बिहार के भागलपुर जिला के नौगछिया अनुमंडल अंतर्गत झंडापुर पुलिस चौकी के प्रभारी अवर निरीक्षक कैलाश पासवान को मंगलवार सुबह निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने एक व्यक्ति से घूस के तौर पर दस हजार रुपए लेते हुये रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
अपर पुलिस महानिरीक्षक (निगरानी) पी के ठाकुर ने बताया कि पासवान को महेश प्रसाद सिंह नामक एक व्यक्ति से उनके पक्ष में डायरी लिखने के एवज में उनसे घूस के तौर पर दस हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार अभियुक्त को पटना स्थित ब्यूरो मुख्यालय लाया जा रहा है जहां उनसे गहन पूछताछ किये जाने के बाद उन्हें विशेष न्यायालय के सामने पेश किया जायेगा
पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Tuesday, August 30, 2011
HR Police: ये दुनिया का कौन-सा आश्चर्य होगा, माइक वन बोले 12 घंटे से ज्यादा डयूटी नहीं करेंगे पुलिस वाले
बहादुरगढ़। लॉ एंड ऑर्डर को मेनटेन रखने वाले पीसीआर एवं राइडर स्टाफ की भविष्य में रैंडम ड्यूटियां लगा करेंगी। कोई भी कर्मचारी अब लगातार 12 घंटे से अधिक वक्त की निरंतर ड्यूटी नहीं करेगा। ऐसा होने से जहां पुलिसकर्मीयों को शारीरिक व मानस्कि रूप से थकावट कम होगी वहीं उनकी कार्यकुशलता में भी इजाफा होगा।
अपनी कार्यप्रणाली में फेरबदल करने की जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से इस नई पहल के सिलसिले में कड़े आदेश जारी कर दिए गए हैं और साथ ही पहले से पीसीआर एवं राइडर्स पर तैनात स्टाफ को भी पुलिस थानों में वापस बुला लिया गया है। इनकी जगह पर अब नए सिरे से थाने-चौकियों में से स्टाफ की ड्यूटियां लगाई जा रही हैं।
दो शिफ्टों में होगी स्टाफ की तैनाती
पुलिस अधीक्षक पी.आर. सिंह ने बताया कि यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जिला झज्जर में पीसीआर एवं राइडर्स पर अब दो शिफ्ट बनाकर स्टाफ की तैनाती की जा रही है। पहले जो कर्मचारी पीसीआर एवं राइडर्स पर तैनात किए गए थे उनको तुरंत प्रभाव से वापस थानों में पोस्टिंग दे दी गई है और उनकी जगह पीसीआर पर थाना वाइज एक-एक एनजीओ इंचार्ज, एक चालक एवं दो सशस्त्र पुलिस कर्मचारियों का स्टाफ पीसीआर पर नियुक्त किया जा रहा है।
इसी पैटर्न पर राइडर्स की भी ड्यूटियां तय हो रही हैं। उन्होंने बताया कि सभी पीसीआर एवं राइडर्स के लिए दो-दो शिफ्ट बनाई गई हैं। एक शिफ्ट सुबह 8 से लेकर शाम 8 बजे तक तैनात रहेगी जबकि दूसरी शिफ्ट रात के आठ से लेकर सुबह के आठ बजे तक तैनात रहेगी।
थाना एवं चौकी इंचार्ज की रहेगी जिम्मेवारी
एसपी श्री सिंह ने बताया कि सभी संबंधित थाना एवं चौकी इंचार्ज इसकी व्यवस्था करने के लिए जिम्मेवार होंगे और इस काम में जरा सी भी लापरवाही अगर कहीं मिली तो उसे हरगिज भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिफ्ट वाइज ड्यूटियां होने से कर्मचारियों से काम का दबाव भी कम होगा और उनको आराम का भी अवसर मिल पाएगा जिससे वे आराम के बाद फिर से पूरी तरह तरोताजा एवं चुस्त-दुरूस्त होकर अपने कर्तव्य का पालन सही ढंग से कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि अकसर देखने को मिलता था कि पीसीआर एवं राइडर्स पर अनेक कर्मचारियों की निरंतर ड्यूटी बनी रहती थी और लंबे समय से वे वहीं पर जमे थे। ऐसे कर्मचारियों को भी अब थाने-चौकियों में तैनाती दी गई है ताकि वाहन चालकों आदि से किसी भी किस्म की वसूली या सांठगांठ जैसी किसी भी संभावनाओं को भी सिरे से ही समाप्त किया जा सके।
