ग्वालियर। चार दिन से गायब खेड़ापति मंदिर का पंडित देवेंद्र शर्मा बहोड़ापुर स्थित पुलिस लाइन में एक महिला सिपाही शारदा किरार के घर मिला। पंडित के परिजनों का आरोप है कि महिला सिपाही, पंडित को बहला फुसलाकर अपने साथ ले गई और घर में बंद कर लिया।
उधर महिला सिपाही ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पंडित से उसका कोई संबंध नहीं है और न ही पंडित उसके घर से मिला। उल्टे कुछ लोगों ने सुबह उसके घर में तोडफ़ोड़ कर दी। सुबह डीआरपी लाइन में एक घंटे तक हंगामा हुआ। बहोड़ापुर थाने की पुलिस ने महिला सिपाही की शिकायत पर दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मंदिर का पुजारी देवेंद्र शर्मा उर्फ धांधू 7 सितंबर की शाम को घर से बिना बताए कहीं चला गया था।
पुजारी के भाई पद्म शर्मा ने बताया कि शनिवार को पता चला था कि देवेंद्र डीआरपी लाइन में महिला सिपाही शारदा किरार के घर में हैं। इसके बाद मां विमला बाई महिला सिपाही के घर पहुंची तो उसने देवेंद्र को अपनी मां के साथ आने नहीं दिया।
रविवार सुबह पद्म सहित देवेंद्र के परिजन फिर शारदा के घर पहुंचे। इस समय शारदा के घर के ताले लगे थे। पड़ोसियों ने बताया कि शारदा घर के अंदर ही है। इसके बाद देवेंद्र के परिजनों ने यहां पर हंगामा करना शुरू कर दिया। इस बीच शारदा ने देवेंद्र को घर के बाहर किया और स्वयं घर के अंदर घुसी रही ।
वहीं शारदा बहोड़ापुर थाने में रिपोर्ट लिखाई है कि रविवार सुबह उसके घर पर टीटू शर्मा, पिंटू शर्मा ने कहा कि देवेंद्र तुम्हारे घर में है उसे निकालो, लेकिन देवेंद्र मेरे घर पर नहीं आता है और न ही यहां था। पंडित के परिजनों ने रात में मेरे घर के बाहर हंगामा किया और सुबह भी मारपीट कर घर में तोडफ़ोड़ कर दी। पुलिस ने टीटू शर्मा, पिंटू शर्मा और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
महिला और पुरुष दोनों साथ रहने पर तो कोई कार्रवाई नहीं बनती है। लेकिन पुरुष को बंधक बनाया गया है और महिला सिपाही से मारपीट की गई है तो इस मामले में जांच के बाद निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी। महिला की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है जबकि खेड़ापति के पंडित या उसके परिजनों की ओर से कोई शिकायत नहीं आई है।
अरविंद दुबे
सीएसपी, ग्वालियर
खेड़ापति मंदिर के पुजारी या उसके परिजनों की ओर से उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है।
हरिओम शर्मा
टीआई, पड़ाव
महिला सिपाही शारदा किरार ने मेरे भाई देवेंद्र को बहला फुसलाकर घर बुला लिया था और उसके बाद घर में बंधक बना लिया था। हमने पड़ाव थाने और सीएसपी साहब को घटना की शिकायत की है। देवेंद्र को हम लोग सुबह शारदा के घर से ही लाए थे।
पद्म शर्मा
देवेंद्र का भाई
डेढ़ महीने पहले मेरी ड्यूटी खेड़ापति मंदिर पर थी, इसी दौरान देवेंद्र की मां ने मेरा फोन नंबर ले लिया था। इसके बाद पता नहीं देवेंद्र के पास कैसे मेरा नंबर पहुंचा और उसने मेरे मना करने के बावजूद दो-तीन बार मुझे फोन भी किया। देवेंद्र के परिजनों ने शनिवार की शाम को मेरे घर हंगामा किया और रविवार की सुबह आकर फिर मारपीट कर दी। देवेंद्र मेरे घर पर नहीं था।
शारदा किरार
महिला आरक्षक
पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Monday, September 12, 2011
MP Police:Indore: छात्रा का MMS बनाने वाला पुलिस अधिकारी बर्खास्त...
इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में एक छात्रा का अश्लील एमएमएस बनाकर उसे ब्लैकमेल करके खाकी वर्दी को दागदार बनाने वाले पुलिस उप निरीक्षक आर के शिवहरे को बर्खास्त कर दिया गया है।
चंदननगर थाने में पदस्थ उप निरीक्षक राम किशोर शिवहरे व उसके दो साथियों पर स्कीम नम्बर 71 में रहने वाली 11वीं कक्षा की छात्रा का एमएमएस बनाकर उसे ब्लैकमेल करने का आरोप है।
जिस छात्रा का एमएमएस बनाया गया था वह राजनीतिक प्रभाव रखने वाले परिवार से आती है। इसीलिए पुलिस ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए उप निरीक्षक और उसके दोनों साथियों को गिरफ्तार करने के साथ जेल भेज दिया था। शिवहरे को पुलिस विभाग से बर्खास्त कर दिया गया है।
स्कूली छात्रा को अगवा करके उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें उतारने के आरोप में एक पुलिस उपनिरीक्षक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार.
इंदौर में सोलह वर्षीय स्कूली छात्रा को पिस्तौल के बल पर अगवा करके उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें उतारने और उसके आधार पर उसे ब्लैकमेल करने के आरोप में यहां एक पुलिस उपनिरीक्षक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
इससे पुलिस महकमे को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है क्योंकि सप्ताहभर में यह दूसरी बार है जब शहर के किसी उपनिरीक्षक को आपराधिक वारदात में कथित रूप से शामिल होने के लिए बदमाशों के साथ हवालात के अंदर पहुंचते देखा गया है.
