पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Wednesday, August 21, 2013
UP Police: Locknow: यूपी पुलिस के 8 DSPs का तबादला. देखे किस-किस का हुआ ट्रांसफर. UP Police transfered 8 DSPs.
लखनऊ : पुलिस महानिदेशक ने मंगलवार को आठ पुलिस उपाधीक्षकों का तबादला कर दिया। पुलिस उपाधीक्षक कोआपरेटिव सेल कानपुर से आदित्य प्रकाश गंगवार को इसी सेल में मुख्यालय पर तैनाती दी गयी है। लैकफेड घोटाले की जांच गंगवार कर रहे हैं।
मंगलवार को डीजीपी के पीआरओ से मिली जानकारी के मुताबिक विजय कपिल को एटा से जोनल अफसर अभिसूचना मेरठ, राज प्रकाश को कानपुर नगर से झांसी, दत्तेल सिंह गब्र्याल को पीएसी बरेली से एटा, विनोद कुमार शर्मा को एलआइयू मुरादाबाद से एलआइयू मेरठ, अनिल कुमार झा को पावर कारपोरेशन मेरठ से एलआइयू मुरादाबाद, अनिल कुमार पावर कारपोरेशन मेरठ से गौतमबुद्धनगर, मंशाराम गौतम को पीएसी गाजियाबाद से बागपत और हरी प्रकाश कसाना को मेरठ से सहारनपुर का पुलिस उपाधीक्षक बनाया गया है।
courtsy- dainik jagran.
Orissa Police: Bhubaneshwar: 1977 बैच के आईपीएस प्रकाश मिश्र है ओडिसा के पुलिस महानिदेशक. prakash mishra is the new DGP of Orissa police.
कटक- बक्सी बाजार स्थित पुलिस मुख्यालय में आज 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रकाश मिश्र ने विधिवत रूप से पुलिस महानिदेशक का दायित्व ग्रहण किया है। सर्वप्रथम डीजीपी श्री मिश्र को एक भव्य परेड में सलामी देकर अभिवादन दिया गया। इस अंवसर पर अतिरिक्त डीजीपी संजीव मारिक से राज्य के करीबन सभी आईपीएस अधिकारियों की उपस्थिति में उन्होंने डीजीपी का दायित्व लिया। इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में बढ़ रहे माओवादी व नक्सल हिंसा पर प्राथमिकता देंगे। इसके अलावा पुलिस दिन प्रतिदिन लोगों का विश्वास खोती जा रही है, उसमें सुधार लाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस के व्यवहार से लोग प्रभावित हो रहे हैं। कमिश्नरेट व्यवस्था में कुछ ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जो काफी दिनों से एक ही जगह पर सीट जमाए बैठे हैं, उनके कार्यो की समीक्षा की जाएगी और आवश्यकता होने पर फेर बदल भी हो सकता है। इसके अलावा पुलिस आधुनिकीकरण, अपराध नियंत्रण आदि पर महत्व दिया जाएगा। राज्य में कानून व्यवस्था को नियंत्रण करने के लिए श्री मिश्र ने अधिक महत्व देने का भरोसा दिलाया एवं कहा कि जल्द ही इसका प्रतिफलन लोगों को देखने को मिलेगा।
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नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक प्रकाश मिश्र ने मुख्य सचिव बिजय कुमार पटनायक से मुलाकात की। इस दौरान पुलिस महानिदेशक ने मुख्य सचिव से माओवादियों पर नियंत्रण की रणनीति पर चर्चा की।
मुख्य शासन सचिव बिजय कुमार पटनायक से मुलाकात के बाद डीजीपी प्रकाश मिश्र ने बताया कि फिलहाल माओवादियों के खिलाफ रात में ऑपरेशन चलाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव व डीजीपी में मुलाकात के दौरान राज्य की कानून व्यवस्था, औद्योगिक इलाकों में शांति, माओवादी समस्या और पुलिस आधुनिकीकरण पर विस्तार से चर्चा हुई। पुलिस महानिदेशक प्रकाश मिश्र ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि माओवादी समस्या से निपटना उनकी प्राथमिकता होगी। उन्होंने इसके लिए सभी अधिकारियों से मिल-बैठकर विचार-विमर्श के जरिए रास्ता निकालने की बात कही है। डीजीपी ने कहा कि खुफिया विभाग को मजबूत बनाया जाएगा। पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा झारखंड से संचालित होने वाली माओवादी गतिविधियों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
Gujrat Police: Ahemdabad: घाटे में गुजरात पुलिस, १९६० की जनगणना के आंकड़ों पर स्वीकृत है पुलिस बल। the existing police force of gujrat police is based on the cesus of 1960.
गुजरात में पुलिस बलों की मंजूरी की प्रक्रिया अभी भी 1960 की जनगणना के आधार पर तय किए गए मापदंडों के आधार होती है जो अब पूरी तरह पुराने पड़ चुके हैं.
इसीलिए प्रदेश सरकार इनमें संशोधन करने जा रही है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि प्रदेश सरकार अब मौजूदा जनसांख्यिकी परिदृश्य को आधार बनाकर पुलिस बलों की मंजूरी के नए मापदंड तैयार करने की कोशिश कर रही है.
राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अमिताभ पाठक ने बताया, "हमारे राज्य के गठन के समय ही पहली बार पुलिस बल की मंजूरी की योजना तैयार की गयी थी और निश्चित रूप से इसमें संशोधन की जरूरत है. इसमें कोई शक नहीं.
हम पुलिस बल की मंजूरी संबंधी मापदंडों में संशोधन की प्रक्रिया में हैं.’’
उन्होंने बताया, "हालांकि मंजूरी वाली संख्या 92, 545 में से कई पद भरे नहीं गए हैं.’’
राज्य के पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि राज्य में इस समय अनुमोदित पुलिस बल की संख्या 92, 545 है जिनमें सिविल और जिला सशस्त्र पुलिस भी शामिल है.
इसमें आगे कहा गया है, "अनुमोदित पुलिस बल की मौजूदा संख्या 1960 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है.’’
साभार- सहारा समय।
Delhi Police: दिल्ली पुलिसवालों को तोहफा, मिलेंगे १००० नए साथी, काम का बोझ होगा कम. The government has created over 1,000 additional posts in Delhi Police and converted 522 others into the posts of women constable
The government has created over 1,000 additional posts in Delhi Police and converted 522 others into the posts of women constable on the recommendation of Justice Usha Mehra Commission's report suggesting one third of the force should be reserved for females. The Commission, headed by former Delhi High Court Judge Usha Mehra, was formed by the Home Ministry to identify the lapses on the part of Delhi Police, other agencies or persons for the gangrape incident on December 16 last year.
In its report, the Commission had recommended that for better policing in the national capital, Delhi Police should have one-third of its total force of women.
"The government has issued an advisory to Delhi Police to redeploy all women personnel from other offices to police stations and while filling future vacancies, women should be encouraged to join so that their numbers in police goes upto at least 1/3rd of the total strength," the government said.
1,000 more posts created in Delhi Police, 522 reserved for women
1,000 more posts created in Delhi Police, 522 reserved for women
Delhi Police has also been provided with 370 PCR vans and all police officers have been directed to provide mobile phones to all beat constables. They have also been directed to take immediate action to apprehend the accused and provide medical assistance without going into jurisdictional issue.
The government also said they have made non-registry of FIR a criminal offence. Following the Commission's recommendation, the government has approved installation of 5,312 CCTV cameras in Delhi, out of which 2,677 have been installed at vital locations like the Supreme Court, the High court and busy market places.
courtsy- TOI.
Orissa Police: Bhubaneshwar: ओडिसा पुलिस ने किया बधाई का काम, बदलेंगे अंग्रेजों के जमाने का 'पुलिस एक्ट'. Odisha government decided to bring in a new legislation in place of the Police Act, 1861, and the Odisha State Armed Police Act, 1946.
BHUBANESWAR: With a view to doing away with archaic laws, the Odisha government on Monday decided to bring in a new legislation in place of the Police Act, 1861, and the Odisha State Armed Police Act, 1946.
At a meeting of the state cabinet, chaired by chief minister Naveen Patnaik, it was decided to repeal the two laws and have a new law to match the sea change policing has undergone during the past century, official source said.
The proposed law envisages a minimum tenure of two years from the state director-general of police, district superintendents of police and officers in charge of police stations, sources said.
