भोपाल | जेल से फरार कैदी को अगवा कर उसके परिजनों से फिरौती मांगने के आरोप मेंं फंसे डीएसपी मोहिंदर कंवर को सस्पेंड कर दिया गया है। सीआईडी इस मामले में कंवर के खिलाफ कोर्ट मे चालान पेश कर चुकी है।
नाबालिग से दुष्कृत्य के आरोप में गिन्नौरी निवासी उमर को फरवरी 2009 में जेल भेजा गया था। जेल में रहते हुए बीमार बताकर 28 फरवरी 09 को उसे हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस दौरान ही उमर अस्पताल से फरार हो गया था। फरारी के अगले दिन उमर की मां फौजिया ने तत्कालीन भोपाल आईजी शैलेंद्र श्रीवास्तव से शिकायत की कि उसके बेटे का अपहरण कर लिया गया है। अपहरण तत्कालीन सोनकच्छ एसडीओपी मोहिंदर कंवर ने किया है। उन्होंने बताया था कि कंवर ने उनसे 15 लाख रुपए की फिरौती मांगी है। भोपाल पुलिस ने इस मामले में कंवर के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया था। जांच सीआईडी को सौंपी गई। उधर, उमर को जमानत मिल गई। इसी बीच 18 मई 2011 को गिन्नौरी इलाके में उमर की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के मामले की जांच भी सीआईडी को सौंपी गई। सीआईडी एडीजी एमआर कृष्णा का कहना है कि अपहरण के मामले में तो कंवर के खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है, लेकिन उमर की हत्या में कंवर के शामिल होने के प्रमाण नहीं मिले।
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Friday, September 9, 2011
MP Police: Police Promotion: डीएसपी स्तर के 26 अफसरों को पदोन्नति देकर एएसपी बनाया...
भोपाल | राज्य सरकार ने डीएसपी स्तर के 26 अफसरों को पदोन्नति देकर एएसपी बनाया है। उनकी नई पदस्थापना भी कर दी गई है। सीएसपी जहांगीराबाद राजेश मिश्रा को एएसपी भोपाल और टीटीनगर सीएसपी अमित सक्सेना को एसपी अजाक भोपाल बनाया गया है।जारी आदेश में संजय कुमार सिंह डीएसपी यातायात इंदौर को एएसपी श्योपुर, विकास पाठक डीएसपी आईजी आफिस जबलपुर को उप सेनानी नवमीं वाहिनी विसबल रीवा, धर्मेद्र सिंह छाबई एसडीओपी निवाड़ी (टीकमगढ़) से उप सेनानी आठवीं वाहिनी विसबल छिंदवाड़ा, सुधीर अग्रवाल एसडीओपी (सबलगढ़) मुरैना से एएसपी अशोक नगर, पंकज कुमार पांडे सीएसपी इंदौर से एएसपी नारकोटिक्स नीमच, मुन्नालाल चौरसिया एसडीओपी मऊगंज से एएसपी सीधी, दिलीप कुमार सोनी डीएसपी पीएचक्यू से एसपी अजाक रेंज सागर, सीताराम ससत्या सीएसपी दमोह से एसपी अजाक चंबल संभाग,
राजेंद्र कुमार वर्मा एसडीओपी खजुराहो से एएसपी डिंडोरी, अमृतलाल मीना सीएसपी सागर से एसपी अजाक जबलपुर, अजय पांडे यूएन मिशन से वापसी पर एआईजी पीएचक्यू, विक्रांत मुराव डीएसपी ईओडब्ल्यू से एएसपी ईओडब्ल्यू मुख्यालय भोपाल, सुरेंद्र कुमार जैन सीएसपी भिंड से उप सेनानी दूसरी वाहिनी विसबल ग्वालियर, आशीष खरे एसडीओपी गोहद से एआईजी पीएचक्यू, निमिषा पांडे एटीएस से एआईजी पीएचक्यू, राजेश कुमार मिश्रा सीएसपी जहांगीराबाद भोपाल से एएसपी भोपाल, मलय कुमार जैन एसडीओपी होशंगाबाद से एसपी अजाक इंदौर, अमित सक्सेना सीएसपी भोपाल से एसपी अजाक भोपाल, मनीषा पाठक सोनी