पुलिस सूत्रों ने बुधवार को बताया कि स्कीम नम्बर 71 क्षेत्र में रहने वाली छात्रा को उपनिरीक्षक रामकिशोर शिवहरे ने पांच सितंबर की रात पिस्तौल दिखाकर अगवा किया.
रामकिशोर ने छात्रों को उस समय अगवा किया जब वह अपने घर के पास एक युवक से बात कर रही थी.
इसके बाद उसे जबरन एक कमरे में ले जाकर मोबाइल के कैमरे से उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें खींचीं गयीं.इस कमरे में दो महिलाएं और तीन बच्चे भी थे.
सूत्रों के मुताबिक चंदन नगर थाने में पदस्थ 45 वर्षीय पुलिसकर्मी की इस करतूत में दो बदमाशों ने उसका साथ दिया. बदमाशों की पहचान संजय ठाकुर और विजय शर्मा के रूप में की गई है.
सूत्रों के मुताबिक आरोपियों ने यह धमकी देते हुए स्कूली छात्रा को ब्लैकमेल किया कि यदि उसने उनकी बात नहीं मानी तो उसकी तस्वीरो को सार्वजनिक कर दिया जायेगा.
पीड़ित छात्रा रतलाम के निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा की परिचित है. विधायक ने छात्रा के साथ जाकर पुलिस को शिकायत की.
पुलिस ने इस मामले के तीनों आरोपियों को पकड़ लिया. उनके खिलाफ अपहरण, बंधक बनाने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच पुलिस उपाधीक्षक (अपराध शाखा) जितेंद्र सिंह ने कहा, हमने आरोपियों के कब्जे से वह मोबाइल भी बरामद कर लिया है जिसके कैमरे से छात्रा की तस्वीरें खींचीं गयी थीं. मोबाइल को जांच के लिये अपराध विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक मामले के आरोपियों में उपनिरीक्षक को मंगलवार रात निलंबित कर दिया गया. उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गयी है.
इससे पहले पुलिस ने विजय नगर थाने में पदस्थ उपनिरीक्षक बिहारीलाल मेहर को गत दो सितंबर को गिरफ्तार किया था.
आरोप है कि जांचकर्ता अधिकारी मेहर ने करीब नौ लाख रुपये की चोरी की रकम में से साढे़ छह लाख रुपये हड़प लिये थे और हाथ आये चोरों को छोड़ दिया था.
चंदननगर थाने में पदस्थ उप निरीक्षक राम किशोर शिवहरे व उसके दो साथियों पर स्कीम नम्बर 71 में रहने वाली 11वीं कक्षा की छात्रा का एमएमएस बनाकर उसे ब्लैकमेल करने का आरोप है।
जिस छात्रा का एमएमएस बनाया गया था वह राजनीतिक प्रभाव रखने वाले परिवार से आती है। इसीलिए पुलिस ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए उप निरीक्षक और उसके दोनों साथियों को गिरफ्तार करने के साथ जेल भेज दिया था। शिवहरे को पुलिस विभाग से बर्खास्त कर दिया गया है।
स्कूली छात्रा को अगवा करके उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें उतारने के आरोप में एक पुलिस उपनिरीक्षक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार.
इंदौर में सोलह वर्षीय स्कूली छात्रा को पिस्तौल के बल पर अगवा करके उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें उतारने और उसके आधार पर उसे ब्लैकमेल करने के आरोप में यहां एक पुलिस उपनिरीक्षक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
इससे पुलिस महकमे को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है क्योंकि सप्ताहभर में यह दूसरी बार है जब शहर के किसी उपनिरीक्षक को आपराधिक वारदात में कथित रूप से शामिल होने के लिए बदमाशों के साथ हवालात के अंदर पहुंचते देखा गया है.
पुलिस सूत्रों ने बुधवार को बताया कि स्कीम नम्बर 71 क्षेत्र में रहने वाली छात्रा को उपनिरीक्षक रामकिशोर शिवहरे ने पांच सितंबर की रात पिस्तौल दिखाकर अगवा किया.
रामकिशोर ने छात्रों को उस समय अगवा किया जब वह अपने घर के पास एक युवक से बात कर रही थी.
इसके बाद उसे जबरन एक कमरे में ले जाकर मोबाइल के कैमरे से उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें खींचीं गयीं.इस कमरे में दो महिलाएं और तीन बच्चे भी थे.
सूत्रों के मुताबिक चंदन नगर थाने में पदस्थ 45 वर्षीय पुलिसकर्मी की इस करतूत में दो बदमाशों ने उसका साथ दिया. बदमाशों की पहचान संजय ठाकुर और विजय शर्मा के रूप में की गई है.
सूत्रों के मुताबिक आरोपियों ने यह धमकी देते हुए स्कूली छात्रा को ब्लैकमेल किया कि यदि उसने उनकी बात नहीं मानी तो उसकी तस्वीरो को सार्वजनिक कर दिया जायेगा.
पीड़ित छात्रा रतलाम के निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा की परिचित है. विधायक ने छात्रा के साथ जाकर पुलिस को शिकायत की.
