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Wednesday, July 31, 2013
एडिट पेज: भाड़ में जाए BCCI, हमें दो ‘हमारा क्रिकेट’, कर दो ‘क्रिकेट का राष्ट्रीयकरण’!An-Open-Letter-On-Bcci-Team-India-Corrupt-Practices-In-Cricket
निमिष कुमार,
संपादक,
हिन्दी इन डॉट कॉम
देश का आम आदमी गुस्से में हैं। एक तो पहले ही टमाटर, प्याज, हरी सब्जियां हर दूसरे दिन जेब पर डाका डाल रही हैं। खाने का तेल हो या आटा, दूध हो या दही, सबकुछ अब महंगा, और महंगा होता जा रहा है। ऊपर से बिजली महंगी। पानी पर म्युनिसिपल टैक्स महंगा। बच्चों के स्कूल की फीस महंगी। शादी-ब्याह, रिश्तेदारी में आओ-जाओ तो रेल, बस का भाड़ा महंगा। बचा-कुचा दम जो बचता है, वो रोज हमारे नेताजी लोगों के घोटालों, अधिकारियों के करप्शन की खबरें निकाल देती हैं। सरकारी नौकरियां बची नहीं, प्राइवेट नौकरियों का कोई भरोसा नहीं किस दिन शाम को निकलते वक्त निकाल दिए जाएं। ऊपर से टीवी पर रोज कोई ना कोई नई चीज की विज्ञापन। कभी नई कार, तो कभी नए मोबाइल का। बीबी-बच्चों की फरमाईश के बोझ तले दबता एक भारतीय थोड़ा बहुत सुकून, आनंद, मजा पाता है तो क्रिकेट मैच के दौरान। यार-दोस्तों के साथ बैठक जमती है। हर गेंद पर, हर शॉट पर गाली के साथ कमेंट हवा में तैरते हैं। इंडिया हारी तो दिमाग का दही, और जीती तो पाकिस्तान की ऐसी-तैसी। अब उसमें भी बीसीसीआई के चंद जादूगर रोज कोई ना कोई बखेड़ा खड़ा करें, तो इंडिया के आम आदमी को गुस्सा तो आएगा ही। एक तो पहले ही जिंदगी में बवाल कटा हुआ है, और ऊपर से ये बीसीसीआई वाले बात-बिना बात कोई ना कोई बवाल काटे रहते हैं। अब ऐसे में देश का आम क्रिकेटप्रेमी गुस्से में कहेगा ही- भाड़ में जाए BCCI, हमें दो ‘हमारा क्रिकेट’, कर दो ‘क्रिकेट का राष्ट्रीयकरण’!
देखिए देश के आम क्रिकेटप्रेमी को आपके बीसीसीआई के दंद-फंद से कोई मतलब नहीं। उसे नहीं जानना कि बीसीसीआई का ऑफिसियल स्टेट क्या है? उसे नहीं पता करना कि बीसीसीआई क्यों और कैसे ‘टीम इंडिया’ का माई-बाप बन बैठा? या बीसीसीआई नाम की ये चिड़िया कैसे हमारे पूरे क्रिकेट को कंट्रोल कर रही है? उसे तो बस इससे मतलब है कि उसका पसंदीदा क्रिकेट उसे देखने को मिलता रहे, फिर वो ज़ी स्पोटर्स दिखाए या सोनी, वो निबंस ले या कोई और। देश का आम क्रिकेटप्रेमी तो बस ये ही चाहता है कि मैच में वो जो देखे, वो सच्चा हो। बाद में मालूम ना चले कि- अरे साला, रमेश शर्त इसीलिए जीत गया क्योंकि उसके बुकी ने उसे पहले ही बता दिया था कि उस ओवर में इतने रन बनने वाले हैं? या क्यों एक बॉलर बिना पसीना निकाले टॉवल कभी जेब में तो कभी कमर में खोंस रहा था? फिर किसी न्यूज़ चैनल पर स्टिंग देखने को ना मिले, जिसमें आईपीएल में खेलने आए नए-नवेले हमारे क्रिकेट खिलाड़ी हर बाल, हर शॉट का रेट लगा रहे हो, वो भी बड़ी बेशर्मी से। बिना इस बात को सोचे कि वो क्रिकेट नहीं देश के आम क्रिकेटप्रेमी के भरोसे को सरेआम नीलाम कर रहे हैं। फिर ना मालूम चले कि बीसीसीआई के लाड़ले मुंबई के किसी रेस्त्रां में रेव पॉर्टी में अधनंगी देसी-विदेशी मॉड्ल्स के साथ ड्रग्स लेते, शराब में चूर, पानी में तरबतर अमीरजादों के साथ पकड़े जाएं, या खुद बीसीसीआई श्रीनिवासन के घर का मामला सड़क पर सड़कछाप तरीके से उछलता दिखे, जिसमें उनका बेटा आरोप लगाए कि उसका बीसीसीआई अध्यक्ष बाप उसे और उसके पुरुष दोस्त को पिटवाता है। उसके बीसीसीआई अध्यक्ष बाप को अपने बेटे का पुरुषों के साथ रहना, सेक्स करना या किसी भी तरह का ऐसा-वैसा संबंध रखना मंजूर नहीं है। भले वो मामला बीसीसीआई अध्यक्ष का घरेलू हो, लेकिन हमारे क्रिकेट को कंट्रोल करने वाले माई-बाप के तौर पर बदनामी तो देश के क्रिकेट की भी होती है ना? मैच फिक्सिंग तो रुकती नहीं, लेकिन बच्चों को खेल के बाद मैदान में जाने से रोकने पर बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान से सारे क्रिकेट पदाधिकारी भिड़ जाते हैं, ये सोचकर कि चलो, ‘फिलम स्टार’ से लड़ेंगें, तो टीवी वाले पूछने आएंगें, और बीबी मोहल्ले वालों को इतराकर बताएगी, चुन्नू के पापा टीवी पर दिखे। अब ऐसी बीसीसीआई, जो क्रिकेट तो इज्जत से करवा नहीं पा रही, क्यों नहीं आम क्रिकेटप्रेमी के गुस्से का शिकार हो, और क्यों नहीं देश का आम क्रिकेटप्रेमी बोले- भाड़ में जाए BCCI, हमें दो ‘हमारा क्रिकेट’, कर दो ‘क्रिकेट का राष्ट्रीयकरण’!
