जालंधर . मकसूदां थाने की पुलिस सोमवार को चंद नेताओं की बदतमीजी और अश्लील शब्दों के आगे ढेर होती दिखी। अमन-शांति भंग करने वाले युवक को हिरासत में लेने के बाद थाने के बाहर जुटी भीड़ में शामिल कुछ लोग इतने ‘हिम्मती’ थे, जिन्होंने पुलिस अधिकारियों को सरेआम गालियां निकाली। बजाय उन्हें रोकने के, पुलिस अफसरों ने कमरे में बंद रहना बेहतर समझा।
यहां तक कि एसएचओ परमजीत सिंह के सामने एएसआई बलबीर सिंह को गालियां निकाली गई, मगर वह भी उन्हें रोक न पाए। नौबत तो यहां तक आ गई कि कुछ नेताओं ने मुलाजिमों से हाथापाई करने की भी कोशिश की। एसएचओ परमजीत सिंह अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकले।
बड़ी बात ये भी कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ढाई घंटे बाद डीएसपी जगदीप सिंह थाने पहुंचे और वह भी एसएचओ के कमरे में घुस गए। उन्होंने भी धरना देने वाले लोगों को समझाने की कोशिश नहीं कि जिस कारण विवाद बढ़ता चला गया। गुस्साई भीड़ कभी सड़क पर जाम लगा रही थी तो कभी वाहनों को जबरन रोक रही थी। कुछ राहगीरों से मारपीट की भी खबर है।
शुरू में बरती ढिलाई: 12 बजे विवाद शुरू हुआ, जो 3 बजे तक चला। शुरुआत में ही पुलिस मुलाजिमों ने नेताओं व लोगों को प्यार से समझाया होता, तो विवाद इस हद तक न बढ़ता। सबसे पहले मौके पर थाना-एक के एसआई केवल किशोर, एएसआई विजय कुमार, एएसआई जगदीश कुमार और पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री पहुंचे। सभी ढीले रवैये से पेश आए और नेताओं को संतोषजनक कार्रवाई का आश्वासन नहीं दे पाए, जिस कारण माहौल खराब होता गया।
हैरत वाली बात ये रही कि पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री तो भीड़ के कुछ लोगों के साथ जफ्फी डालते दिखाई दिए। एसएचओ भी जब मौके पर आए तो धरना उठवाने की बजाए पीछे वाले रास्ते से अपने कमरे में घुस गए।
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Tuesday, September 6, 2011
MP Police:Bhopal: भोपाल में बेखौफ हुए बदमाश, पुलिस कंट्रोल रुम के सामने कर दी वारदात..
भोपाल। जहांगीराबाद इलाके में बाइक सवार बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम के पास एक बुजुर्ग महिला के गले से चेन लूट कर फरार हो गए। वारदात के समय महिला अपने बेटे के साथ स्कूटर से छोटे बेटे के घर जा रही थी। महिला की शिकायत पर जहांगीराबाद पुलिस ने लूट का मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक शिवाजी नगर निवासी लक्ष्मण नेमा (40) सरकारी प्रेस में नौकरी करते हैं। रविवार रात करीब पौने आठ बजे वह अपनी मां राजकुमारी नेमा (70) के साथ स्कूटर से चौक बाजार निवासी छोटे भाई के घर जा रहे थे। अभी दोनों जेल पहाड़ी रोड स्थित पशु चिकित्सालय के आगे ही बढ़े थे कि रांग साइड से बाइक सवार दो युवक उनकी ओर आने लगे।
लक्ष्मण ने स्कूटर की रफ्तार जैसे ही धीमी की, बाइक पर पीछे बैठे बदमाश ने राजकुमारी के गले से करीब सवा तोला सोने की चेन झपट ली। लक्ष्मण कुछ समझ पाते, इससे पहले ही बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम की ओर फरार हो गए।
पुलिस के मुताबिक शिवाजी नगर निवासी लक्ष्मण नेमा (40) सरकारी प्रेस में नौकरी करते हैं। रविवार रात करीब पौने आठ बजे वह अपनी मां राजकुमारी नेमा (70) के साथ स्कूटर से चौक बाजार निवासी छोटे भाई के घर जा रहे थे। अभी दोनों जेल पहाड़ी रोड स्थित पशु चिकित्सालय के आगे ही बढ़े थे कि रांग साइड से बाइक सवार दो युवक उनकी ओर आने लगे।
लक्ष्मण ने स्कूटर की रफ्तार जैसे ही धीमी की, बाइक पर पीछे बैठे बदमाश ने राजकुमारी के गले से करीब सवा तोला सोने की चेन झपट ली। लक्ष्मण कुछ समझ पाते, इससे पहले ही बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम की ओर फरार हो गए।
MP Police: Jabalpur: मप्र हाईकोर्ट की सिरोहा टीआई पर तीखी टिप्पणी, कहा- अहंकारी है पुलिस का ये टीआई, डीजीपी को भेजी आर्डर की कॉपी..
