Monday, June 13, 2011

Jharkhand Police : पुलिस निगरानी में रहेगी पाकिस्तान की नाहिदा

धनबाद। बुधवार को पाकिस्तानी महिला नाहिदा को सदर थाना से शिफ्ट कर दिया गया। कोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने नाहिदा के ठहरने की व्यवस्था की है। पाकिस्तान भेजे जाने तक नाहिदा को पुलिस निगरानी में होटल रत्नबिहार में रखा जाएगा। होटल में वह अपने पति व बच्चों के साथ नहीं रहेंगी।

हालांकि नाहिदा से मिलने पर कोई पाबंदी नहीं है। परिवार के सदस्य उनसे मिलकर कुछ पल साथ में गुजारे। नाहिदा के बच्चों ने उससे बात की। बच्चों से नाहिदा का मिलन काफी भावुक था। नाहिदा को उम्मीद है कि सरकार जरूर उनके लिए कुछ करेगी। उन्हें उनके बच्चों और परिवार से दूर नहीं किया जाएगा। हिन्दुस्तान में बच्चों के साथ उनके रहने का सपना पूरा होगा।

प्रशासन ने गृह मंत्रालय से संपर्क साधा

जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश से गृहमंत्रालय को अवगत कराया है। एसडीओ जार्ज कुमार ने बताया कि गृहमंत्रालय को पत्र भेज कर पूरी घटना की जानकारी दे दी गई है। प्रशासन ने गृहमंत्रालय से नाहिदा को पाकिस्तान भेजने में सहयोग मांगा है। जब तक गृहमंत्रालय का इस मामले में कोई निर्देश नहीं आ जाता, नाहिदा को पुलिस निगरानी में होटल रत्नबिहार में ही रखा जाएगा।

क्या चाहते हैं परिवार वाले

नाहिदा के पति मो. सिद्दीकी का कहना है कि वह नाहिदा का पासपोर्ट बनाने में सक्षम हैं। उन्हें बस एक मौका चाहिए। नाहिदा को पुलिस की सुरक्षा में ही सही, एक बार सिर्फ दिल्ली ले जाने दिया जाए। वह पासपोर्ट बनवा लेंगे। उन्होंने कहा कि डीसी धनबाद को पत्र लिखकर भी नाहिदा के लिए भारत की नागरिकता मांगी है। उन्हें प्रशासन से सहयोग चाहिए।

फ्लैश बैक

16 फरवरी 1987 को भौंरा जोड़ापोखर निवासी मो. सिद्दीकी अंसारी ने पाकिस्तानी महिला नाहिदा बेगम से निकाह की थी। नाहिदा ने पासपोर्ट बनवाया, जिसकी वैधता 22 दिसंबर 1998 से 21 दिसंबर 2003 तक थी। पासपोर्ट की वैधता समाप्त होने पर नाहिदा बेगम एवं मो. सिद्दीकी अंसारी भौंरा से भाग गए। 6 अगस्त 09 को गुजरात पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। उसे धनबाद पुलिस के हवाले कर दिया गया। 7 अगस्त को वह फॉरन एक्ट एवं पासपोर्ट एक्ट उल्लंघन मामले में जेल गई। 30 मार्च 2011 को उसे अदालत में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई। कोर्ट ने उसे हिन्दुस्तानी नहीं मानते हुए पाकिस्तान भेजने का आदेश दिया है।