बताया जाता है कि बीसीसीआई नाम की ये संस्था चेन्नई में सोसाइटी पंजीकरण विभाग के अंर्तगत रजिस्ट्रर्ड है। अंग्रेजों के जमाने से ये भारत में क्रिकेट का संचालन करते आ रही है या यूं कहें तो अंग्रेजों ने जैसे क्लर्क पैदा करने के लिए ‘मैकाले की शिक्षा नीति’ बनाई थी, वैसे ही अपने साथ खेलने के लिए गुलाम देशों की टींमें बनवा दी। बीसीसीआई भी अंग्रेजों की उस अय्याशी का एक बेशर्म हरम हो सकता है? अब वो पूरे भारत का क्रिकेट कंट्रोल करती है। किस हक से ये किसी ने पूछा नहीं? इसे लेकर कभी संसद में मौजूद तमाम बवालप्रेमी सासंदों में से किसी ने सवाल खड़े नहीं किए होंगें? या किए भी होंगें तो वो दबा दिए गए, क्योंकि उस पर कोई कार्रवाई हुई हो ऐसा तो होता नहीं दिखता। बीसीसीआई की दादागिरी इतनी की अपनी टीम को हमारे देश की टीम बता देते हैं- टीम इंडिया। वहीं बात हो कि कोई साबुन कंपनी कह दे ये भारत का साबुन है, इसके अलावा कोई दूसरे साबुन से नहाने की हिम्मत ना करें। जब ऐसा नहीं हो सकता तो फिर बीसीसीआई को हमारे क्रिकेट पर एकाधिकार जमाने का, हमारे क्रिकेट को कंट्रोल करने का अधिकार किसने दिया? कौन है वो नेता लोग? क्यों घिग्घी बन जाती है हमारे शेर बनने वाले तमाम नेता लोगों की बीसीसीआई के सामने? क्यों नहीं बीसीसीआई से ‘टीम इंडिया’ चुनने का अधिकार छिन कर सरकार अपनी बनाई किसी बॉडी के पास रखती। देश की हॉकी टीम, कब्बडी टीम तो सरकार चुनती है, फिर क्रिकेट टीम क्यों नहीं? खेल मंत्रालय बीसीसीआई के सामने पंगु क्यों होता दिखता है? क्यों खेल मंत्रालय के मंत्री-अधिकारी बीसीसीआई के सामने घिघियाते दिखते हैं?
सूत्रों की मानें तो बीसीसीआई का सालाना हिसाब-किताब कुछ पांच हजार करोड़ से ज्यादा का होता है। बीसीसीआई दुनियाभर के तमाम क्रिकेट बोर्डों में सबसे अमीर है, इतना अमीर की दूसरे बीसीसीआई के सामने भिखारी-से साबित होते हैं। बीसीसीआई की परिसंपत्तियों, बाजार में साख का आंकलन करें, तो बीसीसीआई हजारों करोड़ की मालिक है। चलिए सीधे शब्दों में समझते हैं। पूरी दुनिया में भारत के पास सबसे बड़ा बाजार याने उपभोक्ता वर्ग है, जो पूरे यूरोप या अमेरिका की जनसंख्या से भी ज्यादा बताया जाता है। इसीलिए अमेरिका से लेकर दुनिया का हर विकसित देश अपने देशों की कंपनियों के दबाव में आकर भारत सरकार को हड़काता रहता है कि भारत की आर्थिक सीमाएं खोलों, जिससे उनके देश की कंपनियां आप-हम लोगों की जेबें खाली कर सकें और सारा माल समेटकर अपने देश ले जा सकें। ऐसे देश में क्रिकेट ही एक ऐसा माध्यम है जिस पर सवार होकर ये विदेशी कंपनियां दुनिया के इस सबसे बड़े बाजार में या उपभोक्ता वर्ग को अपना माल टिका सकती हैं। तो अब आप ही सोचिए, बीसीसीआई कौन-सी सोने की खान पर बैठी हुई है?
ऐसा नहीं कि ये गणित बीसीसीआई और उस पर अपनी चौधराहट जमाए पवार, डालमिया, श्रीनिवासन, जेटली, लालू, सिंधिया, फारुख अब्दुल्ला जैसों को नहीं मालूम। इन सबकों मालूम है इसीलिए ही तो बीसीसीआई पर सरकार कोई कार्रवाई करने से डर रही है। लगता है कि बीसीसीआई की चांडाल चौकड़ी ने इसीलिए ही तो नहीं नेताओं को अपने-अपने राज्यों की क्रिकेट एसोसियेशनों में बैठा रखा है। मानों कहा हो- हुजूर, आप पॉलिटिक्स से ऊब जाओं, जो क्रिकेट की रंगीनियों के मजे लूटो, बस हमारा आप ख्याल रखो, हम आपका। लेकिन इन लोगों को इस बात का ज़रा भी लिहाज नहीं कि क्रिकेट इस देश के रोजमर्रा की जिंदगी में पिसते आम आदमी का एकमात्र सहारा है, सुकून पाने का। लेकिन क्रिकेट को कंट्रोल करने वाले बेशर्मों को इससे क्या, वो तो बस इस सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को धीरे-धीरे हलाल कर रहे हैं, साथ ही हलाल हो रहा है हमारा क्रिकेट। ऐसे में क्यों नहीं देश का आम क्रिकेटप्रेमी ये कहे- भाड़ में जाए BCCI, हमें दो ‘हमारा क्रिकेट’, कर दो ‘क्रिकेट का राष्ट्रीयकरण’!
एक भारतीय।
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Tuesday, July 30, 2013
Delhi Police: Batala House Encounter: शहीद पुलिस इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा का हत्यारा आतंकी शहजाद अब सड़ेगा सारी उम्र जेल में.
बटला हाउस एनकांउटर केस में सजा का ऐलान हो गया है. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की हत्या के दोषी शहजाद अहमद को उम्र कैद की सजा सुनाई है. इसी के साथ कोर्ट ने उसके ऊपर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
इससे पहले बटला हाउस एनकाउंटर में साकेत कोर्ट ने गुरुवार को शहजाद को मुजरिम करार दिया था. कोर्ट ने उसे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का दोषी माना था. यही नहीं उसे हेड कांस्टेबल बलवंत और राजबीर सिंह की हत्या की कोशिश का भी गुनहगार माना गया.
अदालत ने शहजाद को आईपीसी की धारा 302, 307, 353, 186, 333, 34 और आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार दिया था.
पूरा मामला 19 सितंबर 2008 यानी दिल्ली धमाकों के 6 दिन बाद का है. स्पेशल सेल ने आतंकवादियों को पकड़ने के लिए बटला हाउस इलाके के फ्लैट एल-18 में दबिश दी थी. इस दौरान हुए एनकाउंटर में इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा शहीद हुए थे, जबकि कुछ पुलिसवाले जख्मी हुए थे.
एनकाउंटर में साजिद और आतिफ नाम के दो आतंकवादियों की मौत हो गई थी, जबकि शहजाद और जुनैद मौके से भाग निकलने में कामयाब रहे. बाद में शहजाद को पुलिस ने आजमगढ़ से गिरफ्तार किया था, जबकि जुनैद अब तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है.
बटला हाउस एनकांटर के बाद ये आरोप भी लगाए जा रहे थे मुठभेड़ फर्जी थी लेकिन साकेत कोर्ट के फैसले के बाद ये साफ हो गया कि एनकाउंटर फर्जी नहीं था.
courtsy- aajtak.
