उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने पुलिस अधिकारियों के ताबड़तोड़ तबादले किये है। शनिवार को सरकार ने चार अपर पुलिस महानिदेशक, दो एसपी, 33 एएसपी व 39 डिप्टी एसपी के तबादले किये है। अपर पुलिस महानिदेशक गुरबचन लाल अपर पुलिस महानिदेशक, एनसीआर जोन, मेरठ से अपर पुलिस महानिदेशक दूर संचार उप्र लखनऊ, के0एल0 मीना, अपर पुलिस महानिदेशक, सुरक्षा उ0प्र0 लखनऊ से अपर पुलिस महानिदेशक एनसीआर जोन मेरठ किया गया है।
पुलिस अधीक्षकों में एस0एन0 सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गौतमबुद्धनगर से पुलिस अधीक्षक प्रशिक्षण, उ0प्र0 प्रशिक्षण निदेशालय, लखनऊ ज्योति नारायन पुलिस अधीक्षक प्रशिक्षण, उ0प्र0 प्रशिक्षण निदेशालय लखनऊ से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौतमबुद्धनगर किया गया है। इन तबदालों को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी से जोड़ कर देखा जा रहा है। जिसका संकेत मु यमंत्री मायावती ने सरकार के चार साल पूरे होने पर शुक्रवार को घोषणा की थी।
अपर पुलिस अधीक्षकों में अजय कुमार सिंह, उपसेनायक, 20 वीं वाहिनी पीएसी आजमगढ़ से उपसेनायक 42वीं वाहिनी पीएसी, इलाहाबाद, कैलाश सिंह, उपसेनानायक, 42वीं वाहिनी पीएसी इलाहाबाद से उपसेनानायक 20वीं वाहिनी पीएसी, आजमगढ़ , राम प्रताप सिंह, उपसेनानायक, 26वीं वाहिनी पीएसी गोरखपुर से अपर पुलिस अधीक्षक, यातायात, आगरा , उमेश कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक, एटीएस लखनऊ से अपर पुलिस अधीक्षक, एंटी नक्सल चंदौली, अजय वर्मा, अपर पुलिस अधीक्षक, सीबीसीआईडी मु यालय लखनऊ से अपर पुलिस अधीक्षक फूड सेल लखनऊ , श्रीकृष्ण अपर पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण आगरा से अपर पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण लखनऊ , ददन पाल, अपर पुलिस अधीक्षक फिरोजाबाद से अपर पुलिस अधीक्षक, काशीरामनगर, राजेश कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक, मैनपुरी से अपर पुलिस अधीक्षक चंदौली, राधेश्याम,
अपर पुलिस अधीक्षक काशीरामनगर से अपर पुलिस अधीक्षक फिरोजाबाद, दिवाकर कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक, मऊ से अपर पुलिस अधीक्षक, जौनपुर, अशोक कुमार पाण्डेय, अपर पुलिस अधीक्षक हमीरपुर से अपर पुलिस अधीक्षक महराजगंज , विक्रमादित्य सचान, अपर पुलिस अधीक्षक महोबा से अपर पुलिस अधीक्षक देवरिया, राजेश कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक बलरामपुर से अपर पुलिस अधीक्षक, ज्योतिबाफूलेनगर, सुनील कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक सुरक्षा फैजाबाद से अपर पुलिस अधीक्षक नगर, अलीगढ़ , जवाहर, अपर पुलिस अधीक्षक, देवरिया से अपर पुलिस अधीक्षक मैनपुरी, शिव प्रसाद उपाध्याय, अपर पुलिस अधीक्षक महराजगंज से अपर पुलिस अधीक्षक हमीरपुर, मनोज कुमार सोनकर, अपर पुलिस अधीक्षक इटावा से अपर पुलिस अधीक्षक मऊ, अशोक प्रसाद, अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण, लखनऊ से अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण पूर्वी आगरा, ओम प्रकाश सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक हरदोई से अपर पुलिस अधीक्षक सुरक्षा, आगरा, डा0 अरविन्द, अपर पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण मुरादाबाद से अपर पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण पश्चिमी आगरा, अनिल कुमार सिंह, अपर पुलिस ज्योतिबाफूलेनगर से अपर पुलिस अधीक्षक हरदोई, बाबू राम,
अपर पुलिस अधीक्षक बुलन्दशहर से अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण, मुरादाबाद, महेन्द्र पाल सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक बागपत से अपर पुलिस अधीक्षक, बुलन्दशहर, राहुल राज, अपर पुलिस अधीक्षक जौनपुर से अपर पुलिस अधीक्षक, बलरामपुर , संतोष कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक चंदौली से अपर पुलिस अधीक्षक इटावा, देवेन्द्र प्रताप नरायन पाण्डेय अपर पुलिस अधीक्षक, यातायात वाराणसी से अपर पुलिस अधीक्षक, महोबा, राहुल यादुवेन्द्र, अपर पुलिस अधीक्षक नगर मुरादाबाद से अपर पुलिस अधीक्षक बिजनौर, मान सिंह चौहान, अपर पुलिस अधीक्षक, नगर अलीगढ़ से अपर पुलिस अधीक्षक नगर वाराणसी, दिनेश चन्द्र, अपर पुलिस अधीक्षक जौनपुर से अपर पुलिस अधीक्षक बागपत ,