Presently, police officers have no fixed tenures in office, exposing them to different kinds of pressure and also harming continuity of work.
It also proposes separate of crime detection and law and order wings through creation of a crime investigation unit and a criminal investigation organization. It further envisages setting up of a Police Establishment Board (PEB) headed by the DGP and a Police Complaints Authority (PCA) with the Lokpal as chairperson, sources said. The PCA and PEB are already in place in the state, sources added.
"The multi-dimensional service role of police today as well as their need for training and upgradation to meet challenges like organized crime, economic offences, extremism, cyber crime and smuggling necessitates an overhaul of the legal provisions," a source said.
The decision to replace the old acts was taken keeping in mind a Supreme Court order in 2006 and the Soli Sorabjee committee recommendations.
courtsy- TOI
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : सन् 1861 से यानी कि 151 साल से चले आ रहे पुलिस कानून में संशोधन कर नया कानून बनाने का निर्णय ओडिशा सरकार ने लिया है। इस संबंध में प्रस्तावित विधेयक को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी भी दे दी है।
गत सोमवार की शाम मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में कुल 15 नए प्रस्तावों को मंजूर किया गया। इसमें मुख्य रूप से ओडिशा पुलिस एक्ट 1861 एवं ओडिशा राज्य सशस्त्र पुलिस एक्ट 1946 में बदलाव कर नया पुलिस कानून बनाने का प्रस्ताव है। नए संशोधन के अनुसार राज्य के लिए एक ही पुलिस फोर्स होगी। राज्य की भौगोलिक स्थिति को आधार मानकर इन्हें विभिन्न पुलिस रेंज में विभक्त किया जाएगा। हर रेंज में एक या फिर दो पुलिस जिला होगा। प्रत्येक पुलिस जिला को सब डिवीजन में विभक्त किया जाएगा। प्रत्येक पुलिस डिवीजन में एक या उससे अधिक थाना होगा। लोगों को सही ढंग से पुलिस सेवा मुहैया कराने के लिए वर्गीकृत अपराध संचालन के लिए विशेष सेल बनाया जाएगा। डीजी पुलिस, एसपी, थाना अधिकारियों का कार्यकाल कम से कम दो साल का होगा। कानून बनने के छह महीने के अंदर राज्य सुरक्षा कानून बनाया जाएगा। अपराध जांच यूनिट अलग-अलग होगी। शहरों या फिर अधिक अपराध वाले क्षेत्र में यह यूनिट काम करेगी। पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जो आपत्ति या शिकायत आएगी उसकी सुनवाई के लिए एक पुलिस शिकायत अधिकारी का गठन किया जाएगा। लोकपाल इसके अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा गवर्मेंट सर्विस रूल 1959 में भी संशोधन किया गया है। इसमें भिन्नक्षमों को सुरक्षा व अधिकार देने के लिए कानून में व्यवस्था की गई है। नौकरी करने वाले अब ओडिशा डाउरी प्रोवीजन रूल 2000 के आधार पर सत्यपाठ दाखिल करेंगे, सत्यपाठ में भूल होने या उल्लंघन करने पर सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। भिन्नक्षमों की सुरक्षा के लिए अनुभवी या फिर वरिष्ठ सामाजिक व्यक्ति को कमिश्नर के रूप में नियोजित किया जाएगा। ओडिशा परीक्षा नियंत्रक कानून 1988 में संशोधन किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के 436 एलआर एवं टीआर पदवी बनायी जाएगी। नौकरी करने वाले दहेज नहीं ले रहे हैं, इसके लिए उन्हें अब शादी करने से पहले एफिडेविट देना होगा। ओडिशा जमीन व चकबन्दी कानून (1958) में संशोधन करने जैसे 15 प्रस्ताव पर कैबिनेट अपनी मुहर लगाई है।
UP Police: Gaziabad: छापा मारने गए डीएसपी अमित नागर पर शराब माफिया का हमला, कई घायल. DSP Amit Naagar & other policemen injured during raid, when illigal bootleggers attacked police team.
गाजियाबाद : पिलखुआ इलाके में एक अवैध शराब की दुकान पर अपने दल के साथ छापामारी करने गये पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) पर हथियारों से लैस शराब तस्करों ने हमला कर दिया.
पुलिस ने आज बताया कि कल रात हुए हमले में डीएसपी अमित नागर के सिर और हाथों में गंभीर चोटें आयी हैं. नागर के साथ गये एक आबकारी इंस्पेक्टर और तीन पुलिसकर्मी पर भी आरोपियों ने हमला किया.
अतरौली गांव में राजेंद्र सिंह के स्वामित्व वाली किराने की दुकान से अवैध शराब बिक्री होने की सूचना मिलने के बाद आबकारी इंस्पेक्टर अजय यादव, एक आबकारी कांस्टेबल सहित तीन पुलिसकमी के साथ कल रात नागर दुकान पर छापा मारने के लिए गये.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब डीएसपी अपने दल के साथ छापामारी कर रहे थे उसी समय शराब तस्करों ने अचानक उनके दल पर हमला कर दिया. आरोपी ने नागर के सिर पर छड़ी और ईंटों से हमला किया. उन लोगों ने नागर के दल पर भी छड़ी और ईंटों से हमला किया. मौके से भागने के लिए आरोपियों ने वहां पर गोलीबारी भी की.
नागर के अलावा इस हमले में आबकारी इंस्पेक्टर यादव और कांस्टेबल विपिन शर्मा घायल हो गये हैं. इस घटना के बाद पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार राघव घटनास्थल पर पहुंचे और नागर और उनके दल के सदस्यों को लेकर नजदीकी अस्पताल गये जहां पर उनका उपचार चल रहा है. जिले के चार पुलिस थाना के पुलिसकर्मियों को भारी संख्या में इलाके में तैनात कर दिया गया है.
courtsy- prabhat khabar.
Bihar Police: Patna: बिहार पुलिस सेवा के 13 अधिकारी बनेंगें IPS, लेकिन देनी होगी लिखित परीक्षा. 13 officers of bihar police service will be promoted as officers of indian police service.
पटना: बिहार पुलिस सेवा के 13 अधिकारी इस वर्ष आइपीएस बनेंगे. इनकी नियुक्ति वर्ष 2011 की प्रोन्नति से भरी जानेवाली रिक्तियों के आधार पर होगी. इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग में 23 अगस्त को बैठक होगी. राज्य सरकार ने 39 अधिकारियों के नामों का पैनल तीन माह पहले ही भेज दिया है.
गत वर्ष हुआ था 36 का चयन
प्रत्येक वर्ष प्रोन्नति कोटा से आइपीएस में नियुक्ति का प्रावधान है. वर्ष 2012 में तीन कैलेंडर वर्षो 2008, 09 व 10 के लिए 36 अधिकारियों की नियुक्ति हुई थी. 2011 के लिए गृह मंत्रलय व यूपीएससी ने 13 पद चिह्न्ति किये हैं. प्रावधान के अनुसार, एक पद के विरुद्ध तीन अधिकारियों का नाम पैनल में भेजा जाता है. इस तरह 13 पद के लिए 39 अधिकारियों के नाम भेजे गये है.
अब देनी होगी लिखित परीक्षा
केंद्र ने तय किया है कि वर्ष 2012 से राज्य सेवा कोटे से आइएएस, आइपीएस व आइएफएस में नियुक्ति लिखित परीक्षा के माध्यम से होगी. केंद्र ने यह भी तय किया था कि हर वर्ष 9-10 आइपीएस अधिकारी सीधी नियुक्ति से मिलेंगे. लेकिन, प्रत्येक वर्ष 20-25 अधिकारी सेवानिवृत्त होते हैं. इस तरह अधिकारियों की कमी लगातार बढ़ती जा रही है.
courtsy- prabhat khabar.
CBI: पढ़िए, CBI की जुबानी, इशरत जहां एनकाउंटर की पूरी कहानी. what is the ishratjaha encounter case as per CBI.
