NHB RESIDEX – RESIDENTIAL HOUSING PRICE INDEX
Quarterly Update April - June, 2011
1. Scope and Coverage of the Index
NHB RESIDEX tracks the housing prices in the select 15 cities. The latest Residex is for the quarter April-June 2011. The Residex has been constructed for 15 cities and has taken into account the price trends for residential properties in different locations and zones in each city as per classification devised for the purpose. The classification has been designed so as to give the most representative Index for each city based on the transactions in the market and data collected from various sources. The data are put through a Model that depicts the actual behaviour of the market and throws up the Index. This initiative seeks to provide a better understanding of the trends in the Residential property market and its various nuances. The trends also seek to bring greater transparency in the property market. As the Residex evolves, it is expected to bring greater uniformity and standardisation in the valuation of properties across the industry.
2. Uses of NHB RESIDEX
The Index also helps the general consumers and property buyers and borrowers in their decision-making by enabling comparisons over time and across cities and localities and the emerging trends. This information has a critical bearing on the credit evaluation by the lenders and assessment of the value (present and potential) of the security against the loan. NHB RESIDEX can be a useful indicator for estimating the value of property to be financed and also assess the adequacy of security cover on the outstanding loan. Users can also identify the potential markets for business and service at the city level. Builders and developers may also benefit from the index by assessing the demand scenario in a locality, and mapping the housing needs in different parts of the country. NHB RESIDEX may be useful to policy makers, banks, housing finance companies, builders, developers, investors and individuals.
3. Price Movement for the quarter April-June 2011
The movement in prices of residential properties has shown increasing trend in cities covered under NHB RESIDEX during the quarter April-June, 2011 in comparison to the previous quarter.
Rising Trend: Residential housing prices in 12 cities have shown rise in prices in this quarter ended June, 2011 (April-June, 2011) over the previous quarter ended March, 2011 (Jan-Mar, 2011). The cities which have shown the maximum increase are Bhopal (33.73%) and Faridabad (33.38%) followed by Kochi (24.30%), Surat (16.60%), Delhi (16.29%), Chennai (13.39%), Hyderabad (9.93%), Bengaluru (5.07%), Mumbai (3.33%), Ahmedabad (2.45%), Lucknow (2.16%), Pune (1.10%).
Declining Trend: There are 2 cities which have shown decline in prices over the previous quarter namely Kolkata (-8.21%) and Jaipur (-4.70%).
Patna has not shown any change over the previous quarter.
CITY WISE HOUSING PRICE INDEX
CITY WISE HOUSING PRICE INDEX (UPDATING UPTO QUARTER APRIL – JUNE 2011)
The Index has been constructed for 15 cities and updated upto the quarter ended June-2011. Residential housing prices in 12 cities have shown rise in prices in this quarter ended June, 2011 (Apr-Jun, 2011) over the previous quarter ended March, 2011 (Jan-Mar, 2011).
The cities which have shown the maximum increase are Bhopal (33.73%) and Faridabad (33.38%) followed by Kochi (24.30%), Surat (16.60%), Delhi (16.29%), Chennai (13.93%), Hyderabad (9.93%), Bangaluru (5.07%), Mumbai (3.33%), Ahmedabad (2.45%), Lucknow (2.16%) and Pune (1.10%).
There are 2 cities which have shown decline in prices over the previous quarter namely Kolkata (-8.21%) and Jaipur (-4.70%). Patna has not shown any change over the previous quarter.
पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Friday, September 16, 2011
Tuesday, September 13, 2011
Chhattisgarh Police: Raipur: पुलिस का आरोप, नक्सलियों को पैसे देने के मामले में आंख चुरा रहे एस्सार के अधिकारी....
