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Thursday, December 15, 2011
Police Policy: MP Police: Bhopal:बधाई..बधाई..बधाई.. मध्यप्रदेश में राज्य सुरक्षा आयोग के गठन का अध्यादेश जारी..
भोपाल. प्रदेश में पुलिस एक्ट लागू करने को लेकर आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच लंबे समय से चले आ रहे टकराव के बीच राज्य सरकार ने राज्य सुरक्षा आयोग का गठन कर दिया है। सरकार ने इसकी लिखित जानकारी बुधवार को हाईकोर्ट में पेश कर दी है।
हाईकोर्ट ने इस संबंध में 15 दिसंबर तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। हालांकि इससे पहले सरकार अदालत में यह शपथ पत्र दे चुकी है कि पुलिस एक्ट के माध्यम से ही आयोग का गठन किया जाएगा, लेकिन अब एक्ट लागू किए बिना ही आनन-फानन में आयोग के गठन का अध्यादेश जारी कर दिया गया। मुख्यमंत्री को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि गृह मंत्री, प्रमुख सचिव गृह और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को सदस्य बनाया गया है।
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आयोग के सदस्य सचिव होंगे। अपर मुख्य सचिव (गृह विभाग) अशोक दास ने आयोग के गठन की पुष्टि करते हुए बताया कि आयोग भविष्य की नीतियों और पुलिस सुधारों के संबंध में सुझाव देगा।
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि सरकार पुलिस एक्ट को लेकर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बीच संभावित टकराव को टालने और हाईकोर्ट के भय से आयोग को अस्तित्व में लाया गया है। आयोग को पुलिस अधिकारियों के तबादले, उनकी पदोन्नति और विभागीय जांच का अधिकार होगा।
सुरक्षात्मक पुलिस एक्ट लागू हो
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उड़ीसा और केरल में पुलिस एक्ट लागू हो चुका है। मप्र में भी सुरक्षात्मक पुलिस एक्ट लागू होना चाहिए। यह किसी के पक्ष और किसी के खिलाफ नहीं होना चाहिए।
- वीके सिंह, अध्यक्ष- आईपीएस एसोसिएशन मप्र
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
1- डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो साल के लिए होना चाहिए।
2- आईजी और एसपी की पदस्थापना कम से कम दो साल के लिए होनी चाहिए।
3 - पुलिस स्थापना बोर्ड का गठन
4- राज्य सुरक्षा आयोग का गठन
5- पुलिस शिकायत प्राधिकरण का गठन
6- एक थाने में दो प्रभारी (कानून व्यवस्था और अपराधों की जांच )
(मप्र में पहले चार बिंदुओं का पालन हो गया है।)
अवमानना दायर होने पर हरकत में आई सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2006 को सभी राज्यों को 145 साल पुराने पुलिस एक्ट को संशोधित करने के निर्देश दिए थे। इस एक्ट के तहत ही राज्य सुरक्षा आयोग और स्थापना बोर्ड का गठन करने को कहा गया था, जिससे पुलिस राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना काम कर सके। मप्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया तो गैर सरकारी संगठन प्रयत्न ने इसी साल जनवरी माह में मप्र हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी।
इसके जवाब में सरकार ने 22 जून को न्यायालय में शपथ पत्र दिया था कि विधानसभा के मानसून सत्र में इसे पारित करा लिया जाएगा, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार ने हाईकोर्ट में एक बार फिर लिखित आश्वासन दिया कि शीतकालीन सत्र में एक्ट हर हाल में पारित करा लिया जाएगा। जब ऐसा नहीं हुआ तो हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को अंतिम अवसर देते हुए 15 दिसंबर तक प्रतिपालन रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे।
क्या करेगा आयोग
1. तबादले : पुलिस महानिदेशक से लेकर जिले के एसपी की पदस्थापना करने के लिए तीन नामों के पैनल पर विचार करने के बाद गुणदोष के आधार पर योग्य अफसरों का चयन। एसपी से नीचे के अधिकारियों के तबादलों की निगरानी।
वर्तमान व्यवस्था : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बने राज्य स्थापना बोर्ड को पदस्थापना के अधिकार हैं।
2. पदोन्नति : पुलिस विभाग के सभी अधिकारियों की पदोन्नति आयोग की निगरानी में होगी।
वर्तमान व्यवस्था : एसडीओपी और सीएसपी से लेकर ऊपर के अधिकारियों की पदोन्नति गृह विभाग तथा थाना प्रभारी से लेकर आरक्षक तक की पदोन्नति पुलिस मुख्यालय बोर्ड करता है।
3. विभागीय जांच :सभी स्तर पर विभागीय जांच आयोग की निगरानी में होगी।
वर्तमान व्यवस्था:राज्य पुलिस सेवा तथा भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की विभागीय जांच गृह विभाग करता है। जबकि टीआई और उसके अधीन कर्मचारियों की जांच पुलिस मुख्यालय अथवा आईजी स्तर पर होती है।
पुलिस एक्ट आएगा तो क्या होगा
पुलिस एक्ट लागू होने के बाद पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो जाएगी। इससे जिला मजिस्ट्रेट के अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाएंगे।
आईएएस-आईपीएस में टकराव क्यों
आईपीएस अफसर चाहते हैं कि पुलिस एक्ट का जो मसौदा विधि विभाग ने मंजूर किया है, वह सीधे कैबिनेट में भेजा जाए, जबकि आईएएस अफसर इसे वरिष्ठ सचिवों की कमेटी में ले जाना चाहते हैं।
इस टकराव के चलते पुलिस एक्ट लागू नहीं हो पा रहा है। यदि यह एक्ट लागू होता है तो जिला मजिस्ट्रेट एवं कलेक्टर के अधिकार कम हो जाएंगे और वे राजस्व अधिकारी बनकर रह जाएंगे। क्योंकि पुलिस कमिश्नर प्रणाली में कानून व्यवस्था के सभी अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाएंगे।
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