एडिट पेज: सड़कों पर आतंक मचाते लफंगे बाइकर्स, मासूमियत ओढ़ते गैर-जिम्मेदार मां-बाप! An-Open-Letter-On-Death-Of-Delhi-Biker-By-Police-Firing
निमिष कुमार,
संपादक,
हिन्दी इन डॉट कॉम
बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने वीवीआईपी अशोका रोड पर आधी रात को अपनी बाइक्स पर हुड़दंग मचाते बाईकर्स गैंग को रोकने की कोशिश की। आरोप है कि जब बाइकर्स ना रुके तो पुलिस ने गोली चलाई जिसमें एक लड़का मारा गया और दूसरा घायल है। सच्चाई क्या है, ये तो मामले की जांच पूरी होने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन कुछ बातें आप-हम सबने देखी। सबने अपने बेटे के लिए न्यूज़ चैनलों पर आंसू बहाती मां को देखा। जो चीख-चीखकर कह रही थी कि उसका बेटा निर्दोष है। लेकिन कुछ सवाल शायद उस मां से किसी ने नहीं पूछे, क्योंकि ऐसे मौकों पर हमारी भीड़ दिमागी तौर पर विवेकशून्य हो जाती है, और भावनाओं को भड़काकर हुड़दंग मचाने का मौका ढूंढने लगती है। हमें बस मौका चाहिए सरकारी बसों के कांच तोड़ने का, ट्रैफिक रोककर दूसरों को परेशान करने का, सरकारी वाहनों में आग लगाने का, पुलिस पर पथराव का। दरअसल ये पब्लिक आक्रोश हमारी जिंदगी में नाकामी का गुस्सा है, जो हम ऐसे मौकों पर निकालने की कोशिश करते हैं। चलिेए अब मुद्दे की बात पर लौटते हैं। क्या किसी ने उस ‘बेचारी’ बनती मां से पूछा कि देवीजी, आप का बेटा आधी रात को सड़कों पर हुड़दंग कर रहा था और आपको पता नहीं? बेटे को बाइक नहीं आती, इसे कैसे साबित करेंगी आप, क्योंकि बिना लाइसेंस के बाइक दौड़ाना तो ऐसी औलादों के लिए शान होती है? ये कहना कि मेरा बेटा शराब नहीं पीता, एक हास्यापद बयान लगता है क्योंकि इस तरह का कोई १८-२० साल का लड़का अपने मां-बाप से पूछकर शराब पीना शुरु नहीं करता? ऐसी संगत के लड़़के अपने दोस्तों की जमात में खुद को मर्द साबित करने के लिए शराब पीना शुरु करते हैं। ज़रा सोचिए, रातों में बाइकों पर लफंगों की तरफ चिल्लाते, शोर मचाते करियर के नाम पर नाकाम मध्यमवर्गीय परिवारों के ऐसे लड़कें क्या अपने दोस्तों से ये कहेंगें- यार, मम्मी से पूछकर आता हूं कि पैग लूं क्या? यदि ऐसा होगा, तो उन बिगड़ैल दोस्तों के क्या कमेंट्स होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
मुझे इस मां के रुदन को देखकर कुछ साल पहले की दिल्ली की कुछ घटनाएं याद आती हैं। न्यूज़ चैनलों के बीच तब खुद को स्थापित करने की दौड़ जारी थी। ऐसे वक्त में खबर आई, एक जवान होती नाबालिग लड़की घर से गायब है। नव-धनॉड्य मां-बाप ने न्यूज़ चैनलों के कैमरे देखते ही जो रोना-धोना शुरु किया, कि सारा देश सकते में आ गया। आरोप था कि लड़की को अगवा किया गया है, और पुलिस निकम्मी है। पुलिस के आला-अधिकारी हरकत में आए और जल्दी ही सारे मामले का खुलासा हो गया। हमेशा किटी पॉर्टीज़, लेडीज़ प्रोग्रामों, ब्यूटी पॉर्लर में व्यस्त रहने वाली उस उम्रदराज नव-धनाड्य महिला की सोलह साल की बेटी छह महिने की गर्भवती थी, और अपने नाबालिग ब्वॉयफ्रेंड के साथ एक दूरदराज के झोलाछाप अस्पताल में चुपचाप गर्भपात कराने गई थी। इस गैरकानूनी हरकत में ज्यादा समय लगना था, इसीलिए उन नाबालिगों ने ये सारा ड्रामा रचा था। जब पांसा पलटा, तो मां किसी कोने में ऐसी दुबकी कि नजर ही नहीं आई। मीडिया ने सवाल पूछे कि क्या उस गैर-जिम्मेदार मां को अपने ही घर में, अपनी ही आंखों के सामने छह महीने की गर्भवती नाबालिग बेटी नहीं दिखी? डॉक्टर हैरान थे, पुलिस हैरान थी, समाज विज्ञानी हैरान थे। मालूम चला कि नए-नए अमीर बने उस परिवार में सब अपनी-अपनी ‘मस्ती’ में लगे थे।
दूसरी घटना। एक अकेली मां ने छाती पीटना शुरु की। यहां भी कहानी वही। जवान होती नाबालिग लड़की मरी पाई गई। बताया गया कि लड़की अपनी पढ़ाई प्राइवेट स्टूडेंट के रुप में कर रही थी और एक प्रॉप्रटी एजेंट के ऑफिस में बतौर रिशेपनिस्ट काम कर रही थी। मां ने मीडिया में आकर बहुत कोहराम मचाया, तो पुलिस ने जांच तेज की। सच जो निकला वो चौकाने वाला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि वो नाबालिग लड़की सहमति से बार-बार सेक्स करवाने की आदी थी। वो भी लंबे समय से। लड़की शराब का सेवन लंबे समय से कर रही थी, और जब वो मृत पाई गई, तब वो गर्भवती थी। जब मां से इस बारे में पूछा गया तो मां चुप हो गई। जांच में सामने आया कि प्राइवेट स्टूडेंट के रुप में पढ़ाई करने वाली उस लड़की को हजारों रुपये की सैलरी मिलती थी, जितनी उस वक्त एक अच्छा-खासा इंजीनियर या एमबीए नहीं पाता था। उसके पास इतना महंगा मोबाइल सेट मिला, जो उस वक्त सिर्फ और सिर्फ बहुत अमीर लोगों के पास ही देखा जाता था। लड़की की मां ने बताया कि उसकी रिशेपशनिस्ट का काम करने वाली लड़की देर रात ऑफिस से लौटती थी। मालूम नहीं क्यों वो चल नहीं पाती थी, इसीलिए उसका मालिक उसे अपनी ऑलिशान कार से घर भिजवाता था, वो भी ड्राइवर के साथ। पुलिस जांच से उठे कई सवालों का उस मां के पास कोई जवाब नहीं था- आपकी लड़की के पास इतना महंगा मोबाइल फोन कैसे आया, जो उसकी एक साल की तनख्वाह के बराबर है? आपकी लड़की के पास इतने महंगे, ब्रांडेड कपड़ें कैसे आए? आपकी लड़की एक रिशेपशिस्ट थी, फिर उसे आधी रात को मालिक की ऑलिशान कार मय ड्राइवर क्यों छोड़ने आती थी, आपने पूछा? आपकी महज स्कूल में बतौर प्राइवेट स्टूडेंट के तौर पर पढ़ने वाली लड़की को इतनी तनख्वाह क्यों दी जा रही थी? क्या आपको पता था कि आपकी नाबालिग लड़की लंबे समय से शराब का सेवन कर रही थी? क्या आपको पता था कि आपकी नाबालिग लड़की सेक्स की आदतन थी? ऐसे कई सवालों का जवाब उस ‘बेचारी’ मां के पास नहीं था, जो अपनी लड़की के मरने की खबर पर मीडिया कैमरों के सामने छाती पीट रही थी।