नक्सलियों को सुरक्षा के एवज में रकम मुहैया कराने के मामले में जांच के घेरे में आए एस्सार समूह के शीर्ष अधिकारी छत्तीसगढ़ पुलिस का सहयोग नहीं कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि पूछताछ में बिल्कुल सहयोग नहीं मिल रहा है।
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'बयान दर्ज कराने के लिए महाप्रबंधक की आज पेशी थी, लेकिन वह नहीं आए।' गर्ग ने बताया कि अब इस बारे में एस्सार के अधिकारी को नोटिस जारी किया जा रहा है, जिसमें उन्हें जांच अधिकारी के सामने पेश होने और इस मसले पर कंपनी का रुख स्पष्टï करते हुए अपना बयान दर्ज कराने को कहा गया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि प्रतिबंधित संगठन को पैसा देने के मामले में ठेकेदार ने साफ तौर पर कंपनी का नाम लिया है। इसलिए एस्सार के अधिकारियों को इस बारे में अपना पक्ष रखना चाहिए। गर्ग का कहना है, 'एस्सार के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।'
लेकिन एस्सार के प्रवक्ता ने इस मामले में सफाई पेश की है। प्रवक्ता ने आज बताया कि महाप्रबंधक यात्रा कर रहे थे, इसलिए बयान दर्ज कराने के लिए नहीं पहुंच सके। अब वह मंगलवार को बयान दर्ज कराएंगे। प्रवक्ता ने दावा किया कि पूछताछ में कंपनी हर तरह का सहयोग कर रही है।
सुरक्षा के लिए रकम मुहैया कराए जाने का खुलासा दंतेवाड़ा में कंपनी के ठेकेदार बी के लाला की गिरफ्तारी से हो सका। उसे पुलिस ने उस वक्त धर दबोचा था, जब वह कंपनी को नुकसान नहीं पहुंचाने के एवज में नक्सलियों को 15 लाख रुपये देने जा रहा था। दंतेवाड़ा नक्सली समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में है और वहां सर्वाधिक ग्रस्त जिलों में है और वहां एस्सार समूह का लंबा चौड़ा कारोबार है। वहां किरांडुल के पास कंपनी का 80 लाख टन सालाना क्षमता वाला लौह अयस्क परिष्कार संयंत्र है। यहां से वह लौह अयस्क विशाखापत्तनम स्थित अपने ही पेलेट संयंत्र को भेजती है। यह अयस्क तरल रूप में 267 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन से भेजा जाता है। यह दुनिया की दूसरी सबसे लंबी पाइपलाइन है।
पूछताछ के दौरान लाला ने किरांडुल में भारतीय स्टेट बैंक से 15 लाख रुपये निकालकर ले जाने की बात को स्वीकार भी किया है। यह रकम लिंगाराम कोडोपी को दी जानी थी, जो नक्सलियों का समर्थक था। कोडोपी को भी पलनार से गिरफ्तार कर लिया गया। लाला के बयान के आधार पर ही पुलिस ने किरांडुल परियोजना के महाप्रबंधक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी।
केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री चरण दास महंत ने कहा है कि वह कथित रूप से एस्सार कंपनी द्वारा नक्सलियों को धन दिए जाने के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री को अवगत कराएंगे तथा मामले की जांच कराने का आग्रह करेंगे।
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'बयान दर्ज कराने के लिए महाप्रबंधक की आज पेशी थी, लेकिन वह नहीं आए।' गर्ग ने बताया कि अब इस बारे में एस्सार के अधिकारी को नोटिस जारी किया जा रहा है, जिसमें उन्हें जांच अधिकारी के सामने पेश होने और इस मसले पर कंपनी का रुख स्पष्टï करते हुए अपना बयान दर्ज कराने को कहा गया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि प्रतिबंधित संगठन को पैसा देने के मामले में ठेकेदार ने साफ तौर पर कंपनी का नाम लिया है। इसलिए एस्सार के अधिकारियों को इस बारे में अपना पक्ष रखना चाहिए। गर्ग का कहना है, 'एस्सार के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।'
लेकिन एस्सार के प्रवक्ता ने इस मामले में सफाई पेश की है। प्रवक्ता ने आज बताया कि महाप्रबंधक यात्रा कर रहे थे, इसलिए बयान दर्ज कराने के लिए नहीं पहुंच सके। अब वह मंगलवार को बयान दर्ज कराएंगे। प्रवक्ता ने दावा किया कि पूछताछ में कंपनी हर तरह का सहयोग कर रही है।
सुरक्षा के लिए रकम मुहैया कराए जाने का खुलासा दंतेवाड़ा में कंपनी के ठेकेदार बी के लाला की गिरफ्तारी से हो सका। उसे पुलिस ने उस वक्त धर दबोचा था, जब वह कंपनी को नुकसान नहीं पहुंचाने के एवज में नक्सलियों को 15 लाख रुपये देने जा रहा था। दंतेवाड़ा नक्सली समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में है और वहां सर्वाधिक ग्रस्त जिलों में है और वहां एस्सार समूह का लंबा चौड़ा कारोबार है। वहां किरांडुल के पास कंपनी का 80 लाख टन सालाना क्षमता वाला लौह अयस्क परिष्कार संयंत्र है। यहां से वह लौह अयस्क विशाखापत्तनम स्थित अपने ही पेलेट संयंत्र को भेजती है। यह अयस्क तरल रूप में 267 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन से भेजा जाता है। यह दुनिया की दूसरी सबसे लंबी पाइपलाइन है।
पूछताछ के दौरान लाला ने किरांडुल में भारतीय स्टेट बैंक से 15 लाख रुपये निकालकर ले जाने की बात को स्वीकार भी किया है। यह रकम लिंगाराम कोडोपी को दी जानी थी, जो नक्सलियों का समर्थक था। कोडोपी को भी पलनार से गिरफ्तार कर लिया गया। लाला के बयान के आधार पर ही पुलिस ने किरांडुल परियोजना के महाप्रबंधक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी।
केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री चरण दास महंत ने कहा है कि वह कथित रूप से एस्सार कंपनी द्वारा नक्सलियों को धन दिए जाने के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री को अवगत कराएंगे तथा मामले की जांच कराने का आग्रह करेंगे।
Monday, September 12, 2011
Foreign Police: France: paris: फ्रांस की दंगा पुलिस को अब भोजन के साथ एक या दो गिलास बीयर या शराब पीने की इजाज़त नहीं, आंतरिक मंत्रालय का आदेश
फ्रांस की दंगा पुलिस अब काम के दौरान खाने के साथ शराब का मज़ा नहीं ले सकेगी.
