KOLKATA: A public-private partnership model in the healthcare system envisaged by the state government has finally taken shape. In all probability, Kolkata Police will enter into an agreement with the M P Birla Group to run a state-of-the-art trauma care centre at Kolkata Police Hospital in Bhowanipore. While none in the government was willing to comment on the private partners roped in to give the 300-bed hospital a much-needed facelift, it is understood that the Group, now headed by Harsh Vardhan Lodha, will join hands with city police.
On August 12, chief minister Mamata Banerjee had outlined her vision for the trauma-care centre. People living below the poverty line and having BPL cards will get a discount of Rs 35,000 in the new facility. Others, who are not affluent but don't have BPL cards, could avail a three-day package by paying 50% of the total medical cost. The chief minister's personal initiative in the project could be gauged by the fact that she had sanctioned funds from MPLAD funds to enable procurement of trauma-care ambulances.
The chief minister also wanted the hospital to shed its "exclusive for policemen" tag and be open to general public as well. The hospital - right in the heart of the city at Bhowanipore's Beninandan Street - had the potential to be bigger in size with much better facilities, she had informed her aides.
The hospital, incidentally, started small back in 1897 in Amherst Street to treat contagious diseases which frequently plagued Kolkata Police personnel. In 1921, it was moved to its Bhowanipore location. Lodha, who runs the multi-speciality Belle View Clinic, confirmed the development, saying, "Plans have been submitted to build a state-of-the-art trauma care centre at the hospital."
Not elaborating, Dr Sudhir Mishra, additional commissioner of police (I), said, "A proposal has been submitted for government's consideration. We are keeping all options open. A decision to this effect will be taken shortly."
Belle View CEO Dr V Tandon only said, "I will be in a position to comment later."
Setting trauma-care units in government-run hospitals, including Kolkata Police Hospital, was a proposal mooted even during the erstwhile Left regime. Nearly Rs 16 crore was allocated for it. R G Kar Hospital was first in the block to have such a centre in place. The allocation was also meant for NRS Medical College, MR Bangur Hospital and six district hospitals.
At present, city police has 12 transit trauma care ambulances. The Kolkata Municipal Corporation (KMC) had provided six more to it. Plans are afoot to buy another 18 by the KMC and hand them over to police in phases. These ambulances will be parked in key intersections and will be equipped to dash all accident victims to the nearest trauma-care centre. These centres will have facilities for resuscitation, ICU ventilator, multi-channel monitor, infusion pump, blood gas analyzer, patient warming system, multi-purpose electro hydraulic OT tables and diathermy machines.
The police hospital is now reeling under severe manpower crunch. It has a sanctioned strength of 35 doctors, 62 nurses and 128 medical support staff. However, only 17 doctors are running the show at present, including a surgeon, a radiologist and an anesthetist. A Kolkata Police data shows these trauma-care ambulances do make a difference, with the past year's data showing that 12 trauma-care ambulances had dashed 484 patients to hospitals - only five had died.
पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Tuesday, September 6, 2011
Delhi Police:former Lok Sabha speaker insisted that MPs should have gone to Delhi Police first..
New Delhi: Reacting to the arrests of Rajya Sabha MP and former Samajwadi Party leader Amar Singh and former BJP MPs Faggan Singh Kulaste and Mahavir Singh Bhagora in the cash-for-votes scam, the then Lok Sabha speaker Somnath Chatterjee said, "What happened on July 23 was bad and serious. It's a judicial process."
But the former Lok Sabha speaker insisted that MP's should have gone to Delhi Police or informed the matter to him first.
"Police should have been contacted immediately. FIR could have been lodged then and there, instead of creating all these paraphernalia," said Chatterjee.
But the former Lok Sabha speaker insisted that MP's should have gone to Delhi Police or informed the matter to him first.
"Police should have been contacted immediately. FIR could have been lodged then and there, instead of creating all these paraphernalia," said Chatterjee.