Punjab Police : अंडरट्रायल को हथकड़ी पर हाईकोर्ट हुआ सख्त

जालंधर। अंडरट्रायल (हवालातियों) को हथकड़ी लगाने के मामले में सख्ती बरतते हुए हाईकोर्ट ने राज्य के सभी न्यायिक अधिकारियों को निर्देश भेजकर इस संबंधी नियमों का पालन करवाने को कहा है। हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के जिला जजों को सिविल रिट पिटीशन नंबर 13718 आफ 1994 में पास निर्देशों की कापियां भेजकर इसका पालन करवाने के आदेश दिए हैं। जिला जजों को अपने अधीनस्थ कार्यरत सभी न्यायिक अधिकारियों को भी इन निर्देशों से अवगत करवाने को कहा गया है।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 1 अप्रैल, 2011 को जारी आदेश में सभी जजों को वल्र्ड ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन काउंसिल केस का हवाला देकर न्यायिक अधिकारियों को अंडरट्रायल (हवालातियों) से वैरिफाई करने का निर्देश दिया है कि उन्हें हथकड़ी लगाई गई थी या नहीं। इस केस में हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों की अंडरट्रायल को हथकड़ी और पेशी के संबंध में वैरिफिकेशन की ड्यूटी लगाई थी।

चीफ जस्टिस के निर्देशों पर हाईकोर्ट प्रशासन ने आदेशों की कापियां सभी जिला जजों को भेज दी हैं। गौर हो कि अंडरट्रायल को अदालत में पेशी के वक्त हथकड़ियां लगाने का मामला पिछले लंबे समय से उठ रहा है। कुछ महीने पहले जिले के इंस्पेक्टिंग जज ने भी इंस्पेक्शन के वक्त अंडर ट्रायल की हथकड़ियां उतरवाई थीं।

नफरी की समस्या सिरदर्द
पुलिस फोर्स में नफरी की समस्या डिपार्टमेंट के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। एक पुलिस कर्मचारी तीन-तीन हवालातियों को अदालत में पेश कर रहा है। एडवोकेट हरमिंदर सिंह संधू को सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के मुताबिक पिछले पांच साल में अदालत परिसर से पेशी के दौरान करीब 39 अंडर-ट्रायल भाग चुके हैं।

Punjab Police : आरपीएफ जवानों को नहीं मिला एरियर

जालंधर। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को करीब 2 करोड़ का एरियर बकाया नहीं दिया जा रहा। एरियर न मिलने की वजह से जवानों का रोष किसी भी समय टूट सकता है और जवान प्रदर्शन करने पर उतर सकते हैं। जवानों को छठे वेतनायोग के मुताबिक 1 जनवरी 2006 से बढ़े वेतन का एरियर दिया जाना था। इसे अभी तक जारी नहीं किया गया है। पूरे भारत के आरपीएफ जवानों को यह बकाया दिया जा चुके है। इसके साथ ही मंडल में भी आरपीएफ को छोड़ दूसरे रेल कर्मचारियों को बकाया दिया जा चुका है। इसके बावजूद जवानों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

लंबी डयूटी, लेकिन बकाया नहीं
आरपीएफ जवानों ने कहा कि वह बकाया मिलने की लंबे समय से आस लगाए बैठे हैं। इसी आस के चलते वह घर के जरूरी सामान पर खर्च कर चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक बकाया नहीं दिया गया। इसके चलते वह अपना कर्ज ही नहीं उतार पा रहे। इसके लिए उन्हें भारी ब्याज भी चुकानी पड़ रही है।

बढ़े वेतन का मिलना था एरियर
आरपीएफ के करीब 400 जवानों का 2 करोड़ रुपए बकाया पड़ा है। छठे वेतनायोग के मुताबिक नई भर्ती वाले जवानों कम से कम 8460 रुपए दिए जाने थे। इसी के मुताबिक रेलवे की तरफ से 1 जनवरी 2006 से बढ़े वेतन को कागजों में बढ़ा दिया गया, लेकिन उन्हें अभी तक बकाया नहीं दिया गया। इसी तरह जवानों को 2008 से मोडिफाइड एश्योर कैरियर प्रोग्रेस स्कीम के तहत वेतन बढ़ाया गया था। यह वेतन उन जवानों की बढ़ाई गई थी, जिनका डयूटी समय 10 वर्ष से ज्यादा हो चुका है। यह बकाया भी जवानों को नहीं दिया गया। इनके अलावा मंडल के लांगरी का भी वेतन बढ़ा गया था, जिसे कम से कम 7400 रुपए किया गया था। इस तरह जवानों को बकाया राशि नहीं दी जा रही।

