उदयपुर.शराब के नशे में धुत्त कांस्टेबल ने रविवार को गुलाब बाग परिसर में दो घंटे तक उत्पात मचाया। इस दौरान चिड़ियाघर के कर्मचारियों से उलझता रहा और कुछ महिला पर्यटकों से अभद्रता भी की।
सूरजपोल पुलिस ने दो घंटे बाद सिपाही वीरसिंह चौधरी को गिरफ्तार कर मेडिकल कराया। यह घटना ऐसे समय हुई जब निर्जला एकादशी को लेकर गुलाबबाग में महिलाओं की भीड़ भाड़ थी। भरतपुर निवासी वीर सिंह वर्तमान में पुलिस लाइन में रहता है। रविवार सुबह वर्दी पहने वीर सिंह (बेल्ट नंबर 1700) शराब पीकर गुलाब बाग चला आया।
यहां पर चिड़ियाघर के कर्मचारियों से उलझने लगा और जबरन अंदर घुस गया। कुछ देर बाद वापस बाहर आया और लड़खड़ाते हुए इधर उधर घूमने लगा। निर्जला एकादशी होने से गुलाब बाग में पर्यटकों की खासी भीड़ थी। इस दौरान सिपाही ने महिला पर्यटकों से छींटा कशी व अभद्रता भी की।
सिपाही की वर्दी धूल मिट्टी से गंदी हो चुकी थी। टोपी कहीं गिर गई थी। सूरजपोल थाने से पुलिए दल मौके पर पहुंचा और समझाने का प्रयास किया तो उनसे भी झगड़ने लगा। सिपाही को पुलिसकर्मी मोटर साइकिल पर बिठा कर ले गए। सिपाही को 60 पुलिस एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। एमबी अस्पताल में मेडिकल कराया गया, जिसमें शराब पीने की पुष्टि हुई है।
पहले भी कर चुका है हरकतें
बताया गया कि यह सिपाही आए दिन शराब पी कर धमाल मचाता है। गौरतलब है कि दो साल पूर्व जब वीर सिंह एफएसएल मोबाइल का ड्राइवर था। तब उसने शराब के नशे में भुवाणा के पास गाड़ी को खड्डे में उतार दिया था। इसके बाद वीरसिंह को पुलिस लाइन में भेज दिया गया था।
कर्मचारी देखते रहे
गुलाबबाग और जंतुआलय परिसर में सिपाही दो घंटे तक उत्पात मचाता रहा, लेकिन कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना तक नहीं थी। यह लापरवाही इसलिए भी गंभीर है कि निर्जला एकादशी होने के कारण रविवार को बड़ी संख्या में महिलाओं का आना जाना लगा हुआ था। वहां पहुंचे भास्कर संवाददाता ने सूरजपोल पुलिस को फोन किया। इसके बाद पहुंची पुलिस ने सिपाही को काबू किया।
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Monday, June 13, 2011
Rajasthan Police : थाने की जमीन से भी नहीं हटा अतिक्रमण
कोटा. यूआईटी और शहर पुलिस मिलकर भी अनंतपुरा में प्रस्तावित थाने की जमीन से अतिक्रमण नहीं हटा पा रही। सरकार ने बजट में यहां थाना तो खोल दिया, लेकिन मौके पर इतने अतिक्रमण है कि पुलिस को भी अपनी ‘जमीन’ पर कदम रखने से पहले ‘रोजनामचा’ खोलना पड़ेगा, क्योंकि साढ़े छह बीघा जमीन में से आधे से ज्यादा पर आशियाने बन चुके हैं।
यूआईटी ने पुलिस विभाग को केवल जमीन का आबंटन किया है, सीमांकन नहीं करवाया। नेशनल हाईवे पर यह पहला थाना होगा। इससे हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को राहत मिल सकेगी। थाने को इस साल के अंत तक शुरू होना था। राज्य सरकार ने अनंतपुरा थाने की इस वित्तीय बजट में घोषणा की थी और अप्रैल में यूआईटी तथा पुलिस को इसकी मंजूरी भी दे दी।