Delhi Police: दिल्ली पुलिस की कछुआ चाल, तीन साल में 47 फीसदी मामलों का हुआ बुरा हाल
नई दिल्ली.दिल्ली पुलिस भले ही अपराध पर अंकुश लगाने के बड़े-बड़े दावे करती रही हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बीते साढ़े तीन साल में दिल्ली पुलिस के विभिन्न थानों में कुल 1 लाख 81 हजार मामले दर्ज किए गए, लेकिन इनमें से मात्र 96 हजार मामले ही पुलिस सुलझा सकी।
बाकी 85 हजार (47 प्रतिशत) मामले या तो पुलिस के ढुलमुल रवैये की भेंट चढ़ गए, अन्यथा फॉरेंसिक जांच में विलंब, शिकायतकर्ता के असहयोग व अन्य कारणों से लंबित पड़े हैं। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष 31 जुलाई 2011 तक 30,904 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 13,764 मामले ही सुलझाए जा सके।
यानी 50 प्रतिशत से अधिक मामले इस वर्ष अनसुलझे ही पुलिस की फाइलों में पड़े रह गए। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि फॉरेंसिक की रिपोर्ट आने में देरी होना व अदालती फाइलों को पूरा करना आदि कारणों के चलते अक्सर बहुत से मामले सुलझाने में पुलिस को देरी हो जाती है।
बाकी 85 हजार (47 प्रतिशत) मामले या तो पुलिस के ढुलमुल रवैये की भेंट चढ़ गए, अन्यथा फॉरेंसिक जांच में विलंब, शिकायतकर्ता के असहयोग व अन्य कारणों से लंबित पड़े हैं। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष 31 जुलाई 2011 तक 30,904 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 13,764 मामले ही सुलझाए जा सके।
यानी 50 प्रतिशत से अधिक मामले इस वर्ष अनसुलझे ही पुलिस की फाइलों में पड़े रह गए। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि फॉरेंसिक की रिपोर्ट आने में देरी होना व अदालती फाइलों को पूरा करना आदि कारणों के चलते अक्सर बहुत से मामले सुलझाने में पुलिस को देरी हो जाती है।
Delhi Police: सुना है कभी ऐसा, इस बार प्रेमिका ने फेंका प्रेमी पर तेजाब..क्या आप कहेंगे नारी सशक्तिकरण जिंदाबाद..
नई दिल्ली.आनंद विहार के क्रॉसरिवर मॉल के पास रविवार दोपहर एक युवती ने अपने प्रेमी के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। विनीत (27) नामक पीड़ित युवक को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आरोपी युवती आरती (25) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
घटना रविवार दोपहर 12 बजे की है। आनंद विहार थाना पुलिस को सूचना मिली कि क्रॉसरिवर मॉल के पास एक युवक के चेहरे पर उसकी ही साथी युवती ने तेजाब डाल दिया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पीड़ित को डा. हेडगेवार अस्पताल में पहुंचाया, जहां उसकी हालत को देखते हुए जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया गया।
विनीत मौजपुर का निवासी है। उसके पिता मूर्ति के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। जबकि आरोपी युवती आरती यमुना विहार की रहने वाली है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक युवक-युवती पिछले कई सालों से एक-दूसरे को जानते हैं। रविवार को दोनों फिल्म देखने पहुंचे थे, लेकिन टिकट नहीं मिला तो वे मॉल के बाहर ही बैठ गए। बताया जाता है कि इसी दौरान आरती ने विनीत के चेहरे पर एक बोतल में मौजूद कुछ द्रव्य फेंक दिया।
बताया जाता है कि यह तेजाब था, जिससे विनीत का चेहरा झुलस गया। माना जा रहा है कि दोनों में किसी बात को लेकर मनमुटाव चल रहा था, जिसके चलते आरती ने सुनियोजित तरीके से विनीत पर तेजाब फेंका। आरती के पास बैग था, वह इसी में तेजाब लेकर पहुंची थी। पुलिस ने आरती को गिरफ्तार कर लिया है और पूछताछ करने में जुट गई है।
