रांची । मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि पुलिस के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जाएगी। इसकी प्रक्रिया तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिसकर्मियों को प्रोन्नति हेतु भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। नक्सली हिंसा में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के आश्रितों को तत्काल मुआवजा और अनुकंपा के आधार पर नौकरी दिए जाएगी। इसके लिए अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर मिलने आए झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल को यह आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष अखिलेश्वर पांडेय, महामंत्री जितेंद्र पांडेय और अन्य शामिल थे।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से कहा कि पुलिसकर्मियों के सैकड़ों पद रिक्त हैं। वर्षो से कनीय पुलिसकर्मियों को प्रोन्नति नहीं मिल रही है। मुआवजा और अनुकंपा पर नौकरी के लिए शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिजनों का सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाते-लगाते चप्पल घिस जाती है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, पुलिसकर्मियों को देय सुविधाएं भी समय नहीं नहीं मिल रही हैं। नक्सलियों से मुकाबले के दौरान उन्हें उचित सुविधा नहीं मिल पाती है।
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Saturday, April 23, 2011
France Police : पुलिस के पीने पर रोक
फ्रांस की दंगा पुलिस अब काम के दौरान खाने के साथ शराब का मज़ा नहीं ले सकेगी.
आंतरिक मंत्रालय के एक नए आदेश के मुताबिक़ दंगा पुलिस को अब अपने भोजन के साथ एक या दो गिलास बीयर या शराब पीने की इजाज़त नहीं होगी, जैसी कि पहले होती थी.
खाने के साथ अल्कोहल का सेवन करने पर रोक लगाने की इस योजना को लेकर दंगा पुलिस में बहुत नाराज़गी है.
वर्ष 2010 में दंगा पुलिस की ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं जिसमें वे एक प्रदर्शन को नियंत्रित करने के दौरान बीयर पीते नज़र आ रहे हैं. इन तस्वीरों को देखकर अधिकारी बेहद नाराज़ हुए थे.
आंतरिक मंत्रालय की इस योजना के बारे में पुलिस के एक संघ का कहना है कि अगर सार्वजनिक रूप से खाना न खाया जा रहा हो तो शराब पीने की अनुमति देने में कोई हर्ज़ नहीं.
सरकार के इस फ़ैसले पर दंगा पुलिस की नाराज़गी को स्पष्ट करते हुए फ्रेंच पुलिस यूनियन के प्रमुख दिदिएर मैंजीओन ने आंतरिक मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें ड्यूटी के दौरान दंगा पुलिस के शराब पीने के अधिकार को सही ठहराया गया है.
साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि दंगा पुलिस को सीमित मात्रा में शराब पीने की अनुमति दी जानी चाहिए.
राष्ट्रीय परंपरा
खाने के दौरान अगर कोई कर्मचारी एक गिलास शराब पी लेता है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ता है? मुझे नहीं लगता कि पुलिस प्रमुख खाने के साथ पानी पीते होंगे
दंगा पुलिस संघ के अधिकारी
क़ानून के मुताबिक ड्यूटी के दौरान फ्रांस में अल्कोहल के सेवन पर प्रतिबंध है. हालांकि वाइन, बीयर और सेब-नाशपाती का रस पिया जा सकता है.
अब तक इस क़ानून का यही अर्थ लगाया गया था कि फ्रांस के किसी भी कामकाजी के दिन में थोड़ी मात्रा में बीयर और शराब लेने में कोई हर्ज़ नहीं है.
खबरों के मुताबिक अल्कोहल को लेकर इस नरम रवैये की वजह से ऐसा माना जाता था कि दंगा पुलिस जब सार्वजनिक स्थलों पर ड्यूटी करती है तो उन्हें दिए गए पैक लंच में बीयर भी शामिल होती होगी.
लेकिन 2010 के आखिर में छात्रों के एक प्रदर्शन के दौरान दंगा पुलिस की बीयर गटकती तस्वीरें जब सामने आईं तो उसकी काफ़ी निंदा हुई. यहां तक कि पुलिस संघों ने भी इसकी जमकर आलोचना की.
अपनी चिट्ठी में दिदिएर मैंजीओन ने सलाह दी है कि दंगा पुलिस अधिकारियों को पहले की तरह ही बीयर और शराब पीने की अनुमति दी जानी चाहिए बशर्ते वे सार्वजनिक रूप से भोजन न कर रहे हों.
