कानपुर। शारीरिक भूख को प्रेम का नाम देने वाले रिश्तों की आड़ में अपने घर परिवार व समाज को धोखा देते हैं और जब रिश्तों में खटास उत्पन्न हो जाती है तो एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार करने लगते हैं। ऐसा ही एक मामला शूटर गंज इलाके में प्रकाश में आया। यहां निवास करने वाली एक महिला के अपने मुंह बोले भीतेजे से शारीरिक प्रेम संबंध हो गए। चाची-भतीजे के रुप में यह प्रेम-प्रसंग करीब पांच साल तक चला इस दौरान चाची ने भतीजे के ऊपर चार लाख से ज्यादा की रकम खर्च कर दी। दुनिया वालों की इस सच्चाई का पता तब चला जब भतीजे का विवाह तय होने पर खुन्नस खाई चाची ने पुलिस थाने में तहरीर दे कर उसे जेल भिजवा दिया। अब भतीजा अपने से उम्र में 12 साल बड़ी चाची से प्रेम करने के अपराध का प्राश्चित जेल की सलाखों के पीछे कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक ग्वालटोली थाना क्षेत्र के शूटरगंज में एक रक्षा कर्मी अपनी 34 वर्षीय पत्नी और बच्चों के साथ निवास करते हैं। वहीं पास में एक और ओईएफ कर्मी अशोक का परिवार भी रहता है। जिनके बेटे नवल (22) का रक्षा कर्मी के यहां करीब पांच साल से आना-जाना था। नवल रक्षा कर्मी की पत्नी को चाची कहता था। बताया जाता हैं कि रक्षा कर्मी की गैरमौजूदगी में नवल चाची के पास अधिक समय तक रहता, लेकिन चाची-भतीजे का रिश्ता होने के कारण किसी को भी उनके अनैतिक संबंधों की भनक तक नहीं लगी। इस दौरान चाची ने एक बेटी को जन्म भी दिया। जिस पर नवल ने उसका बहुत ख्याल रखा। नवल के सेवा भाव के कारण रक्षा कर्मी उस पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करता रहा। किसी प्रकार से मुहल्ले वालों को नवल पर शक हो गया और डेढ़ साल पहले दोनों के बीच कुछ गलत होने की चर्चा फैलने लगी।
इस बात पर नवल के पिता ने उसकी जम कर पिटाई की और उसके चाची के घर जाने पर पाबंदी लगा दी। इस बात से व्याकुल चाची ने अपनी तरफ से पहल कर अफवाहों पर विराम लगा दिया। कुछ दिनों बाद परिजनों ने नवल का विवाह तय कर दिया। जिस बात की भनक किसी प्रकार चाची को लग गयी। उसने नवल पर विवाह न करने का दबाव बनाया। लेकिन नवल ने उसकी एक नहीं मानी और विवाह को तैयार हो गया। बकौल अशोक मेरा बेटा बहक गया था लेकिन सुधरने के बाद जब उसका विवाह होने लगा तो उस महिला ने नाराज होकर ग्वालटोली थाने में अमानत में खयानत की तहरीर दे दी। जिस पर पुलिस ने उनके बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ग्वालटोली थाना प्रभारी ने बताया कि उक्त महिला ने एक लाख 48 हजार रुपए नगद और करीब तीन लाख की कीमत के जेवरों की अमानत में खयानत की तहरीर दी थी। जिसके तहत कार्रवाई करते हुए नवल की पल्सर मोटर साइकिल महिला को दिलाने के साथ ही उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। बाद में मामले की जांच करने पर पता चला की दोनों के बीच करीब पांच से संबंध चले आ रहे थे।
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Tuesday, September 6, 2011
Punjab Police: Ludhiana: पुलिस के अधूरे पड़े प्रोजेक्टों की फेहरिस्त हुई लंबी, धूल खा रहे हैं मॉडल ट्रैफिक बूथ
