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पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Saturday, September 10, 2011
Goa Police: film 'Singham': 'सिंहम' के अजय देवगन से टिप्स लेगी गोवा पुलिस
ठीक काम न कर पाने की वजह से आलोचना झेल रही गोवा पुलिस अब अजय देवगन की ' सिंहम ' से कुछ टिप्स लेगी। डायरेक्टर रोहित शेट्टी ने ' सिंहम ' के सीन गोवा में फिल्माए हैं और इसमें गोवा पुलिस का जिक्र भी है। इस फिल्म में अजय देवगन एक ईमानदार और कर्मठ इंस्पेक्टर के रोल में हैं।
गोवा के डीजीपी आदित्य आर्य पुलिस ऑफिसर्स के लिए ' सिंहम ' की स्पेशल स्क्रीनिंग करवा रहे हैं। कला अकादमी के 900 सीट की कपैसिटी वाले ऑडिटोरियम में 11 सितंबर को यह फिल्म पुलिसवालों को दिखाई जाएगी।
डीजीपी आदित्य आर्य ने कहा कि इस फिल्म को दिखा कर पुलिस फोर्स को सही काम के लिए प्रेरित किया जाएगा। आदित्य ने कहा, ' उन्हें जानना चाहिए कि अगर वे सही काम करते हैं, तो उनके साथ सभी लोग खड़े होंगे। '
डीजीपी ने कहा कि एक आदमी की वजह से पूरे डिपार्टमेंट की छवि खराब होती है, ' मेरा मकसद यह है कि वे सोसायटी के लिए कुछ अच्छा कर सकें। '
बीएस बासी के बाद चार्ज लेने वाले डीजीपी आदित्य ने कई पुलिस स्टेशन का दौरा किया और कई पुलिसवालों को सस्पेंड भी कर दिया।
गोवा के डीजीपी आदित्य आर्य पुलिस ऑफिसर्स के लिए ' सिंहम ' की स्पेशल स्क्रीनिंग करवा रहे हैं। कला अकादमी के 900 सीट की कपैसिटी वाले ऑडिटोरियम में 11 सितंबर को यह फिल्म पुलिसवालों को दिखाई जाएगी।
डीजीपी आदित्य आर्य ने कहा कि इस फिल्म को दिखा कर पुलिस फोर्स को सही काम के लिए प्रेरित किया जाएगा। आदित्य ने कहा, ' उन्हें जानना चाहिए कि अगर वे सही काम करते हैं, तो उनके साथ सभी लोग खड़े होंगे। '
डीजीपी ने कहा कि एक आदमी की वजह से पूरे डिपार्टमेंट की छवि खराब होती है, ' मेरा मकसद यह है कि वे सोसायटी के लिए कुछ अच्छा कर सकें। '
बीएस बासी के बाद चार्ज लेने वाले डीजीपी आदित्य ने कई पुलिस स्टेशन का दौरा किया और कई पुलिसवालों को सस्पेंड भी कर दिया।
MP Police: Police Directory: मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों की डॉयरेक्टरी...
मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों की डॉयरेक्टरी...क्लिक करें।
Delhi Police: HC Blast: गृह मंत्रालय ने दिखाया दिल्ली पुलिस को आइना
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : वह समय बीत चुका जब दिल्ली पुलिस की गिनती देश की स्मार्ट पुलिस में होती थी। जैश ए मोहम्मद व लश्कर से लेकर इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों की जड़े खोदने वाली स्पेशल सेल कब अर्स से फर्श पर आ गई, किसी को पता नहीं चला। मगर आला अधिकारी इसी गफलत में रहे कि उनसे बढ़कर कोई नहीं। जामा मस्जिद, महरौली और फिर दो बार हाईकोर्ट में विस्फोट के बाद भी आंख नहीं खुली। देशद्रोही गतिविधियां छोड़ जेबकतरे पकड़ने की राह पर चल पड़ी स्पेशल सेल को लेकर कहीं न कहीं गृहमंत्रालय चिंतित है। यही वजह है कि पौने दो साल से साइड लाइन चल रहे एक ऐसे अधिकारी को हाईकोर्ट विस्फोट मामले की जांच में लगाया गया है जिसे न सिर्फ आतंकियों पर नकेल कसने में महारथ हासिल है बल्कि देश के वह पहले ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें बहादुरी के लिए अब तक एक दो नहीं बल्कि आठ गैलेंटरी पुरस्कार मिल चुके हैं। 2008 में हुए श्रंखलाबद्ध बम धमाकों के महज छह दिन के अंदर इंडियन मुजाहिद्दीन का चेहरा बटला हाउस एनकाउंटर से बेनकाब करने वाले यह अधिकारी हैं एसीपी संजीव यादव।
स्पेशल सेल की निष्क्रियता का दौर एकाएक नहीं आया। बल्कि इसकी नींव 2007 में ही पड़ गई थी। तत्कालीन पुलिस आयुक्त वाई एस डडवाल के आउट आफ टर्न प्रमोशन बंद करने के रवैये को भी कुछ लोग इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं। उनका मानना है कि इसका असर पुलिस के मनोबल पर पड़ा। दूसरा, अधिकारियों का शहर में मुठभेड से बचने का नजरिया भी कम दोषी नहीं था। एक समय वह भी था जब स्पेशल सेल की टीम न सिर्फ राजधानी व उसके आसपास के इलाकों में आपरेशन चलाती थी बल्कि कश्मीर तक में जाकर उसने आतंकियों को मार गिराया। मगर आला अधिकारियों की इच्छा शक्ति के आगे धीरे धीरे हालात बिगड़ते चले गए। स्पेशल सेल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा बटला हाउस एनकाउंटर से। मामले के राजनीतिकरण ने स्पेशल सेल को हाशिये पर धकेल दिया। अधिकारी डर गए। मातहतों को पचड़े वाले मामलों से बचने के मौखिक निर्देश मिलने शुरू हो गए। नतीजा दिल्ली पुलिस की बेहतरीन यूनिट निठल्लों की फौज बनकर रह गई।
स्पेशल सेल वर्ष 2010 में हुए जामा मस्जिद गोलीकांड में कुछ कमाल नहीं दिखा पाई। कुछ ऐसा ही हश्र महरौली ब्लास्ट तथा 25 मई को हाईकोर्ट के बाहर बम विस्फोट में हुआ। बुधवार को दूसरी बार आतंकियों ने हाईकोर्ट को निशाना बनाया तब भी उसके पास किसी तरह की कोई सूचना या आगे की रणनीति नहीं थी। दिल्ली पुलिस से लेकर हाईकोर्ट ब्लास्ट की जांच एनआईए को सौंपी गई तब भी स्पेशल सेल अधिकारियों के चेहरों पर कोई तनाव या खास असर नजर नहीं दिखा। सूत्रों की मानें तो दिल्ली पुलिस का यह रवैया गृहमंत्रालय से छिपा नहीं था। लिहाजा आनन फानन में स्पेशल सेल में तैनात रह चुके संजीव यादव को दिल्ली हाईकोर्ट विस्फोट मामले की जांच से जोड़ा गया। जिस प्रकार इस वारदात में इंडियन मुजाहिद्दीन पर शक गहरा रहा है उस लिहाज से संजीव यादव की जांच टीम में तैनाती को काफी अहम माना जा रहा है। वह न सिर्फ इंडियन मुजाहिद्दीन की नस-नस से बाखिव हैं बल्कि हूजी, जैश, लश्कर समेत अन्य आतंकी संगठनों के विषय में भी उन्हें महारथ हासिल है। दिल्ली पुलिस में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस कदम से सहमत है लेकिन कमी निकालने वाले भी कम नहीं।