पुलिस ने इस मामले के तीनों आरोपियों को पकड़ लिया. उनके खिलाफ अपहरण, बंधक बनाने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच पुलिस उपाधीक्षक (अपराध शाखा) जितेंद्र सिंह ने कहा, हमने आरोपियों के कब्जे से वह मोबाइल भी बरामद कर लिया है जिसके कैमरे से छात्रा की तस्वीरें खींचीं गयी थीं. मोबाइल को जांच के लिये अपराध विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक मामले के आरोपियों में उपनिरीक्षक को मंगलवार रात निलंबित कर दिया गया. उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गयी है.
इससे पहले पुलिस ने विजय नगर थाने में पदस्थ उपनिरीक्षक बिहारीलाल मेहर को गत दो सितंबर को गिरफ्तार किया था.
आरोप है कि जांचकर्ता अधिकारी मेहर ने करीब नौ लाख रुपये की चोरी की रकम में से साढे़ छह लाख रुपये हड़प लिये थे और हाथ आये चोरों को छोड़ दिया था.
MP Police: Bhopal: देश की पहली महिला फ्लाइंग ऑफिसर, जिसका कोर्ट मार्शल किया गया था ने की खुदकुशी...
भोपाल। शाहपुरा इलाके में भारतीय वायुसेना की पूर्व चर्चित महिला फ्लाइंग ऑफीसर अंजलि गुप्ता ने फांसी लगाकर जान दे दी। उसने यह कदम क्यों उठाया, इसका खुलासा फिलहाल नहीं हो पाया है। वह चार दिन पहले अपने पारिवारिक दोस्त और एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन से मिलने भोपाल आई थीं।
अंजलि छह साल पहले उस वक्त चर्चा में आई, जब उसने अपने तीन अफसरों पर यौन प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। इसके बाद उसे कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा था। अंजलि देश की पहली महिला अफसर थी, जिसका कोर्ट मार्शल हुआ। बाद में सेना ने उसे बर्खास्त कर दिया था।
फार्च्यून ग्लोरी, शाहपुरा स्थित मकान नंबर जी-30 निवासी अमित गुप्ता (52) इंडियन एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन हैं। अमित ने बताया कि बीते 7 सितंबर को उनकी पारिवारिक मित्र और एयरफोर्स की पूर्व ऑफीसर अंजलि गुप्ता (36) अपने निजी काम से भोपाल आई थीं। वह उनके मकान में ही रुक गईं। बीते गुरुवार को अमित के बेटे करण की मंगनी का कार्यक्रम दिल्ली में था।
दिल्ली जाने के दौरान अमित ने अंजली को भी साथ चलने के लिए कहा, लेकिन उसने भोपाल में कुछ काम होने की बात कहकर इनकार कर दिया। अमित के मुताबिक वह अपने परिवार के साथ रविवार सुबह लौटे तो दरवाजा अंदर से बंद मिला। काफी देर तक खुलवाने की कोशिश नाकाम रही तो उन्होंने सूचना पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी में दरवाजा तोड़कर सभी अंदर दाखिल हुए तो देखा कि अंजली ने ऊपर के कमरे में दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली थी। जिस कमरे में उसने यह कदम उठाया, उसका दरवाजा भी अंदर से बंद था।
सीएसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि अंजली का कोर्ट मार्शल 2005-06में हुआ था, जिसके बाद से ही वह परेशान चल रही थी। अंजली देश की पहली ऐसी महिला फ्लाइंग ऑफिसर थी, जिसका कोर्ट मार्शल किया गया था।
कमरे में पेट्रोल भी मिला
दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई पुलिस ने उस कमरे से पेट्रोल बरामद किया है। पुलिस का अंदाजा है कि उसका इरादा पहले आत्मदाह करने का रहा होगा, लेकिन बाद में उसने फैसला बदल लिया। पुलिस इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि वह पेट्रोल कब और कहां से लाई?
अंजलि छह साल पहले उस वक्त चर्चा में आई, जब उसने अपने तीन अफसरों पर यौन प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। इसके बाद उसे कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा था। अंजलि देश की पहली महिला अफसर थी, जिसका कोर्ट मार्शल हुआ। बाद में सेना ने उसे बर्खास्त कर दिया था।
फार्च्यून ग्लोरी, शाहपुरा स्थित मकान नंबर जी-30 निवासी अमित गुप्ता (52) इंडियन एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन हैं। अमित ने बताया कि बीते 7 सितंबर को उनकी पारिवारिक मित्र और एयरफोर्स की पूर्व ऑफीसर अंजलि गुप्ता (36) अपने निजी काम से भोपाल आई थीं। वह उनके मकान में ही रुक गईं। बीते गुरुवार को अमित के बेटे करण की मंगनी का कार्यक्रम दिल्ली में था।
दिल्ली जाने के दौरान अमित ने अंजली को भी साथ चलने के लिए कहा, लेकिन उसने भोपाल में कुछ काम होने की बात कहकर इनकार कर दिया। अमित के मुताबिक वह अपने परिवार के साथ रविवार सुबह लौटे तो दरवाजा अंदर से बंद मिला। काफी देर तक खुलवाने की कोशिश नाकाम रही तो उन्होंने सूचना पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी में दरवाजा तोड़कर सभी अंदर दाखिल हुए तो देखा कि अंजली ने ऊपर के कमरे में दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली थी। जिस कमरे में उसने यह कदम उठाया, उसका दरवाजा भी अंदर से बंद था।
सीएसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि अंजली का कोर्ट मार्शल 2005-06में हुआ था, जिसके बाद से ही वह परेशान चल रही थी। अंजली देश की पहली ऐसी महिला फ्लाइंग ऑफिसर थी, जिसका कोर्ट मार्शल किया गया था।
कमरे में पेट्रोल भी मिला
दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई पुलिस ने उस कमरे से पेट्रोल बरामद किया है। पुलिस का अंदाजा है कि उसका इरादा पहले आत्मदाह करने का रहा होगा, लेकिन बाद में उसने फैसला बदल लिया। पुलिस इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि वह पेट्रोल कब और कहां से लाई?
