जालंधर . मकसूदां थाने की पुलिस सोमवार को चंद नेताओं की बदतमीजी और अश्लील शब्दों के आगे ढेर होती दिखी। अमन-शांति भंग करने वाले युवक को हिरासत में लेने के बाद थाने के बाहर जुटी भीड़ में शामिल कुछ लोग इतने ‘हिम्मती’ थे, जिन्होंने पुलिस अधिकारियों को सरेआम गालियां निकाली। बजाय उन्हें रोकने के, पुलिस अफसरों ने कमरे में बंद रहना बेहतर समझा।
यहां तक कि एसएचओ परमजीत सिंह के सामने एएसआई बलबीर सिंह को गालियां निकाली गई, मगर वह भी उन्हें रोक न पाए। नौबत तो यहां तक आ गई कि कुछ नेताओं ने मुलाजिमों से हाथापाई करने की भी कोशिश की। एसएचओ परमजीत सिंह अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकले।
बड़ी बात ये भी कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ढाई घंटे बाद डीएसपी जगदीप सिंह थाने पहुंचे और वह भी एसएचओ के कमरे में घुस गए। उन्होंने भी धरना देने वाले लोगों को समझाने की कोशिश नहीं कि जिस कारण विवाद बढ़ता चला गया। गुस्साई भीड़ कभी सड़क पर जाम लगा रही थी तो कभी वाहनों को जबरन रोक रही थी। कुछ राहगीरों से मारपीट की भी खबर है।
शुरू में बरती ढिलाई: 12 बजे विवाद शुरू हुआ, जो 3 बजे तक चला। शुरुआत में ही पुलिस मुलाजिमों ने नेताओं व लोगों को प्यार से समझाया होता, तो विवाद इस हद तक न बढ़ता। सबसे पहले मौके पर थाना-एक के एसआई केवल किशोर, एएसआई विजय कुमार, एएसआई जगदीश कुमार और पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री पहुंचे। सभी ढीले रवैये से पेश आए और नेताओं को संतोषजनक कार्रवाई का आश्वासन नहीं दे पाए, जिस कारण माहौल खराब होता गया।
हैरत वाली बात ये रही कि पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री तो भीड़ के कुछ लोगों के साथ जफ्फी डालते दिखाई दिए। एसएचओ भी जब मौके पर आए तो धरना उठवाने की बजाए पीछे वाले रास्ते से अपने कमरे में घुस गए।
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