ज्ञात हो कि संजीव यादव दिसंबर 2004 से नवंबर 2009 तक स्पेशल सेल में एसीपी रहे हैं। इस दौरान वह लश्कर आतंकी अबू हुजेफा, हूजी के गुलाम यजदानी, आइएम के आतिफ व साजिद समेत कई आतंकियों व हेमंत सोनू व दीपक जाट जैसे बदमाशों के 53 एनकाउंटर कर चुके हैं। मुन्ना बजरंगी व बृजेश सिंह जैसे गैंगेस्टर भी उन्हीं की टीम ने पकड़े थे।
स्पेशल सेल की निष्क्रियता का दौर एकाएक नहीं आया। बल्कि इसकी नींव 2007 में ही पड़ गई थी। तत्कालीन पुलिस आयुक्त वाई एस डडवाल के आउट आफ टर्न प्रमोशन बंद करने के रवैये को भी कुछ लोग इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं। उनका मानना है कि इसका असर पुलिस के मनोबल पर पड़ा। दूसरा, अधिकारियों का शहर में मुठभेड से बचने का नजरिया भी कम दोषी नहीं था। एक समय वह भी था जब स्पेशल सेल की टीम न सिर्फ राजधानी व उसके आसपास के इलाकों में आपरेशन चलाती थी बल्कि कश्मीर तक में जाकर उसने आतंकियों को मार गिराया। मगर आला अधिकारियों की इच्छा शक्ति के आगे धीरे धीरे हालात बिगड़ते चले गए। स्पेशल सेल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा बटला हाउस एनकाउंटर से। मामले के राजनीतिकरण ने स्पेशल सेल को हाशिये पर धकेल दिया। अधिकारी डर गए। मातहतों को पचड़े वाले मामलों से बचने के मौखिक निर्देश मिलने शुरू हो गए। नतीजा दिल्ली पुलिस की बेहतरीन यूनिट निठल्लों की फौज बनकर रह गई।
स्पेशल सेल वर्ष 2010 में हुए जामा मस्जिद गोलीकांड में कुछ कमाल नहीं दिखा पाई। कुछ ऐसा ही हश्र महरौली ब्लास्ट तथा 25 मई को हाईकोर्ट के बाहर बम विस्फोट में हुआ। बुधवार को दूसरी बार आतंकियों ने हाईकोर्ट को निशाना बनाया तब भी उसके पास किसी तरह की कोई सूचना या आगे की रणनीति नहीं थी। दिल्ली पुलिस से लेकर हाईकोर्ट ब्लास्ट की जांच एनआईए को सौंपी गई तब भी स्पेशल सेल अधिकारियों के चेहरों पर कोई तनाव या खास असर नजर नहीं दिखा। सूत्रों की मानें तो दिल्ली पुलिस का यह रवैया गृहमंत्रालय से छिपा नहीं था। लिहाजा आनन फानन में स्पेशल सेल में तैनात रह चुके संजीव यादव को दिल्ली हाईकोर्ट विस्फोट मामले की जांच से जोड़ा गया। जिस प्रकार इस वारदात में इंडियन मुजाहिद्दीन पर शक गहरा रहा है उस लिहाज से संजीव यादव की जांच टीम में तैनाती को काफी अहम माना जा रहा है। वह न सिर्फ इंडियन मुजाहिद्दीन की नस-नस से बाखिव हैं बल्कि हूजी, जैश, लश्कर समेत अन्य आतंकी संगठनों के विषय में भी उन्हें महारथ हासिल है। दिल्ली पुलिस में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस कदम से सहमत है लेकिन कमी निकालने वाले भी कम नहीं।
ज्ञात हो कि संजीव यादव दिसंबर 2004 से नवंबर 2009 तक स्पेशल सेल में एसीपी रहे हैं। इस दौरान वह लश्कर आतंकी अबू हुजेफा, हूजी के गुलाम यजदानी, आइएम के आतिफ व साजिद समेत कई आतंकियों व हेमंत सोनू व दीपक जाट जैसे बदमाशों के 53 एनकाउंटर कर चुके हैं। मुन्ना बजरंगी व बृजेश सिंह जैसे गैंगेस्टर भी उन्हीं की टीम ने पकड़े थे।
WB Police: Kolkata Police: Kolkata cop's daughter stabbed by eve-teasers on crowded railway station
The daughter of a policeman was stabbed by two eve-teasers while alighting from a local train at Barrackpore station in North 24 Parganas district, police said today.