विजय भूषण अपर पुलिस अधीक्षक नगर वाराणसी से अपर पुलिस अधीक्षक नगर मुरादाबाद, जगदीश शर्मा, उपसेनानायक 38वीं वाहिनी पीएसी अलीगढ़ से अपर पुलिस अधीक्षक जौनपुर, ललित कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक नगर पश्चिमी लखनऊ से अपर पुलिस अधीक्षक क्षेत्रीय अभिसूचना, लखनऊ, राकेश सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक क्षेत्रीय अभिसूचना कानपुर से अपर पुलिस अधीक्षक नगर पश्चिमी लखनऊ
पुलिस उपाधीक्षक, विजय नरायन सिंह, पुलिस उपाधीक्षक ई0ओ0डब्लू0 कानपुर से पुलिस उपाधीक्षक, झॉसी , राजा राम वर्मा, पुलिस उपाधीक्षक उन्नाव से पुलिस उपाधीक्षक फतेहगढ़, श्रीमती गुनजीत श्रीवास, पुलिस उपाधीक्षक, अभिसूचना मु यालय, लखनऊ से पुलिस उपाधीक्षक उ0प्र0 पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, लखनऊ, मचुवा राम दुखटल पुलिस उपाधीक्षक, फतेहगढ़ से पुलिस उपाधीक्षक उन्नाव, श्रीमती सुमन चौधरी पुलिस उपाधीक्षक उ0प्र0 पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड लखनऊ से पुलिस उपाधीक्षक अभिसूचना मु यालय लखनऊ, मोह मद नाजिम हसन, सहायक सेनानायक 32 वीं वाहिनी पीएसी, लखनऊ से सहायक सेनानायक 28वीं वाहिनी पीएसी इटावा, विनोद कुमार पुलिस उपाधीक्षक आगरा से पुलिस उपाधीक्षक अ बेडकरनगर,
महेन्द्र कुमार, पुलिस उपाधीक्षक आगरा से पुलिस उपाधीक्षक मेरठ, जय नरायन सिंह पुलिस उपाधीक्षक आगरा से पुलिस उपाधीक्षक कानपुर नगर, ब्रजेश कुमार गौतम, पुलिस उपाधीक्षक, आगरा से पुलिस उपाधीक्षक, अलीगढ़ , संजय कुमार पुलिस उपाधीक्षक मथुरा से पुलिस उपाधीक्षक, लखनऊ, आशुतोष द्विवेदी, पुलिस उपाधीक्षक, मथुरा से पुलिस उपाधीक्षक, आगरा, वीरेन्द्र सिंह, पुलिस उपाधीक्षक अलीगढ़ से पुलिस उपाधीक्षक आगरा, बलरामाचारी दुबे, पुलिस उपाधीक्षक, एटा से पुलिस उपाधीक्षक कानपुर नगर, असित श्रीवास्तव, पुलिस उपाधीक्षक एटा से पुलिस उपाधीक्षक इलाहाबाद, बलीराम सरोज पुलिस उपाधीक्षक लखनऊ से पुलिस उपाधीक्षक इलाहाबाद, बी0डी0 मौर्या, पुलिस उपाधीक्षक, श्रावस्ती से पुलिस उपाधीक्षक, कौशाम्बी, ब्रज मोहन सिंह पुलिस उपाधीक्षक कौशाम्बी से सहायक सेनानायक 32वीं वाहिनी पीएसी, लखनऊ,
जीतेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, पुलिस उपाधीक्षक, काशीरामनगर से पुलिस उपाधीक्षक आजमगढ़, राजेश कुमार पुलिस उपाधीक्षक इलाहाबाद से पुलिस उपाधीक्षक फैजाबाद, आशुतोष मिश्रा, पुलिस उपाधीक्षक इलाहाबाद से पुलिस उपाधीक्षक मथुरा, घनश्याम, पुलिस उपाधीक्षक इलाहाबाद से पुलिस उपाधीक्षक सहारनपुर, दिनेश कुमार द्विवेदी पुलिस उपाधीक्षक इलाहाबाद से पुलिस उपाधीक्षक बहराइच, शैलेन्द्र कुमार राय, पुलिस उपाधीक्षक आजमगढ़ से पुलिस उपाधीक्षक जौनपुर, राजेश कुमार श्रीवास्तव पुलिस उपाधीक्षक आजमगढ़ से पुलिस उपाधीक्षक काशीरामनगर, सिद्धार्थ पुलिस उपाधीक्षक बलिया से पुलिस उपाधीक्षक आगरा, अयोध्या प्रसाद सिंह, पुलिस उपाधीक्षक बलिया से पुलिस उपाधीक्षक मुज फरनगर, राम प्रकाश पुलिस उपाधीक्षक बलिया से पुलिस उपाधीक्षक एटा,
प्रकाश स्वरूप पाण्डेय पुलिस उपाधीक्षक बरेली से पुलिस उपाधीक्षक सिद्धार्थनगर, विजय कुमार शर्मा पुलिस उपाधीक्षक सिद्धार्थनगर से पुलिस उपाधीक्षक बरेली, ज्ञानेन्द्र नाथ प्रसाद पुलिस उपाधीक्षक बांदा से पुलिस उपाधीक्षक मथुरा, गजेन्द्र सिंह, पुलिस उपाधीक्षक बांदा से पुलिस उपाधीक्षक देवरिया , अजय कुमार सिंह पुलिस उपाधीक्षक अ बेडकरनगर से पुलिस उपाधीक्षक आगरा, देवेश कुमार शर्मा पुलिस उपाधीक्षक देवरिया से पुलिस उपाधीक्षक आजमगढ़, देवेन्द्र सिंह पुलिस उपाधीक्षक देवरिया से पुलिस उपाधीक्षक बांदा।