जबलपुर. एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सिहोरा थाने के प्रभारी अशोक तिवारी के रवैये पर जमकर हैरानी जताई है। जस्टिस केके लाहोटी और जस्टिस सुषमा श्रीवास्तव की युगलपीठ ने टीआई के रवैये को अहंकारी प्रवृत्ति का निरूपित करते हुए इस आदेश की एक प्रति उनकी पर्सनल फाइल में रखने के निर्देश पुलिस महानिदेशक को दिये हैं।
सिहोरा निवासी उमा देवी गुप्ता ने याचिका में कहा है कि उन्होंने अपनी बेटी के विवाह के लिये दस फीसदी ब्याज पर 60 हजार रुपये रामदास साहू और जीपी चतुर्वेदी से लिये थे। रकम अदा करने के बाद भी उसे परेशान किया जा रहा था।
याचिका में आरोप है कि 27 जून 2010 को कुछ लोग आए और वे अपने साथ आवेदक के बेटे सोनू उर्फ संदीप कुमार गुप्ता को अपने साथ ले गए। उसके बाद से सोनू का कोई सुराग न लगने पर यह याचिका दायर की गई। इस मामले पर हाईकोर्ट ने पूर्व में आवेदक के पुत्र को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिये थे।
मामले पर गत दिवस हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सचिन सोनी, राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, सिहोरा एसडीओपी शशिकांत शर्मा और टीआई अशोक तिवारी हाजिर हुए। पुलिस अधिकारियों ने युगलपीठ को बताया कि उन्हें यह पता चला है कि सोनू गुप्ता का अपहरण नहीं हुआ, अलबत्ता कर्ज में दबा होने के कारण वह घर से गायब है।
सुनवाई के दौरान टीआई अशोक तिवारी ने भी अपना पक्ष युगलपीठ के समक्ष रखा। अपने आदेश में युगलपीठ ने लिखा है कि टीआई काफी अहंकारी ढंग और ऊंची आवाज में पेश आए, जिससे उनका रवैया अहंकारी प्रकृति का लगा।
युगलपीठ ने उन्हें समझाया कि वे एक पुलिस ऑफीसर हैं, जो सरकारी नौकर होते हैं। उनको जो अधिकार दिये गये, वे जनता की सेवा के लिये है, न कि उन पर राज करने के लिये। युगलपीठ ने उन्हें सलाह दी कि भविष्य में वे सीमा में रहें।
इन तमाम बातों को युगलपीठ ने आर्डरशीट में दर्ज करके इसकी एक प्रति डीजीपी को भेजने के निर्देश दिये। इसके साथ ही युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के पुत्र को 23 मार्च तक खोजने के निर्देश अनावेदक पुलिस अधिकारियों को दिये।
सिहोरा निवासी उमा देवी गुप्ता ने याचिका में कहा है कि उन्होंने अपनी बेटी के विवाह के लिये दस फीसदी ब्याज पर 60 हजार रुपये रामदास साहू और जीपी चतुर्वेदी से लिये थे। रकम अदा करने के बाद भी उसे परेशान किया जा रहा था।
याचिका में आरोप है कि 27 जून 2010 को कुछ लोग आए और वे अपने साथ आवेदक के बेटे सोनू उर्फ संदीप कुमार गुप्ता को अपने साथ ले गए। उसके बाद से सोनू का कोई सुराग न लगने पर यह याचिका दायर की गई। इस मामले पर हाईकोर्ट ने पूर्व में आवेदक के पुत्र को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिये थे।
मामले पर गत दिवस हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सचिन सोनी, राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, सिहोरा एसडीओपी शशिकांत शर्मा और टीआई अशोक तिवारी हाजिर हुए। पुलिस अधिकारियों ने युगलपीठ को बताया कि उन्हें यह पता चला है कि सोनू गुप्ता का अपहरण नहीं हुआ, अलबत्ता कर्ज में दबा होने के कारण वह घर से गायब है।
सुनवाई के दौरान टीआई अशोक तिवारी ने भी अपना पक्ष युगलपीठ के समक्ष रखा। अपने आदेश में युगलपीठ ने लिखा है कि टीआई काफी अहंकारी ढंग और ऊंची आवाज में पेश आए, जिससे उनका रवैया अहंकारी प्रकृति का लगा।
युगलपीठ ने उन्हें समझाया कि वे एक पुलिस ऑफीसर हैं, जो सरकारी नौकर होते हैं। उनको जो अधिकार दिये गये, वे जनता की सेवा के लिये है, न कि उन पर राज करने के लिये। युगलपीठ ने उन्हें सलाह दी कि भविष्य में वे सीमा में रहें।
इन तमाम बातों को युगलपीठ ने आर्डरशीट में दर्ज करके इसकी एक प्रति डीजीपी को भेजने के निर्देश दिये। इसके साथ ही युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के पुत्र को 23 मार्च तक खोजने के निर्देश अनावेदक पुलिस अधिकारियों को दिये।
MP Police:Bhopal: Sehla Masood Murder Case: सीबीआई के रिक्रिएशन से खुली भोपाल पुलिस की पोल, खूनी सबूतों की तलाश जारी..