The incident took place last evening and the injured girl, a student, was admitted to a local hospital by other passengers, while the miscreants fled.
Locals alleged that police initially refused to assist the girl's relatives in taking her to the hospital.
DG (rail) Dilip Mitra said he had asked ADG (rail) to visit the spot and inquire into the delay in nabbing the culprits.
If needed assistance of the CID might be taken, he said.
The girl's family alleged that the attackers had threatened the girl when she protested and resisted the eve-teasers in the crowded station.
The incident took place last evening and the injured girl, a student, was admitted to a local hospital by other passengers, while the miscreants fled.
Locals alleged that police initially refused to assist the girl's relatives in taking her to the hospital.
DG (rail) Dilip Mitra said he had asked ADG (rail) to visit the spot and inquire into the delay in nabbing the culprits.
If needed assistance of the CID might be taken, he said.
The girl's family alleged that the attackers had threatened the girl when she protested and resisted the eve-teasers in the crowded station.
MP Police:पुलिस संबंधी शिकायतों में टेली समाधान-केन्द्र करेगा मदद
प्रदेश के नागरिक पुलिस कार्रवाइयों के संबंध में अपनी शिकायतों के बारे में टेली समाधान-केन्द्र के माध्यम से मदद लेकर अपनी बात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुँचा सकेंगे। इस मकसद से प्रदेश का पहला पॉयलट प्रोजेक्ट भोपाल जिले से शुरू हो रहा है। गृह मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में सम्पन्न बैठक में इस पॉयलट प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग श्री अशोक दास तथा पुलिस महानिदेशक श्री एस.के. राउत सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे। गृह मंत्री श्री गुप्ता ने निर्देश दिये कि आगामी एक सप्ताह में भोपाल जिले में इस पॉयलट प्रोजेक्ट की प्रायोगिक शुरूआत कर दी जाये।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा नागरिकों की मदद के लिये टोल-फ्री नम्बर 155343 के माध्यम से विभिन्न विभागों के संबंध में निःशुल्क जानकारियाँ देने और शिकायतों को दर्ज करने की व्यवस्था की गई है। नागरिक सहायता केन्द्र के रूप में संचालित हो रहे आधुनिक टेली समाधान केन्द्र का बड़ी संख्या में लोग लाभ उठा रहे हैं। अब नागरिक पुलिस से संबंधित अपनी शिकायतें भी उपरोक्त टोल-फ्री नम्बर के जरिये दर्ज कर सकेंगे। इस व्यवस्था से नागरिकों को उनके द्वारा दर्ज कराई गई पुलिस प्राथमिकी (एफआईआर) के संबंध में की गई कार्रवाईयों की जानकारी लेने में आसानी होगी। इसके साथ ही यदि पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है तो इसकी सूचना भी टेली समाधान-केन्द्र के माध्यम से दी जा सकेगी।
टेली समाधान-केन्द्र के टोल-फ्री नम्बर 155343 के माध्यम से नागरिक विभिन्न पुलिस थानों के नम्बर इत्यादि जानकारियाँ भी प्राप्त कर सकेंगे। इसके साथ ही किसी आकस्मिक घटना-दुर्घटना के मामले में भी उपरोक्त टोल-फ्री नम्बर के माध्यम से पुलिस को सूचना दे सकेंगे। टेली समाधान-केन्द्र पर दर्ज की जाने वाली ऐसी शिकायतों के बारे में उन्हें एक शिकायत संख्या दी जायेगी, जिससे वे समय-समय पर अपनी शिकायत की स्थिति का पता लगा सकेंगे। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी टेली समाधान-केन्द्र के माध्यम से प्राप्त ऐसी शिकायतों पर आवश्यक कार्रवाई करेंगे और उनके स्तर पर समय-सीमा में उनका निराकरण न होने पर ये शिकायतें स्वमेव उच्च-स्तर के अधिकारियों तक पहुँच जायेगी।
