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Wednesday, March 21, 2012
TN Police: Manglore: मंगलौर पुलिस को मिलेंगे दो नए खोजी कुत्ते..
MANGALORE: Mangalore City Police has got its first pair of sniffer dogs that are trained exclusively to sniff out narcotics and drugs. Fifteen-month-old labradors Karna and Arjuna, who had undergone training for 11 months and passed all the tests at the Dog Squad Training Centre in Bangalore, joined city police on Tuesday. Raviraj, one of the two handlers of the dogs said, "Basic obedience, useful obedience, marching and parade are the primary trainings given to all sniffer dogs."
"Karna and Arjuna are specially trained to detect drugs like charas, ganja, opium, brown sugar and cocaine. They can carry out search operations in locations like buildings and vehicles. They can sniff more drugs if they are trained further," he added. Only an officer of the rank of deputy commissioner of police can conduct tests for sniffer dogs.
UP Police: Meerut: मेरठ में सिपाही की लाश मिली दीवान में, पुलिस को अवैध संबंध के चलते हत्या का शक..
मेरठ : कत्ल-ओ-गारत के लिए बदनाम मेरठ के माथे पर मंगलवार को एक और दाग लग गया। एक सिपाही की पुलिस लाइन में ही उसके सरकारी आवास में हत्या कर दी गई। कई दिनों पहले की गई इस सनसनीखेज हत्या की जानकारी उस वक्त पुलिस को मिली, जब शव की बदबू ने मोहल्लेवालों का जीना मुहाल कर दिया। पुलिस शव की तलाश करते हुए सिपाही के मकान पर पहुंची तो दीवान बेड के अंदर लाश बरामद हुई। लाश इतनी सड़ चुकी थी कि उसकी पहचान मुश्किल थी। परिजनों ने कपड़ों से शव की शिनाख्त की। वारदात के बाद डीआइजी हरिराम शर्मा समेत तमाम आला अधिकारियों ने मौका-ए-वारदात का दौरा किया।
पुलिस लाइन के गेट नंबर 5 में एसओजी कार्यालय से चंद कदम दूरी पर एस ब्लॉक की तीन मंजिला सरकारी बिल्डिंग है। यहां रहने वाले लोग पिछले दो दिनों से मांस के सड़ने जैसी दुर्गध महसूस कर रहे थे। तलाश शुरू हुई तो पता चला कि बदबू ब्लॉक की दूसरी मंजिल पर स्थित मकान नंबर 63 से आ रही है। मकान के दरवाजे पर बाहर से कुंडी लगी हुई थी। मुख्य दरवाजा खोलकर जब लोग अंदर घुसे तो वहां बदबू ही बदबू थी। तत्काल आरआइ पीपी कर्णवाल को जानकारी दी गई। आरआइ सिविल लाइन पुलिस के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। थोड़ी देर की तलाशी के बाद बेड के दीवान में छिपाकर रखा गया शव सड़ी-गली हालत में बरामद हुआ। शव की हालत से शिनाख्त करना मुश्किल था। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
सूचना मिलने पर दोपहर बाद परिजन अनिल व नीरज पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। कपड़े व कमर में बंधी तगड़ी देखकर उन्होंने शव की शिनाख्त अपने भाई प्रदीप के रूप में ही की।
आरआइ पीपी कर्णवाल ने बताया कि मकान नंबर 63 में सिपाही शीशपाल अपने परिवार के साथ रहता था। शीशपाल गाजियाबाद जिले के कविनगर थाना क्षेत्र के सदरपुर में रहता था। वर्ष 2010 में एक दुर्घटना में उसकी मौत हो गई थी, जिसके बाद उसके सबसे छोटे बेटे प्रदीप को मृतक आश्रित कोटे में नौकरी मिल गई थी। सरकारी आवास उसकी मां रमा के नाम हो गया था, जिसमें प्रदीप अपनी पत्नी पिंकी, बड़ी बेटी खुशी व बेटे आयुष के साथ रहता था। प्रदीप का बार्डर स्कीम के तहत पिछले दिनों बदायूं तबादला हो गया था, मगर उसका परिवार यही रहता था। दो महीने पहले पिंकी ने तीसरे बच्चे को जन्म दिया था, जिसकी वजह से वह बच्चों के साथ तीन महीने से सुसराल में ही रह रही थी। मकान पर ताला लगा था और कभी-कभी प्रदीप ही यहां आता था।
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मृतक सिपाही शराब पीने और हुड़दंगी स्वभाव का होने के चलते कई बार सस्पेंड हो चुका था। प्रथम दृष्टया घटना अवैध संबंधों से जोड़कर देखी जा रही है।
हरिराम शर्मा, डीआइजी
UP Police: Locknow: जारी है यूपी में पुलिस अधिकारियों के तबादलों का दौर..