लुधियाना . पुलिस के अधूरे पड़े प्रोजेक्टों की फेहरिस्त लंबी है। इन अधूरे पड़े प्रोजेक्टों में लगा धन, वक्त और अपेक्षाएं सब बेकार साबित हो रही हैं। इसका ताजा उदाहरण चौकों पर बनने वाले ट्रैफिक पुलिस के स्थायी बूथ हैं। चौकों पर जगह लेकर पुलिस ने करीब दो वर्ष पहले स्थायी बूथ बनाने शुरू किए थे। जिला पुलिस के शीर्ष में बदलाव के साथ नए आए अफसरों की प्राथमिकताएं भी बदल गईं। लिहाजा, पुराने अफसरों की ओर से आरंभ किए गए प्रोजेक्ट जाया चले गए।
ट्रैफिक बूथों का निर्माण पुलिस कर्मियों को तेज धूप, बारिश व आंधी आदि से बचाने के लिए किया गया था। अकसर ऐसी स्थिति में पुलिस कर्मियों को पास की किसी दुकान या मकान में शरण लेनी पड़ रही थी। यह प्रोजेक्ट तत्कालीन एसएसपी डा. सुखचैन सिंह गिल के कार्यकाल में आरंभ किया गया था।
यह बूथ पक्के बनाए जाने थे और सभी तरफ नजर रखने के लिए इसमें बड़ी खिड़कियां लगाई जानी थीं। माडल के तौर पर पुलिस ने फव्वारा चौक के पास एक ऐसा बूथ तैयार कर लिया था। इसमें सड़क हादसे के घायलों के लिए फस्र्ट एड दिए जाने का भी प्रावधान था। इससे पहले कि प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाता, लुधियाना में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया। नए कमिश्नर के तौर पर ईश्वर सिंह ने चार्ज संभाला। उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं और यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया।
आलम यह है कि पुलिस कर्मी चौकों के एक किनारे ही बैठ कर काम करते हैं और बारिश होने पर किसी नजदीकी दुकान या मकान में शरण लेने के लिए दौड़ते हैं। माडल के तौर पर बनाया गए बूथ पर अनदेखी की मार पड़ने लगी है।
ट्रैफिक बूथों का निर्माण पुलिस कर्मियों को तेज धूप, बारिश व आंधी आदि से बचाने के लिए किया गया था। अकसर ऐसी स्थिति में पुलिस कर्मियों को पास की किसी दुकान या मकान में शरण लेनी पड़ रही थी। यह प्रोजेक्ट तत्कालीन एसएसपी डा. सुखचैन सिंह गिल के कार्यकाल में आरंभ किया गया था।
यह बूथ पक्के बनाए जाने थे और सभी तरफ नजर रखने के लिए इसमें बड़ी खिड़कियां लगाई जानी थीं। माडल के तौर पर पुलिस ने फव्वारा चौक के पास एक ऐसा बूथ तैयार कर लिया था। इसमें सड़क हादसे के घायलों के लिए फस्र्ट एड दिए जाने का भी प्रावधान था। इससे पहले कि प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाता, लुधियाना में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया। नए कमिश्नर के तौर पर ईश्वर सिंह ने चार्ज संभाला। उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं और यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया।
आलम यह है कि पुलिस कर्मी चौकों के एक किनारे ही बैठ कर काम करते हैं और बारिश होने पर किसी नजदीकी दुकान या मकान में शरण लेने के लिए दौड़ते हैं। माडल के तौर पर बनाया गए बूथ पर अनदेखी की मार पड़ने लगी है।
Punjab Police: Jalandhar: नेताओं की बदतमीजी और अश्लील शब्दों के आगे ढेर हुई पंजाब पुलिस
जालंधर . मकसूदां थाने की पुलिस सोमवार को चंद नेताओं की बदतमीजी और अश्लील शब्दों के आगे ढेर होती दिखी। अमन-शांति भंग करने वाले युवक को हिरासत में लेने के बाद थाने के बाहर जुटी भीड़ में शामिल कुछ लोग इतने ‘हिम्मती’ थे, जिन्होंने पुलिस अधिकारियों को सरेआम गालियां निकाली। बजाय उन्हें रोकने के, पुलिस अफसरों ने कमरे में बंद रहना बेहतर समझा।