यूआईटी ने थाने के लिए ओम एनक्लेव के सामने अनंतपुरा नाले में करीब साढ़े छह बीघा जमीन प्रस्तावित की थी, लेकिन सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी यूआईटी जमीन की नपाई नहीं कर पाई है। शहर पुलिस की ओर से इसके लिए कई रिमाइंडर भी भेजे गए, लेकिन अभी तक इसका कोई जवाब नहीं मिला। यूआईटी से जमीन का कब्जा मिलने के बाद इसे बजट के नोटिफिकेशन के लिए पुलिस मुख्यालय भेजा जाएगा। बजट की मंजूरी मिलते ही थाने का निर्माण कार्य शुरू होगा। इस जमीन पर करीब 16 आवासीय भूखंड भी बनेंगे।
तब हुआ था जमकर विरोध: यूआईटी ने मार्च में थाने की प्रस्तावित जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की थी, लेकिन लोगों के भारी विरोध और पथराव के कारण यूआईटी दस्ते को खाली हाथ ही लौटना पड़ा। अब भी विरोध की आशंका से यूआईटी अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है।
इनका होगा भार कम: विज्ञान नगर थाने में हर वर्ष करीब 800 से 900 आपराधिक प्रकरण दर्ज होते हैं। वहीं महावीर नगर में भी 500 से 600 का क्राइम रेट है। अनंतपुरा थाना खुलने से इन दोनों थानों का भार कम हो जाएगा। इसमें अनंतपुरा, जगपुरा, रानपुर, रंगबाड़ी, सुभाषनगर, भामाशाह मंडी सहित आसपास के इलाके शामिल होंगे।
थाने की प्रस्तावित जमीन का कब्जा यूआईटी संभलाएगी। जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को भी यूआईटी को हटाना है। उसमंे पुलिस का पूरा सहयोग रहेगा। - प्रफुल्ल कुमार, एसपी सिटी
थाने की जमीन का आवंटन कर दिया गया है। जल्द ही सीमांकन कर दिया जाएगा। अतिक्रमण भी हटाए जाएंगे। उसके बाद शहर पुलिस को जमीन सौंपी जाएगी। - आनंदीलाल वैष्णव, डिप्टी सचिव, यूआईटी
यूआईटी ने पुलिस विभाग को केवल जमीन का आबंटन किया है, सीमांकन नहीं करवाया। नेशनल हाईवे पर यह पहला थाना होगा। इससे हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को राहत मिल सकेगी। थाने को इस साल के अंत तक शुरू होना था। राज्य सरकार ने अनंतपुरा थाने की इस वित्तीय बजट में घोषणा की थी और अप्रैल में यूआईटी तथा पुलिस को इसकी मंजूरी भी दे दी।
यूआईटी ने थाने के लिए ओम एनक्लेव के सामने अनंतपुरा नाले में करीब साढ़े छह बीघा जमीन प्रस्तावित की थी, लेकिन सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी यूआईटी जमीन की नपाई नहीं कर पाई है। शहर पुलिस की ओर से इसके लिए कई रिमाइंडर भी भेजे गए, लेकिन अभी तक इसका कोई जवाब नहीं मिला। यूआईटी से जमीन का कब्जा मिलने के बाद इसे बजट के नोटिफिकेशन के लिए पुलिस मुख्यालय भेजा जाएगा। बजट की मंजूरी मिलते ही थाने का निर्माण कार्य शुरू होगा। इस जमीन पर करीब 16 आवासीय भूखंड भी बनेंगे।
तब हुआ था जमकर विरोध: यूआईटी ने मार्च में थाने की प्रस्तावित जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की थी, लेकिन लोगों के भारी विरोध और पथराव के कारण यूआईटी दस्ते को खाली हाथ ही लौटना पड़ा। अब भी विरोध की आशंका से यूआईटी अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है।
इनका होगा भार कम: विज्ञान नगर थाने में हर वर्ष करीब 800 से 900 आपराधिक प्रकरण दर्ज होते हैं। वहीं महावीर नगर में भी 500 से 600 का क्राइम रेट है। अनंतपुरा थाना खुलने से इन दोनों थानों का भार कम हो जाएगा। इसमें अनंतपुरा, जगपुरा, रानपुर, रंगबाड़ी, सुभाषनगर, भामाशाह मंडी सहित आसपास के इलाके शामिल होंगे।