अरविन्द मिश्रा पुलिस उपाधीक्षक कानपुर नगर से पुलिस उपाधीक्षक एटा, सुशील कुमार शुक्ला पुलिस उपाधीक्षक मुज फरनगर से सहायक सेनानायक 48वीं वाहिनी पीएसी सोनभद्र, आशुतोष शुक्ला पुलिस उपाधीक्षक चंदौली से पुलिस उपाधीक्षक बांदा, मारतण्ड प्रकाश सिंह पुलिस उपाधीक्षक सीतापुर से पुलिस उपाधीक्षक झॉसी पूर्व हुआ स्थानान्तरण परिवर्तित होकर अब सहायक सेनानायक 35वीं वाहिनी पीएसी लखनऊ किया गया है।
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Sunday, July 24, 2011
MP Police: क्रिटिकल केस भी आसानी से सुलझा रहा है सायबर सेल
जिन आपराधिक मामलों को निपटाने में जिला पुलिस को लंबा समय लग जाता था, अब सायबर पुलिस उन्हें चंद दिनों में ही सुलझा रही है। राजधानी स्थित पुलिस दूरसंचार मुख्यालय में गठित राज्य सायबर पुलिस ने चंद महीनों में ऐसे ही कुछ केस बड़ी आसानी से हल कर दिए। इससे न सिर्फ पीड़ित को राहत मिली है, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली में भी सुधार आया है।
ये है सायबर सेल टीम
डीएसपी- दीपक ठाकुर, सुनील राजोरे, देवंेद्र चौबे ठ्ठ इंस्पेक्टर- प्रवीण छारिया, प्रशांत द्विवेदी ठ्ठ सब इंस्पेक्टर- आर.के. शर्मा, शेफाली टाकेलकर ठ्ठ एएसआई- किरण सुमेर ठ्ठ हेड कांस्टेबल- सुशील बारई, भगवानसिंह, मुकेश मिश्रा, करण पांडे ठ्ठ कांस्टेबल- इंद्रपालसिंह, रितेशसिंह, जितेंद्रसिंह, कैलाश चौरसिया, मुनंेद्र मिश्रा, रानू डेकले, सौरभ भट्ट, अंकुर वर्मा, परसराम सोलंकी।
24 घंटे में सुलझाया मामला
2010 में भोपाल-इटारसी के बीच ट्रेन में अज्ञात बदमाशों ने एक परिवार से ६ लाख रु. के जेवरात लूट लिए थे। इटारसी में पीड़ित ने टीटीई को सारी बात बताई। रिपोर्ट मनमाड़ (महाराष्ट्र) जीआरपी ने दर्ज की। सायबर पुलिस को पुणो से फैक्स से पूरी जानकारी भेजी। सायबर पुलिस ने ट्रैकर के जरिए पीड़ितों के बैग में रखे मोबाइल की लोकेशन ढूंढ़ी।24 घंटे में अपराधियों को धर दबोचा।
7 दिन में पकड़ी प्रोग्राम चोरी
2010 में ही इंदौर की कंपनी ने जो प्रोग्राम बनाया, उसे मैनेजर नौकरी छोड़ते वक्त साथ ले गया। नई कंपनी खोलकर उसी प्रोग्राम को अपने नाम पर पेटेंट करा लिया। १क् करोड़ के डिजाइन को २ करोड़ में बेच दिया। सायबर पुलिस ने दोनों कंपनियों के कम्प्यूटर और साइट के डिजिटल फोटोग्राफ एवं समस्त पुराने मेल डिटेल का विश्लेषण किया। सायबर की जांच के आधार पर मामला सुलझा।
हमारी टीम पूरी मेहनत से काम कर रही है। जल्द ही यह पुलिस महकमे की सबसे सशक्त टीम के रूप में उभरेगी। जनता को जागरूक होना होगा। वे हमसे सीधे संपर्क कर सकते हैं।
राजेंद्र मिश्रा, आईजी, सायबर सेल
ये है सायबर सेल टीम
डीएसपी- दीपक ठाकुर, सुनील राजोरे, देवंेद्र चौबे ठ्ठ इंस्पेक्टर- प्रवीण छारिया, प्रशांत द्विवेदी ठ्ठ सब इंस्पेक्टर- आर.के. शर्मा, शेफाली टाकेलकर ठ्ठ एएसआई- किरण सुमेर ठ्ठ हेड कांस्टेबल- सुशील बारई, भगवानसिंह, मुकेश मिश्रा, करण पांडे ठ्ठ कांस्टेबल- इंद्रपालसिंह, रितेशसिंह, जितेंद्रसिंह, कैलाश चौरसिया, मुनंेद्र मिश्रा, रानू डेकले, सौरभ भट्ट, अंकुर वर्मा, परसराम सोलंकी।
24 घंटे में सुलझाया मामला
2010 में भोपाल-इटारसी के बीच ट्रेन में अज्ञात बदमाशों ने एक परिवार से ६ लाख रु. के जेवरात लूट लिए थे। इटारसी में पीड़ित ने टीटीई को सारी बात बताई। रिपोर्ट मनमाड़ (महाराष्ट्र) जीआरपी ने दर्ज की। सायबर पुलिस को पुणो से फैक्स से पूरी जानकारी भेजी। सायबर पुलिस ने ट्रैकर के जरिए पीड़ितों के बैग में रखे मोबाइल की लोकेशन ढूंढ़ी।24 घंटे में अपराधियों को धर दबोचा।
7 दिन में पकड़ी प्रोग्राम चोरी
2010 में ही इंदौर की कंपनी ने जो प्रोग्राम बनाया, उसे मैनेजर नौकरी छोड़ते वक्त साथ ले गया। नई कंपनी खोलकर उसी प्रोग्राम को अपने नाम पर पेटेंट करा लिया। १क् करोड़ के डिजाइन को २ करोड़ में बेच दिया। सायबर पुलिस ने दोनों कंपनियों के कम्प्यूटर और साइट के डिजिटल फोटोग्राफ एवं समस्त पुराने मेल डिटेल का विश्लेषण किया। सायबर की जांच के आधार पर मामला सुलझा।
हमारी टीम पूरी मेहनत से काम कर रही है। जल्द ही यह पुलिस महकमे की सबसे सशक्त टीम के रूप में उभरेगी। जनता को जागरूक होना होगा। वे हमसे सीधे संपर्क कर सकते हैं।