यहां तक कि एसएचओ परमजीत सिंह के सामने एएसआई बलबीर सिंह को गालियां निकाली गई, मगर वह भी उन्हें रोक न पाए। नौबत तो यहां तक आ गई कि कुछ नेताओं ने मुलाजिमों से हाथापाई करने की भी कोशिश की। एसएचओ परमजीत सिंह अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकले।
बड़ी बात ये भी कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ढाई घंटे बाद डीएसपी जगदीप सिंह थाने पहुंचे और वह भी एसएचओ के कमरे में घुस गए। उन्होंने भी धरना देने वाले लोगों को समझाने की कोशिश नहीं कि जिस कारण विवाद बढ़ता चला गया। गुस्साई भीड़ कभी सड़क पर जाम लगा रही थी तो कभी वाहनों को जबरन रोक रही थी। कुछ राहगीरों से मारपीट की भी खबर है।
शुरू में बरती ढिलाई: 12 बजे विवाद शुरू हुआ, जो 3 बजे तक चला। शुरुआत में ही पुलिस मुलाजिमों ने नेताओं व लोगों को प्यार से समझाया होता, तो विवाद इस हद तक न बढ़ता। सबसे पहले मौके पर थाना-एक के एसआई केवल किशोर, एएसआई विजय कुमार, एएसआई जगदीश कुमार और पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री पहुंचे। सभी ढीले रवैये से पेश आए और नेताओं को संतोषजनक कार्रवाई का आश्वासन नहीं दे पाए, जिस कारण माहौल खराब होता गया।
हैरत वाली बात ये रही कि पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री तो भीड़ के कुछ लोगों के साथ जफ्फी डालते दिखाई दिए। एसएचओ भी जब मौके पर आए तो धरना उठवाने की बजाए पीछे वाले रास्ते से अपने कमरे में घुस गए।
यहां तक कि एसएचओ परमजीत सिंह के सामने एएसआई बलबीर सिंह को गालियां निकाली गई, मगर वह भी उन्हें रोक न पाए। नौबत तो यहां तक आ गई कि कुछ नेताओं ने मुलाजिमों से हाथापाई करने की भी कोशिश की। एसएचओ परमजीत सिंह अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकले।
बड़ी बात ये भी कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ढाई घंटे बाद डीएसपी जगदीप सिंह थाने पहुंचे और वह भी एसएचओ के कमरे में घुस गए। उन्होंने भी धरना देने वाले लोगों को समझाने की कोशिश नहीं कि जिस कारण विवाद बढ़ता चला गया। गुस्साई भीड़ कभी सड़क पर जाम लगा रही थी तो कभी वाहनों को जबरन रोक रही थी। कुछ राहगीरों से मारपीट की भी खबर है।
शुरू में बरती ढिलाई: 12 बजे विवाद शुरू हुआ, जो 3 बजे तक चला। शुरुआत में ही पुलिस मुलाजिमों ने नेताओं व लोगों को प्यार से समझाया होता, तो विवाद इस हद तक न बढ़ता। सबसे पहले मौके पर थाना-एक के एसआई केवल किशोर, एएसआई विजय कुमार, एएसआई जगदीश कुमार और पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री पहुंचे। सभी ढीले रवैये से पेश आए और नेताओं को संतोषजनक कार्रवाई का आश्वासन नहीं दे पाए, जिस कारण माहौल खराब होता गया।
हैरत वाली बात ये रही कि पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री तो भीड़ के कुछ लोगों के साथ जफ्फी डालते दिखाई दिए। एसएचओ भी जब मौके पर आए तो धरना उठवाने की बजाए पीछे वाले रास्ते से अपने कमरे में घुस गए।
MP Police:Bhopal: भोपाल में बेखौफ हुए बदमाश, पुलिस कंट्रोल रुम के सामने कर दी वारदात..