भोपाल। तारीख- 5 सितंबर। दिन- सोमवार। कोहेफिजा की बीडीए कॉलोनी का मकान नंबर ए-100। घर के सामने खड़ी सेंट्रो कार में सवार युवती को बालकनी से देखती उसकी मौसी। अचानक युवती के पिता घर से निकलते हैं और अचेत हालत में पड़ी बेटी के चेहरे पर पानी के छींटे मारकर उसे होश में लाने की कोशिश करते हैं, लेकिन युवती की तो सांसें थम चुकी थीं।
इसके बाद युवती का भाई आता है, जो उसे ड्राइविंग सीट से उठाकर बाजू वाली सीट पर बिठाता है। यही दृश्य 16 अगस्त को भी था, जब सामाजिक कार्यकर्ता शेहला मसूद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रिक्रिएशन में शामिल सभी पात्र असली थे, सिवाय शेहला के। शेहला की जगह महिला कॉन्स्टेबल को बिठाया गया था।
वारदात के रिक्रिएशन से सीबीआई यह अनुमान लगा रही है कि शेहला का कातिल कार के पीछे छुपा था। उसने करीब से शेहला को गोली मारी। जिस समय यह हादसा हुआ शेहला ड्राइविंग सीट पर थी। सीबीआई खुदकुशी की आशंका से भी इनकार नहीं कर रही है। इस रिक्रिएशन के लिए सीबीआई की दिल्ली से सेंट्रल फॉरेंसिक लैब के विशेषज्ञों की छह सदस्यीय टीम आई थी।
सीबीआई भोपाल के डीआईजी हेमंत प्रियदर्शी, एसपी यतींद्र कोयल, डीएसपी भारतेंदु शर्मा, इंस्पेक्टर मुकेश तिवारी के साथ कोहेफिजा थाने के टीआई डीएस तोमर आदि भी यहां टीम की मदद के लिए मौजूद थे। रिक्रिएशन के बाद कार की पड़ताल में मैट के नीचे से चेन का पैंडल और कुछ फाइलें मिलीं। सीबीआई ने कार की सीट को भी खोल लिया। इस पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि भोपाल पुलिस को ये पैंडल व फाइलें क्यों नहीं मिलीं।
एक हफ्ते में आ सकती है रिपोर्ट
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रिक्रिएशन के बाद विशेषज्ञों की टीम समूह में बैठ कर चर्चा करेगी। रिक्रिएशन के वीडियो फुटेज और फोटो का घटना के तुरंत बाद लिए गए फोटो से मिलान किया जाएगा। यह रिक्रिएशन घटना के संदर्भ में अलग-अलग व्यक्तियों की जांच में काफी मददगार साबित होता है।
घर के सामने 3 घंटे चली पड़ताल
सुबह 11 बजे- सीबीआई और भोपाल पुलिस के अधिकारी कोहेफिजा स्थित शेहला के घर पहुंचे।
11:35- प्रारंभिक तैयारियों के बाद शेहला की सेंट्रो कार को क्रेन से मौके पर लाया गया।
11:40- सीबीआई के अधिकारी और दिल्ली से आई टीम इनोवा कार से मौके पर पहुंची।
दोपहर 12- कार को 16 अगस्त वाली स्थिति में खड़ा किया गया। इसके लिए पुलिस द्वारा लिए गए फोटो और परिजन से की गई बातचीत का सहारा लिया गया।
12:10- मेडिकोलीगल एक्सपर्ट डॉ. डीएस बड़कुल स्पॉट पर आए।
12:45- शेहला की मौसी से बातचीत और फोटो के आधार पर घर के बगीचे में लगे पेड़ की छंटाई कर 16 अगस्त की स्थिति में लाया गया।
12:50- महिला पुलिसकर्मी चंदा को शेहला के स्थान पर बैठा कर पहले मौसी को बालकनी से दिखाया गया। फिर पिताजी ने पड़ोस के मकान से अंजुली में पानी भर कर उसके ऊपर डाला। इसके बाद शेहला के स्थान एक पुरुष पुलिसकर्मी को बैठाया गया। उसे शेहला के भाई ने उठा कर बगल की सीट पर बिठाया।
(इसके बाद परिजनों के साथ टीम के कुछ सदस्य घर के भीतर चले गए। टीम के दूसरे सदस्यों ने बालकनी से कार की दूरी और अन्य मेजरमेंट दर्ज किए। बालकनी के जिन दो स्पॉट्स से शेहला की मौसी ने उसे देखा था, वे 19 और 21 फीट की दूरी पर थे।)
1:20- कार की डिक्की को खोला गया और मैट की भी तलाशी ली गई, जिसके नीचे से चेन का लॉकेट मिला। डिक्की में कुछ फाइलें भी मिलीं।