राजेंद्र मिश्रा, आईजी, सायबर सेल
maharastra police:नागपुर शहर पुलिस को पहली बार सबसे महंगा बुलेटप्रूफ फायरिंग (आरमोड प्रूफ कैरियर) पुलिस वाहन
मुंबई समेत अन्य दूसरे शहरों की तरह अब नागपुर पुलिस भी आधुनिक हथियारों से सुसज्ज हो चली है। शहर पुलिस के पास आधुनिक हथियार आ चुके हैं।
इन हथियारों को चलाने के लिए जवानों को बकायदा प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे उपराजधानी की पुलिस अब और ताकतवर बन गई है, क्योंकि नागपुर शहर पुलिस को पहली बार सबसे महंगा बुलेटप्रूफ फायरिंग (आरमोड प्रूफ कैरियर) पुलिस वाहन मुहैया कराया गया है।
यह कीचड़, रेत और उबड़- खाबड़ वाले रास्तों पर सरपट दौड़ सकता है। इसमें फोरविल ड्राइव सिस्टम है, इसके चारों पहिए एक साथ घूमते हैं। इसका इंजन 5883 सीसी का है।
इसके अलावा और कई खूबियों वाले इस वाहन के मिलने से पुलिस अब दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में पीछे नहीं रहेगी।
दुश्मन की हर हरकत पर होगी नजर:
अभी तक देखा गया है कि मकानों, अस्पतालों या स्कूलों में छुपने वाले दुश्मनों से निपटने के लिए पुलिस को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी।
इसमें अत्याधुनिक हथियारों से लैस पुलिस जवान, दुश्मन की हर हरकतों को आसानी से देख सकते हैं कि दुश्मन कहां छुपा है और वह किस तरह की पोजीशन ले रहा है।
दुश्मनों को यह पता नहीं चल सकेगा कि वाहन के अंदर क्या हरकत हो रही है, लेकिन दुश्मन की हरकत का पता पुलिस को लग जाएगी। अभी तक पुलिस बड़ी मुश्किल से खुद की जान को जोखिम में डाल कर उनका मुकाबला करती थी।
इससे पहले पुलिस, दुश्मनों से फेस टू फेस मुकाबला करने में सक्षम नहीं थी। इस वाहन के आने से किसी भी खतरनाक परिस्थिति का मुंहतोड़ जबाब नागपुर पुलिस दे सकती है।
पुलिस, गोलियां बरसाने वाले दुश्मन के सामने इस वाहन में जाकर उसका मुकाबला करते हुए उसे चित कर सकती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि शहर पुलिस अब पूरी तरह से हर मामले में ताकतवर बन गई है।
टायर पंचर होने पर भी दौड़ेगा 70 किमी तक
बुलेट प्रूफ फायरिंग पुलिस वाहन को बनाने में करीब 50 लाख की लागत लगी है। इस वाहन का वजन करीब साढ़े 7 टन है। इसके टायरों पर गोली लगने का खास असर नहीं होगा, फिर भी टायर पंचर हो जाने पर लगभग 70 किमी तक बिना किसी रुकावट के चलेगा।
खास बात यह है कि यह उसी गति से चलेगा, जिस गति से पंचर होने से पहले चल रहा था।
इसका ईंधन टैंक 200 लीटर का है, इसमें यूं तो 14 लोगों के बैठने की क्षमता है, लेकिन किसी घटना के दौरान दुश्मनों से निपटने के लिए 10 लोग आसानी से बैठ कर दुश्मनों का मुकाबला कर सकते हैं। इसके भीतर एक साथ 8 जवान किसी भी दुश्मन पर फायरिंग कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में हैं 4 वाहन
नागपुर एम टी सेक्शन के इंस्पेक्टर अनिल देशमुख ने बताया कि महाराष्ट्र में इस तरह के वाहन चार शहरों को उपलब्ध कराए गए हैं, जिसमें नागपुर, सोलापुर, औरंगाबाद और अमरावती शहर पुलिस का समावेश है।
यह वाहन उन्हीं शहरों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जहां पर पुलिस आयुक्तालय हैं। इस तरह के वाहन पुणे, ठाणे, नासिक आदि शहरों के लिए प्रस्तावित है। यह वाहन क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) के पास रहेगा। नागपुर में इसके लिए क्यूआरटी के एक जवान को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया है।
इसलिए बनाया गया है वातानुकूलित
इस वाहन में कहीं से भी हवा का संचार नहीं हो सकता है। इसके भीतर बैठने वाले पुलिस जवान को घुटन न हो या किसी अन्य प्रकार की परेशानी न हो और उसे सही वातावरण मिल सके इसलिए इस वाहन को पूरी तरह से वातानुकूलित बनाया गया है।
नागपुर पुलिस हो गई हाईटेक
नागपुर पुलिस को इस तरह का वाहन मिलने के बाद जवानों का हौसला बढ़ने के साथ ही शहर पुलिस अब और हाईटेक हो गई है। राज्य के दूसरे शहरों की तरह इस शहर में अब पुलिस दुश्मनों की आंखों में आंखें डाल कर उसका मुकाबला आमने-सामने से कर सकती है।
