Monday, July 25, 2011

Delhi Police : लालबत्ती के चक्कर में कटे सांसदजी, विधायकजी के चालान

यातायात पुलिस ने नियमों की अनदेखी करने पर राजधानी के तीन माननीयों के चालान काटे हैं, जिनमें दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश कुमार, पश्चिमी संसदीय क्षेत्र से सांसद महाबल मिश्रा और हरिनगर क्षेत्र के विधायक हरिशरण सिंह बल्ली शामिल हैं। यातायात पुलिस ने न सिर्फ इनके चालान काटे, बल्कि इनके वाहनों पर लगी लाल बत्ती को भी जब्त कर लिया।

यातायात पुलिस के अनुसार राजधानी में किसी भी सांसद व विधायक को लाल बत्ती लगाकर घूमने की इजाजत नहीं है, लेकिन इन नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले नेताओं की कमी नहीं है। कुछ जागरूक लोगों ने जब इन नेताओं के लाल बत्ती लगे वाहनों के फोटो खींचकर यातायात पुलिस के फेसबुक एकाउंट पर अपलोड किए तो मजबूरन यातायात पुलिस को नियमों की अनदेखी करने के मामले में इनके चालान काटने पड़े। बताते चलें कि इन रसूखदार नेताओं पर हाथ डालना यातायात पुलिस के लिए इतना आसान भी नहीं रहा।


फेसबुक पर मिली शिकायत के बाद लंबे समय तक पुलिस इन माननीयों पर कार्रवाई करने से बचती रही, लेकिन जब मामला आला अफसरों के संज्ञान में आया तो पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। महाबल मिश्रा की ‘प्राडो’ कार पर लाल बत्ती लगे होने की शिकायत मनोरंजन कुमार नामक शख्स ने की थी। सत्येंद्र गर्ग के अनुसार इन वाहनों के चालान काटने के साथ-साथ लाल बत्ती को तुरंत हटाने के निर्देश दिए थे।

Delhi Police : बाबा रामदेव मामले में सुप्रीम कोर्ट की दिल्ली पुलिस को फटकार, दिखाओ रामलीला मैदान का फुटेज

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ हुई दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का वीडियो फुटेज देखना चाहता है.
जस्टिस बीएस चौहान और स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने कहा कि वे ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ऐसी घटना दोबारा न हो.
हालाँकि अदालत ने फ़िलहाल गृह मंत्री पी चिदंबरम को इस मामले में पार्टी बनाने से इनकार कर दिया. लेकिन अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वो अपना विकल्प खुला रखे हुए है.


चार जून की देर रात को दिल्ली पुलिस ने रामदेव और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उन्हें रामलीला मैदान से हटा दिया था.नोटिस बाद में इस मामले में ख़ुद संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.
सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा कि पाँच अगस्त को वे रामलीला मैदान में हुई घटना का वीडियो फुटेज देखेंगे.
घटना पर चिंता जताते हुए खंडपीठ ने कहा, "निर्दोष नागरिक इस तरह नहीं पीटे जाने चाहिए. हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों."
बाबा रामदेव की ओर से अदालत में जिरह कर रहे वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अदालत से अनुरोध किया कि वो गृह मंत्री पी चिदंबरम को ये निर्देश दे कि वो इस घटना के बारे में जानकारी दें और उन्हें नोटिस जारी किया जाना चाहिए.
लेकिन अदालत ने फ़िलहाल ऐसा करने से इनकार कर दिया.

MP Police: फेसबुक पर मध्‍य प्रदेश के सीएम का फर्जी प्रोफाइल, इंदौर का लड़का गिरफ्तार

भोपाल। मध्‍य प्रदेश के तमाम आईएएस पीसीएस अधिकारी व पुलिस महकमे के लोग रविवार को अपने मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फेसबुक पर देख चकित रह गये। हर जगह चर्चा का विषय बन गया, देखते ही देखते प्रोफाइल पर फ्रेंड्स रिक्‍वेस्‍ट की बाढ़ आ गई। तभी अचानक पता चला कि वो प्रोफाइल फर्जी है, जिसे एक नाबालिग छात्र ने बनाया है। साइबर क्राइम की टीम की सहायता से एमपी पुलिस ने सोमवार को उस छात्र को धर दबोचा।


अब अगर इस प्रोफाइल की बात करें तो शिवराज सिंह चौहान के नाम से बने इस प्रोफाइल की वॉल पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई नेताओं की आपत्तिजनक तस्‍वीरें लगायी गईं। यही नहीं मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भीख मांगते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा एवं फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन को रसोइया और पाकिस्तान के झंडे के बीच तिरंगा की तस्‍वीरें अपलोड की। मुख्यमंत्री के नाम से साइबर क्राइम का यह पहला मामला सामने आया है।

