भ्रष्टाचार के विरोध में अन्ना हजारे के अनशन के पहले दिन उन्हें जेल में डालने वाली दिल्ली पुलिस उस दिन के बाद से गांधीगीरी करती नजर आ रही है। पुलिस का यह तरीका निश्चित ही लोगों को आश्चर्यचकित करने वाला है। पुलिस आंदोलनकारियों से पूरे सम्मान के साथ बात कर रही है। पुलिसकर्मियों का यह रूप केवल दिखाने तक सीमित नहीं है। उनके व्यवहार व बातचीत के लहजे में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जरूरत पड़ने पर पुलिस आंदोलनकारियों की मदद भी कर रही है। यही नहीं, लोगों द्वारा कोई बात न माने जाने पर पुलिस हाथ जोड़ने से भी गुरेज नहीं कर रही है। रामलीला मैदान के प्रवेश द्वार पर हाथ जोड़कर लोगों से कतार में आने का आग्रह करते पुलिसकर्मियों के हाथ में महज गुलाब के फूलों की ही कमी रह गई है, अन्यथा उनकी गांधीगीरी में कोई कमी नहीं है।
दिल्लीवासी जो पुलिस के रौद्र रूप से भलीभांति वाकिफ हैं, उसे नए व सभ्य रूप में देखकर आश्चर्यचकित हैं। पुलिस के सामने गांधीगीरी की वजह भले ही कुछ भी हो, लेकिन उसका यह बदला हुआ रूप निश्चित ही लोगों को पसंद आ रहा है।
दिल्ली पुलिस से हमेशा ही यह अपेक्षा की जाती रही है कि वह अपराधियों के साथ भले ही कड़ाई से पेश आए लेकिन आम लोगों के साथ उसका बर्ताव सभ्य और शालीन हो। लेकिन यह निराशाजनक ही रहा कि पुलिस आम नागरिकों के साथ भी रूखा बर्ताव करती आई है। राष्ट्रमंडल खेल के दौरान तो पुलिसकर्मियों को यह प्रशिक्षण भी दिया गया था कि वह कैसे लोगों के साथ शालीनता से पेश आएं। इसके बावजूद स्थिति में जरा भी सुधार नजर नहीं आया।
बीते दिनों रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के समर्थकों पर आधी रात में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई भी लोग अब तक नहीं भूल सके हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के अनशन के दौरान पुलिस जिस रूप में दिख रही है, दिल्लीवासी उसे हमेशा उसी रूप में देखना चाहते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस के आला अधिकारी समय-समय पर कार्यशाला लगाकर पुलिस को सभ्य और शालीन बने रहने के प्रति प्रेरित करें। अपराधियों से निपटने के लिए पुलिसकर्मियों का सख्त होना जरूरी है, लेकिन आम लोगों के साथ उन्हें हमेशा पूरे सम्मान और सौहार्द के साथ पेश आना चाहिए। दिल्ली में पुलिस लोगों को परेशान करती नहीं, अपितु उनकी परेशानी दूर करती दिखनी चाहिए।
पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Friday, August 26, 2011
Foreign Police: Nepal Police Station: नेपाल की एक अनूठी पुलिस चौकी
ये एक अनूठा प्रयोग था. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मानें तो प्रायोगिक तौर पर शुरू हुई ये योजना काफ़ी कारगर साबित हुई है.
पश्चिमी नेपाल के पोखरा शहर की छोरेपाटन पुलिस चौकी पर तीन महीने पहले सभी महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. और आज वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने फ़ैसले से काफ़ी ख़ुश हैं.
कसकी के ज़िला पुलिस प्रमुख यादव राज खनाल ने बताया, "वे काफ़ी अच्छा काम कर रही हैं. हमने स्थानीय लोगों से बात की है और उनका काम उस चौकी पर तैनात पुरुष पुलिसकर्मियों से बेहतर रहा है."
इस चौकी की 20 महिला पुलिसकर्मियों का नेतृत्व सब इंस्पेक्टर गीता राणाभट कर रही हैं. वे कहती हैं, "ये हमारे लिए बहुत अच्छा मौक़ा है. लेकिन ये एक चुनौती भी है."
चुनौती
पहले हमें पुरुष सहकर्मियों के साथ काम करना पड़ता था. यहाँ हम सभी महिलाएँ हैं. ये एक अलग तरह का अनुभव है. हम इसका आनंद ले रहे हैं
कांस्टेबल परमेश्वरी नेपाली
वास्तव में ये चुनौती छोटी नहीं है. छोरेपाटन पुलिस चौकी के पुलिसकर्मियों को आसपास के गाँवों के क़रीब 27 हज़ार लोगों की सुरक्षा ज़रूरतों का ख़्याल रखना पड़ता है.