भोपाल। जहांगीराबाद इलाके में बाइक सवार बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम के पास एक बुजुर्ग महिला के गले से चेन लूट कर फरार हो गए। वारदात के समय महिला अपने बेटे के साथ स्कूटर से छोटे बेटे के घर जा रही थी। महिला की शिकायत पर जहांगीराबाद पुलिस ने लूट का मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक शिवाजी नगर निवासी लक्ष्मण नेमा (40) सरकारी प्रेस में नौकरी करते हैं। रविवार रात करीब पौने आठ बजे वह अपनी मां राजकुमारी नेमा (70) के साथ स्कूटर से चौक बाजार निवासी छोटे भाई के घर जा रहे थे। अभी दोनों जेल पहाड़ी रोड स्थित पशु चिकित्सालय के आगे ही बढ़े थे कि रांग साइड से बाइक सवार दो युवक उनकी ओर आने लगे।
लक्ष्मण ने स्कूटर की रफ्तार जैसे ही धीमी की, बाइक पर पीछे बैठे बदमाश ने राजकुमारी के गले से करीब सवा तोला सोने की चेन झपट ली। लक्ष्मण कुछ समझ पाते, इससे पहले ही बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम की ओर फरार हो गए।
पुलिस के मुताबिक शिवाजी नगर निवासी लक्ष्मण नेमा (40) सरकारी प्रेस में नौकरी करते हैं। रविवार रात करीब पौने आठ बजे वह अपनी मां राजकुमारी नेमा (70) के साथ स्कूटर से चौक बाजार निवासी छोटे भाई के घर जा रहे थे। अभी दोनों जेल पहाड़ी रोड स्थित पशु चिकित्सालय के आगे ही बढ़े थे कि रांग साइड से बाइक सवार दो युवक उनकी ओर आने लगे।
लक्ष्मण ने स्कूटर की रफ्तार जैसे ही धीमी की, बाइक पर पीछे बैठे बदमाश ने राजकुमारी के गले से करीब सवा तोला सोने की चेन झपट ली। लक्ष्मण कुछ समझ पाते, इससे पहले ही बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम की ओर फरार हो गए।
MP Police: Jabalpur: मप्र हाईकोर्ट की सिरोहा टीआई पर तीखी टिप्पणी, कहा- अहंकारी है पुलिस का ये टीआई, डीजीपी को भेजी आर्डर की कॉपी..
जबलपुर. एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सिहोरा थाने के प्रभारी अशोक तिवारी के रवैये पर जमकर हैरानी जताई है। जस्टिस केके लाहोटी और जस्टिस सुषमा श्रीवास्तव की युगलपीठ ने टीआई के रवैये को अहंकारी प्रवृत्ति का निरूपित करते हुए इस आदेश की एक प्रति उनकी पर्सनल फाइल में रखने के निर्देश पुलिस महानिदेशक को दिये हैं।
सिहोरा निवासी उमा देवी गुप्ता ने याचिका में कहा है कि उन्होंने अपनी बेटी के विवाह के लिये दस फीसदी ब्याज पर 60 हजार रुपये रामदास साहू और जीपी चतुर्वेदी से लिये थे। रकम अदा करने के बाद भी उसे परेशान किया जा रहा था।
याचिका में आरोप है कि 27 जून 2010 को कुछ लोग आए और वे अपने साथ आवेदक के बेटे सोनू उर्फ संदीप कुमार गुप्ता को अपने साथ ले गए। उसके बाद से सोनू का कोई सुराग न लगने पर यह याचिका दायर की गई। इस मामले पर हाईकोर्ट ने पूर्व में आवेदक के पुत्र को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिये थे।
मामले पर गत दिवस हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सचिन सोनी, राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, सिहोरा एसडीओपी शशिकांत शर्मा और टीआई अशोक तिवारी हाजिर हुए। पुलिस अधिकारियों ने युगलपीठ को बताया कि उन्हें यह पता चला है कि सोनू गुप्ता का अपहरण नहीं हुआ, अलबत्ता कर्ज में दबा होने के कारण वह घर से गायब है।
सुनवाई के दौरान टीआई अशोक तिवारी ने भी अपना पक्ष युगलपीठ के समक्ष रखा। अपने आदेश में युगलपीठ ने लिखा है कि टीआई काफी अहंकारी ढंग और ऊंची आवाज में पेश आए, जिससे उनका रवैया अहंकारी प्रकृति का लगा।
