जोधपुर. राजस्थान पुलिस की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में कहीं न कहीं चूक रही है। ड्राइवर पद का एक आवेदक पहले तो एडमिशन कार्ड नहीं मिल पाने के कारण परीक्षा नहीं दे पाया। उसे ही बाद में कॉल लेटर जारी हो गया जिसमें शारीरिक परीक्षण के लिए बुलवाया गया है। यानी कि जो परीक्षा उसने दी ही नहीं उसमें उसे सीधे पास कर दिया गया।
डीबी स्टार टीम ने मामले की पड़ताल की। दरअसल सरस्वती नगर बासनी (फस्र्ट) निवासी पप्पूराम पुत्र तुलसीराम ने कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में ड्राइवर पद के लिए एससी वर्ग से आवेदन किया था। प्रवेश पत्र नहीं मिलने के कारण पप्पूराम जनवरी में हुई लिखित परीक्षा में नहीं बैठ सका। वह परीक्षा से पहले आरएसी कार्यालय भी गया। वहां उसका फार्म ही नहीं मिला। आखिरकार उसे मायूस होना पड़ा। 10 जून को उसे डाक से कॉल लेटर मिला।
इसमें उसे राजस्थान पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, मंडोर में 25 जून की सुबह सात बजे रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसके अलावा फार्म भाग-1 भी डाक से मिला। इसमें उसकी फोटो लगी है जिस पर रोल नंबर 106448 हैं। पड़ताल के लिए टीम शनिवार को आरएसी 1 पहुंची। वहां डिप्टी कमांडेंट चतुर्भुज पंवार ने कॉल लेटर देखा और दस्तावेज निकलवाए। परीक्षा नहीं देने वाले अभ्यर्थी को कॉल लेटर कैसे मिल गया? इसकी जांच की जा रही है।
केटेगरी में भी गड़बड़ी: पप्पूराम सरगरा ने एससी श्रेणी में परीक्षा में बैठने का फार्म भरा था लेकिन कॉल लेटर में जनरल केटेगरी है। ऐसे में केटेगरी में भी चूक हुई। ड्राइवर पद के लिए कुल 12 अभ्यर्थी ही पास हुए थे। उनके रोल नंबरों का मिलान किया गया तो पप्पूराम के नंबर नहीं मिले। ऐसे में यह कॉल लेटर कैसे जारी हो गया? इसका पता लगाया जा रहा है।
अफसरों को आशंका यह भी: पड़ताल में पता चला कि बैंड के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा नहीं ली गई थी। उन्हें सीधे फिटनेस टेस्ट के लिए बुलवाया है। पप्पूराम के फार्म में ड्राइवर पद भरा है। अफसर आशंका जता रहे हैं कि दूसरे फार्म में बैंड तो नहीं भर गया। डीबी स्टार के पास पप्पूराम का फार्म मौजूद है। इसमें कांस्टेबल ड्राइवर पद के लिए आवेदन ही भरा हुआ है।
किसी का कॅरियर खराब न हो जाए: 10 जून को जब मुझे कॉल लेटर मिला तो दंग रह गया। एडमिशन फार्म नहीं मिलने के कारण मैं परीक्षा ही नहीं दे सका था। इसके लिए मैंने तीन दिन तक आरएसी के चक्कर काटे लेकिन तब मेरा फार्म ही नहीं मिला था। अब मैंने अफसरों को बता दिया है ताकि गलती से किसी और का कॉल लेटर मुझे मिल गया तो उसे समय पर पता चल सके। - पप्पूराम, परीक्षा नहीं देने पर भी कॉल लेटर मिलने वाला अभ्यर्थी
पता कर रहे हैं चूक कहां हुई: पप्पूराम को बिना परीक्षा दिए कॉल लेटर मिलने के बारे में पता किया जा रहा है। हम पता कर रहे हैं कि चूक कहां हुई? गलती यहीं हुई या जयपुर से? यह कागजात संभालने के बाद ही पता चलेगा। - चतुभरुज पंवार, डिप्टी कमांडेंट, आरएसी प्रथम बटालियन, जोधपुर
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Monday, June 13, 2011
Rajasthan Police : सैकड़ों पेइंग गेस्ट, रजिस्टर्ड केवल चार