टेली समाधान-केन्द्र के माध्यम से पुलिस संबंधी शिकायतों को दर्ज करने के लिये सर्वप्रथम भोपाल जिले में शुरू होने जा रहे पॉयलट प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के बारे में उपस्थित अधिकारियों ने अपने सुझाव दिये। इस दौरान पुलिस महानिरीक्षक, शिकायत श्री बी.बी. शर्मा, पुलिस महानिरीक्षक, श्री पवन जैन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री योगेश चौधरी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा नागरिकों की मदद के लिये टोल-फ्री नम्बर 155343 के माध्यम से विभिन्न विभागों के संबंध में निःशुल्क जानकारियाँ देने और शिकायतों को दर्ज करने की व्यवस्था की गई है। नागरिक सहायता केन्द्र के रूप में संचालित हो रहे आधुनिक टेली समाधान केन्द्र का बड़ी संख्या में लोग लाभ उठा रहे हैं। अब नागरिक पुलिस से संबंधित अपनी शिकायतें भी उपरोक्त टोल-फ्री नम्बर के जरिये दर्ज कर सकेंगे। इस व्यवस्था से नागरिकों को उनके द्वारा दर्ज कराई गई पुलिस प्राथमिकी (एफआईआर) के संबंध में की गई कार्रवाईयों की जानकारी लेने में आसानी होगी। इसके साथ ही यदि पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है तो इसकी सूचना भी टेली समाधान-केन्द्र के माध्यम से दी जा सकेगी।
टेली समाधान-केन्द्र के टोल-फ्री नम्बर 155343 के माध्यम से नागरिक विभिन्न पुलिस थानों के नम्बर इत्यादि जानकारियाँ भी प्राप्त कर सकेंगे। इसके साथ ही किसी आकस्मिक घटना-दुर्घटना के मामले में भी उपरोक्त टोल-फ्री नम्बर के माध्यम से पुलिस को सूचना दे सकेंगे। टेली समाधान-केन्द्र पर दर्ज की जाने वाली ऐसी शिकायतों के बारे में उन्हें एक शिकायत संख्या दी जायेगी, जिससे वे समय-समय पर अपनी शिकायत की स्थिति का पता लगा सकेंगे। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी टेली समाधान-केन्द्र के माध्यम से प्राप्त ऐसी शिकायतों पर आवश्यक कार्रवाई करेंगे और उनके स्तर पर समय-सीमा में उनका निराकरण न होने पर ये शिकायतें स्वमेव उच्च-स्तर के अधिकारियों तक पहुँच जायेगी।
टेली समाधान-केन्द्र के माध्यम से पुलिस संबंधी शिकायतों को दर्ज करने के लिये सर्वप्रथम भोपाल जिले में शुरू होने जा रहे पॉयलट प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के बारे में उपस्थित अधिकारियों ने अपने सुझाव दिये। इस दौरान पुलिस महानिरीक्षक, शिकायत श्री बी.बी. शर्मा, पुलिस महानिरीक्षक, श्री पवन जैन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री योगेश चौधरी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
Friday, September 9, 2011
Police Policy: TN Police: TN Police will emerge as benchmark for policing: Jaya
Tamil Nadu Police will be the benchmark for policing in the near future. Given the resources and encouragement, the State police can match and excel any other police force in the world, Chief Minister Jayalalithaa said on Thursday.
Speaking at the valedictory of the 11th All India Police Rifle and Revolver/Pistol Shooting Competition here she said guns were an integral part of police equipment for centuries. However, decades ago, the use of weapons by police was restricted to either drill or for dispersal of stone-throwing mobs.
Accuracy of firing was not imperative. But, the scenario changed and mobsters started using AK-47 rifles. “We cannot let the police be outgunned and overwhelmed. The recent memory of a gunman at Chatrapathi Shivaji Terminus in Mumbai firing indiscriminately with an AK-47 rifle, while a brave constable trying to return fire with a .303 rifle is still green, unable to make any impact, he (the constable) finally flings a chair at the gunman,” she recalled.