घटना रविवार दोपहर 12 बजे की है। आनंद विहार थाना पुलिस को सूचना मिली कि क्रॉसरिवर मॉल के पास एक युवक के चेहरे पर उसकी ही साथी युवती ने तेजाब डाल दिया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पीड़ित को डा. हेडगेवार अस्पताल में पहुंचाया, जहां उसकी हालत को देखते हुए जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया गया।
विनीत मौजपुर का निवासी है। उसके पिता मूर्ति के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। जबकि आरोपी युवती आरती यमुना विहार की रहने वाली है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक युवक-युवती पिछले कई सालों से एक-दूसरे को जानते हैं। रविवार को दोनों फिल्म देखने पहुंचे थे, लेकिन टिकट नहीं मिला तो वे मॉल के बाहर ही बैठ गए। बताया जाता है कि इसी दौरान आरती ने विनीत के चेहरे पर एक बोतल में मौजूद कुछ द्रव्य फेंक दिया।
बताया जाता है कि यह तेजाब था, जिससे विनीत का चेहरा झुलस गया। माना जा रहा है कि दोनों में किसी बात को लेकर मनमुटाव चल रहा था, जिसके चलते आरती ने सुनियोजित तरीके से विनीत पर तेजाब फेंका। आरती के पास बैग था, वह इसी में तेजाब लेकर पहुंची थी। पुलिस ने आरती को गिरफ्तार कर लिया है और पूछताछ करने में जुट गई है।
Delhi Police: Foreigner Call Girls : दिल्ली पुलिस है बेखबर, शोध छात्राएं बन अब पॉश कॉलोनियों में ऑपरेट कर रही है विदेशी कॉलगर्ल्स,
नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में विदेशी कॉलगर्ल्स का धंधा अब खुलेआम होता जा रहा है। पुलिस के छापों और धरपकड़ से बचने के लिए विदेशी कॉलगर्ल्स राजधानी के पॉश कॉलोनियों में शोध छात्राएं बनकर रह रही हैं। और अपने आपको शोध छात्राएं बता कर मकान मालिक से किराए का मकान हासिल करती हैं।
प्रूफ के तौर पर विदेशी लड़कियां मकान मालिक को पासपोर्ट की कॉपी थमाती हैं। भारतीय किरायदारों की तुलना में इनसे मकान मालिकों को किराया अच्छा मिलता है। जिसके लालच में आकर मकान मालिक नियमों की धज्जियां उड़ाकर किरायदारों का वेरीफिकेशन करना भी जरूरी नहीं समझते।
दिल्ली पुलिस के अपराध शाखा में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहाड़गंज, नबीकरीम और करोलबाग के होटल विदेशी कॉलगर्ल्स के लिए बदनाम हो चुके हैं। इसलिए अब कॉलगर्ल्स ने अपना नया ठिकाना बना लिया है। विदेशी युवतियां शहर के प्रोपर्टी डीलरों के माध्यम से मकान मालिकों को मुंह मांगी कीमतें देकर पॉश कॉलोनियों जैसे बसंत विहार, बसंत कुंज, ग्रेटर कैलाश, पंपोस इंकलेव, मालवीय नगर, ग्रीन पार्क, साउथ एक्सटेंटशन जैसे इलाकों मे अपना ठिकाना बना रही हैं।
पॉश कॉलोनियों में ठहरने के कारण युवतियों का स्टेटस भी हाई होने लगा है। यहीं नहीं इसका फायदा वह ग्राहकों से मुंह मांगी कीमत लेकर उठाती हैं। इतना ही नहीं इन कॉलोनियों के लोग खुले विचार के हैं तो इस तरह के बातों पर ध्यान भी नहीं देते। उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं होता।
एक बार मकान लेने के बाद इन मकानों में विदेशी युवतियों का आना-जाना लगा रहता है। वीजा की अवधि समाप्त होते ही विदेशी युवती अपनी किसी अन्य साथी को मकान में रूकवा जाती हैं। और मकान मालिक को वापस आने का वादा कर विदेश चली जाती हैं। ताकि उनका मकान उनके पास ही रहे और कोई अन्य वहां आ भी ना पाए।
साउथ एक्सटेंशन में प्रोपर्टी का व्यवसाय करने वाला राजेन्द्र कुमार ने बताया कि वह ऐसी बहुत सारी विदेशी लड़कियों को जानते हैं जो देह व्यापार का धंधा करती हैं। यह लड़कियां लगभग 10 सालों से एक ही मकान में रह रही हैं। अगर उन्हें विदेश भी जाना होता है तो वह अन्य किसी लड़की को रूकवा कर चली जाती हैं। और फिर वापस आकर वहीं रहने लगती हैं।