डीएसपी पीटीएस इंदौर से एएसपी जेएनपीए सागर, सुमन गुर्जर सीएसपी मुरार से उप सेनानी 17 वाहिनी विसबल भिंड, एसएस सराफ डीएसपी ईओडब्ल्यू भोपाल से एआईजी पीएचक्यू, सत्येंद्र सिंह तोमर एसडीओपी डबरा से उप सेनानी 14वीं वाहिनी विसबल ग्वालियर, अंजना तिवारी डीएसपी विशेष शाखा पीएचक्यू से उप सेनानी 32वीं वाहिनी विसबल उज्जैन, मनोज केडिया डीएसपी पीटीएस उमरिया से एआईजी पीएचक्यू, मान सिंह परस्ते सहायक सेनानी नवमीं वाहिनी रीवा से उप सेनानी सातवीं वाहिनी विसबल भोपाल तथा एनपी अहिरवार सहायक सेनानी 23वीं वाहिनी भोपाल को उप सेनानी छठवीं वाहिनी विसबल जबलपुर पदस्थ किया गया हैं।
राजेंद्र कुमार वर्मा एसडीओपी खजुराहो से एएसपी डिंडोरी, अमृतलाल मीना सीएसपी सागर से एसपी अजाक जबलपुर, अजय पांडे यूएन मिशन से वापसी पर एआईजी पीएचक्यू, विक्रांत मुराव डीएसपी ईओडब्ल्यू से एएसपी ईओडब्ल्यू मुख्यालय भोपाल, सुरेंद्र कुमार जैन सीएसपी भिंड से उप सेनानी दूसरी वाहिनी विसबल ग्वालियर, आशीष खरे एसडीओपी गोहद से एआईजी पीएचक्यू, निमिषा पांडे एटीएस से एआईजी पीएचक्यू, राजेश कुमार मिश्रा सीएसपी जहांगीराबाद भोपाल से एएसपी भोपाल, मलय कुमार जैन एसडीओपी होशंगाबाद से एसपी अजाक इंदौर, अमित सक्सेना सीएसपी भोपाल से एसपी अजाक भोपाल, मनीषा पाठक सोनी डीएसपी पीटीएस इंदौर से एएसपी जेएनपीए सागर, सुमन गुर्जर सीएसपी मुरार से उप सेनानी 17 वाहिनी विसबल भिंड, एसएस सराफ डीएसपी ईओडब्ल्यू भोपाल से एआईजी पीएचक्यू, सत्येंद्र सिंह तोमर एसडीओपी डबरा से उप सेनानी 14वीं वाहिनी विसबल ग्वालियर, अंजना तिवारी डीएसपी विशेष शाखा पीएचक्यू से उप सेनानी 32वीं वाहिनी विसबल उज्जैन, मनोज केडिया डीएसपी पीटीएस उमरिया से एआईजी पीएचक्यू, मान सिंह परस्ते सहायक सेनानी नवमीं वाहिनी रीवा से उप सेनानी सातवीं वाहिनी विसबल भोपाल तथा एनपी अहिरवार सहायक सेनानी 23वीं वाहिनी भोपाल को उप सेनानी छठवीं वाहिनी विसबल जबलपुर पदस्थ किया गया हैं।
Delhi Police: HC Blast: सुराग ढूंढने किश्तवाड़ पहुंची NIA
दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर बुधवार को हुए बम विस्फोट के तार जम्मू एवं कश्मीर से जुड़े होने की बातें सामने आने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष टीम शुक्रवार को किश्तवाड़ पहुंच गई। टीम उन पांच लोगों से पूछताछ करेगी जिन्हें इस विस्फोट के मामले में हिरासत में लिया गया था।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ''अभी जांच चल रही है और हम इस समय कोई टिप्प्णी नहीं कर सकते।'' उल्लेखनीय है कि किश्तवाड़ जिले के मलिक बाजार में स्थित ग्लोबल इंटरनेट कैफे से एक ई-मेल संदेश भेजा गया था, जिसमें आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जेहादी-इस्लामी (हूजी) ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। इस विस्फोट में 13 लोग मारे गए थे।
राज्य की पुलिस ने गुरुवार को कैफे पर दबिश देकर कुछ लोगों को हिरासत में लिया था। ई-मेल दो समाचार चैनलों को भी भेजा गया था, जिसमें धमकी दी गई थी कि यदि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दी गई तो इस तरह के और हमले किए जाएंगे