थाने की प्रस्तावित जमीन का कब्जा यूआईटी संभलाएगी। जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को भी यूआईटी को हटाना है। उसमंे पुलिस का पूरा सहयोग रहेगा। - प्रफुल्ल कुमार, एसपी सिटी
थाने की जमीन का आवंटन कर दिया गया है। जल्द ही सीमांकन कर दिया जाएगा। अतिक्रमण भी हटाए जाएंगे। उसके बाद शहर पुलिस को जमीन सौंपी जाएगी। - आनंदीलाल वैष्णव, डिप्टी सचिव, यूआईटी
Rajasthan Police : हेड कांस्टेबल की पत्नी ने आत्मदाह किया
उदयपुर.जिले के पहाड़ा थानांतर्गत राणी गांव में गृह क्लेश के चलते केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के हेड कांस्टेबल की पत्नी ने केरोसिन उड़ेल कर आत्मदाह कर लिया। उपचार के समय हिम्मतनगर के अस्पताल में महिला की मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार राणी निवासी इंदु (35) पत्नी रणछोड़ मीणा ने आत्मदाह कर लिया। इंदु का विवाह 15 साल पहले रणछोड़ से हुआ था। इनके तीन संतान हैं। इनमें बड़ी बेटी 12 वीं कक्षा में है। इंदु का पति जम्मू, उधमपुर सीआईएसएफ में हेड कांस्टेबल है। बताया गया कि रणछोड़ पिछले दिनों ही उधमपुर से गांव आया था।
घटना के समय घर में पति व तीन बच्चे थे। शुक्रवार तड़के इंदु ने मकान में खुद पर केरोसीन डालकर आत्मदाह कर लिया। परिजनों ने पानी डालकर आग बुझाई। गंभीर रूप से झुलसी इंदु ने हिम्मत नगर अस्पताल में उपचार के समय दम तोड़ दिया।
पुलिस के अनुसार राणी निवासी इंदु (35) पत्नी रणछोड़ मीणा ने आत्मदाह कर लिया। इंदु का विवाह 15 साल पहले रणछोड़ से हुआ था। इनके तीन संतान हैं। इनमें बड़ी बेटी 12 वीं कक्षा में है। इंदु का पति जम्मू, उधमपुर सीआईएसएफ में हेड कांस्टेबल है। बताया गया कि रणछोड़ पिछले दिनों ही उधमपुर से गांव आया था।
घटना के समय घर में पति व तीन बच्चे थे। शुक्रवार तड़के इंदु ने मकान में खुद पर केरोसीन डालकर आत्मदाह कर लिया। परिजनों ने पानी डालकर आग बुझाई। गंभीर रूप से झुलसी इंदु ने हिम्मत नगर अस्पताल में उपचार के समय दम तोड़ दिया।
Rajasthan Police : रोज 25 हजार वसूलकर देता था एसआई को
जयपुर. आरटीओ कार्यालय में तैनात एसआई आलम खां के लिए निजी गार्ड हर रोज औसतन 25 हजार रुपए से अधिक की वसूली करता था। इसके लिए आलम खां ने 30 निजी गार्ड लगा रखे थे, जो बारी-बारी से उसके साथ रहते थे।
गार्ड ने एसीबी के अधिकारियों के सामने शनिवार को खुलासा किया कि आलम खां इसके लिए बाकायदा लिस्ट देता था, जिसके आधार पर वह बजरी, पत्थर और मिट्टी से भरी गाड़ियों से पांच सौ रुपए तथा मार्बल, नमक व अन्य गाड़ियों से हजार रुपए प्रति चक्कर वसूलता था। एसीबी की टीम ने फरार आरटीओ एसआई आलम खां की तलाश में दूसरे दिन भी उसके घर, कार्यालय व संदिग्ध ठिकानों पर छापे मारे, लेकिन पता नहीं चल सका।
उसका मोबाइल भी बंद आ रहा है। उप निरीक्षक के लिए रुपए वसूल रहे गार्ड मोती को पूछताछ के बाद शनिवार को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। एसीबी जांच में सामने आया कि शुक्रवार तक आरटीओ कार्यालय में तैनात आलम खां को इंस्पेक्टर बता रहे थे, वह सब इंस्पेक्टर है। गौरतलब है कि एसीबी की टीम ने आरटीओ कार्यालय में तैनात एसआई आलम खां के लिए उसके गार्ड मोती को 12 हजार रुपए की रिश्वतत लेते शुक्रवार को गिरफ्तार किया था।
