तक वे ज्वाइंट कमिश्नर रहे। इसके बाद कुछ समय तक वे विजिलेंस विभाग में भी आईजी रहे। फिलहाल वे पुलिस ट्रेनिंग सेंटर आईआरबी भोंडसी में आईजी के पद पर कार्यरत थे। उनके छोटे भाई परमजीत सिंह अहलावत भी आईआरबी भोंडसी में ही डीआईजी के पद पर कार्यरत हैं।
पुलिस अधिकारियों ने साधी चुप्पी
मंजीत सिंह की मौत का पूरा मामला संदिग्ध है। पुलिस अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। लोक जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में भी यह नहीं बताया गया कि आखिर उनकी मौत कैसे हुई। सिर्फ यह लिखा गया कि उनकी मौत एक फ्लैट से गिरने के कारण हुई है। फिलहाल पुलिस मामले को हादसा मानकर चल रही है।
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