यूपी सरकार ने पुलिस प्रशासन में एक और फेरबदल करते हुए सोमवार देर रात 10 सीनियर पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया। इसमें आगरा के डीआईजी भी शामिल हैं। गृह विभाग के अनुसार सहकारिता सेल में तैनात पुलिस महानिदेशक ओ. पी. दीक्षित को सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ में निदेशक पद पर भेजा गया है, जबकि अपर पुलिस महानिदेशक रिजवान अहमद को दूरसंचार विभाग में इसी पद पर नई तैनाती दी गई है। अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था सुबेश कुमार सिंह को प्रशिक्षण मुख्यालय लखनऊ भेजा गया है, जबकि उनकी जगह पर पीटीसी मुरादाबाद के अपर पुलिस महानिदेशक जगमोहन यादव को तैनात किया गया है।
सिंह के पास एसटीएफ और एटीएस का अतिरिक्त प्रभार था। डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध अपर पुलिस महानिदेशक ए. पी. महेश्वरी को मानवाधिकार विभाग में इसी पद पर ट्रांसफर किया गया है और पुलिस महानिदेशक ईओडब्ल्यू जवाहर लाल त्रिपाठी को मेरठ क्षेत्र का पुलिस महानिरीक्षक बनाया गया है, जबकि यहां तैनात राजीव कृष्ण को डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। महानिदेशक कार्मिक के पद पर तैनात अभय प्रसाद इसी पद पर पीएसी मुख्यालय लखनऊ भेजा गया, जबकि अधिसूचना मुख्यालय में तैनात पुलिस अधीक्षक सुनील चंद बाजपेयी को आगरा का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। यहां तैनात असीम कुमार अरुण को डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
Delhi Police: Parliament Questions: CCTV Issue: दिल्ली पुलिस के 36 सीसीटीवी कैमरे पड़े है खराब, संसद में हुआ खुलासा..
दिल्ली पुलिस की परिवहन ईकाई द्वारा विभिन्न स्थानों पर लगाए गए 36 सीसीटीवी काम नहीं कर रहे हैं. गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने लोकसभा में अनुराग सिंह ठाकुर, जगदीश शर्मा, वीरेन्द्र कश्यप और डा. बलिराम के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि दिल्ली में दिल्ली पुलिस की यातायात ईकाई द्वारा लगाए गए 36 कलोज्ड सर्किट कैमरों को छोड़कर बाकी सभी सुचारू रूप से काम कर रहे हैं. ये कैमरे उस कंपनी के हैं जिसने कैमरों की आपूर्ति की थी और उन्हें लागू एवं चालू था, उसके साथ वार्षिक रखरखाव ठेके में विवाद होने की वजह से ठीक कार्य नहीं कर रहे हैं.
हालांकि उन्होंने बताया कि दिल्ली में सीसीटीवी की मदद से वर्ष 2010 में 250 में से तीन, वर्ष 2011 में 442 में से 17 तथा वर्ष 2012 में 67 में से दो मामले सुलझाए गए.
उन्होंने बताया कि दिल्ली यातायात पुलिस द्वारा शहर के नौ महत्वपूर्ण स्थानों में 36 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
रामचंद्रन ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने भी मुंबई शहर को कवर करने के लिए सीसीटीवी लगाने के कदम उठाने की कार्रवाई शुरू की है.
UP Police: Locknow: अंबरीश शर्मा बने यूपी के नए पुलिस महानिदेशक..
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अंबरीश चंद्र शर्मा ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद का कार्यभार 19 मार्च 2012 को ग्रहण किया. इन्होंने अतुल कुमार का स्थान लिया.
