छत्तीसगढ़ सरकार नें राज्य के पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन को हटा दिया है. इस आशय की अधिसूचना गृह विभाग द्वारा मंगलवार की देर शाम जारी कर दी गई है.
1973 बेच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विश्वरंजन को गृह रक्षा वाहिनी यानि होमगार्ड का महानिदेशक बनाया गया है.इसके अलावा उन्हें पुलिस गृह निर्माण कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष का भी प्रभार दिया गया है.
विश्वरंजन की जगह 1978 बेच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अनिल नवानी को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया है.
हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव एनके असवाल नें विश्वरंजन के हटाये जाने को नियमित सरकारी फ़ैसला बताया लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि उनके हटाए जाने के पीछे कई कारण हो सकते है.
अरसे से गृह मंत्री ननकीराम कँवर के साथ विश्वरंजन का तालमेल सही नहीं बैठ पा रहा था. कई ऐसे संयोग आये जब या तो विश्वरंजन नें गृह मंत्री के निर्देशों को नहीं माना या फिर पुलिस मुख्यालय के फैसलों को गृह मंत्री नें ख़ारिज कर दिया.
हालाकि विश्वरंजन को अचानक हटाए जाने का कारण स्पष्ट नहीं है मगर उनके तबादले के साथ ही अटकलों का बाज़ार गरम हो गया है. पुलिस महकमे में इस बात को लेकर खबली मच गई है.
फ़ैसले से हैरानी
विश्वरंजन को हटाए जाने पर कई लोगों को हैरानी हुई है.
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मानते हैं कि विश्वरंजन का तबादला उनके लिए एक आश्चर्य है क्योंकि वो मुख्यमंत्री रमन सिंह के काफी करीबी बताए जाते हैं.
कहा जाता रहा है कि जब विश्वरंजन गुप्तचर विभाग में तैनात थे तो वो रमन सिंह के अनुरोध पर ही छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक का पद संभालने के लिए तैयार हुए थे.
यही वजह है कि विश्वरंजन, गृह मंत्री ननकीराम कँवर को दरकिनार कर अपने तौर पर फ़ैसले लेते थे.
पिछले महीने जब गृह मंत्री नें पांच ज़िलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया तो उसे पुलिस मुख्यालय ने ये कहते हुए निरस्त कर दिया कि गृह मंत्री को पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करने का कोई अधिकार नहीं है.
ये भी कहा जा रहा है कि आईएएस और आईपीएस लॉबी में चल रही खींचातानी भी विश्वरंजन को हटाए जाने का एक कारण है. नौकरशाही में चर्चा रही है कि 1973 बेच के विश्वरंजन सबसे वरिष्ठतम अधिकारी हैं.
तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा
छत्तीसगढ़ पुलिस नक्सली समस्या से जूझ रही है
कहते हैं कि राज्य के मुख्य सचिव 1977 बेच के हैं. यही वजह है कि विश्वरंजन पर मुख्य सचिव के कार्यालय की अनदेखी के भी आरोप लगते रहे हैं.
तबादले की ख़बर के बाद सरकारी हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गयीं हैं. अधिकारियों का एक तबका मानता है कि नक्सली मामलों को लेकर सरकार की हो रही किरकिरी भी इसके पीछे का एक बड़ा कारण है.
हालांकि कुछ पत्रकारों के संपर्क करने पर विश्वरंजन नें कहा कि अभी तक सरकारी तौर पर उन्हें उनके तबादले की सूचना नहीं दी गई है. उनका कहना था कि तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं इसलिए उन्हें इसपर कोई आश्चर्य नहीं हुआ है.
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