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Monday, September 24, 2012
Gujrat Police: Rajkot: राजकोट में फायरिंग करने वाले पुलिस अधिकारी इन्स्पेक्टर के पी जडेजा को सस्पेंड
सुरेंद्र नगर। गुजरात के राजकोट में फायरिंग करने वाले पुलिस अधिकारी इन्स्पेक्टर के पी जडेजा को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले को शांत कराने गए मोदी सरकार के दो मंत्रियों, शिक्षा मंत्री रमण वोहरा और सोशल जस्टिस मंत्री फकीर भाई वाघेला का गुस्साई भीड़ ने घेराव किया। गौरतलब है कि कल पुलिस फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से नाराज लोग डेड बॉडी को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। लोगों की मांग थी कि उन्हें न्याय मिले।
22 सितंबर की रात तक पूरे थानगांव इलाके में मेले की चहल पहल थी लेकिन 22 सितंबर की देर रात मेले में आए इलाके के कुछ दबंगों और दलित समुदाय के लोगों की आपस में भिड़ंत हो गई। इलाके के लोगों का आरोप है कि पुलिस को हंगामें की खबर मिल गई थी लेकिन पुलिस वालों ने मौके पर पहुंचने में देरी की और तब तक ये झड़प खूनी शक्ल अख्तियार कर चुकी थी।
पुलिस का कहना है कि हालात बेकाबू होता देखकर उसे फायरिंग करनी पड़ी। इस फायरिंग में दलित समुदाय के एक छात्र पंकज की मौत हो गई लेकिन इस मौत के बाद इलाके में तनाव और बढ़ गया। रविवार दोपहर एक बार फिर से नाराज भीड़ ने पथराव शुरु कर दिया। पुलिस ने दोबारा फायरिंग शुरु की और दोबारा दलित समुदाय के ही दो लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। फायरिंग में एक ही समुदाय के तीन लोगों की मौत के बाद से इलाके में पुलिस के खिलाफ खासी नाराजगी है।
दलित समुदाय के लोगों ने ऐलान कर दिया कि जब तक फायरिंग के कसूरवार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होती वो मृतकों का दाह संस्कार नहीं करेंगे। उधर, पुलिस वालों का कहना है कि उन पर लगाए जा रहे आरोप बेमानी हैं। पहले दिन की घटना के बाद दूसरे दिन कुछ लोगों ने उकसाने वाली कार्रवाई की। शांति बहाल करने में लगे पुलिस वालों पर जानबूझ कर पथराव किए गए।
पुलिस ने पहले लाठी और आंसू गैस का सहारा लिया, लेकिन जब हालात काबू से बाहर जाते दिखे तो मजबूरी में फायरिंग करनी पड़ी। पुलिस की सफाई अपनी जगह, लेकिन इस घटना ने कई तीखे सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर वक्त रहते झड़प को दबाने की कोशिश क्यों नहीं की गई? तत्काल इलाके के अराजक तत्वों की धर-पकड़ क्यों नहीं की गई? पूरे इलाके में तनाव को पनपने का मौका क्यों दिया गया? और सबसे अहम सवाल पुलिस की गोली से एक ही समुदाय के लोग क्यों मरे?
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