MP Police:Indore: Baba Ramdev: रामदेव के रामलीला प्रकरण पर बनी झांकी से पुलिस परेशान, भाजपा-कांग्रेस हुए आमने-सामने...
अनंत चतुर्दशी पर दिल्ली में भ्रष्टाचार के समसामयिक मसले को लेकर निकाली गयी झांकी विवादों में घिर गयी है.
इस झांकी में कथित रूप से योग गुरु बाबा रामदेव को दिल्ली पुलिस के हाथों डंडों से पिटते दिखाया गया था.
कांग्रेस का आरोप है कि राजनीतिक दखल और दबाव में निकाली गयी विवादास्पद झांकी में झूठे तथ्य को पेश किया गया, जिससे एक गलत परंपरा की शुरुआत हो गयी है.
शहर कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, ‘‘बंद पड़ी राजकुमार कपड़ा मिल के श्रमिकों की निकाली गयी झांकी में दिखाया गया कि दिल्ली पुलिस के दो जवान बाबा रामदेव को डंडों से पीट रहे हैं और गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे जेल के सींखचों के पीछे बंद हैं.’’
सलूजा ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रामदेव के अनशन स्थल पर चार जून की आधी रात के बाद हुए घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि राजधानी पुलिस ने योग गुरु की डंडों से पिटाई की थी. लेकिन झांकी में गलत तथ्य के आधार पर काल्पनिक दृश्य को जीवंत किया गया.
सलूजा ने कहा कि प्रशासन ने इस झांकी को ‘राजनीतिक आधार पर विवादास्पद’ मानते हुए आपत्ति जतायी थी और झांकी निर्माताओं को इसमें उचित बदलाव के लिये कहा था. लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की कथित दखलंदाजी और दबाव के चलते ऐसा नहीं हो सका तथा विवादास्पद झांकी रामदेव की पिटाई के गलत तथ्य को प्रदर्शित करते हुए निकली.
उधर, भारतीय जनता पार्टी ने विवादास्पद झांकी का बचाव किया है. पार्टी के संभागीय प्रवक्ता आलोक दुबे ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने अपने राजनीतिक आकाओं के आदेश पर रामदेव के अनशन का बर्बर दमन किया और मजदूरों की निकाली गयी झांकी में इस घटना के प्रति जन आक्रोश स्वाभाविक रूप से अभिव्यक्त हुआ.
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस आम आदमी के उस गुस्से को नहीं दबा सकती, जो भ्रष्टाचार पर केंद्र सरकार के ढीले.ढाले रुख के चलते देश भर में फूट पड़ा है.’’
इंदौर की अधिकांश कपड़ा मिलों का वजूद हालांकि पिछले डेढ़ दशक में सिलसिलेवार ढंग से मिट चुका है. लेकिन मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी में अनंत चतुर्दशी की रात मिल मजदूरों की बनायी झांकियों को जुलूस के रूप में निकालने का सांस्कृतिक चलन करीब 90 साल से लगातार जारी है. इन झांकियों के लिये धार्मिक विषयों के साथ समसामयिक मुद्दे भी चुने जाते रहे हैं.
इस झांकी में कथित रूप से योग गुरु बाबा रामदेव को दिल्ली पुलिस के हाथों डंडों से पिटते दिखाया गया था.
कांग्रेस का आरोप है कि राजनीतिक दखल और दबाव में निकाली गयी विवादास्पद झांकी में झूठे तथ्य को पेश किया गया, जिससे एक गलत परंपरा की शुरुआत हो गयी है.
शहर कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, ‘‘बंद पड़ी राजकुमार कपड़ा मिल के श्रमिकों की निकाली गयी झांकी में दिखाया गया कि दिल्ली पुलिस के दो जवान बाबा रामदेव को डंडों से पीट रहे हैं और गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे जेल के सींखचों के पीछे बंद हैं.’’
सलूजा ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रामदेव के अनशन स्थल पर चार जून की आधी रात के बाद हुए घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि राजधानी पुलिस ने योग गुरु की डंडों से पिटाई की थी. लेकिन झांकी में गलत तथ्य के आधार पर काल्पनिक दृश्य को जीवंत किया गया.
सलूजा ने कहा कि प्रशासन ने इस झांकी को ‘राजनीतिक आधार पर विवादास्पद’ मानते हुए आपत्ति जतायी थी और झांकी निर्माताओं को इसमें उचित बदलाव के लिये कहा था. लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की कथित दखलंदाजी और दबाव के चलते ऐसा नहीं हो सका तथा विवादास्पद झांकी रामदेव की पिटाई के गलत तथ्य को प्रदर्शित करते हुए निकली.
उधर, भारतीय जनता पार्टी ने विवादास्पद झांकी का बचाव किया है. पार्टी के संभागीय प्रवक्ता आलोक दुबे ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने अपने राजनीतिक आकाओं के आदेश पर रामदेव के अनशन का बर्बर दमन किया और मजदूरों की निकाली गयी झांकी में इस घटना के प्रति जन आक्रोश स्वाभाविक रूप से अभिव्यक्त हुआ.