अपनी कार्यप्रणाली में फेरबदल करने की जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से इस नई पहल के सिलसिले में कड़े आदेश जारी कर दिए गए हैं और साथ ही पहले से पीसीआर एवं राइडर्स पर तैनात स्टाफ को भी पुलिस थानों में वापस बुला लिया गया है। इनकी जगह पर अब नए सिरे से थाने-चौकियों में से स्टाफ की ड्यूटियां लगाई जा रही हैं।
दो शिफ्टों में होगी स्टाफ की तैनाती
पुलिस अधीक्षक पी.आर. सिंह ने बताया कि यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जिला झज्जर में पीसीआर एवं राइडर्स पर अब दो शिफ्ट बनाकर स्टाफ की तैनाती की जा रही है। पहले जो कर्मचारी पीसीआर एवं राइडर्स पर तैनात किए गए थे उनको तुरंत प्रभाव से वापस थानों में पोस्टिंग दे दी गई है और उनकी जगह पीसीआर पर थाना वाइज एक-एक एनजीओ इंचार्ज, एक चालक एवं दो सशस्त्र पुलिस कर्मचारियों का स्टाफ पीसीआर पर नियुक्त किया जा रहा है।
इसी पैटर्न पर राइडर्स की भी ड्यूटियां तय हो रही हैं। उन्होंने बताया कि सभी पीसीआर एवं राइडर्स के लिए दो-दो शिफ्ट बनाई गई हैं। एक शिफ्ट सुबह 8 से लेकर शाम 8 बजे तक तैनात रहेगी जबकि दूसरी शिफ्ट रात के आठ से लेकर सुबह के आठ बजे तक तैनात रहेगी।
थाना एवं चौकी इंचार्ज की रहेगी जिम्मेवारी
एसपी श्री सिंह ने बताया कि सभी संबंधित थाना एवं चौकी इंचार्ज इसकी व्यवस्था करने के लिए जिम्मेवार होंगे और इस काम में जरा सी भी लापरवाही अगर कहीं मिली तो उसे हरगिज भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिफ्ट वाइज ड्यूटियां होने से कर्मचारियों से काम का दबाव भी कम होगा और उनको आराम का भी अवसर मिल पाएगा जिससे वे आराम के बाद फिर से पूरी तरह तरोताजा एवं चुस्त-दुरूस्त होकर अपने कर्तव्य का पालन सही ढंग से कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि अकसर देखने को मिलता था कि पीसीआर एवं राइडर्स पर अनेक कर्मचारियों की निरंतर ड्यूटी बनी रहती थी और लंबे समय से वे वहीं पर जमे थे। ऐसे कर्मचारियों को भी अब थाने-चौकियों में तैनाती दी गई है ताकि वाहन चालकों आदि से किसी भी किस्म की वसूली या सांठगांठ जैसी किसी भी संभावनाओं को भी सिरे से ही समाप्त किया जा सके।
Railway Police: Delhi GRP: लो अब सांसदजी की ट्रेन में जेब कटी, लगाया आरोप कि रेलवे पुलिस और झपटमारों की है मिलीभगत
नई दिल्ली। जब ट्रेन में सांसद की जेब कटने लगे तो आम आदमी का क्या हाल होगा। हैरतअंगेज तो यह है कि सांसद कह रहे हैं कि रिपोर्ट लिखाने गए तो पुलिस का व्यवहार सही नहीं था। इससे कोई भी सोच सकता है आम आदमी कैसे जीता है।
लोकसभा में नालंदा के जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार रविवार को दो अन्य सांसदों निर्दलीय ओम प्रकाश यादव और कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत के साथ अजमेर शरीफ गए थे। सोमवार सुबह वह अहमदाबाद-हरिद्वार एक्सप्रेस से दिल्ली लौट रहे थे। पुरानी दिल्ली स्टेशन से पहले पुलबंगश के पास ट्रेन की रफ्तार कुछ कम थी। तीनों सांसद प्रथम श्रेणी डिब्बे के गेट पर खड़े थे।