अजमेर. आज के तेज रफ्तार युग में लोग हर तरह से पैसे कमाना चाहते हैं मगर सरकारी दिशा-निर्देशों को जाने बिना कई लोग ऐसी मनमानी भी कर रहे हैं जो भविष्य में उनके लिए परेशानी बन सकती है। अजमेर शहर में पिछले सालों में पेइंग गेस्ट रखने का सिलसिला तेजी से बढ़ा है।
कई युवा पढ़ाई और जॉब के कारण पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे हैं। इनमें यदि कोई युवा अपराध करके भाग जाए तो मकान मालिक के पास उसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी, यह निश्चित नहीं है। कारण यह है कि केवल 600 रुपए बचाने के चक्कर में लोग पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे लोगों का पंजीकरण पर्यटन विभाग में नहीं करवा रहे हैं। इतना ही नहीं पुलिस को भी लोग किरायेदारों या पेइंग गेस्ट की सूचना देना मुनासिब नहीं समझते। यह जरा सी मनमानी शहर की आंतरिक सुरक्षा से खिलवाड़ भी है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि शहर में सिर्फ 6 घरों में पेइंग गेस्ट रखे गए हैं। जबकि हकीकत में हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक, दूसरे शहरों व राज्यों से आए सैकड़ों स्टूडेंट्स पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे हैं। ये पेइंग गेस्ट जिन घरों में रहते हैं उन घरों के मालिक न तो इनकी जानकारी पुलिस को देते हैं, न ही पेइंग गेस्ट आवास योजना के तहत पर्यटन विभाग में अपना पंजीकरण करवाते हैं।
पर्यटन विभाग और पुलिस इसे व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मान रहे हैं। अजमेर में 2009-10 में सिर्फ 4 आवास मालिकों ने पंजीकरण करवाया था, वहीं 2010-11 में ये 6 हुए। इनमें 28 कमरे और 56 बैड की क्षमता है लेकिन वास्तविक आंकड़े पता करना बिना पंजीकरण की अनिवार्यता के संभव नहीं है।
क्या है योजना: पर्यटन विभाग ने 20 साल पहले ‘पेइंग गेस्ट आवास योजना’ शुरू की थी। इसका लक्ष्य था, ऐसे आवास मालिकों के आंकड़े जमा करना जो अपने यहां पेइंग गेस्ट रखते हैं ताकि पर्यटन उद्योग का विकास हो और सुरक्षा व्यवस्था बेहतर रहे। आवास मालिकों के पंजीकरण व वार्षिक नवीनीकरण के लिए कलेक्टर अथवा सहायक कलेक्टर, आरटीडीसी इकाई प्रभारी अथवा सदस्य और पर्यटन सहायक निदेशक अथवा पर्यटक स्वागत केंद्र सदस्य सचिव को मिलाकर समिति बनाई जानी थी।
पेइंग गेस्ट आवास योजना में पंजीकरण शुल्क 500 रुपए और वार्षिक नवीनीकरण शुल्क 100 रुपए रखा गया था। इसका फायदा आवास मालिकों को यह होता कि वे ज्यादा सुरक्षित ढंग से पर्यटकों या विद्यार्थियों अथवा किसी अन्य को अपने यहां ठहरा सकेंगे। वे इसके लिए ऑथोराइज्ड होंगे। साथ ही पर्यटकों को राजस्थानी संस्कृति को करीब से समझने का मौका भी मिलेगा।
यहां सबसे ज्यादा हैं पेइंग गेस्ट: आदर्शनगर, शालीमार कॉलोनी, माधवनगर, विज्ञान नगर, सेठी कॉलोनी। साथ ही परबतपुरा, गेल कॉलोनी, माखुपुरा, रीको आवासीय कॉलोनी। यहां इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक व आईटीआई के सैकड़ों विद्यार्थी पेइंग गेस्ट रखे जाते हैं। पुष्कर में कई आवास मालिक भी पर्यटकों को बतौर पेइंग गेस्ट रखते हैं।
