पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Wednesday, August 21, 2013
UP Police: उत्तरप्रदेश में पुलिस टीम पर हमला, गोलीबारी, 6 पुलिसकर्मी घायल. mob attacked on police party during raid.
जिले के जौथना थाना क्षेत्र के भरगैन कस्बे में गौकशी के वांछित आरोपियों के छिपे होने की सूचना पर मंगलवार देर शाम पुलिस जब छापा मारने पहुंची तो पुलिस टीम पर आरोपियों के करीबी लोगों ने हमला कर दिया। उनके द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया और उनके वाहनों में तोड़फोड़ की गई। कुछ शरारती तत्वों द्वारा पुलिस पर गोलीबारी भी की गई।
हमले की सूचना पर घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल के पहुंचने के बाद स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सका। पथराव में जैथरा के थाना प्रभारी इंद्रेश भदौरिया सहित छह पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना में एक स्थानीय व्यक्ति के भी घायल होने की खबर है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय मोहन शर्मा ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि हालात फिलहाल नियंत्रण में है। घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल(पीएसी) के जवानों की तैनाती की गई है।
उन्होंने कहा कि पुलिस टीम पर हमला करने वालों की पहचान की जा रही है। उन्हें किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। सभी घायलों की हालत सामान्य है।
courtsy- In.com
Kolkatta Police: safety tips by police for foreign: कोलकाता पुलिस बनेगी 'टूरिस्ट फ्रेंडली', देगी विदेशी पर्यटकों को सेफ्टी टिप्स.
KOLKATA: Alarmed by recent incidents of molestation and assault on foreign tourists in the city and other parts of the country, Kolkata police commissioner Surajit Kar Purakayastha has alerted every police station to be extra-vigilant at tourist spots and places where foreigners stay. Asking the police force to be 'tourist-friendly', Kolkata police has also issued security tips for foreign tourists.
"Safety of foreign tourists is our major concern. Chief minister Mamata Banerjee wants the state to be 'tourist-friendly'. We, in fact, have a plan to introduce tourism police to guide and protect tourists," said tourism minister Krishnendu Narayan Chowdhury. The city police has clearly pronounced that it want the visit of each foreign tourists to this exciting city to be pleasant and safe.
On an average, 15 lakh foreign tourists come to Kolkata and rest of the state every year.
On the other hand, the state attracts 2.2 crore domestic tourists. On the other hand Mahrashtra and Tamil Nadu attracts almost the double fioreign tourists. According to tourism department officials, better promotion and over all perception of safety and security make all the difference.
The city police were particularly alarmed by the molestation of French tourists and an alleged rape of an Irish tourist recently.
The city police assured that there are adequate number police personnel are deployed across the city.
After landing at city railway stations or the airport, foreigners should take prepaid taxis only. In this system a tourist pays in advance for Taxi Fare which is already approved by the government for each destination in Kolkata. According to the advisory, adequate policemen are deputed outside the arrival hall and parking area.
"You can contact the nearest police officer to intimate about undesirable elements," it says. However, police is taking utmost care, vigilance and surveillance over these elements. Still it is felt that we can eliminate these elements effectively with passengers' active participation in the drive," the advisory says.Police officers in plainclothes are deputed to keep watch on suspicious people. "You should never entertain touts and unscrupulous persons to avoid harassment.
"Be wary of unexpected visitors at your hotel room. Never open the door to unsolicited room service. Contact the front desk if you have any doubts", the advisory adds.
It also says, "If you schedule a meeting with a potential client, research the company and the individual with whom you are meeting. Meet at a public place such as restaurant. Make sure your luggage is given to a hotel staff and a receipt is issued for stored luggage. Never leave luggage or other expensive items unattended at the airport or taxi stands. Pre-plan your sightseeing destinations in Kolkata. Never take advice from unknown persons. If any tourist faces any kind of harassmentor law and order problem in Kolkata, he or she can dial 100 or 1090 for help".
courtsy- TOI.
Tuesday, August 20, 2013
Police Festival: पुलिस न्यूज़ के सभी पाठक पुलिस मित्रों को 'रक्षाबंधन' की शुभकामनाएं। जानिए मुहूर्त.