छात्र नाबालिग है, लिहाजा उसके नाम का खुलासा पुलिस ने नहीं किया है। भोपाल के पुलिस महानिरीक्षक शैलेंद्र श्रीवास्‍तव के मुताबिक छात्र की गिरफ्तारी इंदौर में हुई है और उसे सोमवार को ही भोपाल लाया गया है। उससे पूछताछ जारी है।

मुख्यमंत्री की जानकारी में यह मामला लाए जाने के बाद उन्होंने खुद पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर जांच के निर्देश दिए थे।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल बनाने के मामले में पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार किया है.

मुख्यमंत्री के नाम से बनी इस प्रोफाइल में कई नेताओं के आपत्तिजनक फोटो चस्पा थे.


इस प्रोफाइल की शिकायत मिलने के बाद भोपाल पुलिस जांच में जुट गई और 15 दिनों की जांच के बाद इंदौर से एक युवक को गिरफ्तार कर लिया. नाबालिग होने के कारण पुलिस ने उसका नाम नहीं खोला है.

मुख्यमंत्री की प्रोफाइल इंदौर के मल्हारगंज के एक सायबर कैफे से जनवरी 2011 में बनाई गई थी. चार जुलाई को यह मामला सार्वजनिक होने के बाद भोपाल पुलिस इसकी तफ्तीश में जुटी हुई थी.

आईजी भोपाल शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि जब पुलिस ने फेसबुक के हैदराबाद स्थित ऑफिस से संपर्क किया तो प्राइवेसी का हवाला देते हुए कंपनी वालों ने जानकारी देने से मना कर दिया.

पुलिस ने इसके बाद इंटरपोल से मदद मांगी और फेसबुक के सिंगापुर स्थित मुख्यालय को संपर्क किया. वहां से जानकारी दी गई कि यह प्रोफाइल मल्हारगंज के सायबर कैफे से बनाई गई है.

इस जानकारी के आधार पर शनिवार रात भोपाल पुलिस इंदौर पहुंची और उन्होंने रविवार देर रात सायबर कैफे पर छापा मारकर कार्रवाई की.

Sunday, July 24, 2011

CG Police : हाईटेक होगी पुलिस भर्ती प्रक्रिया

पुलिस भर्ती में होने वाले घोटालों को रोकने के लिए पुलिस मुख्यालय पूरा सिस्टम बदल रहा है। हर उस रास्ते को बंद करने की कोशिश की गई है, जहां पक्षपात की गुंजाइश होती है। मानवीय हस्तक्षेप को कम से कम रखने के लिए बायोमीट्रिक रिकार्ड से लेकर माइक्रोचिप तक सारे संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा। पुलिस भर्ती के फिजिकल टेस्ट के दौरान पहली बार रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआईडी) का इस्तेमाल होगा।

आमतौर पर ओलिंपिक गेम्स जैसे आयोजन में इसका इस्तेमाल होता है। इसकी शुरुआत अक्टूबर में होने वाली सब इंस्पेक्टर परीक्षा से होगी, जिसमें 400 पद भरे जाने हैं। इसके बाद आरक्षकों के 10 हजार से ज्यादा पदों की भर्ती में भी इसी तरीके का इस्तेमाल होगा।

केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को लिखे पत्र में पुलिस भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने कहा था। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पुलिस मुख्यालय में प्रशासन विभाग पिछले चार महीने से इसी कवायद में लगा था।

बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान समेत दक्षिण भारत के कुछ राज्यों की पुलिस भर्ती प्रक्रिया का बारीकी से अध्ययन करने के बाद उसकी खासियतों को लिया गया। बिहार में पुलिस आरक्षक भर्ती का आवेदन एक पेज की ओएमआर शीट में लिया जाता है। भर्ती प्रक्रिया में मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है।

इससे भर्ती के दौरान होने वाली मानवीय भूलों को कम किया जा सकेगा। भर्ती स्थलों से सारे रिकार्ड 10-15 मिनट के अंदर ही पीएचक्यू पहुंच जाएंगे। पूरी भर्ती प्रक्रिया और उसमें इस्तेमाल होने वाले तरीकों की जानकारी छत्तीसगढ़ पुलिस की वेबसाइट पर डाल दी गई है। पूरे सिस्टम को खड़ा करने के लिए पीएचक्यू हफ्तेभर के अंदर टेंडर को फाइनल करने जा रहा है।

