लुधियाना . पुलिस के अधूरे पड़े प्रोजेक्टों की फेहरिस्त लंबी है। इन अधूरे पड़े प्रोजेक्टों में लगा धन, वक्त और अपेक्षाएं सब बेकार साबित हो रही हैं। इसका ताजा उदाहरण चौकों पर बनने वाले ट्रैफिक पुलिस के स्थायी बूथ हैं। चौकों पर जगह लेकर पुलिस ने करीब दो वर्ष पहले स्थायी बूथ बनाने शुरू किए थे। जिला पुलिस के शीर्ष में बदलाव के साथ नए आए अफसरों की प्राथमिकताएं भी बदल गईं। लिहाजा, पुराने अफसरों की ओर से आरंभ किए गए प्रोजेक्ट जाया चले गए।
ट्रैफिक बूथों का निर्माण पुलिस कर्मियों को तेज धूप, बारिश व आंधी आदि से बचाने के लिए किया गया था। अकसर ऐसी स्थिति में पुलिस कर्मियों को पास की किसी दुकान या मकान में शरण लेनी पड़ रही थी। यह प्रोजेक्ट तत्कालीन एसएसपी डा. सुखचैन सिंह गिल के कार्यकाल में आरंभ किया गया था।
यह बूथ पक्के बनाए जाने थे और सभी तरफ नजर रखने के लिए इसमें बड़ी खिड़कियां लगाई जानी थीं। माडल के तौर पर पुलिस ने फव्वारा चौक के पास एक ऐसा बूथ तैयार कर लिया था। इसमें सड़क हादसे के घायलों के लिए फस्र्ट एड दिए जाने का भी प्रावधान था। इससे पहले कि प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाता, लुधियाना में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया। नए कमिश्नर के तौर पर ईश्वर सिंह ने चार्ज संभाला। उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं और यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया।
आलम यह है कि पुलिस कर्मी चौकों के एक किनारे ही बैठ कर काम करते हैं और बारिश होने पर किसी नजदीकी दुकान या मकान में शरण लेने के लिए दौड़ते हैं। माडल के तौर पर बनाया गए बूथ पर अनदेखी की मार पड़ने लगी है।
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