1:55- शेहला के स्थान पर पुरुष पुलिसकर्मी को बैठाया गया। टीम के ही एक सदस्य ने तीन बार कार के पीछे से आकर उसे गोली मारी। एक बार शेहला ने खुद को भी गोली मारी।
भोपाल पुलिस को क्यों नहीं मिला पैंडल
सीबीआई के इस रिक्रिएशन में भोपाल पुलिस की लापरवाही भी उजागर हुई। शेहला की कार से सीबीआई ने न केवल एक फाइल बल्कि पैंडल भी जब्त किया है। आखिर यह दोनों चीजें भोपाल पुलिस को क्यों नहीं दिखीं? इसके अलावा घटना के अगले दिन भोपाल पुलिस ने भी घटना का रिक्रिएशन किया था, लेकिन उसमें न तो कार की लोकेशन का ध्यान रखा गया था और न इस बात का कि परिवार का कौन सा सदस्य घटना के समय कहां मौजूद था? सीबीआई ने तो गैलरी में मौजूद मौसी की हाइट से शेहला के कार में बैठने तक की दूरी के नाप सहित अन्य छोटी-छोटी बातें भी नोट कीं।
इसके बाद युवती का भाई आता है, जो उसे ड्राइविंग सीट से उठाकर बाजू वाली सीट पर बिठाता है। यही दृश्य 16 अगस्त को भी था, जब सामाजिक कार्यकर्ता शेहला मसूद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रिक्रिएशन में शामिल सभी पात्र असली थे, सिवाय शेहला के। शेहला की जगह महिला कॉन्स्टेबल को बिठाया गया था।
वारदात के रिक्रिएशन से सीबीआई यह अनुमान लगा रही है कि शेहला का कातिल कार के पीछे छुपा था। उसने करीब से शेहला को गोली मारी। जिस समय यह हादसा हुआ शेहला ड्राइविंग सीट पर थी। सीबीआई खुदकुशी की आशंका से भी इनकार नहीं कर रही है। इस रिक्रिएशन के लिए सीबीआई की दिल्ली से सेंट्रल फॉरेंसिक लैब के विशेषज्ञों की छह सदस्यीय टीम आई थी।
सीबीआई भोपाल के डीआईजी हेमंत प्रियदर्शी, एसपी यतींद्र कोयल, डीएसपी भारतेंदु शर्मा, इंस्पेक्टर मुकेश तिवारी के साथ कोहेफिजा थाने के टीआई डीएस तोमर आदि भी यहां टीम की मदद के लिए मौजूद थे। रिक्रिएशन के बाद कार की पड़ताल में मैट के नीचे से चेन का पैंडल और कुछ फाइलें मिलीं। सीबीआई ने कार की सीट को भी खोल लिया। इस पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि भोपाल पुलिस को ये पैंडल व फाइलें क्यों नहीं मिलीं।
एक हफ्ते में आ सकती है रिपोर्ट
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रिक्रिएशन के बाद विशेषज्ञों की टीम समूह में बैठ कर चर्चा करेगी। रिक्रिएशन के वीडियो फुटेज और फोटो का घटना के तुरंत बाद लिए गए फोटो से मिलान किया जाएगा। यह रिक्रिएशन घटना के संदर्भ में अलग-अलग व्यक्तियों की जांच में काफी मददगार साबित होता है।
घर के सामने 3 घंटे चली पड़ताल
सुबह 11 बजे- सीबीआई और भोपाल पुलिस के अधिकारी कोहेफिजा स्थित शेहला के घर पहुंचे।
11:35- प्रारंभिक तैयारियों के बाद शेहला की सेंट्रो कार को क्रेन से मौके पर लाया गया।
11:40- सीबीआई के अधिकारी और दिल्ली से आई टीम इनोवा कार से मौके पर पहुंची।
दोपहर 12- कार को 16 अगस्त वाली स्थिति में खड़ा किया गया। इसके लिए पुलिस द्वारा लिए गए फोटो और परिजन से की गई बातचीत का सहारा लिया गया।
12:10- मेडिकोलीगल एक्सपर्ट डॉ. डीएस बड़कुल स्पॉट पर आए।
12:45- शेहला की मौसी से बातचीत और फोटो के आधार पर घर के बगीचे में लगे पेड़ की छंटाई कर 16 अगस्त की स्थिति में लाया गया।
12:50- महिला पुलिसकर्मी चंदा को शेहला के स्थान पर बैठा कर पहले मौसी को बालकनी से दिखाया गया। फिर पिताजी ने पड़ोस के मकान से अंजुली में पानी भर कर उसके ऊपर डाला। इसके बाद शेहला के स्थान एक पुरुष पुलिसकर्मी को बैठाया गया। उसे शेहला के भाई ने उठा कर बगल की सीट पर बिठाया।