युगलपीठ ने उन्हें समझाया कि वे एक पुलिस ऑफीसर हैं, जो सरकारी नौकर होते हैं। उनको जो अधिकार दिये गये, वे जनता की सेवा के लिये है, न कि उन पर राज करने के लिये। युगलपीठ ने उन्हें सलाह दी कि भविष्य में वे सीमा में रहें।
इन तमाम बातों को युगलपीठ ने आर्डरशीट में दर्ज करके इसकी एक प्रति डीजीपी को भेजने के निर्देश दिये। इसके साथ ही युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के पुत्र को 23 मार्च तक खोजने के निर्देश अनावेदक पुलिस अधिकारियों को दिये।
सिहोरा निवासी उमा देवी गुप्ता ने याचिका में कहा है कि उन्होंने अपनी बेटी के विवाह के लिये दस फीसदी ब्याज पर 60 हजार रुपये रामदास साहू और जीपी चतुर्वेदी से लिये थे। रकम अदा करने के बाद भी उसे परेशान किया जा रहा था।
याचिका में आरोप है कि 27 जून 2010 को कुछ लोग आए और वे अपने साथ आवेदक के बेटे सोनू उर्फ संदीप कुमार गुप्ता को अपने साथ ले गए। उसके बाद से सोनू का कोई सुराग न लगने पर यह याचिका दायर की गई। इस मामले पर हाईकोर्ट ने पूर्व में आवेदक के पुत्र को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिये थे।
मामले पर गत दिवस हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सचिन सोनी, राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, सिहोरा एसडीओपी शशिकांत शर्मा और टीआई अशोक तिवारी हाजिर हुए। पुलिस अधिकारियों ने युगलपीठ को बताया कि उन्हें यह पता चला है कि सोनू गुप्ता का अपहरण नहीं हुआ, अलबत्ता कर्ज में दबा होने के कारण वह घर से गायब है।
सुनवाई के दौरान टीआई अशोक तिवारी ने भी अपना पक्ष युगलपीठ के समक्ष रखा। अपने आदेश में युगलपीठ ने लिखा है कि टीआई काफी अहंकारी ढंग और ऊंची आवाज में पेश आए, जिससे उनका रवैया अहंकारी प्रकृति का लगा।
युगलपीठ ने उन्हें समझाया कि वे एक पुलिस ऑफीसर हैं, जो सरकारी नौकर होते हैं। उनको जो अधिकार दिये गये, वे जनता की सेवा के लिये है, न कि उन पर राज करने के लिये। युगलपीठ ने उन्हें सलाह दी कि भविष्य में वे सीमा में रहें।
इन तमाम बातों को युगलपीठ ने आर्डरशीट में दर्ज करके इसकी एक प्रति डीजीपी को भेजने के निर्देश दिये। इसके साथ ही युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के पुत्र को 23 मार्च तक खोजने के निर्देश अनावेदक पुलिस अधिकारियों को दिये।
MP Police:Bhopal: Sehla Masood Murder Case: सीबीआई के रिक्रिएशन से खुली भोपाल पुलिस की पोल, खूनी सबूतों की तलाश जारी..
भोपाल। तारीख- 5 सितंबर। दिन- सोमवार। कोहेफिजा की बीडीए कॉलोनी का मकान नंबर ए-100। घर के सामने खड़ी सेंट्रो कार में सवार युवती को बालकनी से देखती उसकी मौसी। अचानक युवती के पिता घर से निकलते हैं और अचेत हालत में पड़ी बेटी के चेहरे पर पानी के छींटे मारकर उसे होश में लाने की कोशिश करते हैं, लेकिन युवती की तो सांसें थम चुकी थीं।
इसके बाद युवती का भाई आता है, जो उसे ड्राइविंग सीट से उठाकर बाजू वाली सीट पर बिठाता है। यही दृश्य 16 अगस्त को भी था, जब सामाजिक कार्यकर्ता शेहला मसूद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रिक्रिएशन में शामिल सभी पात्र असली थे, सिवाय शेहला के। शेहला की जगह महिला कॉन्स्टेबल को बिठाया गया था।
वारदात के रिक्रिएशन से सीबीआई यह अनुमान लगा रही है कि शेहला का कातिल कार के पीछे छुपा था। उसने करीब से शेहला को गोली मारी। जिस समय यह हादसा हुआ शेहला ड्राइविंग सीट पर थी। सीबीआई खुदकुशी की आशंका से भी इनकार नहीं कर रही है। इस रिक्रिएशन के लिए सीबीआई की दिल्ली से सेंट्रल फॉरेंसिक लैब के विशेषज्ञों की छह सदस्यीय टीम आई थी।
