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Wednesday, October 12, 2011
Chhatisgarh Police: डब्बा ट्रेडिंग रोकने के लिए पुलिस को ट्रेनिंग, मुंबई से बुलाए ट्रेनर..
रायपुर ! डब्बा ट्रेडिंग के नाम से कुख्यात अवैध वायदा कारोबार और गैर कानूनी व्यावसायिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस भी आगे आएगी। इसके लिए आज यहां पुलिस मुख्यालय में मुम्बई से आए वायदा बाजार आयोग और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड के अधिकारियों ने प्रशिक्षण सह-जागरूकता कार्यशाला में छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकारियों को अनेक महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विस्तृत जानकारी दी। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अनिल एम. नवानी ने कार्यशाला में कहा कि भारत सरकार ने फारवर्ड टे्रडिंग पर लगे प्रतिबंध को शिथिल करते भविष्य के वस्तु व्यापार की बेहतरी के लिए ऑन लाईन टे्रडिंग को मान्यता दी है। इसके फलस्वरूप जहां ऑन लाईन व्यापार से लाभ हो रहा है। वहीं कुछ असामाजिक तत्व भी इस टे्रडिंग में घुसपैठ कर चुके हैं, जिनकी पहचान सुनिश्चित करना बहुत जरूरी हो गया है। ऐसे तत्वों के कारण कानूनी व्यापार की दुनिया के सामने गैर कानूनी बाजार का तंत्र खड़ा हो गया है।
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि फारवर्ड कांटे्रक्ट रेगुलेशन एक्ट 1952 के प्रावधानों और उपभोक्ता वस्तुओं के अवैध वायदा सौदों के बारे में पर्याप्त जानकारी और जागरूकता की जरूरत पुलिस और समाज दोनों को है। ऐसे अवैध कारोबार और उससे जुड़े लोगों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए कानून की भी समुचित जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अवैध वायदा सौदों के समानांतर कारोबार से केन्द्र सरकार तथा राय सरकारों को करोड़ रूपयों के टैक्स का नुकसान हो रहा है, जिसे रोकने के लिए छत्तीसगढ़ में भी वायदा बाजार आयोग और नेशनल कमोडिटी एण्ड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड मुम्बई के सहयोग से राय पुलिस द्वारा संयुक्त अभियान चलाया जाएगा। कार्यशाला में भारतीय आर्थिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और वायदा बाजार आयोग के सदस्य डी.एस. कोलमकर ने छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकारियों को इस संबंध में कानूनी पहलुओं की जानकारी दी। स्वागत भाषण में पुलिस महानिरीक्षक (प्रशिक्षण) आनंद तिवारी ने कहा कि फारवर्ड कान्ट्रेक्ट रेगुलेशन एक्ट 1952 के उल्लंघन के अधिकांश प्रावधान संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं, जिनमें तलाशी, जप्ती और अनुसंधान के अधिकार देकर पुलिस की भूमिका को प्रभावी बनाया जा सकता है। वायदा बाजार आयोग द्वारा पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियों को ऐसे अपराधों के घटित होने पर सूचना भेजी जाती है। पुलिस और अन्य अधिकारियों को दस्तावेजों की छानबीन और विशेषज्ञ सलाह देने का कार्य 1952 के अधिनियम के तहत वर्ष 1954 में बने नियम-13 के अधीन किए जाते हैं। इस मौके पर वायदा बाजार आयोग मुम्बई के निदेशक पी.एन. तिवारी सहित छत्तीसगढ़ पुलिस के महानिरीक्षक सर्वश्री मुकेश गुप्ता, पी.एन. तिवारी, अरूण देव गौतम, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर दीपांशु काबरा, एस.पी. महासमुन्द ध्रुव गुप्ता, एस.पी. धमतरी आशुतोष मोहंती, एस.पी. आर्थिक अपराध ब्यूरो डी.डी. चतुर्वेदी और ए.सी.बी. के पुलिस अधीक्षक आर.एस. नायक सहित सी.आई.डी. और ाइम ब्रांच अनेक वरिष्ठ अधिकारी और राय भर से 70 से अधिक अपर पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक और पुलिस निरीक्षक उपस्थित थे।
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