नई दिल्ली। अहमदाबाद के इशरत जहां एनकाउंटर केस के नौ साल बाद सीबीआई ने बुधवार को कहा कि ये एनकाउंटर फर्जी था। गुजरात पुलिस ने आईबी की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया था। सीबीआई ने इस मामले में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई के मुताबिक इशरत और उसके तीन साथियों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया था। हत्या से पहले उन्हें बेहोशी की दवा दी गई थी और उनके पास मिले हथियार दरअसल आईबी ने मुहैया कराए थे। 15 जून 2004 को अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच सड़क पर इस एनकाउंटर को फिल्मी अंदाज में अंजाम दिया गया। मुंबई की 19 साल की इशरत जहां रजा को तीन लोगों के साथ मारकर उनके पास हथियार रख दिए गए और कह दिया गया कि ये मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रचने वाले आतंकवादियों का एनकाउंटर था। 9 साल बाद सीबीआई ने मोदी सरकार के पुलिस अफसरों को कठघरे में खड़ा करने वाले इस सनसनीखेज केस में पहली चार्जशीट दाखिल कर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एनकाउंटर की कहानी की धज्जियां उड़ा दीं।
हिरासत में थे सभी आरोपी
सीबीआई की नजर में एनकाउंटर के दावे सरासर झूठे हैं क्योंकि मारे जाने से पहले खुद इशरत जहां, रजा, प्रणेश पिल्लई उर्फ जावेद गुलाम शेख, अमजद अली राणा और जीशान जौहर पुलिस की हिरासत में थे। सीबीआई का दावा है कि इस फर्जी एनकाउंटर को आईबी यानि खुफिया ब्यूरो और पुलिस की मिलीभगत से अंजाम दिया गया। इसके लिए बाकायदा चारों को मारने से पहले बेहोशी की दवा पिलाकर बेसुध कर दिया गया। सीबीआई के वकील शमशाद पठान ने कहा कि इशरत और जावेद को टोल बूथ से उठाया गया था। मामले की जांच अभी जारी है। अभी किसी को क्लीन चिट नहीं मिली है। अहमदाबाद के मेट्रो कोर्ट में दाखिल सीबीआई की चार्जशीट राज्य के आला पुलिस अफसरों पर संगीन इल्जाम लगाती है।
मुठभेड़ से दिन पहले पकड़ लिया था
चार्जशीट में साफ लिखा है कि इशरत जहां और जावेद को मुठभेड़ से तीन दिन पहले से ही पुलिस ने पकड़ रखा था। दोनों को आईबी और पुलिस क्राइम ब्रांच के एन के अमीन और तरुण बारोट ने वासद नाम की जगह से उठाया। दोनों को खोडीयार फॉर्म में रखा गया और दोनों से पुलिस के एडिश्नल डीजीपी और तत्कालीन क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर पी पी पांडे और आईबी के स्पेशल ज्वाइंट डायरेक्टर राजिंदर कुमार ने पूछताछ की। अमजद तो 20 दिन से पुलिस कस्टडी में था जबकि जीशान को 6 हफ्ते पहले ही उठा लिया गया था। जीशान और अमजद को किसी दूसरे फॉर्म हाउस में रखा गया और सबको एक साथ एक ही जगह पर लाकर मारा गया।
मारने के बाद तत्कालीन डीसीपी डी जी बंजारा के कहने पर सबके शव पर हथियार रखे गए।
एसीपी खुद लेकर पहुंचे थे हथियार
चार्जशीट के मुताबिक ये हथियार खुद आईबी के दफ्तर से लाए गए थे और तत्कालीन डीजीपी डीजी बंजारा के ही कहने पर तत्कालीन एसीपी जीएल सिंघल खुद 14 जून को हथियारों से भरा बैग लेकर खुफिया विभाग के दफ्तर से आए थे। सीबीआई ने 179 गवाहों से पूछताछ के आधार पर पहली चार्जशीट तैयार की है। इतना ही नहीं सीबीआई आईबी के दो अफसरों एम के सिन्हा और राजीव वानखेड़े की भूमिका की जांच कर रही है। चार्जशीट कहती है कि इशरत के साथ मारे गए तीनों लोग जरूर आतंकवादी थे लेकिन इशरत को लेकर हालात स्पष्ट नहीं हैं कि वो आतंकी थी या नहीं। इस फर्जी एनकाउंटर केस में कम से कम 7 पुलिस अफसरों की वर्दी पर दाग लगे हैं। चार्जशीट में एडीशनल डीजीपी पी पी पांडे के अलावा, तत्कालीन डीसीपी डी जी बंजारा, तत्कालीन एसीपी जी एल सिंघल, तत्कालीन एसीपी नरेंद्र अमीन, तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर तरुण बारोट, जी जी परमार और कमांडो अनाजू चौधरी के खिलाफ हत्या, अपहरण और बंधक बनाकर रखने की संगीन धाराएं लगाई गई हैं।
सुकून में हैं इशरत का परिवार
जाहिर है 9 साल से अपनी बेटी की बेगुनाही के लिए लड़ रहे इशरत जहां के परिवार वाले इस चार्जशीट से सुकून में हैं, लेकिन अंगारे बुझे नहीं हैं। आरोप मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तक उछल रहे हैं। इशरत की मां शमीमा कौसर कहती हैं कि 9 साल से मैं कहती आ रही हूं कि मेरी बेटी बेगुनाह है और आज कोर्ट ने ये साबित कर दिया। मेरी बेटी के चले जाने के बाद हमारे परिवार की सभी खुशियां चली गईं। जिसने भी उनको मारा है। उनका नाम चार्जशीट में आया है। लेकिन हम खुश नहीं हैं क्योंकि उन लोगों का भी नाम आना चाहिए जिन्होंने उसे मरवाया है। इशरत की बहन मुशर्रत कौसर कहती हैं कि हम मानते हैं कि मेरी बहन की हत्या की साजिश में नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। चार्जशीट में नरेंद्र मोदी का नाम नहीं है, न ही उनके सिपहसालार और यूपी के चुनाव प्रभारी बनाए गए अमित शाह का। ये बात दीगर है कि जांच में सफेद दाढ़ी और काली दाढ़ी का भी जिक्र कई बार किया गया लेकिन ये साबित नहीं हो सका कि सफेद औऱ काली दाढ़ी वाले इंसान हैं कौन। साबित ये भी नहीं हो सका कि आखिर सूबे के आला पुलिस अफसर किसके इशारे पर एनकाउंटर में जुटे थे। क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश थी। हालांकि, अब भी चर्चा है कि सीबीआई अगली चार्जशीट में गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह और आईबी के तत्कालीन स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार को आरोपी बना सकती है। फिलहाल, तो बीजेपी कांग्रेस पर आतंक की सियासत के इल्जाम मढ़ रही है और संघ भी राहत की सांस ले रहा है। आरएसएस विचारक एम जी वैद्य ने कहा कि कानून को अपना काम करना चाहिए। इसमें किसी मंत्री का नाम नहीं है। नेताओं की तरफ जो उंगली उठ रही थी उसे इस चार्जशीट ने झूठा करार दिया गया है। कांग्रेस ने दुष्प्रचार किया है।
courtsy- in.com hindi
UP Police: उत्तरप्रदेश में पुलिस टीम पर हमला, गोलीबारी, 6 पुलिसकर्मी घायल. mob attacked on police party during raid.
जिले के जौथना थाना क्षेत्र के भरगैन कस्बे में गौकशी के वांछित आरोपियों के छिपे होने की सूचना पर मंगलवार देर शाम पुलिस जब छापा मारने पहुंची तो पुलिस टीम पर आरोपियों के करीबी लोगों ने हमला कर दिया। उनके द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया और उनके वाहनों में तोड़फोड़ की गई। कुछ शरारती तत्वों द्वारा पुलिस पर गोलीबारी भी की गई।
हमले की सूचना पर घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल के पहुंचने के बाद स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सका। पथराव में जैथरा के थाना प्रभारी इंद्रेश भदौरिया सहित छह पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना में एक स्थानीय व्यक्ति के भी घायल होने की खबर है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय मोहन शर्मा ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि हालात फिलहाल नियंत्रण में है। घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल(पीएसी) के जवानों की तैनाती की गई है।
उन्होंने कहा कि पुलिस टीम पर हमला करने वालों की पहचान की जा रही है। उन्हें किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। सभी घायलों की हालत सामान्य है।
courtsy- In.com
Kolkatta Police: safety tips by police for foreign: कोलकाता पुलिस बनेगी 'टूरिस्ट फ्रेंडली', देगी विदेशी पर्यटकों को सेफ्टी टिप्स.
