Tuesday, August 30, 2011

MP Police: Bhopal: निजी बस संचालकों पर पुलिस की लगाम, ड्राइवरों, कंडक्टरों और क्लीनरों का सत्यापन करेगी मप्र पुलिस,

भोपाल, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पुलिस द्वारा निजी बस के ड्राइवरों, कंडक्टरों और क्लीनरों का सत्यापन किया जाए। किसी भी स्थिति में आपराधिक पृष्ठभूमि और प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को बस संचालन में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को इस संबंध में प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए।


मुख्यमंत्री रीवा, बैतूल और बुरहानपुर कलेक्टर तथा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस कर रहे थे। वीडियो कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने रीवा संभाग के आयुक्त जी.आर. मीणा, कलेक्टर रीवा एस.एन. रूपला, बैतूल कलेक्टर चन्द्रशेखर बोरकर और बुरहानपुर कलेक्टर रेणु पंत से चर्चा कर उनके क्षेत्रातंर्गत आगामी त्यौहारों की प्रशासनिक तैयारियों, कानून-व्यवस्था की स्थिति, फसलों की स्थिति, मानव और पशुओं में मौसमी बीमारियों की स्थिति, जन-सुनवाई व्यवस्था, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और गणवेश, साइकिल वितरण, महात्मा गाधी नरेगा योजना, कलेक्टर द्वारा रात्रि विश्राम आदि के संबंध में चर्चा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं, सहायता और सेवा देने के कार्य में किसी प्रकार का लेन-देन नहीं होने पाये। उन्होंने कहा कि रिश्वतखोरी की सूचना और गड़बड़ी पर कठोर कार्रवाई हो। रिश्वतखोर के साथ कोई दया-माया नहीं की जाय।
चौहान ने अधिकारियों से जिले में शासकीय कार्यक्त्रमों के तहत अधूरे निर्माण कायरें की जानकारी ली। उन्होंने छात्रों को जाति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं हो, इसे सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने मध्यान्ह भोजन योजना में खाना बनाने वाले को पारिश्रमिक भुगतान संबंधी व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की।
मुख्यमंत्री को कलेक्टर बैतूल ने बताया कि वे क्षेत्र का सघन भ्रमण कर रहे हैं। गांवों पर उनका विशेष फोकस है। रीवा कलेक्टर ने बताया कि उन्होंने विकासखंड एवं तहसील मुख्यालयों में रात्रि विश्राम किया है। शीघ्र ही गांवों में भी रात्रि विश्राम करेंगे।

Delhi Police: Police Suicide: बिरादरी और प्रेम में परेशान पुलिस कांस्टेबल ने खुद को गोली मारी, हालत नाजुक

मयूर विहार । पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार थाने में तैनात कांस्टेबल दिनेश मीणा (२६) ने शनिवार दोपहर खुद को गोली मार ली। घायल कांस्टेबल को लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल ले जाया गया जहां से उसे मैक्स बालाजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। पुलिस को मौके से दो पन्नों का एक स्युसाइड नोट भी बरामद हुआ हैं, जिसमें उसने इस घटना के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया है। सूत्रों का कहना है कि दिनेश को घर जाने के लिए छुट्टी नहीं मिल रही थी, जिसके चलते वह तनाव में था। इसके साथ ही बताया यह भी जाता है कि दिनेश राजस्थान में किसी दूसरी बिरादरी की लड़की से प्रेम करता है। लेकिन परिजन इनकी शादी के खिलाफ है। फिलहाल पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है।

पुलिस के अनुसारदिनेश कुमार मीणा वर्ष २००९ में दिल्ली पुलिस के भर्ती हुआ था। एक जनवरी २०१० को उसकी पोस्टिंग मयूर विहार थाने में हुई थी। दिनेश के पिता दीपचंद व परिवार के अन्य सदस्य राजस्थान में रहते है। दिनेश थाने में ही तीसरी मंजिल पर रहता है। शनिवार दोपहर करीब पौने एक बजे उसने अपनी सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली। गोली दिनेश के सीने में लगी थी। गोली की आवाज सुनकर थाने में मौजूद स्टाफ में हड़कंप मच गया। पुलिसकर्मियों ने आनन-फानन में खून से लथपथ उसे एलबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया जहां से उसे मैक्स बालाजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। डाक्टरों ने ऑपरेशन कर उसकी गोली तो निकाल दी है लेकिन देर रात तक उसकी हालत नाजुक बनी हुई थी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दिनेश के होश में आने पर ही मामले की तस्वीर साफ हो पाएगी।

Bihar Police: भागलपुर झंडापुर पुलिस चौकी के प्रभारी अवर निरीक्षक घूस के दस हजार लेते गिरफ्तार

बिहार के भागलपुर जिला के नौगछिया अनुमंडल अंतर्गत झंडापुर पुलिस चौकी के प्रभारी अवर निरीक्षक कैलाश पासवान को मंगलवार सुबह निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने एक व्यक्ति से घूस के तौर पर दस हजार रुपए लेते हुये रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।