नहीं देते हैं जानकारी: आदर्शनगर क्षेत्र में सर्वाधिक आवास मालिकों ने पेइंग गेस्ट रखे हैं मगर इसकी जानकारी वे इनकी जानकारी पुलिस को नहीं देते। गिने-चुने लोग ही किराएदारों की जानकारियां पुलिस को देते हैं। वैरिफिकेशन तो और भी कम लोग करवाते हैं। सीएलजी मीटिंग्स में बीट ऑफिसर क्षेत्रवासियों को आगाह करते हैं कि जब भी कोई पेइंग गेस्ट, किराएदार, नौकर या किसी नए अनजान व्यक्ति को अपने आवास में रखें तो इसकी सूचना पुलिस को दें और उनसे वैरिफिकेशन फॉर्म भरवाएं। लेकिन ऐसा नहीं किया जाता।
अब अनिवार्य होगा: पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक दलीप सिंह कहते हैं कि अजमेर में लोग योजना में रुचि नहीं लेते। राजस्थान पर्यटन व्यवसाय अधिनियम 2010 के आने के बाद अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है। इस अधिनियम के अनुसार किसी भी मकान में पेइंग गेस्ट रखने से पहले पर्यटन विभाग से पंजीकरण कराना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर 500 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार बिना पंजीकरण पकड़े जाने पर 1 हजार रुपए जुर्माना किया जाएगा। उल्लंघन जारी रहने पर जुर्माना 2 हजार रुपए करते हुए 7 दिन का कारावास भी दिया जा सकता है।
पुलिस चलाएगी अभियान: आदर्शनगर थानाप्रभारी कुशाल चौरड़िया बताते हैं कि हाल ही शालीमार कॉलोनी के कुल निवासियों ने पेइंग गेस्ट व किराएदार बनकर रह रहे कुछ इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की गतिविधियों की उनसे शिकायत की थी। पुलिस इस मामले की पड़ताल कर रही है। साथ ही अब सर्वे करके ऐसे आवास मालिकों को चिह्न्ति किया जाएगा जो पेइंग गेस्ट रखते हैं, बाहर से आए लोगों की सूची तैयार करने के लिए खुद पुलिस जानकारी लेगी।
जरूरी है सुरक्षा: सुरक्षा को रखा जा रहा है ताक पर। वास्तविकता में सैकड़ों आवासों में हैं पेइंग गेस्ट। 600 रुपए बचाने और योजना की जानकारी के अभाव में पेइंग गेस्ट रखने वाला कोई आवास मालिक नहीं करवाता पंजीकरण। पुलिस व पर्यटन विभाग को करनी होगी सख्ती।
कई युवा पढ़ाई और जॉब के कारण पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे हैं। इनमें यदि कोई युवा अपराध करके भाग जाए तो मकान मालिक के पास उसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी, यह निश्चित नहीं है। कारण यह है कि केवल 600 रुपए बचाने के चक्कर में लोग पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे लोगों का पंजीकरण पर्यटन विभाग में नहीं करवा रहे हैं। इतना ही नहीं पुलिस को भी लोग किरायेदारों या पेइंग गेस्ट की सूचना देना मुनासिब नहीं समझते। यह जरा सी मनमानी शहर की आंतरिक सुरक्षा से खिलवाड़ भी है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि शहर में सिर्फ 6 घरों में पेइंग गेस्ट रखे गए हैं। जबकि हकीकत में हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक, दूसरे शहरों व राज्यों से आए सैकड़ों स्टूडेंट्स पेइंग गेस्ट बनकर रह रहे हैं। ये पेइंग गेस्ट जिन घरों में रहते हैं उन घरों के मालिक न तो इनकी जानकारी पुलिस को देते हैं, न ही पेइंग गेस्ट आवास योजना के तहत पर्यटन विभाग में अपना पंजीकरण करवाते हैं।
पर्यटन विभाग और पुलिस इसे व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मान रहे हैं। अजमेर में 2009-10 में सिर्फ 4 आवास मालिकों ने पंजीकरण करवाया था, वहीं 2010-11 में ये 6 हुए। इनमें 28 कमरे और 56 बैड की क्षमता है लेकिन वास्तविक आंकड़े पता करना बिना पंजीकरण की अनिवार्यता के संभव नहीं है।