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस आम आदमी के उस गुस्से को नहीं दबा सकती, जो भ्रष्टाचार पर केंद्र सरकार के ढीले.ढाले रुख के चलते देश भर में फूट पड़ा है.’’
इंदौर की अधिकांश कपड़ा मिलों का वजूद हालांकि पिछले डेढ़ दशक में सिलसिलेवार ढंग से मिट चुका है. लेकिन मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी में अनंत चतुर्दशी की रात मिल मजदूरों की बनायी झांकियों को जुलूस के रूप में निकालने का सांस्कृतिक चलन करीब 90 साल से लगातार जारी है. इन झांकियों के लिये धार्मिक विषयों के साथ समसामयिक मुद्दे भी चुने जाते रहे हैं.
TN Police: Chennai: रामानाथपुरम ज़िले में पुलिस फायरिंग पर सख्त हुई सरकार, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे जांच..
The Tamil Nadu government ordered a judicial probe into Sunday’s police firing in Ramanathapuram district which claimed seven lives.
“What happened at Paramakudi was unfortunate and we are forming an inquiry commission under a retiredhigh court judge to probe the whole incident,” Jayalalithaa told the state assembly on Monday.
Seven people were killed and more than fifty persons injured when police opened fire to quell a riot unleashed by a group of Dalits at Paramakudi. More than 15 policemen including a DIG were injured when the angry mob pelted stones and went on a rampage by setting vehicles ablaze.
According to district collector Arun Roy, the police opened fire when the mob refused to disperse even after lathi charge and bursting of tear gas shells. Though the collector described the Sunday incident as a riot unleashed by violent mobsters, the truth is that it was the fall out of the prevailing tension between Thevars, the caste Hindus andDalits. The clashes owe its origins to Saturday’s murder of a Dalit boy in Paramakudi, according to Thol Thirumavalavan, MP.
Sunday was also the death anniversary of Emmanuel Sekaran, a Dalit activist who was murdered on September 11, 1957 in a caste conflict. Every year thousands of Dalits congregate at Paramakudi to offer homage to their leader. Since the police felt that the murder of the Dalit boy could result in the memorial day turning violent, they detained John Pandian, one of the Dalitleaders who was on his way to Paramakudi.
“The detaining of Pandian was the cause for the riots and the police is responsible for the riots. Had they not taken Pandian into custody nothing would have happened,” said Thirumavalan.
The caste equations between Dalits and caste Hindus have been a matter of concern in Tamil Nadu for quite some time. Tamil Nadu is the only state where the two-tumbler system is practiced. In most of the villages, shops serve tea for Dalits in special tumblers..
This reporter has personally experienced the two-tumbler syndrome in Cuddalore district. Though the government has posted policemen to monitor any practice of untouchability, theylook the other way when tea is served in separate tumblers.
“Dalits are not allowed to wear shirts or sandals in these areas,” said Dr Krishnasamy, MLA and leader of Puthiya Tamilagam.
Cho Ramaswamy, political commentator, who has followed these clashes, is of the view that unless someone makes a complaint to the police, it is not possible for the law enforcing agencies to take action. “These riots and clashes are not confined to one particular region or during a particular regime. This has been there for decades. Unless the grievances of the Dalits are genuinely addressed, we may see more troubles,” said Cho.
But Doraipandi Kuppuramau, a social activist in Ramanathapuram blamed the evangelists in the region for the frequent clashes. “
They are trying to separate the Dalits from the national mainstream by religious conversion. Major political parties are afraid to accept this fact in the open,” he said.
चेन्नई । तमिलनाडु के रामनाथपुरम में रविवार को हुई पुलिस गोलीबारी में छह लोगों की मौत की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित आयोग करेगा। मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने सोमवार को इसकी घोषणा की।
तमिलनाडु विधानसभा में इस मुद्दे पर लाए गए विशेष ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जयललिता ने गोलीबारी को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और कहा कि घटना की जांच के लिए सरकार जल्द ही उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन करेगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद सरकार हर आवश्यक कदम उठाएगी। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि वे राजनीतिक बहकावे में आकर हिंसक गतिविधियों में शामिल न हों।
इससे पहले उन्होंने घटना की जांच राजस्व मंडल अधिकारी से कराने की बात कही थी।
उन्होंने राज्य में जातीय संघर्ष की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में शांति समिति बनाने की बात भी कही। मुख्यमंत्री ने कहा, "इलाके में जब भी जातीय संघर्ष की आशंका होगी, जिला अधिकारी उस स्थान का दौरा करेंगे और दोनों पक्षों की बैठक बुलाएंगे। साथ ही शांति समिति के साथ भी बैठक की जाएगी।"
जयललिता ने राज्य में शांति समितियां नहीं बनाने के लिए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की पूर्ववर्ती सरकार को भी आड़े हाथों लिया।
उल्लेखनीय है कि रामनाथपुरम जिले में हथियारों से लैस और पथराव कर रही उग्र भीड़ पर पुलिस ने गोली चला दी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई। भीड़ दलित नेता जॉन पांडियन को हिरासत में लिए जाने का विरोध कर रही थी और उन्हें रिहा करने की मांग कर रही थी। उन्हें रामनाथपुरम में जबरन प्रवेश करने के कारण हिरासत में लिया गया था।
जयललिता ने कहा कि रामनाथपुर के नजदीकी गांव में नौ सितम्बर को एक छात्र की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस सिलसिले में पांच लोगों को हिरासत में लिया था। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए जिला अधिकारी ने जिले में पांडियन के प्रवेश पर रोक लगाई थी। लेकिन रविवार को उन्होंने इसका उल्लंघन किया, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया।
गोलीबारी के लिए पुलिस का बचाव करते हुए जयललिता ने कहा कि पुलिस ने आत्मरक्षा में और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान से बचाने के लिए गोली चलाई थी, क्योंकि उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया था और कई वाहनों को आग लगा दी थी।
उन्होंने पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये और घायलों को 15,000 रुपये की आर्थिक सहायता राशि देने की बात कही। साथ ही मृतक छात्र के परिजनों को भी एक लाख रुपये दिए जाएंगे।
“What happened at Paramakudi was unfortunate and we are forming an inquiry commission under a retiredhigh court judge to probe the whole incident,” Jayalalithaa told the state assembly on Monday.
