पंजाब पुलिस के लिए गुम हुए मोबाइल को ट्रेस करना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। मोबाइल को ट्रेस करने के लिए आईएमईआई नंबर को सर्च करने के लिए पंजाब पुलिस के पास कोई भी सेल नहीं है। इसका खुलासा एडवोकेट हरमिंदर सिंह संधू की तरफ से सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस कम लोक सूचना अधिकारी जालंधर ने किया। सूचना में यह भी बात सामने आई कि पिछले पांच सालों में जिले में महज 333 केस ही ऐसे दर्ज हुए हैं, जिनमें मोबाइल चोरी अथवा छीना झपटी में मोबाइल गया है। इनमें से भी महज 93 मामले ही ट्रेस हुए हैं, जबकि बाकी मोबाइल अभी तक पहेली ही हैं।
पंजाब पुलिस चोरी अथवा लूट में गए मोबाइल को ढूंढने के प्रति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच सालों में जिले में मात्र 333 मामले ही दर्ज हुए हैं। एक साल में 365 दिन होते हैं, जिसका मतलब है कि पुलिस के पास 1825 दिनों में 333 शिकायतें ही आई हैं। हकीकत इस बात से कहीं परे है। पुलिस महकमे से ही मिली जानकारी के मुताबिक रोज कोई न कोई मोबाइल गुम होने या चोरी होने की सूचना आती है, पर इसकी रिपोर्ट काफी कम दर्ज होती है। अधिकतर मामलों में लोग भी कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए मात्र शिकायत दे खानापूर्ति करते हैं, ताकि भविष्य में किसी परेशानी से बचा जा सके। वहीं पुलिस महकमे की भी कार्यप्रणाली सामने आती है, क्योंकि 333 मामलों में से भी महज 93 ही ट्रेस हुए हैं। यह मामले भी अधिकतर वह हैं, जिनमें कोई बड़ी वारदात के लिए मोबाइल ट्रेस हुआ है या कोई बड़ी सिफारिश वाला आदमी सामने आया। मोबाइल को ट्रेस करने के लिए आईएमईआई नंबर को ट्रेस करना आवश्यक है, जबकि आरटीआई की ही जानकारी के मुताबिक पंजाब पुलिस के पास आईएमईआई नंबर को ट्रेस करने के लिए कोई सेल ही नहीं है। पुलिस को किसी भी आईएमईआई नंबर को ट्रेस करने के लिए एडिशनल डायरेक्टर जनरल पुलिस (इंटेलीजेंस) चंडीगढ़ का सहारा लेना पड़ता है। वहीं डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस कम जिला सूचना अधिकारी का कहना है कि मोबाइल चोरी, लूट अथवा गुम होने के हर मामले को गंभीरता से लिया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे केसों की तफ्तीश के लिए पुलिस एकेडमी फिल्लौर में समय-समय पर पुलिस कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जाती है।
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