क्या है योजना: पर्यटन विभाग ने 20 साल पहले ‘पेइंग गेस्ट आवास योजना’ शुरू की थी। इसका लक्ष्य था, ऐसे आवास मालिकों के आंकड़े जमा करना जो अपने यहां पेइंग गेस्ट रखते हैं ताकि पर्यटन उद्योग का विकास हो और सुरक्षा व्यवस्था बेहतर रहे। आवास मालिकों के पंजीकरण व वार्षिक नवीनीकरण के लिए कलेक्टर अथवा सहायक कलेक्टर, आरटीडीसी इकाई प्रभारी अथवा सदस्य और पर्यटन सहायक निदेशक अथवा पर्यटक स्वागत केंद्र सदस्य सचिव को मिलाकर समिति बनाई जानी थी।
पेइंग गेस्ट आवास योजना में पंजीकरण शुल्क 500 रुपए और वार्षिक नवीनीकरण शुल्क 100 रुपए रखा गया था। इसका फायदा आवास मालिकों को यह होता कि वे ज्यादा सुरक्षित ढंग से पर्यटकों या विद्यार्थियों अथवा किसी अन्य को अपने यहां ठहरा सकेंगे। वे इसके लिए ऑथोराइज्ड होंगे। साथ ही पर्यटकों को राजस्थानी संस्कृति को करीब से समझने का मौका भी मिलेगा।
यहां सबसे ज्यादा हैं पेइंग गेस्ट: आदर्शनगर, शालीमार कॉलोनी, माधवनगर, विज्ञान नगर, सेठी कॉलोनी। साथ ही परबतपुरा, गेल कॉलोनी, माखुपुरा, रीको आवासीय कॉलोनी। यहां इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक व आईटीआई के सैकड़ों विद्यार्थी पेइंग गेस्ट रखे जाते हैं। पुष्कर में कई आवास मालिक भी पर्यटकों को बतौर पेइंग गेस्ट रखते हैं।
नहीं देते हैं जानकारी: आदर्शनगर क्षेत्र में सर्वाधिक आवास मालिकों ने पेइंग गेस्ट रखे हैं मगर इसकी जानकारी वे इनकी जानकारी पुलिस को नहीं देते। गिने-चुने लोग ही किराएदारों की जानकारियां पुलिस को देते हैं। वैरिफिकेशन तो और भी कम लोग करवाते हैं। सीएलजी मीटिंग्स में बीट ऑफिसर क्षेत्रवासियों को आगाह करते हैं कि जब भी कोई पेइंग गेस्ट, किराएदार, नौकर या किसी नए अनजान व्यक्ति को अपने आवास में रखें तो इसकी सूचना पुलिस को दें और उनसे वैरिफिकेशन फॉर्म भरवाएं। लेकिन ऐसा नहीं किया जाता।
अब अनिवार्य होगा: पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक दलीप सिंह कहते हैं कि अजमेर में लोग योजना में रुचि नहीं लेते। राजस्थान पर्यटन व्यवसाय अधिनियम 2010 के आने के बाद अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है। इस अधिनियम के अनुसार किसी भी मकान में पेइंग गेस्ट रखने से पहले पर्यटन विभाग से पंजीकरण कराना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर 500 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार बिना पंजीकरण पकड़े जाने पर 1 हजार रुपए जुर्माना किया जाएगा। उल्लंघन जारी रहने पर जुर्माना 2 हजार रुपए करते हुए 7 दिन का कारावास भी दिया जा सकता है।
पुलिस चलाएगी अभियान: आदर्शनगर थानाप्रभारी कुशाल चौरड़िया बताते हैं कि हाल ही शालीमार कॉलोनी के कुल निवासियों ने पेइंग गेस्ट व किराएदार बनकर रह रहे कुछ इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की गतिविधियों की उनसे शिकायत की थी। पुलिस इस मामले की पड़ताल कर रही है। साथ ही अब सर्वे करके ऐसे आवास मालिकों को चिह्न्ति किया जाएगा जो पेइंग गेस्ट रखते हैं, बाहर से आए लोगों की सूची तैयार करने के लिए खुद पुलिस जानकारी लेगी।