रक्षा बंधन का पर्व एक ऐसा पर्व है, जो धर्म और वर्ग के भेद से परे भाई-बहन के स्नेह की अटूट डोर का प्रतीक है। बहन द्वारा भाई को राखी बांधने से दोनों के मध्य विश्वास और प्रेम का जो रिश्ता बनता है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। रक्षा बंधन की पर्व का सबसे खूबसूरत पहलू यही है कि यह पर्व धर्म ओर जाति के बंधनों को नहीं मानता। अपने इसी गुण के कारण आज इस पर्व की सराहना पूरी दुनिया में की जाती है। कोई भी कार्य शुभ समय में किया जाता है, तो उस कार्य की शुभता में वृ्द्धि होती है। भाई-बहन के रिश्ते को अटूट बनाने के लिये इस राखी बांधने का कार्य शुभ मुहूर्त समय में करना चाहिए।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्तः
रक्षाबंधन 20-8-2013 को सुबह 10 बजकर 30 मिनट से दिन के 1 बजकर 30 मिनट के मध्य अपने भाइयों कि कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे यह समय लाभ और अमृत की चौघड़िया का है शाम को 3 बजे से लेकर 4 बजकर 30 मिनट तक शुभ चौघडिया है। इस समय भी रक्षा सूत्र बांधे। कुछ लोग 21 अगस्त 2013 को रक्षा बंधन का पर्व मनाएंगे। उनके लिए मेरी राय है कि वे लोग बुधवार को सुबह 7 बजकर 26 मिनट के पहले सुबह भद्रा मुक्त समय में भाइयों की कलाई पर राखी बांधे। 21 तारीख की सुबह 7 बजकर 26 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। अर्थात 21 को सुबह 7 बजकर 26 के पहले त्योहार मनाये। गणेशआपा वाराणसी पंचांगानुसार, अन्य पंचांग के अनुसार विभिन्न शहरो के समय में 5 से 7 मिनट का अंतर हो सकता है। इस कारण यह समय घट और बढ़ सकता है।
अगर किसी व्यक्ति को परिस्थितिवश भद्रा-काल में ही रक्षा बंधन का कार्य करना हों, तो भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा-पुच्छ काल में रक्षा बंधन का कार्य करना शुभ रहता है। शास्त्रों के अनुसार में भद्रा के पुच्छ काल में कार्य करने से कार्यसिद्धि और विजय प्राप्त होती है। परन्तु भद्रा के पुच्छ काल समय का प्रयोग शुभ कार्यों के के लिये विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए।
ऐसे मनाया जाता है रक्षाबंधन पर्व
प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं। थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक और मिठाई होते हैं। लड़के और पुरुष स्नानादि कर पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। उन्हें रोली या हल्दी से टीका कर चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर छिड़का जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है और तब दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है। भाई बहन को उपहार या धन देता है। रक्षाबंधन का अनुष्ठान पूरा होने के बाद ही भोजन किया जाता है। यह पर्व भारतीय समाज में इतनी व्यापकता और गहराई से समाया हुआ है कि इसका सामाजिक महत्व तो है ही, धर्म, पुराण, इतिहास, साहित्य और फिल्में भी इससे अछूते नहीं हैं।
पौराणिक मान्यताओं में भद्रा सूर्य पुत्री यानी शनि की बहन है
किसी शुभ या मंगल कार्य को शुरू करने से पहले पंचांग में भद्रा या विष्टि योग भी देखा जाता है। यह तिथि के आधे भाग करण का ही एक नाम है। वहीं पौराणिक मान्यताओं में भद्रा सूर्य पुत्री यानी शनि की बहन है। जिसके क्रूर स्वभाव पर काबू पाने के लिए ब्रह्मदेव की कृपा से उसे करण में विष्टि नाम से स्थान दिया गया। इसे अशुभ घड़ी भी माना जाता है।