अपर पुलिस महानिरीक्षक (निगरानी) पी के ठाकुर ने बताया कि पासवान को महेश प्रसाद सिंह नामक एक व्यक्ति से उनके पक्ष में डायरी लिखने के एवज में उनसे घूस के तौर पर दस हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार अभियुक्त को पटना स्थित ब्यूरो मुख्यालय लाया जा रहा है जहां उनसे गहन पूछताछ किये जाने के बाद उन्हें विशेष न्यायालय के सामने पेश किया जायेगा

HR Police: ये दुनिया का कौन-सा आश्चर्य होगा, माइक वन बोले 12 घंटे से ज्यादा डयूटी नहीं करेंगे पुलिस वाले

बहादुरगढ़। लॉ एंड ऑर्डर को मेनटेन रखने वाले पीसीआर एवं राइडर स्टाफ की भविष्य में रैंडम ड्यूटियां लगा करेंगी। कोई भी कर्मचारी अब लगातार 12 घंटे से अधिक वक्त की निरंतर ड्यूटी नहीं करेगा। ऐसा होने से जहां पुलिसकर्मीयों को शारीरिक व मानस्कि रूप से थकावट कम होगी वहीं उनकी कार्यकुशलता में भी इजाफा होगा।

अपनी कार्यप्रणाली में फेरबदल करने की जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से इस नई पहल के सिलसिले में कड़े आदेश जारी कर दिए गए हैं और साथ ही पहले से पीसीआर एवं राइडर्स पर तैनात स्टाफ को भी पुलिस थानों में वापस बुला लिया गया है। इनकी जगह पर अब नए सिरे से थाने-चौकियों में से स्टाफ की ड्यूटियां लगाई जा रही हैं।


दो शिफ्टों में होगी स्टाफ की तैनाती

पुलिस अधीक्षक पी.आर. सिंह ने बताया कि यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जिला झज्जर में पीसीआर एवं राइडर्स पर अब दो शिफ्ट बनाकर स्टाफ की तैनाती की जा रही है। पहले जो कर्मचारी पीसीआर एवं राइडर्स पर तैनात किए गए थे उनको तुरंत प्रभाव से वापस थानों में पोस्टिंग दे दी गई है और उनकी जगह पीसीआर पर थाना वाइज एक-एक एनजीओ इंचार्ज, एक चालक एवं दो सशस्त्र पुलिस कर्मचारियों का स्टाफ पीसीआर पर नियुक्त किया जा रहा है।

इसी पैटर्न पर राइडर्स की भी ड्यूटियां तय हो रही हैं। उन्होंने बताया कि सभी पीसीआर एवं राइडर्स के लिए दो-दो शिफ्ट बनाई गई हैं। एक शिफ्ट सुबह 8 से लेकर शाम 8 बजे तक तैनात रहेगी जबकि दूसरी शिफ्ट रात के आठ से लेकर सुबह के आठ बजे तक तैनात रहेगी।

थाना एवं चौकी इंचार्ज की रहेगी जिम्मेवारी

एसपी श्री सिंह ने बताया कि सभी संबंधित थाना एवं चौकी इंचार्ज इसकी व्यवस्था करने के लिए जिम्मेवार होंगे और इस काम में जरा सी भी लापरवाही अगर कहीं मिली तो उसे हरगिज भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिफ्ट वाइज ड्यूटियां होने से कर्मचारियों से काम का दबाव भी कम होगा और उनको आराम का भी अवसर मिल पाएगा जिससे वे आराम के बाद फिर से पूरी तरह तरोताजा एवं चुस्त-दुरूस्त होकर अपने कर्तव्य का पालन सही ढंग से कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि अकसर देखने को मिलता था कि पीसीआर एवं राइडर्स पर अनेक कर्मचारियों की निरंतर ड्यूटी बनी रहती थी और लंबे समय से वे वहीं पर जमे थे। ऐसे कर्मचारियों को भी अब थाने-चौकियों में तैनाती दी गई है ताकि वाहन चालकों आदि से किसी भी किस्म की वसूली या सांठगांठ जैसी किसी भी संभावनाओं को भी सिरे से ही समाप्त किया जा सके।

Railway Police: Delhi GRP: लो अब सांसदजी की ट्रेन में जेब कटी, लगाया आरोप कि रेलवे पुलिस और झपटमारों की है मिलीभगत

नई दिल्ली। जब ट्रेन में सांसद की जेब कटने लगे तो आम आदमी का क्या हाल होगा। हैरतअंगेज तो यह है कि सांसद कह रहे हैं कि रिपोर्ट लिखाने गए तो पुलिस का व्यवहार सही नहीं था। इससे कोई भी सोच सकता है आम आदमी कैसे जीता है।

लोकसभा में नालंदा के जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार रविवार को दो अन्य सांसदों निर्दलीय ओम प्रकाश यादव और कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत के साथ अजमेर शरीफ गए थे। सोमवार सुबह वह अहमदाबाद-हरिद्वार एक्सप्रेस से दिल्ली लौट रहे थे। पुरानी दिल्ली स्टेशन से पहले पुलबंगश के पास ट्रेन की रफ्तार कुछ कम थी। तीनों सांसद प्रथम श्रेणी डिब्बे के गेट पर खड़े थे।