KOLKATA: Alarmed by recent incidents of molestation and assault on foreign tourists in the city and other parts of the country, Kolkata police commissioner Surajit Kar Purakayastha has alerted every police station to be extra-vigilant at tourist spots and places where foreigners stay. Asking the police force to be 'tourist-friendly', Kolkata police has also issued security tips for foreign tourists.
"Safety of foreign tourists is our major concern. Chief minister Mamata Banerjee wants the state to be 'tourist-friendly'. We, in fact, have a plan to introduce tourism police to guide and protect tourists," said tourism minister Krishnendu Narayan Chowdhury. The city police has clearly pronounced that it want the visit of each foreign tourists to this exciting city to be pleasant and safe.
On an average, 15 lakh foreign tourists come to Kolkata and rest of the state every year.
On the other hand, the state attracts 2.2 crore domestic tourists. On the other hand Mahrashtra and Tamil Nadu attracts almost the double fioreign tourists. According to tourism department officials, better promotion and over all perception of safety and security make all the difference.
The city police were particularly alarmed by the molestation of French tourists and an alleged rape of an Irish tourist recently.
The city police assured that there are adequate number police personnel are deployed across the city.
After landing at city railway stations or the airport, foreigners should take prepaid taxis only. In this system a tourist pays in advance for Taxi Fare which is already approved by the government for each destination in Kolkata. According to the advisory, adequate policemen are deputed outside the arrival hall and parking area.
"You can contact the nearest police officer to intimate about undesirable elements," it says. However, police is taking utmost care, vigilance and surveillance over these elements. Still it is felt that we can eliminate these elements effectively with passengers' active participation in the drive," the advisory says.Police officers in plainclothes are deputed to keep watch on suspicious people. "You should never entertain touts and unscrupulous persons to avoid harassment.
"Be wary of unexpected visitors at your hotel room. Never open the door to unsolicited room service. Contact the front desk if you have any doubts", the advisory adds.
It also says, "If you schedule a meeting with a potential client, research the company and the individual with whom you are meeting. Meet at a public place such as restaurant. Make sure your luggage is given to a hotel staff and a receipt is issued for stored luggage. Never leave luggage or other expensive items unattended at the airport or taxi stands. Pre-plan your sightseeing destinations in Kolkata. Never take advice from unknown persons. If any tourist faces any kind of harassmentor law and order problem in Kolkata, he or she can dial 100 or 1090 for help".
courtsy- TOI.
Tuesday, August 20, 2013
Police Festival: पुलिस न्यूज़ के सभी पाठक पुलिस मित्रों को 'रक्षाबंधन' की शुभकामनाएं। जानिए मुहूर्त.
रक्षा बंधन का पर्व एक ऐसा पर्व है, जो धर्म और वर्ग के भेद से परे भाई-बहन के स्नेह की अटूट डोर का प्रतीक है। बहन द्वारा भाई को राखी बांधने से दोनों के मध्य विश्वास और प्रेम का जो रिश्ता बनता है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। रक्षा बंधन की पर्व का सबसे खूबसूरत पहलू यही है कि यह पर्व धर्म ओर जाति के बंधनों को नहीं मानता। अपने इसी गुण के कारण आज इस पर्व की सराहना पूरी दुनिया में की जाती है। कोई भी कार्य शुभ समय में किया जाता है, तो उस कार्य की शुभता में वृ्द्धि होती है। भाई-बहन के रिश्ते को अटूट बनाने के लिये इस राखी बांधने का कार्य शुभ मुहूर्त समय में करना चाहिए।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्तः
रक्षाबंधन 20-8-2013 को सुबह 10 बजकर 30 मिनट से दिन के 1 बजकर 30 मिनट के मध्य अपने भाइयों कि कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे यह समय लाभ और अमृत की चौघड़िया का है शाम को 3 बजे से लेकर 4 बजकर 30 मिनट तक शुभ चौघडिया है। इस समय भी रक्षा सूत्र बांधे। कुछ लोग 21 अगस्त 2013 को रक्षा बंधन का पर्व मनाएंगे। उनके लिए मेरी राय है कि वे लोग बुधवार को सुबह 7 बजकर 26 मिनट के पहले सुबह भद्रा मुक्त समय में भाइयों की कलाई पर राखी बांधे। 21 तारीख की सुबह 7 बजकर 26 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। अर्थात 21 को सुबह 7 बजकर 26 के पहले त्योहार मनाये। गणेशआपा वाराणसी पंचांगानुसार, अन्य पंचांग के अनुसार विभिन्न शहरो के समय में 5 से 7 मिनट का अंतर हो सकता है। इस कारण यह समय घट और बढ़ सकता है।
अगर किसी व्यक्ति को परिस्थितिवश भद्रा-काल में ही रक्षा बंधन का कार्य करना हों, तो भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा-पुच्छ काल में रक्षा बंधन का कार्य करना शुभ रहता है। शास्त्रों के अनुसार में भद्रा के पुच्छ काल में कार्य करने से कार्यसिद्धि और विजय प्राप्त होती है। परन्तु भद्रा के पुच्छ काल समय का प्रयोग शुभ कार्यों के के लिये विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए।
ऐसे मनाया जाता है रक्षाबंधन पर्व
प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं। थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक और मिठाई होते हैं। लड़के और पुरुष स्नानादि कर पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। उन्हें रोली या हल्दी से टीका कर चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर छिड़का जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है और तब दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है। भाई बहन को उपहार या धन देता है। रक्षाबंधन का अनुष्ठान पूरा होने के बाद ही भोजन किया जाता है। यह पर्व भारतीय समाज में इतनी व्यापकता और गहराई से समाया हुआ है कि इसका सामाजिक महत्व तो है ही, धर्म, पुराण, इतिहास, साहित्य और फिल्में भी इससे अछूते नहीं हैं।
पौराणिक मान्यताओं में भद्रा सूर्य पुत्री यानी शनि की बहन है
किसी शुभ या मंगल कार्य को शुरू करने से पहले पंचांग में भद्रा या विष्टि योग भी देखा जाता है। यह तिथि के आधे भाग करण का ही एक नाम है। वहीं पौराणिक मान्यताओं में भद्रा सूर्य पुत्री यानी शनि की बहन है। जिसके क्रूर स्वभाव पर काबू पाने के लिए ब्रह्मदेव की कृपा से उसे करण में विष्टि नाम से स्थान दिया गया। इसे अशुभ घड़ी भी माना जाता है।
भद्रा योग के दौरान कार्य विशेष शुभ नहीं माने जाते। जिनमें यात्रा, कारोबार, कृषि, मांगलिक कार्य आदि प्रमुख है। वहीं तंत्र, अदालती कार्य या राजनीति सफल होती है। धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक भद्रा तीन लोकों में घूमने के दौरान जब पृथ्वी पर होती है तो इस स्थिति में अमंगल करती है। भू-लोक में होने की पहचान चंद्रमा के कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होने के द्वारा की जाती है। इसे विष्टिकरण योग भी कहा जाता है। रक्षाबंधन या होलिका दहन के वक्त इस पर विशेष रूप से गौर किया जाता है।
भद्रा 5 घड़ी मुख में, 2 घड़ी कंड में, 11 घड़ी हृदय में, 5 घड़ी नाभि में, 5 घड़ी कटि में और 3 घड़ी पुच्छ में स्थिर रहती है। जब भद्रा मुख में रहती है तब कार्य का नाश होता है। कंड में धन का नाश, हृदय में प्राण का नाश, नाभि में कहल, कटि में अर्थ-भंश होता है तथा पुच्छ में विजय तथा कार्य सिद्धि हो जाती है।
शनि की सगी बहन है भद्रा
भद्रा भगवान सूर्य का कन्या है। सूर्य की पत्नी छाया से उत्पन्न है और शनि की सगी बहन है। यह काले वर्ण, लंबे केश, बड़े-बड़े दांत तथा भयंकर रूप वाली है। सूर्य भगवान से सोचा इसका विवाह किसके साथ किया जाए। प्रचा के दु:ख को देखकर ब्रह्माजी ने भी सूर्य के पास जाकर उनकी कन्या द्वारा किये गये दुष्कर्मो को बतलाया। यह सुनकर सूर्य ने कहा आप इस विश्व के कर्ता तथा भर्ता हैं, फिर आप कहें। ब्रह्माजी ने विष्टि को बुलाकर कहा- भद्रे! बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम निवास करो और जो व्यक्ति यात्रा, प्रवेश, मांगल्य कृत्य, रेवती, व्यापार, उद्योग आदि कार्य तुम्हारे समय में करे, उन्हीं में तुम विघ्न करो। तीन दिन तक किसी प्रकार की बाधा न डालो। चौथे दिन के आधे भाग में देवता और असुर तुम्हारी पूजा करेंगे। जो तुम्हारा आदर न करे, उनका कार्य तुम ध्वस्त कर देना। इस प्रकार से भद्रा की उत्पत्ति हुई। अत: मांगलिक कार्यो में अवश्य त्याग करना चाहिए।
रक्षा बंधन से जुड़ी कहानी:
भगवान विष्णु वामन रूप धारण करके राजा बली के पास आये। उन्होने राजा बली से तीन पग भूमि माँग कर धरती ,आकाश , पाताल को दो पग में ही नाप लिया और तीसरा पग राजा बली के ऊपर रखा और राजा बली से कुछ माँगने के लिये कहा। तो राजा बली ने भगवान् विष्णु से कहा कि आप मेरे यहाँ (पाताल में ) चार मास तक पहरेदार बन कर रहोगे , ऐसा वरदान दीजिये। तब से ही भगवान् विष्णु लक्ष्मी जी को स्वर्ग में ही छोड कर वर्ष में चार मास तक पहरेदार के रूप में रहने लगे। रक्षा बंधन के दिन लक्ष्मी जी राखी लेकर पाताल में गयी। राजा बली को भाई बना कर राखी बांधी। बली ने लक्ष्मी को भेंट के रूप हीरे - मोती देने चाहे तो लक्ष्मी ने कहा कि मुझे भेंट के रूप में हीरे मोती के बजाय मेरे पति को मुझे दे दो। बली ने लक्ष्मी की बात मान कर भगवान विष्णु लौटा दिया। लक्ष्मी विष्णु को अपने साथ लेकर चली गयी।
Wednesday, August 7, 2013
Rajasthan Police: Jaiselmer: the full story of transfer of jaiselmer SP transfer: जैसलमेर के 'दबंग' 'सिंघम' एसपी पंकज चौधरी के ट्रॉन्सफर के पीछे की पूरी कहानी पढ़े.