आरपीएफ एसोसिएशन भी कर चुकी हैं मांग
इस पूरे मामले के बारे में ऐसा नहीं कि अधिकारियों को जानकारी नहीं है। अधिकारियों को आरपीएफ एसोसिएशन की तरफ से कई बार ध्यान में लाया गया है। इसमें डिवीजनल रेल मैनेजर (डीआरएम), सीनियर डिवीजनल सिक्योरिटी कमिश्नर (एस डीएससी) व सीनियर डिवीजन फाइनांस अधिकारी को भी पत्र लिखे जा चुके हैं। इसके बावजूद अधिकारियों की तरफ से जवानों की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा।

देरी करने की जांच करवाई जाए
आरपीएफ एसोसिएशन के मंडल सचिव गुरदयाल सिंह ने कहा कि जवानों को बकाया राशि में देरी करने की वजह की उच्च स्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए। इसके लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए और आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि वह कई बार अधिकारियों से एरियर देने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक बकाया नहीं दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि 25 जून तक अगर बकाया राशि न दी गई तो वे 26 जून से पूरे मंडल में आरपीएफ जवान मैस बायकाट करेंगे। कोई भी जवान मैस से खाना नहीं खाएगा।

Gujrat Police: 8,500 हथियार रहित कॉन्स्टेबलों की नियुक्ति की जाएगी

अहमदाबाद। पिछले काफी समय से गुजरात का पुलिस विभाग पुलिसकर्मियों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन अब जल्द ही पुलिस विभाग की यह कमी पूरी होने जा रही है।


गुजरात सरकार ने पुलिस सब-इंस्पेक्टर्स और कॉन्स्टेबल की 8 हजार से अधिक रिक्त पदों को भरने का निर्णय लिया है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 8,500 हथियार रहित कॉन्स्टेबलों की नियुक्ति की जाएगी, जबकि ट्रेनिंग पूरी करने वाले 620 पीएसआई की अलग-अलग जिलों में पोस्टिंग की जाएगी। प्रदेश के डीजीपी चितरंजन सिंह द्वारा यह सूचना जारी की गई है।

पुलिस स्टेशन का उद्घाटन करने वीरपुर आए सिंह ने बताया कि राज्य सरकार नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। इस उद्घाटन अवसर पर बॉर्डर रेंज के आईजी वी.एम. पारगी और राजकोट ग्रामीण के एस.पी.डी.एन पटेल भी उपस्थित थे।

Gujrat Police: पुलिस ने मारा छापा तो विधवा ने कपड़े उतारने शुरू कर दिए

अहमदाबाद। शराब बेचने का व्यवसाय करने वाली एक विधवा के घर पर जब पुलिस ने छापा मारा तो विधवा ने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। उसकी इस हरकत से सकते में आई पुलिस उल्टे पांव वहां से भाग खड़ी हुई।

अहमदाबाद के छारानगर में अवैध शराब बेचने वालों के ठिकानों पर छापा मार कार्रवाई में अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस को एक अजीब स्थिति का सामना कर पड़ गया। यहां पर एक विधवा बूटलेगर के घर पर पुलिस ने छापा मारा तो महिला ने पुलिस वालों के सामने ही अपने कपड़े फाड़ना शुरू कर दिए। माजरा देख पुलिस वालों के होश उड़ गए और उन्होंने यहां से भागने में ही अपनी भलाई समझी।