Ms. Jayalalithaa said when she became the Chief Minister in 1991, the State police did not have the weaponry to combat militancy/terrorism. “Our policemen carried muskets and .303 rifles of Second World War vintage. These were weapons fit only to be displayed in a museum as exhibits. On the other hand, the militants possessed ultra-modern and sophisticated fire-arms for which our police had no answer.” On her request the Centre then sanctioned some funds and the State also made substantial contribution for procuring modern weapons, communication gadgets and vehicles. While acquisition of sophisticated weapons was important, the ability to handle them was equally essential.
Ms. Jayalalithaa said using a firearm, especially a sophisticated one, needed skills which could be cultivated only through constant practice and hard work. It was in this context that the shooting competition assumed significance. “It is not a mere sporting event where the tussle is for medals, trophies or personal glory. It is a preparation to equip the police to face hard reality when confronted with terrorism.”
The Chief Minister proposed to sanction funds for procuring rifles or pistols of .177 or .22 bore to enable police personnel to participate in All India Police Sports Shooting Championship.
Director General of Police K. Ramanujam said a total of 30 teams, including 8 representing central police organisations such as the Border Security Force, Central Reserve Police Force and Indo-Tibetan Border Police, took part in the competitions that commenced at the Othivakkam firing range on September 3.
Special Director (Intelligence Bureau) B.C. Nayak said a 26-member team represented India at the international firing competition held in New York between August 26 and September 5 and bagged 54 medals, including 32 gold. Additional Director General of Police (Operations) N. Tamil Selvan said the overall championship in Rifle, Revolver/Pistol and Carbine Shooting competition was bagged by the CRPF.
Tamil Nadu Police was the winner of the Overall Championship (among the States) in the Rifle, Revolver/Pistol and Carbine Shooting competition.
Speaking at the valedictory of the 11th All India Police Rifle and Revolver/Pistol Shooting Competition here she said guns were an integral part of police equipment for centuries. However, decades ago, the use of weapons by police was restricted to either drill or for dispersal of stone-throwing mobs.
Accuracy of firing was not imperative. But, the scenario changed and mobsters started using AK-47 rifles. “We cannot let the police be outgunned and overwhelmed. The recent memory of a gunman at Chatrapathi Shivaji Terminus in Mumbai firing indiscriminately with an AK-47 rifle, while a brave constable trying to return fire with a .303 rifle is still green, unable to make any impact, he (the constable) finally flings a chair at the gunman,” she recalled.
Ms. Jayalalithaa said when she became the Chief Minister in 1991, the State police did not have the weaponry to combat militancy/terrorism. “Our policemen carried muskets and .303 rifles of Second World War vintage. These were weapons fit only to be displayed in a museum as exhibits. On the other hand, the militants possessed ultra-modern and sophisticated fire-arms for which our police had no answer.” On her request the Centre then sanctioned some funds and the State also made substantial contribution for procuring modern weapons, communication gadgets and vehicles. While acquisition of sophisticated weapons was important, the ability to handle them was equally essential.
Ms. Jayalalithaa said using a firearm, especially a sophisticated one, needed skills which could be cultivated only through constant practice and hard work. It was in this context that the shooting competition assumed significance. “It is not a mere sporting event where the tussle is for medals, trophies or personal glory. It is a preparation to equip the police to face hard reality when confronted with terrorism.”
The Chief Minister proposed to sanction funds for procuring rifles or pistols of .177 or .22 bore to enable police personnel to participate in All India Police Sports Shooting Championship.
Director General of Police K. Ramanujam said a total of 30 teams, including 8 representing central police organisations such as the Border Security Force, Central Reserve Police Force and Indo-Tibetan Border Police, took part in the competitions that commenced at the Othivakkam firing range on September 3.
Special Director (Intelligence Bureau) B.C. Nayak said a 26-member team represented India at the international firing competition held in New York between August 26 and September 5 and bagged 54 medals, including 32 gold. Additional Director General of Police (Operations) N. Tamil Selvan said the overall championship in Rifle, Revolver/Pistol and Carbine Shooting competition was bagged by the CRPF.
Tamil Nadu Police was the winner of the Overall Championship (among the States) in the Rifle, Revolver/Pistol and Carbine Shooting competition.
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