आंतरिक मंत्रालय के एक नए आदेश के मुताबिक़ दंगा पुलिस को अब अपने भोजन के साथ एक या दो गिलास बीयर या शराब पीने की इजाज़त नहीं होगी, जैसी कि पहले होती थी.
खाने के साथ अल्कोहल का सेवन करने पर रोक लगाने की इस योजना को लेकर दंगा पुलिस में बहुत नाराज़गी है.
वर्ष 2010 में दंगा पुलिस की ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं जिसमें वे एक प्रदर्शन को नियंत्रित करने के दौरान बीयर पीते नज़र आ रहे हैं. इन तस्वीरों को देखकर अधिकारी बेहद नाराज़ हुए थे.
आंतरिक मंत्रालय की इस योजना के बारे में पुलिस के एक संघ का कहना है कि अगर सार्वजनिक रूप से खाना न खाया जा रहा हो तो शराब पीने की अनुमति देने में कोई हर्ज़ नहीं.
सरकार के इस फ़ैसले पर दंगा पुलिस की नाराज़गी को स्पष्ट करते हुए फ्रेंच पुलिस यूनियन के प्रमुख दिदिएर मैंजीओन ने आंतरिक मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें ड्यूटी के दौरान दंगा पुलिस के शराब पीने के अधिकार को सही ठहराया गया है.
साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि दंगा पुलिस को सीमित मात्रा में शराब पीने की अनुमति दी जानी चाहिए.
राष्ट्रीय परंपरा
खाने के दौरान अगर कोई कर्मचारी एक गिलास शराब पी लेता है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ता है? मुझे नहीं लगता कि पुलिस प्रमुख खाने के साथ पानी पीते होंगे
दंगा पुलिस संघ के अधिकारी
क़ानून के मुताबिक ड्यूटी के दौरान फ्रांस में अल्कोहल के सेवन पर प्रतिबंध है. हालांकि वाइन, बीयर और सेब-नाशपाती का रस पिया जा सकता है.
अब तक इस क़ानून का यही अर्थ लगाया गया था कि फ्रांस के किसी भी कामकाजी के दिन में थोड़ी मात्रा में बीयर और शराब लेने में कोई हर्ज़ नहीं है.
खबरों के मुताबिक अल्कोहल को लेकर इस नरम रवैये की वजह से ऐसा माना जाता था कि दंगा पुलिस जब सार्वजनिक स्थलों पर ड्यूटी करती है तो उन्हें दिए गए पैक लंच में बीयर भी शामिल होती होगी.
लेकिन 2010 के आखिर में छात्रों के एक प्रदर्शन के दौरान दंगा पुलिस की बीयर गटकती तस्वीरें जब सामने आईं तो उसकी काफ़ी निंदा हुई. यहां तक कि पुलिस संघों ने भी इसकी जमकर आलोचना की.
अपनी चिट्ठी में दिदिएर मैंजीओन ने सलाह दी है कि दंगा पुलिस अधिकारियों को पहले की तरह ही बीयर और शराब पीने की अनुमति दी जानी चाहिए बशर्ते वे सार्वजनिक रूप से भोजन न कर रहे हों.
दंगा पुलिस के एक अन्य संघ से जुड़े पॉल ले गुएनेक का कहना है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को पहले अपने व्यवहार को देख लेना चाहिए.
