अक्सर ड्यूटी पर रहते हुए भी काम से कतराने वाले पुलिस वालों के लिए मुंबई पुलिस को बदनाम किया जाता है। लेकिन सभी पुलिस वाले ऐसे नहीं होते हैं।
दरअसल शनिवार को सुबह 11 बजे के करीब ताड़देव स्थित एक जूलरी की दुकान पर दो लोग सोने की चेन और कंगन बेचने आए थे। इस दौरान छुट्टी का दिन होने के कारण कॉन्सटेबल मारुति अपने बच्चों को स्कूल छोड़कर आ रहे थे। उन्होंने दुकानदार और आभूषण बेचने आए लोगों को बहस करते हुए देख लिया। उनकी हालत देखकर मारुति को शक हुआ कि कई वे चोर तो नहीं जो चोरी का सामान दुकान में बेचने आए। शक के आधार पर मारुति ने उन्हें जब रोकना चाहा तो वे भागने लगे।
इसी बीच ताड़देव पर ड्यूटी पर तैनात बीट मार्शल पुलिस कॉन्सटेबल शत्रुघ्न उग्ले की मदद से मारुति ने चोरों को पीछा किया , और उनमें से एक को धर दबोचा। जब मारुति और उनके साथी कॉन्सटेबल ने आरोपी अजय दुर्गाप्रसाद मिश्रा की तलाशी ली तो उसके पास 3.5 ग्राम की सोने की चैन और दो कंगन बरामद हुए। जबकि भीड़ होने की वजह से अजय का दूसरा साथी विनोद भागने में कामयाब रहा।
पूछताछ के दौरान अजय ने पुलिस को बताया कि वो और उसका साथी माहिम दरगाह में रहते हैं , और उन्हें यह जूलरी बांद्रा के माउंट मेरी चर्च के मैले में मिली। आगे की पूछताछ के लिए उसे ताड़देव पुलिस के हवाले कर दिया गया।
बहरहाल कॉन्सटेबल मारुति और शत्रुघ्न के काम से खुश होकर मुंबई पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक ने उन्हें अपने में दफ्तर बुलाकर सम्मानित किया। मारुति को छुट्टी पर होते हुए भी ड्यूटी करने के लिए डेढ़ हजार रुपये जबकि शत्रुघ्न को एक हजार रुपये की बख्शीश दी। साथ ही सीपी साहब ने दोनों को सर्टिफिकेट देकर उनकी हौसला अफजाई की। मारुति पाटील एन . एम . जोशी मार्ग में कार्यरत है।
पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Wednesday, September 21, 2011
Bihar Police: Patna: बंगाल के बाद अब बिहार पुलिस भी आई टीवी पत्रकारों के रास्ते, अब उपद्रवियों को करेगी 'शूट'....
पटना।। हाल के दिनों में बिहार में जनता और पुलिस के बीच हुए टकराव के मामलों में पुलिस की ' बदनामी ' हुई है। पुलिस ने इस तरह की ' बदनामी ' से बचने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है। बिहार पुलिस अब उपद्रवियों से निपटने के लिए डंडे का इस्तेमाल नहीं करेगी बल्कि उन्हें 'शूट' करेगी। यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन डीजीपी अभयानंद ने राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को उपद्रवियों से निपटने के लिए उन्हें 'शूट' करने का आदेश दिया है। यहां पर 'शूट' से मतलब उनको गोली मारने से नहीं बल्कि विडियो बनाने से है।
नए तरीके के तहत पुलिस अब भीड़ से निपटने के लिए लाठी और बंदूक ले जाने की बजाए कैमरा लेकर जाएगी।
अभयानंद ने मंगलवार को बताया कि कैमरे की मदद से उपद्रवियों की हरकतों का विडियो बनाया जाएगा और बाद में इसी को साक्ष्य बनाकर उन उपद्रवियों को कोर्ट से सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि विडियो फुटेज देखकर पुलिस बदमाशों की भी पहचान कर सकेगी और उनके खिलाफ मामला दर्ज कर सकेगी। इस तरह फास्ट सुनवाई के जरिए अपराधियों को सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी।