मूल रूप से मथुरा जिले के निवासी अंबरीश चंद्र शर्मा 1977 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं. उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पद का कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व वह मुरादाबाद स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर पुलिस अकादमी में महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे. अंबरीश चन्द्र शर्मा 35 वर्ष से पुलिस सेवा में कार्यरत हैं। उन्हें राष्ट्रपति से दो मैडल मिले हुए हैं। डीजीपी अंबरीश शर्मा भौतिक विज्ञान में परास्नातक हैं और 1977 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं।
अंबरीश ने हैदराबाद में 24 वर्ष की आयु में बतौर अपर पुलिस अधीक्षक अपनी नौकरी की शुरुआत की थी। डीजीपी ए.सी शर्मा ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अपनी सेवाएं दी हैं। जिनमें कानपुर नगर, बरेली, मऊ, शाहजहांपुर शामिल हैं। इन जिलों में शर्मा एसपी तथा एसएसपी के पद पर तैनात रहे।
इसके अलावा वह डीआइजी रेंज लखनऊ, डीआइजी रेंज झांसी तथा डीआइजी रेंज सहारनपुर और आइजी जोन बरेली, इलाहाबाद, वाराणसी के पद भर भी रहे। शर्मा ने एडीजी क्राइम व कानून व्यवस्था का दायित्व भी संभाला। पांच वर्षों से वह मुरादाबाद में डा.भीमराव अम्बेडकर अकादमी में तैनात थे।
उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी के रूप में कार्यभार संभालने वाले अंबरीश चंद्र शर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यूपी पुलिस किसी के दबाव में आकर कार्य नहीं करेगी, हमारा पूरा फोकस कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने पर होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में पुलिस का इकबाल बुलंद करने के साथ कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाएंगे और अपराधियों को जेल भेजकर प्रदेश छोड़ने पर मजबूर करेंगे। डीजीपी अंबरीश चंद्र शर्मा ने बताया कि राज्य का डीजीपी होने के कारण हमारी तीन प्राथमिकताएं हैं। पहली अपराध पर लगाम लगाना, दूसरा लंबित पड़े मामलों का जल्द से जल्द वर्कआउट करना और तीसरा कानून व्यवस्था को बेहतर बनाना।
उन्होंने अपने मातहत कर्मचारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश पुलिस हर व्यक्ति के साथ शालीन व्यवहार करे और जनता द्वारा आने वाली शिकायतों पर फास्ट एक्शन ले। डीजीपी ने कहा कि वह जनपदों में तैनात पुलिस कप्तानों को निर्देश देंगे कि थाने में आने वाले हर पीड़ित की समस्या सुनकर उसे निर्धारित समय सीमा के भीतर निस्तारित किया जाए। यदि किसी पुलिसकर्मी की लापरवाही पाई गई तो उसके खिलाफ मिलने वाली शिकायत पर भी गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश पुलिस जनता की सेवा करे और लोगों को पुलिस की बदली छवि का अहसास हो, वो इसका प्रयास भी करेंगे। डीजीपी ने पुलिसकर्मियों की समस्याओं को दूर करने का वादा भी किया। चुनावों के दौरान बस्ती प्रकरण पर आइएएस एवं आइपीएस के बीच हुए विवाद पर उन्होंने कहा कि यह मामला सुलझ गया है। अब कोई विवाद नहीं है। कमेटी की रिपोर्ट आ चुकी है और उस पर कार्रवाई हो रही है।
Sunday, March 18, 2012
CG Police: CBI: Raipur: सीबीआई भी डरती है छत्तीसगढ़ पुलिस से...
रायपुर।छत्तीसगढ़ के विशेष पुलिस अधिकारियों से सीबीआई भी डरी हुई है। छत्तीसगढ़ में कुछ मामलों की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें स्थानीय पुलिस अधिकारियों से जान का खतरा है।
सीबीआई के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है कि उन्हें छत्तीसगढ़ में विशेष पुलिस अधिकारियों से बचाया जाए। सीबीआई के अधिकारी पिछले साल मार्च में दंतेवाड़ा के ताड़मेटला और पोलमपल्ली में आदिवासियों के 300 घरों में हुई आगज़नी और को सामजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले की जांच कर रहे हैं।
एजेंसी की तरफ से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा गया है कि ब्यूरो के चंद अधिकारियों पर विशेष पुलिस अधिकारियों ने इस साल की नौ फरवरी को हमला किया था। हलफनामे में कहा गया है कि उस दिन सीबीआई का एक जांच दल सुकमा गया हुआ था जब पता चला कि सुकमा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डीएस मरावी पर माओवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में एक एसपीओ यानी विशेष पुलिस अधिकारी कर्तम सूर्या के मारे जाने की बात कही जा रही है जबकि मरावी गंभीर रूप से घायल हुए थे।
