दिल्ली की सड़कों पर आपको ट्रैफिक सिग्नल दौड़ता हुआ दिखाई दे तो चौंकिएगा नहीं, यह सच है। जिस सिग्नल को आप अपने साथ दौड़ता हुए देखेंगे, हो सकता है कि आगे किसी चौराहे पर वही ट्रैफिक सिग्नल आपकी दिशा तय करे। हैवी ट्रैफिक, मगर लालबत्ती नहीं, ऐसे इलाकों में अब मोबाइल ट्रैफिक सिग्नल काम करेगा। यह सिग्नल ट्रैफिक जाम से भी थोड़ी-बहुत राहत प्रदान करेगा। इसके अलावा किसी स्थान पर स्थायी लालबत्ती लगानी है तो उससे पहले मोबाइल ट्रैफिक सिग्नल के जरिए ट्रायल होगा। बुधवार से केजी मार्ग पर मोबाइल ट्रैफिक सिग्नल बतौर ट्रायल काम करेगा।
ज्वाइंट सीपी (ट्रैफिक) सतेंद्र गर्ग ने बताया कि फिलहाल जाकिर हुसैन मार्ग पर मोबाइल ट्रैफिक सिग्नल का ट्रायल पूरा कर लिया गया है। दो सप्ताह तक लगाए गए मोबाइल ट्रैफिक सिग्नल की मदद से पता चला है कि इस मार्ग पर कहीं किसी भी तरह से ट्रैफिक बाधित नहीं हुआ। पैदल चलने वाले लोगों को भी कोई परेशानी नहीं हुई। ट्रैफिक सिग्नल का स्थान और लाल व हरी बत्ती का कितना समय रखा जाए, यह भी तय कर लिया गया है। मोबाइल ट्रैफिक सिग्नल का सबसे बड़ा फायदा यही रहता है कि स्थायी सिग्नल लगाने से पहले उसका सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव बखूबी रूप से पता चल जाता है। उस इलाके में सिग्नल की जरूरत है या नहीं, इसका अंदाजा भी पहले ही लगा लिया जाता है। गर्ग का कहना था, किसी इलाके में जब यह पहले ही पता हो, कि वहां पर फलां दिन हैवी ट्रैफिक रहेगा या लोगों की भारी भीड़ जुटेगी तो मोबाइल ट्रैफिक सिग्नल का इस्तेमाल कर जाम से थोड़ी राहत प्रदान की जा सकती है।
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