कांस्टेबल परमेश्वरी नेपाली ने बताया, "पहले हमें पुरुष सहकर्मियों के साथ काम करना पड़ता था. यहाँ हम सभी महिलाएँ हैं. ये एक अलग तरह का अनुभव है. हम इसका आनंद ले रहे हैं."
ये महिला पुलिसकर्मी इलाक़े की गश्त करती हैं, अपनी पुलिस चौकी की सुरक्षा करती हैं और साथ ही इन पर अपराध पर नियंत्रण रखने और जाँच की भी ज़िम्मेदारी है.
वास्तव में प्रशासन ने छोरेपाटन पुलिस चौकी को लेकर एक ख़ास लक्ष्य रखा था.
सराहना
नेपाल पुलिस में महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है. अभी तक ऐसी पुलिस चौकियाँ हुआ करती थी, जिनमें ज़्यादातर पुरुष और कुछ महिलाएँ काम करती थी. हम ये देखना चाहते थे कि कैसे सिर्फ़ महिलाकर्मियों वाली पुलिस चौकी काम करती है
उपेंद्रकांत अरयाल, पुलिस उप महानिरीक्षक
पुलिस उप महानिरीक्षक उपेंद्रकांत अरयाल कहते हैं, "नेपाल पुलिस में महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है. अभी तक ऐसी पुलिस चौकियाँ हुआ करती थी, जिनमें ज़्यादातर पुरुष और कुछ महिलाएँ काम करती थी. हम ये देखना चाहते थे कि कैसे सिर्फ़ महिलाकर्मियों वाली पुलिस चौकी काम करती है."
बीबीसी संवाददाता नारायण कार्की का कहना है कि इस पुलिस चौकी की हर तरफ़ से सराहना हो रही है. स्थानीय लोग भी काफ़ी ख़ुश हैं.
एक स्थानीय निवासी सुषमा पौडेल ने कहा, "हम महिला पुलिसकर्मियों के काम से संतुष्ट हैं. वे सामाजिक सुधारों में भी शामिल हैं."
छोरेपाटन देश की एक हज़ार से ज़्यादा पुलिस चौकियों में से ऐसी पहली चौकी है, जहाँ ये अनूठा प्रयोग हुआ है. नेपाल पुलिस में इस समय 60,000 लोग काम करते हैं, जिनमें से सिर्फ़ 3500 महिलाएँ हैं.
पश्चिमी नेपाल के पोखरा शहर की छोरेपाटन पुलिस चौकी पर तीन महीने पहले सभी महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. और आज वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने फ़ैसले से काफ़ी ख़ुश हैं.
कसकी के ज़िला पुलिस प्रमुख यादव राज खनाल ने बताया, "वे काफ़ी अच्छा काम कर रही हैं. हमने स्थानीय लोगों से बात की है और उनका काम उस चौकी पर तैनात पुरुष पुलिसकर्मियों से बेहतर रहा है."
इस चौकी की 20 महिला पुलिसकर्मियों का नेतृत्व सब इंस्पेक्टर गीता राणाभट कर रही हैं. वे कहती हैं, "ये हमारे लिए बहुत अच्छा मौक़ा है. लेकिन ये एक चुनौती भी है."
चुनौती
पहले हमें पुरुष सहकर्मियों के साथ काम करना पड़ता था. यहाँ हम सभी महिलाएँ हैं. ये एक अलग तरह का अनुभव है. हम इसका आनंद ले रहे हैं
कांस्टेबल परमेश्वरी नेपाली
वास्तव में ये चुनौती छोटी नहीं है. छोरेपाटन पुलिस चौकी के पुलिसकर्मियों को आसपास के गाँवों के क़रीब 27 हज़ार लोगों की सुरक्षा ज़रूरतों का ख़्याल रखना पड़ता है.
कांस्टेबल परमेश्वरी नेपाली ने बताया, "पहले हमें पुरुष सहकर्मियों के साथ काम करना पड़ता था. यहाँ हम सभी महिलाएँ हैं. ये एक अलग तरह का अनुभव है. हम इसका आनंद ले रहे हैं."
ये महिला पुलिसकर्मी इलाक़े की गश्त करती हैं, अपनी पुलिस चौकी की सुरक्षा करती हैं और साथ ही इन पर अपराध पर नियंत्रण रखने और जाँच की भी ज़िम्मेदारी है.
वास्तव में प्रशासन ने छोरेपाटन पुलिस चौकी को लेकर एक ख़ास लक्ष्य रखा था.