इंस्पेक्टर अनिल देशमुख, नागपुर एमटी विभाग
इन हथियारों को चलाने के लिए जवानों को बकायदा प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे उपराजधानी की पुलिस अब और ताकतवर बन गई है, क्योंकि नागपुर शहर पुलिस को पहली बार सबसे महंगा बुलेटप्रूफ फायरिंग (आरमोड प्रूफ कैरियर) पुलिस वाहन मुहैया कराया गया है।
यह कीचड़, रेत और उबड़- खाबड़ वाले रास्तों पर सरपट दौड़ सकता है। इसमें फोरविल ड्राइव सिस्टम है, इसके चारों पहिए एक साथ घूमते हैं। इसका इंजन 5883 सीसी का है।
इसके अलावा और कई खूबियों वाले इस वाहन के मिलने से पुलिस अब दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में पीछे नहीं रहेगी।
दुश्मन की हर हरकत पर होगी नजर:
अभी तक देखा गया है कि मकानों, अस्पतालों या स्कूलों में छुपने वाले दुश्मनों से निपटने के लिए पुलिस को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी।
इसमें अत्याधुनिक हथियारों से लैस पुलिस जवान, दुश्मन की हर हरकतों को आसानी से देख सकते हैं कि दुश्मन कहां छुपा है और वह किस तरह की पोजीशन ले रहा है।
दुश्मनों को यह पता नहीं चल सकेगा कि वाहन के अंदर क्या हरकत हो रही है, लेकिन दुश्मन की हरकत का पता पुलिस को लग जाएगी। अभी तक पुलिस बड़ी मुश्किल से खुद की जान को जोखिम में डाल कर उनका मुकाबला करती थी।
इससे पहले पुलिस, दुश्मनों से फेस टू फेस मुकाबला करने में सक्षम नहीं थी। इस वाहन के आने से किसी भी खतरनाक परिस्थिति का मुंहतोड़ जबाब नागपुर पुलिस दे सकती है।
पुलिस, गोलियां बरसाने वाले दुश्मन के सामने इस वाहन में जाकर उसका मुकाबला करते हुए उसे चित कर सकती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि शहर पुलिस अब पूरी तरह से हर मामले में ताकतवर बन गई है।
टायर पंचर होने पर भी दौड़ेगा 70 किमी तक
बुलेट प्रूफ फायरिंग पुलिस वाहन को बनाने में करीब 50 लाख की लागत लगी है। इस वाहन का वजन करीब साढ़े 7 टन है। इसके टायरों पर गोली लगने का खास असर नहीं होगा, फिर भी टायर पंचर हो जाने पर लगभग 70 किमी तक बिना किसी रुकावट के चलेगा।
खास बात यह है कि यह उसी गति से चलेगा, जिस गति से पंचर होने से पहले चल रहा था।
इसका ईंधन टैंक 200 लीटर का है, इसमें यूं तो 14 लोगों के बैठने की क्षमता है, लेकिन किसी घटना के दौरान दुश्मनों से निपटने के लिए 10 लोग आसानी से बैठ कर दुश्मनों का मुकाबला कर सकते हैं। इसके भीतर एक साथ 8 जवान किसी भी दुश्मन पर फायरिंग कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में हैं 4 वाहन
नागपुर एम टी सेक्शन के इंस्पेक्टर अनिल देशमुख ने बताया कि महाराष्ट्र में इस तरह के वाहन चार शहरों को उपलब्ध कराए गए हैं, जिसमें नागपुर, सोलापुर, औरंगाबाद और अमरावती शहर पुलिस का समावेश है।
यह वाहन उन्हीं शहरों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जहां पर पुलिस आयुक्तालय हैं। इस तरह के वाहन पुणे, ठाणे, नासिक आदि शहरों के लिए प्रस्तावित है। यह वाहन क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) के पास रहेगा। नागपुर में इसके लिए क्यूआरटी के एक जवान को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया है।
इसलिए बनाया गया है वातानुकूलित
इस वाहन में कहीं से भी हवा का संचार नहीं हो सकता है। इसके भीतर बैठने वाले पुलिस जवान को घुटन न हो या किसी अन्य प्रकार की परेशानी न हो और उसे सही वातावरण मिल सके इसलिए इस वाहन को पूरी तरह से वातानुकूलित बनाया गया है।
नागपुर पुलिस हो गई हाईटेक
नागपुर पुलिस को इस तरह का वाहन मिलने के बाद जवानों का हौसला बढ़ने के साथ ही शहर पुलिस अब और हाईटेक हो गई है। राज्य के दूसरे शहरों की तरह इस शहर में अब पुलिस दुश्मनों की आंखों में आंखें डाल कर उसका मुकाबला आमने-सामने से कर सकती है।
इंस्पेक्टर अनिल देशमुख, नागपुर एमटी विभाग
UP Police : पुलिस भर्ती आवेदन फॉर्म के वितरण में बदइंतजामी से नाराज हजारों युवकों का हंगामा
जिले में शुक्रवार को पुलिस भर्ती आवेदन फॉर्म के वितरण में कथित बदइंतजामी से नाराज हजारों युवकों ने हंगामा किया और पुलिस के साथ उनकी झड़पें हुईं। उग्र युवाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।