इसके बाद से ही आरोपी आलम खां फरार हो गया था। गार्ड मोती ने एसीबी को बताया कि आलम खां उसे नौ हजार रुपए प्रतिमाह देता था तथा महीने में केवल दस दिन ही वह नौकरी पर आता था। उसने बताया कि 1 से 10 तारीख के बीच वह हर प्रतिदिन 40 हजार रुपए से ज्यादा वसूली कर आलम खां को रुपए देता था। गार्ड ने कुछ ट्रांसपोर्टरों तथा गाड़ी के नंबर भी बताए हैं, जिनसे वह वसूली कर लाता था। एसीबी इनकी जांच कर रही है।
गार्ड ने एसीबी के अधिकारियों के सामने शनिवार को खुलासा किया कि आलम खां इसके लिए बाकायदा लिस्ट देता था, जिसके आधार पर वह बजरी, पत्थर और मिट्टी से भरी गाड़ियों से पांच सौ रुपए तथा मार्बल, नमक व अन्य गाड़ियों से हजार रुपए प्रति चक्कर वसूलता था। एसीबी की टीम ने फरार आरटीओ एसआई आलम खां की तलाश में दूसरे दिन भी उसके घर, कार्यालय व संदिग्ध ठिकानों पर छापे मारे, लेकिन पता नहीं चल सका।
उसका मोबाइल भी बंद आ रहा है। उप निरीक्षक के लिए रुपए वसूल रहे गार्ड मोती को पूछताछ के बाद शनिवार को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। एसीबी जांच में सामने आया कि शुक्रवार तक आरटीओ कार्यालय में तैनात आलम खां को इंस्पेक्टर बता रहे थे, वह सब इंस्पेक्टर है। गौरतलब है कि एसीबी की टीम ने आरटीओ कार्यालय में तैनात एसआई आलम खां के लिए उसके गार्ड मोती को 12 हजार रुपए की रिश्वतत लेते शुक्रवार को गिरफ्तार किया था।
इसके बाद से ही आरोपी आलम खां फरार हो गया था। गार्ड मोती ने एसीबी को बताया कि आलम खां उसे नौ हजार रुपए प्रतिमाह देता था तथा महीने में केवल दस दिन ही वह नौकरी पर आता था। उसने बताया कि 1 से 10 तारीख के बीच वह हर प्रतिदिन 40 हजार रुपए से ज्यादा वसूली कर आलम खां को रुपए देता था। गार्ड ने कुछ ट्रांसपोर्टरों तथा गाड़ी के नंबर भी बताए हैं, जिनसे वह वसूली कर लाता था। एसीबी इनकी जांच कर रही है।
Chandigarh Police : 500 ई-मेल, 135 शिकायतें और सैकड़ों फोन कॉल
चंडीगढ़. चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस शहर में ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों को पकड़ने के लिए फेसबुक का सहारा ले रही है, लेकिन इसकी सक्रियता का दूसरा पहलू यह भी है कि शहर के जागरूक निवासी जोकि पुलिस को इस मुहिम में सहयोग देना चाहते हैं, को हतोत्साहित किया जा रहा है।
वर्ष 2005 से चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस को ई-मेल के जरिये शहर में ट्रैफिक वॉयलेशन संबंधी सूचना देने वाले सेक्टर 44 डी के तेजिंदर सिंह को अब ट्रैफिक पुलिस की तरफ से कहा गया है कि वे उन्हें ई-मेल न भेजें। तेजिंदर सिंह सालों से ई-मेल के जरिये ट्रैफिक वॉयलेशन की जानकारी पुलिस को देते रहे हैं। उन्होंने पुलिस को ट्रैफिक वॉयलेशन की तस्वीरें भेजीं लेकिन इन पर पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। वे एसएसपी और आईजी से भी दर्जनों बार मिल चुके हैं, लेकिन हर बार अधिकारी यही कहते हैं कि कार्रवाई जारी है।