(इसके बाद परिजनों के साथ टीम के कुछ सदस्य घर के भीतर चले गए। टीम के दूसरे सदस्यों ने बालकनी से कार की दूरी और अन्य मेजरमेंट दर्ज किए। बालकनी के जिन दो स्पॉट्स से शेहला की मौसी ने उसे देखा था, वे 19 और 21 फीट की दूरी पर थे।)
1:20- कार की डिक्की को खोला गया और मैट की भी तलाशी ली गई, जिसके नीचे से चेन का लॉकेट मिला। डिक्की में कुछ फाइलें भी मिलीं।
1:55- शेहला के स्थान पर पुरुष पुलिसकर्मी को बैठाया गया। टीम के ही एक सदस्य ने तीन बार कार के पीछे से आकर उसे गोली मारी। एक बार शेहला ने खुद को भी गोली मारी।
भोपाल पुलिस को क्यों नहीं मिला पैंडल
सीबीआई के इस रिक्रिएशन में भोपाल पुलिस की लापरवाही भी उजागर हुई। शेहला की कार से सीबीआई ने न केवल एक फाइल बल्कि पैंडल भी जब्त किया है। आखिर यह दोनों चीजें भोपाल पुलिस को क्यों नहीं दिखीं? इसके अलावा घटना के अगले दिन भोपाल पुलिस ने भी घटना का रिक्रिएशन किया था, लेकिन उसमें न तो कार की लोकेशन का ध्यान रखा गया था और न इस बात का कि परिवार का कौन सा सदस्य घटना के समय कहां मौजूद था? सीबीआई ने तो गैलरी में मौजूद मौसी की हाइट से शेहला के कार में बैठने तक की दूरी के नाप सहित अन्य छोटी-छोटी बातें भी नोट कीं।
MP Police: Gwaliar: कुख्यात अपराधी सरमन शिवहरे के सामने हारी ग्वालियर पुलिस, नहीं उगलवा पाई कई खूनी राज़..
ग्वालियर. कुख्यात अपराधी सरमन शिवहरे से पुलिस कई महत्वपूर्ण मामलों में जानकारी जुटाने में विफल रही। एक पखवाड़े तक उसे पांच थाना पुलिस की रिमांड में बारी-बारी से लिया गया था, लेकिन उसने कई सवालों पर चुप्पी साधे रखा।
लाख प्रयासों के बाद भी पुलिस उससे कई राज नहीं उगलवा सकी। अब उसे कुछ दिनों बाद फिर रिमांड पर सतना से ग्वालियर लाया जाएगा। सरमन को शहर में लाने से पहले पुलिस अफसरों की जो प्रश्नावली तैयार हुई थी, उसमें वारदातों से संबंधित जानकारियों के साथ पत्नी मोनिका के पता-ठिकाना जानने के लिए भी सवाल थे।
सरमन रिमांड के दौरान जिस थाने में पहुंचा, पुलिस ने हर तरीके से उसकी पत्नी का पता जानने की कोशिश की, लेकिन वह हर बार इनकार करता रहा।
राकेश जैन हत्याकांड में नहीं हो पाई पूछताछ:
कंपू थानाक्षेत्र के नया बाजार में हुए राकेश जैन हत्याकांड के बारे में पुलिस सरमन शिवहरे से पूछताछ नहीं कर पाई है।
इस मामले में पुलिस ने रामप्रीत गुर्जर को आरोपी बनाकर चार्जशीट प्रस्तुत की थी। इसके बाद सरमन से पूछताछ की अनुमति नहीं मिल पाई। अब पूछताछ के लिए पुलिस उसे कुछ दिनों बाद फिर ग्वालियर लाएगी
लाख प्रयासों के बाद भी पुलिस उससे कई राज नहीं उगलवा सकी। अब उसे कुछ दिनों बाद फिर रिमांड पर सतना से ग्वालियर लाया जाएगा। सरमन को शहर में लाने से पहले पुलिस अफसरों की जो प्रश्नावली तैयार हुई थी, उसमें वारदातों से संबंधित जानकारियों के साथ पत्नी मोनिका के पता-ठिकाना जानने के लिए भी सवाल थे।
सरमन रिमांड के दौरान जिस थाने में पहुंचा, पुलिस ने हर तरीके से उसकी पत्नी का पता जानने की कोशिश की, लेकिन वह हर बार इनकार करता रहा।
राकेश जैन हत्याकांड में नहीं हो पाई पूछताछ:
कंपू थानाक्षेत्र के नया बाजार में हुए राकेश जैन हत्याकांड के बारे में पुलिस सरमन शिवहरे से पूछताछ नहीं कर पाई है।
इस मामले में पुलिस ने रामप्रीत गुर्जर को आरोपी बनाकर चार्जशीट प्रस्तुत की थी। इसके बाद सरमन से पूछताछ की अनुमति नहीं मिल पाई। अब पूछताछ के लिए पुलिस उसे कुछ दिनों बाद फिर ग्वालियर लाएगी
Rajasthan Police: Jhodhpur: पुलिस की नाक में हुआ दम,अश्लील सीडी प्रकरण से जुड़ी एएनएम लापता,