उन्होंने कहा,''खाने के दौरान अगर कोई कर्मचारी एक गिलास शराब पी लेता है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ता है? मुझे नहीं लगता कि पुलिस प्रमुख खाने के साथ पानी पीते होंगे.
आंतरिक मंत्रालय के एक नए आदेश के मुताबिक़ दंगा पुलिस को अब अपने भोजन के साथ एक या दो गिलास बीयर या शराब पीने की इजाज़त नहीं होगी, जैसी कि पहले होती थी.
खाने के साथ अल्कोहल का सेवन करने पर रोक लगाने की इस योजना को लेकर दंगा पुलिस में बहुत नाराज़गी है.
वर्ष 2010 में दंगा पुलिस की ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं जिसमें वे एक प्रदर्शन को नियंत्रित करने के दौरान बीयर पीते नज़र आ रहे हैं. इन तस्वीरों को देखकर अधिकारी बेहद नाराज़ हुए थे.
आंतरिक मंत्रालय की इस योजना के बारे में पुलिस के एक संघ का कहना है कि अगर सार्वजनिक रूप से खाना न खाया जा रहा हो तो शराब पीने की अनुमति देने में कोई हर्ज़ नहीं.
सरकार के इस फ़ैसले पर दंगा पुलिस की नाराज़गी को स्पष्ट करते हुए फ्रेंच पुलिस यूनियन के प्रमुख दिदिएर मैंजीओन ने आंतरिक मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें ड्यूटी के दौरान दंगा पुलिस के शराब पीने के अधिकार को सही ठहराया गया है.
साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि दंगा पुलिस को सीमित मात्रा में शराब पीने की अनुमति दी जानी चाहिए.
राष्ट्रीय परंपरा
खाने के दौरान अगर कोई कर्मचारी एक गिलास शराब पी लेता है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ता है? मुझे नहीं लगता कि पुलिस प्रमुख खाने के साथ पानी पीते होंगे
दंगा पुलिस संघ के अधिकारी
क़ानून के मुताबिक ड्यूटी के दौरान फ्रांस में अल्कोहल के सेवन पर प्रतिबंध है. हालांकि वाइन, बीयर और सेब-नाशपाती का रस पिया जा सकता है.
अब तक इस क़ानून का यही अर्थ लगाया गया था कि फ्रांस के किसी भी कामकाजी के दिन में थोड़ी मात्रा में बीयर और शराब लेने में कोई हर्ज़ नहीं है.
खबरों के मुताबिक अल्कोहल को लेकर इस नरम रवैये की वजह से ऐसा माना जाता था कि दंगा पुलिस जब सार्वजनिक स्थलों पर ड्यूटी करती है तो उन्हें दिए गए पैक लंच में बीयर भी शामिल होती होगी.
लेकिन 2010 के आखिर में छात्रों के एक प्रदर्शन के दौरान दंगा पुलिस की बीयर गटकती तस्वीरें जब सामने आईं तो उसकी काफ़ी निंदा हुई. यहां तक कि पुलिस संघों ने भी इसकी जमकर आलोचना की.
अपनी चिट्ठी में दिदिएर मैंजीओन ने सलाह दी है कि दंगा पुलिस अधिकारियों को पहले की तरह ही बीयर और शराब पीने की अनुमति दी जानी चाहिए बशर्ते वे सार्वजनिक रूप से भोजन न कर रहे हों.
दंगा पुलिस के एक अन्य संघ से जुड़े पॉल ले गुएनेक का कहना है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को पहले अपने व्यवहार को देख लेना चाहिए.
उन्होंने कहा,''खाने के दौरान अगर कोई कर्मचारी एक गिलास शराब पी लेता है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ता है? मुझे नहीं लगता कि पुलिस प्रमुख खाने के साथ पानी पीते होंगे.
Chhattisgarh Police: Raipur: छत्तीसगढ़ के पुलिस प्रमुख हटाए गए, अटकलों का बाज़ार गरम ....
छत्तीसगढ़ सरकार नें राज्य के पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन को हटा दिया है. इस आशय की अधिसूचना गृह विभाग द्वारा मंगलवार की देर शाम जारी कर दी गई है.
1973 बेच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विश्वरंजन को गृह रक्षा वाहिनी यानि होमगार्ड का महानिदेशक बनाया गया है.इसके अलावा उन्हें पुलिस गृह निर्माण कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष का भी प्रभार दिया गया है.
विश्वरंजन की जगह 1978 बेच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अनिल नवानी को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया है.
हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव एनके असवाल नें विश्वरंजन के हटाये जाने को नियमित सरकारी फ़ैसला बताया लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि उनके हटाए जाने के पीछे कई कारण हो सकते है.
अरसे से गृह मंत्री ननकीराम कँवर के साथ विश्वरंजन का तालमेल सही नहीं बैठ पा रहा था. कई ऐसे संयोग आये जब या तो विश्वरंजन नें गृह मंत्री के निर्देशों को नहीं माना या फिर पुलिस मुख्यालय के फैसलों को गृह मंत्री नें ख़ारिज कर दिया.
हालाकि विश्वरंजन को अचानक हटाए जाने का कारण स्पष्ट नहीं है मगर उनके तबादले के साथ ही अटकलों का बाज़ार गरम हो गया है. पुलिस महकमे में इस बात को लेकर खबली मच गई है.
फ़ैसले से हैरानी
विश्वरंजन को हटाए जाने पर कई लोगों को हैरानी हुई है.
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मानते हैं कि विश्वरंजन का तबादला उनके लिए एक आश्चर्य है क्योंकि वो मुख्यमंत्री रमन सिंह के काफी करीबी बताए जाते हैं.
कहा जाता रहा है कि जब विश्वरंजन गुप्तचर विभाग में तैनात थे तो वो रमन सिंह के अनुरोध पर ही छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक का पद संभालने के लिए तैयार हुए थे.
यही वजह है कि विश्वरंजन, गृह मंत्री ननकीराम कँवर को दरकिनार कर अपने तौर पर फ़ैसले लेते थे.
पिछले महीने जब गृह मंत्री नें पांच ज़िलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया तो उसे पुलिस मुख्यालय ने ये कहते हुए निरस्त कर दिया कि गृह मंत्री को पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करने का कोई अधिकार नहीं है.
ये भी कहा जा रहा है कि आईएएस और आईपीएस लॉबी में चल रही खींचातानी भी विश्वरंजन को हटाए जाने का एक कारण है. नौकरशाही में चर्चा रही है कि 1973 बेच के विश्वरंजन सबसे वरिष्ठतम अधिकारी हैं.
तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा
छत्तीसगढ़ पुलिस नक्सली समस्या से जूझ रही है
कहते हैं कि राज्य के मुख्य सचिव 1977 बेच के हैं. यही वजह है कि विश्वरंजन पर मुख्य सचिव के कार्यालय की अनदेखी के भी आरोप लगते रहे हैं.
तबादले की ख़बर के बाद सरकारी हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गयीं हैं. अधिकारियों का एक तबका मानता है कि नक्सली मामलों को लेकर सरकार की हो रही किरकिरी भी इसके पीछे का एक बड़ा कारण है.
हालांकि कुछ पत्रकारों के संपर्क करने पर विश्वरंजन नें कहा कि अभी तक सरकारी तौर पर उन्हें उनके तबादले की सूचना नहीं दी गई है. उनका कहना था कि तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं इसलिए उन्हें इसपर कोई आश्चर्य नहीं हुआ है.
1973 बेच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विश्वरंजन को गृह रक्षा वाहिनी यानि होमगार्ड का महानिदेशक बनाया गया है.इसके अलावा उन्हें पुलिस गृह निर्माण कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष का भी प्रभार दिया गया है.
विश्वरंजन की जगह 1978 बेच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अनिल नवानी को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया है.
हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव एनके असवाल नें विश्वरंजन के हटाये जाने को नियमित सरकारी फ़ैसला बताया लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि उनके हटाए जाने के पीछे कई कारण हो सकते है.
अरसे से गृह मंत्री ननकीराम कँवर के साथ विश्वरंजन का तालमेल सही नहीं बैठ पा रहा था. कई ऐसे संयोग आये जब या तो विश्वरंजन नें गृह मंत्री के निर्देशों को नहीं माना या फिर पुलिस मुख्यालय के फैसलों को गृह मंत्री नें ख़ारिज कर दिया.
हालाकि विश्वरंजन को अचानक हटाए जाने का कारण स्पष्ट नहीं है मगर उनके तबादले के साथ ही अटकलों का बाज़ार गरम हो गया है. पुलिस महकमे में इस बात को लेकर खबली मच गई है.
फ़ैसले से हैरानी
विश्वरंजन को हटाए जाने पर कई लोगों को हैरानी हुई है.
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मानते हैं कि विश्वरंजन का तबादला उनके लिए एक आश्चर्य है क्योंकि वो मुख्यमंत्री रमन सिंह के काफी करीबी बताए जाते हैं.