सराहना
नेपाल पुलिस में महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है. अभी तक ऐसी पुलिस चौकियाँ हुआ करती थी, जिनमें ज़्यादातर पुरुष और कुछ महिलाएँ काम करती थी. हम ये देखना चाहते थे कि कैसे सिर्फ़ महिलाकर्मियों वाली पुलिस चौकी काम करती है
उपेंद्रकांत अरयाल, पुलिस उप महानिरीक्षक
पुलिस उप महानिरीक्षक उपेंद्रकांत अरयाल कहते हैं, "नेपाल पुलिस में महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है. अभी तक ऐसी पुलिस चौकियाँ हुआ करती थी, जिनमें ज़्यादातर पुरुष और कुछ महिलाएँ काम करती थी. हम ये देखना चाहते थे कि कैसे सिर्फ़ महिलाकर्मियों वाली पुलिस चौकी काम करती है."
बीबीसी संवाददाता नारायण कार्की का कहना है कि इस पुलिस चौकी की हर तरफ़ से सराहना हो रही है. स्थानीय लोग भी काफ़ी ख़ुश हैं.
एक स्थानीय निवासी सुषमा पौडेल ने कहा, "हम महिला पुलिसकर्मियों के काम से संतुष्ट हैं. वे सामाजिक सुधारों में भी शामिल हैं."
छोरेपाटन देश की एक हज़ार से ज़्यादा पुलिस चौकियों में से ऐसी पहली चौकी है, जहाँ ये अनूठा प्रयोग हुआ है. नेपाल पुलिस में इस समय 60,000 लोग काम करते हैं, जिनमें से सिर्फ़ 3500 महिलाएँ हैं.
UP Police: SSP beats BJP Leder: गाजियाबाद एसएसपी ने बीजेपी के मीडिया प्रभारी को पीटा
गाजियाबाद
गाजियाबाद में शुक्रवार को एसएसपी की गुंडागर्दी देखने को मिली। एसएसपी ने अपनी फरियाद लेकर आए एक फरियादी को अपने कार्यालय में जमकर पीटा। हैरान करने वाली बात ये रही कि एसएसपी ने पत्रकारों की भी परवाह नहीं की, घटना के समय ऑफिस में पत्रकार भी मौजूद थे। इस घटना के बाद बीजेपी ने कोतवाली पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। एसएसपी के इस तानाशाही रवैये से लोगों में जबरदस्त रोष है। जानकारी के मुताबिक आज दोपहर अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य व भाजपा के मीडिया प्रभारी एस.पी सिंह अपने बेटे के फेसबुक अकाउंट हैक होने की शिकायत लेकर एसएसपी कार्यालय पहुंचे और एसएसपी साहब को अपनी समस्या बताई। इस पर एसएसपी ने एसपी सिंह से कहा की वह इस संबंध में पुलिस उपाधीक्षक से मिलें और अपनी शिकायत वहां दें। एसएसपी साहब की इस बात पर एसपी ने बताया कि वह कई दिनों से पुलिस के चक्कर काट रहा है लेकिन कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं है। इस संबंध मैं कई बार आपसे भी मिल चुका हूं लेकिन समस्या का हल अब तक नहीं हुआ है। बस इसी बात पर एसएसपी रधुवीर ने सरदार एसपी सिंह को कार्याल्य में मौजूद पत्रकारों के सामने ही जबरदस्ती पकड़कर पीटना शुरू कर दिया। एसएसपी के इस तानाशाही रवैये की चौतरफा निंदा हो रही है।
जैसे ही इस बात की जानकारी भाजपा कार्यकर्ताओं को लगी तो उन्होंने एसएसपी के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ कोतवाली के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। गाजियाबाद एसएसपी की दबंगई से लोगों में भारी रोष व्याप्त है। लोगों के बढ़ते रोष व बीजेपी कार्यकर्ताओं के एसएसपी के खिलाफ हल्ला बोल करने के बाद तुरंत एसएसपी मौके पर पहुंचे लेकिन यहां रघुवीर लाल के सुर बिल्कुल बदले नजर आए। उन्होंने बताया कि मानसिक दबाव के चलते उनके द्वारा ऐसी गलती हो गई लेकिन सवाल यहां यह पैदा होता है कि ऐसा कौन सा मानसिक दबाव है कि एसएसपी साहब को अपराधी और फरियादी में फर्क ही नजर नहीं आया। हालांकि बाद में एसएसपी ने अपने द्वारा हुई गलती की माफी मांग ली।