तीसरी घटना, जो आप सब के जहन में ताजा होगी। आप-हम सब ने हरियाणा के मंत्री गोपाल कांडा और उसकी कर्मचारी गीतिका शर्मा के बारे में सुना है। कम उम्र की महज स्कूल पास, एयरहोस्टेस का कोर्स की हुई गीतिका शर्मा गोपाल कांडा की कंपनी में डायरेक्टर थी। उसे ऑलिशान कारें घर छोड़ने आती थी। उसके मां-बाप गोपाल कांडा के साथ मुंबई घूमने आए थे। गीतिका गोवा में कांडा के कैसिनो, बार को भी संभालती थी। उसकी सुसाइड के बाद पता चला कि वो भी शराब और सेक्स की आदी थी। इतना ही नहीं गोपाल कांडा उसके साथ गुदा मैथुन तक करता था। अब सवाल उठते हैं, क्या गीतिका की मां को ये सब नहीं पता था? क्या उस औरत के मन में ये सवाल कभी नहीं आया कि मेरी जैसे-तैसे स्कूल पास लड़की में ऐसा क्या था कि वो कुछ ही साल में एक कंपनी की डायरेक्टर बना दी जाती है? उसे ऑलिशॉन कारें घर छोड़ने आती हैं? कैसे उसे हर महीनें हजारों तनख्वाह मिलती है, जो एक इंजीनियर- एमबीए के लिए सपना हो? ऐसी तमाम घटनाएं दरअसल हमारे देश के बदलते परिदृश्य का कच्चा चिठ्ठा खोलती है। ऐसे में कई बार सच्चाई होने पर भी शक होने लगता है। जैसे इसी घटना को लो। क्या उस मां-बाप ने कभी अपने बेटे से नहीं पूछा कि वो देर रात अपने दोस्तों के साथ कौन-सा काम करता है? यदि वो उस रात किसी काम से गया था, तो वो काम कौन-सा था? कहीं यहां भी तो मामला 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में चलती बस में लड़की के साथ हुए घिनौने बलात्कार के समान नहीं है? जिसमें उन तमाम दरिंदों के मां-बाप ने बस पैदा करके अपनी औलादों को दुनिया में पलने और बड़े होकर समाज में दरिंदगी और गंदगी फैलाने के लिए छोड़ दिया था?
अब आइए बताते हैं कि दिल्ली का वो बाईकर्स गैंग वाला मामला क्या है। दिल्ली शहर सामाजिक तौर पर कई हिस्सों में बटां हुआ है। एक राष्ट्रपति भवन, संसद के आस-पास का लुटियन्स ज़ोन, जहां सड़कों के दोनों ओर कतार से बड़े-बड़े बंगले बने हुए होते हैं, जिसमें मंत्री, जज, नौकरशाह, सैन्य अधिकारी रहते हैं। दूसरा, दक्षिणी दिल्ली, जहां शहर के तथाकथित अमीर लोग रहते हैं, इस इलाके में महंगे रेस्त्रां हैं, शोरुम्स हैं, बार है, दुकानें हैं। तीसरा है, यमुना पार का इलाका या दिल्ली का वो इलाका जहां कभी गरीब और अब मध्यमवर्गीय हो चुका दिल्ली का समाज रहता है। ये वो लोग है, जो कभी गरीब थे, लेकिन अब ‘जिंदगी में बस पैसा ही कमाना है जी’ मुहावरे को रटते हुए कुछ कमा चुके हैं। ऐसे माहौल में पले-बढ़े बच्चे कभी दिल्ली के बेहतरीन कॉलेजों में दाखिला नहीं पाते, क्योंकि वो इसके लायक साबित नहीं होते हैं। उनकी जगह देशभर से आए बच्चे सेंट स्टीफन्स, हिदूं, रामजस, श्रीराम, वैंकटेश, मिरांडा जैसे कॉलेजों में पढ़ते हैं। अपने ही शहर में प्राइवेट स्टूडेंट के रुप में दिल्ली के नॉर्थ कैंपस के कॉर्रेोसपोंन्डेंट सेंटर में दाखिला लेकर ये खुद के दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने के ईगो को पूरा कर लेते हैं। स्कूल के दिनों से लड़की, सेक्स, शराब, पैसा की बेइंतहां चाह इस तरह के लड़कों को पढा़ई से ज्यादा कमाई की ओर धकेल देती है, और ये कम उम्र में ‘किसी भी तरह माल कमाने की जुगत’ में लग जाते हैं। नतीजा, कुछ ही समय में ये बेहतर नौकरी और बेहतर करियर की दौड़ से बाहर हो चुके होते हैं। इनका यही फ्रस्टेशन दिल्ली की सड़कों पर आधी रात को निकलता है। अपने तंग गलियों वाले घरों से निकलकर ये लोग उस दिल्ली में जा पहुंचते हैं, जहां ये चाह कर भी नहीं रह सकते। वो होता है राष्ट्रपति भवन, संसद के आस-पास का वीवीआईपी इलाका। यहीं किसी रात होता है इनका हुड़दंग। ये कोई पहली बार नहीं कि पुलिस से इन बाईकर्स की जंग हुई हो। पुलिस बरसों से इनका तमाशा देखती आई है, लेकिन कभी इनको पूरी तरह रोकने की हिम्मत नहीं कर पाई। सच्चाई तो ये है कि सैकड़ों बाईक पर सवार ये लफंगें जब दिल्ली के उस वीवीआईपी इलाके से निकलते हैं, तो एक अराजक भीड़ की तर्ज पर होते हैं। जो कुछ भी कर सकते हैं, दिल्ली गैंगरेप जैसी घटना की पुर्नरावृति भी।
एक सवाल। क्या हम दिल्ली गैंगरेप जैसी घटना की पुनरॉवृर्ति की राह देख रहे हैं? क्या हम इंतजार कर रहे हैं कि हमारे यहां भी एक नकारी युवा पीढ़ी अमेरिका की तर्ज पर अपनी बाईक पर हुड़दंग मचाने निकले और अपनी जिंदगी की नाकामी की गुस्सा देश के आम आदमी पर निकाले? पुलिस ने गोली मारकर गलत किया, लेकिन क्या वो लड़के सही कर रहे थे? क्या सड़कों पर समूह बनाकर दहशत फैलाने का अधिकार हम ऐसे लफंगों को दे सकते हैं? क्या लफंगों की मौत पर कोहराम मचाने वाले मां-बाप को अब दोषी नहीं ठहराना चाहिए? क्या हमारी सरकार को ये नहीं करना चाहिए, जिसमें मां-बाप सुरक्षा एजेंसियों को ये इत्तला दें कि उनका बेटा आंतकी, लुटेरा, चोर, भ्रष्ट्र या लफंगा बन चुका है? याद कीजिए ऐसे ही कुछ लोगों के विलाप के चलते हमारी सरकार ने तीन आतंकियों को काबुल ले जाकर छोड़ा था, और पूरी दुनिया के सामने हम एक घुटने टेकने वाले राष्ट्र के रुप में अपमानित हुए थे। आज के बिगड़ते हालातों में अब समय आ चुका है कि सरकार को कड़े कदम उठाने ही होंगे, जो इन बाइक पर सवार लफंगों और उनके मासूम बनकर आंसू बहाते गैर-जिम्मेदार मां-बाप पर कानून की लगाम लगा सके।
एक भारतीय।
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Monday, July 29, 2013
Police Policy: HR Police: SC on Police Transfers: पुलिस ट्रांसफर पर पढ़े सुप्रीम कोर्ट का फैसला. SC order on transfer of police constabulary.