भद्रा योग के दौरान कार्य विशेष शुभ नहीं माने जाते। जिनमें यात्रा, कारोबार, कृषि, मांगलिक कार्य आदि प्रमुख है। वहीं तंत्र, अदालती कार्य या राजनीति सफल होती है। धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक भद्रा तीन लोकों में घूमने के दौरान जब पृथ्वी पर होती है तो इस स्थिति में अमंगल करती है। भू-लोक में होने की पहचान चंद्रमा के कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होने के द्वारा की जाती है। इसे विष्टिकरण योग भी कहा जाता है। रक्षाबंधन या होलिका दहन के वक्त इस पर विशेष रूप से गौर किया जाता है।
भद्रा 5 घड़ी मुख में, 2 घड़ी कंड में, 11 घड़ी हृदय में, 5 घड़ी नाभि में, 5 घड़ी कटि में और 3 घड़ी पुच्छ में स्थिर रहती है। जब भद्रा मुख में रहती है तब कार्य का नाश होता है। कंड में धन का नाश, हृदय में प्राण का नाश, नाभि में कहल, कटि में अर्थ-भंश होता है तथा पुच्छ में विजय तथा कार्य सिद्धि हो जाती है।
शनि की सगी बहन है भद्रा
भद्रा भगवान सूर्य का कन्या है। सूर्य की पत्नी छाया से उत्पन्न है और शनि की सगी बहन है। यह काले वर्ण, लंबे केश, बड़े-बड़े दांत तथा भयंकर रूप वाली है। सूर्य भगवान से सोचा इसका विवाह किसके साथ किया जाए। प्रचा के दु:ख को देखकर ब्रह्माजी ने भी सूर्य के पास जाकर उनकी कन्या द्वारा किये गये दुष्कर्मो को बतलाया। यह सुनकर सूर्य ने कहा आप इस विश्व के कर्ता तथा भर्ता हैं, फिर आप कहें। ब्रह्माजी ने विष्टि को बुलाकर कहा- भद्रे! बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम निवास करो और जो व्यक्ति यात्रा, प्रवेश, मांगल्य कृत्य, रेवती, व्यापार, उद्योग आदि कार्य तुम्हारे समय में करे, उन्हीं में तुम विघ्न करो। तीन दिन तक किसी प्रकार की बाधा न डालो। चौथे दिन के आधे भाग में देवता और असुर तुम्हारी पूजा करेंगे। जो तुम्हारा आदर न करे, उनका कार्य तुम ध्वस्त कर देना। इस प्रकार से भद्रा की उत्पत्ति हुई। अत: मांगलिक कार्यो में अवश्य त्याग करना चाहिए।
रक्षा बंधन से जुड़ी कहानी:
भगवान विष्णु वामन रूप धारण करके राजा बली के पास आये। उन्होने राजा बली से तीन पग भूमि माँग कर धरती ,आकाश , पाताल को दो पग में ही नाप लिया और तीसरा पग राजा बली के ऊपर रखा और राजा बली से कुछ माँगने के लिये कहा। तो राजा बली ने भगवान् विष्णु से कहा कि आप मेरे यहाँ (पाताल में ) चार मास तक पहरेदार बन कर रहोगे , ऐसा वरदान दीजिये। तब से ही भगवान् विष्णु लक्ष्मी जी को स्वर्ग में ही छोड कर वर्ष में चार मास तक पहरेदार के रूप में रहने लगे। रक्षा बंधन के दिन लक्ष्मी जी राखी लेकर पाताल में गयी। राजा बली को भाई बना कर राखी बांधी। बली ने लक्ष्मी को भेंट के रूप हीरे - मोती देने चाहे तो लक्ष्मी ने कहा कि मुझे भेंट के रूप में हीरे मोती के बजाय मेरे पति को मुझे दे दो। बली ने लक्ष्मी की बात मान कर भगवान विष्णु लौटा दिया। लक्ष्मी विष्णु को अपने साथ लेकर चली गयी।
Wednesday, August 7, 2013
Rajasthan Police: Jaiselmer: the full story of transfer of jaiselmer SP transfer: जैसलमेर के 'दबंग' 'सिंघम' एसपी पंकज चौधरी के ट्रॉन्सफर के पीछे की पूरी कहानी पढ़े.
