Monday, April 18, 2011

Punjab Police :लुधियाना की पुलिस और साइकिल! ना बाबा ना


लुधियाना। पुलिस मुलाजिमों की तोंद कम करने और भीड़ भाड़ वाले इलाकों में गश्त के लिए अफसरों ने मुलाजिमों को साइकिल पर गश्त करने की सलाह दी है। महकमा मुलाजिमों को यह साइकिल दे भी रहा है। लग्जरी कारों के आदी हो चुके मुलाजिमों को अफसरों का यह सुझाव पसंद नहीं आया है। मुलाजिमों ने इस सुझाव पर अफसरों को सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी है, लेकिन वह इसे मानने के मूड में भी नहीं हैं। यह भी एक वजह है कि साइकिल पिछले करीब 20 दिन से पुलिस लाइंस में खड़े हैं।

अफसरों का यह भी सुझाव है कि साइकिल चलाने से मुलाजिमों की फिटनेस बनी रहेगी। कसरत न करने और काम की अधिकता की वजह से मुलाजिमों का मोटापा भी कम हो जाएगा। यह 50 साइकिल मार्च में आयोजित साइकिल एक्सपो के दौरान उद्यमियों ने लुधियाना पुलिस को तोहफे में दिए थे।

पुलिस की योजना इन साइकिलों को निचले स्तर के मुलाजिमों को थमाने की है। पुलिस की योजना को उस दौर में लाया गया है, जब अधिकतर मुलाजिम कारों के मालिक बन चुके हैं।

डीसीपी युरिंदर सिंह हेयर के अनुसार जिन क्षेत्रों में साइकिल पर गश्त की जा सकती है, उन क्षेत्रों की पुलिस की पहचान कर ली है। यह क्षेत्र पुराने शहर के अंदरूनी इलाकों में हैं। मुलाजिम उन तंग क्षेत्रों में साइकिल पर गश्त कर सकते हैं जहां कार, मोटरसाइकिल आदि नहीं पहुंच पाते हैं।

कैसे लगेंगे साइकिल पर आरोपी को ले जाते हुए
साइकिल पर गश्त के नाम पर मुलाजिम नाक भौं सिकोड़ रहे हैं। मुलाजिमों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि भीड़ भाड़ वाले क्षेत्र में किसी घटना पर जाने के दौरान अगर साइकिल चोरी हो गया तो पुलिस की कितनी फजीहत होगी। किसी आरोपी को बैठा कर साइकिल पर पैडल चलाते पुलिस मुलाजिम उपहास का केंद्र बनेंगे। मुलाजिम यह भी मानते हैं कि साइकिल पर जाने से पुलिस का रौब भी कम हो जाएगा।

Sunday, April 17, 2011

Jharkhand Police : और ताकतवर होगी झारखंड पुलिस


रांची. झारखंड में अब नक्सलियों की खैर नहीं। पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत 1700 करोड़ रुपए खर्च कर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के हर थाने को आधुनिक हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट, नाइट विजन व एंटी लैंड माइन डिवाइसेज जैसे उपकरणों से लैस किया जाएगा।

यही नहीं महकमे के लिए कारगर संचार प्रणाली व तमाम अन्य सुविधाएं भी जुटाई जाएंगी। यह राशि अगले पांच सालों में खर्च होगी। राज्य में पुलिस आधुनिकीकरण के लिए मिलने वाली यह अब तक की सर्वाधिक राशि है।

क्या है सोच:

राज्य सरकार व पुलिस मुख्यालय का मानना है कि ऐसा होने से राज्य का हर व्यक्ति स्वयं को सुरक्षित महसूस करेगा।

इन उपकरणों की होगी खरीद

बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट, एक्सप्लोसिव डिटेक्शन एंड डिफ्यूजन इक्युपमेंट, बायनाकुलर, थानों के लिए सोलर एनर्जी बैकअप, बॉडी व बैगेज स्कैनर, नाइट विजन डिवाइस, वीएचएफ एवं एचएफ वायरलेस सेट, ग्रेनेड लांचर, मोर्टार लांचर, इंसास रायफल, थानों के लिए बुलेट प्रूफ गाड़ियां।

इन मदों में खर्च होगी राशि

सुरक्षा उपकरण, संचार उपकरण, प्रशिक्षण संरचना, खुफिया विभाग के लिए उपकरण, विधि विज्ञान प्रयोगशाला, भवन निर्माण, गृह रक्षा वाहिनी व हथियार।

खासियत क्या

इंसास: इस ऑटोमेटिक रायफल से एक बार में तीस गोलियां लगातार चलाई जा सकती है। तीन सौ गज की दूरी तक दुश्मन को मार गिराने की क्षमता