इन विदेशी लड़कियों की खासियत है कि वो तय समय पर मकान मालिक को अपने किराए के पैसे देती हैं। वह या तो कैश देती हैं या फिर उनके अकाउंट में जमा करवाती हैं। यूं तो अक्सर मकान मालिकों को अपने घर पर किराएदारों द्वारा कब्जा करने का डर रहता है। लेकिन इन विदेशी बालाओं को लंबे समय तक किराएदार के रूप में रखने में मकान मालिकों को कोई परेशानी नहीं होती है। यह विदेशी बालाएं 30 हजार से लेकर 80 हजार तक का मासिक किराया आसानी से मकान मालिकों को देती हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे जानते हुए भी कि ये विदेशी बालाएं क्या धंधा करती हैं, के बावजूद इन्हें वे गिरफ्तार नहीं कर सकते। विदेशी होने के कारण बिना प्रमाण उन्हें धरपकड़ नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि विदेशी बालाओं को पकड़ने के लिए पुलिस को प्लान बनाना पड़ता है। पुराने ग्राहक के जरिए या वेबसाइट पर कॉलगर्ल्स मुहै्या करवाने वाले गिरोह का पता लगाकर इनसे सौदा किया जाता है। सौदा होने के बाद इन युवतियों के ठिकानों पर पहुंच कर सबूतों के आधार पर ही इन विदेशी युवतियों को गिरफ्तार कर सकते हैं।
प्रूफ के तौर पर विदेशी लड़कियां मकान मालिक को पासपोर्ट की कॉपी थमाती हैं। भारतीय किरायदारों की तुलना में इनसे मकान मालिकों को किराया अच्छा मिलता है। जिसके लालच में आकर मकान मालिक नियमों की धज्जियां उड़ाकर किरायदारों का वेरीफिकेशन करना भी जरूरी नहीं समझते।
दिल्ली पुलिस के अपराध शाखा में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहाड़गंज, नबीकरीम और करोलबाग के होटल विदेशी कॉलगर्ल्स के लिए बदनाम हो चुके हैं। इसलिए अब कॉलगर्ल्स ने अपना नया ठिकाना बना लिया है। विदेशी युवतियां शहर के प्रोपर्टी डीलरों के माध्यम से मकान मालिकों को मुंह मांगी कीमतें देकर पॉश कॉलोनियों जैसे बसंत विहार, बसंत कुंज, ग्रेटर कैलाश, पंपोस इंकलेव, मालवीय नगर, ग्रीन पार्क, साउथ एक्सटेंटशन जैसे इलाकों मे अपना ठिकाना बना रही हैं।
पॉश कॉलोनियों में ठहरने के कारण युवतियों का स्टेटस भी हाई होने लगा है। यहीं नहीं इसका फायदा वह ग्राहकों से मुंह मांगी कीमत लेकर उठाती हैं। इतना ही नहीं इन कॉलोनियों के लोग खुले विचार के हैं तो इस तरह के बातों पर ध्यान भी नहीं देते। उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं होता।
एक बार मकान लेने के बाद इन मकानों में विदेशी युवतियों का आना-जाना लगा रहता है। वीजा की अवधि समाप्त होते ही विदेशी युवती अपनी किसी अन्य साथी को मकान में रूकवा जाती हैं। और मकान मालिक को वापस आने का वादा कर विदेश चली जाती हैं। ताकि उनका मकान उनके पास ही रहे और कोई अन्य वहां आ भी ना पाए।
साउथ एक्सटेंशन में प्रोपर्टी का व्यवसाय करने वाला राजेन्द्र कुमार ने बताया कि वह ऐसी बहुत सारी विदेशी लड़कियों को जानते हैं जो देह व्यापार का धंधा करती हैं। यह लड़कियां लगभग 10 सालों से एक ही मकान में रह रही हैं। अगर उन्हें विदेश भी जाना होता है तो वह अन्य किसी लड़की को रूकवा कर चली जाती हैं। और फिर वापस आकर वहीं रहने लगती हैं।