दंगा पुलिस के एक अन्य संघ से जुड़े पॉल ले गुएनेक का कहना है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को पहले अपने व्यवहार को देख लेना चाहिए.
उन्होंने कहा,''खाने के दौरान अगर कोई कर्मचारी एक गिलास शराब पी लेता है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ता है? मुझे नहीं लगता कि पुलिस प्रमुख खाने के साथ पानी पीते होंगे.''
आंतरिक मंत्रालय के एक नए आदेश के मुताबिक़ दंगा पुलिस को अब अपने भोजन के साथ एक या दो गिलास बीयर या शराब पीने की इजाज़त नहीं होगी, जैसी कि पहले होती थी.
खाने के साथ अल्कोहल का सेवन करने पर रोक लगाने की इस योजना को लेकर दंगा पुलिस में बहुत नाराज़गी है.
वर्ष 2010 में दंगा पुलिस की ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं जिसमें वे एक प्रदर्शन को नियंत्रित करने के दौरान बीयर पीते नज़र आ रहे हैं. इन तस्वीरों को देखकर अधिकारी बेहद नाराज़ हुए थे.
आंतरिक मंत्रालय की इस योजना के बारे में पुलिस के एक संघ का कहना है कि अगर सार्वजनिक रूप से खाना न खाया जा रहा हो तो शराब पीने की अनुमति देने में कोई हर्ज़ नहीं.
सरकार के इस फ़ैसले पर दंगा पुलिस की नाराज़गी को स्पष्ट करते हुए फ्रेंच पुलिस यूनियन के प्रमुख दिदिएर मैंजीओन ने आंतरिक मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें ड्यूटी के दौरान दंगा पुलिस के शराब पीने के अधिकार को सही ठहराया गया है.
साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि दंगा पुलिस को सीमित मात्रा में शराब पीने की अनुमति दी जानी चाहिए.
राष्ट्रीय परंपरा
खाने के दौरान अगर कोई कर्मचारी एक गिलास शराब पी लेता है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ता है? मुझे नहीं लगता कि पुलिस प्रमुख खाने के साथ पानी पीते होंगे
दंगा पुलिस संघ के अधिकारी
क़ानून के मुताबिक ड्यूटी के दौरान फ्रांस में अल्कोहल के सेवन पर प्रतिबंध है. हालांकि वाइन, बीयर और सेब-नाशपाती का रस पिया जा सकता है.
अब तक इस क़ानून का यही अर्थ लगाया गया था कि फ्रांस के किसी भी कामकाजी के दिन में थोड़ी मात्रा में बीयर और शराब लेने में कोई हर्ज़ नहीं है.
खबरों के मुताबिक अल्कोहल को लेकर इस नरम रवैये की वजह से ऐसा माना जाता था कि दंगा पुलिस जब सार्वजनिक स्थलों पर ड्यूटी करती है तो उन्हें दिए गए पैक लंच में बीयर भी शामिल होती होगी.
लेकिन 2010 के आखिर में छात्रों के एक प्रदर्शन के दौरान दंगा पुलिस की बीयर गटकती तस्वीरें जब सामने आईं तो उसकी काफ़ी निंदा हुई. यहां तक कि पुलिस संघों ने भी इसकी जमकर आलोचना की.
अपनी चिट्ठी में दिदिएर मैंजीओन ने सलाह दी है कि दंगा पुलिस अधिकारियों को पहले की तरह ही बीयर और शराब पीने की अनुमति दी जानी चाहिए बशर्ते वे सार्वजनिक रूप से भोजन न कर रहे हों.
दंगा पुलिस के एक अन्य संघ से जुड़े पॉल ले गुएनेक का कहना है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को पहले अपने व्यवहार को देख लेना चाहिए.
उन्होंने कहा,''खाने के दौरान अगर कोई कर्मचारी एक गिलास शराब पी लेता है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ता है? मुझे नहीं लगता कि पुलिस प्रमुख खाने के साथ पानी पीते होंगे.''