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ''अभी जांच चल रही है और हम इस समय कोई टिप्प्णी नहीं कर सकते।'' उल्लेखनीय है कि किश्तवाड़ जिले के मलिक बाजार में स्थित ग्लोबल इंटरनेट कैफे से एक ई-मेल संदेश भेजा गया था, जिसमें आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जेहादी-इस्लामी (हूजी) ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। इस विस्फोट में 13 लोग मारे गए थे।
राज्य की पुलिस ने गुरुवार को कैफे पर दबिश देकर कुछ लोगों को हिरासत में लिया था। ई-मेल दो समाचार चैनलों को भी भेजा गया था, जिसमें धमकी दी गई थी कि यदि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दी गई तो इस तरह के और हमले किए जाएंगे
UP Police: Home Guard: होमगार्ड को जिंदा जलाकर मार डाला
उत्तर प्रदेश के एटा जिले में गुरुवार रात को कुछ अज्ञात लोगों ने एक होमगार्ड को जिंदा जलाकर मार डाला। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
पुलिस के मुताबिक यह घटना सकीट थाना क्षेत्र की है, जहां गुरुवार रात अज्ञात लोगों ने डीजल छिड़ककर होमगार्ड तेजपाल (45) को जिंदा जला दिया और फिर मौके से फरार हो गए। भगवंतपुर गांव निवासी होमगार्ड फिलहाल सकीट थाने में तैनात थे।
सकीट थाना प्रभारी सुभाष पांडे ने शुक्रवार को बताया कि देर रात जब राहगीरों की नजर तेजपाल पर पड़ी तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
पांडे ने कहा कि इस वारदात के पीछे किसका हाथ है यह अभी फिलहाल साफ नहीं हो पाया है। मामले की जांच की जा रही है। प्रथम दृष्टया यह पुरानी रंजिश का मामला प्रतीत हो रहा है
पुलिस के मुताबिक यह घटना सकीट थाना क्षेत्र की है, जहां गुरुवार रात अज्ञात लोगों ने डीजल छिड़ककर होमगार्ड तेजपाल (45) को जिंदा जला दिया और फिर मौके से फरार हो गए। भगवंतपुर गांव निवासी होमगार्ड फिलहाल सकीट थाने में तैनात थे।
सकीट थाना प्रभारी सुभाष पांडे ने शुक्रवार को बताया कि देर रात जब राहगीरों की नजर तेजपाल पर पड़ी तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
पांडे ने कहा कि इस वारदात के पीछे किसका हाथ है यह अभी फिलहाल साफ नहीं हो पाया है। मामले की जांच की जा रही है। प्रथम दृष्टया यह पुरानी रंजिश का मामला प्रतीत हो रहा है
Delhi Police: HC Blast: आतंक से पहली लड़ाई पुलिस को ही लड़नी होती है...
तीन महीने में दूसरा आतंकी धमाका और जांच की जिम्मेदारी एक बार फिर एनआईए की टीम को। इस एजेंसी के पास पहले से ही कई धमाकों की जांच की जिम्मेदारी है। जिनमें से कोई भी जांच अभी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। आरोप तो यह भी है कि वाराणसी और पुणे धमाके की जांच की दिशा इस एजेंसी ने बदल दी। कई धमाकों के सबूतों को नजरंदाज करने का आरोप भी है। ऐसे में एनआईए से इस धमाके की सही जांच की उम्मीद बेमानी है। इस लिहाज से गृह मंत्रालय की मंशा पर भी सवाल उठता है कि आखिर किस भरोसे जांच की जिम्मेदारी इस एजेंसी को दी गई?
