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Sunday, January 27, 2013
Police medal: Rajasthan Police: जिस एसपी का नाम राष्ट्रपति पदक के लिए भेजा था, वो वसूली करते पकड़ा गया.IPS officials who's name was sent for president police medal, caught in corruption practices.
राजस्थान की सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए यह बड़ी शर्मनाक स्थिति थी कि जिस आइपीएस अफसर का नाम राष्ट्रपति पुलिस पदक के लिए भेजा गया हो, वही थानों से वसूली करते हुए दिन-दहाड़े दबोच लिया जाए. पूरे तंत्र की इस तरह से फजीहत कराने वाले अजमेर के पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा का नाम तो दिल्ली भेजी गई सूची में से आनन-फानन में हटा दिया गया पर पिछले हफ्ते उसकी गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े कर दिए.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के दल ने मीणा को उसके सरकारी निवास पर ही जिले के थानों से महीना लेकर आए दलाल जोधपुर निवासी रामदेव ठठेरा के साथ पकड़ा. पर एक और आइपीएस अजमेर का ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) लोकेश सोनवाल मौके से निकल भागा और तभी से फरार है.
मीणा के गिरफ्तार होते ही जिले में चैन स्नेचिंग, जुआ, सट्टेबाजी और लूटखसोट जैसे अपराधों में अचानक कमी आ गई. इन अपराधों से जुड़े लोगों से हर महीने बड़ी वसूली होती थी. आइजी (अजमेर रेंज) अनिल पालीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि एक हफ्ते में कंट्रोल रूम को किसी बड़े अपराध की खबर नहीं मिली है.
एसीबी के मुताबिक, मीणा की जोधपुर में तैनाती के दिनों में उसकी पहचान बर्तन व्यापारी रामदेव ठठेरा से हुई थी. बाद में ठठेरा मीणा का नजदीकी बन गया और उसके लिए वसूली करने लगा. इसी क्रम में 2 जनवरी को वह अजमेर के विभिन्न थानों से वसूली करके लाया था. सभी थाने वाले उसे जानते थे और रकम चुपचाप दे देते थे. एसीबी तीन महीने से मीणा और ठठेरा के फोन कॉल पर नजर रखे हुए थी. 3 जनवरी की दोपहर रुपयों से भरे बैग के साथ उसे मीणा के आवास पर पकड़ा गया. उसके बैग से 3 लाख रु. और उसके घर पर 2 लाख रु. से ज्यादा बरामद हुए.
मीणा के आवास पर आने से पूर्व ठठेरा सोनवाल के यहां गया था. मामला खुलते ही वह तो निकल लिया. ब्यूरो की तलाशी में उसका घर उपहार की महंगी चीजों से अटा मिला. मीणा के घर से मिले कागजों में पुलिस थानों से महीना ली जाने वाली रकम का खुलासा हो गया. जांच में पता चला कि मीणा ने छह महीने में ही 800 सिपाहियों के तबादले किए और बाद में 400 के निरस्त कर दिए. जिले के क्लाक टावर, क्रिश्चियनगंज जैसे थानों पर सीआइ लगाने के लिए ऊंची रकम लेने की बात सामने आई. थानों से मोटी रकम लेने के बाद उन्हें खुला हाथ दे दिया जाता था.
जेल भेजे जाते ही मीणा ने तबीयत खराब होने की शिकायत की और रेफर होकर जयपुर पहुंच गया. जिस अंदाज में मीणा एसएमएस अस्पताल पहुंचा और जिस पैमाने पर एमआरआइ समेत ढेरों टेस्ट की सिफारिश की गई, उसे देखते हुए मीणा के साथ डॉक्टरों की मिलीभगत की जांच भी एसीबी को करनी चाहिए. अगर वह इतनी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त था तो इतने सालों तक इलाज क्यों नहीं करवाया? हालांकि अब उसे डिस्चार्ज कर सेंट्रल जेल भेज दिया गया है पर उसका दावा है कि जांच में वह बेदाग निकलेगा.
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