सीबीआई भोपाल के डीआईजी हेमंत प्रियदर्शी, एसपी यतींद्र कोयल, डीएसपी भारतेंदु शर्मा, इंस्पेक्टर मुकेश तिवारी के साथ कोहेफिजा थाने के टीआई डीएस तोमर आदि भी यहां टीम की मदद के लिए मौजूद थे। रिक्रिएशन के बाद कार की पड़ताल में मैट के नीचे से चेन का पैंडल और कुछ फाइलें मिलीं। सीबीआई ने कार की सीट को भी खोल लिया। इस पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि भोपाल पुलिस को ये पैंडल व फाइलें क्यों नहीं मिलीं।
एक हफ्ते में आ सकती है रिपोर्ट
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रिक्रिएशन के बाद विशेषज्ञों की टीम समूह में बैठ कर चर्चा करेगी। रिक्रिएशन के वीडियो फुटेज और फोटो का घटना के तुरंत बाद लिए गए फोटो से मिलान किया जाएगा। यह रिक्रिएशन घटना के संदर्भ में अलग-अलग व्यक्तियों की जांच में काफी मददगार साबित होता है।
घर के सामने 3 घंटे चली पड़ताल
सुबह 11 बजे- सीबीआई और भोपाल पुलिस के अधिकारी कोहेफिजा स्थित शेहला के घर पहुंचे।
11:35- प्रारंभिक तैयारियों के बाद शेहला की सेंट्रो कार को क्रेन से मौके पर लाया गया।
11:40- सीबीआई के अधिकारी और दिल्ली से आई टीम इनोवा कार से मौके पर पहुंची।
दोपहर 12- कार को 16 अगस्त वाली स्थिति में खड़ा किया गया। इसके लिए पुलिस द्वारा लिए गए फोटो और परिजन से की गई बातचीत का सहारा लिया गया।
12:10- मेडिकोलीगल एक्सपर्ट डॉ. डीएस बड़कुल स्पॉट पर आए।
12:45- शेहला की मौसी से बातचीत और फोटो के आधार पर घर के बगीचे में लगे पेड़ की छंटाई कर 16 अगस्त की स्थिति में लाया गया।
12:50- महिला पुलिसकर्मी चंदा को शेहला के स्थान पर बैठा कर पहले मौसी को बालकनी से दिखाया गया। फिर पिताजी ने पड़ोस के मकान से अंजुली में पानी भर कर उसके ऊपर डाला। इसके बाद शेहला के स्थान एक पुरुष पुलिसकर्मी को बैठाया गया। उसे शेहला के भाई ने उठा कर बगल की सीट पर बिठाया।
(इसके बाद परिजनों के साथ टीम के कुछ सदस्य घर के भीतर चले गए। टीम के दूसरे सदस्यों ने बालकनी से कार की दूरी और अन्य मेजरमेंट दर्ज किए। बालकनी के जिन दो स्पॉट्स से शेहला की मौसी ने उसे देखा था, वे 19 और 21 फीट की दूरी पर थे।)
1:20- कार की डिक्की को खोला गया और मैट की भी तलाशी ली गई, जिसके नीचे से चेन का लॉकेट मिला। डिक्की में कुछ फाइलें भी मिलीं।
1:55- शेहला के स्थान पर पुरुष पुलिसकर्मी को बैठाया गया। टीम के ही एक सदस्य ने तीन बार कार के पीछे से आकर उसे गोली मारी। एक बार शेहला ने खुद को भी गोली मारी।
भोपाल पुलिस को क्यों नहीं मिला पैंडल
सीबीआई के इस रिक्रिएशन में भोपाल पुलिस की लापरवाही भी उजागर हुई। शेहला की कार से सीबीआई ने न केवल एक फाइल बल्कि पैंडल भी जब्त किया है। आखिर यह दोनों चीजें भोपाल पुलिस को क्यों नहीं दिखीं? इसके अलावा घटना के अगले दिन भोपाल पुलिस ने भी घटना का रिक्रिएशन किया था, लेकिन उसमें न तो कार की लोकेशन का ध्यान रखा गया था और न इस बात का कि परिवार का कौन सा सदस्य घटना के समय कहां मौजूद था? सीबीआई ने तो गैलरी में मौजूद मौसी की हाइट से शेहला के कार में बैठने तक की दूरी के नाप सहित अन्य छोटी-छोटी बातें भी नोट कीं।
इसके बाद युवती का भाई आता है, जो उसे ड्राइविंग सीट से उठाकर बाजू वाली सीट पर बिठाता है। यही दृश्य 16 अगस्त को भी था, जब सामाजिक कार्यकर्ता शेहला मसूद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रिक्रिएशन में शामिल सभी पात्र असली थे, सिवाय शेहला के। शेहला की जगह महिला कॉन्स्टेबल को बिठाया गया था।