जयपुर। उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने रेत माफिया के लिये आईएएस दुर्गा शक्ित नागपाल को सस्पेंड कर दिया। घोटालों से घिरी यूपीए सरकार की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने मौका देखकर सपा पर हमला बोल दिया, लेकिन उनकी पार्टी के शासन वाले राजस्थान में क्या हो रहा है, ये उन्हें दिखाई नहीं दिया। कांग्रेस ने तो सपा से भी दो कदम आगे निलकर एक ऐसे हिस्ट्रीशीटर के लिये आईपीएस पंकज चौधरी का तबादला कर दिया, जिस पर पाकिस्तान के साथ मिलकर घुसपैठ कराने से लेकर अनगिनत संगीन आरोप हैं। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर वोटों की फसल काटने वाली राजस्थान अशोक गहलौत सरकार न केवल दुश्मन देश से रिश्ते रखने वाले गाजी फकीर और उनके विधायक बेटे को बचा रही है बल्कि ऐसे संगीन आरोपों से घिरे लोगों के लिये एक ईमानदार आईपीएस अफसर पर गाज भी गिरा रही है।
कांग्रेसी नेता के पेट्रोल पंप से पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार
क्या कांग्रेसी नेता गाजी फकीर का परिवार संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त है? क्या गाजी फकीर का परिवार आपराधिक मामलों में शामिल रहा है? क्या गाजी फकीर के परिवार के खिलाफ पुलिस के पास सबूत हैं? जैसलमेर के एसपी पंकज चौधरी की मानें तो इन सवालों का जवाब है...हां! और इसीलिए गाजी फकीर की बंद पड़ी हिस्ट्रीशीट फिर खोली गई है। जैसलमेर के एसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि गाजी फकीर का परिवार आपराधिक मामलों में लिप्त रहा है। देश से बाहर यानी पाकिस्तान बार-बार जाना सवाल खड़े करता है। एसपी पंकज चौधरी ने ये साफ कहा कि पूरे गाजी फकीर परिवार के खिलाफ उनके पास सबूत हैं। एसपी पंकज चौधरी ने एक और खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 24 फरवरी 2012 को एक पाकिस्तानी जासूस सुमेर खान को विधायक सालेह मोहम्मद के पेट्रोल पंप से पकड़ा गया था। सालेह मोहम्मद गाजी फकीर के बेटे हैं और विधायक हैं। आरोपी पाकिस्तानी जासूस शालेह मोहम्मद के पेट्रोल पंप पर काम करता था। एसपी के मुताबिक पाकिस्तानी जासूस सुमेर खान ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की पोखरण यात्रा में वायुसेना के ऑपरेशन आयरन फिस्ट की खुफिया जानकारी पाकिस्तान को भेजी थी।
गाजी के परिवार ने जाएगा हाईकोर्ट
एसपी पंकज चौधरी के मुताबिक साल 2011 में कांग्रेसी नेता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद करने के लिए जो तर्क दिए गए थे, वो सही नहीं थे। पंकज चौधरी के मुताबिक जो आधार बताए गए थे, उनपर हिस्ट्रीशीट को बंद नहीं किया जा सकता। उन्होंने ये भी बताया कि तब एसपी ऑफिस की टिप्पणी में भी गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट को बंद न करने की बात थी लेकिन आनन-फानन में गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी गई। पंकज चौधरी कहते हैं कि 2011 में गाजी की हिस्ट्रीशीट बंद करने का कोई आधार नहीं था, फिर सरकार का आदेश भी था। मैंने देखा तो ओपन कर दी। वहीं गाजी फकीर के बेटे और पोखरण से कांग्रेस विधायक सालेह मोहम्मद अपने पिता की हिस्ट्रीशीट खोले जाने के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कह चुके हैं। अब उनका आरोप है कि विपक्षी साजिश के तहत उन्हें और उनके परिवार को बदनाम किया जा रहा है।
पाक से जुड़े हैं गाजी परिवार के तार
सूत्रों अनुसार गाजी फकीर और उनके परिवार पर पाकिस्तान के साथ साठगांठ के आरोप हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो गाजी फकीर परिवार का पाक से सटे इलाकों में पूरा रुतबा है। उन पर पाक से घुसपैठ, तस्करी समेत कई संगीन आरोप हैं। एसपी पंकज चौधरी ने भी गाजी परिवार के खिलाफ सबूत होने का दावा किया है, लेकिन वोटों की खातिर कांग्रेस सरकार आंख मूंदकर बैठी हुई है। क्या सचमुच कोई इतना गिर सकता है। पाकिस्तान सीमा से सटे जैसलमेर में रहने वाले 80 साल के गाजी फकीर पर स्मगलिंग और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप है। आरोपों के मुताबिक, गाजी फकीर पाकिस्तान से अवैध तरीके से आने वाले लोगों को संरक्षण देते हैं और उन्हें बॉर्डर पार कराने में मदद करते हैं। इसके अलावा उनपर तस्करी, अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त जैसे कई अवैध धंधों में लिप्त रहने का भी आरोप है।
हिस्ट्रीशीट खोलने के 48 घंटे के अंदर ट्रांसफर
जैसलमेर के पूर्व एसपी पंकज चौधरी के मुताबिक उन्होंने क्षेत्र के प्रभावशाली कांग्रेसी नेता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट को ओपन किया था। चौधरी ने मीडिया से कहा कि आप कह सकते हैं कि हिस्ट्रीशीट ओपन करने के 48 घंटों के अंदर ही मेरा ट्रांसफर हुआ। आप इसे जोड़ भी सकते हैं। मेरा ये मानना है कि ये सरकार का आदेश है। ये आदेश कभी भी आ सकता है। किसी भी टाइम से जोड़ने का मतलब नहीं है। माना जाता है कि गाजी फकीर के एक इशारे पर पाक से लगने वाली सीमा से सटी 12 विधानसभा सीटों का भाग्य तय होता है। राजस्थान में जल्द विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और लोकसभा चुनाव भी सिर पर हैं, ऐसे में गहलौत सरकार गाजी फकीर को नाराज करने का जोखिम कैसे ले सकती थी। ध्यान रहे कि जैसलमेर के एसपी ने पोखरण से कांग्रेसी विधायक सालेह मोहम्मद, जैसलमेर के जिला प्रमुख अबदुल्ला फकीर के पिता और बुजुर्ग कांग्रेसी नेता गाजी फकीर के खिलाफ बंद अपराधों की फाइल खोली थी। पंकज चौधरी के ट्रांसफर से एक दिन पहले ही जैसलमेर पुलिस ने विधायक सालेह मोहम्मद के खिलाफ पुलिसकर्मी के साथ मारपीट के मामले में केस दर्ज किया था।
जिसने फाइल खोली, वो गया
84 साल के गाजी फकीर और उनके परिवार का दबदबा क्षेत्र में किस कदर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब-जब किसी अफसर ने उनकी हिस्ट्रीशाट खोलनी चाही, उसका तबादला हो गया। गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट सबसे पहले जुलाई 1965 में खोली गई थी, लेकिन 1984 में गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट गायब कर दी गई। जुलाई 1990 को तत्कालीन एसपी सुधीर प्रताप सिंह ने फकीर की हिस्ट्रीशीट दोबारा खोली। इसके महज 28 दिन बाद ही उनका तबादला कर दिया गया। 21 साल बाद मई 2011 में कार्यवाहक एसपी गणपत लाल ने फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी, जबकि नियमों के मुताबिक एसपी ही किसी हिस्ट्रीशीट को बंद करने का अधिकार रखता है।
साभार- इन डाट कॉम हिन्दी.