जयपुर। उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने रेत माफिया के लिये आईएएस दुर्गा शक्ित नागपाल को सस्पेंड कर दिया। घोटालों से घिरी यूपीए सरकार की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने मौका देखकर सपा पर हमला बोल दिया, लेकिन उनकी पार्टी के शासन वाले राजस्थान में क्या हो रहा है, ये उन्हें दिखाई नहीं दिया। कांग्रेस ने तो सपा से भी दो कदम आगे निलकर एक ऐसे हिस्ट्रीशीटर के लिये आईपीएस पंकज चौधरी का तबादला कर दिया, जिस पर पाकिस्तान के साथ मिलकर घुसपैठ कराने से लेकर अनगिनत संगीन आरोप हैं। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर वोटों की फसल काटने वाली राजस्थान अशोक गहलौत सरकार न केवल दुश्मन देश से रिश्ते रखने वाले गाजी फकीर और उनके विधायक बेटे को बचा रही है बल्कि ऐसे संगीन आरोपों से घिरे लोगों के लिये एक ईमानदार आईपीएस अफसर पर गाज भी गिरा रही है।
कांग्रेसी नेता के पेट्रोल पंप से पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार
क्या कांग्रेसी नेता गाजी फकीर का परिवार संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त है? क्या गाजी फकीर का परिवार आपराधिक मामलों में शामिल रहा है? क्या गाजी फकीर के परिवार के खिलाफ पुलिस के पास सबूत हैं? जैसलमेर के एसपी पंकज चौधरी की मानें तो इन सवालों का जवाब है...हां! और इसीलिए गाजी फकीर की बंद पड़ी हिस्ट्रीशीट फिर खोली गई है। जैसलमेर के एसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि गाजी फकीर का परिवार आपराधिक मामलों में लिप्त रहा है। देश से बाहर यानी पाकिस्तान बार-बार जाना सवाल खड़े करता है। एसपी पंकज चौधरी ने ये साफ कहा कि पूरे गाजी फकीर परिवार के खिलाफ उनके पास सबूत हैं। एसपी पंकज चौधरी ने एक और खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 24 फरवरी 2012 को एक पाकिस्तानी जासूस सुमेर खान को विधायक सालेह मोहम्मद के पेट्रोल पंप से पकड़ा गया था। सालेह मोहम्मद गाजी फकीर के बेटे हैं और विधायक हैं। आरोपी पाकिस्तानी जासूस शालेह मोहम्मद के पेट्रोल पंप पर काम करता था। एसपी के मुताबिक पाकिस्तानी जासूस सुमेर खान ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की पोखरण यात्रा में वायुसेना के ऑपरेशन आयरन फिस्ट की खुफिया जानकारी पाकिस्तान को भेजी थी।
गाजी के परिवार ने जाएगा हाईकोर्ट
एसपी पंकज चौधरी के मुताबिक साल 2011 में कांग्रेसी नेता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद करने के लिए जो तर्क दिए गए थे, वो सही नहीं थे। पंकज चौधरी के मुताबिक जो आधार बताए गए थे, उनपर हिस्ट्रीशीट को बंद नहीं किया जा सकता। उन्होंने ये भी बताया कि तब एसपी ऑफिस की टिप्पणी में भी गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट को बंद न करने की बात थी लेकिन आनन-फानन में गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी गई। पंकज चौधरी कहते हैं कि 2011 में गाजी की हिस्ट्रीशीट बंद करने का कोई आधार नहीं था, फिर सरकार का आदेश भी था। मैंने देखा तो ओपन कर दी। वहीं गाजी फकीर के बेटे और पोखरण से कांग्रेस विधायक सालेह मोहम्मद अपने पिता की हिस्ट्रीशीट खोले जाने के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कह चुके हैं। अब उनका आरोप है कि विपक्षी साजिश के तहत उन्हें और उनके परिवार को बदनाम किया जा रहा है।
पाक से जुड़े हैं गाजी परिवार के तार
सूत्रों अनुसार गाजी फकीर और उनके परिवार पर पाकिस्तान के साथ साठगांठ के आरोप हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो गाजी फकीर परिवार का पाक से सटे इलाकों में पूरा रुतबा है। उन पर पाक से घुसपैठ, तस्करी समेत कई संगीन आरोप हैं। एसपी पंकज चौधरी ने भी गाजी परिवार के खिलाफ सबूत होने का दावा किया है, लेकिन वोटों की खातिर कांग्रेस सरकार आंख मूंदकर बैठी हुई है। क्या सचमुच कोई इतना गिर सकता है। पाकिस्तान सीमा से सटे जैसलमेर में रहने वाले 80 साल के गाजी फकीर पर स्मगलिंग और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप है। आरोपों के मुताबिक, गाजी फकीर पाकिस्तान से अवैध तरीके से आने वाले लोगों को संरक्षण देते हैं और उन्हें बॉर्डर पार कराने में मदद करते हैं। इसके अलावा उनपर तस्करी, अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त जैसे कई अवैध धंधों में लिप्त रहने का भी आरोप है।