हालांकि विधवा महिला के अनुसार पुलिस वाले उसके यहां हफ्ता वसूलने गए थे। महिला के अनुसार पुलिस वालों ने उससे 5 हजार रुपए की मांग की थी, जब उसने इतने पैसे न होने की बात कहीं तो पुलिस वाले बिगड़ गए और उसके घर में तोड़फोड़ मचा दी। इधर पुलिस ने महिला की इस बात को पूरी तरह झूठ बताया है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार कुबेरनगर के छारानगर में 10 दिन पहले डेप्यु. पुलिस कमिoAर, असि. पुलिस कमिश्नर और स्थानीय पुलिस ने छापामार कार्रवाई की थी। छापे की कार्रवाई के बाद भी छारानगर में कई लोग पुन: सक्रिय होकर अवैध रूप से शराब के व्यवसाय में लिप्त थे। इसीलिए मंगलवार को दोपहर के समय सरदारनगर पुलिस के अधिकारी ने अपनी टीम के साथ यहां पर छापा मारा। जब इस विधवा महिला के घर पर छापा मारा गया तो शुरूआती कुछ तू-तू-मैं-मैं के बाद महिला ने अपने कपड़े फाड़ना शुरू कर दिए। घटना से सकते में आई पूरी पुलिस की टीम वहां से भाग निकली।

CG Police : एफआईआर दूर पावती तक नहीं

एफआईआर के बदले मिली पावती

खपरी निवासी विष्णु प्रसाद राजपूत के खेत में 5 एचपी का सबमर्सिबल पंप लगा था। 30 मई की रात चोरों ने खेत में लगा पंप चोरी कर लिया। पंप की कीमत करीब 35 हजार रुपए थी। अगले दिन सुबह चोरी का पता चलने पर वह हरि थाना पहुंचा।

उसने मामले में एफआईआर करने को कहा। पुलिस ने चोरी की रिपोर्ट दर्ज करने की बजाय उसे पावती थमा दी। इसके बाद दूसरे आवेदनों की तरह यह आवेदन भी रद्दी की टोकरी में चला गया। विष्णु राजपूत जब भी पुलिस से कार्रवाई के बारे में पूछता है तो यही कहा जाता है कि जांच चल रही है।

ट्रैक्टर चोरी, एफआईआर दूर पावती तक नहीं

हरि माइंस पर मेन रोड में ही झगर सिंह काठले का मकान है। 17 मार्च 2011 को उसने नया ट्रैक्टर और ट्राली खरीदी थी। तीन दिन बाद घर के सामने से रात में ट्रैक्टर-ट्राली चोरी हो गई।

अगली सुबह चोरी का पता चलते ही झगर सिंह थाने पहुंचा और घटना की जानकारी दी। पुलिस ने यह कहकर उसे लौटा दिया कि पहले वह आसपास ही तलाश करे, इसके बाद आकर जानकारी दे।

एक-दो दिन बाद फिर से थाना पहुंचा। पुलिस ने उससे आवदेन लिया लेकिन पावती नहीं दी। पिछले दो महीने से उसे तारीख देकर थाने बुलाकर वापस भेज दिया जाता है। झगर ने मामले को लेकर एसपी के पास जाने की बात कही थी। पुलिस वालों ने उसे ऐसा न करने की हिदायत दी और ट्रैक्टर खोज निकालने का दावा किया। झगर को अगली 10 तारीख को फिर से थाना बुलाया गया है।

CG Police : पुलिस ने कहा, पंप का नंबर लाओ

गांव के ही पूनाराम राजपूत के खेत से सबमर्सिबल पंप की चोरी हुई। थाने में कहा गया कि पहले पंप का नंबर लाओ, फिर एफआईआर होगी। पूनाराम आज तक नहीं समझ पाया कि पंप का नंबर क्या होता है। इसी प्रकार टिबलू के खेत से पैनल बोर्ड और भागवत के खेत से पंप का पाइप चोरी हो गया।

वे भी शिकायत लेकर थाने पहुंचे लेकिन न तो एफआईआर ही हुई और न ही आवेदन लिया गया। इसी तरह के कई पंप चोरी के मामले क्षेत्र में हो चुके हैं, जिसमें एफआईआर नहीं ली जा रही। इसी तरह चोरी के मामलों में प्रार्थी को पावती देकर वापस भेज दिया जाता है।