सदर इलाके स्थित मुख्य डाकघर में पुलिस कांस्टेबल के आदेवन फॉर्म लेने आए करीब पांच हजार युवकों ने आवेदन फॉर्म मिलने में देरी से नाराज होकर हंगामा करना शुरू कर दिया। इस दौरान वहां मौजूद पुलिस बल ने जब उन्हें रोका तो वे पुलिस से भिड़ गए।
आक्रोशित छात्रों पर लाठियां भांजकर पुलिस ने उन्हें तितर-बितर किया। युवकों का आरोप है कि बदइंतजामी के कारण फॉर्म मिलने में घंटों देरी लग रही थी। अगर व्यवस्थित तरीके से वितरण होता तो सबको समय पर फॉर्म मिल जाते। आवाज उठाने पर पुलिस उन्हें बाहर निकालने लगी जिसके बाद युवा उग्र हो गए।
सदर थाना प्रभारी पंकज राय ने बताया, "फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। तनाव के मद्देनजर पूरे इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।" उन्होंने कहा कि इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है।
सदर इलाके स्थित मुख्य डाकघर में पुलिस कांस्टेबल के आदेवन फॉर्म लेने आए करीब पांच हजार युवकों ने आवेदन फॉर्म मिलने में देरी से नाराज होकर हंगामा करना शुरू कर दिया। इस दौरान वहां मौजूद पुलिस बल ने जब उन्हें रोका तो वे पुलिस से भिड़ गए।
आक्रोशित छात्रों पर लाठियां भांजकर पुलिस ने उन्हें तितर-बितर किया। युवकों का आरोप है कि बदइंतजामी के कारण फॉर्म मिलने में घंटों देरी लग रही थी। अगर व्यवस्थित तरीके से वितरण होता तो सबको समय पर फॉर्म मिल जाते। आवाज उठाने पर पुलिस उन्हें बाहर निकालने लगी जिसके बाद युवा उग्र हो गए।
सदर थाना प्रभारी पंकज राय ने बताया, "फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। तनाव के मद्देनजर पूरे इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।" उन्होंने कहा कि इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है।
UP Police : 'दारोगा बाबू' की दौड़ में अचेत हुए 32 सिपाही, महकमा हुआ शर्मसार
प्रदेश पुलिस भर्ती एवं पदोन्नति बोर्ड द्वारा उपनिरीक्षक पद पर पदोन्नति के लिए की जा रही दौड के दौरान आज यहां पुलिस लाइन मैदान में 32 सिपाही बेहोश हो गये जिसमें दो की हालत गंभीर है।
बेहोश सभी सिपाहियों को जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया है। पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि सिपाही से दारोगा पद पर प्रोन्नति के लिये 75 मिनट में पुलिस लाइन के 25 चक्कर लगाने थे। दौड के दौरान ही 32 सिपाही बेहोश होकर गिर पडे। दौड में दो सौ से अधिक सिपाहियों ने हिस्सा लिया था। प्रोन्नति की दौड में आस पास के जिलों से भी सिपाही आये थे।
प्रोन्नति के लिये कल हुई दौड में एक पुलिसकर्मी की मृत्यु हो गयी थी तथा 24 बीमार हो गये थे।
राज्य के पुलिस महानिरीक्षक .कानून व्यवस्था. ए.पी.माहेश्वरी के अनुसार राज्य के 18 जिलों में पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा सिपाहियों को प्रोन्नत करने के लिए लिखित परीक्षा के बाद 75 मिनट में दस किलोमीटर की दौड करायी जा रही थी।
कानपुर में दौड़ के दौरान 14 पुलिसकर्मी बीमार हो गये जिसमें एक को सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया। सात पुलिसकर्मियों को उपचार के बाद घर भेज दिया गया जबकि अन्य का अस्पताल में उपचार चल रहा है। इसके अलावा मेरठ में सात पुलिसकर्मी बीमार हो गये जिसमें 44वीं वाहिनी पीएसी मेरठ में तैनात आरक्षी अगरज कुमार दुबे .37. की मृत्यु हो गयी।
सीतापुर में चार पुलिसकर्मी बीमार हुये। उनका उपचार चल रहा है और सभी खतरे से बाहर हैं।
इससे पूर्व भी राज्य में रैंकर पदोन्नति के दौरान तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी और राज्य सरकार ने इस तरह की दौड पर रोक लगा दी थी।
बेहोश सभी सिपाहियों को जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया है। पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि सिपाही से दारोगा पद पर प्रोन्नति के लिये 75 मिनट में पुलिस लाइन के 25 चक्कर लगाने थे। दौड के दौरान ही 32 सिपाही बेहोश होकर गिर पडे। दौड में दो सौ से अधिक सिपाहियों ने हिस्सा लिया था। प्रोन्नति की दौड में आस पास के जिलों से भी सिपाही आये थे।