Gujrat Police : Modi : गुजरात दंगों के लिए मोदी जिम्मेदार: पुलिस अधिकारी
नई दिल्ली।। गुजरात के सीनियर पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में ऐफिडेविट दाखिल करके 2002 के दंगों के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे जिम्मेदार बताया है। उन्होंने दंगों की जांच कर रही एसआईटी की नीयत पर भी सवाल उठाए और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की मांग की।
गुजरात दंगों के दौरान आईपीएस अधिकारी संजीव इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में थे। उन्होंने कहा कि वह 27 फरवरी 2002 की रात मुख्यमंत्री के घर पर हुई उस मीटिंग में मौजूद थे, जिसमें पुलिस अधिकारियों से दंगों को लेकर उदासीन रहने को कहा गया था। संजीव के मुताबिक, ' नरेंद्र मोदी ने कहा कि बंद का आह्वान पहले ही किया जा चुका है और पार्टी ने इसको सपोर्ट करने का फैसला किया है। गोधरा में कार सेवकों को जलाए जाने को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मुस्लिमों को सबक सिखाया जाना चाहिए जिससे वे फिर ऐसी हरकत न करें। '
भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ऐफिडेविट में कहा कि नरेंद्र मोदी गुजरात दंगों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा है कि यह ऐफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में इसलिए दाखिल किया है क्योंकि उन्हें इस मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) पर जरा भी भरोसा नहीं है।
सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने सारी जानकारी एसआईटी को भी दी थी लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया है कि एसआईटी ने जांच करने के बजाय गुजरात सरकार को बचाने का काम किया है।
संजीव के मुताबिक, मीटिंग में मोदी ने कहा था कि हिंदुओं की भावना भड़क गई है और उनके गुस्से को बाहर निकलने दो। ऐफिडेविट में कहा गया है कि दंगे को दौरान सीनियर पुलिस अधिकारियों ने नरेंद्र मोदी के निर्देशों का आंख मूंद कर पालन किया और इसीलिए राज्य में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हुई।
गुजरात दंगों के दौरान आईपीएस अधिकारी संजीव इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में थे। उन्होंने कहा कि वह 27 फरवरी 2002 की रात मुख्यमंत्री के घर पर हुई उस मीटिंग में मौजूद थे, जिसमें पुलिस अधिकारियों से दंगों को लेकर उदासीन रहने को कहा गया था। संजीव के मुताबिक, ' नरेंद्र मोदी ने कहा कि बंद का आह्वान पहले ही किया जा चुका है और पार्टी ने इसको सपोर्ट करने का फैसला किया है। गोधरा में कार सेवकों को जलाए जाने को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मुस्लिमों को सबक सिखाया जाना चाहिए जिससे वे फिर ऐसी हरकत न करें। '
भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ऐफिडेविट में कहा कि नरेंद्र मोदी गुजरात दंगों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा है कि यह ऐफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में इसलिए दाखिल किया है क्योंकि उन्हें इस मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) पर जरा भी भरोसा नहीं है।
सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने सारी जानकारी एसआईटी को भी दी थी लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया है कि एसआईटी ने जांच करने के बजाय गुजरात सरकार को बचाने का काम किया है।
संजीव के मुताबिक, मीटिंग में मोदी ने कहा था कि हिंदुओं की भावना भड़क गई है और उनके गुस्से को बाहर निकलने दो। ऐफिडेविट में कहा गया है कि दंगे को दौरान सीनियर पुलिस अधिकारियों ने नरेंद्र मोदी के निर्देशों का आंख मूंद कर पालन किया और इसीलिए राज्य में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हुई।
Monday, April 18, 2011