आतंकवाद से लड़ने के लिए एक सुपरस्ट्रक्चर की जरूरत है। लेकिन सरकार इसके गठन के बजाय एजेंसियों के नकाब बदल रही है। मौजूदा वक्त में एक साथ कई खुफिया व जांच एजेंसियां काम कर रही हैं। गफलत का यह माहौल तब और धुंधली तस्वीर पेश करती है, जब इनमें एकराय नहीं बन पाती। कुछ एजेंसियां ये दावा करती हैं कि देश में आतंकी हमले का खतरा है, तो कुछ उनके दावों को नकारती हैं। अब ऐसे में देश साल भर हाई अलर्ट पर रहे या न रहे, पर धमाके रुक नहीं रहे हैं।
किसी आतंकी वारदात, विस्फोट या हमले के बाद दो तरह की तस्वीरें बन सकती हैं- पहली, मैक्रो पिक्चर यानी व्यापक स्तर पर देखने-समझने का नजरिया। दूसरा तरीका माइक्रो पिक्चर का भी है। अगर हम माइक्रो पिक्चर को ही लेकर चलें, तो सबसे अहम यह है कि दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर ब्लास्ट का ठीकरा गृह मंत्रालय के सिर फोड़ा जाना चाहिए। दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी इसी मंत्रालय के पास है। ऐसे में, सीसीटीवी की गैरमौजूदगी और पुलिस की कमी जैसे सवाल उठेंगे।
जहां तक मैक्रो पिक्चर की बात है, तो अब सरकार को सचेत रुख अपनाना होगा। गृह मंत्रालय के सचिव स्तरीय महकमें में व्यापक फेरबदल की जरूरत है। इसके अलावा गृह मंत्रलाय को दो भागों में विभक्त करने की रूपरेखा तैयार करनी होगी। यहां पर आंतरिक सुरक्षा तंत्र को अंतरराज्यीय वार्ता जैसी व्यवस्था से अलग रखना होगा। आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए प्रत्यक्ष नियंत्रण आवश्यक है और इसके लिए आंतरिक सुरक्षा तंत्र के कामकाज की पहचान तय करनी होगी। पूर्व के धमाके, उनके निष्कर्षों और भविष्य की आशंकाओं की रिपोर्ट बनाकर एक राष्ट्रीय लक्ष्य तैयार करना होगा।
हाल के वर्षों में हमने पुलिस-प्रशासन तंत्र को काफी कमजोर कर दिया है जबकि आतंकवाद से निपटने का प्राथमिक तंत्र यही है। इस तंत्र को मजबूत, अत्याधुनिक और नवीनतम हथियारों से लैस करने की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है। आतंक के लोकल मॉडय़ूल से निपटने में यह संस्था कारगर हो सकती है, बशर्ते कि इन्हें आतंकवाद से लड़ने लायक बनाया जाए।
आतंकवाद से लड़ने के लिए एक सुपरस्ट्रक्चर की जरूरत है। लेकिन सरकार इसके गठन के बजाय एजेंसियों के नकाब बदल रही है। मौजूदा वक्त में एक साथ कई खुफिया व जांच एजेंसियां काम कर रही हैं। गफलत का यह माहौल तब और धुंधली तस्वीर पेश करती है, जब इनमें एकराय नहीं बन पाती। कुछ एजेंसियां ये दावा करती हैं कि देश में आतंकी हमले का खतरा है, तो कुछ उनके दावों को नकारती हैं। अब ऐसे में देश साल भर हाई अलर्ट पर रहे या न रहे, पर धमाके रुक नहीं रहे हैं।
किसी आतंकी वारदात, विस्फोट या हमले के बाद दो तरह की तस्वीरें बन सकती हैं- पहली, मैक्रो पिक्चर यानी व्यापक स्तर पर देखने-समझने का नजरिया। दूसरा तरीका माइक्रो पिक्चर का भी है। अगर हम माइक्रो पिक्चर को ही लेकर चलें, तो सबसे अहम यह है कि दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर ब्लास्ट का ठीकरा गृह मंत्रालय के सिर फोड़ा जाना चाहिए। दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी इसी मंत्रालय के पास है। ऐसे में, सीसीटीवी की गैरमौजूदगी और पुलिस की कमी जैसे सवाल उठेंगे।