हिस्ट्रीशीट खोलने के 48 घंटे के अंदर ट्रांसफर
जैसलमेर के पूर्व एसपी पंकज चौधरी के मुताबिक उन्होंने क्षेत्र के प्रभावशाली कांग्रेसी नेता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट को ओपन किया था। चौधरी ने मीडिया से कहा कि आप कह सकते हैं कि हिस्ट्रीशीट ओपन करने के 48 घंटों के अंदर ही मेरा ट्रांसफर हुआ। आप इसे जोड़ भी सकते हैं। मेरा ये मानना है कि ये सरकार का आदेश है। ये आदेश कभी भी आ सकता है। किसी भी टाइम से जोड़ने का मतलब नहीं है। माना जाता है कि गाजी फकीर के एक इशारे पर पाक से लगने वाली सीमा से सटी 12 विधानसभा सीटों का भाग्य तय होता है। राजस्थान में जल्द विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और लोकसभा चुनाव भी सिर पर हैं, ऐसे में गहलौत सरकार गाजी फकीर को नाराज करने का जोखिम कैसे ले सकती थी। ध्यान रहे कि जैसलमेर के एसपी ने पोखरण से कांग्रेसी विधायक सालेह मोहम्मद, जैसलमेर के जिला प्रमुख अबदुल्ला फकीर के पिता और बुजुर्ग कांग्रेसी नेता गाजी फकीर के खिलाफ बंद अपराधों की फाइल खोली थी। पंकज चौधरी के ट्रांसफर से एक दिन पहले ही जैसलमेर पुलिस ने विधायक सालेह मोहम्मद के खिलाफ पुलिसकर्मी के साथ मारपीट के मामले में केस दर्ज किया था।
जिसने फाइल खोली, वो गया
84 साल के गाजी फकीर और उनके परिवार का दबदबा क्षेत्र में किस कदर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब-जब किसी अफसर ने उनकी हिस्ट्रीशाट खोलनी चाही, उसका तबादला हो गया। गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट सबसे पहले जुलाई 1965 में खोली गई थी, लेकिन 1984 में गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट गायब कर दी गई। जुलाई 1990 को तत्कालीन एसपी सुधीर प्रताप सिंह ने फकीर की हिस्ट्रीशीट दोबारा खोली। इसके महज 28 दिन बाद ही उनका तबादला कर दिया गया। 21 साल बाद मई 2011 में कार्यवाहक एसपी गणपत लाल ने फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी, जबकि नियमों के मुताबिक एसपी ही किसी हिस्ट्रीशीट को बंद करने का अधिकार रखता है।
साभार- इन डाट कॉम हिन्दी.
Delhi Police: Delhi: women police over-worked,stressed: दिल्ली पुलिस की महिला पुलिसकर्मी बोली, 'साहब, काम का बोझ बहुत बढ़ गया है।'
he newly-appointed Delhi Police chief, B.S. Bassi, has put " women's safety" at the top of his agenda and the force is taking new measures to make the Capital secure for women. But when it comes to women working on the force, a different picture emerges.
The police is already struggling with a shortage of women personnel to work on cases of crimes against women, which are piling up, and those on the job are struggling to make a difference. While this is the ground reality, the Delhi Police, in a recent answer to a Parliament question on the working condition of women, painted a rosy picture of the situation.
A Parliament questionnaire was put up to the Delhi Police inquiring about the conditions in which policewomen work . The questions were about the working shifts of females, about providing them transport to go home after work at night and about the working conditions in a police station.
The answers the police gave were all positive. Some of the questions and answers that MAIL TODAY accessed read: "Are females in the department given leave on time? ... Are all the females in the department are given leave as per their requirement?...Are the working conditions in police stations good for females?... Do they have a separate room to stay at night in case of a night shift?"
The answers were: "The working condition in police stations is viable....Separate rooms for women have been made available in as many police stations as possible." On the question about transport back home at night, the police answered: "We take care of their travelling when they have a latenight shift. Generally, we try to put them in such shifts that they do not have to leave office very late."
