दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी. के. गुप्ता के इस बयान पर कि महिलाओं को देर रात में कहीं निकलते समय एक पुरुष को साथ ले लेना चाहिए, कई महिला कार्यकर्ताओं एवं राजनेताओं ने इसे दुखद बताया।
सामाजिक अनुसंधान केंद्र की निदेशक रंजना कुमारी ने ‘आईएएनएस’ से कहा, "यह बयान अत्याधुनिक भारत की अनुपयुक्त समझ को प्रतिबिम्बित करता है।"
उन्होंने कहा, "यदि किसी महिला को नौकरी के कारण देर रात को बाहर निकलना पड़े तो वह क्या कर सकती है? आयुक्त अपनी जवाबदेही से भाग रहे हैं और इसके बदले पीड़िता को दोषी ठहरा रहे हैं, वह भी महिला को।"
उन्होंने दलील दी कि यह धारणा कि परिवार के पुरुष सदस्य महिला सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करते हैं, पूरी तरह गलत है और यह पुलिस का दायित्व है कि वह शहर में सभी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
रंजना ने कहा, "इसके अलावा, ऐसे कितने पिता और भाई हैं जो हर वक्त अपनी बेटी और बहनों के साथ रहेंगे?"
इसके अलावा ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेंस एसोसिएशन की महासचिव सुधा सुंदाराम, कार्यकर्ता अन्नी राजा ने भी पुलिस प्रमुख की टिप्पणी की निंदा की।
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गुप्ता ने एक कार्यक्रम में शनिवार को कहा था, "आप रात में दो बजे बाहर जाकर किसी अपराध के शिकार होने की शिकायत नहीं कर सकते।" उन्होंने कहा कि रात में सफर करते समय महिलाओं के साथ एक रिश्तेदार या मित्र होना चाहिए।
महिलाओं को दी गई 'देर रात को कहीं अकेले न निकलने' की सलाह को 'दुर्भाग्यपूर्ण' और 'आपत्तिजनक' बताते हुए राजनीतिक दलों ने रविवार को कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
मार्क्स्वादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता वृंदा करात ने कहा, "यह सचमुच आपत्तिजनक है, दिल्ली के पुलिस आयुक्त को ऐसी टिप्पणी करने से पहले महिलाओं के कार्यों के बारे में अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "बात रात के दो बजे की हो या दिन के दो बजे की, उनका दायित्व महिलाओं एवं नागरिकों के लिए शहर को सुरक्षित रखना है।"
पुलिस आयुक्त की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए भाजपा नेता विजय जॉली ने कहा कि ऐसे बयान से दिल्ली की महिलाओं के बीच केवल असुरक्षा की भावना बढ़ेगी।
जॉली ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा, "यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस प्रमुख ने महिलाओं को किसी पुरुष साथी के बिना शहर में कहीं न निकलने की अनपेक्षित सलाह दी है। किसी परिवार में सिर्फ महिलाएं हों और कोई पुरुष सदस्य न हो तब क्या होगा?"
जॉली ने ‘आईएएनएस’ से कहा, "लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने के बजाय वे ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं। यह पुलिस की जवाबदेही के खिलाफ है और इससे महिलाओं में केवल असुरक्षा की भावना बढ़ेगी।"
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस आयुक्त ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सुर में सुर मिलाया है। दीक्षित ने पूर्व में ऐसी ही टिप्पणी दी थी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के बाद दीक्षित ने कहा था कि महिलाओं को देर रात में कहीं बाहर निकलने का जोखिम नहीं उठाना चाहिए।
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