Police Union : पुलिस एसोसिएशन भी अन्नागिरी की राह पर
पुलिस बहाली में सभी रिक्त पदों को प्रोन्नति के प्रतिशत में कमी कर इसे सीधी बहाली से भरने के कार्मिक विभाग द्वारा दिये गए आदेश के मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। इस मामले को लेकर पूर्व से पुलिस एसोसिएशन के केंद्रीय नेतृत्व ने चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की है। आंदोलन को झारखंड पुलिस एसोसिएशन की जमशेदपुर इकाई ने भी समर्थन दिया है। इसे लेकर एसोसिएशन की एक बैठक साकची स्थित शाखा कार्यालय में अध्यक्ष कन्हैया प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में हुई। इसमें सभी सदस्य व पदाधिकारी शामिल हुए। अध्यक्ष कन्हैया प्रसाद सिंह एवं सचिव वीरेंद्र कुमार पासवान ने कार्मिक विभाग के प्रस्ताव व उसके खिलाफ आंदोलन की रणनीति पर प्रकाश डाला।
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आंदोलन की रणनीति
19,20 व 21 अप्रैल को सदस्य काला बिल्ला लगाएंगे।
22 से 23 अप्रैल तक उपवास पर रहकर कर्तव्य का होगा निर्वाह।
28 से सदस्य सात दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
--------------
क्या है मामला
कार्मिक विभाग ने पुलिस अवर निरीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक के रिक्त पदों को 25 प्रतिशत विभागीय प्रोन्नति एवं 75 प्रतिशत सीधी बहाली से भरने का प्रस्ताव लाया है जिसका एसोसिएशन विरोध कर रही है।
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एसोसिएशन की मांग
वर्तमान में जो नियम लागू है, उसी के अनुसार रिक्त पदों को 50 प्रतिशत प्रोन्नति देकर भरा जाए। यदि इस प्रस्ताव को कार्मिक विभाग द्वारा 18 अप्रैल तक वापस नहीं लिया गया तो एसोसिएशन तीन चरणों में आंदोलन करेगी।
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आंदोलन की रणनीति
19,20 व 21 अप्रैल को सदस्य काला बिल्ला लगाएंगे।
22 से 23 अप्रैल तक उपवास पर रहकर कर्तव्य का होगा निर्वाह।
28 से सदस्य सात दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
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क्या है मामला
कार्मिक विभाग ने पुलिस अवर निरीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक के रिक्त पदों को 25 प्रतिशत विभागीय प्रोन्नति एवं 75 प्रतिशत सीधी बहाली से भरने का प्रस्ताव लाया है जिसका एसोसिएशन विरोध कर रही है।
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एसोसिएशन की मांग
वर्तमान में जो नियम लागू है, उसी के अनुसार रिक्त पदों को 50 प्रतिशत प्रोन्नति देकर भरा जाए। यदि इस प्रस्ताव को कार्मिक विभाग द्वारा 18 अप्रैल तक वापस नहीं लिया गया तो एसोसिएशन तीन चरणों में आंदोलन करेगी।
Police Union : मांगों को ले पुलिस एसोसिएशन आंदोलित
डालटनगंज : विभिन्न मांगों के समर्थन में पलामू पुलिस सहायक अवर निरीक्षक से पुलिस निरीक्षक तक काला बिल्ला लगाकर विरोध शुरू कर दिया है। यह 21 अप्रैल तक चलेगा। झारखंड पुलिस एसोसिएशन की पलामू इकाई की शनिवार को पुलिस कार्यालय में आयोजित बैठक में उक्त निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता पुलिस अवर निरीक्षक प्रदीप सिंह ने की। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि मांगें नहीं मानी गईं तो 22 व 23 अप्रैल की सुबह तक पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया जाएगा। बावजूद मांग नहीं मानी गई तो एसोसिएशन बाध्य होकर 28 अप्रैल की रात 12 बजे से पांच मई तक सभी पुलिस कर्मी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। एसोसिएशन की सरकार से मांग है कि प्रोन्नति में 75 प्रतिशत सीधी नियुक्ति व 25 प्रतिशत को रद्द करते हुए पूर्व की तरह 50 प्रतिशत सीधी नियुक्ति की जाए। साथ ही 50 प्रतिशत प्रोन्नति लागू की जाए। साथ ही एसीपी में विसंगति, राशन मनी केंद्र की तर्ज पर देने, उग्रवाद प्रभावित जिलों में भत्ता देने, रांची में नियमित अतिथिशाला उपलब्ध कराने समेत कई मांगें शामिल हैं। बैठक में शहर पुलिस निरीक्षक बीके चतुर्वेदी, सदर पुलिस निरीक्षक रामेश्वर प्रसाद, पाटन पुलिस निरीक्षक अर्जुन पासवान, अवर निरीक्षक बसंत कुमार, वीर सिंह, राजेश मंडल व जितेंद्र कुमार आजाद समेत कई पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे।
