अजमेर. आज के तेज रफ्तार युग में लोग हर तरह से पैसे कमाना चाहते हैं मगर सरकारी दिशा-निर्देशों को जाने बिना कई लोग ऐसी मनमानी भी कर रहे हैं जो भविष्य में उनके लिए परेशानी बन सकती है। अजमेर शहर में पिछले सालों में पेइंग गेस्ट रखने का सिलसिला तेजी से बढ़ा है।
कई युवा पढ़ाई और जॉब के कारण पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे हैं। इनमें यदि कोई युवा अपराध करके भाग जाए तो मकान मालिक के पास उसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी, यह निश्चित नहीं है। कारण यह है कि केवल 600 रुपए बचाने के चक्कर में लोग पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे लोगों का पंजीकरण पर्यटन विभाग में नहीं करवा रहे हैं। इतना ही नहीं पुलिस को भी लोग किरायेदारों या पेइंग गेस्ट की सूचना देना मुनासिब नहीं समझते। यह जरा सी मनमानी शहर की आंतरिक सुरक्षा से खिलवाड़ भी है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि शहर में सिर्फ 6 घरों में पेइंग गेस्ट रखे गए हैं। जबकि हकीकत में हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक, दूसरे शहरों व राज्यों से आए सैकड़ों स्टूडेंट्स पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे हैं। ये पेइंग गेस्ट जिन घरों में रहते हैं उन घरों के मालिक न तो इनकी जानकारी पुलिस को देते हैं, न ही पेइंग गेस्ट आवास योजना के तहत पर्यटन विभाग में अपना पंजीकरण करवाते हैं।
पर्यटन विभाग और पुलिस इसे व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मान रहे हैं। अजमेर में 2009-10 में सिर्फ 4 आवास मालिकों ने पंजीकरण करवाया था, वहीं 2010-11 में ये 6 हुए। इनमें 28 कमरे और 56 बैड की क्षमता है लेकिन वास्तविक आंकड़े पता करना बिना पंजीकरण की अनिवार्यता के संभव नहीं है।
क्या है योजना: पर्यटन विभाग ने 20 साल पहले ‘पेइंग गेस्ट आवास योजना’ शुरू की थी। इसका लक्ष्य था, ऐसे आवास मालिकों के आंकड़े जमा करना जो अपने यहां पेइंग गेस्ट रखते हैं ताकि पर्यटन उद्योग का विकास हो और सुरक्षा व्यवस्था बेहतर रहे। आवास मालिकों के पंजीकरण व वार्षिक नवीनीकरण के लिए कलेक्टर अथवा सहायक कलेक्टर, आरटीडीसी इकाई प्रभारी अथवा सदस्य और पर्यटन सहायक निदेशक अथवा पर्यटक स्वागत केंद्र सदस्य सचिव को मिलाकर समिति बनाई जानी थी।
पेइंग गेस्ट आवास योजना में पंजीकरण शुल्क 500 रुपए और वार्षिक नवीनीकरण शुल्क 100 रुपए रखा गया था। इसका फायदा आवास मालिकों को यह होता कि वे ज्यादा सुरक्षित ढंग से पर्यटकों या विद्यार्थियों अथवा किसी अन्य को अपने यहां ठहरा सकेंगे। वे इसके लिए ऑथोराइज्ड होंगे। साथ ही पर्यटकों को राजस्थानी संस्कृति को करीब से समझने का मौका भी मिलेगा।
यहां सबसे ज्यादा हैं पेइंग गेस्ट: आदर्शनगर, शालीमार कॉलोनी, माधवनगर, विज्ञान नगर, सेठी कॉलोनी। साथ ही परबतपुरा, गेल कॉलोनी, माखुपुरा, रीको आवासीय कॉलोनी। यहां इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक व आईटीआई के सैकड़ों विद्यार्थी पेइंग गेस्ट रखे जाते हैं। पुष्कर में कई आवास मालिक भी पर्यटकों को बतौर पेइंग गेस्ट रखते हैं।
नहीं देते हैं जानकारी: आदर्शनगर क्षेत्र में सर्वाधिक आवास मालिकों ने पेइंग गेस्ट रखे हैं मगर इसकी जानकारी वे इनकी जानकारी पुलिस को नहीं देते। गिने-चुने लोग ही किराएदारों की जानकारियां पुलिस को देते हैं। वैरिफिकेशन तो और भी कम लोग करवाते हैं। सीएलजी मीटिंग्स में बीट ऑफिसर क्षेत्रवासियों को आगाह करते हैं कि जब भी कोई पेइंग गेस्ट, किराएदार, नौकर या किसी नए अनजान व्यक्ति को अपने आवास में रखें तो इसकी सूचना पुलिस को दें और उनसे वैरिफिकेशन फॉर्म भरवाएं। लेकिन ऐसा नहीं किया जाता।
अब अनिवार्य होगा: पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक दलीप सिंह कहते हैं कि अजमेर में लोग योजना में रुचि नहीं लेते। राजस्थान पर्यटन व्यवसाय अधिनियम 2010 के आने के बाद अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है। इस अधिनियम के अनुसार किसी भी मकान में पेइंग गेस्ट रखने से पहले पर्यटन विभाग से पंजीकरण कराना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर 500 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार बिना पंजीकरण पकड़े जाने पर 1 हजार रुपए जुर्माना किया जाएगा। उल्लंघन जारी रहने पर जुर्माना 2 हजार रुपए करते हुए 7 दिन का कारावास भी दिया जा सकता है।
पुलिस चलाएगी अभियान: आदर्शनगर थानाप्रभारी कुशाल चौरड़िया बताते हैं कि हाल ही शालीमार कॉलोनी के कुल निवासियों ने पेइंग गेस्ट व किराएदार बनकर रह रहे कुछ इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की गतिविधियों की उनसे शिकायत की थी। पुलिस इस मामले की पड़ताल कर रही है। साथ ही अब सर्वे करके ऐसे आवास मालिकों को चिह्न्ति किया जाएगा जो पेइंग गेस्ट रखते हैं, बाहर से आए लोगों की सूची तैयार करने के लिए खुद पुलिस जानकारी लेगी।
जरूरी है सुरक्षा: सुरक्षा को रखा जा रहा है ताक पर। वास्तविकता में सैकड़ों आवासों में हैं पेइंग गेस्ट। 600 रुपए बचाने और योजना की जानकारी के अभाव में पेइंग गेस्ट रखने वाला कोई आवास मालिक नहीं करवाता पंजीकरण। पुलिस व पर्यटन विभाग को करनी होगी सख्ती।
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