Seven people were killed and more than fifty persons injured when police opened fire to quell a riot unleashed by a group of Dalits at Paramakudi. More than 15 policemen including a DIG were injured when the angry mob pelted stones and went on a rampage by setting vehicles ablaze.
According to district collector Arun Roy, the police opened fire when the mob refused to disperse even after lathi charge and bursting of tear gas shells. Though the collector described the Sunday incident as a riot unleashed by violent mobsters, the truth is that it was the fall out of the prevailing tension between Thevars, the caste Hindus andDalits. The clashes owe its origins to Saturday’s murder of a Dalit boy in Paramakudi, according to Thol Thirumavalavan, MP.
Sunday was also the death anniversary of Emmanuel Sekaran, a Dalit activist who was murdered on September 11, 1957 in a caste conflict. Every year thousands of Dalits congregate at Paramakudi to offer homage to their leader. Since the police felt that the murder of the Dalit boy could result in the memorial day turning violent, they detained John Pandian, one of the Dalitleaders who was on his way to Paramakudi.
“The detaining of Pandian was the cause for the riots and the police is responsible for the riots. Had they not taken Pandian into custody nothing would have happened,” said Thirumavalan.
The caste equations between Dalits and caste Hindus have been a matter of concern in Tamil Nadu for quite some time. Tamil Nadu is the only state where the two-tumbler system is practiced. In most of the villages, shops serve tea for Dalits in special tumblers..
This reporter has personally experienced the two-tumbler syndrome in Cuddalore district. Though the government has posted policemen to monitor any practice of untouchability, theylook the other way when tea is served in separate tumblers.
“Dalits are not allowed to wear shirts or sandals in these areas,” said Dr Krishnasamy, MLA and leader of Puthiya Tamilagam.
Cho Ramaswamy, political commentator, who has followed these clashes, is of the view that unless someone makes a complaint to the police, it is not possible for the law enforcing agencies to take action. “These riots and clashes are not confined to one particular region or during a particular regime. This has been there for decades. Unless the grievances of the Dalits are genuinely addressed, we may see more troubles,” said Cho.
But Doraipandi Kuppuramau, a social activist in Ramanathapuram blamed the evangelists in the region for the frequent clashes. “
They are trying to separate the Dalits from the national mainstream by religious conversion. Major political parties are afraid to accept this fact in the open,” he said.
चेन्नई । तमिलनाडु के रामनाथपुरम में रविवार को हुई पुलिस गोलीबारी में छह लोगों की मौत की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित आयोग करेगा। मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने सोमवार को इसकी घोषणा की।
तमिलनाडु विधानसभा में इस मुद्दे पर लाए गए विशेष ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जयललिता ने गोलीबारी को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और कहा कि घटना की जांच के लिए सरकार जल्द ही उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन करेगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद सरकार हर आवश्यक कदम उठाएगी। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि वे राजनीतिक बहकावे में आकर हिंसक गतिविधियों में शामिल न हों।
इससे पहले उन्होंने घटना की जांच राजस्व मंडल अधिकारी से कराने की बात कही थी।
उन्होंने राज्य में जातीय संघर्ष की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में शांति समिति बनाने की बात भी कही। मुख्यमंत्री ने कहा, "इलाके में जब भी जातीय संघर्ष की आशंका होगी, जिला अधिकारी उस स्थान का दौरा करेंगे और दोनों पक्षों की बैठक बुलाएंगे। साथ ही शांति समिति के साथ भी बैठक की जाएगी।"
जयललिता ने राज्य में शांति समितियां नहीं बनाने के लिए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की पूर्ववर्ती सरकार को भी आड़े हाथों लिया।
उल्लेखनीय है कि रामनाथपुरम जिले में हथियारों से लैस और पथराव कर रही उग्र भीड़ पर पुलिस ने गोली चला दी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई। भीड़ दलित नेता जॉन पांडियन को हिरासत में लिए जाने का विरोध कर रही थी और उन्हें रिहा करने की मांग कर रही थी। उन्हें रामनाथपुरम में जबरन प्रवेश करने के कारण हिरासत में लिया गया था।
जयललिता ने कहा कि रामनाथपुर के नजदीकी गांव में नौ सितम्बर को एक छात्र की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस सिलसिले में पांच लोगों को हिरासत में लिया था। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए जिला अधिकारी ने जिले में पांडियन के प्रवेश पर रोक लगाई थी। लेकिन रविवार को उन्होंने इसका उल्लंघन किया, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया।
गोलीबारी के लिए पुलिस का बचाव करते हुए जयललिता ने कहा कि पुलिस ने आत्मरक्षा में और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान से बचाने के लिए गोली चलाई थी, क्योंकि उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया था और कई वाहनों को आग लगा दी थी।
उन्होंने पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये और घायलों को 15,000 रुपये की आर्थिक सहायता राशि देने की बात कही। साथ ही मृतक छात्र के परिजनों को भी एक लाख रुपये दिए जाएंगे।
Sunday, September 11, 2011
US Police: 9/11 Blast: अमेरिका पर 9/11 को हुए आतंकी हमलों के बाद पिछले दस सालों में क्या बदला है
अमेरिका पर 9/11 को हुए आतंकी हमलों के बाद पिछले दस सालों में क्या बदला है? पहली नजर में बहुत कम, लेकिन हकीकत में बहत कुछ, कहना है डॉयचे वेले के मुख्य संपादक मार्क कॉख का.