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि हमें संयम बरतने का निर्देश मिला है। इसमें सिर्फ एक लाइन लिखी है, 'शूट विद कैमरा नॉट विद वेपन।'
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इस तरकीब से दंगे, आगजनी और छोटी-छोटी बातों को लेकर होने वाले सड़क जाम जैसी स्थितियों से निपटने में अवश्य सहायता मिलेगी। जब उपद्रवियों को सजा मिलने लगेगी तो ऐसे मामलों पर रोक लगाया जा सकेगा। गौरतलब है कि बिहार पुलिस विडियो फुटेज देखकर पहले भी कई मामले निपटा चुकी है।
एक अन्य अधिकारी बताते हैं कि कानून में हुए संशोधन के तहत सबूत के तौर पर विडियो फुटेज का उपयोग किया जा सकता है। उनका कहना है कि फुटेज के आधार पर जनप्रतिनिधियों से मदद ली जाएगी जिससे सबूत जुटाने में पुलिस को और आसानी होगी।
उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में अररिया के फारबिसगंज और नालंदा में उपद्रवियों से निपटने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इन घटनाओं के बाद जहां बिहार पुलिस को चारों तरफ आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा वहीं सरकार को भी फजीहत झेलनी पड़ी थी। इसके अलावा भीड़ द्वारा भी कानून को हाथ में लेने से पुलिस को परेशानी होती रही है, जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाती है।
नए तरीके के तहत पुलिस अब भीड़ से निपटने के लिए लाठी और बंदूक ले जाने की बजाए कैमरा लेकर जाएगी।
अभयानंद ने मंगलवार को बताया कि कैमरे की मदद से उपद्रवियों की हरकतों का विडियो बनाया जाएगा और बाद में इसी को साक्ष्य बनाकर उन उपद्रवियों को कोर्ट से सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि विडियो फुटेज देखकर पुलिस बदमाशों की भी पहचान कर सकेगी और उनके खिलाफ मामला दर्ज कर सकेगी। इस तरह फास्ट सुनवाई के जरिए अपराधियों को सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी।
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि हमें संयम बरतने का निर्देश मिला है। इसमें सिर्फ एक लाइन लिखी है, 'शूट विद कैमरा नॉट विद वेपन।'
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इस तरकीब से दंगे, आगजनी और छोटी-छोटी बातों को लेकर होने वाले सड़क जाम जैसी स्थितियों से निपटने में अवश्य सहायता मिलेगी। जब उपद्रवियों को सजा मिलने लगेगी तो ऐसे मामलों पर रोक लगाया जा सकेगा। गौरतलब है कि बिहार पुलिस विडियो फुटेज देखकर पहले भी कई मामले निपटा चुकी है।
एक अन्य अधिकारी बताते हैं कि कानून में हुए संशोधन के तहत सबूत के तौर पर विडियो फुटेज का उपयोग किया जा सकता है। उनका कहना है कि फुटेज के आधार पर जनप्रतिनिधियों से मदद ली जाएगी जिससे सबूत जुटाने में पुलिस को और आसानी होगी।
उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में अररिया के फारबिसगंज और नालंदा में उपद्रवियों से निपटने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इन घटनाओं के बाद जहां बिहार पुलिस को चारों तरफ आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा वहीं सरकार को भी फजीहत झेलनी पड़ी थी। इसके अलावा भीड़ द्वारा भी कानून को हाथ में लेने से पुलिस को परेशानी होती रही है, जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाती है।
Police Health: मेडिटेशन तनाव को दूर रखने का अच्छा तरीका, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट...