1
IN THE SUPREME COURT OF INDIA
CIVIL APPELLATE JURISDICTION
CIVIL APPEAL NOS. 8690-8701 OF 2010
[arising out of Special Leave Petitions (Civil) Nos. 18686-18697/2007]
State of Haryana and others …….. Appellants
-versus-
Kashmir Singh and another etc. etc. …….. Respondents
J U D G M E N T
Markandey Katju, J.
1. Leave granted.
2. These appeals have been filed against the common impugned judgment of the Punjab
and Haryana High Court dated 15.5.2006 in CWP Nos. 7695, 7607, 7665, 7837,
8636, 8704, 8814, 9117, 6941, 8018 and 8310 of 2006.
3. Heard learned counsel for the parties and perused the record.
4. The respondents herein were serving in various districts in the State of Haryana as
Constables, Head Constables, Exemptee Head Constables, Assistant Sub-Inspectors
and Sub-Inspectors (hereinafter in short as ASI and SI, respectively). They were
ordered to be transferred to other districts and ranges by the Inspector General of
Police. The respondents challenged the transfer orders contending that in view of the
Punjab Police rules so far as Constables, Head Constables and Exemptee Constables
are concerned, they could not be transferred outside the district, and so far as ASI and
Sis are concerned, they could not be transferred outside the range.
5. This contention has been upheld by the Division Bench of the High court and hence
these appeals.
6. With respect, we are unable to agree with the High Court.
7. Section 1 of the Indian Police Act 1861 defines a general police district’ as follows:
“the words ‘genera police district’ shall embrace any presidency, State of place,
or any part of any presidency, State or place, in which this Act shall be ordered to
take effect”.
8. Section 2 of the Act states as follows : 2
“Constitution of the force. – the entire police establishment under a State
government shall, for the purposes of this Act, be deemed to be one police force
and shall be formally enrolled, and shall consist of such number of officers and
men, and shall be constituted in such manner, as shall from time be ordered by
the State Government”.
9. Section 4 of the Act states as follows :
“Inspector-General of Police, etc. – the administration of the police throughout a
general police-district shall be vested in an officer to be styled the InspectorGeneral of Police, and in such Deputy Inspector-General and Assistant InspectorGeneral as to the (State Government) shall seem fit.
The administration of the Police throughout the local jurisdiction of the
Magistrate of the district shall, under the general control and direction of such
Magistrate, be vested in a District Superintendent and such Assistant District
Superintendents as the (State Government) shall consider necessary”.
10. Thus a perusal of the relevant provisions of the Police Act clearly shows that the
State Police is one integral unit and does not consist of separate independent units.
The overall administrative control of the police in the State is with the InspectorGeneral of Police (now the Director-General of Police).
11. We may now also consider the relevant Rules in the Punjab Police rules 1934
(hereinafter referred to as the ‘Rules’). Rule 1.4 of the rules states as follows :
“Rule 1.4 – Administrative Division: - the districts of the province are grouped in
Ranges and the administration of all police within each such range is vested in a
Deputy Inspector General under the control of the Inspector-General of Police.
The training school is under the district control of the Inspector-General
subject to such delegation of powers as he may make to one or other of the range
Deputy Inspector General. The Criminal Investigation Department is
administered by a Deputy Inspector General, who also supervises the Finger Print
Bureau”.
Rule 1.5 – Limits of jurisdiction and liability to transfer – All police officers
appointed or enrolled in either of the two general police districts constitute one
police force and are liable to, and legally empowered for, police duty, anywhere
within the province. No sub-division of the force territorially or by classes, such
as mounted and foot police, affects this principle.
Delhi Police: Batala House Encounter: इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा को गोली मारने वाले शहजाद को मिलेगी सज़ा। court to announce its verdict on accused Shahzaj in batala house encounter inspector murder
नयी दिल्ली : बटला हाउस एनकाउंटर मामले में दोषी करार दिये गये शहजाद को आज सजा सुनायी जायेगी. कोर्ट ने 25 जुलाई को इस मामले में शहजाद को दोषी करार दिया था. शहजाद को स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की हत्या मामले में सजा सुनायी जायेगी.
शहजाद को स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या, हवलदार बलवंत व राजबीर सिंह की हत्या की कोशिश करने, सरकारी काम में बाधा डालने और उन पर हमला करने की धाराओं के तहत दोषी करार दिया था. अदालत ने सजा पर बहस और फैसले के लिए सोमवार की तिथि मुकर्रर की थी.
13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सीरियल बम धमाके हुए थे. इन बम धमाकों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे. दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी गुट इंडियन मुजाहिदीन ने अंजाम दिया है.
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Thursday, July 25, 2013
Foreign Police: Egypt Police: Cairo: Bomb Blast in Police Station, 1 killed, 17 injured.
CAIRO: A bomb exploded at a police station in a province north of Cairo early on Wednesday, killing one person and wounding 17 others, Health Ministry and security sources told Reuters.
Unknown assailants threw the bomb from a passing car in Mansoura, the capital of Dakhalia province, two security sources said. A Health Ministry statement, issued shortly after the explosion, said 12 people were injured.