कहा जाता रहा है कि जब विश्वरंजन गुप्तचर विभाग में तैनात थे तो वो रमन सिंह के अनुरोध पर ही छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक का पद संभालने के लिए तैयार हुए थे.
यही वजह है कि विश्वरंजन, गृह मंत्री ननकीराम कँवर को दरकिनार कर अपने तौर पर फ़ैसले लेते थे.
पिछले महीने जब गृह मंत्री नें पांच ज़िलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया तो उसे पुलिस मुख्यालय ने ये कहते हुए निरस्त कर दिया कि गृह मंत्री को पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करने का कोई अधिकार नहीं है.
ये भी कहा जा रहा है कि आईएएस और आईपीएस लॉबी में चल रही खींचातानी भी विश्वरंजन को हटाए जाने का एक कारण है. नौकरशाही में चर्चा रही है कि 1973 बेच के विश्वरंजन सबसे वरिष्ठतम अधिकारी हैं.
तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा
छत्तीसगढ़ पुलिस नक्सली समस्या से जूझ रही है
कहते हैं कि राज्य के मुख्य सचिव 1977 बेच के हैं. यही वजह है कि विश्वरंजन पर मुख्य सचिव के कार्यालय की अनदेखी के भी आरोप लगते रहे हैं.
तबादले की ख़बर के बाद सरकारी हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गयीं हैं. अधिकारियों का एक तबका मानता है कि नक्सली मामलों को लेकर सरकार की हो रही किरकिरी भी इसके पीछे का एक बड़ा कारण है.
हालांकि कुछ पत्रकारों के संपर्क करने पर विश्वरंजन नें कहा कि अभी तक सरकारी तौर पर उन्हें उनके तबादले की सूचना नहीं दी गई है. उनका कहना था कि तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं इसलिए उन्हें इसपर कोई आश्चर्य नहीं हुआ है.
Punjab Police: Chandigarh: इस चोर की 'डिग्री' सुन आप भी कहेंगे, यार ऐसी हरकत तो न करो...
चंडीगढ़. चंडीगढ़ पुलिस के क्राइम ब्रांच की टीम ने कैथल के निवासी 25 वर्षीय युवक जसविंदर सिंह उर्फ पिंडा को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है। व र्ष2009 में पंजाब यूनिवर्सिटी से एमएससी पास इस युवक के पास से पुलिस को चोरी के 8 बाइक बरामद हुए हैं। पुलिस ने आरोपी को शनिवार को जिला अदालत में पेश किया, यहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
दिन पहले जसविंदर को गिरफ्तार किया था। उसने पुलिस को बताया था कि वह कैथल के एक अच्छे परिवार से संबंध रखता है। लेकिन जब वह पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ आया तो उसे यहां का लाइफ स्टाइल भा गया। वह ज्यादा खर्च करने लगा। इसके बाद उसने अपना खर्च निकालने के लिए वाहनों की चोरी कर उन्हें आगे बेचने लगा। पढ़ाई के बाद वह वापस कैथल चला गया। चोरी करने के लिए वह रात को यहां आता और सेक्टर 17 स्थित बस अड्डे के रैन बसेरे पर रहता।
उसी रात या फिर तड़के इलाके में खड़े दो पहिया वाहनों को चोरी करता और उसी पर कैथल चला जाता। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर कैथल और चंडीगढ़ से 8 बाइक बरामद किए हैं। पुलिस के मुताबिक जसविंदर के पकड़े जाने से वाहन चोरी के 8 मामलों का खुलासा हुआ है। इनमें एक केस थाना-19 का जबकि 7 सेक्टर-17 थाने के हैं।
दिन पहले जसविंदर को गिरफ्तार किया था। उसने पुलिस को बताया था कि वह कैथल के एक अच्छे परिवार से संबंध रखता है। लेकिन जब वह पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ आया तो उसे यहां का लाइफ स्टाइल भा गया। वह ज्यादा खर्च करने लगा। इसके बाद उसने अपना खर्च निकालने के लिए वाहनों की चोरी कर उन्हें आगे बेचने लगा। पढ़ाई के बाद वह वापस कैथल चला गया। चोरी करने के लिए वह रात को यहां आता और सेक्टर 17 स्थित बस अड्डे के रैन बसेरे पर रहता।
उसी रात या फिर तड़के इलाके में खड़े दो पहिया वाहनों को चोरी करता और उसी पर कैथल चला जाता। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर कैथल और चंडीगढ़ से 8 बाइक बरामद किए हैं। पुलिस के मुताबिक जसविंदर के पकड़े जाने से वाहन चोरी के 8 मामलों का खुलासा हुआ है। इनमें एक केस थाना-19 का जबकि 7 सेक्टर-17 थाने के हैं।
Punjab Police: Panchkula: कल तक था पुलिसवाला, आज बना नशे का सौदागर!