सेहत विशेषज्ञ और विभिन्न शोध दर्शाते हैं कि मेडिटेशन तनाव को दूर रखने का अच्छा तरीका है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और रक्त संचार नियमित होता है। व्यक्तित्व विकास और आत्मविश्वास की ओर ले जाने वाले विभिन्न मेडिटेशन और इनसे जुड़ी तकनीक पर एक नजर:
विकास की तेज दौड़ का एक नुकसान बढ़ते हुए अवसाद और तनाव के रूप में देखने को मिल रहा है। इस जुलाई में बीएमसी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार फ्रांस और अमेरिका जैसे विकसित देशों में अवसादग्रस्त व्यक्तियों का प्रतिशत सबसे अधिक (करीब 30) है। इंडियन साइकाइट्रिक सोसायटी के उपाध्यक्ष रॉय अब्राहम के अनुसार, अवसाद के दो कारण हो सकते हैं, जैविक और अजैविक। यदि अवसाद की वजह जैविक कारण है तो इसका उपचार दवा के जरिए करने की जरूरत होती है, पर अजैविक कारणों से हुए अवसाद को उचित काउंसलिंग, योग और ध्यान के जरिए दूर किया जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन में 18 देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, की सामाजिक परिस्थितियों और अवसाद की स्थिति में तुलनात्मक अध्ययन पेश किया गया है, जिसमें करीबन 89 हजार लोग शामिल थे।
डॉ. रॉय अब्राहम के अनुसार भारत में बढ़ता तनाव और कुंठा, घटता सामाजिक सहयोग और धैर्य अवसाद के प्रमुख कारण हैं। अध्ययन के अनुसार ऐसे लोग जो गंभीर रूप से अवसाद से पीड़ित हैं, उनकी संख्या तुलनात्मक रूप से भारत में सबसे अधिक (36 प्रतिशत) है, पर अवसाद ही एकमात्र ऐसा रोग नहीं, जो भारतीयों को खा रहा हो। एसोचैम के वर्ष 2006 के बिजनेस बैरोमीटर सर्वे में 270 अधिकारियों को शामिल किया गया। इसमें से 66 प्रतिशत ने माना कि वे तनाव में हैं और 70 प्रतिशत ने स्वयं को मानसिक दबाव में बताया।
लंबे समय तक तनाव की अधिकता स्ट्रैस हॉर्मोन की संख्या बढ़ा देती है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और शरीर के विभिन्न संक्रमण और कुछ खास तरह के कैंसर की चपेट में आने की आशंका भी बढ़ जाती है। लंबे समय तक स्थायी रूप से तनाव का बने रहना भी हमें हृदय और श्वसन संबंधी रोगों की ओर धकेल देता है।
विभिन्न संगठनों और डब्ल्यूएचओ और एसोचैम सहित विभिन्न संस्थाओं के सर्वे के अनुसार मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग व्यायाम, तनाव से दूर रखने या उसे नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं। इससे चित्त को एकाग्र करने की क्षमता बढ़ती है, हृदय गति कम होती है और रक्त संचार भी नियमित होता है। ऐसे में लंबे समय तक ऐसे व्यायाम व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य की ओर ले जाते हैं। इससे व्यक्तित्व विकास और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है। जिस तरह किसी एक बीमारी के उपचार के लिए कई दवाइयां होती हैं, उसी तरह विभिन्न तरह की ध्यान पद्धतियां भी हैं। हर स्कूल की अपनी अलग तरह की तकनीक और सोच है।
विकास की तेज दौड़ का एक नुकसान बढ़ते हुए अवसाद और तनाव के रूप में देखने को मिल रहा है। इस जुलाई में बीएमसी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार फ्रांस और अमेरिका जैसे विकसित देशों में अवसादग्रस्त व्यक्तियों का प्रतिशत सबसे अधिक (करीब 30) है। इंडियन साइकाइट्रिक सोसायटी के उपाध्यक्ष रॉय अब्राहम के अनुसार, अवसाद के दो कारण हो सकते हैं, जैविक और अजैविक। यदि अवसाद की वजह जैविक कारण है तो इसका उपचार दवा के जरिए करने की जरूरत होती है, पर अजैविक कारणों से हुए अवसाद को उचित काउंसलिंग, योग और ध्यान के जरिए दूर किया जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन में 18 देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, की सामाजिक परिस्थितियों और अवसाद की स्थिति में तुलनात्मक अध्ययन पेश किया गया है, जिसमें करीबन 89 हजार लोग शामिल थे।
