नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में विदेशी कॉलगर्ल्स का धंधा अब खुलेआम होता जा रहा है। पुलिस के छापों और धरपकड़ से बचने के लिए विदेशी कॉलगर्ल्स राजधानी के पॉश कॉलोनियों में शोध छात्राएं बनकर रह रही हैं। और अपने आपको शोध छात्राएं बता कर मकान मालिक से किराए का मकान हासिल करती हैं।
प्रूफ के तौर पर विदेशी लड़कियां मकान मालिक को पासपोर्ट की कॉपी थमाती हैं। भारतीय किरायदारों की तुलना में इनसे मकान मालिकों को किराया अच्छा मिलता है। जिसके लालच में आकर मकान मालिक नियमों की धज्जियां उड़ाकर किरायदारों का वेरीफिकेशन करना भी जरूरी नहीं समझते।
दिल्ली पुलिस के अपराध शाखा में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहाड़गंज, नबीकरीम और करोलबाग के होटल विदेशी कॉलगर्ल्स के लिए बदनाम हो चुके हैं। इसलिए अब कॉलगर्ल्स ने अपना नया ठिकाना बना लिया है। विदेशी युवतियां शहर के प्रोपर्टी डीलरों के माध्यम से मकान मालिकों को मुंह मांगी कीमतें देकर पॉश कॉलोनियों जैसे बसंत विहार, बसंत कुंज, ग्रेटर कैलाश, पंपोस इंकलेव, मालवीय नगर, ग्रीन पार्क, साउथ एक्सटेंटशन जैसे इलाकों मे अपना ठिकाना बना रही हैं।
पॉश कॉलोनियों में ठहरने के कारण युवतियों का स्टेटस भी हाई होने लगा है। यहीं नहीं इसका फायदा वह ग्राहकों से मुंह मांगी कीमत लेकर उठाती हैं। इतना ही नहीं इन कॉलोनियों के लोग खुले विचार के हैं तो इस तरह के बातों पर ध्यान भी नहीं देते। उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं होता।
एक बार मकान लेने के बाद इन मकानों में विदेशी युवतियों का आना-जाना लगा रहता है। वीजा की अवधि समाप्त होते ही विदेशी युवती अपनी किसी अन्य साथी को मकान में रूकवा जाती हैं। और मकान मालिक को वापस आने का वादा कर विदेश चली जाती हैं। ताकि उनका मकान उनके पास ही रहे और कोई अन्य वहां आ भी ना पाए।
साउथ एक्सटेंशन में प्रोपर्टी का व्यवसाय करने वाला राजेन्द्र कुमार ने बताया कि वह ऐसी बहुत सारी विदेशी लड़कियों को जानते हैं जो देह व्यापार का धंधा करती हैं। यह लड़कियां लगभग 10 सालों से एक ही मकान में रह रही हैं। अगर उन्हें विदेश भी जाना होता है तो वह अन्य किसी लड़की को रूकवा कर चली जाती हैं। और फिर वापस आकर वहीं रहने लगती हैं।
इन विदेशी लड़कियों की खासियत है कि वो तय समय पर मकान मालिक को अपने किराए के पैसे देती हैं। वह या तो कैश देती हैं या फिर उनके अकाउंट में जमा करवाती हैं। यूं तो अक्सर मकान मालिकों को अपने घर पर किराएदारों द्वारा कब्जा करने का डर रहता है। लेकिन इन विदेशी बालाओं को लंबे समय तक किराएदार के रूप में रखने में मकान मालिकों को कोई परेशानी नहीं होती है। यह विदेशी बालाएं 30 हजार से लेकर 80 हजार तक का मासिक किराया आसानी से मकान मालिकों को देती हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे जानते हुए भी कि ये विदेशी बालाएं क्या धंधा करती हैं, के बावजूद इन्हें वे गिरफ्तार नहीं कर सकते। विदेशी होने के कारण बिना प्रमाण उन्हें धरपकड़ नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि विदेशी बालाओं को पकड़ने के लिए पुलिस को प्लान बनाना पड़ता है। पुराने ग्राहक के जरिए या वेबसाइट पर कॉलगर्ल्स मुहै्या करवाने वाले गिरोह का पता लगाकर इनसे सौदा किया जाता है। सौदा होने के बाद इन युवतियों के ठिकानों पर पहुंच कर सबूतों के आधार पर ही इन विदेशी युवतियों को गिरफ्तार कर सकते हैं।
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