आपको बता दें कि एसएसपी की गुडई का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी वह कई फरियादियों के साथ इस तरह का बर्ताव कर चुके हैं इतना ही नहीं रघुवीर लाल के द्वारा उनके आधीनस्थ कर्मचारियों के साथ भी गाली-गलौच करने की खबरें कई बार सुनने को मिल चुकी हैं। ऐसे ही एक मामला तब सुनने को मिला जब जिले के एसएचओ विजयनगर को अपने थाने के एक खुलासे के समय चल रही प्रेस कांफ्रेंस में पहुंचे तो एसएसपी ने पत्रकारों की मौजूदगी में ही उन्हें गालियां देकर भगा दिया। कई दरोगा इनके तानाशाही रवैये के कारण जिला तक छोड़ चुके हैं। एक दरोगा तो इनकी गुंडई से परेशान होकर आईजी के पास इस्तीफा तक लेकर पहुंच गया था। एसएसपी साहब की कारगुजारियों का सिलसिला यहीं नहीं थमता मनमुताबिक खबर न छापने पर पत्रकारों से भी इन्होंने कई बार अभद्रता की है।
गाजियाबाद में शुक्रवार को एसएसपी की गुंडागर्दी देखने को मिली। एसएसपी ने अपनी फरियाद लेकर आए एक फरियादी को अपने कार्यालय में जमकर पीटा। हैरान करने वाली बात ये रही कि एसएसपी ने पत्रकारों की भी परवाह नहीं की, घटना के समय ऑफिस में पत्रकार भी मौजूद थे। इस घटना के बाद बीजेपी ने कोतवाली पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। एसएसपी के इस तानाशाही रवैये से लोगों में जबरदस्त रोष है। जानकारी के मुताबिक आज दोपहर अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य व भाजपा के मीडिया प्रभारी एस.पी सिंह अपने बेटे के फेसबुक अकाउंट हैक होने की शिकायत लेकर एसएसपी कार्यालय पहुंचे और एसएसपी साहब को अपनी समस्या बताई। इस पर एसएसपी ने एसपी सिंह से कहा की वह इस संबंध में पुलिस उपाधीक्षक से मिलें और अपनी शिकायत वहां दें। एसएसपी साहब की इस बात पर एसपी ने बताया कि वह कई दिनों से पुलिस के चक्कर काट रहा है लेकिन कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं है। इस संबंध मैं कई बार आपसे भी मिल चुका हूं लेकिन समस्या का हल अब तक नहीं हुआ है। बस इसी बात पर एसएसपी रधुवीर ने सरदार एसपी सिंह को कार्याल्य में मौजूद पत्रकारों के सामने ही जबरदस्ती पकड़कर पीटना शुरू कर दिया। एसएसपी के इस तानाशाही रवैये की चौतरफा निंदा हो रही है।
जैसे ही इस बात की जानकारी भाजपा कार्यकर्ताओं को लगी तो उन्होंने एसएसपी के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ कोतवाली के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। गाजियाबाद एसएसपी की दबंगई से लोगों में भारी रोष व्याप्त है। लोगों के बढ़ते रोष व बीजेपी कार्यकर्ताओं के एसएसपी के खिलाफ हल्ला बोल करने के बाद तुरंत एसएसपी मौके पर पहुंचे लेकिन यहां रघुवीर लाल के सुर बिल्कुल बदले नजर आए। उन्होंने बताया कि मानसिक दबाव के चलते उनके द्वारा ऐसी गलती हो गई लेकिन सवाल यहां यह पैदा होता है कि ऐसा कौन सा मानसिक दबाव है कि एसएसपी साहब को अपराधी और फरियादी में फर्क ही नजर नहीं आया। हालांकि बाद में एसएसपी ने अपने द्वारा हुई गलती की माफी मांग ली।
आपको बता दें कि एसएसपी की गुडई का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी वह कई फरियादियों के साथ इस तरह का बर्ताव कर चुके हैं इतना ही नहीं रघुवीर लाल के द्वारा उनके आधीनस्थ कर्मचारियों के साथ भी गाली-गलौच करने की खबरें कई बार सुनने को मिल चुकी हैं। ऐसे ही एक मामला तब सुनने को मिला जब जिले के एसएचओ विजयनगर को अपने थाने के एक खुलासे के समय चल रही प्रेस कांफ्रेंस में पहुंचे तो एसएसपी ने पत्रकारों की मौजूदगी में ही उन्हें गालियां देकर भगा दिया। कई दरोगा इनके तानाशाही रवैये के कारण जिला तक छोड़ चुके हैं। एक दरोगा तो इनकी गुंडई से परेशान होकर आईजी के पास इस्तीफा तक लेकर पहुंच गया था। एसएसपी साहब की कारगुजारियों का सिलसिला यहीं नहीं थमता मनमुताबिक खबर न छापने पर पत्रकारों से भी इन्होंने कई बार अभद्रता की है।
Delhi Police: Police -Parliament: 'सब पुलिस करेगी, तो सरकार क्या करेगी' - अरुण जेटली ने सवाल किया
नई दिल्ली।। एक अरसे से बिखरा हुआ विपक्ष बुधवार को एकजुट होता दिखा। विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछा कि अगर अन्ना की मांग अलोकतांत्रिक है, तो सरकार ने लोकपाल बिल के लिए संयुक्त मसौदा समिति का गठन क्यों किया?
विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने की बजाय सत्ता का अहंकार दिखाने में व्यस्त है। लोकसभा में तो पीएम के बयान के दौरान जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी नेता हुकुम सिंह इतने गुस्से में थे कि उन्होंने पीएम के बयान की प्रति फाड़कर वेल में फेंक दी। बाद में उन्हें बीजेपी नेताओं ने रोका।
जेटली ने साधा निशाना
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सवाल किया कि अगर ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर भी सब कुछ पुलिस ही कर रही है, तो सरकार क्या कर रही है? जेटली ने कहा कि पीएम अन्ना की मांग को अलोकतांत्रिक करार देते हैं। उनका तर्क सही है, तो सरकार ने लोकपाल बिल के लिए संयुक्त मसौदा समिति का गठन क्यों किया? समिति में विपक्ष के किसी भी प्रतिनिधि को शामिल क्यों नहीं किया?
लेफ्ट भी हमलावर
सीपीएम की वृंदा करात ने कहा कि सरकार को नागरिकों के सड़कों पर उतरने पर आपत्ति है, पर वह इसका जवाब नहीं देना चाहती कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? उनका कहना था कि अन्ना और उनके साथियों को गिरफ्तार करके सरकार ने जनता के जले पर नमक छिड़का है। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करते समय सभी पार्टियों से संजीदगी से चर्चा की जानी चाहिए थी। इसके बजाय सरकार ने प्रश्नावली भेज दी, जिसका जवाब हां या ना में देना था। इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है?
सरकार की सफाई
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना था कि अन्ना और उनकी टीम को यह सोचकर आमंत्रित किया गया था कि इससे लोकपाल बिल का एक सामूहिक मसौदा सामने आएगा, लेकिन वह संभव नहीं हुआ, क्योंकि दोनों पक्षों के विचारों में काफी अंतर था।
लोकसभा में भी हंगामा
प्रधानमंत्री अपना बयान देने के फौरन बाद ही लोकसभा से उठकर जाने लगे तो विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि जिनके बयान पर वह प्रतिक्रिया देने जा रही हैं, वही सदन में नहीं होंगे तो क्या फायदा। संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने कहा कि पीएम को राज्यसभा में भी बयान देना है।
इस पर बीजेपी नेता ने कहा कि सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया जाए, जिसका पवन बंसल ने विरोध किया। इस पर हंगामा शुरू हो गया। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही शुरू होने पर सुषमा स्वराज ने कहा कि पीएम का बयान सचाई कम जाहिर करता है, उसे दबाता ज्यादा है। इस बीच, संजय निरूपम समेत कई कांग्रेस सदस्यों ने टोकाटाकी की। जब निरूपम ने बोलना शुरू किया तो बीजेपी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
जेडी(यू) नेता शरद यादव ने कपिल सिब्बल पर निशाना साधा और उन्हें 'महाप्रवक्ता' करार दिया। एसपी के मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हजारे की गिरफ्तारी असंवैधानिक है। उन्होंने सरकार को 1975 से सबक लेने को कहा। सीपीआई के गुरुदास दासगुप्ता का कहना था कि इस मामले में दिल्ली के पुलिस आयुक्त को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने की बजाय सत्ता का अहंकार दिखाने में व्यस्त है। लोकसभा में तो पीएम के बयान के दौरान जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी नेता हुकुम सिंह इतने गुस्से में थे कि उन्होंने पीएम के बयान की प्रति फाड़कर वेल में फेंक दी। बाद में उन्हें बीजेपी नेताओं ने रोका।
जेटली ने साधा निशाना
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सवाल किया कि अगर ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर भी सब कुछ पुलिस ही कर रही है, तो सरकार क्या कर रही है? जेटली ने कहा कि पीएम अन्ना की मांग को अलोकतांत्रिक करार देते हैं। उनका तर्क सही है, तो सरकार ने लोकपाल बिल के लिए संयुक्त मसौदा समिति का गठन क्यों किया? समिति में विपक्ष के किसी भी प्रतिनिधि को शामिल क्यों नहीं किया?
लेफ्ट भी हमलावर
सीपीएम की वृंदा करात ने कहा कि सरकार को नागरिकों के सड़कों पर उतरने पर आपत्ति है, पर वह इसका जवाब नहीं देना चाहती कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? उनका कहना था कि अन्ना और उनके साथियों को गिरफ्तार करके सरकार ने जनता के जले पर नमक छिड़का है। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करते समय सभी पार्टियों से संजीदगी से चर्चा की जानी चाहिए थी। इसके बजाय सरकार ने प्रश्नावली भेज दी, जिसका जवाब हां या ना में देना था। इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है?