वारदात के रिक्रिएशन से सीबीआई यह अनुमान लगा रही है कि शेहला का कातिल कार के पीछे छुपा था। उसने करीब से शेहला को गोली मारी। जिस समय यह हादसा हुआ शेहला ड्राइविंग सीट पर थी। सीबीआई खुदकुशी की आशंका से भी इनकार नहीं कर रही है। इस रिक्रिएशन के लिए सीबीआई की दिल्ली से सेंट्रल फॉरेंसिक लैब के विशेषज्ञों की छह सदस्यीय टीम आई थी।
सीबीआई भोपाल के डीआईजी हेमंत प्रियदर्शी, एसपी यतींद्र कोयल, डीएसपी भारतेंदु शर्मा, इंस्पेक्टर मुकेश तिवारी के साथ कोहेफिजा थाने के टीआई डीएस तोमर आदि भी यहां टीम की मदद के लिए मौजूद थे। रिक्रिएशन के बाद कार की पड़ताल में मैट के नीचे से चेन का पैंडल और कुछ फाइलें मिलीं। सीबीआई ने कार की सीट को भी खोल लिया। इस पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि भोपाल पुलिस को ये पैंडल व फाइलें क्यों नहीं मिलीं।
एक हफ्ते में आ सकती है रिपोर्ट
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रिक्रिएशन के बाद विशेषज्ञों की टीम समूह में बैठ कर चर्चा करेगी। रिक्रिएशन के वीडियो फुटेज और फोटो का घटना के तुरंत बाद लिए गए फोटो से मिलान किया जाएगा। यह रिक्रिएशन घटना के संदर्भ में अलग-अलग व्यक्तियों की जांच में काफी मददगार साबित होता है।
घर के सामने 3 घंटे चली पड़ताल
सुबह 11 बजे- सीबीआई और भोपाल पुलिस के अधिकारी कोहेफिजा स्थित शेहला के घर पहुंचे।
11:35- प्रारंभिक तैयारियों के बाद शेहला की सेंट्रो कार को क्रेन से मौके पर लाया गया।
11:40- सीबीआई के अधिकारी और दिल्ली से आई टीम इनोवा कार से मौके पर पहुंची।
दोपहर 12- कार को 16 अगस्त वाली स्थिति में खड़ा किया गया। इसके लिए पुलिस द्वारा लिए गए फोटो और परिजन से की गई बातचीत का सहारा लिया गया।
12:10- मेडिकोलीगल एक्सपर्ट डॉ. डीएस बड़कुल स्पॉट पर आए।
12:45- शेहला की मौसी से बातचीत और फोटो के आधार पर घर के बगीचे में लगे पेड़ की छंटाई कर 16 अगस्त की स्थिति में लाया गया।
12:50- महिला पुलिसकर्मी चंदा को शेहला के स्थान पर बैठा कर पहले मौसी को बालकनी से दिखाया गया। फिर पिताजी ने पड़ोस के मकान से अंजुली में पानी भर कर उसके ऊपर डाला। इसके बाद शेहला के स्थान एक पुरुष पुलिसकर्मी को बैठाया गया। उसे शेहला के भाई ने उठा कर बगल की सीट पर बिठाया।
(इसके बाद परिजनों के साथ टीम के कुछ सदस्य घर के भीतर चले गए। टीम के दूसरे सदस्यों ने बालकनी से कार की दूरी और अन्य मेजरमेंट दर्ज किए। बालकनी के जिन दो स्पॉट्स से शेहला की मौसी ने उसे देखा था, वे 19 और 21 फीट की दूरी पर थे।)
1:20- कार की डिक्की को खोला गया और मैट की भी तलाशी ली गई, जिसके नीचे से चेन का लॉकेट मिला। डिक्की में कुछ फाइलें भी मिलीं।
1:55- शेहला के स्थान पर पुरुष पुलिसकर्मी को बैठाया गया। टीम के ही एक सदस्य ने तीन बार कार के पीछे से आकर उसे गोली मारी। एक बार शेहला ने खुद को भी गोली मारी।
भोपाल पुलिस को क्यों नहीं मिला पैंडल
सीबीआई के इस रिक्रिएशन में भोपाल पुलिस की लापरवाही भी उजागर हुई। शेहला की कार से सीबीआई ने न केवल एक फाइल बल्कि पैंडल भी जब्त किया है। आखिर यह दोनों चीजें भोपाल पुलिस को क्यों नहीं दिखीं? इसके अलावा घटना के अगले दिन भोपाल पुलिस ने भी घटना का रिक्रिएशन किया था, लेकिन उसमें न तो कार की लोकेशन का ध्यान रखा गया था और न इस बात का कि परिवार का कौन सा सदस्य घटना के समय कहां मौजूद था? सीबीआई ने तो गैलरी में मौजूद मौसी की हाइट से शेहला के कार में बैठने तक की दूरी के नाप सहित अन्य छोटी-छोटी बातें भी नोट कीं।
MP Police: Gwaliar: कुख्यात अपराधी सरमन शिवहरे के सामने हारी ग्वालियर पुलिस, नहीं उगलवा पाई कई खूनी राज़..