इन विदेशी लड़कियों की खासियत है कि वो तय समय पर मकान मालिक को अपने किराए के पैसे देती हैं। वह या तो कैश देती हैं या फिर उनके अकाउंट में जमा करवाती हैं। यूं तो अक्सर मकान मालिकों को अपने घर पर किराएदारों द्वारा कब्जा करने का डर रहता है। लेकिन इन विदेशी बालाओं को लंबे समय तक किराएदार के रूप में रखने में मकान मालिकों को कोई परेशानी नहीं होती है। यह विदेशी बालाएं 30 हजार से लेकर 80 हजार तक का मासिक किराया आसानी से मकान मालिकों को देती हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे जानते हुए भी कि ये विदेशी बालाएं क्या धंधा करती हैं, के बावजूद इन्हें वे गिरफ्तार नहीं कर सकते। विदेशी होने के कारण बिना प्रमाण उन्हें धरपकड़ नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि विदेशी बालाओं को पकड़ने के लिए पुलिस को प्लान बनाना पड़ता है। पुराने ग्राहक के जरिए या वेबसाइट पर कॉलगर्ल्स मुहै्या करवाने वाले गिरोह का पता लगाकर इनसे सौदा किया जाता है। सौदा होने के बाद इन युवतियों के ठिकानों पर पहुंच कर सबूतों के आधार पर ही इन विदेशी युवतियों को गिरफ्तार कर सकते हैं।
Delhi Police: Court Dying Declaration: ‘पता उपरोक्त’, ‘मय परिवार’, ‘एक मुश्त’, ‘एक नीयत’ जैसे शब्दों से अदालत को हुआ मृत्यु पूर्व बयान की सत्यता पर संदेह, आरोपी हुए बरी..
नई दिल्ली.हत्या के मामले के पांच आरोपियों को अदालत ने छोड़ दिया है। वजह, मरने वाले व्यक्ति के अंतिम बयान में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ था जिन्हें रोजमर्रा की बातचीत में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बयान पुलिस ने लिया था।
अतिरिक्त सेशन जज मनोज जैन ने कहा कि ऐसे शब्द मृत्यु पूर्व बयान की सत्यता पर संदेह पैदा करते हैं। उन्होंने सर्वेश के अंतिम बयान में आए ‘पता उपरोक्त’, ‘मय परिवार’, ‘एक मुश्त’, ‘एक नीयत’ जैसे शब्दों को इंगित किया।
अदालत ने इन्हें ‘विचित्र’ करार दिया। क्योंकि साधारणत: आम आदमी रोजमर्रा की बातचीत में इनका इस्तेमाल नहीं करते। फिर वैसे हालात में तो और भी मुश्किल है जब व्यक्ति गंभीर हाल में मृत्यु शैया पर पड़ा हो।
इसके साथ ही अदालत ने नवीन कुमार गुप्ता, गयासी कश्यप, उमेश प्रसाद, राजू और जितेंद्र कुमार को बरी कर दिया। अभियोजन का कहना था कि इन लोगों ने 26 जुलाई 2010 को सर्वेश तथा अंकुश की कथित रूप से लोहे की छड़ों और बेसबाल के बैट से पिटाई थी।
फिर उनपर चाकुओं से भी हमला किया था। इसके बाद उपचार के दौरान सर्वेश ने दम तोड़ दिया था लेकिन अंकुश बच गया। अदालत ने पुलिस के इस बयान पर भी संदेह जताया कि गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद सर्वेश बयान देने के लिए केवल 15 मिनट तक ठीक रहा।
अतिरिक्त सेशन जज मनोज जैन ने कहा कि ऐसे शब्द मृत्यु पूर्व बयान की सत्यता पर संदेह पैदा करते हैं। उन्होंने सर्वेश के अंतिम बयान में आए ‘पता उपरोक्त’, ‘मय परिवार’, ‘एक मुश्त’, ‘एक नीयत’ जैसे शब्दों को इंगित किया।
अदालत ने इन्हें ‘विचित्र’ करार दिया। क्योंकि साधारणत: आम आदमी रोजमर्रा की बातचीत में इनका इस्तेमाल नहीं करते। फिर वैसे हालात में तो और भी मुश्किल है जब व्यक्ति गंभीर हाल में मृत्यु शैया पर पड़ा हो।
इसके साथ ही अदालत ने नवीन कुमार गुप्ता, गयासी कश्यप, उमेश प्रसाद, राजू और जितेंद्र कुमार को बरी कर दिया। अभियोजन का कहना था कि इन लोगों ने 26 जुलाई 2010 को सर्वेश तथा अंकुश की कथित रूप से लोहे की छड़ों और बेसबाल के बैट से पिटाई थी।
फिर उनपर चाकुओं से भी हमला किया था। इसके बाद उपचार के दौरान सर्वेश ने दम तोड़ दिया था लेकिन अंकुश बच गया। अदालत ने पुलिस के इस बयान पर भी संदेह जताया कि गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद सर्वेश बयान देने के लिए केवल 15 मिनट तक ठीक रहा।
Jharkhand Police: Ranchi: डीएसपी मधुसूदन पर गिर सकती है गाज, नौकरी पाने की जांच निगरानी ब्यूरो ने की...