तेजिंदर सिंह शहर में होने वाले ट्रैफिक वॉयलेशन के बारे में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को भी शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन पुलिस अफसरों की तरफ से उन पर कई बार यह दबाव भी बनाया गया है कि वे लिखकर दे दें कि वे अपनी शिकायतों पर कार्रवाई से अब संतुष्ट हैं। तेजिंदर सिंह कई बार एसएसपी ट्रैफिक एचएस दून से मिल चुके हैं, लेकिन उनसे मिलने के बाद पता चला कि उन तक ये ई-मेल पहुंचती ही नहीं।
तेजिंदर सिंह कहते हैं, चंडीगढ़ में ट्रैफिक वॉयलेशन देखकर मेरा खून खौलता है। चंडीगढ़ जैसे खूबसूरत शहर में अगर ट्रैफिक व्यवस्थित नहीं चलेगा तो शहर की पहचान खो जाएगी। तेजिंदर सिंह ने बताया कि उनके छोटे भाई दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में एडिशनल सेशन जज हैं। उनके पिता सिविल सर्जन थे। तेजिंदर सिंह खुद पंजाब वेयरहाउसिंग कॉपरेरेशन के आईटी विंग में तैनात हैं।
500 ई-मेल, 135 शिकायतें और सैकड़ों फोन कॉल
तेजिंदर सिंह ने बताया कि वे अब तक चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस को शहर में होने वाले ट्रैफिक वॉयलेशन की सूचना देने के लिए 500 ई-मेल, डाक के जरिये 135 शिकायतें और हेल्पलाइन 1073 पर सैकड़ों फोन कॉल कर चुके हैं। अपनी ई-मेल में हर बार इंसाफ की उम्मीद करते हैं, लेकिन कई सालों से इन शिकायतों पर पुलिस की ओर से कोई खास रिस्पांस न मिलने से परेशान तेजिंदर सिंह ने अब हर ई-मेल के नीचे पुलिस के प्रति नाराजगी भी जतानी शुरू कर दी है।
मेरी जानकारी में यह मसला नहीं है कि इतनी शिकायतों के बावजूद इन पर र्कावाई नहीं की गई। ऐसे व्यक्ति की तो मैं प्रशंसा करता हूं जोकि शहर में ट्रैफिक वॉयलेशन के बारे में ट्रैफिक पुलिस को सूचित कर रहे हैं। मैं इस बारे में जानकारी लूंगा।
एचएस दून, एसएसपी ट्रैफिक, चंडीगढ़ पुलिस
वर्ष 2005 से चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस को ई-मेल के जरिये शहर में ट्रैफिक वॉयलेशन संबंधी सूचना देने वाले सेक्टर 44 डी के तेजिंदर सिंह को अब ट्रैफिक पुलिस की तरफ से कहा गया है कि वे उन्हें ई-मेल न भेजें। तेजिंदर सिंह सालों से ई-मेल के जरिये ट्रैफिक वॉयलेशन की जानकारी पुलिस को देते रहे हैं। उन्होंने पुलिस को ट्रैफिक वॉयलेशन की तस्वीरें भेजीं लेकिन इन पर पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। वे एसएसपी और आईजी से भी दर्जनों बार मिल चुके हैं, लेकिन हर बार अधिकारी यही कहते हैं कि कार्रवाई जारी है।
तेजिंदर सिंह शहर में होने वाले ट्रैफिक वॉयलेशन के बारे में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को भी शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन पुलिस अफसरों की तरफ से उन पर कई बार यह दबाव भी बनाया गया है कि वे लिखकर दे दें कि वे अपनी शिकायतों पर कार्रवाई से अब संतुष्ट हैं। तेजिंदर सिंह कई बार एसएसपी ट्रैफिक एचएस दून से मिल चुके हैं, लेकिन उनसे मिलने के बाद पता चला कि उन तक ये ई-मेल पहुंचती ही नहीं।
तेजिंदर सिंह कहते हैं, चंडीगढ़ में ट्रैफिक वॉयलेशन देखकर मेरा खून खौलता है। चंडीगढ़ जैसे खूबसूरत शहर में अगर ट्रैफिक व्यवस्थित नहीं चलेगा तो शहर की पहचान खो जाएगी। तेजिंदर सिंह ने बताया कि उनके छोटे भाई दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में एडिशनल सेशन जज हैं। उनके पिता सिविल सर्जन थे। तेजिंदर सिंह खुद पंजाब वेयरहाउसिंग कॉपरेरेशन के आईटी विंग में तैनात हैं।
