Thursday, November 10, 2011

Jharkhand Police: Ranchi: झारखंड पुलिस की मदद के लिए आएगी दो और बटालियन..

रांची. केन्द्र सरकार झारखंड को नक्सल विरोधी अभियान तेज करने के उद्देश्य से केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की सात बटालियनें मुहैया कराने पर सहमत हो गयी है। सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने अतिरिक्त बटालियनों की मांग की थी, जिस पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय सहमत हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की पांच बटालियनें और कोबरा की दो बटालियनें जल्द ही राज्य पुलिस की मदद के लिए मुहैया करायी जाएंगी ताकि माओवादियों के खिलाफ अभियान तेज किया जा सके। सूत्रों ने कहा कि सात में से सीआरपीएफ की दो बटालियनें जल्द ही राज्य सरकार को मुहैया करा दी जाएंगी। झारखंड में दीर्घकालिक तैनाती के लिए केन्द्र ने छह बटालियनें केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की मुहैया करायी हैं लेकिन हाल ही में नक्सलियों की बढी़ हुई गतिविधियों के मद्देनजर राज्य सरकार ने अतिरिक्त बटालियनों की आवश्यकता महसूस की।

Rajasthan Police: Jaipur: दारिया एनकाउंटर मामले में फरार आरोपी एएसपी ने अदालत में आत्मसर्मपण किया..

जयपुर.दारिया एनकाउंटर केस में पिछले छह महीने से फरार चल रहे आरोपी निलंबित एएसपी अरशद अली ने सीबीआई मामलों की अदालत में बुधवार की दोपहर समर्पण कर दिया।
अली ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि वे बीमार थे और इस कारण कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सके। कोर्ट ने अली को 14 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजते हुए कहा कि इस केस में आरोपी के खिलाफ भी आईपीसी की धारा 120 बी सपठित 302, 364, 346, 201 व 218 के तहत अपराध में प्रसंज्ञान लिया जा चुका है।

Punjab Police: Amritsar: कैमिस्ट की पत्नी से पंगा लेना पंजाब पुलिस के एएसआई को महंगा पड़ा, अदालत ने उसे तीन साल कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई..

अमृतसर. भुट्टर गांव में कैमिस्ट की पत्नी जागीर कौर से पंगा लेना पंजाब पुलिस के एएसआई को महंगा पड़ा। महिला से रिश्वत लेने के आरोप साबित होने पर सत्र न्यायाधीश एचएस मदान की
है। जुर्माना राशि जमा करवाने के बाद एएसआई को एक माह की कच्ची जमानत पर रिहा कर दिया गया है। वर्तमान में एएसआई तरनतारन में तैनात है।

Police Poll: दीवाली कैसे मनाई...

खुब मिठाई खाई, तोंद बढ़े तो बढ़े 2 (100%) खूब पटाखे फोड़े, धूंआ उड़े तो उड़े 0 (0%) बंदोबस्त में ड्यूटी लगी थी यार 0 (0%) इस बार तो नहीं अगले साल जमकर मनाउंगा 0 (0%)

Mumbai Police: Suicide: मुंबई के माहिम इलाके में पुलिस सिपाही ने खुदकुशी की

मुंबई : माहिम में मंगलवार को पुलिस सिपाही राजेश भालेराव ने अपने घर में पंखे से लटककर खुदकुशी कर ली। राजेश ने अपनी पत्नी के नाम मराठी में एक सूइसाइड नोट छोड़ा है , जिसमें उसने लिखा कि तुमने मुझे जिंदगी में सब कुछ दिया , पर बदले में मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया। पुलिस के अनुसार , भालेराव धारावी पुलिस स्टेशन से जुड़ा हुआ था और पिछले तीन महीने से ड्यूटी पर नहीं जा रहा था। वह इस दौरान बुरी तरह से डिप्रेशन में रहा। उसके पिता ने कुछ दिनों पहले उसकी काउंसलिंग भी करवाई थी।

Wednesday, November 9, 2011

MP Police: Bhopal: महिला आरक्षक ने की पुरुष आरक्षक की शिकायत, कहा - शादी का झांसा देकर 18 महीने तक किया दुष्कर्म..

भोपाल। शादी का झांसा देकर एक महिला आरक्षक के साथ ज्यादती करने का मामला सामने आया है। आरोपी और कोई नहीं, बल्कि पुलिस विभाग का ही एक आरक्षक है, जिस पर महिला आरक्षक ने ज्यादती का आरोप लगाया है। दोनों पहले से परिचित हैं तथा जबलपुर के रहने वाले है। महिला ने ज्यादती की शिकायत जबलपुर में दर्ज कराई थी। मंगलवार को शून्य पर कायमी कर केस डायरी श्यामला हिल्स थाने भेजी गई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
श्यामला हिल्स पुलिस के मुताबिक पुलिस विभाग में पदस्थ 29 वर्षीय महिला आरक्षक प्रोफेसर कॉलोनी स्थित पुलिस लाइन में रहती है। उसका परिचय विभाग के ही आरक्षक जितेंद्र तिवारी से था। जितेंद्र वर्तमान में कटनी में पदस्थ है। जब वह भोपाल में था तब दोनों की आपस में बातचीत होती रहती थी। उसका प्रोफेसर कॉलोनी स्थित महिला आरक्षक के मकान में भी आना-जाना था। महिला आरक्षक ने आरोप लगाया है कि जितेंद्र ने उसे शादी का झांसा दिया और करीब 18 महीनों तक उसके साथ दुष्कर्म किया। विगत दिनों जब वह जबलपुर स्थित जितेंद्र के घर शादी की बात करने पहुंची तो उसने उसके साथ शादी करने से मना कर दिया। अपने साथ हुई ज्यादती के संबंध में महिला आरक्षक ने जबलपुर में शिकायत दर्ज कराई। घटनास्थल प्रोफेसर कॉलोनी का होने के चलते मंगलवार को केस डायरी श्यामला हिल्स थाने भेजी गई है। यहां पुलिस ने आरोपी आरक्षक के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