The bombing occurred after a day of clashes between opponents and Islamist supporters of Egypt's deposed president, Mohamed Morsi, killed nine people in Cairo.
The Muslim Brotherhood, which propelled Morsi to power in the country's first democratic elections in 2012, accuses the army of orchestrating a coup that has exposed deep political divisions in the Arab world's most populous nation.
Supporters of Morsi, who has been held in an unknown location since the army deposed him on July 3 following mass protests calling for his removal from power, have vowed to stay in the streets until he is reinstated.
About 100 people have died in violence since the army deposed Morsi and replaced him with an interim administration led by Adli Mansour, the head of the constitutional court. New elections are expected to be held in about six months.
In the latest bout of violence in the capital, two protesters were killed at a pro-Morsi march early on Wednesday after clashes in Cairo, a security source and the Muslim Brotherhood said in a statement on their website.
courtsy- TOI.
HR Police: Gurgoan: कबाड़ी से १० लाख रुपये की रिश्वत लेने के मामले में ASI, हवलदार लाइन हाजिर, SSP ने डीई के आदेश दिए. SSP Gurgoan ordered to attach ASI, head canstable to line, and set a departmental enquiry.
राज्य चौकसी ब्यूरो गुड़गांव की टीम ने रिश्वत लेने के आरोप में दिल्ली पुलिस के एक सिपाही को उसके साथी सहित गिरफ्तार किया है। इनके पास से साढ़े आठ लाख रुपये भी बरामद हुई है। वहीं इस मामले में दो अन्य आरोपी गुड़गांव पुलिस के स्पेशल स्टाफ (सेक्टर दस) के एएसआइ व हवलदार अभी फरार है। पुलिस आयुक्त आलोक मित्तल के निर्देश पर दोनों पुलिस कर्मियों को तुरंत प्रभाव से लाइन हाजिर कर उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी गई है।
राज्य चौकसी ब्यूरो (गुड़गांव) के एसएसपी योगेंद्र नेहरा को मटियाला (दिल्ली) निवासी जहीर ने मंगलवार रात गुड़गांव स्पेशल स्टाफ में तैनात एएसआइ विनोद व हवलदार राजकपूर के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायत में उसने कहा था कि उनका बेटा इस्लामुद्दीन (25) द्वारका (दिल्ली) में कबाड़ी का काम करता है। 20 जुलाई को एएसआइ विनोद व हवलदार राजकपूर उसे जबरन अपनी में ले गए थे। चार घंटे बाद द्वारका में ही कबाड़ का काम करने वाला सरफराज व दिल्ली पुलिस का सिपाही सूबे सिंह (तैनाती हौज खास थाना, पीसीआर) निवासी सरहौल (गुड़गांव) उसके पास आए। दोनों ने कहा कि एएसआइ व हवलदार इस्लामुद्दीन को छोड़ने के एवज में दस लाख की रिश्वत मांग रहे हैं। मना करने पर वो इस्लामुद्दीन को झूठे मामले में फंसा देंगे। उसने एक रिश्तेदार से पांच लाख रुपये लेकर सूबे सिंह को दिए, लेकिन उन्होंने उसके बेटे को नहीं छोड़ा तो उसने साढ़े तीन लाख रुपये और दिए। इसके बावजूद जब उन्होंने उसके बेटे को नहीं छोड़ा और मंगलवार को डकैती का माल खरीदने के झूठे आरोप में जेल भेज दिया।
एसएसपी योगेंद्र नेहरा ने बताया कि शिकायत मिलते ही इंस्पेक्टर जगत सिंह की अगुवाई में टीम गठित कर ड्यूटी मजिस्ट्रेट कुलवंत सिंह की मौजूदगी में छापेमारी कर सूबे सिंह के पास से पांच लाख और सरफराज के पास से साढ़े तीन लाख रुपये बरामद कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि विनोद व राजकपूर भी उनसे रुपये लेने आने वाले थे, लेकिन सूबे सिंह के पकड़े जाने की भनक मिलते ही फरार हो गए।
courtsy- dainik jagran.
Gujrat Police: Ahemdabad: गुजरात पुलिस का नया प्रयोग 'सुरक्षा सेतु', स्कूली बच्चों को बताया पुलिस कैसे काम करती है. gujrat police starts new initiative to aware school students about police functioning.
AHMEDABAD: A group of 250 students from five schools in Navrangpura area visited Navrangpura police station on Tuesday as part of the state police's Suraksha Setu initiative. The students were accompanied by teachers and staff members of the schools.
The schoolchildren greeted the policemen with flowers and tied friendship bands to show their gratitude. A woman police sub-inspector was especially deployed to interact with the girls. The students were curious about the functioning of the firearms and asked about the requirements for joining the police force, its duties and human rights.
P M Sarvaiya, inspector of Navrangpura police station, said that the city police officials are reaching out to the school and college students to create awareness about the police's work and how citizens can be helpful in maintaining law and order. "Suraksha Setu is an initiative where we try to bridge the gap between the police and the public. The students were eager to know about the functioning of the police, right from filing a complaint to deliverance of justice and other services such as seeking permission for organizing events or police verification for passport," he said.
courtsy-toi.
Wednesday, July 24, 2013
Delhi Police: Women in Police Force: दिल्ली पुलिस के इतिहास में नया रिकार्ड, पहली बार कोई महिला आईपीएस होंगी नंबर-२. first time in delhi police, a woman IPS officer will be at nmber two level.