जोधपुर। राज्य के एक कैबिनेट मंत्री की कथित सीडी को लेकर चर्चा में आई एएनएम भंवरी देवी की तलाश में पुलिस के आला अफसर दिन-रात एक करने में लगे हैं।
सीडी में मंत्री, विधायक समेत तीन नेताओं के नाम सामने आने के कारण रेंज आईजी और ग्रामीण एसपी रात तक बिलाड़ा थाने में डेरा जमा कर उसकी तलाश करवा रहे हैं और एएनएम से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को थाने लाकर पूछताछ कर रहे हैं। पुलिस को एएनएम की हत्या या आत्महत्या की भी आशंका है, इसलिए जोधपुर-पाली के कुओं, बावड़ियों में भी तलाश की जा रही है।
हालांकि एएनएम के पति ने उसके एक सितंबर से लापता होने की रिपोर्ट दी थी, लेकिन चिकित्सा विभाग के मुताबिक वह 25 अगस्त से नौकरी पर नहीं आ रही थी। पुलिस इन सात दिनों में एएनएम से मिलने व फोन पर बात करने वालों की छानबीन कर रही है।
सोमवार को पुलिस ने एएनएम का इश्तिहार जारी कर सूचना देने वाले को इनाम की घोषणा की है। साथ ही सुरक्षा के नाम पर उसके पति को भी पुलिस की निगरानी में रखा हुआ है। पुलिस ने पीएचईडी के उस कांट्रेक्टर को भी पकड़ रखा है जिससे पैसे लेने का कह कर एएनएम घर से निकली थी।
एक एएनएम, तीन नेता और पूरी पुलिस फोर्स!
तीन सीडी, तीन नेता
भंवरी देवी को तलाश करना पुलिस के लिए चुनौती और सरकार का सिरदर्द बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार भंवरी के पास तीन सीडी है। इन सीडी से संबद्ध व्यक्तियों में प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री, विधायक और पूर्व उप जिला प्रमुख भी शामिल हैं। इसलिए रेंज आईजी उमेश मिश्रा और ग्रामीण एसपी नवज्योति गोगोई एएनएम भंवरी की तलाश में पूरी ताकत झोंक रहे हैं और हर पल की जानकारी भी सरकार को भेज रहे हैं।
7 दिनों की गुत्थी में उलझी पुलिस
बोरुंदा में नियुक्तएएनएम भंवरी देवी के पति अमरचंद नट ने उसके एक सितंबर को लापता होना बताया है, जबकि जांच में पता चला है कि वह 24 अगस्त को अंतिम बार स्वास्थ्य केंद्र गई थी। उसके बाद वह बिना सूचना गैरहाजिर चल रही है। इन सात दिनों में वह कहां थी, इस संबंध में उसके पति से पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने इन सात दिनों में उसके मोबाइल की कॉल डिटेल भी निकाली है तथा जिन लोगों से उसकी बात हुई थी, उनसे भी पूछताछ की जा रही है।
पीएचईडी ठेकेदार से सुराग की उम्मीद
अमरचंद के मुताबिक उसकी पत्नी भंवरी एक सितंबर को खेजड़ला में तिलवासनी निवासी सोहनलाल विश्नोई से मिलने गई थी। अमरचंद का कहना है कि वह सोहनलाल से स्विफ्ट कार बेचने पर बकाया राशि लेने गई थी। पुलिस ने सोहनलाल को भी थाने में बैठा दिया है। सोहनलाल पीएचईडी का ठेकेदार है और काफी समय से भंवरी के संपर्क में था। पुलिस सोहन की बातों को तस्दीक कर रही है।
इनाम घोषित किया
जोधपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक उमेश मिश्रा ने बताया कि एएनएम भंवरी देवी की तलाश के लिए कई जगह टीमें भेजी गई हैं। कॉल डिटेल, पति और सोहनलाल से पूछताछ में सामने आए लोगों से भी पूछताछ कर रहे हैं। पुलिस ने एएनएम का फोटो व पेंफ्लेट जारी कर उसकी सूचना देने वाले को इनाम की घोषणा कर दी है। भंवरी का कद 5 फीट 6 इंच और रंग गोरा है। उसने कत्थई रंग की डिजाइनदार साड़ी पहन रखी है और उसके दाएं हाथ पर ‘बी’ लिखा हुआ है।