जरूरी है सुरक्षा: सुरक्षा को रखा जा रहा है ताक पर। वास्तविकता में सैकड़ों आवासों में हैं पेइंग गेस्ट। 600 रुपए बचाने और योजना की जानकारी के अभाव में पेइंग गेस्ट रखने वाला कोई आवास मालिक नहीं करवाता पंजीकरण। पुलिस व पर्यटन विभाग को करनी होगी सख्ती।
Rajasthan Police : पुलिस की दबिश छात्रावास खाली
अलवर& घोड़ाफेर चौराहे के पास पिछले दिनों हुई मारपीट की घटना के बाद पुलिस के डर से राजपूत हॉस्टल के छात्र हॉस्टल खाली कर इधर-उधर चले गए हैं। इस मामले को लेकर रविवार को प्रताप राजपूत शिक्षा समिति के पदाधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच करवाने का निर्णय लिया गया।
समिति के कोषाध्यक्ष सूरजभान सिंह गौड़ ने बताया 28 मई की रात को विजेंद्र जादौन के साथ आपस में मारपीट होने का मामला अरावली विहार थाने में दर्ज कराया गया। इस मामले में पुलिस ने छात्रावास के राहुल सिंह राजपूत को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद भी पुलिस छात्रावास में रात दिन दबिश दे रही है जिससे छात्रावास के सभी छात्र भयभीत होकर हॉस्टल छोड़ गए हैं। इनका कहना है कि राहुल को भी झूठे मामले में फंसाया गया है। उन्होंने बताया कि इन दिनों छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं और इस घटना के बाद छात्र अनावश्यक परेशान हो रहे हैं। बैठक में जगदीश सिंह नरूका, बिजेंद्र सिंह नरूका, मनवीर सिंह परमार, सुमंत सिंह शेखावत सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे।
समिति के कोषाध्यक्ष सूरजभान सिंह गौड़ ने बताया 28 मई की रात को विजेंद्र जादौन के साथ आपस में मारपीट होने का मामला अरावली विहार थाने में दर्ज कराया गया। इस मामले में पुलिस ने छात्रावास के राहुल सिंह राजपूत को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद भी पुलिस छात्रावास में रात दिन दबिश दे रही है जिससे छात्रावास के सभी छात्र भयभीत होकर हॉस्टल छोड़ गए हैं। इनका कहना है कि राहुल को भी झूठे मामले में फंसाया गया है। उन्होंने बताया कि इन दिनों छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं और इस घटना के बाद छात्र अनावश्यक परेशान हो रहे हैं। बैठक में जगदीश सिंह नरूका, बिजेंद्र सिंह नरूका, मनवीर सिंह परमार, सुमंत सिंह शेखावत सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे।
Rajasthan Police : कांस्टेबल शारीरिक दक्षता परीक्षा 20 से
अलवर। पुलिस कांस्टेबल लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा 20 जून से होगी। पुलिस अधीक्षक महेश गोयल ने बताया कि शारीरिक माप एवं दक्षता परीक्षा इंदिरा गांधी स्टेडियम में ली जाएगी। यह परीक्षा 20 जून को सुबह 7 बजे शुरू होगी और 23 जून तक चलेगी। परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भिजवा दिए गए हैं। जिन अभ्यर्थियों को कॉल लेटर नहीं मिले हैं वे 14 से 18 जून के बीच कार्यालय समय में एसपी कार्यालय से ले सकते हैं।
Rajasthan Police : उदयपुर: नशे में उत्पात मचाने वाला सिपाही निलंबित
उदयपुर.शराब के नशे में धुत्त कांस्टेबल ने रविवार को गुलाब बाग परिसर में दो घंटे तक उत्पात मचाया। इस दौरान चिड़ियाघर के कर्मचारियों से उलझता रहा और कुछ महिला पर्यटकों से अभद्रता भी की।
सूरजपोल पुलिस ने दो घंटे बाद सिपाही वीरसिंह चौधरी को गिरफ्तार कर मेडिकल कराया। यह घटना ऐसे समय हुई जब निर्जला एकादशी को लेकर गुलाबबाग में महिलाओं की भीड़ भाड़ थी। भरतपुर निवासी वीर सिंह वर्तमान में पुलिस लाइन में रहता है। रविवार सुबह वर्दी पहने वीर सिंह (बेल्ट नंबर 1700) शराब पीकर गुलाब बाग चला आया।