नाइट विजन डिवाइस: इससे रात में तीन किमी की दूरी तक साफ-साफ देखा जा सकता है। नक्सलियों के खिलाफ अभियान में यह कारगर हो सकता है।

ग्रेनेड लांचर: इससे 30 गज तक ग्रेनेड फेंका जा सकता है।

बुलेट प्रूफ व एंटी लैंड माइंस वाहन: इससे नक्सली क्षेत्र में पेट्रोलिंग व अभियान चलाना आसान होगा। विस्फोट का खतरा नहीं होगा।

11 वर्षो से पुलिस का आधुनिकीकरण हो रहा है। संचार व्यवस्था से लेकर प्रशिक्षण पर जोर है। जांच में मदद के लिए विश्वस्तरीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी तैयार हो चुकी है। पुलिस को प्रोफेशनल बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। आधुनिकीकरण से पुलिस की क्षमता लगातार बढ़ रही है।
जीएस रथ, डीजीपी, झारखंड

Jharkhand Police : Police & Court : पुलिस को शपथ पत्र देना होगा स्कूलों से हटाई गई फोर्स


रांची. झारखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर यह बताना होगा कि यहां के किसी सरकारी स्कूल में पुलिस पिकेट नहीं है। इसके लिए कोर्ट ने सात मई तक का वक्त दिया है।

सरकार को यह भी बताना होगा कि पूर्व में जिन स्कूलों से पुलिस बल हटाए गए हैं, वे सभी शिक्षा विभाग को सौंप दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रिट पिटीशन 102/2007 की सुनवाई के क्रम में झारखंड सरकार को शपथ पत्र देने का आदेश दिया है।

क्या है मामला:

रिट पिटीशन 102/2007 के अनुसार स्कूलों व कॉलेजों में पुलिस पिकेट नहीं होना चाहिए। अगर स्कूलों पर पुलिस का कब्जा है, तो उसे तुरंत हटाया जाए।

झारखंड सरकार ने बताया था 21 स्कूलों में है पुलिस पिकेट:

रिट पिटीशन 102/2007 की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राज्य के 47 स्कूलों व कॉलेजों में पुलिस पिकेट थे। इनमें से 26 स्कूलों से पुलिस पिकेट हटा लिए गए हैं।

शेष 21 स्कूलों से पुलिस बलों को दूसरी जगह भेजने की कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकार जिन स्कूलों से पुलिस पिकेट हटाने की बात कह रही है, उसके बारे में उसे एफिडेविट देना होगा।

हकीकत क्या है:

गुमला के कोटाम प्राथमिक स्कूल, मध्य विद्यालय बनारी बिशुनपुर, प्राथमिक विद्यालय गुड़मा पालकोट में पुलिस का कब्जा है। प्राथमिक विद्यालय जारी में तो बजाप्ता थाना ही चल रहा है। इस स्कूल में एक बैंक भी चलता है।

लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय कुसुम टोली (चतरो) में पिछले दो माह से पुलिस कैंप है। सिमडेगा जिला मुख्यालय में नेत्रहीन बच्चों के लिए बने स्कूल भवन पर पुलिस का कब्जा है। भवन निर्माण के बाद इसमें नेत्रहीन बच्चों का स्कूल खुला ही नहीं। प्रारंभ से ही यहां सीआरपीएफ के जवानों को रखा गया है।

किसी स्कूल में पुलिस कैंप नहीं है। सरकारी स्कूलों से पुलिस को हटा लिया गया है।
जीएस रथ, डीजीपी

Punjab Police : Police & Cricket: पीसीए के आगे पंजाब पुलिस बेबस


मोहाली. जिसके सामने बड़े-बड़े हथियार डाल दें वह पंजाब पुलिस पीसीए के आगे बेबस है। पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन पर अपने बकाया 11 करोड़ रुपये लेने के लिए पंजाब पुलिस कुछ नहीं कर पा रही। पीसीए स्टेडियम मोहाली में मैचों के दौरान सुरक्षा इंतजाम के एवज में पंजाब पुलिस यह रकम मांग रही है। अब पुलिस विभाग ने मामले में हस्तक्षेप के लिए राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।

क्यों बेफिक्र है पीसीए
पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पीसीए की संगठन कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। इसके बावजूद पंजाब पुलिस के बकाया बिलों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। पुलिस सूत्रों की मानें तो बादल का संगठन समिति का अध्यक्ष होना ही विभाग को भारी पड़ रहा है। इसी कारण पीसीए को बिलों के भुगतान की फिक्र नहीं है।