When questioned, joint commissioner of police (HQ) Deepender Pathak told MAIL T ODAY, "Delhi Police does pay attention to the females in the department. They are given all the benefits of the job, equal to male employees." While this is what the Delhi Police claims, the reality is very different. Talking to women police personnel at various police station revealed that the women claim they are overworked and underpaid.
"I leave home every morning at 8 and cannot say when my day is going to end," said Rabiya (name changed), posted at Lajpat Nagar police station.
Rabiya struggles to satisfy all the female complainants who come to the police station. She does patrol duty near colleges with other male colleagues, returns to the police station and works on legal documents. "I could have managed all the work had the working conditions been better. We do not have a separate room if we are staying late for work .
Also, we do not get dropped home at odd hours. Everything has to be managed on our own," said Rabiya. Another policewoman, attached to a police station in South Delhi, said on condition of anonymity, "My chain was snatched in front of the police station. Despite registering a case, a senior officer of the department told me, 'I will get you a new chain, forget the incident.'"
A female inspector who served at the Kamla Market police station for a long time told MAIL TODAY, "Our job is anyways tough, and when the working conditions are not good it gets even tougher. I struggled day in and day out to manage my police station for a long time. Finally, when it took a toll on my health, I had to shift from there."
Females working in the department complain they do not get enough leave. "Those who have a child under 18 years of age can avail child- care leave for two years to raise the child. However females on the lower rungs of the department do not get such leave. Only IPS officers get this leave," a senior female inspector said on condition of anonymity.
साभार- मेल टुडे.
Rajasthan Police: Jaiselmer: जैसलमेर SP पंकज चौधरी के तबादले का विरोध, विवादास्पद गाजी फकीर की फाइल फिर खोल दी थी.
कांग्रेस विधायक शालेह मोहम्मद और जिला प्रमुख अब्दुला फकीर के पिता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट मामले में जैसलमेर से हटाए गए पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी ने सोमवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि ये पूरा परिवार ही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को लिप्त रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ समय पूर्व सरहद पर पकड़े गए आईएसआई एजेंट सुमेर खान विधायक शालेह मोहम्मद के पेट्रोल पम्प पर ही काम करता था। गाजी फकीर परिवार के पेट्रोल पम्प पर काम करने वाले व्यक्ति के बारे में पूरे परिवार को जानकारी नहीं हो ऐसा हो नहीं सकता,इस परिवार ने आईएसएस एजेंट की मदद की।
उन्होंने कहा कि वैसे भी गाजी फकीर पर तस्करी, पाक से सटी जैसलमेर की सीमा में अवैध घुसपैठ, अवैध हथियार रखने सहित राष्ट्र विरोधी हरकतों में शामिल होने के पुलिस के पास कई सबूत है। उन्होंने कहा कि 26 साल पूर्व उसकी हिस्ट्रीशीट बंद करना गलत था। जैसलमेर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि ट्रांसफर सरकार की पॉलिसी का हिस्सा है। हालांकि हिस्ट्रीशीट खोलने से जोड़ कर भी देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिस्ट्रीशीट री-ओपन नहीं करने का दबाव था, लेकिन उन्होंने नियमानुसार कार्य किया है। गौरतलब है कि गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट 31 जुलाई 1965 को खोली गई थी। तब से गाजी का नाम कोतवाली थाने के हिस्ट्रीशीटरों में दर्ज था। जैसलमेर के पूर्व एसपी अंशुमान भोमिया का तबादला 31 मई 11 को हुआ और ममता विश्नोई ने 18 मई 11 को कार्यभार ग्रहण किया। इस बीच पचास दिन तक जैसलमेर में एसपी पद खाली रहा। तब एएसपी