इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश में पुलिस अभिरक्षा में ज्यादती व मौत की घटनाओं के पिछले एक वर्ष के ब्योरा मांगा है। साथ ही, यह भी पूछा है कि हिरासत में मौत के लिए दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई। राज्य सरकार को तीन सप्ताह में अपना जवाब जरिए हलफनामा कोर्ट को देना है। न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा तथा न्यायमूर्ति जयश्री तिवारी की खंडपीठ ने यह आदेश पीयूसीएल की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता केके राय व रजनीकांत राय ने बहस की। याचिका के अनुसार गाजीपुर दिलदार नगर के फुल्ली गांव के निवासी 60 वर्षीय शंभू कुशवाहा को उनके दो पुत्रों सहित पुलिस पकड़ लाई। इनके विरुद्ध सिकंदर कुशवाहा ने भादंसं की धारा 323, 504, 506 के तहत दिलदार नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस ने शंभू की पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई। इस मामले में 6 पुलिसकर्मियों के खिलफ धारा 302 व 504 भादंसं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
याचिका में मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस अभिरक्षा में मौत के मामले में सबसे ऊपर है। याचिका में पीलीभीत के बरखेड़ा थाने की करोर पुलिस चौकी में रामपाल, आजमगढ़ के गंभीरपुर थाने में कमलेश सिंह, मुरादाबाद के गल शहीद थाने में सलीम व बाराबंकी के घुघेटर थाने में हिरासत में हुई मौतों का उल्लेख करते हुए पिछले एक वर्ष के दौरान हुई मौतों का ब्योरा मंगाने की मांग की गई है।
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