डॉ. रॉय अब्राहम के अनुसार भारत में बढ़ता तनाव और कुंठा, घटता सामाजिक सहयोग और धैर्य अवसाद के प्रमुख कारण हैं। अध्ययन के अनुसार ऐसे लोग जो गंभीर रूप से अवसाद से पीड़ित हैं, उनकी संख्या तुलनात्मक रूप से भारत में सबसे अधिक (36 प्रतिशत) है, पर अवसाद ही एकमात्र ऐसा रोग नहीं, जो भारतीयों को खा रहा हो। एसोचैम के वर्ष 2006 के बिजनेस बैरोमीटर सर्वे में 270 अधिकारियों को शामिल किया गया। इसमें से 66 प्रतिशत ने माना कि वे तनाव में हैं और 70 प्रतिशत ने स्वयं को मानसिक दबाव में बताया।
लंबे समय तक तनाव की अधिकता स्ट्रैस हॉर्मोन की संख्या बढ़ा देती है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और शरीर के विभिन्न संक्रमण और कुछ खास तरह के कैंसर की चपेट में आने की आशंका भी बढ़ जाती है। लंबे समय तक स्थायी रूप से तनाव का बने रहना भी हमें हृदय और श्वसन संबंधी रोगों की ओर धकेल देता है।
विभिन्न संगठनों और डब्ल्यूएचओ और एसोचैम सहित विभिन्न संस्थाओं के सर्वे के अनुसार मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग व्यायाम, तनाव से दूर रखने या उसे नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं। इससे चित्त को एकाग्र करने की क्षमता बढ़ती है, हृदय गति कम होती है और रक्त संचार भी नियमित होता है। ऐसे में लंबे समय तक ऐसे व्यायाम व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य की ओर ले जाते हैं। इससे व्यक्तित्व विकास और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है। जिस तरह किसी एक बीमारी के उपचार के लिए कई दवाइयां होती हैं, उसी तरह विभिन्न तरह की ध्यान पद्धतियां भी हैं। हर स्कूल की अपनी अलग तरह की तकनीक और सोच है।
UP Police: बेटिकट यात्रा करते पकड़ाए बरेली के दरोगाजी, देना पड़ा एसी फर्स्ट का किराया और जुर्माना..
राजधानी एक्सप्रेस में रविवार को एक दरोगा बेटिकट यात्रा करते पकड़े गए। रेलवे बोर्ड विजिलेंस ने दोपहर में मंडल मुख्यालय को लंबी दूरी की एसी ट्रेनों में आकस्मिक चेकिंग के निर्देश दिए। इस निर्देश के कुछ देर बाद ही सूचना आई कि दिल्ली से गुवाहाटी जा रही राजधानी एक्सप्रेस में एक सांसद बिना टिकट सफर कर रहे हैं।
इन सूचनाओं को परखने के लिए मुरादाबाद से मंडल वाणिज्य प्रबंधक एसआर वर्मा के नेतृत्व मे गठित टीम राजधानी में सवार हो गई और बरेली तक ट्रेन में चेकिंग करती हुई आई। इस चेकिंग में सांसद तो मिले नहीं अलबत्ता बरेली के एक थाने में तैनात एक दरोगा जी एसी फर्स्ट में बिना टिकट सफर करते पकड़ लिए गए। वर्दी में दरोगा को सफर करते डीसीएम की टीम ने पकड़ा। बरेली पहुंचकर दरोगा से जुर्माने के तौर पर 3880 रुपए वसूले गए। दोपहर में टीम सियालदह एक्सप्रेस से लौट गई।
इन सूचनाओं को परखने के लिए मुरादाबाद से मंडल वाणिज्य प्रबंधक एसआर वर्मा के नेतृत्व मे गठित टीम राजधानी में सवार हो गई और बरेली तक ट्रेन में चेकिंग करती हुई आई। इस चेकिंग में सांसद तो मिले नहीं अलबत्ता बरेली के एक थाने में तैनात एक दरोगा जी एसी फर्स्ट में बिना टिकट सफर करते पकड़ लिए गए। वर्दी में दरोगा को सफर करते डीसीएम की टीम ने पकड़ा। बरेली पहुंचकर दरोगा से जुर्माने के तौर पर 3880 रुपए वसूले गए। दोपहर में टीम सियालदह एक्सप्रेस से लौट गई।
Delhi Police: Women Recruitment: 460 महिला कांस्टेबलों की होगी नियुक्ति, 25 को मिलेगा विशेष कमांडो प्रशिक्षण.....