तभी कुछ लड़के डिब्बे में घुसने की कोशिश करने लगे जिस पर कौशलेंद्र कुमार ने आपत्ति की। पलक झपकते ही एक लड़के ने कुमार के कुर्ते की जेब पर हाथ मारा और जेब में जो भी था उसे ले चंपत हो गया। कुमार के मुताबिक उस जेब में उनके पर्स के साथ लोकसभा सांसद का पहचान पत्र भी था। साथ ही पर्स में क्रेडिट कार्ड और करीब छह हजार रुपये थे।
उन्होंने इसकी शिकायत बोगी में तैनात रेलवे कर्मचारी से की। इसके बाद रेलवे पुलिस को लिखित शिकायत की। पुलिस ने सांसद की शिकायत पर सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन जीआरपी में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कुमार, यादव और शेखावत ने आरोप लगाया कि यह रेलवे पुलिस और झपटमारों की मिलीभगत से हो रहा है और आम लोग इसके शिकार हो रहे हैं। इस पर रेल मंत्रालय को फौरन कार्रवाई करनी चाहिए। कौशलेंद्र कुमार के मुताबिक जब वे रिपोर्ट दर्ज कराने गए तो पुलिस ने उन्हें सहयोग नहीं कर रही थी।
लोकसभा में नालंदा के जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार रविवार को दो अन्य सांसदों निर्दलीय ओम प्रकाश यादव और कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत के साथ अजमेर शरीफ गए थे। सोमवार सुबह वह अहमदाबाद-हरिद्वार एक्सप्रेस से दिल्ली लौट रहे थे। पुरानी दिल्ली स्टेशन से पहले पुलबंगश के पास ट्रेन की रफ्तार कुछ कम थी। तीनों सांसद प्रथम श्रेणी डिब्बे के गेट पर खड़े थे।
तभी कुछ लड़के डिब्बे में घुसने की कोशिश करने लगे जिस पर कौशलेंद्र कुमार ने आपत्ति की। पलक झपकते ही एक लड़के ने कुमार के कुर्ते की जेब पर हाथ मारा और जेब में जो भी था उसे ले चंपत हो गया। कुमार के मुताबिक उस जेब में उनके पर्स के साथ लोकसभा सांसद का पहचान पत्र भी था। साथ ही पर्स में क्रेडिट कार्ड और करीब छह हजार रुपये थे।
उन्होंने इसकी शिकायत बोगी में तैनात रेलवे कर्मचारी से की। इसके बाद रेलवे पुलिस को लिखित शिकायत की। पुलिस ने सांसद की शिकायत पर सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन जीआरपी में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कुमार, यादव और शेखावत ने आरोप लगाया कि यह रेलवे पुलिस और झपटमारों की मिलीभगत से हो रहा है और आम लोग इसके शिकार हो रहे हैं। इस पर रेल मंत्रालय को फौरन कार्रवाई करनी चाहिए। कौशलेंद्र कुमार के मुताबिक जब वे रिपोर्ट दर्ज कराने गए तो पुलिस ने उन्हें सहयोग नहीं कर रही थी।
Police Policy: Traffic Police: the Madras High Court Bench ruled, “FIR sufficient to suspend driving licence”
Mere registration of a First Information Report (FIR) by the police in a road accident case is sufficient to disqualify the driver involved from holding the driving licence for a specific period. It is not necessary on the part of Regional Transport Officer (RTO) concerned to wait until the guilt was proved in a court of law, the Madras High Court Bench here has ruled.
Justice S. Manikumar passed the ruling while dismissing a writ petition filed by S. Govindarasu of Thanjavur. The petitioner had claimed that the RTO had no authority to suspend his driving licence until he was found guilty by a court of law. He also contended that the FIR was only a document enabling the police authorities to investigate into a crime and so it does not have any evidentiary value.