देश के कई राज्यों ने अपने यहां की भर्ती में इस तरह के तरीकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। अक्टूबर में पुलिस सब इंस्पेक्टर की भर्ती में इस सिस्टम को टेस्ट किया जाएगा। बड़ी चुनौती आरक्षकों की भर्ती है, जिसमें 10 हजार रिक्त पदों को भरा जाना है।

सारे आवेदन पत्र, प्रवेश पत्र छत्तीसगढ़ पुलिस की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। आईजी प्रशासन पवन देव ने बताया कि भर्ती में मॉडर्न टेक्नीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ताकि पारदर्शिता बनी रहे। मानवीय हस्तक्षेप को कम से कम रखने की कोशिश है। ताकि मानवीय भूल से बचा जा सके।

ये बदलाव

> भर्ती के सारे आवेदनों की स्कैनिंग कर उसका डेटाबेस तैयार किया जाएगा। हर आवेदक का परीक्षा के पहले बॉयोमीट्रिक रिकार्ड तैयार किया जाएगा, ताकि कोई मुन्नाभाई उसकी जगह एक्जाम ही न दे पाए।

> प्रवेश पत्र इस तरह से डिजाइन किए जा रहे हैं कि जिलों के भर्ती अधिकारी को भी आवेदन के रोलनंबर तक का पता नहीं होगा। उसे पीएचक्यू एक बारकोड देगा, वही आवेदक की पहचान होगी।

> भर्ती का सारा रिकार्ड ऑनलाइन नेटवर्क से सीधे पुलिस मुख्यालय के सेंट्रल सर्वर में पहुंच जाएगा। इसकी सारी जानकारी रीड ओनली होगी, यानि उसमें कोई भी अधिकारी संशोधन नहीं कर पाएगा। इस सर्वर को चालू करने के लिए फिंगर प्रिंट एक्सेस होगी।

> सबसे ज्यादा गड़बड़ी फिजिकल टेस्ट के दौरान होती है। 1500 मीटर लंबी दौड़ समेत दो टेस्ट में आरएफआईडी टेक्नीक इस्तेमाल होगी। इसमें प्रतियोगी द्वारा दौड़ को पूरा करने में लिए गए समय का सटीक कैलकुलेशन होता है।

> भर्ती प्रक्रिया की पूरी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। रिजेक्ट आवेदनों की जानकारी भी वेबसाइट पर होगी।

> आवेदकों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की जाएगी।

Punjab Police : पुलिस अफसरों से प्रमोशन के नाम पर मांगी रिश्वत

पुलिस इंस्पेक्टरों से ही प्रमोशन की फाइल सरकाने के नाम पर रिश्वत मांगी गई। मामला चंडीगढ़ पुलिस के तीन इंस्पेक्टरों की डीएसपी के पद पर प्रमोशन से जुड़ा है। होम सेकेट्ररी इसे दो हजार रुपये का मामला बता रहे हैं जबकि अंदरखाते चर्चा लाखों की हो रही है। अब पुलिस इंस्पेक्टर भी मुकर रहे हैं और होम डिपार्टमेंट के जिस सुपरिटेंडेंट को पैसा देने की बात कही गई थी वह भी इससे इनकार कर रहा है। होम सेकेट्ररी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे विजिलेंस को सौंप दिया है। चंडीगढ़ पुलिस के तीन इंस्पेक्टरों की प्रमोशन डीएसपी के पद पर होनी है। इनमें इंस्पेक्टर केवल कृष्ण, केहर सिंह और एसपीएस सौंधी शामिल हैं।

पुलिस की डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी भी इनके नाम क्लीयर कर चुकी है। हाईकोर्ट भी इनकी प्रमोशन को हरी झंडी दे चुका है। इसके बावजूद इन तीनों की प्रमोशन की फाइल होम सेकेट्ररी के ऑफिस में महीनों से लटकी हुई है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार सोमवार को इनमें से एक इंस्पेक्टर ज्वाइंट सेक्रेटरी होम अभिषेक देव के पास पहुंच गया तथा अपनी प्रमोशन की फाइल के बारे में पूछा।

ज्वाइंट सेक्रेटरी होम को इंस्पेक्टर ने फाइल चलाने के लिए सचिवालय के एक कर्मचारी को रिश्वत देने की बात कही तो वह दंग रह गए। ज्वाइंट सेक्रेटरी होम ने यह बात होम सेक्रेटरी को बताई तो उन्होंने इंस्पेक्टर केवल कृष्ण और एसपीएस सौंधी को तलब किया। इसके साथ साथ उस कर्मचारी को भी तलब किया गया जिसे रिश्वत देने की बात कही गई थी। होम सेक्रेटरी के सामने तीनों मुकर गए। सूत्रों के अनुसार एक इंस्पेक्टर ने होम सेक्रेटरी को बताया कि उसने दूसरे इंस्पेक्ट के माध्यम से यह रिश्वत दी थी।