सरकार की सफाई
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना था कि अन्ना और उनकी टीम को यह सोचकर आमंत्रित किया गया था कि इससे लोकपाल बिल का एक सामूहिक मसौदा सामने आएगा, लेकिन वह संभव नहीं हुआ, क्योंकि दोनों पक्षों के विचारों में काफी अंतर था।
लोकसभा में भी हंगामा
प्रधानमंत्री अपना बयान देने के फौरन बाद ही लोकसभा से उठकर जाने लगे तो विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि जिनके बयान पर वह प्रतिक्रिया देने जा रही हैं, वही सदन में नहीं होंगे तो क्या फायदा। संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने कहा कि पीएम को राज्यसभा में भी बयान देना है।
इस पर बीजेपी नेता ने कहा कि सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया जाए, जिसका पवन बंसल ने विरोध किया। इस पर हंगामा शुरू हो गया। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही शुरू होने पर सुषमा स्वराज ने कहा कि पीएम का बयान सचाई कम जाहिर करता है, उसे दबाता ज्यादा है। इस बीच, संजय निरूपम समेत कई कांग्रेस सदस्यों ने टोकाटाकी की। जब निरूपम ने बोलना शुरू किया तो बीजेपी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
जेडी(यू) नेता शरद यादव ने कपिल सिब्बल पर निशाना साधा और उन्हें 'महाप्रवक्ता' करार दिया। एसपी के मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हजारे की गिरफ्तारी असंवैधानिक है। उन्होंने सरकार को 1975 से सबक लेने को कहा। सीपीआई के गुरुदास दासगुप्ता का कहना था कि इस मामले में दिल्ली के पुलिस आयुक्त को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
Punjab Police: पुलिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाला शख्स खुद गंभीर आरोपों में घिरा है
पुलिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाला शख्स खुद गंभीर आरोपों में घिरा है। उस पर जहां एक युवती के अपहरण का आरोप है, वहीं मादक पदार्थ की तस्करी, चोरी और हथियारों से हमला करने के मामले भी दर्ज हैं। इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से हुआ है।
शहर के कंट्रोल रूम में 23 अगस्त 2009 को एकता ने शिकायत दी थी कि अजीत सिंह उसे डरा धमका रहा है। इसके अलावा उससे अवैध धंधा करवाता है। मामला शहर के मॉडल टाउन चौकी में चला गया, जहां दोनों में समझौता हो गया। इसके बाद अजीत सिंह ने दो पुलिसकर्मियों सहित एक ज्वेलर पर रिश्वत का आरोप लगा दिया। इसके बाद पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज किया गया जिसमें जांच जारी है।
आरोपों में घिरे पुलिसकर्मियों ने जब उनके खिलाफ मुंह खोलने वाले का डाटा खंगाला तो खुलासा हुआ कि वे खुद मुलजिम हैं। इसके बाद पुलिस कर्मियों को पता चला कि शिकायतकर्ता अजीत पर पहले कई मुकदमे चल रहे हैं। रमेश ने आरटीआइ के तहत अजीत सिंह का रिकॉर्ड करनाल पुलिस से प्राप्त किया, जिससे खुलासा हुआ कि उसके खिलाफ अपहरण सहित कई मामले दर्ज हैं।
करनाल पुलिस द्वारा दी गई सूचना से रमेश को पता चला कि अजीत का झगड़ा एक महिला एकता से हुआ था। एकता के पिता पानीपत के निंबरी निवासी मामन सिंह ने पुलिस को शिकायत दी कि उसकी लड़की एकता पंजाब के राजपुरा क्षेत्र में कढ़ाई-सिलाईका काम सीखने के लिए गई थी। जहां उसकी मुलाकात अजीत के साथ हुई। अजीत ने उसकी लड़की को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। इसके अलावा उसे डरा धमकाकर अवैध धंधा भी करवाता रहा। पीड़ित पिता ने बताया कि उसकी बेटी ने अजीत के खिलाफ शहर के मॉडल टाउन में शिकायत दी थी, परंतु आरोपी ने उसे धमका कर राजी नामा कर लिया। उसके कुछ दिन बाद ही एकता ने तरावड़ी स्थित एक होटल मालिक पर दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। इसी आरोप के बाद होटल मालिक से मोटी रकम ऐंठ ली और बाद में मामला खारिज करवा दिया। अजीत सिंह पर नशा तस्करी, हथियार द्वारा जान से मारने की धमकी, वाहन चोरी व धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। आरोपी ने एक युवक का जाली खाता खुलवाकर एक रिटायर्ड कर्नल के खाते से करीबन छह लाख रुपये की ठगी की थी।
शहर के कंट्रोल रूम में 23 अगस्त 2009 को एकता ने शिकायत दी थी कि अजीत सिंह उसे डरा धमका रहा है। इसके अलावा उससे अवैध धंधा करवाता है। मामला शहर के मॉडल टाउन चौकी में चला गया, जहां दोनों में समझौता हो गया। इसके बाद अजीत सिंह ने दो पुलिसकर्मियों सहित एक ज्वेलर पर रिश्वत का आरोप लगा दिया। इसके बाद पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज किया गया जिसमें जांच जारी है।