MP Police: Indore: कहां जाएं इंदौर में पुलिसवालों के परिवार, इंदौर पुलिस लाइन के मकानों की हालत खस्ता,

इंदौर पुलिस लाइन में रहने वाले 385 पुलिस परिवार विभाग की मनमानी झेल रहे हैं। यहां मकानों की खस्ताहाल स्थिति को देखते हुए विभाग ने आरक्षक से लेकर सब-इंस्पेक्टर श्रेणी के पुलिसवालों को 400 से लेकर 600 रुपए किराए में मकान ढ़ूंढने को कह दिया। चूंकि शहर में इतने किराए में मकान मिलना संभव नहीं इसलिए मजबूरी में पुलिसकर्मियों ने मकान खाली नहीं किए। उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए विभाग ने उनसे लिखवा लिया कि यदि जर्जर मकानों के कारण कोई दुर्घटना होती है तो इसके लिए जवाबदार वे खुद होंगे न कि विभाग। यह सब तब हो रहा है जबकि पुलिसकर्मियों की इस श्रेणी को मुफ्त आवास उपलब्ध करवाने का नियम है। इंदौर पुलिस के 3 हजार 591 कर्मचारी-अधिकारियों के पास सिर्फ 2 हजार 385 आवास उपलब्ध हैं। रिजर्व इंस्पेक्टर विक्रमसिंह रघुवंशी इस मामले में सफाई देते हुए कहते हैं कि हमने यहां रहने से कर्मचारियों को रोका था लेकिन उन्होंने ही जिद की। ऐसे में दुर्घटना होने पर वे खुद जिम्मेदार होंगे। दूसरी ओर मकान न होने की स्थिति में बाजार मूल्य के आधार पर किराया देने की फाइल पांच सालों से गृह विभाग में अटकी है जिसकी आड़ में अफसरों को टाला जा रहा है। विभाग में प्रधान आरक्षक भीम बहादुर कहते हैं 500 रुपए किराए में तो झोपड़ी भी नहीं मिलती। इससे ज्यादा किराया दिया तो परिवार को छह लोगों को कैसे पालेंगे। आरक्षक मांगीलाल जाटव के मुताबिक हमसे लिखवा लिया गया है कि दुर्घटना होने पर जिम्मेदारी हमारी होगी। परिवार के सात बच्चों को महंगे किराए के मकान में रखा तो मर-मरकर जीना होगा। इससे तो यहीं रहना बेहतर है।
नाम राशि आरक्षक 400 प्र. आरक्षक 500 ए.एस.आई 600 एस.आई 600 इंस्पेक्टर 800 अफसर वेतन का 8000000 106 साल पुराने हैं मकान पुलिस लाइन में बने ज्यादातर मकान १क्५ साल पुराने हैं, जो १9क्५ में बनाए गए थे। हर साल मकानों की कीमत का दो प्रतिशत मेंटेनेंस पीडब्ल्यूडी को दिया जाता था, जिसके आधार पर हर साल रिपेयरिंग की जाती थी। 2004 के बाद पीडब्ल्यूडी ने मेंटेनेंस की यह राशि लेना बंद कर दी और इसके बाद इन मकानों का मेंटेनेंस भी नहीं हुआ। क्चपुलिस विभाग के कर्मचारी जर्जर घोषित भवनों में रहने के लिए मजबूर क्यों हैं? बल के मुताबिक मकान कम हैं इसलिए। क्चतो क्या विभाग को भी उनकी परवाह नहीं है? हमने समय-समय पर मुख्यालय में मकान भत्ता बाजार मूल्य के अनुसार देने की सिफारिश की है। क्चजर्जर भवन में रहने वाले पुलिसकर्मियों को ४क्क् से 600 रुपए में किराए का मकान ढूंढने को कहा जा रहा है, यह कैसे संभव है? हम जानते हैं इंदौर जैसे शहर में यह संभव नहीं है। मगर मुख्यालय से इसी दर पर एचआर दिया जाता है। हम खुद कोई निर्णय नहीं ले सकते। क्चदुर्घटना पर क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं बनती? नैतिक रूप जिम्मेदार हमारी ही बनती है। शासन के नियमानुसार तो इन्हें मुफ्त मकान उपलब्ध करवाने का नियम है जो लागू नहीं हो पा रहा है।