Disagreeing with the petitioner, the judge said: “No doubt, FIR is a document which sets the criminal law in motion for proceeding against the offender under the penal laws or under the penal provision of the Motor Vehicles Act. Yet, the same can be taken note of by the licensing authority for exercising powers under the Motor Vehicles Act and place restrictions on driving.”
On the other contention of the petitioner that the RTOs must conduct a detailed enquiry before suspending the driving licences, the judge said that permitting such an enquiry might lead to a disastrous consequence whereby the RTO might give a contrary finding to that of a court of law.
“The licensing authority cannot be allowed to usurp the powers of the court to record a finding regarding the guilt,” he added.
Mr. Justice Manikumar also stated that the provisions of the Motor Vehicles Act do not contemplate a regular enquiry, as that of a departmental enquiry, before suspending a driving licence. The Act only provides for giving an opportunity to the licence holder to explain his stand.
Therefore, “when the legislature has prescribed a procedure for suspension, courts cannot add or import new procedures,” he said.
The judge differed with a Division Bench judgment in P. Sethuraman Vs. The Licensing Authority (2010) wherein the court quashed an RTO's order suspending the driving licence of an individual. He pointed out that the Division Bench had not dealt with Section 19 (2) of the Motor Vehicles Act which empowers the licensing authority to order surrender of the driving licence.
Stating that public interest is the predominant consideration while taking appropriate action against drivers accused of causing death due to their rash and negligent driving, the judge recalled that the Supreme Court in Gauri Shankar Gaur Vs. State of Uttar Pradesh (1994) had said: “The courts have a duty to construe the provisions of a statute to facilitate the day-to-day working of the statute to serve the public interest.”
Justice S. Manikumar passed the ruling while dismissing a writ petition filed by S. Govindarasu of Thanjavur. The petitioner had claimed that the RTO had no authority to suspend his driving licence until he was found guilty by a court of law. He also contended that the FIR was only a document enabling the police authorities to investigate into a crime and so it does not have any evidentiary value.
Disagreeing with the petitioner, the judge said: “No doubt, FIR is a document which sets the criminal law in motion for proceeding against the offender under the penal laws or under the penal provision of the Motor Vehicles Act. Yet, the same can be taken note of by the licensing authority for exercising powers under the Motor Vehicles Act and place restrictions on driving.”
On the other contention of the petitioner that the RTOs must conduct a detailed enquiry before suspending the driving licences, the judge said that permitting such an enquiry might lead to a disastrous consequence whereby the RTO might give a contrary finding to that of a court of law.
“The licensing authority cannot be allowed to usurp the powers of the court to record a finding regarding the guilt,” he added.
Mr. Justice Manikumar also stated that the provisions of the Motor Vehicles Act do not contemplate a regular enquiry, as that of a departmental enquiry, before suspending a driving licence. The Act only provides for giving an opportunity to the licence holder to explain his stand.
Therefore, “when the legislature has prescribed a procedure for suspension, courts cannot add or import new procedures,” he said.
The judge differed with a Division Bench judgment in P. Sethuraman Vs. The Licensing Authority (2010) wherein the court quashed an RTO's order suspending the driving licence of an individual. He pointed out that the Division Bench had not dealt with Section 19 (2) of the Motor Vehicles Act which empowers the licensing authority to order surrender of the driving licence.
Stating that public interest is the predominant consideration while taking appropriate action against drivers accused of causing death due to their rash and negligent driving, the judge recalled that the Supreme Court in Gauri Shankar Gaur Vs. State of Uttar Pradesh (1994) had said: “The courts have a duty to construe the provisions of a statute to facilitate the day-to-day working of the statute to serve the public interest.”
Police Games: a day of big wins at the IOB-CHA senior division hockey league, Police hockey team shines
It was a day of big wins at the IOB-CHA senior division hockey league, as IOB thrashed SAI ‘B' 8-1 while TN Police put nine across Chennai Port Trust without reply, at the Mayor Radhakrishnan Stadium on Monday.
TN Police opened the scoring fairly early on, with Mohan converting a penalty corner in the third minute. A few minutes later, Krishna Kumar was left with a tap-in as CPT's defence failed to cope with TN Police's slick passing. Sudharsan got his name on the score sheet in the 19th minute to put his side up 3-0.