Delhi Police: Delhi: women police over-worked,stressed: दिल्ली पुलिस की महिला पुलिसकर्मी बोली, 'साहब, काम का बोझ बहुत बढ़ गया है।'
he newly-appointed Delhi Police chief, B.S. Bassi, has put " women's safety" at the top of his agenda and the force is taking new measures to make the Capital secure for women. But when it comes to women working on the force, a different picture emerges.
The police is already struggling with a shortage of women personnel to work on cases of crimes against women, which are piling up, and those on the job are struggling to make a difference. While this is the ground reality, the Delhi Police, in a recent answer to a Parliament question on the working condition of women, painted a rosy picture of the situation.
A Parliament questionnaire was put up to the Delhi Police inquiring about the conditions in which policewomen work . The questions were about the working shifts of females, about providing them transport to go home after work at night and about the working conditions in a police station.
The answers the police gave were all positive. Some of the questions and answers that MAIL TODAY accessed read: "Are females in the department given leave on time? ... Are all the females in the department are given leave as per their requirement?...Are the working conditions in police stations good for females?... Do they have a separate room to stay at night in case of a night shift?"
The answers were: "The working condition in police stations is viable....Separate rooms for women have been made available in as many police stations as possible." On the question about transport back home at night, the police answered: "We take care of their travelling when they have a latenight shift. Generally, we try to put them in such shifts that they do not have to leave office very late."
When questioned, joint commissioner of police (HQ) Deepender Pathak told MAIL T ODAY, "Delhi Police does pay attention to the females in the department. They are given all the benefits of the job, equal to male employees." While this is what the Delhi Police claims, the reality is very different. Talking to women police personnel at various police station revealed that the women claim they are overworked and underpaid.
"I leave home every morning at 8 and cannot say when my day is going to end," said Rabiya (name changed), posted at Lajpat Nagar police station.
Rabiya struggles to satisfy all the female complainants who come to the police station. She does patrol duty near colleges with other male colleagues, returns to the police station and works on legal documents. "I could have managed all the work had the working conditions been better. We do not have a separate room if we are staying late for work .
Also, we do not get dropped home at odd hours. Everything has to be managed on our own," said Rabiya. Another policewoman, attached to a police station in South Delhi, said on condition of anonymity, "My chain was snatched in front of the police station. Despite registering a case, a senior officer of the department told me, 'I will get you a new chain, forget the incident.'"
A female inspector who served at the Kamla Market police station for a long time told MAIL TODAY, "Our job is anyways tough, and when the working conditions are not good it gets even tougher. I struggled day in and day out to manage my police station for a long time. Finally, when it took a toll on my health, I had to shift from there."
Females working in the department complain they do not get enough leave. "Those who have a child under 18 years of age can avail child- care leave for two years to raise the child. However females on the lower rungs of the department do not get such leave. Only IPS officers get this leave," a senior female inspector said on condition of anonymity.
साभार- मेल टुडे.
Rajasthan Police: Jaiselmer: जैसलमेर SP पंकज चौधरी के तबादले का विरोध, विवादास्पद गाजी फकीर की फाइल फिर खोल दी थी.
कांग्रेस विधायक शालेह मोहम्मद और जिला प्रमुख अब्दुला फकीर के पिता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट मामले में जैसलमेर से हटाए गए पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी ने सोमवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि ये पूरा परिवार ही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को लिप्त रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ समय पूर्व सरहद पर पकड़े गए आईएसआई एजेंट सुमेर खान विधायक शालेह मोहम्मद के पेट्रोल पम्प पर ही काम करता था। गाजी फकीर परिवार के पेट्रोल पम्प पर काम करने वाले व्यक्ति के बारे में पूरे परिवार को जानकारी नहीं हो ऐसा हो नहीं सकता,इस परिवार ने आईएसएस एजेंट की मदद की।
उन्होंने कहा कि वैसे भी गाजी फकीर पर तस्करी, पाक से सटी जैसलमेर की सीमा में अवैध घुसपैठ, अवैध हथियार रखने सहित राष्ट्र विरोधी हरकतों में शामिल होने के पुलिस के पास कई सबूत है। उन्होंने कहा कि 26 साल पूर्व उसकी हिस्ट्रीशीट बंद करना गलत था। जैसलमेर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि ट्रांसफर सरकार की पॉलिसी का हिस्सा है। हालांकि हिस्ट्रीशीट खोलने से जोड़ कर भी देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिस्ट्रीशीट री-ओपन नहीं करने का दबाव था, लेकिन उन्होंने नियमानुसार कार्य किया है। गौरतलब है कि गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट 31 जुलाई 1965 को खोली गई थी। तब से गाजी का नाम कोतवाली थाने के हिस्ट्रीशीटरों में दर्ज था। जैसलमेर के पूर्व एसपी अंशुमान भोमिया का तबादला 31 मई 11 को हुआ और ममता विश्नोई ने 18 मई 11 को कार्यभार ग्रहण किया। इस बीच पचास दिन तक जैसलमेर में एसपी पद खाली रहा। तब एएसपी गणपतलाल ने मामला विश्नोई के ज्वाइन करने से पांच दिन पहले 12 मई 11 को गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी जबकि आरपीआर नियम कहता है कि हिस्ट्रीशीट का फैसला सिर्फ एसपी ही कर सकता है। गाजी फकीर का पाकिस्तान सीमा पर सटे जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों में पिछले 50 साल से जबरदस्त वर्चस्व है। वे पाकिस्तान के पीर-पगारों के अनुयायी और भारत में उनके प्रतिनिधि के तौर पर कई सालों से काम कर रहे है। वे पीर-पगारों से मिलने पाकिस्तान जाते रहे है। उनका संदेश अपने समाज में प्रचारित करते है। आपराधिक रिकॉर्ड के कारण गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट 31 जुलाई, 1965 की खोली गई थी। गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद करने का आधार उनकी उम्र और आचरण को बनाया गया है। उनकी उम्र 70 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है। और काफी समय से किसी आपराधिक गतिविधियों में उनकी भूमिका सामने नहीं आई है। इधर एसपी पंकज चौधरी ने रिलीव होने से पहले विधायक शालेह मोहम्मद के खिलाफ पुलिस कार्रवाई में दखल देने, लपकों को छुड़ाने और अभद्र व्यवहार करने का मुकदमा दर्ज करवा दिया है। मामला 17 मई का है। ऑपरेशन वेलकम टीम बासनपीर के पास सैलानियों की गाड़ी का पीछा कर रहे लपकों को पकड़ने गई थी। लपके भागू का गांव फांटा के पास पेट्रोल पंप पर रुक गए। पुलिस ने इन्हें पकड़कर वाहन में बिठाना चाहा तो शालेह मोहम्मद ने पुलिसकर्मी पप्पूराम मीना को पकड़ लिया और गाली गलौच करते हुए धमकियां दी।
इधर कांग्रेस विधायक और जिला प्रमुख के पिता की हिस्ट्रीशीट खोलने के बाद हटाए गए जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी का मामला भाजपा संसद में उठाएगी। राज्य के भाजपा सांसदों को प्रदेश नेतृत्व की ओर से गाजी फकीर की 48 साल पुरानी हिस्ट्रीशीट से सम्बन्धी दस्तावेज मुहैया कराए गए है, जिससे वे अध्ययन कर सके।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राष्ट्रीय सचिव भूपेन्द्र यादव इस मामले को लेकर केन्द्रीय नेताओं के सम्पर्क में हैं। भाजपा सांसद अर्जुन मेघवाल ने बताया कि वे इस मामले को संसद में उठाएंगे, उन्होंने सोमवार को भी शून्यकाल के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया था, लेकिन सदन स्थगित होने के कारण मामला नहीं उठा सके। अन्य सांसद भी इस मामले को अलग-अलग दिन संसद में उठाएंगे। भाजपा इस मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनाव तक हवा देना चाहती है। पार्टी इस मामले को लेकर जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों में धरने-प्रदर्शन का कार्यक्रम बना रही है।
साभार- दै जागरण.
