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Friday, February 10, 2012
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सभी पुलिस न्यूज़ मित्रों को बधाई। हम अब तीस हजार हिट्स को पार कर गए हैं। ये बताता है कि हम सब कितनी तेजी से अपने साथियों के बारे में जानने को बेताब होते है। आप सभी के सुझाव आमंत्रित है। नीचे कमेंट में लिखें। और क्या किया जा सकता है।
POLICE NEWS.
Thursday, February 9, 2012
Jharkhand Police: झारखंड पुलिस के आईजी का फरमान, अब पानी, स्कूल, चापाकल, बिजली हर समस्या का हल करेगी पुलिस..
जामताड़ा: अब लोगों को अपनी समस्याओं व फरियाद को लेकर लंबी दूरी तय कर थानों का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। क्योंकि पुलिस अब खुद उनके द्वार पर चौकी लगाएगी और उनकी समस्याओं की सुनवाई व समाधान करेगी। संतालपरगना के सभी जिलों में क्रम वार संबंधित जिला पुलिस- पुलिस आपके द्वार (पुलिस आन डोर) कार्यक्रम को चलाएगी। उक्त बातें संतालपरगना के आइजी डॉ. अरूण उरांव ने गुरुवार को एसडीपीओ कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कही। वे एसडीपीओ व जामताड़ा इंस्पेक्टर का कार्यालय निरीक्षण करने पहुंचे थे। उरांव ने कहा कि जामताड़ा जिले में पुलिस आपके द्वार इसी माह से शुरू होगा। इसमें नये जवान, जिनकी नई नियुक्ति हुई है, उन्हें भी शामिल किया जाएगा। जिला पुलिस के पास जवानों की जो कमी थी वह भी एक दो दिन में सुदृढ़ हो जाएगी। 228 जवान जिनकी हाल ही में बहाली हुई थी। उनका प्रशिक्षण पूरा हो गया है वे एक-दो दिन में जिले में योगदान देंगे। जिससे पुलिस बलों की क्षमता बढ़ेगी। उरांव ने कहा कि पुलिस का कार्य केवल विधि व्यवस्था तक ही सीमित नहीं है। पुलिस आपके द्वार कार्यक्रम के तहत पुलिस जंगली क्षेत्र से लेकर अति पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र तक पहुंचेगी। पुलिस हर जगह लोगों की समस्याओं को सुनने के साथ ही सरकार से मिलने वाली सुविधाएं उन्हें प्राप्त हो रही है कि नहीं उसका भी आकलन करेगी। गांव में चापाकल है कि नहीं, अगर है तो पानी मिलता है या नहीं, स्कूल है तो शिक्षक समय पर आते हैं कि नहीं। इन सारी बातों की जानकारी पुलिस लेगी व संबंधित विषयों को संबंधित विभाग के अधिकारियों व सरकार के समक्ष रखेगी। साथ ही कहा कि थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ने का कार्य जारी है। थाना प्रभारियों व अन्य पुलिस अधिकारियों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दूसरी ओर, एसडीपीओ कार्यालय निरीक्षण के बारे में उरांव ने कहा कि कार्यालय का भौतिक जांच के बाद मैं कुछ दस्तावेजों को ले जा रहा हूं। इस निरीक्षण का मैं एक रिपोर्ट तैयार करूंगा। जिसमें कुछ वक्त लगेगा। इसकेबाद ही कुछ बताया जा सकता है।
AP Police: Hyderabad Police: Hyderabad: हैदराबाद पुलिस के लिए सरदर्द बनते धार्मिक जुलूस, हर वक्त होता है बंदोबस्त ड्यूटी का फरमान..
हैदराबाद में धार्मिक जुलूसों की बढ़ती हुई संख्या शहर की पुलिस के लिए एक बहुत गंभीर समस्या और चुनौती बन गई है.
शहर के पुलिस आयुक्त अब्दुल क़य्यूम ख़ान ने कहा है कि गत कुछ वर्षों में हर साल निकाले जाने वाले जुलूसों की संख्या में चार सौ की फ़ीसदी की वृद्धि हुई है जिस से पुलिस के लिए अपना असल काम करना मुश्किल हो गया है.
पुलिस आयुक्त ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि पुलिस के 40 प्रतिशत संसाधन धार्मिक जुलूसों और त्योहारों के लिए प्रबंध करने पर ख़र्च हो रहे हैं जिससे न केवल पुलिस अपराधों की छानबीन और उनकी रोकथाम जैसे बुनयादी काम नहीं कर पा रही है बल्कि इस से हैदराबाद की छवि पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
ऐसे जुलूसों की सुरक्षा प्रबंधन में आनेवाले ख़र्च के बारे में पुलिस आयुक्त ने कहा, "इस पर करोड़ों रूपए ख़र्च हो रहे हैं लेकिन सही आंकड़ा बताना मुश्किल है. असल बात यह है कि इन जुलूसों के लिए प्रबंध करने पर ही पुलिस के ज़्यादा साधन ख़र्च हो रहे हैं."
उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े जुलूस से एक दिन पहले से ही हज़ारों पुलिसकर्मियों को तैनात करना पड़ता है और जुलूस के दूसरे दिन भी उन्हें सतर्क रहना पड़ता है. अगर इतने सारे जुलूस न हों तो पुलिस यही समय अपराधियों को पकड़ने, छानबीन करने और अपराधों की रोकथाम पर लगा सकती है.
बढ़ती संख्या
"अगर गत वर्ष किसी जुलूस में सौ दो सौ लोगों ने भाग लिया और इस वर्ष उसी में दस हज़ार लोग आ जाते हैं तो हम कुछ नहीं कर सकते"
अब्दुल क़य्यूम, पुलिस आयुक्त
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पहले हैदराबाद केवल एक ही जुलूस के लिए मशहूर था और वो था दस मोहराम्मा का ताज़िया जिस में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही भाग लिया करते थे.
1980 में गणेश जुलूस का सिलसिला शुरू हुआ जो हैदराबाद के निकट एक गांव बालापुर से निकल कर हैदराबाद के हुसैन सागर झील तक आता था.
यह सिलसिला आज भी जारी है और इसका आकार बढ़ते-बढ़ते लगभग पांच लाख लोगों तक पहुंच गया है जिसमें हज़ारों मूर्तियाँ शामिल होती हैं.
इसके साथ-साथ अब हिन्दू समुदाय हनुमान जयंती और दुर्गा पूजा के अवसर पर भी बड़े बड़े जुलूस निकलने लगे हैं और मुसलमानों ने भी मिलाद-उन-नबी या पैग़म्बर मोहम्मद के जन्मदिन के अवसर पर भी जुलूस निकलने शुरू कर दिए हैं.
दो वर्ष पहले मिलाद उन-नबी और हनुमान जयंती के अवसर पर दोनों समुदायों के बीच दंगे भड़क उठे थे और नगर में कर्फ़्यू लगाना पड़ा था.
इससे पहले हैदराबाद का सब से बड़ा दंगा 1984 में गणेश जुलूस के दौरान ही भड़का था.
बहुआयामी समस्या
हैदराबाद में गणेश चतुर्थी और अन्य हिंदू धार्मिक त्योहारों में भीड़ का प्रबंधन भी पुलिस के लिए बड़ी समस्या होती है.
पुलिस आयुक्त ख़ान ने कहा कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए अब पुलिस ने नए जुलूस की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, साथ ही मौजूदा जुलूसों को भी रास्ता बदलने की अनमति नहीं दी जा रही है.
लेकिन दूसरी ओर अगर एक ही जुलूस में भाग लेने वालों की संख्या बढ़ जाती है तो फिर पुलिस के लिए नई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं.
पुलिस आयुक्त का कहना था, "अगर गत वर्ष किसी जुलूस में सौ दो सौ लोगों ने भाग लिया और इस वर्ष उसी में दस हज़ार लोग आ जाते हैं तो हम कुछ नहीं कर सकते."
अधिकारियों का मानना है कि धार्मिक जुलूसों की बढ़ती हुई संख्या के पीछे शक्ति प्रदर्शन की राजनीति काम कर रही है और ऐसा लगता है कि राजनैतिक दलों में भी एक तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है.
अगर गणेश जुलूस निकालने वाली भाग्यनगर गणेश उत्सव समिति की कमान भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिन्दू परिषद के हाथ में है तो मिलाद-उन-नबी के जुलूस को मजलिस-इ-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की सरपरस्ती हासिल है.
पुलिस आयुक्त ख़ान कहते हैं कि इन जुलूसों पर नियंत्रण में सरकार की भूमिका है लेकिन खुद नागरिकों और ग़ैर सरकारी संगठनों और राजनैतिक दलों को भी सोचना चाहिए कि जो कुछ हो रहा है क्या वो नगर के लिए ठीक है?
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जुलूसों की इस बढ़ती संख्या का सबसे बुरा प्रभाव अनेक समुदायों के आपसी संबंधों पर पड़ रहा है क्योंकि शरारती तत्त्व ऐसे अवसरों पर सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने की कोशिश करते हैं
Chhatisgarh Police: Raipur: नक्सली हमले में कांस्टेबल सूर्या करतम और पुलिस ड्राइवर सूर्यप्रकाश शहीद, कांस्टेबल नंदा सिंह, राजाराम घायल..
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर पुलिस के वाहन को उड़ा दिया. इस हमले में पुलिस के दो जवान शहीद हो गए तथा दो अन्य घायल हो गए. वहीं वाहन में सवार जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से संपर्क नहीं हो पाया है.
राज्य के नक्सली मामलों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) रामनिवास ने बताया कि जिले के पोलमपल्ली क्षेत्र में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर पुलिस वाहन को उड़ा दिया है. इस हमले में पुलिस जवान सुर्या करतम और वाहन चालक सुर्यप्रकाश सोनवानी शहीद हो गए हैं तथा आरक्षक नंदा सिंह तथा प्रधान आरक्षक राजाराम घायल हो गए हैं.