गणपतलाल ने मामला विश्नोई के ज्वाइन करने से पांच दिन पहले 12 मई 11 को गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी जबकि आरपीआर नियम कहता है कि हिस्ट्रीशीट का फैसला सिर्फ एसपी ही कर सकता है। गाजी फकीर का पाकिस्तान सीमा पर सटे जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों में पिछले 50 साल से जबरदस्त वर्चस्व है। वे पाकिस्तान के पीर-पगारों के अनुयायी और भारत में उनके प्रतिनिधि के तौर पर कई सालों से काम कर रहे है। वे पीर-पगारों से मिलने पाकिस्तान जाते रहे है। उनका संदेश अपने समाज में प्रचारित करते है। आपराधिक रिकॉर्ड के कारण गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट 31 जुलाई, 1965 की खोली गई थी। गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद करने का आधार उनकी उम्र और आचरण को बनाया गया है। उनकी उम्र 70 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है। और काफी समय से किसी आपराधिक गतिविधियों में उनकी भूमिका सामने नहीं आई है। इधर एसपी पंकज चौधरी ने रिलीव होने से पहले विधायक शालेह मोहम्मद के खिलाफ पुलिस कार्रवाई में दखल देने, लपकों को छुड़ाने और अभद्र व्यवहार करने का मुकदमा दर्ज करवा दिया है। मामला 17 मई का है। ऑपरेशन वेलकम टीम बासनपीर के पास सैलानियों की गाड़ी का पीछा कर रहे लपकों को पकड़ने गई थी। लपके भागू का गांव फांटा के पास पेट्रोल पंप पर रुक गए। पुलिस ने इन्हें पकड़कर वाहन में बिठाना चाहा तो शालेह मोहम्मद ने पुलिसकर्मी पप्पूराम मीना को पकड़ लिया और गाली गलौच करते हुए धमकियां दी।
इधर कांग्रेस विधायक और जिला प्रमुख के पिता की हिस्ट्रीशीट खोलने के बाद हटाए गए जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी का मामला भाजपा संसद में उठाएगी। राज्य के भाजपा सांसदों को प्रदेश नेतृत्व की ओर से गाजी फकीर की 48 साल पुरानी हिस्ट्रीशीट से सम्बन्धी दस्तावेज मुहैया कराए गए है, जिससे वे अध्ययन कर सके।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राष्ट्रीय सचिव भूपेन्द्र यादव इस मामले को लेकर केन्द्रीय नेताओं के सम्पर्क में हैं। भाजपा सांसद अर्जुन मेघवाल ने बताया कि वे इस मामले को संसद में उठाएंगे, उन्होंने सोमवार को भी शून्यकाल के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया था, लेकिन सदन स्थगित होने के कारण मामला नहीं उठा सके। अन्य सांसद भी इस मामले को अलग-अलग दिन संसद में उठाएंगे। भाजपा इस मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनाव तक हवा देना चाहती है। पार्टी इस मामले को लेकर जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों में धरने-प्रदर्शन का कार्यक्रम बना रही है।
साभार- दै जागरण.
Foreign Police: German Police: जर्मन पुलिस ने बदला अपना सायरन, पढ़े इसे।
जर्मन पुलिस थोड़ी अमेरिकी होने जा रही है. जर्मनी के पांच प्रांतों में पुलिस साइरन में जाने पहचाने टाट्युटाटा के साथ अमेरिकी आवाज येल्प भी जोड़ी जा रही है. पुलिस राज्यों का मामला है, इसलिए फैसला राज्य सरकारें कर रही हैं.
जर्मनी में पुलिस. फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस का अपना अलग अलग साइरन है. इन आवाजों से समझा जा सकता है कि आपके पीछे कौन आ रहा है ताकि आप फटाफट सड़क पर उनके जाने लिए जगह बना दें. जर्मनी की सड़कों पर आने वाले दिनों में हॉलीवुड की झलक मिलेगी, जब पीछे अचानक पुलिस की गाड़ी होगी. पुलिस की गाड़ी में नीली बत्ती और मार्टिन साइरन के साथ साथ अमेरिका जैसा एक नया सिग्नल टोन शामिल किया जा रहा है.
पुलिस की तैनाती
फिलहाल इसे जर्मनी के 16 में से सिर्फ 6 प्रांतों में लागू किया जा रहा है. इसकी वजह यह है कि पुलिस के कामों से जुड़े सब लोग साइरन की अलग अलग आवाजों और पुलिस की गाड़ी के अलग अलग रंगों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. हेस्से प्रांत में दस साल से ही नई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. प्रांतीय गृह मंत्रालय के मार्क कोलबेषर कहते हैं कि पहले पुलिस को हाइवे पर किसी गाड़ी को रोकने के लिए उसके आगे जाना पड़ता था जो सुरक्षा के हिसाब से अच्छा नहीं था. समस्या पर दूसरे प्रांतों को साथ विचार किया गया, लेकिन सहमति न हो पाने के कारण हेस्से ने अकेले ही इसे लागू करने का फैसला किया.