जहां तक मैक्रो पिक्चर की बात है, तो अब सरकार को सचेत रुख अपनाना होगा। गृह मंत्रालय के सचिव स्तरीय महकमें में व्यापक फेरबदल की जरूरत है। इसके अलावा गृह मंत्रलाय को दो भागों में विभक्त करने की रूपरेखा तैयार करनी होगी। यहां पर आंतरिक सुरक्षा तंत्र को अंतरराज्यीय वार्ता जैसी व्यवस्था से अलग रखना होगा। आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए प्रत्यक्ष नियंत्रण आवश्यक है और इसके लिए आंतरिक सुरक्षा तंत्र के कामकाज की पहचान तय करनी होगी। पूर्व के धमाके, उनके निष्कर्षों और भविष्य की आशंकाओं की रिपोर्ट बनाकर एक राष्ट्रीय लक्ष्य तैयार करना होगा।
हाल के वर्षों में हमने पुलिस-प्रशासन तंत्र को काफी कमजोर कर दिया है जबकि आतंकवाद से निपटने का प्राथमिक तंत्र यही है। इस तंत्र को मजबूत, अत्याधुनिक और नवीनतम हथियारों से लैस करने की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है। आतंक के लोकल मॉडय़ूल से निपटने में यह संस्था कारगर हो सकती है, बशर्ते कि इन्हें आतंकवाद से लड़ने लायक बनाया जाए।
Delhi Police: HC Blast: खुलासे नहीं सिर्फ स्केच बनाने में माहिर है पुलिस
दिल्ली। काफी स्मार्ट और तेज तर्रार कही जाने वाली दिल्ली पुलिस को सनसनीखेज वारदात के बाद आरोपियों के स्केच जारी करने में महारथ हासिल है। घटना के प्रारंभिक जांच के बाद दिल्ली की स्मार्ट पुलिस फौरन स्केच बनाती है और उसे सार्वजनिक कर देती है। मगर विडंबना तो देखिए कि स्केच के आधार पर आजतक कोई भी अपराधी पकड़ा नहीं गया है। पुलिस ने हाईकोर्ट के बाहर हुए बम ब्लास्ट के बाद एक बार फिर दो आतंकवादियों के स्केच जारी किये। मगर पिछले अनुभवों को देखते हुए लगता है कि शायद इससे भी पुलिस को कोई मदद नहीं मिले।
आपको बताते चलें कि पुलिस द्वारा स्केच घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों व पीडित के बयान के आधार पर तैयार कराये जाते है। ऐसे में हादसे के बाद घबड़ाहट की स्थित में लोग ओरापियों का पूरा ब्यौरा याद नहीं रख पाते। लोगों को बस मोटा-मोटा हुलिया ही याद रहता है। नतीजे की बात करें तो स्केच अपराधी से हूबहू मेल नहीं खा पाता।
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2010 में लामपुर हाउस से तीन पाकिस्तानी आतंकी फरार हो गये थे। बाद में दिल्ली पुलिस ने उनका स्केच जारी किया था। मामला जस का तस है और फरार आतंकियों के बारे में अब तक कोई सुराग नहीं हैं। कुछ दिनों पूर्व ही दिल्ली के धौलाकुआं इलाके में युवको ने एक युवती को अगवा कर उसके साथ सामुहिक बलात्कार किया था। इस घटना में भी पुलिस ने आरोपियों का स्केच बनावाया था। काफी लंबे समय बाद उनकी गिरफ्तारी हुई मगर एक सिपाही की सूचना पर ना कि स्केच के माध्यम से।
हाल ही में पूर्वी दिल्ली के मुथूट फाइनेंस कंपनी में करोड़ो की डकैती पड़ी थी। इस मामले में भी दिल्ली पुलिस ने आरोपियों का स्केच जारी किया था। स्केच आरोपियों से मेल नहीं खाया और पुलिस के हाथ कोई सफलता नहीं लगी। छानबीन के बाद एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार कर सकी।