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अब 83,000 से अधिक पुलिसकर्मी आपकी हिफाजत करेंगे। दिल्ली पुलिस बुधवार से 6,608 नए कांस्टेबलों की नियुक्ति कर रही है। इनमें 460 महिला कांस्टेबल भी हैं। दिल्ली पुलिस में एक बार में की गई सबसे बड़ी नियुक्ति है।
यह पुलिस बल में अभी तक की सबसे बड़ी नियुक्ति है। पिछले साल अगस्त में दिल्ली पुलिस ने 351 महिलाओं समेत 5,697 नियुक्तियां की थी।
विशेष कमांडो प्रशिक्षण के लिए चुने गए 685 कांस्टेबलों में 25 महिलाकर्मी भी हैं। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रशिक्षण के लिए महिलाओं को नीमेच और पुरुषों को टेकनपुर भेजा जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि इन्हें आपराधिक घटनाओं की जांच करने, फॉरेंसिक विश्लेषण करना, साइबर क्राइम और आर्थिक अपराधों समेत अन्य चीजों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है जब महिला कांस्टेबलों को यह विशेष प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
बंदूक चलाने के प्रशिक्षण के बारे में पूछने पर अधिकारी ने बताया कि कांस्टेबलों को प्वाईंट 303, प्वाईंट 38 रिवाल्वर, 9एमएम पिस्तौल, एके-47, एसएलआर और एसएएफ चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
यह पुलिस बल में अभी तक की सबसे बड़ी नियुक्ति है। पिछले साल अगस्त में दिल्ली पुलिस ने 351 महिलाओं समेत 5,697 नियुक्तियां की थी।
विशेष कमांडो प्रशिक्षण के लिए चुने गए 685 कांस्टेबलों में 25 महिलाकर्मी भी हैं। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रशिक्षण के लिए महिलाओं को नीमेच और पुरुषों को टेकनपुर भेजा जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि इन्हें आपराधिक घटनाओं की जांच करने, फॉरेंसिक विश्लेषण करना, साइबर क्राइम और आर्थिक अपराधों समेत अन्य चीजों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है जब महिला कांस्टेबलों को यह विशेष प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
बंदूक चलाने के प्रशिक्षण के बारे में पूछने पर अधिकारी ने बताया कि कांस्टेबलों को प्वाईंट 303, प्वाईंट 38 रिवाल्वर, 9एमएम पिस्तौल, एके-47, एसएलआर और एसएएफ चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
Delhi Police:साहसी सिपाही की जांबाजी पर 50 लाख रुपए का मुआवजा...