सीडी में मंत्री, विधायक समेत तीन नेताओं के नाम सामने आने के कारण रेंज आईजी और ग्रामीण एसपी रात तक बिलाड़ा थाने में डेरा जमा कर उसकी तलाश करवा रहे हैं और एएनएम से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को थाने लाकर पूछताछ कर रहे हैं। पुलिस को एएनएम की हत्या या आत्महत्या की भी आशंका है, इसलिए जोधपुर-पाली के कुओं, बावड़ियों में भी तलाश की जा रही है।
हालांकि एएनएम के पति ने उसके एक सितंबर से लापता होने की रिपोर्ट दी थी, लेकिन चिकित्सा विभाग के मुताबिक वह 25 अगस्त से नौकरी पर नहीं आ रही थी। पुलिस इन सात दिनों में एएनएम से मिलने व फोन पर बात करने वालों की छानबीन कर रही है।
सोमवार को पुलिस ने एएनएम का इश्तिहार जारी कर सूचना देने वाले को इनाम की घोषणा की है। साथ ही सुरक्षा के नाम पर उसके पति को भी पुलिस की निगरानी में रखा हुआ है। पुलिस ने पीएचईडी के उस कांट्रेक्टर को भी पकड़ रखा है जिससे पैसे लेने का कह कर एएनएम घर से निकली थी।
एक एएनएम, तीन नेता और पूरी पुलिस फोर्स!
तीन सीडी, तीन नेता
भंवरी देवी को तलाश करना पुलिस के लिए चुनौती और सरकार का सिरदर्द बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार भंवरी के पास तीन सीडी है। इन सीडी से संबद्ध व्यक्तियों में प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री, विधायक और पूर्व उप जिला प्रमुख भी शामिल हैं। इसलिए रेंज आईजी उमेश मिश्रा और ग्रामीण एसपी नवज्योति गोगोई एएनएम भंवरी की तलाश में पूरी ताकत झोंक रहे हैं और हर पल की जानकारी भी सरकार को भेज रहे हैं।
7 दिनों की गुत्थी में उलझी पुलिस
बोरुंदा में नियुक्तएएनएम भंवरी देवी के पति अमरचंद नट ने उसके एक सितंबर को लापता होना बताया है, जबकि जांच में पता चला है कि वह 24 अगस्त को अंतिम बार स्वास्थ्य केंद्र गई थी। उसके बाद वह बिना सूचना गैरहाजिर चल रही है। इन सात दिनों में वह कहां थी, इस संबंध में उसके पति से पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने इन सात दिनों में उसके मोबाइल की कॉल डिटेल भी निकाली है तथा जिन लोगों से उसकी बात हुई थी, उनसे भी पूछताछ की जा रही है।
पीएचईडी ठेकेदार से सुराग की उम्मीद
अमरचंद के मुताबिक उसकी पत्नी भंवरी एक सितंबर को खेजड़ला में तिलवासनी निवासी सोहनलाल विश्नोई से मिलने गई थी। अमरचंद का कहना है कि वह सोहनलाल से स्विफ्ट कार बेचने पर बकाया राशि लेने गई थी। पुलिस ने सोहनलाल को भी थाने में बैठा दिया है। सोहनलाल पीएचईडी का ठेकेदार है और काफी समय से भंवरी के संपर्क में था। पुलिस सोहन की बातों को तस्दीक कर रही है।
इनाम घोषित किया
जोधपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक उमेश मिश्रा ने बताया कि एएनएम भंवरी देवी की तलाश के लिए कई जगह टीमें भेजी गई हैं। कॉल डिटेल, पति और सोहनलाल से पूछताछ में सामने आए लोगों से भी पूछताछ कर रहे हैं। पुलिस ने एएनएम का फोटो व पेंफ्लेट जारी कर उसकी सूचना देने वाले को इनाम की घोषणा कर दी है। भंवरी का कद 5 फीट 6 इंच और रंग गोरा है। उसने कत्थई रंग की डिजाइनदार साड़ी पहन रखी है और उसके दाएं हाथ पर ‘बी’ लिखा हुआ है।
Punjab Police: Chandigarh: पहले पुलिस की गाड़ी का चालान काटो, फिर हमारा
चंडीगढ़. पब्लिक का चालान काटने गई चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस ने खुद सड़क के कायदे तोड़ दिए। मंगलवार को सेक्टर 17 में होटल के सामने पुलिस ने जहां अपनी गाड़ी खड़ी की, वहीं खड़ी लोगों की गाड़ियों के चालान काटे। इसका लोगों ने विरोध किया और कहा कि पुलिस की गाड़ी भी गलत खड़ी है। इस दौरान पुलिस वाले खुद आईएसआई मार्का हेलमेट नहीं पहने थे।