आरोपों में घिरे पुलिसकर्मियों ने जब उनके खिलाफ मुंह खोलने वाले का डाटा खंगाला तो खुलासा हुआ कि वे खुद मुलजिम हैं। इसके बाद पुलिस कर्मियों को पता चला कि शिकायतकर्ता अजीत पर पहले कई मुकदमे चल रहे हैं। रमेश ने आरटीआइ के तहत अजीत सिंह का रिकॉर्ड करनाल पुलिस से प्राप्त किया, जिससे खुलासा हुआ कि उसके खिलाफ अपहरण सहित कई मामले दर्ज हैं।
करनाल पुलिस द्वारा दी गई सूचना से रमेश को पता चला कि अजीत का झगड़ा एक महिला एकता से हुआ था। एकता के पिता पानीपत के निंबरी निवासी मामन सिंह ने पुलिस को शिकायत दी कि उसकी लड़की एकता पंजाब के राजपुरा क्षेत्र में कढ़ाई-सिलाईका काम सीखने के लिए गई थी। जहां उसकी मुलाकात अजीत के साथ हुई। अजीत ने उसकी लड़की को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। इसके अलावा उसे डरा धमकाकर अवैध धंधा भी करवाता रहा। पीड़ित पिता ने बताया कि उसकी बेटी ने अजीत के खिलाफ शहर के मॉडल टाउन में शिकायत दी थी, परंतु आरोपी ने उसे धमका कर राजी नामा कर लिया। उसके कुछ दिन बाद ही एकता ने तरावड़ी स्थित एक होटल मालिक पर दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। इसी आरोप के बाद होटल मालिक से मोटी रकम ऐंठ ली और बाद में मामला खारिज करवा दिया। अजीत सिंह पर नशा तस्करी, हथियार द्वारा जान से मारने की धमकी, वाहन चोरी व धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। आरोपी ने एक युवक का जाली खाता खुलवाकर एक रिटायर्ड कर्नल के खाते से करीबन छह लाख रुपये की ठगी की थी।
MP Police: Police Transfer: तीन पुलिस अधिकारी बदले, तेरह अधिकारी पदोन्नत
तीन पुलिस अधिकारी भी बदले
राज्य सरकार ने राज्य पुलिस सेवा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के तीन अधिकारियों के स्थानांतरण किए हैं। इनमें के.एस. ठाकुर को उप सेनानी 15वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल, इन्दौर से उप सेनानी 23वीं वाहिनी विसबल भोपाल, योगीराज सिंह को समनि (सुरक्षा), विशेष शाखा पुलिस मुख्यालय भोपाल से उप सेनानी 15वीं वाहिनी विसबल इन्दौर और जे.एस. राजपूत को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भिंड से सहायक पुलिस महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय भोपाल पदस्थ किया गया है।
दो डीएसपी के तबादले
राज्य शासन ने राज्य पुलिस सेवा के उप पुलिस अधीक्षक स्तर के दो अधिकारियों के तबादले भी किए हैं। इनमें उप पुलिस अधीक्षक अजाक जबलपुर जेडी भोंसले को एसडीओपी बीना, सागर एवं उप पुलिस अधीक्षक, मुख्यालय भिंड अशोक भारद्वाज को उप पुलिस अधीक्षक, पुलिस मुख्यालय भोपाल पदस्थ किया है।
एफएसएल में तेरह अधिकारी पदोन्नत
राज्य शासन ने गुरूवार को एफएसएल के चार वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारियों को पदोन्नत कर संयुक्त निदेशक एवं नौ वैज्ञानिक अधिकारियों को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी पदस्थ किया। संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नति : आरएफएसएल ग्वालियर के डॉ. आजाद श्रीवास्तव को ग्वालियर, एफएसएल सागर के आरके दुबे को इंदौर, इंदौर के पीसी दुबे को भोपाल एवं सागर की रेखा मिश्रा को सागर में संयुक्त निदेशक पद पर पदस्थ किया गया है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी पर पदोन्नति: जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट रीवा डॉ.आरपी शुक्ला को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट रीवा, जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट भोपाल ओपी दीक्षित को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट भोपाल पदस्थ किया गया है।
एफएसएल सागर में पदस्थ वैज्ञानिक अधिकारी एमके सौंधिया, डॉ. आरएल तिवारी, केपी पटेल, आरपी गौतम एवं डॉ. दीप्ति वर्मा को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर एफएसएल सागर में ही पदोन्नत किया गया है। जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट बैतूल गजेंद्र नरवरिया को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट बैतूल पदस्थ किया गया है। वहीं आरएफएसएल इंदौर में पदस्थ डॉ. बाबूलाल मंडलोई को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी आरएफएसएल इंदौर बनाया गया है।