नई दिल्ली।। दिल्ली पुलिस के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब कोई महिला आईपीएस कमिश्नर के बाद नंबर-2 यानी स्पेशल कमिश्नर (प्रशासन) का पदभार संभालेंगी। अभी तक इन दोनों पदों पर कोई भी महिला अफसर नहीं पहुंच सकी हैं।
गोल्फ-2 की इस कुर्सी पर बैठने वाली महिला तिहाड़ जेल की डीजी विमला मेहरा होंगी। दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर (विजिलेंस) पी. कामराज तिहाड़ जेल के नए डीजी होंगे। यह जानकारी दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के टॉप आधिकारिक सूत्रों ने दी है।
सूत्रों के मुताबिक, सप्ताह के अंत तक इन दोनों अफसरों के बारे में तैनाती के नए आदेश आ जाएंगे। 31 जुलाई को दिल्ली पुलिस को बी. एस. बस्सी के रूप में नए कमिश्नर मिल जाएंगे। वह अभी तक दिल्ली पुलिस में नंबर-2 यानी स्पेशल कमिश्नर (प्रशासन) हैं। सूत्रों ने बताया कि बस्सी के कमिश्नर बनने के बाद यह पद खाली हो जाएगा। उनके बाद फिर इस पायदान पर स्पेशल कमिश्नर (प्रशासन) की अहम जिम्मेदारी 1978 बैच की आईपीएस विमला मेहरा संभालेंगी।
विमला मेहरा अगस्त 2012 में तिहाड़ जेल की डीजी बनी थीं। इससे पहले वह दिल्ली पुलिस में ही स्पेशल कमिश्नर (सिक्यूरिटी) थी। वह तिहाड़ जेल में मौजूदा कमिश्नर नीरज कुमार की जगह गई थीं। तिहाड़ जेल में रहते हुए उन्होंने कई काम किए। कैदियों के लिए सेमी-ओपन जेल खोलने की योजना को उन्होंने ही अमलीजामा पहनाया।
नीरज कुमार 31 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पिछले साल 16 दिसंबर को साउथ दिल्ली में चलती बस में फिजियोथेरपी की स्टूडेंट के साथ गैंग रेप की वारदात हुई थी। इसके बाद दिल्ली में किसी महिला को पुलिस कमिश्नर बनाने की मांग ने जोर पकड़ा था।
अब सूत्रों का कहना है कि भले ही कमिश्नर कोई महिला न बन पाई हों, मगर फिर भी महिला के दिल्ली पुलिस में नंबर-2 होने से दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए और अधिक काम हो सकेगा। इससे पहले तिहाड़ जेल में डीजी के पद पर महिला के तौर पर केवल किरण बेदी ही रही थीं।
सूत्रों ने बताया कि 1987 बैच के आईपीएस पी. कामराज को तिहाड़ जेल का नया डीजी बनाया जाएगा। दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर (विजिलेंस) से पहले कामराज साउथ-ईस्टन रेंज के जॉइंट कमिश्नर थे। इनके अलावा भी दिल्ली पुलिस में और कई पदों पर जल्द ही नए अधिकारियों की नियुक्ति की जानी है। खासतौर से नए कमिश्नर का एसओ कौन होगा? इस पर कई अफसरों के नाम चल रहे हैं।
courtsy- nbt.
Foreign Police: Maxico Police: Heavily-armed men assaulted Mexican federal police units in a carefully planned attack in which 22 people were killed, most of them assailants
MEXICO CITY: Heavily-armed men assaulted Mexican federal police units in a carefully planned attack in which 22 people were killed, most of them assailants, in six towns, the government announced.
The gunmen concealed themselves in hills above checkpoints in Michoacan state, a western area tormented by drug cartels, and blocked at least four sections of highway before swooping on their targets, wielding grenades.
"So far, we have two federal policemen killed, 20 presumed criminals shot dead and another 15 people under arrest," the interior ministry's national security council said in a statement.
The attackers were equipped with high-powered rifles and grenades when they struck in the troubled Tierra Caliente region, a hot spot for gang violence, the council added, without stating how many police or gunmen had been wounded.
In May, Mexico's government promised to keep thousands of troops in Michoacan, which has 4.3 million citizens, until peace is restored.
Interior minister Miguel Angel Osorio Chong at the time held a meeting of the national security team in the state capital Morelia with local officials, aimed at tackling a crime wave that led some towns to start vigilante groups.
Officials said 4,000 soldiers and marines and 1,000 federal police were deployed. Osorio Chong also said the forces would leave once security conditions have improved and the state government can hold its own.
Michoacan was the first state to see troops when former president Felipe Calderon decided to deploy tens of thousands of soldiers across the country to crack down on drug cartels in 2006.
But gang violence surged throughout Mexico, leaving 70,000 people in its wake when Calderon left office in December, and a powerful new cartel, the Knights Templar, emerged in Michoacan.
Osorio Chong has insisted that the strategy ordered by current President Enrique Pena Nieto will be different than his predecessor's, with a single command, close coordination between various authorities, greater use of intelligence assets, and an economic development program.
Pena Nieto took office in December vowing to switch the focus toward reducing the level of violence. He has since launched a crime prevention program but he says troops will stay until the murder rate declines.
Fed up with crime, vigilantes have appeared in recent months and clashed with the Knights Templar cartel, notably in Tierra Caliente.
Drug gangs have existed for decades in Michoacan, where they grow marijuana and opium poppies and produce synthetic drugs in makeshift labs before shipping them to the United States.
courtsy- TOI.
Police Policy:Delhi Police: Police Commioner Tenure: दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने दो साल के नियत कार्यकाल की वकालत की. delhi police commisioner advocates for two years fix tenure.
नई दिल्ली : इस माह के अंत में अवकाश ग्रहण करने वाले दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने पुलिस बल के मुखिया के कम से कम दो साल के एक नियत कार्यकाल की हिमायत करते हुए कहा कि उनका 13 महीने का कार्यकाल बहुत छोटा था। कुमार ने अफसोस जताया कि पुलिस प्रमुखों के कार्यकाल के बारे में उच्चतम न्यायालय से तय मार्गनिर्देशों का पालन नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, ‘13 महीना बहुत छोटा वक्त होता है। इसे कम से कम दो साल होने चाहिए जैसा उच्चतम न्यायालय ने तय किया।’ कुमार से जब पूछा गया कि छोटे कार्यकाल के चलते क्या वह पुलिस बल के आधुनिकीकरण की अपनी योजना अमल में नहीं ला सके तो उन्होंने कहा, ‘इसका अब क्या मतलब है? ये उच्चतम न्यायालय के निर्देश हैं लेकिन लागू नहीं किए गए।’ फिलहाल, गृह सचिव, विदेश सचिव, रक्षा सचिव, कैबिनेट सचिव, आईबी प्रमुख, प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक, सीबीआई प्रमुख और रॉ प्रमुख के दो साल के नियत कार्यकाल हैं।
पिछले एक दशक में, दिल्ली में पांच पुलिस आयुक्त हुए जिनमें कुमार का कार्यकाल (जून 2012-जुलाई 2013) का सबसे छोटा है। कुमार से पहले बीके गुप्ता दिल्ली पुलिस के आयुक्त थे। उनका कार्यकाल 19 महीने का था। कुमार के बाद 1 अगस्त को दिल्ली पुलिस की कमान भीम सैन बस्सी संभालेंगे। वह फरवरी 2016 में अवकाश ग्रहण करेंगे। इस तरह उनका कार्यकाल ढाई साल का होने वाला है।
पिछले 10 साल में, के. के. पॉल का कार्यकाल सबसे लंबा था। वह फरवरी 2004 से जुलाई 2007 तक दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर आसीन थे। उनका कार्यकाल तीन साल पांच माह का था। पॉल के अवकाश ग्रहण करने के बाद वाई. एस. डडवाल पुलिस आयुक्त बने। वह जुलाई 2007 से नवंबर 2010 तक तीन साल चार महीने इस पद पर बने रहे। (एजेंसी)
Sunday, July 21, 2013
Rajasthan Police: Police & Bollywood: जयपुर SP हरिप्रसाद शर्मा से पूजा भट्ट का झगड़ा, एसपी साहब को खुद के केबिन में जाने से रोकने का आरोप. Bollywood Actress & Producer pooja bhatt had a tussle with Jaipur SP.