डीआईजी आलोक कुमार की अगुआई में पुलिस चालान काटने पहुंची थी। पुलिस ने दर्जनों चालान काटे। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि पार्किग के पैसे देने के बाद भी उनके चालान क्यों कट रहे हैं। पुलिस ने लोगों को दलील दी कि सड़क पर वाहन पार्क नहीं हो सकते। पब्लिक भड़की और फिर हंगामा शुरू हो गया।
पब्लिक ने एक पुलिस वाले को घेर लिया और उसके सिर से हेलमेट निकालकर कर दिखाया कि उस पर आईएसआई मार्क नहीं है। लोगों ने यह भी कहा कि पुलिस की गाड़ियां भी नो पार्किग में खड़ी हैं। गुस्साए लोगों ने पुलिसवालों को घेर लिया और कहा कि पहले अपनी गाड़ियों के चालान काटो तभी जाने देंगे। माहौल खराब होते देख अफसर तो चुपचाप निकल लिए, लेकिन हवलदार और कांस्टेबल फंस गए।
इन्होंने फिर मौके पर अपने दो ट्रैफिक इंस्पेक्टर बुलाकर मसला निपटाना चाहा। लेकिन पब्लिक न मानी, उन्होंने इन इंस्पेक्टरों को भी रोके रखा। बाद में पुलिस ने कहा कि वह नगर निगम और पार्किग ठेकेदारों पर भी कार्रवाई करेंगे कि उन्होंने सड़क को कैसे पार्किग बना दिया। इसके बाद लोग शांत हुए।
पुलिस भी हैरान निगम ने कैसे बेच दी सड़क
हंगामे के दौरान जब लोगों ने पुलिस को पेड पार्किग की स्लिप दिखाई, तो पुलिस भी एक बार हैरत में पड़ गई। अब पुलिस ने फैसला किया है, कि वह नगर निगम से बात करेगी कि आखिर किस आधार पर अवैध पार्किग पर लोगों से पैसा वसूला जा रहा है।
पब्लिक को कुछ समझाओ, तो उन्हें गलत ही लगता है। हमने नगर निगम को भी चिट्ठी भेजी है कि आखिर सड़क पर पेड पार्किग कैसे बना दी। उनसे पूछा गया है कि ठेकेदार कैसे उगाही कर रहा है और निगम का रुख क्या है।
डीआईजी आलोक कुमार की अगुआई में पुलिस चालान काटने पहुंची थी। पुलिस ने दर्जनों चालान काटे। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि पार्किग के पैसे देने के बाद भी उनके चालान क्यों कट रहे हैं। पुलिस ने लोगों को दलील दी कि सड़क पर वाहन पार्क नहीं हो सकते। पब्लिक भड़की और फिर हंगामा शुरू हो गया।
पब्लिक ने एक पुलिस वाले को घेर लिया और उसके सिर से हेलमेट निकालकर कर दिखाया कि उस पर आईएसआई मार्क नहीं है। लोगों ने यह भी कहा कि पुलिस की गाड़ियां भी नो पार्किग में खड़ी हैं। गुस्साए लोगों ने पुलिसवालों को घेर लिया और कहा कि पहले अपनी गाड़ियों के चालान काटो तभी जाने देंगे। माहौल खराब होते देख अफसर तो चुपचाप निकल लिए, लेकिन हवलदार और कांस्टेबल फंस गए।
इन्होंने फिर मौके पर अपने दो ट्रैफिक इंस्पेक्टर बुलाकर मसला निपटाना चाहा। लेकिन पब्लिक न मानी, उन्होंने इन इंस्पेक्टरों को भी रोके रखा। बाद में पुलिस ने कहा कि वह नगर निगम और पार्किग ठेकेदारों पर भी कार्रवाई करेंगे कि उन्होंने सड़क को कैसे पार्किग बना दिया। इसके बाद लोग शांत हुए।
पुलिस भी हैरान निगम ने कैसे बेच दी सड़क
हंगामे के दौरान जब लोगों ने पुलिस को पेड पार्किग की स्लिप दिखाई, तो पुलिस भी एक बार हैरत में पड़ गई। अब पुलिस ने फैसला किया है, कि वह नगर निगम से बात करेगी कि आखिर किस आधार पर अवैध पार्किग पर लोगों से पैसा वसूला जा रहा है।
पब्लिक को कुछ समझाओ, तो उन्हें गलत ही लगता है। हमने नगर निगम को भी चिट्ठी भेजी है कि आखिर सड़क पर पेड पार्किग कैसे बना दी। उनसे पूछा गया है कि ठेकेदार कैसे उगाही कर रहा है और निगम का रुख क्या है।
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