राज्य सरकार ने राज्य पुलिस सेवा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के तीन अधिकारियों के स्थानांतरण किए हैं। इनमें के.एस. ठाकुर को उप सेनानी 15वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल, इन्दौर से उप सेनानी 23वीं वाहिनी विसबल भोपाल, योगीराज सिंह को समनि (सुरक्षा), विशेष शाखा पुलिस मुख्यालय भोपाल से उप सेनानी 15वीं वाहिनी विसबल इन्दौर और जे.एस. राजपूत को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भिंड से सहायक पुलिस महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय भोपाल पदस्थ किया गया है।
दो डीएसपी के तबादले
राज्य शासन ने राज्य पुलिस सेवा के उप पुलिस अधीक्षक स्तर के दो अधिकारियों के तबादले भी किए हैं। इनमें उप पुलिस अधीक्षक अजाक जबलपुर जेडी भोंसले को एसडीओपी बीना, सागर एवं उप पुलिस अधीक्षक, मुख्यालय भिंड अशोक भारद्वाज को उप पुलिस अधीक्षक, पुलिस मुख्यालय भोपाल पदस्थ किया है।
एफएसएल में तेरह अधिकारी पदोन्नत
राज्य शासन ने गुरूवार को एफएसएल के चार वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारियों को पदोन्नत कर संयुक्त निदेशक एवं नौ वैज्ञानिक अधिकारियों को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी पदस्थ किया। संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नति : आरएफएसएल ग्वालियर के डॉ. आजाद श्रीवास्तव को ग्वालियर, एफएसएल सागर के आरके दुबे को इंदौर, इंदौर के पीसी दुबे को भोपाल एवं सागर की रेखा मिश्रा को सागर में संयुक्त निदेशक पद पर पदस्थ किया गया है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी पर पदोन्नति: जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट रीवा डॉ.आरपी शुक्ला को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट रीवा, जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट भोपाल ओपी दीक्षित को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट भोपाल पदस्थ किया गया है।
एफएसएल सागर में पदस्थ वैज्ञानिक अधिकारी एमके सौंधिया, डॉ. आरएल तिवारी, केपी पटेल, आरपी गौतम एवं डॉ. दीप्ति वर्मा को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर एफएसएल सागर में ही पदोन्नत किया गया है। जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट बैतूल गजेंद्र नरवरिया को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी जिला सीन ऑफ क्राइम यूनिट बैतूल पदस्थ किया गया है। वहीं आरएफएसएल इंदौर में पदस्थ डॉ. बाबूलाल मंडलोई को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी आरएफएसएल इंदौर बनाया गया है।
Delhi Police: एसीपी के आपरेटर ने की खुदकुशी
बाहरी दिल्ली, जासं : अलीपुर एसीपी के आपरेटर ने बृहस्पतिवार को दोपहर पंखे में रस्सी का फंदा लगा कर खुदकुशी कर ली। पुलिस को उसके पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। मौत के कारणों का भी पता नहीं चला है। अलीपुर थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सिपाही अनिल खत्री (40) अलीपुर इलाके के टीकरी गांव में रहता था। वह अलीपुर एसीपी हरपाल सिंह का आपरेटर था। उसके दो बच्चे हैं। बृहस्पतिवार को दोपहर पंखे में रस्सी का फंदा लगा कर उसने खुदकुशी कर ली। परिवार वालों ने सूचना पुलिस को दी। अलीपुर थाना पुलिस शव को उतार कर पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल भेज दिया।
बाहरी जिला पुलिस उपायुक्त बीएस जयसवाल का कहना है कि उसकी मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है। जांच की जा रही है।
सिपाही अनिल खत्री (40) अलीपुर इलाके के टीकरी गांव में रहता था। वह अलीपुर एसीपी हरपाल सिंह का आपरेटर था। उसके दो बच्चे हैं। बृहस्पतिवार को दोपहर पंखे में रस्सी का फंदा लगा कर उसने खुदकुशी कर ली। परिवार वालों ने सूचना पुलिस को दी। अलीपुर थाना पुलिस शव को उतार कर पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल भेज दिया।
बाहरी जिला पुलिस उपायुक्त बीएस जयसवाल का कहना है कि उसकी मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है। जांच की जा रही है।
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