सीबीआई के अनुसार ये कहा जा रहा था कि मरावी और उनके साथ शामिल विशेष पुलिस अधिकारी जांच के काम से गए हुए थे. मगर एजेंसी का कहना है कि इन लोगों का जांच से कोई संबंध नहीं था और ना ही इन्हें दोरनापाल बुलाया ही गया था। कोर्ट में दिए गए हलफनामे में सीबीआई ने कहा है कि कर्तम सूर्या का शव देख कर वहां मौजूद विशेष पुलिस अधिकारी उत्तेजित हो गए थे और उन्होंने अनुसंधान के लिए गयी ब्यूरो की टीम पर हमला कर दिया।
हालांकि सीबीआई के सभी सदस्य अपने कमरों में जा छुपे थे मगर उत्तेजित विशेष पुलिस अधिकारियों ने उनके दरवाजों को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया था। हलफनामे में कहा गया है कि यह सभी विशेष पुलिस अधिकारी हथियार बंद थे और उनके पास हथगोले भी थे। छत्तीसगढ़ में माओवादियों का सामना करने के लिए विशेष पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि सीबीआई की टीम को विशेष पुलिस अधिकारियों ने तीन से चार घंटों तक बंधक बनाकर रखा।
बाद में दोरनापाल में तैनात केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के जवानों द्वारा सीबीआई के सदस्यों को वहां से निकाला गया। इस दौरान जमकर गोलीबारी किये जाने की भी बात हलफनामे में कही गयी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ की सरकार ने दावा किया है कि उसने विशेष पुलिस अधिकारियों का पद समाप्त कर दिया है। उसके बदले में सहायक पुलिस बल का गठन किया गया है। कहा जा रहा है कि सारे विशेष पुलिस अधिकारीयों का समायोजन सहायक पुलिस बल में कर दिया गया है।
विशेष पुलिस अधिकारियों और कोया कमांडो पर आरोप है कि उन्होंने पिछले साल ताड़मेटला और पोलमपल्ली के इलाकों में आदिवासियों के घरों को जलाया था। बाद में राहत लेकर जा रहे प्रशासनिक अमले पर भी विशेष पुलिस अधिकारियों नें हमला किया था। जिन अधिकारियों पर हमला किया गया था उनमे बस्तर संभाग के कमिश्नर, दंतेवाड़ा जिले के तत्कालीन कलक्टर और सुकमा के अनुमंडल अधिकारी शामिल थे। इसी दौरान राहत लेकर जा रहे सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के काफिले पर भी विशेष पुलिस अधिकारियों नें हमला किया था।
UP Police: Locknow: navneet sikera: लो वापस आ गया यूपी का दबंग..यूपी का दयानायक..नवनीत सिकेरा..जिसके है अब तक 56 एनकाउंटर..
लखनऊ। जाबांज़, दबंग, ईमानदार और एकदम चौकन्ना रहने वाला यूपी पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी नवनीत सिकेरा पांच साल के वनवास के बाद वापसी कर चुका है। 36 वर्षीय नवनीत सिकेरा उत्तर प्रदेश के ‘दया नायक’ के रूप में जाना जाता है। हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सिकेरा का अंदाज़ भी बिल्कुल ही निराला है।
मुलायम सरकार से उनकी नज़दीकियों के कारण सिकेरा को मायावती सरकार में शंटींग में डाल दिया गया था। अब समाजवादी पार्टी सरकार की वापसी के साथ ही सिकेरा को एक बार फिर नया दम मिला है।
कौन है सिकेरा
नवनीत सिकेरा एक ऐसा नाम है जिसे उन ज़िलों का कार्यभार सौंपा गया था जहां अपराध का बोलबाला था। सिकेरा के नाम भर से अपराधी ज़िला छोड़ कर दुम दमा कर भाग निकलते थे। सिकेरा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी कप्तानी के दौरान यह साबित किया है कि उनके रहते अपराध सिर उठा कर नहीं बोल सकता।
अपराध का गढ़ माना जाने वाला प. उ.प्र. सिकेरा के नाम भर से थर-थर कांपता था। एकदम फिल्मी अंदाज़ में एक साल में 56 एनकाउंटर कर सिकेरा ने साबित कर दिया था कि पुलिसिया पलड़ा हमेशा ही गुनाह के पलड़े से भारी होता है।
हर वक्त चौकन्ना रहने वाले सिकेरा को वाराणसी में हार का मुहं देखना पड़ा। उनकी कप्तानी के दौरान वर्ष 2006 में गंगा के पावन घाट पर हुए बम धमाकों ने प्रशासन को झकझोर कर रख दिया। वहां से तुरंत तबादले के बाद सिकेरा को मेरठ भेज दिया गया। मेरठ में भी सिकेरा का खौफ जारी रहा।
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