पंचकूला. किस्मत और बुद्धि कैसे पलटती है, इसका प्रमाण अफीम तस्करों के गिरोह का एक सदस्य अमृतसर निवासी दिलबाग है। असल में दिलबाग पंजाब पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात था और उसकी पोस्टिंग अमृतसर में थी। वह रहता भी अमृतसर की पुलिस लाइन में ही है।
दिलबाग दो साल पहले नौकरी से रिलीव होकर विदेश गया और कुछ समय बाद जब वापस लौटा तो बजाए नौकरी पर जाने के वह नशे के कारोबार में दाखिल हो गया और बड़ा तस्कर बन गया। नशे के इस कारोबार से खूब कमाई और मौज-मस्ती की। किस्मत ने फिर पलटा खाया और अब दिलबाग जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।
मांगा 7 दिन का रिमांड, मिला 5 दिन का
शनिवार देर रात सेक्टर-9 स्थित कोठी नंबर 954 से नशे के कारोबार के आरोप में पकड़े गए सभी पांचों आरोपियों जालंधर निवासी नवजोत, लुधियाना निवासी सुरजीत, अमृतसर निवासी दिलबाग, अमृतसर निवासी सुरजीत व गुरदयाल को रविवार कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। हालांकि पुलिस ने सात दिन का रिमांड मांगा था।
रात को जहां पुलिस ने 3 किलो अफीम, एक पिस्टल, एक रिवॉल्वर व दो गाड़ियां बरामद होने की बात कही थी, वहीं बाद में हुई छानबीन में 18 कारटेज भी सामने आए। इसके अलावा पुलिस के मुताबिक गिरोह के सरगना पिंटू, सतेंद्र व सुखविंद्र को पकड़ने के लिए टीमों का गठन किया गया है, जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा।
जांच के बाद होगी कोठी मालिक पर कार्रवाई
पुलिस के मुताबिक यह कोठी एक महिला के नाम पर है और वे फिलहाल करनाल में रहती हैं। पुलिस पहले यह जांच करेगी कि कोठी मालकिन ने जिस वक्त इन युवकों को कोठी किराये पर दी थी और रेंट एग्रीमेंट बनवाया था, उस वक्त वे पंचकूला में रहती थी या नहीं? अगर यह साफ हो जाता है कि वे उस वक्त पंचकूला में ही रहती थी और इसके बावजूद उन्होंने किरायेदारों की वेरिफिकेशन नहीं कराई, तो फिर उन पर कार्रवाई होना तय है। पंचकूला के एसपी मनीष चौधरी के मुताबिक पांच दिन के रिमांड के दौरान काफी कुछ सामने आएगा।
राजस्थान की अफीम चंडीगढ़ में सप्लाई
प्राथमिक पूछताछ में पता चला है कि अफीम तस्करों का यह गिरोह राजस्थान के कोटा से अफीम लाता था और उसके बाद चंडीगढ़ में सप्लाई करता था। अफीम का रेट खरीदने वाले की जरूरत पर निर्भर करता था। पुलिस के मुताबिक जो खरीददार अफीम का ज्यादा आदि होता था, उसके लिए कीमत ज्यादा होती थी और जिसका अफीम के बगैर काम चल सकता था, उसके लिए दाम भी कम होते थे।
दिलबाग दो साल पहले नौकरी से रिलीव होकर विदेश गया और कुछ समय बाद जब वापस लौटा तो बजाए नौकरी पर जाने के वह नशे के कारोबार में दाखिल हो गया और बड़ा तस्कर बन गया। नशे के इस कारोबार से खूब कमाई और मौज-मस्ती की। किस्मत ने फिर पलटा खाया और अब दिलबाग जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।
मांगा 7 दिन का रिमांड, मिला 5 दिन का
शनिवार देर रात सेक्टर-9 स्थित कोठी नंबर 954 से नशे के कारोबार के आरोप में पकड़े गए सभी पांचों आरोपियों जालंधर निवासी नवजोत, लुधियाना निवासी सुरजीत, अमृतसर निवासी दिलबाग, अमृतसर निवासी सुरजीत व गुरदयाल को रविवार कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। हालांकि पुलिस ने सात दिन का रिमांड मांगा था।