साइरन में नया सिग्नल शामिल करने का मकसद फिल्म जैसा एक्शन का माहौल तैयार करना नहीं है, यह बात इसे लागू करने के लिए जारी अध्यदेश से भी साफ होती है. अगस्त महीने से लागू यह अध्यादेश जर्मनी भर में नए परिवर्तनों का कानूनी आधार होगा. पुलिस की गाड़ी में लगी लाल बत्ती सरकारी भाषा में रुकने का ऑप्टिकल संकेत है. उसकी रोशनी सिर्फ आगे की ओर फेंकी जा सकेगी. नए अध्यादेश के अनुसार इसके साथ एक आकुस्टिक सिग्नल जोड़ा जा सकता है, जिसे स्टॉप साइरन कहा जा रहा है. अमेरिकी साइरन से यह इस हिसाब से अलग होगा कि अमेरिका साइरन पुलिस की तैनाती का साइरन है, जबकि जर्मनी में फसके लिए नीली बत्ती और टाट्युटाटा का इस्तेमाल होता रहेगा.
अलग अलग रंग
पुलिस की गाड़ी में नए सिग्नल के साथ यह स्पष्ट किया जाएगा कि पुलिस का संकेत उनके ही लिए है. जर्मनी के उत्तरी प्रदेश श्लेसविष होलश्टाइन प्रांतीय पुलिस के प्रवक्ता लोथर गारमन कहते हैं, "नए साइरन का मतलब है, पुलिस-रुकिए." इस साइरन के लग जाने से पुलिस को किसी ड्राइवर को रोकने के लिए उसकी गाड़ी को ओवरटेक नहीं करना होगा. हेस्से का अनुभव अच्छा रहा है और यही कारण है कि दस साल बाद कुछ दूसरे प्रांत भी इसे लागू कर रहे हैं.
पुलिस की गाड़ियों को नई तकनीक से लैस करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा. इन गाड़ियों में जिस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस समय इस्तेमाल हो रहा है, उसमें नए साउंड को शामिल करने की संभावना है. गाड़ियों की छत पर लगे मोनीटर पर स्टॉप, पुलिस या प्लीज फॉलो के अलावा 430 प्रकार के अंतरराष्ट्रीय टेक्स्ट को दिखाया जा सकता है, ताकि जर्मन न जानने वाला भी पुलिस के संकेत को समझ सके. सॉफ्टवेयर में अमेरिकी येल्प को भी एक्टीवेट किया जा सकता है. रेड प्लैश लाइट नया लगाना होगा. शामिल की जाने वाली तकनीक के अनुसार खर्च आएगा प्रति गाड़ी 1000 से 3500 यूरो.
महिला पुलिसकर्मी
श्लेसविष होलश्टाइन में शुरू में हाइवे पुलिस की 20 गाड़ियों को नए साइरन से लैस किया जाएगा. बाद में प्रांत की सभी 700 पुलिस गाड़ियों में नई तकनीक लगा दी जाएगी. हेस्से प्रांत में पहले से ही नई तकनीक लागू कर दी गई है. इन दोनों प्रांतों के अलावा बाडेन वुर्टेमबर्ग, राइनलैंड पलेटिनेट, थ्युरिंजिया और बर्लिन ने नए साइरन को लागू करने का फैसला किया है, जबकि जर्मनी के सबसे बड़े प्रांत नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया ने कहा है कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. पुलिस के पास अपनी ओर ध्यान दिलाने के दूसरे साधन भी हैं. फिलहाल इसे लागू करने वाले प्रांतों के अनुभवों पर नजर रखी जा रही है.
विशेषज्ञों का ध्यान इस बात पर भी है कि देश की सड़कों पर पुलिस की गाड़ियों में अलग अलग लाइट और अलग अलग साइरन लोगों के लिए मुस्किलें पैदा कर सकते हैं. इस बीच पुलिस की वर्दियों और गाड़ियों के रंग में भी समानता नहीं रही है. पुलिस ट्रेड यूनियन का कहना है कि नागरिकों का अधिकार है कि वे देश भर में एक समान दिखने वाले पुलिसकर्मियों को देखें.
साभार- डॉयचे वेले.
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