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Thursday, December 27, 2012
Delhi Police: Constable death eyewitness: दिल्ली पुलिस ने दोनों चश्मदीदों को भेजा नोटिस, कहा-देखा है तो जांच में शामिल हो.
नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की मौत के मामले में पुलिस के दावे पर सवाल उठाने वाले एक युवक और उसकी दोस्त को जांच में शामिल होने के लिए कहा है।
पुलिस ने इस संबंध में योगेंद्र और उसकी दोस्त पाओलिन को नोटिस भेजा है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा.टीएससिद्धू को भी इस जांच का हिस्सा बनने के लिए कहा गया है। उन्होंने ही कहा था कि तोमर को बाहरी या अंदरुनी चोटें नहीं आई थीं।
रविवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में घायल कांस्टेबल तोमर की मौत के कारण को लेकर तब विवाद हो गया था जब सरकारी अस्पताल द्वारा कहा गया था कि तोमर के शरीर पर कोई बाहरी या अंदरुनी चोट के निशान नहीं थे। जबकि बाद में आई पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में इसके विपरीत तथ्य सामने आए।
अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के एक हिस्से को कल दिल्ली पुलिस ने जारी किया था। रिपोर्ट पढ़ते हुए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त केसी द्विवेदी ने बताया कि किसी बाहरी प्रहार के कारण गर्दन और सीने पर आयी अनेक चोटों के चलते दिल का दौरा पड़ा और इससे जुड़ी अन्य जटिलताएं पैदा हुईं।
वहीं, दोनों चश्मदीदों का दावा है कि जब इंडिया गेट के पास कांस्टेबल तोमर जमीन पर गिरे और उन दोनों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया तो उन्हें उनके शरीर पर कोई चोट नहीं दिखी। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. टीएस सिद्धू ने कहा था कि कटने के कुछ निशान और छिले होने के निशानों के अलावा उनके शरीर पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं थे।
हमारे रिकार्ड के अनुसार कोई गंभीर अंदरुनी चोट नहीं है लेकिन असल बात पोस्ट मार्टम के बाद ही सामने आएगी। योगेंद्र और उनकी दोस्त पाओलिन ने पुलिस के उस दावे पर सवाल उठाए थे, जिसमें कहा गया था कि कांस्टेबल की पिटाई की गयी थी जिससे उनकी मौत हो गई। दोनों का कहना था कि तोमर स्वयं ही गिर गए थे।
गौर हो कि दिल्लीय पुलिस के कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की मौत के कारणों पर भी सवाल उठने लगे हैं। इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान कांस्टेीबल की मौत का दावा दिल्लीम पुलिस की ओर से किया गया था, वहीं मौके पर मौजूद एक चश्मकदीद ने बुधवार को दावा किया कि कांस्टेलबल को प्रदर्शनकारियों ने नहीं पीटा था बल्कि पैदल चलते समय वह गश खाकर गिर पड़े थे।
वहीं, राम मनोहर लोहिया अस्प्ताल के डॉक्टीर पीएस सिद्धू ने कहा कि कांस्टेकबल सुभाष चंद तोमर के शरीर पर गंभीर चोट के निशान नहीं थे। जब कांस्टेहबल को अस्प ताल लाया गया था, उस समय शरीर के अदंरुनी और बाहरी हिस्सेर में भी कोई बड़ा जख्मं नहीं था। डॉक्टकर ने यह भी कहा कि
शरीर में कोई फ्रैक्चर नहीं था, हालांकि, तोमर के घुटने और छाती पर कुछ जख्म थे।
पत्रकारिता के छात्र योगेंद्र ने पुलिस के उस तर्क पर सवाल उठाए हैं जिसमें बताया गया था कि कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की प्रदर्शनकारियों ने पिटाई की जिसके चलते उनकी मौत हो गई। योगेंद्र का कहना है कि तोमर स्वयं ही गिर गए। राम मनोहर अस्पताल के चिकित्सकों ने कहा कि जब कांस्टेबल तोमर को अस्पताल लाया गया तो उनके शरीर पर चोटों के निशान नहीं थे। उनको हृदयाघात आया था। चश्मदीद योगेंद्र ने कहा कि वह अपनी एक मित्र पाओलिन के साथ इंडिया गेट पर था। उसने बताया कि मैनें एक पुलिसकर्मी को देखा जो प्रदर्शनकारियों की ओर भाग रहा था और अचानक गिर गया। हम उसकी ओर बढ़े, उसके पास कुछ पुलिसकर्मी भी खड़े थे। अचानक से वह पुलिसकर्मी अन्य प्रदर्शनकारियों की ओर बढ़ गए।
योगेंद्र ने कहा कि मैं एक पीसीआर वैन की ओर बढ़ा, जिससे उसे अस्पताल ले जाया गया। मैं भी उनके साथ उसी वाहन में बैठकर गया। उनके शरीर पर चोटों के निशान नहीं थे। न ही उन्हें भीड़ द्वारा कुचला गया था न ही उन पर हमला किया गया। पुलिस के दावे झूठे हैं। मैं यह सुनकर हैरान हूं कि उनकी मौत के सिलसिले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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