दुर्घटना को अंजाम दे चालक बस को लेकर फरार हो रहा था, लेकिन ड्यूटी पर तैनात सिपाही ने साहस का परिचय दिया और बस का पीछा किया। इस बहादुर वर्दीधारी ने बस को पकड़ ही लिया था कि बेपरवाह चालक ने गाड़ी सिपाही के ऊपर चढ़ा दी। दिल्ली ट्रेफिक पुलिस के इस हेड कांस्टेबल की उपचार के दौरान मौत हो गई। दुर्घटना और हर्जाना का मामला अदालत में पहुंचा। कोर्ट ने साहसी सिपाही की जांबाजी पर 50 लाख रुपए का मुआवजा उसके परिजनों को दिए जाने के आदेश दिए हैं। तीस हजारी स्थित एमएसीटी जज दिनेश भट्ट की अदालत ने सिपाही के डय़ूटी के प्रति समर्पण की सराहना की है। सिपाही के जज्बे को काबिलेतारीफ मानते हुए अदालत ने कहा है कि यदि वर्दीधारी समय पर उचित कदम नहीं उठाता, तो बेलगाम बस चालक ना जाने कितनी और जिंदगियों को चपेट में ले लेता।
इस हादसे में हेड कांस्टेबल समेत दो लोगों की मौत हो गईथी। जबकि एक सेंट्रो कार चालक को गंभीर चोटें आईं थीं। अदालत ने दुर्घटना में मरने वाले दूसरे व्यक्ति राहुल के परिजनों को 7 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने के निर्देश भी भारती एएक्सए जरनल इंश्योरेंस कंपनी को दिए हैं। जबकि दुर्घटना में घायल पवन को 65 हजार रुपये दिए जाएंगे।
एक साथ तीन वाहनों को मारी थी टक्कर
24 जनवरी 2011 की सुबह पौने 11बजे एक निजी स्कूल की बस ने साइकिल सवार राहुल को कुचल दिया। मुकुदपुर(बुराड़ी) लालबत्ती पर तैनात ट्रेफिक पुलिस के हेड कांस्टेबल वकीलुद्दीन(34) ने बस को रोकने का प्रयास किया। बस की रफ्तार फिर भी नहीं रुकी। तेजी से दौड़ती बस ने एक सेंट्रो कार को पीछे से जबरदस्त टक्कर मारी। जिससे सेंट्रो चालक पवन गंभीर रूप से घायल हो गया। मगर जैसे ही हेड कांस्टेबल मोटरसाइकिल से बस के आगे पहुंचा, बस चालक ने उसे भी कुचल दिया।
अदालती फैसले के अहम पहलु
-34 वर्षीय मृतक ने दिखाई बहादुरी, जान की भी नहीं की परवाह।
-हेड कांस्टेबल का सर्विस रिकार्ड रहा है बेहतरीन।
-मृतक के कंधों पर थी विधवा, तीन नाबालिग बच्चाों और वृद्ध मां के भरण पोषण की जिम्मेदारी।
-मृतक की मासिक आय भी है मुआवजे का महत्वपूर्ण आधार।
-विधवा की पत्नी को नहीं मिली है नौकरी।
13 महीने की तनख्वाह के आधार पर तय हुआ मुआवजा
मृतक वकीलुद्दीन की पत्नी मुंसरीना के अधिवक्ता उपेन्द्र सिंह ने मुआवजा रकम तय करने के लिए अदालत में पुलिस की सर्विस नियमावली पेश की। जिसमें स्पष्ट किया गया था कि एक साल में पुलिसकर्मी को 13 महीने की तनख्वाह दी जाती है। इस बाबत उन्होंने दस्तावेज भी पेश किए। अदालत ने दलील को मानते हुए साल में 12 की बजाय 13 महीने की तनख्वाह को मुआवजे का आधार बनाया है।
मृतक की विधवा को अनपढ़ होने के कारण नहीं मिली नौकरी
पति वकीलुद्दीन की मौत के बाद मुंसरीना के कंधों पर तीन नाबालिग बच्चाों व वृद्ध सास के लालन-पालन की जिम्मेदारी है। मगर मुन्सरीना अनपढ़ है इसलिए विभाग ने उन्हें पति की जगह नौकरी नहीं दी है। बकौल मुंसरीना जनवरी में पति की मौत के बाद घर के आर्थिक हालात बदतर हो गए थे। उन्हें पेंशन भी नहीं मिल रही थी। ऐसे में उन्होंने रिश्तेदारों के माध्यम से पति की जगह नौकरी की मांग महकमे से की। जिसपर उन्हें जवाब मिला कि वे सिर्फ चतुर्थ श्रेणी की नौकरी करने के योग्य हैं। लेकिन पिछले 3/4 साल से चतुर्थ श्रेणी की भर्ती प्रक्रिया बंद है। इसलिए उसे नौकरी पर रखना संभव नहीं है। हालांकि पिछले महीने से उन्हें पेंशन मिलने लगी है।