रांची डीएसपी मधुसूदन पर गाज गिर सकती है। एससी कोटे से नौकरी पाने की जांच निगरानी ब्यूरो ने पूरी कर ली है। कभी भी सरकार को जांच की रिपोर्ट भेजी जा सकती है। जांच में मधुसूदन के खिलाफ ठोस साक्ष्य मिलने की बात बताई जा रही है। इसी वजह से उनकी परेशानी बढ़ सकती है। इसके अलावा पूर्व में ही इसी सिलसिले में मधुसूदन पर लगे आरोप से संबंधित फाइल की खोज भी सचिवालय में की जा रही है। यह फाइल कहां है। इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। निगरानी ब्यूरो के जांच अधिकारी ने गृह विभाग व कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर फाइल के मूवमेंट के बारे में जानकारी मांगी है।
क्या है मामला : डीएसपी मधुसूदन एससी कोटे से नौकरी में हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी इसी आरक्षित कोटे से की है। इनके विरुद्ध सरकार को लंबे समय शिकायत मिल रही थी। इससे संबंधित फाइल सचिवालय में खुली थी। लेकिन वह फाइल फिलहाल कहां है इसकी जानकारी नहीं है। इस बीच अन्य शिकायत के आधार पर गृह विभाग ने निगरानी ब्यूरो को डीएसपी मधुसूदन द्वारा एससी के नाम पर आरक्षण का लाभ लेते हुए नौकरी पाने के मामले की जांच का आदेश दिया। जांच में यह बात सामने आ रही है कि व बनिया जाति से आते हैं लेकिन उन्होंने एससी का लाभ लिया। जांच के क्रम में यह बात सामने आई है कि इन्हें रामेश्वर पासवान ने गोद लिया था।
मधुसूदन के मामले में जांच जारी है, रिपोर्ट मिलते ही सरकार को भेज दी जाएगी। ""
एमवी राव, आईजी निगरानी
क्या है मामला : डीएसपी मधुसूदन एससी कोटे से नौकरी में हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी इसी आरक्षित कोटे से की है। इनके विरुद्ध सरकार को लंबे समय शिकायत मिल रही थी। इससे संबंधित फाइल सचिवालय में खुली थी। लेकिन वह फाइल फिलहाल कहां है इसकी जानकारी नहीं है। इस बीच अन्य शिकायत के आधार पर गृह विभाग ने निगरानी ब्यूरो को डीएसपी मधुसूदन द्वारा एससी के नाम पर आरक्षण का लाभ लेते हुए नौकरी पाने के मामले की जांच का आदेश दिया। जांच में यह बात सामने आ रही है कि व बनिया जाति से आते हैं लेकिन उन्होंने एससी का लाभ लिया। जांच के क्रम में यह बात सामने आई है कि इन्हें रामेश्वर पासवान ने गोद लिया था।
मधुसूदन के मामले में जांच जारी है, रिपोर्ट मिलते ही सरकार को भेज दी जाएगी। ""
एमवी राव, आईजी निगरानी
Subscribe to:
Posts (Atom)