Foreign Police: German Police: जर्मन पुलिस ने बदला अपना सायरन, पढ़े इसे।
जर्मन पुलिस थोड़ी अमेरिकी होने जा रही है. जर्मनी के पांच प्रांतों में पुलिस साइरन में जाने पहचाने टाट्युटाटा के साथ अमेरिकी आवाज येल्प भी जोड़ी जा रही है. पुलिस राज्यों का मामला है, इसलिए फैसला राज्य सरकारें कर रही हैं.
जर्मनी में पुलिस. फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस का अपना अलग अलग साइरन है. इन आवाजों से समझा जा सकता है कि आपके पीछे कौन आ रहा है ताकि आप फटाफट सड़क पर उनके जाने लिए जगह बना दें. जर्मनी की सड़कों पर आने वाले दिनों में हॉलीवुड की झलक मिलेगी, जब पीछे अचानक पुलिस की गाड़ी होगी. पुलिस की गाड़ी में नीली बत्ती और मार्टिन साइरन के साथ साथ अमेरिका जैसा एक नया सिग्नल टोन शामिल किया जा रहा है.
पुलिस की तैनाती
फिलहाल इसे जर्मनी के 16 में से सिर्फ 6 प्रांतों में लागू किया जा रहा है. इसकी वजह यह है कि पुलिस के कामों से जुड़े सब लोग साइरन की अलग अलग आवाजों और पुलिस की गाड़ी के अलग अलग रंगों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. हेस्से प्रांत में दस साल से ही नई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. प्रांतीय गृह मंत्रालय के मार्क कोलबेषर कहते हैं कि पहले पुलिस को हाइवे पर किसी गाड़ी को रोकने के लिए उसके आगे जाना पड़ता था जो सुरक्षा के हिसाब से अच्छा नहीं था. समस्या पर दूसरे प्रांतों को साथ विचार किया गया, लेकिन सहमति न हो पाने के कारण हेस्से ने अकेले ही इसे लागू करने का फैसला किया.
साइरन में नया सिग्नल शामिल करने का मकसद फिल्म जैसा एक्शन का माहौल तैयार करना नहीं है, यह बात इसे लागू करने के लिए जारी अध्यदेश से भी साफ होती है. अगस्त महीने से लागू यह अध्यादेश जर्मनी भर में नए परिवर्तनों का कानूनी आधार होगा. पुलिस की गाड़ी में लगी लाल बत्ती सरकारी भाषा में रुकने का ऑप्टिकल संकेत है. उसकी रोशनी सिर्फ आगे की ओर फेंकी जा सकेगी. नए अध्यादेश के अनुसार इसके साथ एक आकुस्टिक सिग्नल जोड़ा जा सकता है, जिसे स्टॉप साइरन कहा जा रहा है. अमेरिकी साइरन से यह इस हिसाब से अलग होगा कि अमेरिका साइरन पुलिस की तैनाती का साइरन है, जबकि जर्मनी में फसके लिए नीली बत्ती और टाट्युटाटा का इस्तेमाल होता रहेगा.
अलग अलग रंग
पुलिस की गाड़ी में नए सिग्नल के साथ यह स्पष्ट किया जाएगा कि पुलिस का संकेत उनके ही लिए है. जर्मनी के उत्तरी प्रदेश श्लेसविष होलश्टाइन प्रांतीय पुलिस के प्रवक्ता लोथर गारमन कहते हैं, "नए साइरन का मतलब है, पुलिस-रुकिए." इस साइरन के लग जाने से पुलिस को किसी ड्राइवर को रोकने के लिए उसकी गाड़ी को ओवरटेक नहीं करना होगा. हेस्से का अनुभव अच्छा रहा है और यही कारण है कि दस साल बाद कुछ दूसरे प्रांत भी इसे लागू कर रहे हैं.
पुलिस की गाड़ियों को नई तकनीक से लैस करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा. इन गाड़ियों में जिस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस समय इस्तेमाल हो रहा है, उसमें नए साउंड को शामिल करने की संभावना है. गाड़ियों की छत पर लगे मोनीटर पर स्टॉप, पुलिस या प्लीज फॉलो के अलावा 430 प्रकार के अंतरराष्ट्रीय टेक्स्ट को दिखाया जा सकता है, ताकि जर्मन न जानने वाला भी पुलिस के संकेत को समझ सके. सॉफ्टवेयर में अमेरिकी येल्प को भी एक्टीवेट किया जा सकता है. रेड प्लैश लाइट नया लगाना होगा. शामिल की जाने वाली तकनीक के अनुसार खर्च आएगा प्रति गाड़ी 1000 से 3500 यूरो.
महिला पुलिसकर्मी
श्लेसविष होलश्टाइन में शुरू में हाइवे पुलिस की 20 गाड़ियों को नए साइरन से लैस किया जाएगा. बाद में प्रांत की सभी 700 पुलिस गाड़ियों में नई तकनीक लगा दी जाएगी. हेस्से प्रांत में पहले से ही नई तकनीक लागू कर दी गई है. इन दोनों प्रांतों के अलावा बाडेन वुर्टेमबर्ग, राइनलैंड पलेटिनेट, थ्युरिंजिया और बर्लिन ने नए साइरन को लागू करने का फैसला किया है, जबकि जर्मनी के सबसे बड़े प्रांत नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया ने कहा है कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. पुलिस के पास अपनी ओर ध्यान दिलाने के दूसरे साधन भी हैं. फिलहाल इसे लागू करने वाले प्रांतों के अनुभवों पर नजर रखी जा रही है.
विशेषज्ञों का ध्यान इस बात पर भी है कि देश की सड़कों पर पुलिस की गाड़ियों में अलग अलग लाइट और अलग अलग साइरन लोगों के लिए मुस्किलें पैदा कर सकते हैं. इस बीच पुलिस की वर्दियों और गाड़ियों के रंग में भी समानता नहीं रही है. पुलिस ट्रेड यूनियन का कहना है कि नागरिकों का अधिकार है कि वे देश भर में एक समान दिखने वाले पुलिसकर्मियों को देखें.
साभार- डॉयचे वेले.
Police & Cricket: cricketer Rahul Dravid says only Police fears can stop match fixing: राहुल द्रविड़ बोले, पुलिस के डंडे से ही रुकेगी मैच फिक्सिंग.
Former India cricketer Rahul Dravid says match and spot-fixing should be made criminal offences and is sure that this would be a major deterrent for cricketers contemplating making a quick buck.
The former Indian captain, who has been made a prosecution witness in allegations of spot-fixing against three of his Rajasthan Royals' teammates, feels that educating youngsters can help them keep off unscrupulous activities but adds that it may not serve the complete purpose. (Also read: Dravid says players guilty of spot-fixing have cheated selectors)
"My personal belief is that education and counseling at a junior level is really important. (However) I don't think only education can work, policing it and having the right laws and ensuring that people when they indulge in this kind of activities are actually punished," Dravid told ESPNCricinfo. "People must see that there are consequences to your actions. That will create fear for people." (Also watch: Is it time for a players' union in India)
Referring to recent action against cyclists who were accused of doping, Dravid said that effective results in the sport was achieved because of police action.