इस हादसे में हेड कांस्टेबल समेत दो लोगों की मौत हो गईथी। जबकि एक सेंट्रो कार चालक को गंभीर चोटें आईं थीं। अदालत ने दुर्घटना में मरने वाले दूसरे व्यक्ति राहुल के परिजनों को 7 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने के निर्देश भी भारती एएक्सए जरनल इंश्योरेंस कंपनी को दिए हैं। जबकि दुर्घटना में घायल पवन को 65 हजार रुपये दिए जाएंगे।
एक साथ तीन वाहनों को मारी थी टक्कर
24 जनवरी 2011 की सुबह पौने 11बजे एक निजी स्कूल की बस ने साइकिल सवार राहुल को कुचल दिया। मुकुदपुर(बुराड़ी) लालबत्ती पर तैनात ट्रेफिक पुलिस के हेड कांस्टेबल वकीलुद्दीन(34) ने बस को रोकने का प्रयास किया। बस की रफ्तार फिर भी नहीं रुकी। तेजी से दौड़ती बस ने एक सेंट्रो कार को पीछे से जबरदस्त टक्कर मारी। जिससे सेंट्रो चालक पवन गंभीर रूप से घायल हो गया। मगर जैसे ही हेड कांस्टेबल मोटरसाइकिल से बस के आगे पहुंचा, बस चालक ने उसे भी कुचल दिया।
अदालती फैसले के अहम पहलु
-34 वर्षीय मृतक ने दिखाई बहादुरी, जान की भी नहीं की परवाह।
-हेड कांस्टेबल का सर्विस रिकार्ड रहा है बेहतरीन।
-मृतक के कंधों पर थी विधवा, तीन नाबालिग बच्चाों और वृद्ध मां के भरण पोषण की जिम्मेदारी।
-मृतक की मासिक आय भी है मुआवजे का महत्वपूर्ण आधार।
-विधवा की पत्नी को नहीं मिली है नौकरी।
13 महीने की तनख्वाह के आधार पर तय हुआ मुआवजा
मृतक वकीलुद्दीन की पत्नी मुंसरीना के अधिवक्ता उपेन्द्र सिंह ने मुआवजा रकम तय करने के लिए अदालत में पुलिस की सर्विस नियमावली पेश की। जिसमें स्पष्ट किया गया था कि एक साल में पुलिसकर्मी को 13 महीने की तनख्वाह दी जाती है। इस बाबत उन्होंने दस्तावेज भी पेश किए। अदालत ने दलील को मानते हुए साल में 12 की बजाय 13 महीने की तनख्वाह को मुआवजे का आधार बनाया है।
मृतक की विधवा को अनपढ़ होने के कारण नहीं मिली नौकरी
पति वकीलुद्दीन की मौत के बाद मुंसरीना के कंधों पर तीन नाबालिग बच्चाों व वृद्ध सास के लालन-पालन की जिम्मेदारी है। मगर मुन्सरीना अनपढ़ है इसलिए विभाग ने उन्हें पति की जगह नौकरी नहीं दी है। बकौल मुंसरीना जनवरी में पति की मौत के बाद घर के आर्थिक हालात बदतर हो गए थे। उन्हें पेंशन भी नहीं मिल रही थी। ऐसे में उन्होंने रिश्तेदारों के माध्यम से पति की जगह नौकरी की मांग महकमे से की। जिसपर उन्हें जवाब मिला कि वे सिर्फ चतुर्थ श्रेणी की नौकरी करने के योग्य हैं। लेकिन पिछले 3/4 साल से चतुर्थ श्रेणी की भर्ती प्रक्रिया बंद है। इसलिए उसे नौकरी पर रखना संभव नहीं है। हालांकि पिछले महीने से उन्हें पेंशन मिलने लगी है।
Delhi Police: दिल्ली पुलिस में अभी तक की सबसे बड़ी भर्ती, शामिल होंगे कुल 6,608 कांस्टेबल
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अब 83,000 से अधिक पुलिसकर्मी आपकी हिफाजत करेंगे। दिल्ली पुलिस बुधवार से 6,608 नए कांस्टेबलों की नियुक्ति कर रही है। इनमें 460 महिला कांस्टेबल भी हैं। दिल्ली पुलिस में एक बार में की गई सबसे बड़ी नियुक्ति है।
