ठीक सामने शहर पुलिस अधीक्षक (एसपी) का बंगला और स्कूल की दीवार से ही सटी पुलिस लाइन। यहां एक ही परिसर में राजकीय माध्यमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के दो स्कूल चलते हैं और पूरा शहर उनको पुलिस लाइन स्कूल के नाम से ही जानता है। बावजूद इसके दोनों स्कूलों के बच्चों की नियति है कि प्रतिदिन सुबह पढ़ाई शुरू करने से पहले उन्हें कक्षाओं और खेल मैदान में बिखरी शराब के खाली बोतलें और पाउच बीनने पड़ते हैं। वे इन्हें उठाकर एक जगह इकट्ठा करते हैं और फिर हाथ धोकर पढ़ाई शुरू करते हैं। पुलिस को कई बार स्कूल प्रशासन ने शिकायतें दी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस लाइन के इन दोनों स्कूलों में प्रतिदिन सुबह छात्र शराब की बोतलें बीनकर कौनसा सबक सीख रहे हैं, यह तो वे खुद भी नहीं जानते लेकिन स्कूल के शिक्षक इससे जरूर परेशान हैं। वे नहीं चाहते कि बच्चों का इस बुरी चीज से किसी तरह वास्ता पड़े लेकिन, कक्षाओं तक में सुबह जगह-जगह सिगरेट के पैकेट, पानी और शराब की खाली बोतलें मिलती हैं। कई बार तो सुबह बच्चों का वास्ता फर्श पर बिखरी शराब और फूटी बोतलें और उसकी गंध से पड़ता है। शिक्षकों ने बताया कि दोनों स्कूल एक पारी में चलते हैं। कई बार तो स्कूल समय में लोग यहां मौका तलाशते रहते हैं। स्कूल बंद होते ही उनको मौका मिल जाता है। डेढ़ साल पहले भी पुलिस ने यहां से कुछ पुलिसकर्मियों को शराब पीते हुए पकड़ा था। उसके बाद एक गार्ड लगाया था। तब से कुछ कमी आई थी, लेकिन 6 माह से गार्ड भी हटा लिया गया है। फिर से वही आलम हो गया है।
क्यों है मुसीबत
स्कूल पुलिस लाइन से सटा हुआ है। इसका एक गेट पुलिस लाइन को जोड़ता है और दूसरा एसपी के बंगले के सामने वाली सैन्य क्षेत्र की सड़क पर खुलता है। पुलिस लाइन होने के कारण पुलिस की गश्त भी कम ही होती है। ऐसे में शराब पार्टी के लिए लोगों ने उपयुक्त स्थान चुन रखा है। लोग स्कूल की छत पर भी बैठकर शराब पीते हैं।
कहीं पुलिसवाले तो नहीं करते!
स्कूल स्टाफ का कहना है कि उन्हें नहीं पता, यहां कौन लोग आए दिन शराब पार्टी करते हैं। उन्हें तो हर रोज स्कूल आने पर खाली बोतलें दिखाई देती हैं। यहीं पर स्टाफ के कुछ लोगों ने दबी जुबान में कहा कि स्कूल के पास पुलिस लाइन है, एक तरफ एसपी का बंगला और दूसरी तरफ आर्मी एरिया। और किसी के आने की हिम्मत नहीं हो सकती। हो सकता है कुछ पुलिस वाले ही खुद या किसी के साथ मिलकर यहां ये काम करते हों।
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