Friday, August 19, 2011

Delhi Police : Anna Hazare & Congress: BBC Hindi :'अन्ना के दस के मुक़ाबले कांग्रेस के पास सौ हैं': कांग्रेस

केंद्रीय मंत्री और लोकपाल विधेयक के गठन के लिए बनी समिति के सदस्य रहे सलमान ख़ुर्शीद का कहना है कि अन्ना हज़ारे के समर्थन में जितने लोग बाहर निकले हैं वो पूरा देश नहीं है और उनके दस की तुलना में कांग्रेस के पास सौ हैं.

वे अन्ना हज़ारे के आंदोलन को अहिंसक भी नहीं मानते और कहते हैं कि देश के संविधान को कुचलना एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है.

बीबीसी संवाददाता प्रतीक्षा घिल्डियाल से हुई बातचीत में उन्होंने अन्ना हज़ारे और उनके समर्थकों को चुनौती दी है कि अगर उन्हें लगता है कि इस संसद में उनको समर्थन नहीं मिल रहा है तो अगले चुनाव में वो अपने लोगों को जितवा कर संसद में ले आएँ.
'रास्ता निकालेंगे'


कोई ये समझे कि जो लोग निकल आए हैं यही पूरा भारत है तो मैं ये मानने के लिए तैयार नहीं हूँ. हज़ारों लाखों लोग हैं हमारे साथ हैं. हमने कोई आह्वान नहीं किया कि कांग्रेस के नौजवानों भी नहीं कहा कि निकलें बाहर और इनको बताएँ कि इनके दस के मुक़ाबले हमारे पास सौ हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे, क्यों करेंगे?

सलमान ख़ुर्शीद

इस सवाल पर कि हज़ारों लोगों के सड़क पर उतरने से क्या सरकार की छवि को धक्का नहीं पहुँचा है और वे चिंतित नहीं है, उन्होंने कहा, "है क्यों नहीं है. लेकिन ये हमारी चिंता है, हमें जीवित रहना है, हमें राजनीति करनी है. इस देश की सेवा करनी है.हम रास्ते निकालेंगे."

लेकिन इतने पर वे चुप नहीं हुए. उन्होंने आगे कहा, "कोई ये समझे कि जो लोग निकल आए हैं यही पूरा भारत है तो मैं ये मानने के लिए तैयार नहीं हूँ. हज़ारों लाखों लोग हमारे साथ हैं. हमने कोई आह्वान नहीं किया कि कांग्रेस के नौजवानों से कि वे बाहर निकलें और इनको बताएँ कि इनके दस के मुक़ाबले हमारे पास सौ हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे, क्यों करेंगे?"

क़ानून मंत्री सलमान ख़ुर्शीद का कहना था, "जो बात वो कह रहे हैं वो सही कह रहे हैं, हम उसे नकार नहीं रहे हैं हम सिर्फ़ ये कह रहे हैं कि इस बात को ढालकर ऐसा बना दो जिसे पूरी संसद स्वीकार कर ले और यदि आपको लगता है कि इस संसद में आपको लोग सहयोग नहीं करेंगे तो अगले चुनाव में आप अपने लोगों को जिताकर ले आइए."

आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "बिल को संसद के सामने लाए हैं वो संसदीय समिति के सामने है वो फिर से संसद में आएगा. सभी को फ़ैसला करना होगा, उन्हें भी जो हमारा विरोध कर रहे हैं, कि वो हमारा बिल चाहते हैं या अन्ना हज़ारे का. हमें अपने बिल पर विश्वास है."
'अहिंसक आंदोलन नहीं'

पूरे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में हिंसा और अहिंसा का अपना महत्व है, हिंसा कई क़िस्म की होती है. कोई गोली न चलाए, किसी को क्षति न पहुँचाए लेकिन संविधान को कुचल दे वो हिंसा नहीं है क्या. वो एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है


सलमान ख़ुर्शीद

अन्ना हज़ारे की तुलना महात्मा गांधी से किए जाने पर भी सलमान ख़ुर्शीद को आपत्ति है.

उनका कहना है, "महात्मा गांधी अपने संविधान के तहत अपनी चुनी हुई सरकार का विरोध नहीं करते थे.वो बाहर से आए एक तानाशाह का विरोध करते थे."

अन्ना के आंदोलन के अहिंसक होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "पूरे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में हिंसा और अहिंसा का अपना महत्व है, हिंसा कई क़िस्म की होती है. कोई गोली न चलाए, किसी को क्षति न पहुँचाए लेकिन संविधान को कुचल दे वो हिंसा नहीं है क्या. वो एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है."

उनका कहना है कि ये कह देना कि हम अहिंसक हैं पर्याप्त नहीं है. सरकार का विरोध उस सीमा तक करें जिसका अधिकार हमारे संविधान ने हमें दिया है. धारा 144 भारत के क़ानून के तहत लगता है किसी तानाशाही के फ़रमान के तहत नहीं लगता है. अगर वह ग़लत लगता है तो अदालत उसे ठीक करती है."

उनका कहना है कि अगर कोई भ्रष्ट है तो उस पर कार्रवाई होगी लेकिन इससे सब लोग तो भ्रष्ट नहीं हो गए.

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