दिल्ली पुलिस के जवानों से लेकर अफसरों तक में सैकड़ों ऐसे दिखाई दे जाएंगे, जिनकी 'तोंद' निकली हुई हैं। बड़ी तोंद को अनफिट होने की निशानी माना जाता है और अपनी इस इमेज से मुक्ति पाने के लिए अब पुलिस कमर कसर रही है। ट्रैफिक पुलिस तो बाकायदा बड़ा अभियान चलाने वाली है। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है कि सिपाही से लेकर सब-इंसपेक्टर तक के पुलिसकर्मियों पर काम का दबाव इतना ज्यादा है कि एक्सरसाइज का टाइम ही नहीं मिल पाता। कुछ ऑफिसर खुद को फिट रखने के लिए वक्त जरूर निकाल लेते हैं।
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के जॉइंट कमिश्नर सत्येंद्र गर्ग का कहना है कि कुछ अनफिट दिखने वाले ट्रैफिक पुलिसवालों की पहचान भी की गई है। इन्हें पहले फिट रहने के लिए कहा जाएगा जिसमें असफल होने पर ट्रैफिक लाइन भेज दिया जाएगा। उसके बाद भी अगर अनफिट बने रहे तो ट्रैफिक पुलिस से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। इस मुद्दे पर कई सिपाही और हवलदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लगभग रोज ही उनकी 12 से 15 घंटे की ड्यूटी हो जाती है। अधिकतर पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग उसके घर से दूर के इलाकों में की गई है। ऐसे में ड्यूटी आने-जाने में ही इतना वक्त गुजर जाता है कि एक्सरसाइज या मॉर्निंग वॉक का न समय ही नहीं बचता।
यहीं नहीं किसी प्वाइंट पर ड्यूटी देने के दौरान अगर कोई पुलिसकर्मी खाना खाने भी चला गया और उसी वक्त ऑफिसर ने विजिट कर ली तो भी डांट पड़ती है। इमरजेंसी में तो कई बार 24 घंटे यह उससे भी ज्यादा ड्यूटी देनी पड़ जाती है। परिवार और खासतौर से बच्चों को भी समय नहीं दे पाते। इससे हमारा स्वभाव भी चिड़चिड़ा होता जा रहा है। कुछ पुलिस ऑफिसरों का भी कहना है कि पुलिस की नौकरी में खुद को फिट रखने के लिए जरूर कोई न कोई उपाय किए जाने चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में बहुत दिक्कतें पेश आएंगी।
वेस्ट दिल्ली के अडिशनल पुलिस कमिश्नर वी. रंगनाथन ने बताया कि अपने स्टाफ को फिट रखने के लिए वह कीर्ति नगर और राजौरी गार्डन में क्लासें लगवाते हैं। एक में फिट रहने के तरीके बताए जाते हैं तो दूसरी में एक्सरसाइज कराई जाती है। आउटर दिल्ली के डीसीपी बी. एस. जायसवाल का कहना है कि जल्द ही वह अपने डिस्ट्रिक्ट में भी पुलिसकर्मियों को फिट रखने की क्लास लगवाने जा रहे हैं। इसमें एक संस्था से टाइ-अप भी किया जा चुका है। इसमें पुलिस जवानों का मानसिक तनाव कम करने के भी तरीके बताए जाएंगे। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी संजय जैन ने बताया कि पिछले दिनों उनके जिले में मेडिटेशन और योगा की क्लास शुरू की गई थी। मगर फिर टाइट शेड्यूल होने की वजह से वह छूट गई हैं। अब इन्हें दोबारा शुरू करने पर विचार किया जा रहा है।
क्या कहते हैं पुलिस ऑफिसर
खाने - पीने का बहुत अधिक ध्यान रखता हूं। कोशिश करता हूं कि रोज सुबह करीब एक घंटे सैर कर ली जाए। हालांकि जिम जाने का टाइम नहीं मिल पाता।
- वी . रंगनाथन , अडिशनल पुलिस कमिश्नर ( वेस्ट दिल्ली )
जिम तो नहीं जाता हूं , लेकिन मॉर्निंग वॉक जरूर करता हूं। खाने - पीने का खास ध्यान रखता हूं और लंच केवल फलों का ही करता हूं। आमतौर पर लिफ्ट जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल ही करता हूं।
- राजन भगत , पीआरओ ( दिल्ली पुलिस )
फिट रहने की कोशिश करता हूं , मगर समय नहीं मिल पाता। हर वक्त मोबाइल फोन की घंटी बजने और ड्यूटी का कोई टाइम निश्चित न होने की वजह से सेहत पर ध्यान नहीं दे पाता।
- बी . एस . जायसवाल , डीसीपी ( आउटर दिल्ली )
पहले जिम भी जॉइन किया था , मगर टाइट ड्यूटी की वजह से छोड़ना पड़ा। अब कोशिश करता हूं कि सुबह या शाम वक्त मिलने पर थोड़ी वॉक कर सकूं। वैसे हमारी फिटनेस तो पेट्रोलिंग में ही हो जाती है।
- संजय जैन , डीसीपी ( नॉर्थ - ईस्ट दिल्ली )
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