आपको बताते चलें कि पुलिस द्वारा स्केच घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों व पीडित के बयान के आधार पर तैयार कराये जाते है। ऐसे में हादसे के बाद घबड़ाहट की स्थित में लोग ओरापियों का पूरा ब्यौरा याद नहीं रख पाते। लोगों को बस मोटा-मोटा हुलिया ही याद रहता है। नतीजे की बात करें तो स्केच अपराधी से हूबहू मेल नहीं खा पाता।
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2010 में लामपुर हाउस से तीन पाकिस्तानी आतंकी फरार हो गये थे। बाद में दिल्ली पुलिस ने उनका स्केच जारी किया था। मामला जस का तस है और फरार आतंकियों के बारे में अब तक कोई सुराग नहीं हैं। कुछ दिनों पूर्व ही दिल्ली के धौलाकुआं इलाके में युवको ने एक युवती को अगवा कर उसके साथ सामुहिक बलात्कार किया था। इस घटना में भी पुलिस ने आरोपियों का स्केच बनावाया था। काफी लंबे समय बाद उनकी गिरफ्तारी हुई मगर एक सिपाही की सूचना पर ना कि स्केच के माध्यम से।
हाल ही में पूर्वी दिल्ली के मुथूट फाइनेंस कंपनी में करोड़ो की डकैती पड़ी थी। इस मामले में भी दिल्ली पुलिस ने आरोपियों का स्केच जारी किया था। स्केच आरोपियों से मेल नहीं खाया और पुलिस के हाथ कोई सफलता नहीं लगी। छानबीन के बाद एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार कर सकी।
Delhi Police: HC Blast: स्पेशल सेल को फिर जगाने का काम शुरु, ज्वाईंट सीपी करनैल सिंह, डीसीपी आलोक कुमार, एसीपी संजीव कुमार यादव वापस आएंगे..
दिल्ली पुलिस ने वृहस्पतिवार की देर रात एसीपी संजीव कुमार यादव को स्पेशल सेल में वापस बुला लिया है। यह फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय के विशेष निर्देश पर लिया गया है। गृह मंत्रालय ने हाईकोर्ट बम ब्लास्ट करने वाले आतंकवादियों का सुराग नहीं लगने से हाथ पांव फूलने के बाद अब तमाम शिथिल पडी एजेंसियों को सक्रिय करने का निर्णय लिया है। जिसकी मदद से आतंकवादियों की तलाश का काम तेज किया जा सके।
मंत्रालय ने आतंकवादियों के सफाए के लिए मशहूर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल समेत तमाम राज्यों के एंटी टेरोरिस्ट स्क्वार्ड (एटीएस) को फिर से एक्टिवेट करने का फैसला लिया है।
दिल्ली में आंतकवादी ऑपरेशन में माहिर एसीपी संजीव कुमार यादव को राजनीतिक दबाव के तहत स्पेशल सेल को शिथिल करने के क्रम में स्पेशल सेल से हटाकर दिल्ली पुलिस की सुरक्षा शाखा में तैनात कर दिया गया था। तकरीबन डेढ साल के बाद उनको वापस स्पेशल सेल के आंतकवाद निरोधक अभियान में तैनाती की गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल केंद्रीय गृह मंत्रालय और आईबी के परस्पर सहयोग से काम करती है।
संजीव कुमार यादव को लाने के साथ ही स्पेशल सेल के जाबांज अफसर एलएन राव को फिर आतंकवाद निरोधक गतिविधियों में लगाने की सुगबुगाहट है। बदले निजाम में तरक्की देकर एल एन राव को एडिशनल डीसीपी तो बना दिया गया पर उनकी विशेषज्ञता वाली आतंकवाद निरोधक गतिविधियों से हटाकर स्पेशल सेल के ही प्रशासनिक काम में लगा रखा है।