एचएस के सामने बयान
दोनों इंस्पेक्टर तथा कर्मचारी के बयान होम सेक्रेटरी राम निवास के समक्ष ही दर्ज किए गए। इंस्पेक्टर रिश्वत देने की बात से मुकर गए तो कर्मचारी ने रिश्वत लेने की बात से इनकार किया।

विजिलेंस करेगी जांच
होम सेक्रेटरी ने विजिलेंस को इस मामले की जांच करने को कहा है। विजिलेंस को यथाशीघ्र इस मामले की रिपोर्ट देने को कहा गया है।

लाखों नहीं हजारों
पुलिस इंस्पेक्टरों से फाइल के नाम पर लाखों नहीं बल्कि दो हजार की रिश्वत मांगने का मामला सामने आया था। मैंने इसकी विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। इंस्पेक्टरों के बयान दर्ज किए गए हैं।
राम निवास, होम सेक्रेटरी

मैंने नहीं की शिकायत
मैं सिर्फ होम सेक्रेटरी आफिस में अपने केस की फाइल के बारे में गया था। रिश्वत देने की कोई शिकायत मैंने नहीं की है।
केवल कृष्ण, इंस्पेक्टर

मुझे नहीं जानकारी
मुझे रिश्वत मांगने के मामले में कुछ नहीं पता। मेरी जानकारी में यह मामला नहीं आया। मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।
एसपीएस सौंधी, इंस्पेक्टर

MP Police: व्यापमं लेगा पुलिस सब-इंस्पेक्टर्स भर्ती परीक्षा

व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) पहली बार पुलिस के सब-इंस्पेक्टर पद के लिए भी भर्ती परीक्षा आयोजित करने जा रहा है। पुलिस विभाग से इसका टेंडर मिलने के बाद व्यापमं ने परीक्षा का कार्यक्रम घोषित कर दिया है। परीक्षा इसी साल 25 सितंबर को आयोजित होगी।
पुलिस विभाग ने सब-इंस्पेक्टर्स के पदों की भर्ती का जिम्मा इस बार व्यापमं को सौंपा है। इसका मकसद भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है। इस प्रक्रिया के जरिए सब-इंस्पेक्टर्स के 515 पद भरे जाएंगे। इसमें पुरुष वर्ग के 371 पद और महिला वर्ग के 144 पद शामिल है। परीक्षा में शामिल होने के 21 जुलाई से 19 अगस्त के बीच ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसमें ओपन श्रेणी के 185 पद, सामान्य महिला वर्ग के 72 पद, अजजा ओपन वर्ग के 75 पद, अजजा महिला वर्ग के 29 पद, अजा ओपन वर्ग के 59 पद, अजा महिला वर्ग के 25 पद, अपिव ओपन के 52 और अपिव के 18 पद शामिल किए गए हैं।

maharastra police: आबा का गुस्सा फूटा, दो पुलिस अधिकारी हुए निलंबित

अहमदनगर के अकोले तहसील में डकैती और दुष्कर्म की सनसनीखेज घटना को गंभीरता लेते हुए राज्य सरकार ने दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।

मंगलवार को गृहमंत्री आरआर पाटील ने इसकी घोषणा की। गृहमंत्री ने पुलिस निरीक्षक प्रकाश पाटील और ड्यूटी अफसर सलीम शेख को काम में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया।

घटना के चलते गृहमंत्री अकोले तहसील के वीरगांव में पीड़ित परिवार से मिलने गए थे। गांव में डकैतों ने एक परिवार की दो लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया और चार वृद्ध महिलाओं को निर्वस्त्र करके उनकी पिटाई की थी।


पुलिस घटना के दो घंटे बाद पहुंची थी। पुलिस अधिकारियों की इस लापरवाही के कारण डकैत वहां से भागने में कामयाब हो गए थे। यह बात सामने आने पर गृहमंत्री ने दो पुलिस अधिकारियों के निलंबन के आदेश दिए हैं।

वहीं मामले की जांच करते हुए पुलिस ने अब तक संतोष पंडित, बाबुशा काले और गोरख भोंसले को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के लिए अदालत ने तीनों लोगों को 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है।

पेशे से सर्राफ संतोष, श्रीगोंधा गांव में सोना खरीदने गया था, तभी पुलिस ने उसे और सोना बेचने आए बाकी दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि यह वही सोना है, जो पीड़ित परिवार के घर से चुराया गया था। पीड़ित महिलाओं ने भी गहनों की पहचान की है।