प्रोन्नति के लिये कल हुई दौड में एक पुलिसकर्मी की मृत्यु हो गयी थी तथा 24 बीमार हो गये थे।
राज्य के पुलिस महानिरीक्षक .कानून व्यवस्था. ए.पी.माहेश्वरी के अनुसार राज्य के 18 जिलों में पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा सिपाहियों को प्रोन्नत करने के लिए लिखित परीक्षा के बाद 75 मिनट में दस किलोमीटर की दौड करायी जा रही थी।
कानपुर में दौड़ के दौरान 14 पुलिसकर्मी बीमार हो गये जिसमें एक को सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया। सात पुलिसकर्मियों को उपचार के बाद घर भेज दिया गया जबकि अन्य का अस्पताल में उपचार चल रहा है। इसके अलावा मेरठ में सात पुलिसकर्मी बीमार हो गये जिसमें 44वीं वाहिनी पीएसी मेरठ में तैनात आरक्षी अगरज कुमार दुबे .37. की मृत्यु हो गयी।
सीतापुर में चार पुलिसकर्मी बीमार हुये। उनका उपचार चल रहा है और सभी खतरे से बाहर हैं।
इससे पूर्व भी राज्य में रैंकर पदोन्नति के दौरान तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी और राज्य सरकार ने इस तरह की दौड पर रोक लगा दी थी।
Delhi Police : ट्रेनी दरोगा ने एसआई को मार डाला
निहाल विहार थाने में तैनात एक सीनियर सब इंस्पेक्टर (एसआई) की उसी थाने के ट्रेनी एसआई ने गोली मारकर हत्या कर दी। ट्रेनी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। शुरुआती जांच में आशंका जताई जा रही है कि दोनों के बीच किसी बात को लेकर अनबन थी। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
पश्चिमी जिले के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त वी रंगनाथन ने बताया कि 1996 बैच के एसआई कैलाश चंद (40) को स्पेशल सेल से महज तीन माह पहले ही निहाल विहार थाने भेजा गया था। वहीं, अमरजीत 2009 में पुलिस में भर्ती हुआ था और दो माह पहले ट्रेनी एसआई के तौर पर उसे रणहौला थाने से स्थानांतरित किया गया था।
गुरुवार शाम कैलाश जांच अधिकारी के कमरे में बैठे हुए थे, तभी करीब 5:15 बजे अमरजीत गश्त से लौटा और सर्विस रिवाल्वर से उन पर दो फायर किए। गोली पेट और सीने में लगी। घायल कैलाश को बालाजी एक्शन अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। कैलाश पांच वर्ष तक दिल्ली पुलिस की सबसे अहम यूनिट स्पेशल सेल में तैनात रहे। सरोजनी नगर ब्लास्ट सहित कई वारदात में उन्होंने छानबीन की थी। मूल रूप से झांसी के कैलाश दिलशाद गार्डन में अपने परिवार के साथ रहते थे। परिवार में पत्नी, दो बच्चों व माता-पिता हैं।
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पश्चिमी जिले के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त वी रंगनाथन ने बताया कि 1996 बैच के एसआई कैलाश चंद (40) को स्पेशल सेल से महज तीन माह पहले ही निहाल विहार थाने भेजा गया था। वहीं, अमरजीत 2009 में पुलिस में भर्ती हुआ था और दो माह पहले ट्रेनी एसआई के तौर पर उसे रणहौला थाने से स्थानांतरित किया गया था।
गुरुवार शाम कैलाश जांच अधिकारी के कमरे में बैठे हुए थे, तभी करीब 5:15 बजे अमरजीत गश्त से लौटा और सर्विस रिवाल्वर से उन पर दो फायर किए। गोली पेट और सीने में लगी। घायल कैलाश को बालाजी एक्शन अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। कैलाश पांच वर्ष तक दिल्ली पुलिस की सबसे अहम यूनिट स्पेशल सेल में तैनात रहे। सरोजनी नगर ब्लास्ट सहित कई वारदात में उन्होंने छानबीन की थी। मूल रूप से झांसी के कैलाश दिलशाद गार्डन में अपने परिवार के साथ रहते थे। परिवार में पत्नी, दो बच्चों व माता-पिता हैं।
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Rajasthan Police :जमकर होती है पुलिस लाइन स्कूल में शराब पार्टी