एल एन राव के अलावा डीसीपी आलोक कुमार को स्पेशल सेल में दोबारा लाने पर गंभीरता से विचार हो रहा है। तीन साल पहले तक स्पेशल सेल को आतंकवादियों के जी का जंजाल बना देने वाले अफसर आलोक कुमार फिलहाल अरूणांचल प्रदेश के एक जिला के एसएसपी के तौर पर काम कर रहे हैं। आलोक कुमार को आतंकवाद निरोधी अभियान में लगी टीम के बीच बेहतर सामन्जस्य के साथ काम करने के लिए जाना जाता है।आलोक कुमार के साथ 1996-97 से दिल्ली को आतंकवादियों से महफूज रखने में लगे वरिष्ठ अधिकारी करनैल सिंह को दिल्ली लाने की चर्चा है। करनैल सिंह फिलहाल मिजोरम के एडीजी हैं।
स्पेशल सेल के पुराने दबंग पुलिस अधिकारियों को शानदार ट्रेक रिकार्ड की वजह से वापस लाने की तैयारी हो रही है। गौरतलब है कि ज्वाईंट सीपी करनैल सिंह, डीसीपी आलोक कुमार, एसीपी संजीव कुमार यादव और शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की टीम ने 13 सितंबर 2008 को नौ बम धमाकों से दिल्ली को दहलाने वाले इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आंतकवादियों का पुख्ता पता पांच दिन में ही लगा लिया था और छठवें दिन ही जाबांज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा बाटला हाउस की तंग गलियों में इन्काउंटर के लिए जा धमके थे।
बाटला हाउस इन्काउटर के साथ घिनौनी राजनीति का सिलसिला तेज हो गया। इन्काउंटर के दौरान घायल मोहन चंद शर्मा की शहादत के साथ ही दिल्ली पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर आतंकवाद के सफाए में लगे विशेषज्ञ अफसरों की इस टीम को तितर बितर करने का सिलसिला शुरू दिया गया था। आतंकवादियों के बढे हौसले को खत्म करने के लिए सरकार पर दबाव बढता जा रहा है। इसके लिए दिल्ली पुलिस में तैनात आतंकवाद के विशेषज्ञ अफसरों को टटोला जा रहा है। तिहाड जेल के डीजी नीरज कुमार और अशोक चांद जैसे अफसरों पर भी गृह मंत्रालय में चर्चा हो रही है।
हाईकोर्ट पर रिहर्सल करके किए गए बम धमाके ने सुरक्षा विशेषज्ञों को ज्यादा ही परेशान कर रखा है। क्योंकि इससे आतंकवादियों के बढे हौसले का इजहार हो रहा है। फिर से हरकत में आई आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को चुस्त दुरुस्त करने के साथ केंद्र सरकार की आईबी के परस्पर मदद से चलने वाली तमाम राज्यों के एंटी टेरोरिस्ट एस्क्वार्ड (एटीएस) को सक्रिय होने का विशेष आदेश जारी किया है। गौरतलब है कि एटीएस और स्पेशल सेल को राजनीति की उल्टी बही धारा की वजह से शिथिल कर दिया गया था।
मंत्रालय ने आतंकवादियों के सफाए के लिए मशहूर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल समेत तमाम राज्यों के एंटी टेरोरिस्ट स्क्वार्ड (एटीएस) को फिर से एक्टिवेट करने का फैसला लिया है।
दिल्ली में आंतकवादी ऑपरेशन में माहिर एसीपी संजीव कुमार यादव को राजनीतिक दबाव के तहत स्पेशल सेल को शिथिल करने के क्रम में स्पेशल सेल से हटाकर दिल्ली पुलिस की सुरक्षा शाखा में तैनात कर दिया गया था। तकरीबन डेढ साल के बाद उनको वापस स्पेशल सेल के आंतकवाद निरोधक अभियान में तैनाती की गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल केंद्रीय गृह मंत्रालय और आईबी के परस्पर सहयोग से काम करती है।