30 बिलों का भुगतान बाकी
पीसीए ने पिछले पांच वर्षो में पंजाब पुलिस के ३क् बिलों का भुगतान नहीं किया है। कुल 11 करोड़ रुपये के बिल बकाया हैं। गत माह पीसीए में हुए वर्ल्ड कप के तीन मैचों का बिल ही एक करोड़ रुपये से ज्यादा है।


बिलों के भुगतान में किसी तरह की देरी नहीं हो रही। पुलिस की ओर से दिए गए बिलों की जांच की जा रही है। जल्द ही बिलों का भुगतान कर दिया जाएगा।
एमपी पांडव, सेक्रेटरी, पीसीए

मामला अब पुलिस के हाथों से बाहर हो गया है। यह मामला अब राज्य सरकार के स्तर पर ही सुलझ पाएगा। बिलों के भुगतान के लिए कई बार पीसीए को रिमाइंडर भेजे गए हैं। इसके बावजूद बिलों का भुगतान नहीं किया गया। मामले में हस्तक्षेप करने के लिए राज्य सरकार को भी लिखा गया है।
जीएस भुल्लर, एसएसपी मोहाली

Delhi Police : Traffic Police Facebook: फेसबुक पर फिट, अलर्ट में सुपरहिट दिल्ली ट्रैफिक पुलिस


आज दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का फेसबुक पेज और उसके जरिए बदली ट्रैफिक पुलिस की कार्यप्रणाली उन तमाम सरकारी और प्राइवेट एजेंसियों के लिए एक उदाहरण बन गई है, जो आम लोगों से सीधे जुड़ने और उनकी शिकायतों का निपटारा करने के लिए इसी तरह फेसबुक पर आई थीं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की एसएमएस अलर्ट सर्विस तो इससे भी ज्यादा हिट साबित हुई। ट्रैफिक जाम में फंसने के बजाय अब लोग ट्रैफिक पुलिस द्वारा एसएमएस से भेजे गए ट्रैफिक अपडेट के मुताबिक अपने प्रोग्राम और शेडयूल सेट करने लगे हैं। चूंकि ये दोनों सेवाएं लोगों को फ्री मिल रही हैं, इसलिए हर वर्ग के लोग इन दोनों सर्विसेज जुड़ गए हैं।

Saturday, April 16, 2011

Mumbai Police :250 a month to stay fit



Weight matters and for 40,000-odd policemen in the city, it does even more. But there are only a few who care to maintain their fitness levels even if it makes them eligible for a monthly allowance. In 2006, the state government had kicked off an ambitious plan to monitor fitness levels of policemen — between the ranks of constable and sub-inspector and above 30 years. Those found fit (with the right level of Body Mass Index) are then eligible for a fitness allowance: Rs250 a month for a year.

But, sadly, this programme has failed to motivate policemen. Though the number of policemen, who appear for annual fitness checks has risen over the years, those actually eligible for this benefit has been dismal. Of the total strength of policemen in the city, a mere 13,462 turned up to get themselves examined in 2010-11, of which 12,903 were declared fit and eligible to claim benefits of the incentive.

In 2008-09, 17,418 policemen came for fitness check while only 13, 879 were declared fit. In the following year, 2009-10, it declined considerably; 14,912 policemen were examined by certified hospitals in the city, of which only 13,421 received Rs250 for a year.

This drive has failed to generate interest among policemen and motivate them to keep their weight under check and maintain an optimum BMI (Body Mass Index) level. And the reason for their indifference could be the monetary incentive, which is a measly sum.

“The whole concept of launching this fitness incentive programme was to maintain the health of our officers. If they are fit and slim, they will automatically perform better,” said Vijaysingh Jadhav, deputy commissioner of police (HQ-I).

In the past few years, the police have initiated a lot of measures to control obesity such as starting gymnasiums across the city.

Currently, there are 30 such gymnasiums in the city which cater to police officers and their families.

Apart from this, police canteens now serve special food, which would help policemen cut flab and make them fit as a fiddle.

But what about senior policemen who are above the rank of a sub-inspector? Well, it is their duty to be fit. “While this incentive is meant only for juniors, senior policemen still have to continue to maintain their weight. It is their duty,” said Jadhav.

UP Police : Cultural programme at police lines


ALLAHABAD: North Central Zone Cultural Centre (NCZCC) is going to organise Suranjali at police lines on Saturday. The programme would showcase the rich cultural heritage of the country in the form of folk songs, light music, birha, kathak and other art forms.

Programme officer Usha Dhal said that Hari Shankar Shukla will present light music, Ram Chandra Pal will birha, Ram Rath from Rae Bareli would perform alha while Vimal Shahbadi would perform folk dance.

NCZCC director Anand Vardhan Shukla has urged the art lovers to participate in the programme and give encouragement to the local artists.

NCZCC organises Suranjali every Saturday to give platform to the budding artists of the city and adjoining areas.