एक दशक बाद ऐसा लगता है कि कुछ भी नहीं बदला है. संयुक्त राज्य अमेरिका को दुनिया की सारी समस्याओं का जिम्मेदार माना जाता है. जर्मनी खुद में उलझा रहता है, तब तक जब तक कि कोई अमेरिकी कार्रवाई के खिलाफ नैतिकता के नाम पर बहस नहीं छेड़ देता, जिसमें अल कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन की मौत हुई. और इतिहास के सबसे भयानक आतंकी हमले के दस साल बाद किताबें छप रही हैं जो साबित करना चाहती हैं कि 11 सितंबर 2001 कोई ऐसा दिन नहीं था जिसने दुनिया बदल दी. मानवीय मानकों पर न मापी जा सकने वाली त्रासदी को एक आम ऐतिहासिक घटना बताने के ऐसे लाचार प्रयासों को मनोवैज्ञानिक रूप से समझा जा सकता है लेकिन राजनीतिक तौर पर वे गलत हैं और नैतिक तौर पर निंदनीय हैं. क्योंकि 9/11 ने दुनिया को जिस तरह बदला है उतना पिछले दशकों में शायद ही किसी और तारीख ने किया है. अब उसके पहले और उसके बाद की बात होती है. यह तारीख एक पड़ाव है जिसकी गहराई में विचारधाराएं, सिद्धांत, और राजनीतिक अवधारणाएं डूब गई हैं. इसकी वजह से पैदा हुई दरारें अब तक भरी नहीं जा सकी हैं.
यह बात खासकर पश्चिम के लिए लागू होती है. पिछले दस सालों में स्पष्ट नीतियों और पहल के साथ इस्लामी आतंकवाद और उसके समर्थकों की चुनौतियों का मुकाबला करने के बदले उसने बार बार हड़बड़ी में समझदारी दिखाने के संकेत दिए हैं. सबसे बेतुकी मिसाल थी पैगंबर मोहम्मद पर बनाए गए कुछ आपत्तिजनक कार्टूनों पर डर वाली प्रतिक्रिया. लेकिन इससे भी बढ़कर, खासकर जर्मनी में शुरू हुई बहस है कि ओसामा बिन लादेन जैसे हत्यारे को मारना अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है या नहीं.
इस तरह की बहस दिखाती है कि 9/11 के हमलों ने पश्चिमी मूल्यों को कितना झकझोर दिया है. निश्चित तौर पर अमेरिका के बेहतरीन राष्ट्रपतियों में शुमार न होने वाले जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने हमले के दो दिन बाद कहा था, "हम आजादी और उस सबकी जो अच्छा और न्यायोचित है, रक्षा करेंगे." यह सरल और निर्णायक वाक्य इस बीच गुआंतानामो, अबु गरैब और आतंकवाद विरोधी संघर्ष में मारे गए हजारों लोगों पर न्यायसंगत आक्रोश की बलि चढ़ गया है. उनके रुख की बेलागी और स्पष्टता पर दाग लग गया है. यह सिर्फ 9/11 के शिकारों का उपहास ही नहीं करता, जिन्हें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में लगी आग में या 400 मीटर की ऊंचाई से कूदकर होने वाली मौत को चुनना था. यह आखिरकार अपराधियों और शिकारों की भूमिका तय करता है.
बुश के वाक्य के कुछ ठोस और पलटे न जा सकने वाले नतीजे आंखों से ओझल हो गए हैं. अफगानिस्तान अब इंसानों का तिरस्कार करने वाले कट्टरपंथी धर्मांध गुटों के हाथ में नहीं है. इराक में तानाशाही समाप्त हो चुकी है और वह लोकतंत्र की राह पर है. और पश्चिम एशिया की क्रांतियां भी आखिरकार लोकतंत्र और आजादी के लिए बार बार दुहराए जाने वाले समर्थन का नतीजा है.
आतंकवाद को कभी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. हिंसा की वैकल्पिक भाषा के तौर पर भी नहीं, जैसा कि कभी कभी समझदारी दिखाने वाले लोग कहते हैं. 9/11 के दस साल बाद , डॉयचे वेले का मल्टी मीडिया विशेष इसे सभी आयामों में दिखाता है. एकल लोगों पर, पूरे इलाकों पर और हम सबके लिए संभावनाओं पर अपनी रिपोर्टों में. एक दिन, जिसने पूरी दुनिया बदल दी.
