नई दिल्ली.हत्या के मामले के पांच आरोपियों को अदालत ने छोड़ दिया है। वजह, मरने वाले व्यक्ति के अंतिम बयान में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ था जिन्हें रोजमर्रा की बातचीत में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बयान पुलिस ने लिया था।
अतिरिक्त सेशन जज मनोज जैन ने कहा कि ऐसे शब्द मृत्यु पूर्व बयान की सत्यता पर संदेह पैदा करते हैं। उन्होंने सर्वेश के अंतिम बयान में आए ‘पता उपरोक्त’, ‘मय परिवार’, ‘एक मुश्त’, ‘एक नीयत’ जैसे शब्दों को इंगित किया।
अदालत ने इन्हें ‘विचित्र’ करार दिया। क्योंकि साधारणत: आम आदमी रोजमर्रा की बातचीत में इनका इस्तेमाल नहीं करते। फिर वैसे हालात में तो और भी मुश्किल है जब व्यक्ति गंभीर हाल में मृत्यु शैया पर पड़ा हो।
इसके साथ ही अदालत ने नवीन कुमार गुप्ता, गयासी कश्यप, उमेश प्रसाद, राजू और जितेंद्र कुमार को बरी कर दिया। अभियोजन का कहना था कि इन लोगों ने 26 जुलाई 2010 को सर्वेश तथा अंकुश की कथित रूप से लोहे की छड़ों और बेसबाल के बैट से पिटाई थी।
फिर उनपर चाकुओं से भी हमला किया था। इसके बाद उपचार के दौरान सर्वेश ने दम तोड़ दिया था लेकिन अंकुश बच गया। अदालत ने पुलिस के इस बयान पर भी संदेह जताया कि गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद सर्वेश बयान देने के लिए केवल 15 मिनट तक ठीक रहा।
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