यहां पर चिड़ियाघर के कर्मचारियों से उलझने लगा और जबरन अंदर घुस गया। कुछ देर बाद वापस बाहर आया और लड़खड़ाते हुए इधर उधर घूमने लगा। निर्जला एकादशी होने से गुलाब बाग में पर्यटकों की खासी भीड़ थी। इस दौरान सिपाही ने महिला पर्यटकों से छींटा कशी व अभद्रता भी की।
सिपाही की वर्दी धूल मिट्टी से गंदी हो चुकी थी। टोपी कहीं गिर गई थी। सूरजपोल थाने से पुलिए दल मौके पर पहुंचा और समझाने का प्रयास किया तो उनसे भी झगड़ने लगा। सिपाही को पुलिसकर्मी मोटर साइकिल पर बिठा कर ले गए। सिपाही को 60 पुलिस एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। एमबी अस्पताल में मेडिकल कराया गया, जिसमें शराब पीने की पुष्टि हुई है।
पहले भी कर चुका है हरकतें
बताया गया कि यह सिपाही आए दिन शराब पी कर धमाल मचाता है। गौरतलब है कि दो साल पूर्व जब वीर सिंह एफएसएल मोबाइल का ड्राइवर था। तब उसने शराब के नशे में भुवाणा के पास गाड़ी को खड्डे में उतार दिया था। इसके बाद वीरसिंह को पुलिस लाइन में भेज दिया गया था।
कर्मचारी देखते रहे
गुलाबबाग और जंतुआलय परिसर में सिपाही दो घंटे तक उत्पात मचाता रहा, लेकिन कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना तक नहीं थी। यह लापरवाही इसलिए भी गंभीर है कि निर्जला एकादशी होने के कारण रविवार को बड़ी संख्या में महिलाओं का आना जाना लगा हुआ था। वहां पहुंचे भास्कर संवाददाता ने सूरजपोल पुलिस को फोन किया। इसके बाद पहुंची पुलिस ने सिपाही को काबू किया।
सूरजपोल पुलिस ने दो घंटे बाद सिपाही वीरसिंह चौधरी को गिरफ्तार कर मेडिकल कराया। यह घटना ऐसे समय हुई जब निर्जला एकादशी को लेकर गुलाबबाग में महिलाओं की भीड़ भाड़ थी। भरतपुर निवासी वीर सिंह वर्तमान में पुलिस लाइन में रहता है। रविवार सुबह वर्दी पहने वीर सिंह (बेल्ट नंबर 1700) शराब पीकर गुलाब बाग चला आया।
यहां पर चिड़ियाघर के कर्मचारियों से उलझने लगा और जबरन अंदर घुस गया। कुछ देर बाद वापस बाहर आया और लड़खड़ाते हुए इधर उधर घूमने लगा। निर्जला एकादशी होने से गुलाब बाग में पर्यटकों की खासी भीड़ थी। इस दौरान सिपाही ने महिला पर्यटकों से छींटा कशी व अभद्रता भी की।
सिपाही की वर्दी धूल मिट्टी से गंदी हो चुकी थी। टोपी कहीं गिर गई थी। सूरजपोल थाने से पुलिए दल मौके पर पहुंचा और समझाने का प्रयास किया तो उनसे भी झगड़ने लगा। सिपाही को पुलिसकर्मी मोटर साइकिल पर बिठा कर ले गए। सिपाही को 60 पुलिस एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। एमबी अस्पताल में मेडिकल कराया गया, जिसमें शराब पीने की पुष्टि हुई है।
पहले भी कर चुका है हरकतें
बताया गया कि यह सिपाही आए दिन शराब पी कर धमाल मचाता है। गौरतलब है कि दो साल पूर्व जब वीर सिंह एफएसएल मोबाइल का ड्राइवर था। तब उसने शराब के नशे में भुवाणा के पास गाड़ी को खड्डे में उतार दिया था। इसके बाद वीरसिंह को पुलिस लाइन में भेज दिया गया था।
कर्मचारी देखते रहे