रात को जहां पुलिस ने 3 किलो अफीम, एक पिस्टल, एक रिवॉल्वर व दो गाड़ियां बरामद होने की बात कही थी, वहीं बाद में हुई छानबीन में 18 कारटेज भी सामने आए। इसके अलावा पुलिस के मुताबिक गिरोह के सरगना पिंटू, सतेंद्र व सुखविंद्र को पकड़ने के लिए टीमों का गठन किया गया है, जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा।
जांच के बाद होगी कोठी मालिक पर कार्रवाई
पुलिस के मुताबिक यह कोठी एक महिला के नाम पर है और वे फिलहाल करनाल में रहती हैं। पुलिस पहले यह जांच करेगी कि कोठी मालकिन ने जिस वक्त इन युवकों को कोठी किराये पर दी थी और रेंट एग्रीमेंट बनवाया था, उस वक्त वे पंचकूला में रहती थी या नहीं? अगर यह साफ हो जाता है कि वे उस वक्त पंचकूला में ही रहती थी और इसके बावजूद उन्होंने किरायेदारों की वेरिफिकेशन नहीं कराई, तो फिर उन पर कार्रवाई होना तय है। पंचकूला के एसपी मनीष चौधरी के मुताबिक पांच दिन के रिमांड के दौरान काफी कुछ सामने आएगा।
राजस्थान की अफीम चंडीगढ़ में सप्लाई
प्राथमिक पूछताछ में पता चला है कि अफीम तस्करों का यह गिरोह राजस्थान के कोटा से अफीम लाता था और उसके बाद चंडीगढ़ में सप्लाई करता था। अफीम का रेट खरीदने वाले की जरूरत पर निर्भर करता था। पुलिस के मुताबिक जो खरीददार अफीम का ज्यादा आदि होता था, उसके लिए कीमत ज्यादा होती थी और जिसका अफीम के बगैर काम चल सकता था, उसके लिए दाम भी कम होते थे।
Gujrat Police: Ahmedabad: दूसरे की बीबी से संबंध का भुगता खामियाजा, पुलिस कमिश्नर ने किया कांस्टेबल को सस्पेंड..
अहमदाबाद।सरदार नगर पुलिस स्टेशन में एएसआई अरविंद उर्फ चित्ता को कुख्यात वीजू बोडी को लॉकअप से बहार निकालने और कॉन्स्टेबल हीराजी डाभी को परस्त्री से अवैध संबंध रखने के आरोप में पुलिस कमिश्नर ने सस्पेंड कर दिया।
सरदारनगर के कॉन्सटेबल हीराजी मेलाजी डाभी के एक विवाहित स्त्री से अवैध संबंध थे। यह बात उस स्त्री के पति को भी पता थी। इसके लिए महिला के पति ने हीराजी को कई बार समझाया भी लेकिन वर्दी के रौब में हीराजी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। आखिरकार पति ने हीराजी की शिकायत पुलिस कमिश्नर से कर दी। पुलिस जांच में भी यह बात सही साबित हुई और पुलिस कमिश्नर ने हीराजी को सस्पेंड कर दिया।
इसी तरह कुछ दिनों पहले गांधीरोड पर अरविंद उर्फ चित्ता ने कुख्यात वीजू बोडी को लॉकअप से बाहर निकाला था। जब एक कॉन्सटेबल ने इसका विरोध किया तो अरविंद ने उससे झगड़ा भी किया था। पुलिस जांच में यह बात भी सही पाई गई और पुलिस कमिश्नर ने अरविंद को भी सस्पेंड कर दिया।
सरदारनगर के कॉन्सटेबल हीराजी मेलाजी डाभी के एक विवाहित स्त्री से अवैध संबंध थे। यह बात उस स्त्री के पति को भी पता थी। इसके लिए महिला के पति ने हीराजी को कई बार समझाया भी लेकिन वर्दी के रौब में हीराजी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। आखिरकार पति ने हीराजी की शिकायत पुलिस कमिश्नर से कर दी। पुलिस जांच में भी यह बात सही साबित हुई और पुलिस कमिश्नर ने हीराजी को सस्पेंड कर दिया।
इसी तरह कुछ दिनों पहले गांधीरोड पर अरविंद उर्फ चित्ता ने कुख्यात वीजू बोडी को लॉकअप से बाहर निकाला था। जब एक कॉन्सटेबल ने इसका विरोध किया तो अरविंद ने उससे झगड़ा भी किया था। पुलिस जांच में यह बात भी सही पाई गई और पुलिस कमिश्नर ने अरविंद को भी सस्पेंड कर दिया।
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