ठीक सामने शहर पुलिस अधीक्षक (एसपी) का बंगला और स्कूल की दीवार से ही सटी पुलिस लाइन। यहां एक ही परिसर में राजकीय माध्यमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के दो स्कूल चलते हैं और पूरा शहर उनको पुलिस लाइन स्कूल के नाम से ही जानता है। बावजूद इसके दोनों स्कूलों के बच्चों की नियति है कि प्रतिदिन सुबह पढ़ाई शुरू करने से पहले उन्हें कक्षाओं और खेल मैदान में बिखरी शराब के खाली बोतलें और पाउच बीनने पड़ते हैं। वे इन्हें उठाकर एक जगह इकट्ठा करते हैं और फिर हाथ धोकर पढ़ाई शुरू करते हैं। पुलिस को कई बार स्कूल प्रशासन ने शिकायतें दी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस लाइन के इन दोनों स्कूलों में प्रतिदिन सुबह छात्र शराब की बोतलें बीनकर कौनसा सबक सीख रहे हैं, यह तो वे खुद भी नहीं जानते लेकिन स्कूल के शिक्षक इससे जरूर परेशान हैं। वे नहीं चाहते कि बच्चों का इस बुरी चीज से किसी तरह वास्ता पड़े लेकिन, कक्षाओं तक में सुबह जगह-जगह सिगरेट के पैकेट, पानी और शराब की खाली बोतलें मिलती हैं। कई बार तो सुबह बच्चों का वास्ता फर्श पर बिखरी शराब और फूटी बोतलें और उसकी गंध से पड़ता है। शिक्षकों ने बताया कि दोनों स्कूल एक पारी में चलते हैं। कई बार तो स्कूल समय में लोग यहां मौका तलाशते रहते हैं। स्कूल बंद होते ही उनको मौका मिल जाता है। डेढ़ साल पहले भी पुलिस ने यहां से कुछ पुलिसकर्मियों को शराब पीते हुए पकड़ा था। उसके बाद एक गार्ड लगाया था। तब से कुछ कमी आई थी, लेकिन 6 माह से गार्ड भी हटा लिया गया है। फिर से वही आलम हो गया है।
क्यों है मुसीबत
स्कूल पुलिस लाइन से सटा हुआ है। इसका एक गेट पुलिस लाइन को जोड़ता है और दूसरा एसपी के बंगले के सामने वाली सैन्य क्षेत्र की सड़क पर खुलता है। पुलिस लाइन होने के कारण पुलिस की गश्त भी कम ही होती है। ऐसे में शराब पार्टी के लिए लोगों ने उपयुक्त स्थान चुन रखा है। लोग स्कूल की छत पर भी बैठकर शराब पीते हैं।
कहीं पुलिसवाले तो नहीं करते!
स्कूल स्टाफ का कहना है कि उन्हें नहीं पता, यहां कौन लोग आए दिन शराब पार्टी करते हैं। उन्हें तो हर रोज स्कूल आने पर खाली बोतलें दिखाई देती हैं। यहीं पर स्टाफ के कुछ लोगों ने दबी जुबान में कहा कि स्कूल के पास पुलिस लाइन है, एक तरफ एसपी का बंगला और दूसरी तरफ आर्मी एरिया। और किसी के आने की हिम्मत नहीं हो सकती। हो सकता है कुछ पुलिस वाले ही खुद या किसी के साथ मिलकर यहां ये काम करते हों।
पुलिस लाइन के इन दोनों स्कूलों में प्रतिदिन सुबह छात्र शराब की बोतलें बीनकर कौनसा सबक सीख रहे हैं, यह तो वे खुद भी नहीं जानते लेकिन स्कूल के शिक्षक इससे जरूर परेशान हैं। वे नहीं चाहते कि बच्चों का इस बुरी चीज से किसी तरह वास्ता पड़े लेकिन, कक्षाओं तक में सुबह जगह-जगह सिगरेट के पैकेट, पानी और शराब की खाली बोतलें मिलती हैं। कई बार तो सुबह बच्चों का वास्ता फर्श पर बिखरी शराब और फूटी बोतलें और उसकी गंध से पड़ता है। शिक्षकों ने बताया कि दोनों स्कूल एक पारी में चलते हैं। कई बार तो स्कूल समय में लोग यहां मौका तलाशते रहते हैं। स्कूल बंद होते ही उनको मौका मिल जाता है। डेढ़ साल पहले भी पुलिस ने यहां से कुछ पुलिसकर्मियों को शराब पीते हुए पकड़ा था। उसके बाद एक गार्ड लगाया था। तब से कुछ कमी आई थी, लेकिन 6 माह से गार्ड भी हटा लिया गया है। फिर से वही आलम हो गया है।
क्यों है मुसीबत
स्कूल पुलिस लाइन से सटा हुआ है। इसका एक गेट पुलिस लाइन को जोड़ता है और दूसरा एसपी के बंगले के सामने वाली सैन्य क्षेत्र की सड़क पर खुलता है। पुलिस लाइन होने के कारण पुलिस की गश्त भी कम ही होती है। ऐसे में शराब पार्टी के लिए लोगों ने उपयुक्त स्थान चुन रखा है। लोग स्कूल की छत पर भी बैठकर शराब पीते हैं।
कहीं पुलिसवाले तो नहीं करते!
स्कूल स्टाफ का कहना है कि उन्हें नहीं पता, यहां कौन लोग आए दिन शराब पार्टी करते हैं। उन्हें तो हर रोज स्कूल आने पर खाली बोतलें दिखाई देती हैं। यहीं पर स्टाफ के कुछ लोगों ने दबी जुबान में कहा कि स्कूल के पास पुलिस लाइन है, एक तरफ एसपी का बंगला और दूसरी तरफ आर्मी एरिया। और किसी के आने की हिम्मत नहीं हो सकती। हो सकता है कुछ पुलिस वाले ही खुद या किसी के साथ मिलकर यहां ये काम करते हों।
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