गुलाबबाग और जंतुआलय परिसर में सिपाही दो घंटे तक उत्पात मचाता रहा, लेकिन कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना तक नहीं थी। यह लापरवाही इसलिए भी गंभीर है कि निर्जला एकादशी होने के कारण रविवार को बड़ी संख्या में महिलाओं का आना जाना लगा हुआ था। वहां पहुंचे भास्कर संवाददाता ने सूरजपोल पुलिस को फोन किया। इसके बाद पहुंची पुलिस ने सिपाही को काबू किया।
Rajasthan Police : थाने की जमीन से भी नहीं हटा अतिक्रमण
कोटा. यूआईटी और शहर पुलिस मिलकर भी अनंतपुरा में प्रस्तावित थाने की जमीन से अतिक्रमण नहीं हटा पा रही। सरकार ने बजट में यहां थाना तो खोल दिया, लेकिन मौके पर इतने अतिक्रमण है कि पुलिस को भी अपनी ‘जमीन’ पर कदम रखने से पहले ‘रोजनामचा’ खोलना पड़ेगा, क्योंकि साढ़े छह बीघा जमीन में से आधे से ज्यादा पर आशियाने बन चुके हैं।
यूआईटी ने पुलिस विभाग को केवल जमीन का आबंटन किया है, सीमांकन नहीं करवाया। नेशनल हाईवे पर यह पहला थाना होगा। इससे हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को राहत मिल सकेगी। थाने को इस साल के अंत तक शुरू होना था। राज्य सरकार ने अनंतपुरा थाने की इस वित्तीय बजट में घोषणा की थी और अप्रैल में यूआईटी तथा पुलिस को इसकी मंजूरी भी दे दी।
यूआईटी ने थाने के लिए ओम एनक्लेव के सामने अनंतपुरा नाले में करीब साढ़े छह बीघा जमीन प्रस्तावित की थी, लेकिन सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी यूआईटी जमीन की नपाई नहीं कर पाई है। शहर पुलिस की ओर से इसके लिए कई रिमाइंडर भी भेजे गए, लेकिन अभी तक इसका कोई जवाब नहीं मिला। यूआईटी से जमीन का कब्जा मिलने के बाद इसे बजट के नोटिफिकेशन के लिए पुलिस मुख्यालय भेजा जाएगा। बजट की मंजूरी मिलते ही थाने का निर्माण कार्य शुरू होगा। इस जमीन पर करीब 16 आवासीय भूखंड भी बनेंगे।
तब हुआ था जमकर विरोध: यूआईटी ने मार्च में थाने की प्रस्तावित जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की थी, लेकिन लोगों के भारी विरोध और पथराव के कारण यूआईटी दस्ते को खाली हाथ ही लौटना पड़ा। अब भी विरोध की आशंका से यूआईटी अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है।
इनका होगा भार कम: विज्ञान नगर थाने में हर वर्ष करीब 800 से 900 आपराधिक प्रकरण दर्ज होते हैं। वहीं महावीर नगर में भी 500 से 600 का क्राइम रेट है। अनंतपुरा थाना खुलने से इन दोनों थानों का भार कम हो जाएगा। इसमें अनंतपुरा, जगपुरा, रानपुर, रंगबाड़ी, सुभाषनगर, भामाशाह मंडी सहित आसपास के इलाके शामिल होंगे।
थाने की प्रस्तावित जमीन का कब्जा यूआईटी संभलाएगी। जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को भी यूआईटी को हटाना है। उसमंे पुलिस का पूरा सहयोग रहेगा। - प्रफुल्ल कुमार, एसपी सिटी
थाने की जमीन का आवंटन कर दिया गया है। जल्द ही सीमांकन कर दिया जाएगा। अतिक्रमण भी हटाए जाएंगे। उसके बाद शहर पुलिस को जमीन सौंपी जाएगी। - आनंदीलाल वैष्णव, डिप्टी सचिव, यूआईटी
यूआईटी ने पुलिस विभाग को केवल जमीन का आबंटन किया है, सीमांकन नहीं करवाया। नेशनल हाईवे पर यह पहला थाना होगा। इससे हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को राहत मिल सकेगी। थाने को इस साल के अंत तक शुरू होना था। राज्य सरकार ने अनंतपुरा थाने की इस वित्तीय बजट में घोषणा की थी और अप्रैल में यूआईटी तथा पुलिस को इसकी मंजूरी भी दे दी।