एक दशक बाद ऐसा लगता है कि कुछ भी नहीं बदला है. संयुक्त राज्य अमेरिका को दुनिया की सारी समस्याओं का जिम्मेदार माना जाता है. जर्मनी खुद में उलझा रहता है, तब तक जब तक कि कोई अमेरिकी कार्रवाई के खिलाफ नैतिकता के नाम पर बहस नहीं छेड़ देता, जिसमें अल कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन की मौत हुई. और इतिहास के सबसे भयानक आतंकी हमले के दस साल बाद किताबें छप रही हैं जो साबित करना चाहती हैं कि 11 सितंबर 2001 कोई ऐसा दिन नहीं था जिसने दुनिया बदल दी. मानवीय मानकों पर न मापी जा सकने वाली त्रासदी को एक आम ऐतिहासिक घटना बताने के ऐसे लाचार प्रयासों को मनोवैज्ञानिक रूप से समझा जा सकता है लेकिन राजनीतिक तौर पर वे गलत हैं और नैतिक तौर पर निंदनीय हैं. क्योंकि 9/11 ने दुनिया को जिस तरह बदला है उतना पिछले दशकों में शायद ही किसी और तारीख ने किया है. अब उसके पहले और उसके बाद की बात होती है. यह तारीख एक पड़ाव है जिसकी गहराई में विचारधाराएं, सिद्धांत, और राजनीतिक अवधारणाएं डूब गई हैं. इसकी वजह से पैदा हुई दरारें अब तक भरी नहीं जा सकी हैं.
यह बात खासकर पश्चिम के लिए लागू होती है. पिछले दस सालों में स्पष्ट नीतियों और पहल के साथ इस्लामी आतंकवाद और उसके समर्थकों की चुनौतियों का मुकाबला करने के बदले उसने बार बार हड़बड़ी में समझदारी दिखाने के संकेत दिए हैं. सबसे बेतुकी मिसाल थी पैगंबर मोहम्मद पर बनाए गए कुछ आपत्तिजनक कार्टूनों पर डर वाली प्रतिक्रिया. लेकिन इससे भी बढ़कर, खासकर जर्मनी में शुरू हुई बहस है कि ओसामा बिन लादेन जैसे हत्यारे को मारना अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है या नहीं.
इस तरह की बहस दिखाती है कि 9/11 के हमलों ने पश्चिमी मूल्यों को कितना झकझोर दिया है. निश्चित तौर पर अमेरिका के बेहतरीन राष्ट्रपतियों में शुमार न होने वाले जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने हमले के दो दिन बाद कहा था, "हम आजादी और उस सबकी जो अच्छा और न्यायोचित है, रक्षा करेंगे." यह सरल और निर्णायक वाक्य इस बीच गुआंतानामो, अबु गरैब और आतंकवाद विरोधी संघर्ष में मारे गए हजारों लोगों पर न्यायसंगत आक्रोश की बलि चढ़ गया है. उनके रुख की बेलागी और स्पष्टता पर दाग लग गया है. यह सिर्फ 9/11 के शिकारों का उपहास ही नहीं करता, जिन्हें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में लगी आग में या 400 मीटर की ऊंचाई से कूदकर होने वाली मौत को चुनना था. यह आखिरकार अपराधियों और शिकारों की भूमिका तय करता है.
बुश के वाक्य के कुछ ठोस और पलटे न जा सकने वाले नतीजे आंखों से ओझल हो गए हैं. अफगानिस्तान अब इंसानों का तिरस्कार करने वाले कट्टरपंथी धर्मांध गुटों के हाथ में नहीं है. इराक में तानाशाही समाप्त हो चुकी है और वह लोकतंत्र की राह पर है. और पश्चिम एशिया की क्रांतियां भी आखिरकार लोकतंत्र और आजादी के लिए बार बार दुहराए जाने वाले समर्थन का नतीजा है.
आतंकवाद को कभी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. हिंसा की वैकल्पिक भाषा के तौर पर भी नहीं, जैसा कि कभी कभी समझदारी दिखाने वाले लोग कहते हैं. 9/11 के दस साल बाद , डॉयचे वेले का मल्टी मीडिया विशेष इसे सभी आयामों में दिखाता है. एकल लोगों पर, पूरे इलाकों पर और हम सबके लिए संभावनाओं पर अपनी रिपोर्टों में. एक दिन, जिसने पूरी दुनिया बदल दी.
TN Police: Chennai: 21 new police station buildings, eight offices, eight women police stations, 480 police residential quarters and 67 new houses for prison officers...
Chennai: Chief Minister J Jayalalithaa on Monday inaugurated new buildings for police stations, residential quarters and district police offices constructed through Tamil Nadu Police Housing Corporation at a cost of Rs 45.25 crore across 26 districts.
She inaugurated 21 new police station buildings, eight offices, eight women police stations, 480 police residential quarters and 67 new houses for prison officers through video conference facility from the secretariat, an official release said.
Speaking on the occasion, Jayalalithaa said the inauguration of new buildings was part of her government's vision in giving top priority to maintain law and order.
She asked the police personnel to show humanness and be a good friend and guide for the public.
Noting that the first all-women police station in the state was set up during her previous regime in 1992, she expressed happiness in launching eight more new all-women police stations.
She said 480 new residential quarters for police personnel had been set up close to their workplace to improve efficiency.
"The government is providing various incentives to the police department and they should discharge their duties to the public in right earnest", she said.
She inaugurated 21 new police station buildings, eight offices, eight women police stations, 480 police residential quarters and 67 new houses for prison officers through video conference facility from the secretariat, an official release said.
Speaking on the occasion, Jayalalithaa said the inauguration of new buildings was part of her government's vision in giving top priority to maintain law and order.
She asked the police personnel to show humanness and be a good friend and guide for the public.
Noting that the first all-women police station in the state was set up during her previous regime in 1992, she expressed happiness in launching eight more new all-women police stations.
She said 480 new residential quarters for police personnel had been set up close to their workplace to improve efficiency.
"The government is providing various incentives to the police department and they should discharge their duties to the public in right earnest", she said.
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