जयपुर।। डायरेक्टर-ऐक्ट्रेस पूजा भट्ट की टीम के सदस्यों और उदयपुर के पुलिस अधीक्षक के बीच रविवार को कहासुनी हो गई। पूजा ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारी ने फिल्म के सेट पर पहुंचकर अभद्र भाषा का प्रयोग किया।
भोपालपुरा के एसएचओ ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि यह घटना उस समय हुई जब पूजा की आने वाली फिल्म 'बैड' की उदयपुर कलेक्टरेट परिसर में शूटिंग चल रही थी। इसी परिसर में उदयपुर के पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा का भी कार्यालय है। सिंह के मुताबिक, परिसर के कार्यालय बंद थे। पुलिस अधीक्षक कुछ काम के लिए अपने कार्यालय में आए थे, लेकिन फिल्म की टीम के सदस्यों ने शूटिंग के कारण उन्हें अपने चैंबर में जाने से रोक दिया।
पुलिस अधीक्षक ने कहा, 'टीम के सदस्य मुझे मेरे चैंबर में जाने नहीं दे रहे थे और उन्होंने मुझे महेश भट्ट से फोन पर बात करने को कहा। भले ही उन्होंने यहां शूटिंग करने की इजाजत ली है, लेकिन वे हमें हमारे चैंबर में प्रवेश करने से नहीं रोक सकते।'
सिंह ने बताया कि कहासुनी के बाद मामला शांत हो गया और फिल्म के सदस्यों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और पुलिस अधीक्षक भी आखिर में अपने चैंबर में चले गए।
वहीं, इसी बीच पूजा ने कहा, 'पुलिस अधीक्षक से दो मिनट इंतजार करने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने हमें धमकी दी और अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया।'
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Mumbai Police: ये लेडी दबंग तो क्रिमिनल्स के भी मुंह खुलवा देती है. But she knows how to make criminals talk, says Pooja Bhula of Police Inspector, Shalini Sharma.
In classic small-heeled pumps, fitted narrow trousers, a colourful scarf, plain shirt, long hair, tall frame and a confident stride, Police Inspector Shalini Sharma--Extradition Cell, of Mumbai’s Crime Investigative Unit (CIU)—carries herself like one of Charlie’s Angels. CIU officers don’t wear uniforms. She is as alert as she is friendly—interrogating gangsters, terrorists, paedophiles and the like, for a living.
Two months ago, the Crime Branch arrested Theva Satish Kumar, of the Liberation Tigers of Tamil Eelam (LTTE), based on an Interpol alert issued by the Sri Lankan government. What was Shalini’s role? “We verified the intelligence received, and alerted police stations, immigration and other teams.”
Following an arrest, the person is presented in court and taken into custody for questioning. “The interrogation went on for 24 hours! He was lying and I knew it.
The stamp on his passport was fake.” As per media reports, Kumar first said he came by air, but later revealed he arrived via sea. He would have been caught, boarding a flight from Sri Lanka.
“I don’t use third degree. I make them speak-up without breaking laws. Criminals don’t expect decency of this sort, so at first, they think I will go soft on them. But, with 23 years of experience, I know how to make people comfortable, I know how to make them talk,” is her unique approach.
From Scotland Yard to Interpol
No wonder she was chosen for a $10,000 scholarship to learn Hostage Negotiation and Crisis Management from Scotland Yard. “In 2008, we didn’t have negotiators to look into lacunae during terror attacks. So the Rotary Club and Mumbai Police took the initiative. 12 candidates, initially selected based on age and police experience, were narrowed to six, three ,and finally one.”
In her brief tenure as chief counsellor, Shalini thwarted a suicide attempt. “In interviews, Rotary gauged our international exposure and ability to handle sensitive matters. Officers tested our knowledge, language, and presentation skills. Working in the Extradition Cell since 2004 helped, as I was in regular contact with consulates. Confidence and interest matter too.” Her training lasted two weeks.
She acquainted herself with the British Transport Police, London Police and New Scotland Yard Police, London, and wanted other officers to be trained too.
“Crisis management isn’t a one-person job. I convinced my seniors to get two officers from Scotland Yard to Mumbai. Eventually, 17 officers were trained. With the remaining scholarship money, I got permission to familiarise myself with Interpol in Lyon, France.”
Traffic Department in 1993
Shalini has handled portfolios ranging from law and order to the computerisation of a commissionerate. But her face lights up at the mention of the Thane Traffic Police Department. “I joined as traffic officer and had a team of 15 women constables. We were the first batch of women to get this role. The experience was thrilling. I rode a Bullet, chased trucks and looked into traffic engineering. The public appreciated my work and demanded speed breakers and reflectors. Others were upset, because I didn’t let anyone off without a fine.”
Fitness and Family
The former Indian University level volleyball player’s fitness quotient hasn’t decreased. She watches her diet, gyms from 9pm-10pm when possible, or swims and takes brisk walks. “I’ve had clashes with my husband and sometimes feel my sons are neglected. But whoever joins the police is prepared for stress, physical demands, and difficulties it may cause to family life.”
Plans for future
She has a diploma in cyber crime and intends to learn forensic investigation and acquire weapons training.
Police plan your precautions
Be conscious of time and place
You have to be conscious of your time and place of travel. Late at night and early in the morning, you’ll find fewer people, so it will be difficult to get help. Keep track of whether your destination or the places you’ll cross are in the news for eve-teasing, chain snatching, rape or any such crimes.
Stay alert, act now
If a vehicle suddenly stops near you, think why? If something seems amiss whilst travelling, change your taxi, auto or train bogie. If you’re walking, look who’s around you, change your route if required and contact authorities.
Being stalked? Inform the police
If you find eve-teasers near your college, bus stop or routes you take regularly, inform the police, to prevent a mishap. Acid attacks are premeditated.
Perpetrators generally know the victims and their routines. Random strangers on the road don’t suddenly fling acid at passersby. It could be a stalker, a rejected lover, or someone you’ve had a fallout with. Don’t hide or neglect such instances, at least inform your friends.
Stay fit
Fitness is very, very important. You have to be agile in times of need.
Learn basic self-defence
We are not living in a jungle, so there’s no need to go deep into martial arts.
But, the basics of Judo and Karate are good enough to tackle attackers or buy time to run. These days, the police also teaches self defence in several schools.
Project confidence
You have to make yourself mentally strong, project fitness and confidence to deter attacks.
Carry an extra battery and pepper spray
Communicability is important at all times, especially if you’re travelling in remote areas or at odd hours. Always keep your mobile handy and carry an extra battery. There is no harm in carrying pepper spray too. Note down taxi and auto numbers, when travelling alone at night.
Shout!!!
You may have objects to defend yourself and might know everything, but nothing beats presence of mind. If you’re in a situation where you can’t defend yourself, don’t be self-conscious, just SHOUT, so that people can come to
your rescue.
courtsy- DNA