संजीव कुमार यादव को लाने के साथ ही स्पेशल सेल के जाबांज अफसर एलएन राव को फिर आतंकवाद निरोधक गतिविधियों में लगाने की सुगबुगाहट है। बदले निजाम में तरक्की देकर एल एन राव को एडिशनल डीसीपी तो बना दिया गया पर उनकी विशेषज्ञता वाली आतंकवाद निरोधक गतिविधियों से हटाकर स्पेशल सेल के ही प्रशासनिक काम में लगा रखा है।
एल एन राव के अलावा डीसीपी आलोक कुमार को स्पेशल सेल में दोबारा लाने पर गंभीरता से विचार हो रहा है। तीन साल पहले तक स्पेशल सेल को आतंकवादियों के जी का जंजाल बना देने वाले अफसर आलोक कुमार फिलहाल अरूणांचल प्रदेश के एक जिला के एसएसपी के तौर पर काम कर रहे हैं। आलोक कुमार को आतंकवाद निरोधी अभियान में लगी टीम के बीच बेहतर सामन्जस्य के साथ काम करने के लिए जाना जाता है।आलोक कुमार के साथ 1996-97 से दिल्ली को आतंकवादियों से महफूज रखने में लगे वरिष्ठ अधिकारी करनैल सिंह को दिल्ली लाने की चर्चा है। करनैल सिंह फिलहाल मिजोरम के एडीजी हैं।
स्पेशल सेल के पुराने दबंग पुलिस अधिकारियों को शानदार ट्रेक रिकार्ड की वजह से वापस लाने की तैयारी हो रही है। गौरतलब है कि ज्वाईंट सीपी करनैल सिंह, डीसीपी आलोक कुमार, एसीपी संजीव कुमार यादव और शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की टीम ने 13 सितंबर 2008 को नौ बम धमाकों से दिल्ली को दहलाने वाले इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आंतकवादियों का पुख्ता पता पांच दिन में ही लगा लिया था और छठवें दिन ही जाबांज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा बाटला हाउस की तंग गलियों में इन्काउंटर के लिए जा धमके थे।
बाटला हाउस इन्काउटर के साथ घिनौनी राजनीति का सिलसिला तेज हो गया। इन्काउंटर के दौरान घायल मोहन चंद शर्मा की शहादत के साथ ही दिल्ली पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर आतंकवाद के सफाए में लगे विशेषज्ञ अफसरों की इस टीम को तितर बितर करने का सिलसिला शुरू दिया गया था। आतंकवादियों के बढे हौसले को खत्म करने के लिए सरकार पर दबाव बढता जा रहा है। इसके लिए दिल्ली पुलिस में तैनात आतंकवाद के विशेषज्ञ अफसरों को टटोला जा रहा है। तिहाड जेल के डीजी नीरज कुमार और अशोक चांद जैसे अफसरों पर भी गृह मंत्रालय में चर्चा हो रही है।
हाईकोर्ट पर रिहर्सल करके किए गए बम धमाके ने सुरक्षा विशेषज्ञों को ज्यादा ही परेशान कर रखा है। क्योंकि इससे आतंकवादियों के बढे हौसले का इजहार हो रहा है। फिर से हरकत में आई आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को चुस्त दुरुस्त करने के साथ केंद्र सरकार की आईबी के परस्पर मदद से चलने वाली तमाम राज्यों के एंटी टेरोरिस्ट एस्क्वार्ड (एटीएस) को सक्रिय होने का विशेष आदेश जारी किया है। गौरतलब है कि एटीएस और स्पेशल सेल को राजनीति की उल्टी बही धारा की वजह से शिथिल कर दिया गया था।
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