Kandha Guru added another and with Sudharsan and Irudhaya Raj also finding the net, Police went into half-time leading 6-0.
Police made a few changes at half-time but continued to look going forward, with Gokul, who was impressive through the second period, adding to CPT's misery minutes after the restart. Kandha Guru and Krishna Kumar registered their second goals of the match to complete the 9-0 rout.
The results:
IOB 8 (Harmanpreet Singh 2, Rafeeq 2, Vinod Rayar, Arul Stalin, Muddappa, Pradhan Somanna) bt SAI 'B' 1 (Muthukumaran); TN Police 9 (Krishna Kumar 2, Sudharsan 2, Kandha Guru 2, Irudhaya Raja, Mohan, Gokul) bt CPT
TN Police opened the scoring fairly early on, with Mohan converting a penalty corner in the third minute. A few minutes later, Krishna Kumar was left with a tap-in as CPT's defence failed to cope with TN Police's slick passing. Sudharsan got his name on the score sheet in the 19th minute to put his side up 3-0.
Kandha Guru added another and with Sudharsan and Irudhaya Raj also finding the net, Police went into half-time leading 6-0.
Police made a few changes at half-time but continued to look going forward, with Gokul, who was impressive through the second period, adding to CPT's misery minutes after the restart. Kandha Guru and Krishna Kumar registered their second goals of the match to complete the 9-0 rout.
The results:
IOB 8 (Harmanpreet Singh 2, Rafeeq 2, Vinod Rayar, Arul Stalin, Muddappa, Pradhan Somanna) bt SAI 'B' 1 (Muthukumaran); TN Police 9 (Krishna Kumar 2, Sudharsan 2, Kandha Guru 2, Irudhaya Raja, Mohan, Gokul) bt CPT
TN Police: Chennai Police: Chennai City Traffic Police has been dabbling with quite a few transparency initiatives
The Chennai City Traffic Police has been dabbling with quite a few transparency initiatives of late, ranging from the reactivation of a dormant Facebook account to the launch of an SMS facility that provides real-time traffic alerts. Yet, day-to-day policing continues to involve only minimal public participation.
There is also an apparent disconnect between public expectations, in certain localities, and enforcement measures undertaken by the police. For example, while noise pollution, vehicular emission and dazzling headlights affect a majority of road users, those offences account for less than two per cent of the total cases booked by CCTP every year.
Additional Commissioner of Police (Traffic) Sanjay Arora says that there is a need for an open debate on what exactly amounts to good policing. “Should citizens be allowed to set enforcement targets and evaluate outcomes? I am not sure about the answer to that question, but we are willing to explore the possibility of a performance appraisal mechanism,” he says.
Number of accidents
M.K. Subramanian, secretary, Automobile Association of South India, says that the number of accidents in each jurisdiction is one obvious performance index. “There must also be more focussed enforcement of specific offences, such as over-speeding, rash driving and wrongful overtaking, which directly contribute to accidents. Ultimately, the effectiveness of the traffic police comes down to the number of accidents that they are able to prevent.”
But should CCTP really prioritise the enforcement of certain types of offences over others? The Hyderabad traffic police department has taken an interesting approach to this problem. The Andhra Pradesh Motor Vehicle Act was amended last week to increase the fine on traffic offences that “endanger the lives of others”.
Jumping signals, for example, invites a fine of Rs.500. The minimum fine amount has also been raised to Rs.200 to bring in effective deterrence. The amendment states that fine amounts are as high as Rs.10,000 for a single violation in countries such as the U.S.
Mr.Subramanian says that the number of personnel diverted for VIP duty or for managing events must be posted in a public forum every day to evaluate the impact on enforcement. “Senior officers must also undertake regular surprise inspections in their personal vehicles. Since many constables just stand in the shade unmindful of what goes on in the road, the number of man-hours deployed has become an unreliable performance indicator,” he adds.
Road behaviour
Ravi Damodaran of the Citizens for Safe Roads (CSR) Campaign says that while the traffic police keep reporting an increase in the number of cases booked and fines collected, road behaviour has only become worse. “Looking at such statistics in isolation is an extremely myopic view of a department's performance. There has to be a social audit to see whether violations have come down.”