ग्वालियर. कुख्यात अपराधी सरमन शिवहरे से पुलिस कई महत्वपूर्ण मामलों में जानकारी जुटाने में विफल रही। एक पखवाड़े तक उसे पांच थाना पुलिस की रिमांड में बारी-बारी से लिया गया था, लेकिन उसने कई सवालों पर चुप्पी साधे रखा।
लाख प्रयासों के बाद भी पुलिस उससे कई राज नहीं उगलवा सकी। अब उसे कुछ दिनों बाद फिर रिमांड पर सतना से ग्वालियर लाया जाएगा। सरमन को शहर में लाने से पहले पुलिस अफसरों की जो प्रश्नावली तैयार हुई थी, उसमें वारदातों से संबंधित जानकारियों के साथ पत्नी मोनिका के पता-ठिकाना जानने के लिए भी सवाल थे।
सरमन रिमांड के दौरान जिस थाने में पहुंचा, पुलिस ने हर तरीके से उसकी पत्नी का पता जानने की कोशिश की, लेकिन वह हर बार इनकार करता रहा।
राकेश जैन हत्याकांड में नहीं हो पाई पूछताछ:
कंपू थानाक्षेत्र के नया बाजार में हुए राकेश जैन हत्याकांड के बारे में पुलिस सरमन शिवहरे से पूछताछ नहीं कर पाई है।
इस मामले में पुलिस ने रामप्रीत गुर्जर को आरोपी बनाकर चार्जशीट प्रस्तुत की थी। इसके बाद सरमन से पूछताछ की अनुमति नहीं मिल पाई। अब पूछताछ के लिए पुलिस उसे कुछ दिनों बाद फिर ग्वालियर लाएगी
लाख प्रयासों के बाद भी पुलिस उससे कई राज नहीं उगलवा सकी। अब उसे कुछ दिनों बाद फिर रिमांड पर सतना से ग्वालियर लाया जाएगा। सरमन को शहर में लाने से पहले पुलिस अफसरों की जो प्रश्नावली तैयार हुई थी, उसमें वारदातों से संबंधित जानकारियों के साथ पत्नी मोनिका के पता-ठिकाना जानने के लिए भी सवाल थे।
सरमन रिमांड के दौरान जिस थाने में पहुंचा, पुलिस ने हर तरीके से उसकी पत्नी का पता जानने की कोशिश की, लेकिन वह हर बार इनकार करता रहा।
राकेश जैन हत्याकांड में नहीं हो पाई पूछताछ:
कंपू थानाक्षेत्र के नया बाजार में हुए राकेश जैन हत्याकांड के बारे में पुलिस सरमन शिवहरे से पूछताछ नहीं कर पाई है।
इस मामले में पुलिस ने रामप्रीत गुर्जर को आरोपी बनाकर चार्जशीट प्रस्तुत की थी। इसके बाद सरमन से पूछताछ की अनुमति नहीं मिल पाई। अब पूछताछ के लिए पुलिस उसे कुछ दिनों बाद फिर ग्वालियर लाएगी
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