"The only people those cyclists were scared of was not the testers, not the authority, they were scared of the police. You read all the articles, the only guys they were scared of was the police and going to jail. It's got to be a criminal offence," he said.
While three of Dravid's colleagues -- S Sreesanth, Ajit Chandila and Ankeet Chavan -- are in the eye of a storm for allegedly spot-fixing in this year's Indian Premier League, the 40-year-old with an immaculate career however does not wish to pass any judgment on them.
"The case is still on and I don't want to make any judgement on whether people are guilty or not and I think everyone has a right to be innocent until he's proven guilty and I'm glad the police is going ahead and doing what needs to be done and taking it to its logical conclusion," he said.
Dravid had said that it saddens him to see cricket in bad light and that the credibility of the Indian Board should be kept intact. Known the world over for being a true gentleman and with over 24,000 runs in international cricket, 'The Wall' seems to only have the best interest of clean cricket in his mind.
पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने कहा है कि मैच या फिर स्पॉट फिक्सिंग को अपराध की श्रेणी में डाला जाना चाहिए ताकि आरोपी क्रिकेटरों के मन में पुलिस और कानून का खौफ हो।
आईपीएल की टीम राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों शांताकुमारन श्रीसंत, अजीत चंदीला तथा अंकित चव्हाण के स्पॉट फिक्सिंग में गिरफ्तारी के बाद पूछताछ का हिस्सा बने कप्तान द्रविड़ ने माना कि शुरुआती स्तर पर खिलाड़ियों को इस बाबत शिक्षित करना जरूरी है लेकिन साथ ही उनमें पुलिस और कानून का डर होना भी अनिवार्य है।
द्रविड़ ने कहा कि निजी तौर पर मेरा मानना है कि जूनियर लेवल पर खिलाड़ियों को शिक्षा दी जानी चाहिए, लेकिन यह फिक्सिंग को खत्म करने के लिए काफी नहीं होगा इसलिए जरूरी है कि इस दिशा में सही कानून और पुलिस का खौफ खिलाड़ियों को गलत कदम उठाने से पहले रोके।
खेल में फिक्सिंग और डोपिंग जैसी बुराइयो के लिए भी द्रविड़ ने सख्त कदम उठाने की बात कही। पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि कोई भी खिलाड़ी यदि प्रशासन या फिर डोप टेस्ट से नहीं डरता है तो उसके लिए कानून का रास्ता होना चाहिए। गलती करने पर उसे जेल जाना होगा। इस डर को बनाना होगा। ऐसे में जरूरी है कि इन्हें आपराधिक श्रेणी में डाला जाए।
इंटरनेशनल करियर में 24 हजार रनों का रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले 40 वर्षीय द्रविड़ ने कहा कि उनका पूरा ध्यान केवल क्रिकेट साफ करने और इस खेल की अस्मिता बचाए रखने पर ही है।
साभार- NDTV/ नईदुनिया. hindi.in.com
MP Police: Bhopal: police use smart technology: भोपाल पुलिस हुई स्मार्ट, हाथों से देख लेंगी गाड़ियों का हिसाब-किताब.
भोपाल. भोपाल पुलिस को पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (स्मार्ट फोन) दिए गए हैं। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) प्रोजेक्ट के तहत मिले स्मार्ट फोन में व्हीकल सर्चिंग एप्लीकेशन नाम का एक सॉफ्टवेयर अपलोड किया गया है, जो एमपी ट्रांसपोर्ट की ई-सेवा और क्राइम पोर्टल के सर्वर से सीधे जुड़ा रहेगा। इसकी मदद से पुलिस चौराहों पर ही गाड़ी का रिकॉर्ड देख सकेगी। इसका फायदा यह होगा कि चैकिंग के दौरान पुलिस स्मार्ट फोन की मदद से वाहन चोरी का है या नहीं, इसका भी पता लगा लेगी।
अब तक वाहन चैकिंग के दौरान पुलिस को लैपटॉप पर एमपी ट्रांसपोर्ट की ई-सेवा की मदद लेनी पड़ती थी। किसी भी वाहन की जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस उसका चैचिस नंबर और इंजन नंबर ई-सेवा पर फीड करती थी। इस परेशानी से बचने के लिए ही आईजी उपेंद्र जैन ने ‘व्हीकल सर्चिंग एप्लीकेशन’ तैयार करवाई है। यह एप्लीकेशन के इंटरनेट के माध्यम से चलेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल शहर के 500 पुलिसकर्मियों को स्मार्ट फोन दिए गए हैं। सभी में यह एप्लीकेशन डाउनलोड है।
क्या है क्राइम पोर्टल
आईजी जैन ने दो साल पहले क्राइम पोर्टल नामक एक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया था, जो इंटरनेट के माध्यम से सर्वर से जुड़ा रहता है। इसमें भोपाल जोन के सभी बदमाशों की जानकारी अपलोड की गई है। वहीं भोपाल, इंदौर और होशंगाबाद जोन से चोरी हुए सभी तरह के वाहनों की जानकारी भी इसमें फीड की जा चुकी है। भोपाल पुलिस तीन महीने से इसी सॉफ्टवेयर पर काम कर रही है।
साभार-दैभा.
HR Police: Faridabad: Police on women safety: हरियाणा पुलिस का नया प्रयोग, फरीदाबाद में महिला कमेटी देंगीं महिला सेफ्टी पर इनपुट.
इंडस्ट्रियल हब में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए पुलिस प्लानिंग तैयार करने में जुटी हुई है। इसके तहत पुलिस महिलाओं से पता करेगी लगाएगी कि वे खुद को कितना सुरक्षित महसूस करती हैं। वहीं, लोकल लेवल पर उन्हें होने वाली समस्याओं के बारे में भी जाना जाएगा। इसके लिए महिला सुरक्षा कमिटी के माध्यम से सर्वे कराए जाएंगे। इस संबंध में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने सोमवार को एक मीटिंग भी की थी।
जानकारी के मुताबिक, इस कवायद के पहले चरण में पुलिस ने सोमवार को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मीटिंग करके उनके सुझाव लिए थे। अधिकारियों ने कंपनियों में महिला सुरक्षा कमिटी का गठन करने, कार्य स्थलों पर यौन शोषण की घटनाओं को रोकने के लिए अलग सेल बनाने, महिलाओं को प्रशिक्षण देने, महिला पीसीआर की संख्या बढ़ाने के सुझाव दिए हैं।
अब इस प्लैनिंग में पुलिस महिलाओं से पता लगाएगी कि वे कहां खुद को सेफ और कहां अनसेफ महसूस करती हैं। पुलिस कमिश्नर ए. एस. चावला ने बताया कि जागरूकता के चलते महिलाओं की शिकायत पर पुलिस ने काफी मनचलों के खिलाफ कार्रवाई की है। अब लोकल लेवल पर महिलाएं खुद को कितना सेफ महसूस करती हैं, जानने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए जल्द ही सेफ सिटी फॉर विमिन ऑपरेशन शुरू किया जाएगा।
साभार- नभाटा.
Saturday, August 3, 2013
Mumbai Police: Police Health: मुंबई पुलिस के २०० जवानों, अधिकारियों का फ्री मेडिकल चेकअप.
MUMBAI: Asian Heart Institute (AHI) organized a free cardiac health check-up camp for Mumbai police at Bandra-Kurla Complex (BKC) police station last week. Over 200 policemen including police officers and male and female constables from seven police stations in zone 8 got their health check-up done in the medical camp.
"We often forget to thank people who do so much for us, as a part of their duty. This is Asian Hearts way of saying thank you," said Dr Ramakanta Panda, VC and cardio-vascular thoracic surgeon, AHI.
Doctors checked these policemen and women for blood sugar, ECG, body mass index (BMI) and other such essential tests to evaluate their vital health parameters. Police personnel were then provided with free consultation by doctors and dieticians.
The camp intends to cover over 1000 police personnel.
"All police officers work at least 14 hours a day and many of them show little concern about their health. We are delighted with this initiative taken by Asian Heart Institute providing us with a free health check-up camp. These kinds of camps help us monitor our health issues and also take positive steps in maintaining sound health," said Chandrakant Bhosle, senior police inspector, BKC police station.
courtsy- TOI.