500 ई-मेल, 135 शिकायतें और सैकड़ों फोन कॉल
तेजिंदर सिंह ने बताया कि वे अब तक चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस को शहर में होने वाले ट्रैफिक वॉयलेशन की सूचना देने के लिए 500 ई-मेल, डाक के जरिये 135 शिकायतें और हेल्पलाइन 1073 पर सैकड़ों फोन कॉल कर चुके हैं। अपनी ई-मेल में हर बार इंसाफ की उम्मीद करते हैं, लेकिन कई सालों से इन शिकायतों पर पुलिस की ओर से कोई खास रिस्पांस न मिलने से परेशान तेजिंदर सिंह ने अब हर ई-मेल के नीचे पुलिस के प्रति नाराजगी भी जतानी शुरू कर दी है।
मेरी जानकारी में यह मसला नहीं है कि इतनी शिकायतों के बावजूद इन पर र्कावाई नहीं की गई। ऐसे व्यक्ति की तो मैं प्रशंसा करता हूं जोकि शहर में ट्रैफिक वॉयलेशन के बारे में ट्रैफिक पुलिस को सूचित कर रहे हैं। मैं इस बारे में जानकारी लूंगा।
एचएस दून, एसएसपी ट्रैफिक, चंडीगढ़ पुलिस
Delhi Police : अब भारतीय पुलिस अमेरिकी 3डी तकनीक से युक्त होगी
नई दिल्ली। अमेरिका ने भारतीय पुलिस के लिए 3डी प्रौद्योगिकी और अन्य उपकरण प्रदान करने का वचन दिया है। इसके साथ ही अत्याधुनिक हथियारों के साथ पुलिस के आधुनिकीकरण की दीर्घकालिक भारतीय महत्वाकांक्षा को बल मिला है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत अमेरिका से अत्याधुनिक 3डी इमेजरी प्रौद्योगिकी हासिल करने के प्रयास में है। इस प्रौद्योगिकी को हैदराबाद स्थित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) प्रशिक्षण संस्थान, सरदार पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के युवा अधिकारियों को उपलब्ध कराई जाएगी।
एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पाने के बाद पुलिस अकादमी के पास उन प्रमुख ठिकानों की 3डी छवियों का एक संग्रह तैयार हो जाएगा, जो आतंकवादी हमले के सम्भावित शिकार हो सकते हैं। इससे विशेष पुलिस कमांडो को इमारतों को बंधक बनाए जाने की स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित करने में मदद मिलेगी।"
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और अमेरिकी आंतरिक सुरक्षा मंत्री जेनेट नेपोलिटानो के बीच हुई सुरक्षा वार्ता ने भारत की पुलिस आधुनिकीकरण योजना को बढ़ावा दिया है।
भारत ने अपने 15 लाख से अधिक राज्य पुलिस बलों को और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) जैसे संगठनों के 750,000 से अधिक जवानों को बेहतर तरीके से सुसज्जित करने की योजना तैयार की है।
अधिकारी ने कहा कि जब आतंकवादियों ने नवम्बर 2008 में ताज होटल पर हमला किया था तो सुरक्षा बलों को इसलिए नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उन्हें इमारत के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और वे गलियारों में अनजान राही की तरह भटक रहे थे।
अधिकारी ने कहा, "यदि उनके पास इमारत की 3डी छवि होती तो इमारत की योजना के बारे में उन्हें जानकारी मिल गई होती और वे रणनीतिक रूप से इस बात की जानकारी कर होटल में प्रवेश करते कि आतंकवादी वास्तव में किस स्थान पर होंगे और उन्हें कहां से कैसे निशाना बनाया जा सकता है।"
