दिल्ली पुलिस ने वृहस्पतिवार की देर रात एसीपी संजीव कुमार यादव को स्पेशल सेल में वापस बुला लिया है। यह फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय के विशेष निर्देश पर लिया गया है। गृह मंत्रालय ने हाईकोर्ट बम ब्लास्ट करने वाले आतंकवादियों का सुराग नहीं लगने से हाथ पांव फूलने के बाद अब तमाम शिथिल पडी एजेंसियों को सक्रिय करने का निर्णय लिया है। जिसकी मदद से आतंकवादियों की तलाश का काम तेज किया जा सके।
मंत्रालय ने आतंकवादियों के सफाए के लिए मशहूर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल समेत तमाम राज्यों के एंटी टेरोरिस्ट स्क्वार्ड (एटीएस) को फिर से एक्टिवेट करने का फैसला लिया है।
दिल्ली में आंतकवादी ऑपरेशन में माहिर एसीपी संजीव कुमार यादव को राजनीतिक दबाव के तहत स्पेशल सेल को शिथिल करने के क्रम में स्पेशल सेल से हटाकर दिल्ली पुलिस की सुरक्षा शाखा में तैनात कर दिया गया था। तकरीबन डेढ साल के बाद उनको वापस स्पेशल सेल के आंतकवाद निरोधक अभियान में तैनाती की गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल केंद्रीय गृह मंत्रालय और आईबी के परस्पर सहयोग से काम करती है।
संजीव कुमार यादव को लाने के साथ ही स्पेशल सेल के जाबांज अफसर एलएन राव को फिर आतंकवाद निरोधक गतिविधियों में लगाने की सुगबुगाहट है। बदले निजाम में तरक्की देकर एल एन राव को एडिशनल डीसीपी तो बना दिया गया पर उनकी विशेषज्ञता वाली आतंकवाद निरोधक गतिविधियों से हटाकर स्पेशल सेल के ही प्रशासनिक काम में लगा रखा है।
एल एन राव के अलावा डीसीपी आलोक कुमार को स्पेशल सेल में दोबारा लाने पर गंभीरता से विचार हो रहा है। तीन साल पहले तक स्पेशल सेल को आतंकवादियों के जी का जंजाल बना देने वाले अफसर आलोक कुमार फिलहाल अरूणांचल प्रदेश के एक जिला के एसएसपी के तौर पर काम कर रहे हैं। आलोक कुमार को आतंकवाद निरोधी अभियान में लगी टीम के बीच बेहतर सामन्जस्य के साथ काम करने के लिए जाना जाता है।आलोक कुमार के साथ 1996-97 से दिल्ली को आतंकवादियों से महफूज रखने में लगे वरिष्ठ अधिकारी करनैल सिंह को दिल्ली लाने की चर्चा है। करनैल सिंह फिलहाल मिजोरम के एडीजी हैं।
स्पेशल सेल के पुराने दबंग पुलिस अधिकारियों को शानदार ट्रेक रिकार्ड की वजह से वापस लाने की तैयारी हो रही है। गौरतलब है कि ज्वाईंट सीपी करनैल सिंह, डीसीपी आलोक कुमार, एसीपी संजीव कुमार यादव और शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की टीम ने 13 सितंबर 2008 को नौ बम धमाकों से दिल्ली को दहलाने वाले इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आंतकवादियों का पुख्ता पता पांच दिन में ही लगा लिया था और छठवें दिन ही जाबांज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा बाटला हाउस की तंग गलियों में इन्काउंटर के लिए जा धमके थे।
बाटला हाउस इन्काउटर के साथ घिनौनी राजनीति का सिलसिला तेज हो गया। इन्काउंटर के दौरान घायल मोहन चंद शर्मा की शहादत के साथ ही दिल्ली पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर आतंकवाद के सफाए में लगे विशेषज्ञ अफसरों की इस टीम को तितर बितर करने का सिलसिला शुरू दिया गया था। आतंकवादियों के बढे हौसले को खत्म करने के लिए सरकार पर दबाव बढता जा रहा है। इसके लिए दिल्ली पुलिस में तैनात आतंकवाद के विशेषज्ञ अफसरों को टटोला जा रहा है। तिहाड जेल के डीजी नीरज कुमार और अशोक चांद जैसे अफसरों पर भी गृह मंत्रालय में चर्चा हो रही है।
हाईकोर्ट पर रिहर्सल करके किए गए बम धमाके ने सुरक्षा विशेषज्ञों को ज्यादा ही परेशान कर रखा है। क्योंकि इससे आतंकवादियों के बढे हौसले का इजहार हो रहा है। फिर से हरकत में आई आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को चुस्त दुरुस्त करने के साथ केंद्र सरकार की आईबी के परस्पर मदद से चलने वाली तमाम राज्यों के एंटी टेरोरिस्ट एस्क्वार्ड (एटीएस) को सक्रिय होने का विशेष आदेश जारी किया है। गौरतलब है कि एटीएस और स्पेशल सेल को राजनीति की उल्टी बही धारा की वजह से शिथिल कर दिया गया था।
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