तभी कुछ लड़के डिब्बे में घुसने की कोशिश करने लगे जिस पर कौशलेंद्र कुमार ने आपत्ति की। पलक झपकते ही एक लड़के ने कुमार के कुर्ते की जेब पर हाथ मारा और जेब में जो भी था उसे ले चंपत हो गया। कुमार के मुताबिक उस जेब में उनके पर्स के साथ लोकसभा सांसद का पहचान पत्र भी था। साथ ही पर्स में क्रेडिट कार्ड और करीब छह हजार रुपये थे।

उन्होंने इसकी शिकायत बोगी में तैनात रेलवे कर्मचारी से की। इसके बाद रेलवे पुलिस को लिखित शिकायत की। पुलिस ने सांसद की शिकायत पर सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन जीआरपी में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कुमार, यादव और शेखावत ने आरोप लगाया कि यह रेलवे पुलिस और झपटमारों की मिलीभगत से हो रहा है और आम लोग इसके शिकार हो रहे हैं। इस पर रेल मंत्रालय को फौरन कार्रवाई करनी चाहिए। कौशलेंद्र कुमार के मुताबिक जब वे रिपोर्ट दर्ज कराने गए तो पुलिस ने उन्हें सहयोग नहीं कर रही थी।

Police Policy: Traffic Police: the Madras High Court Bench ruled, “FIR sufficient to suspend driving licence”

Mere registration of a First Information Report (FIR) by the police in a road accident case is sufficient to disqualify the driver involved from holding the driving licence for a specific period. It is not necessary on the part of Regional Transport Officer (RTO) concerned to wait until the guilt was proved in a court of law, the Madras High Court Bench here has ruled.

Justice S. Manikumar passed the ruling while dismissing a writ petition filed by S. Govindarasu of Thanjavur. The petitioner had claimed that the RTO had no authority to suspend his driving licence until he was found guilty by a court of law. He also contended that the FIR was only a document enabling the police authorities to investigate into a crime and so it does not have any evidentiary value.


Disagreeing with the petitioner, the judge said: “No doubt, FIR is a document which sets the criminal law in motion for proceeding against the offender under the penal laws or under the penal provision of the Motor Vehicles Act. Yet, the same can be taken note of by the licensing authority for exercising powers under the Motor Vehicles Act and place restrictions on driving.”

On the other contention of the petitioner that the RTOs must conduct a detailed enquiry before suspending the driving licences, the judge said that permitting such an enquiry might lead to a disastrous consequence whereby the RTO might give a contrary finding to that of a court of law.

“The licensing authority cannot be allowed to usurp the powers of the court to record a finding regarding the guilt,” he added.

Mr. Justice Manikumar also stated that the provisions of the Motor Vehicles Act do not contemplate a regular enquiry, as that of a departmental enquiry, before suspending a driving licence. The Act only provides for giving an opportunity to the licence holder to explain his stand.


Therefore, “when the legislature has prescribed a procedure for suspension, courts cannot add or import new procedures,” he said.

The judge differed with a Division Bench judgment in P. Sethuraman Vs. The Licensing Authority (2010) wherein the court quashed an RTO's order suspending the driving licence of an individual. He pointed out that the Division Bench had not dealt with Section 19 (2) of the Motor Vehicles Act which empowers the licensing authority to order surrender of the driving licence.

Stating that public interest is the predominant consideration while taking appropriate action against drivers accused of causing death due to their rash and negligent driving, the judge recalled that the Supreme Court in Gauri Shankar Gaur Vs. State of Uttar Pradesh (1994) had said: “The courts have a duty to construe the provisions of a statute to facilitate the day-to-day working of the statute to serve the public interest.”

Police Games: a day of big wins at the IOB-CHA senior division hockey league, Police hockey team shines

It was a day of big wins at the IOB-CHA senior division hockey league, as IOB thrashed SAI ‘B' 8-1 while TN Police put nine across Chennai Port Trust without reply, at the Mayor Radhakrishnan Stadium on Monday.

TN Police opened the scoring fairly early on, with Mohan converting a penalty corner in the third minute. A few minutes later, Krishna Kumar was left with a tap-in as CPT's defence failed to cope with TN Police's slick passing. Sudharsan got his name on the score sheet in the 19th minute to put his side up 3-0.


Kandha Guru added another and with Sudharsan and Irudhaya Raj also finding the net, Police went into half-time leading 6-0.

Police made a few changes at half-time but continued to look going forward, with Gokul, who was impressive through the second period, adding to CPT's misery minutes after the restart. Kandha Guru and Krishna Kumar registered their second goals of the match to complete the 9-0 rout.

The results:

IOB 8 (Harmanpreet Singh 2, Rafeeq 2, Vinod Rayar, Arul Stalin, Muddappa, Pradhan Somanna) bt SAI 'B' 1 (Muthukumaran); TN Police 9 (Krishna Kumar 2, Sudharsan 2, Kandha Guru 2, Irudhaya Raja, Mohan, Gokul) bt CPT