रामनिवास ने बताया कि सुकमा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) दर्शन सिंह मरावी पुलिस दल लेकर दोरनापाल से पोलमपल्ली क्षेत्र के लिए रवाना हुए थे. पुलिस दल जब वापस लौट रहा था तब पोलमपल्ली से लगभग तीन किलोमीटर दूर नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर पुलिस वाहन सुमो को उड़ा दिया तथा गोलीबारी भी की. इस घटना में दो जवान शहीद हो गए तथा दो अन्य घायल हो गए.
उन्होंने बताया कि घटना के बाद पुलिस दल ने भी जवाबी कार्रवाई की तथा घटना की सूचना मिलते ही अतिरिक्त बल घटनास्थल के लिए रवाना किया गया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस दल ने घटनास्थल से घायल जवानों को बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू कर दी है. वहीं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) मरावी से संपर्क नहीं हो पा रहा है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं.
Kerala Police: Kochi Police: क्या करें कोच्चि पुलिस, बस चार ब्रेथ एनालाइज़र है, कैसे पकड़ें ड्रंक एंड ड्राइव केसेस...
KOCHI: Though officials claim that the fall in the number of drunk driving cases is due to the strict action taken by them, another side of the picture is that there is a severe shortage of breath analysers.
And, those used now are outdated and often give wrong readings.
The Motor Vehicles Department (MVD) has four breath analysers and six squads for checking, but only one equipment.
The rest are outdated.
There are instances where the breath analyser had mistakenly shown a sober person as inebriated.
“In such instances, we take the people to nearby hospitals for blood test.
What we use now is a German-made breath analyser,” said T J Thomas, Regional Transport Officer.
Officials said the breath analyser used by the police is also an outdated one.
According to a senior police official, there is no dearth of breath analysers with the Police Department.
“Each station is provided with one or two analysers.
But most of them are outdated and the possibilities of getting a wrong reading is higher.
The MVD has come up with new norms regarding the quality of the equipment used in the state,” a police official said.
Maharastra Police: Pune: पुणे पुलिस कमिश्नर मीरा बोरवानकर को मैट का नोटिस, 25 हजार रुपये का जुर्माना, हेड कांस्टेबल को ASI प्रमोट क्यों नहीं किया..
PUNE: The Maharashtra Administrative Tribunal (MAT) on Tuesday ordered high-profile Pune police commissioner Meeran Borwankar to pay a Rs 25,000 fine within a week, and also initiated contempt proceedings against her for failure to implement the tribunal's directive to consider promoting a head constable to the post of assistant sub-inspector of police. This is the first time in the recent past that the MAT has taken a highranking IPS official to task.
It has ordered Borwankar to deposit the Rs 25,000 fine from her own funds within a week. It has also issued a showcause notice to the commissioner for "contempt of court for wilfully disobeying their order, which was given on November 23, 2011". "We direct the Pune police commissioner to immediately comply with our order... (she) shall also deposit a sum of Rs 25,000 in this court towards compensatory costs," MAT chairman Dr S Radhakrishnan and vice-chairman A P Sinha observed in the two-page order.
Last year, while disposing of an application filed by head constable Laxman Rathod on November 23, the MAT had asked the Pune police commissioner and the member secretary of the Caste Certificate Scrutiny Committee to consider promoting him to ASI and not deny him the promotion solely on the grounds of non-availability of the caste validity certificate.
It is "astounding" that despite the judgment of the HC and the ad-interim relief of our tribunal-the Pune police commissioner and the member secretary were directed to consider Rathod's case for promotion-no steps were taken by the police commissioner to date, said the order.
Rathod, who joined the Pune police as constable in 1981, has been knocking at the doors of justice after he was denied a promotion on several occasions. In August 2010, the Pune commissioner had submitted Rathod's application for a caste validity certificate to the committee, which failed to take cognisance of it. On September 2, 2011, he was informed by Borwankar-in a circular issued by the general administration department-that unless he produced the certificate, he could not be considered for a promotion. Rathod invoked the RTI Act to find out why he had been overlooked.
Punjab Police: Panchkula: वेबसाइट तो बनाई लेकिन अपडेट करना भूल गई पंचकुला पुलिस, वेबसाइट पर निशांत अभी भी गुमशुदा..
PANCHKULA: Though the 10-month-old infant, Nishant, who was kidnapped from Mansa Devi temple was recovered, the Panchkula police website has not been updated and the "missing" report is still displayed on the webpage. Resident of Sector 6, Reena Kaul, said, "They found the infant but it is surprising the website was never updated."
Resident of Sector 12, Vikram Randhawa, said, "The people can in no way be informed of the goings-on if expired details show on the webpage. This is clear carelessness." When contacted, assistant commissioner of police Dheeraj Sethia said, "I shall conduct an inquiry and get the website updated."
Nishant was picked up from the Mansa Devi shrine during navaratra celebrations, by a couple posing as good Samaritans. They asked the kid's mother Sarita to go and drink water while they look after the child. The couple fled with the child. The couple had exchanged their phone numbers with the mother, which were incorrect. The case was handed over the crime investigating agency and the infant's family had announced a reward of Rs 50,000.
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