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत अमेरिका से अत्याधुनिक 3डी इमेजरी प्रौद्योगिकी हासिल करने के प्रयास में है। इस प्रौद्योगिकी को हैदराबाद स्थित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) प्रशिक्षण संस्थान, सरदार पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के युवा अधिकारियों को उपलब्ध कराई जाएगी।
एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पाने के बाद पुलिस अकादमी के पास उन प्रमुख ठिकानों की 3डी छवियों का एक संग्रह तैयार हो जाएगा, जो आतंकवादी हमले के सम्भावित शिकार हो सकते हैं। इससे विशेष पुलिस कमांडो को इमारतों को बंधक बनाए जाने की स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित करने में मदद मिलेगी।"
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और अमेरिकी आंतरिक सुरक्षा मंत्री जेनेट नेपोलिटानो के बीच हुई सुरक्षा वार्ता ने भारत की पुलिस आधुनिकीकरण योजना को बढ़ावा दिया है।
भारत ने अपने 15 लाख से अधिक राज्य पुलिस बलों को और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) जैसे संगठनों के 750,000 से अधिक जवानों को बेहतर तरीके से सुसज्जित करने की योजना तैयार की है।
अधिकारी ने कहा कि जब आतंकवादियों ने नवम्बर 2008 में ताज होटल पर हमला किया था तो सुरक्षा बलों को इसलिए नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उन्हें इमारत के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और वे गलियारों में अनजान राही की तरह भटक रहे थे।
अधिकारी ने कहा, "यदि उनके पास इमारत की 3डी छवि होती तो इमारत की योजना के बारे में उन्हें जानकारी मिल गई होती और वे रणनीतिक रूप से इस बात की जानकारी कर होटल में प्रवेश करते कि आतंकवादी वास्तव में किस स्थान पर होंगे और उन्हें कहां से कैसे निशाना बनाया जा सकता है।"
UP Police : Lakhimpur khiri rape case: UP girl death: बेहद घिनौने और शर्मनाक तर्कों को ढाल बना रही है यूपी पुलिस
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस का एक और नमूना देखिए। लखीमपुर प्रकरण में आलोचना के बाद रविवार को पुलिस का बयान आया कि लखीमपुर के निघासन थाने में सोनम नामक जिस लड़की का शव मिला, वास्तव में उसने फांसी लगाई थी। पुलिस लेकिन यह नहीं बता पा रही है कि 14 साल की इस लड़की ने फांसी लगाने के लिए थाने को ही क्यों चुना? सवाल यह भी है कि आखिर सोनम ने एक टूटे पेड़ की टहनी से फांसी कैसे और क्यों लगा ली? तह में जाने के बजाए पुलिस लगातार इस सनसनीखेज घटना पर लीपापोती करने में जुटी है। लखीमपुर के एसपी डीके राय के बयान उसे हास्यास्पद बना रहे हैं।
अभी कुछ देर पहले ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टरों ने साफ कह दिया कि सोनम की मौत गला घोंट कर की गई है। ऐसे में एसपी साहब का कहना है कि यह बाते सिर्फ यह सिद्ध करती है कि सोनम मरने से पहले लटकी थी ना कि मरने के बाद लटकाया गया था। अब तो मासूम को इंसाफ मिल जाने की दुआ करने वाले लोगों का एसपी साहब से सिर्फ एक ही सवाल का जबाब जानना है कि वह लटकने और लटकाने की बात क्यों कर रहे हैं जबकि मामला गला घोटने का है।