He also suggests a participatory approach to evolve neighbourhood-level traffic management solutions, such as the model which has been adopted on Haddows Road. Though the police provided demarcated parking zones on the road, it is usually the residents who enforce it.
Anyone can spend a few hours each day as a traffic warden by contacting CCTP at 23452267.
There is also an apparent disconnect between public expectations, in certain localities, and enforcement measures undertaken by the police. For example, while noise pollution, vehicular emission and dazzling headlights affect a majority of road users, those offences account for less than two per cent of the total cases booked by CCTP every year.
Additional Commissioner of Police (Traffic) Sanjay Arora says that there is a need for an open debate on what exactly amounts to good policing. “Should citizens be allowed to set enforcement targets and evaluate outcomes? I am not sure about the answer to that question, but we are willing to explore the possibility of a performance appraisal mechanism,” he says.
Number of accidents
M.K. Subramanian, secretary, Automobile Association of South India, says that the number of accidents in each jurisdiction is one obvious performance index. “There must also be more focussed enforcement of specific offences, such as over-speeding, rash driving and wrongful overtaking, which directly contribute to accidents. Ultimately, the effectiveness of the traffic police comes down to the number of accidents that they are able to prevent.”
But should CCTP really prioritise the enforcement of certain types of offences over others? The Hyderabad traffic police department has taken an interesting approach to this problem. The Andhra Pradesh Motor Vehicle Act was amended last week to increase the fine on traffic offences that “endanger the lives of others”.
Jumping signals, for example, invites a fine of Rs.500. The minimum fine amount has also been raised to Rs.200 to bring in effective deterrence. The amendment states that fine amounts are as high as Rs.10,000 for a single violation in countries such as the U.S.
Mr.Subramanian says that the number of personnel diverted for VIP duty or for managing events must be posted in a public forum every day to evaluate the impact on enforcement. “Senior officers must also undertake regular surprise inspections in their personal vehicles. Since many constables just stand in the shade unmindful of what goes on in the road, the number of man-hours deployed has become an unreliable performance indicator,” he adds.
Road behaviour
Ravi Damodaran of the Citizens for Safe Roads (CSR) Campaign says that while the traffic police keep reporting an increase in the number of cases booked and fines collected, road behaviour has only become worse. “Looking at such statistics in isolation is an extremely myopic view of a department's performance. There has to be a social audit to see whether violations have come down.”
He also suggests a participatory approach to evolve neighbourhood-level traffic management solutions, such as the model which has been adopted on Haddows Road. Though the police provided demarcated parking zones on the road, it is usually the residents who enforce it.
Anyone can spend a few hours each day as a traffic warden by contacting CCTP at 23452267.
KN Police: पुलिसकर्मियों पर मेहरबान हुआ प्रशासन,पुलिस लाइन क्वार्टर्स की होगी रिपेयरिंग,
Minister for Home and Transport R. Ashok said on Monday that work on repair and maintenance of the police quarters that are old and leaking will commence shortly.
He also said that new residential complexes will be built near the police stations to help the personnel work efficiently.
After inaugurating the fire station unit and residential complex, built at a cost of Rs. 2.06 crore at Tiptur in the district, he said the Fire and Emergency Services Department should create awareness in the villages on how to prevent and extinguish fire.
People should not have to wait for the fire tenders to arrive in the instance of a fire. They should know the drill so that they can cope until help arrives, he said.
Earlier, the Minister inaugurated a bus-stand at Nonavinakere built at a cost of Rs. 45 lakh.
He also said that new residential complexes will be built near the police stations to help the personnel work efficiently.
After inaugurating the fire station unit and residential complex, built at a cost of Rs. 2.06 crore at Tiptur in the district, he said the Fire and Emergency Services Department should create awareness in the villages on how to prevent and extinguish fire.
People should not have to wait for the fire tenders to arrive in the instance of a fire. They should know the drill so that they can cope until help arrives, he said.
Earlier, the Minister inaugurated a bus-stand at Nonavinakere built at a cost of Rs. 45 lakh.
Subscribe to:
Posts (Atom)