Police & Games : बीएसएफ जालंधर ने हाकी में पंजाब पुलिस को हराया
हॉक्स क्लब रोपड़ के स्टेडियम में आयोजित दशमेश ऑल इंडिया हॉकी फैडरेशन के 25वें फेस्टिवेल के फाइनल मुकाबले में बीएसएफ जालंधर ने पंजाब पुलिस जालंधर को टाइब्रेकर में 5-4 के अंतर हराकर ट्रॉफी पर कब्जा जमा लिया। रविवार को हुए रोचक मैच के १०वें मिनट में पंजाब पुलिस का खिलाड़ी सतविंदर सिंह गोल करने के मौके को भुना नहीं सका।
मैच के १५ मिनट में पंजाब पुलिस के हरदीप सिंह ने गोल करके अपनी टीम को बढ़त दिलाई। मैच के पहले हॉफ में पंजाब पुलिस की बढिय़ा डिफैंस के कारण बीएसएफ जालंधर की टीम कोई गोल नहीं कर सकी। मैच के दूसरे हॉफ में जीतने का ईरादा लेकर उतरी बीएसएफ के खिलाड़ी ने रणजीत सिंह ने ४०वें मिनट में गोल करके अपनी टीम को बराबरी ला खड़ा कर दिया। मैच के ६७ मिनट में पंजाब पुलिस के खिलाड़ी हरमीक सिंह ने पलान्टी कार्नर को गोल में तबदील करके २-१ के बढ़त बना ली। मैच के आखरी समय में बीएसएफ के स्टार खिलाड़ी रणजीत सिंह ने गोल करके मैच को बराबर कर दिया।
मैच का समय पूरा होने पर प्रबंध कमेटी ने एक्सट्रा समय दिया गया। लेकिन इस समय में दोनों टीमें किसी खिलाख कोई गोल नहीं कर सकी। ट्राईब्रेक में बीएसएफ जालंधर की टीम ने २ के मुकाबले तीन गोल करके यह मुकाबला 5-4 के अंतर से जीत लिया।
Punjab Police :लुधियाना की पुलिस और साइकिल! ना बाबा ना
लुधियाना। पुलिस मुलाजिमों की तोंद कम करने और भीड़ भाड़ वाले इलाकों में गश्त के लिए अफसरों ने मुलाजिमों को साइकिल पर गश्त करने की सलाह दी है। महकमा मुलाजिमों को यह साइकिल दे भी रहा है। लग्जरी कारों के आदी हो चुके मुलाजिमों को अफसरों का यह सुझाव पसंद नहीं आया है। मुलाजिमों ने इस सुझाव पर अफसरों को सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी है, लेकिन वह इसे मानने के मूड में भी नहीं हैं। यह भी एक वजह है कि साइकिल पिछले करीब 20 दिन से पुलिस लाइंस में खड़े हैं।
अफसरों का यह भी सुझाव है कि साइकिल चलाने से मुलाजिमों की फिटनेस बनी रहेगी। कसरत न करने और काम की अधिकता की वजह से मुलाजिमों का मोटापा भी कम हो जाएगा। यह 50 साइकिल मार्च में आयोजित साइकिल एक्सपो के दौरान उद्यमियों ने लुधियाना पुलिस को तोहफे में दिए थे।
पुलिस की योजना इन साइकिलों को निचले स्तर के मुलाजिमों को थमाने की है। पुलिस की योजना को उस दौर में लाया गया है, जब अधिकतर मुलाजिम कारों के मालिक बन चुके हैं।
डीसीपी युरिंदर सिंह हेयर के अनुसार जिन क्षेत्रों में साइकिल पर गश्त की जा सकती है, उन क्षेत्रों की पुलिस की पहचान कर ली है। यह क्षेत्र पुराने शहर के अंदरूनी इलाकों में हैं। मुलाजिम उन तंग क्षेत्रों में साइकिल पर गश्त कर सकते हैं जहां कार, मोटरसाइकिल आदि नहीं पहुंच पाते हैं।
कैसे लगेंगे साइकिल पर आरोपी को ले जाते हुए
साइकिल पर गश्त के नाम पर मुलाजिम नाक भौं सिकोड़ रहे हैं। मुलाजिमों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि भीड़ भाड़ वाले क्षेत्र में किसी घटना पर जाने के दौरान अगर साइकिल चोरी हो गया तो पुलिस की कितनी फजीहत होगी। किसी आरोपी को बैठा कर साइकिल पर पैडल चलाते पुलिस मुलाजिम उपहास का केंद्र बनेंगे। मुलाजिम यह भी मानते हैं कि साइकिल पर जाने से पुलिस का रौब भी कम हो जाएगा।
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