इन सबके बाद बावजूद भी अभी कई ऐसे सवाल जन्म ले रहे हैं जिनके जवाब तलाशना बेहद जरूरी हो गया है। सबसे अहम बात तो यह है कि आखिर एक लड़की ने थाने में खुदकुशी की, तब सभी पुलिसकर्मी कहां थे? क्या महज कुछ मिनटों में ही कोई टूटे पेड़ की टहनी से फांसी लगाकर जान दे सकता है? बताते हैं कि जिस डाल से शव झूलता पाया गया था, उसकी जमीन से ऊंचाई उतनी ही है, जितनी सोनम की लंबाई।
इनमें एक गले पर व दूसरी दाहिने पैर के सामने के हिस्से में है। दोनों चोटें मामूली हैं। एसपी का यह भी कहना है कि दुराचार के आरोपों की जांच कराई जा रही है। इसके लिए स्लाइड बनाकर उसे परीक्षण के लिए भेजा गया है। प्रारंभिक जांच इस बात की हो रही है कि आखिर थाने में ऐसी घटना किन परिस्थितियों में हुई। घटना से जुड़ी संभावित वजहों सहित अन्य बिंदुओं पर भी जांच होने का दावा किया गया है, लेकिन तीन दिन बीतने के बाद पुलिस जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
A minor girl found dead at a police station in Lakhimpur kheri district of Uttar Pradesh was murdered but not raped, according to a second postmortem report conducted today. She was strangled and died of asphyxia, the report said. But after postmortem report again police try to misguide the probe by passing the controversial remarks that she hanged herself.
अभी कुछ देर पहले ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टरों ने साफ कह दिया कि सोनम की मौत गला घोंट कर की गई है। ऐसे में एसपी साहब का कहना है कि यह बाते सिर्फ यह सिद्ध करती है कि सोनम मरने से पहले लटकी थी ना कि मरने के बाद लटकाया गया था। अब तो मासूम को इंसाफ मिल जाने की दुआ करने वाले लोगों का एसपी साहब से सिर्फ एक ही सवाल का जबाब जानना है कि वह लटकने और लटकाने की बात क्यों कर रहे हैं जबकि मामला गला घोटने का है।
इन सबके बाद बावजूद भी अभी कई ऐसे सवाल जन्म ले रहे हैं जिनके जवाब तलाशना बेहद जरूरी हो गया है। सबसे अहम बात तो यह है कि आखिर एक लड़की ने थाने में खुदकुशी की, तब सभी पुलिसकर्मी कहां थे? क्या महज कुछ मिनटों में ही कोई टूटे पेड़ की टहनी से फांसी लगाकर जान दे सकता है? बताते हैं कि जिस डाल से शव झूलता पाया गया था, उसकी जमीन से ऊंचाई उतनी ही है, जितनी सोनम की लंबाई।
इनमें एक गले पर व दूसरी दाहिने पैर के सामने के हिस्से में है। दोनों चोटें मामूली हैं। एसपी का यह भी कहना है कि दुराचार के आरोपों की जांच कराई जा रही है। इसके लिए स्लाइड बनाकर उसे परीक्षण के लिए भेजा गया है। प्रारंभिक जांच इस बात की हो रही है कि आखिर थाने में ऐसी घटना किन परिस्थितियों में हुई। घटना से जुड़ी संभावित वजहों सहित अन्य बिंदुओं पर भी जांच होने का दावा किया गया है, लेकिन तीन दिन बीतने के बाद पुलिस जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
A minor girl found dead at a police station in Lakhimpur kheri district of Uttar Pradesh was murdered but not raped, according to a second postmortem report conducted today. She was strangled and died of asphyxia, the report said. But after postmortem report again police try to misguide the probe by passing the controversial remarks that she hanged herself.
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