यूआईटी ने थाने के लिए ओम एनक्लेव के सामने अनंतपुरा नाले में करीब साढ़े छह बीघा जमीन प्रस्तावित की थी, लेकिन सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी यूआईटी जमीन की नपाई नहीं कर पाई है। शहर पुलिस की ओर से इसके लिए कई रिमाइंडर भी भेजे गए, लेकिन अभी तक इसका कोई जवाब नहीं मिला। यूआईटी से जमीन का कब्जा मिलने के बाद इसे बजट के नोटिफिकेशन के लिए पुलिस मुख्यालय भेजा जाएगा। बजट की मंजूरी मिलते ही थाने का निर्माण कार्य शुरू होगा। इस जमीन पर करीब 16 आवासीय भूखंड भी बनेंगे।
तब हुआ था जमकर विरोध: यूआईटी ने मार्च में थाने की प्रस्तावित जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की थी, लेकिन लोगों के भारी विरोध और पथराव के कारण यूआईटी दस्ते को खाली हाथ ही लौटना पड़ा। अब भी विरोध की आशंका से यूआईटी अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है।
इनका होगा भार कम: विज्ञान नगर थाने में हर वर्ष करीब 800 से 900 आपराधिक प्रकरण दर्ज होते हैं। वहीं महावीर नगर में भी 500 से 600 का क्राइम रेट है। अनंतपुरा थाना खुलने से इन दोनों थानों का भार कम हो जाएगा। इसमें अनंतपुरा, जगपुरा, रानपुर, रंगबाड़ी, सुभाषनगर, भामाशाह मंडी सहित आसपास के इलाके शामिल होंगे।
थाने की प्रस्तावित जमीन का कब्जा यूआईटी संभलाएगी। जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को भी यूआईटी को हटाना है। उसमंे पुलिस का पूरा सहयोग रहेगा। - प्रफुल्ल कुमार, एसपी सिटी
थाने की जमीन का आवंटन कर दिया गया है। जल्द ही सीमांकन कर दिया जाएगा। अतिक्रमण भी हटाए जाएंगे। उसके बाद शहर पुलिस को जमीन सौंपी जाएगी। - आनंदीलाल वैष्णव, डिप्टी सचिव, यूआईटी
Rajasthan Police : हेड कांस्टेबल की पत्नी ने आत्मदाह किया
उदयपुर.जिले के पहाड़ा थानांतर्गत राणी गांव में गृह क्लेश के चलते केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के हेड कांस्टेबल की पत्नी ने केरोसिन उड़ेल कर आत्मदाह कर लिया। उपचार के समय हिम्मतनगर के अस्पताल में महिला की मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार राणी निवासी इंदु (35) पत्नी रणछोड़ मीणा ने आत्मदाह कर लिया। इंदु का विवाह 15 साल पहले रणछोड़ से हुआ था। इनके तीन संतान हैं। इनमें बड़ी बेटी 12 वीं कक्षा में है। इंदु का पति जम्मू, उधमपुर सीआईएसएफ में हेड कांस्टेबल है। बताया गया कि रणछोड़ पिछले दिनों ही उधमपुर से गांव आया था।
घटना के समय घर में पति व तीन बच्चे थे। शुक्रवार तड़के इंदु ने मकान में खुद पर केरोसीन डालकर आत्मदाह कर लिया। परिजनों ने पानी डालकर आग बुझाई। गंभीर रूप से झुलसी इंदु ने हिम्मत नगर अस्पताल में उपचार के समय दम तोड़ दिया।
पुलिस के अनुसार राणी निवासी इंदु (35) पत्नी रणछोड़ मीणा ने आत्मदाह कर लिया। इंदु का विवाह 15 साल पहले रणछोड़ से हुआ था। इनके तीन संतान हैं। इनमें बड़ी बेटी 12 वीं कक्षा में है। इंदु का पति जम्मू, उधमपुर सीआईएसएफ में हेड कांस्टेबल है। बताया गया कि रणछोड़ पिछले दिनों ही उधमपुर से गांव आया था।
घटना के समय घर में पति व तीन बच्चे थे। शुक्रवार तड़के इंदु ने मकान में खुद पर केरोसीन डालकर आत्मदाह कर लिया। परिजनों ने पानी डालकर आग बुझाई। गंभीर रूप से झुलसी इंदु ने हिम्मत नगर अस्पताल में उपचार के समय दम तोड़ दिया।
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