कुल 6,608 कांस्टेबलों में से 685 को महाराष्ट्र के नीमेच में सीमा सुरक्षा बलों, और मध्य प्रदेश के टेकनपुर में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन सभी कांस्टेबलों को पहले से प्राथमिक कमांडो प्रशिक्षण प्राप्त है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इनके जुड़ने के साथ ही पुलिस बल की संख्या बढ़कर 83,762 हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस नयी नियुक्ति से पुलिस बल पर से दबाव कम होगा। इनका इस्तेमाल जमीनी स्तर पर कार्यों के लिए किया जाएगा। उन्हें सीधा स्थानीय स्तर पर तैनात किया जाएगा। इससे पुलिस बल की मजबूती बढ़ेगी। अब जमीनी स्तर पर काम करने के लिए हमारे पास ज्यादा संख्या में पुलिसकर्मी होंगे।
यह पुलिस बल में अभी तक की सबसे बड़ी नियुक्ति है। पिछले साल अगस्त में दिल्ली पुलिस ने 351 महिलाओं समेत 5,697 नियुक्तियां की थी।
विशेष कमांडो प्रशिक्षण के लिए चुने गए 685 कांस्टेबलों में 25 महिलाकर्मी भी हैं। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रशिक्षण के लिए महिलाओं को नीमेच और पुरुषों को टेकनपुर भेजा जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि इन्हें आपराधिक घटनाओं की जांच करने, फॉरेंसिक विश्लेषण करना, साइबर क्राइम और आर्थिक अपराधों समेत अन्य चीजों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है जब महिला कांस्टेबलों को यह विशेष प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
बंदूक चलाने के प्रशिक्षण के बारे में पूछने पर अधिकारी ने बताया कि कांस्टेबलों को प्वाईंट 303, प्वाईंट 38 रिवाल्वर, 9एमएम पिस्तौल, एके-47, एसएलआर और एसएएफ चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
कुल 6,608 कांस्टेबलों में से 685 को महाराष्ट्र के नीमेच में सीमा सुरक्षा बलों, और मध्य प्रदेश के टेकनपुर में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन सभी कांस्टेबलों को पहले से प्राथमिक कमांडो प्रशिक्षण प्राप्त है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इनके जुड़ने के साथ ही पुलिस बल की संख्या बढ़कर 83,762 हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस नयी नियुक्ति से पुलिस बल पर से दबाव कम होगा। इनका इस्तेमाल जमीनी स्तर पर कार्यों के लिए किया जाएगा। उन्हें सीधा स्थानीय स्तर पर तैनात किया जाएगा। इससे पुलिस बल की मजबूती बढ़ेगी। अब जमीनी स्तर पर काम करने के लिए हमारे पास ज्यादा संख्या में पुलिसकर्मी होंगे।
यह पुलिस बल में अभी तक की सबसे बड़ी नियुक्ति है। पिछले साल अगस्त में दिल्ली पुलिस ने 351 महिलाओं समेत 5,697 नियुक्तियां की थी।
विशेष कमांडो प्रशिक्षण के लिए चुने गए 685 कांस्टेबलों में 25 महिलाकर्मी भी हैं। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रशिक्षण के लिए महिलाओं को नीमेच और पुरुषों को टेकनपुर भेजा जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि इन्हें आपराधिक घटनाओं की जांच करने, फॉरेंसिक विश्लेषण करना, साइबर क्राइम और आर्थिक अपराधों समेत अन्य चीजों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है जब महिला कांस्टेबलों को यह विशेष प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
बंदूक चलाने के प्रशिक्षण के बारे में पूछने पर अधिकारी ने बताया कि कांस्टेबलों को प्वाईंट 303, प्वाईंट 38 रिवाल्वर, 9एमएम पिस्तौल, एके-47, एसएलआर और एसएएफ चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
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