नई दिल्ली।। गुजरात के सीनियर पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में ऐफिडेविट दाखिल करके 2002 के दंगों के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे जिम्मेदार बताया है। उन्होंने दंगों की जांच कर रही एसआईटी की नीयत पर भी सवाल उठाए और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की मांग की।
गुजरात दंगों के दौरान आईपीएस अधिकारी संजीव इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में थे। उन्होंने कहा कि वह 27 फरवरी 2002 की रात मुख्यमंत्री के घर पर हुई उस मीटिंग में मौजूद थे, जिसमें पुलिस अधिकारियों से दंगों को लेकर उदासीन रहने को कहा गया था। संजीव के मुताबिक, ' नरेंद्र मोदी ने कहा कि बंद का आह्वान पहले ही किया जा चुका है और पार्टी ने इसको सपोर्ट करने का फैसला किया है। गोधरा में कार सेवकों को जलाए जाने को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मुस्लिमों को सबक सिखाया जाना चाहिए जिससे वे फिर ऐसी हरकत न करें। '
भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ऐफिडेविट में कहा कि नरेंद्र मोदी गुजरात दंगों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा है कि यह ऐफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में इसलिए दाखिल किया है क्योंकि उन्हें इस मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) पर जरा भी भरोसा नहीं है।
सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने सारी जानकारी एसआईटी को भी दी थी लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया है कि एसआईटी ने जांच करने के बजाय गुजरात सरकार को बचाने का काम किया है।
संजीव के मुताबिक, मीटिंग में मोदी ने कहा था कि हिंदुओं की भावना भड़क गई है और उनके गुस्से को बाहर निकलने दो। ऐफिडेविट में कहा गया है कि दंगे को दौरान सीनियर पुलिस अधिकारियों ने नरेंद्र मोदी के निर्देशों का आंख मूंद कर पालन किया और इसीलिए राज्य में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हुई।
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Saturday, April 23, 2011
Monday, April 18, 2011
Police Union : पुलिस एसोसिएशन भी अन्नागिरी की राह पर
पुलिस बहाली में सभी रिक्त पदों को प्रोन्नति के प्रतिशत में कमी कर इसे सीधी बहाली से भरने के कार्मिक विभाग द्वारा दिये गए आदेश के मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। इस मामले को लेकर पूर्व से पुलिस एसोसिएशन के केंद्रीय नेतृत्व ने चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की है। आंदोलन को झारखंड पुलिस एसोसिएशन की जमशेदपुर इकाई ने भी समर्थन दिया है। इसे लेकर एसोसिएशन की एक बैठक साकची स्थित शाखा कार्यालय में अध्यक्ष कन्हैया प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में हुई। इसमें सभी सदस्य व पदाधिकारी शामिल हुए। अध्यक्ष कन्हैया प्रसाद सिंह एवं सचिव वीरेंद्र कुमार पासवान ने कार्मिक विभाग के प्रस्ताव व उसके खिलाफ आंदोलन की रणनीति पर प्रकाश डाला।
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आंदोलन की रणनीति
19,20 व 21 अप्रैल को सदस्य काला बिल्ला लगाएंगे।
22 से 23 अप्रैल तक उपवास पर रहकर कर्तव्य का होगा निर्वाह।
28 से सदस्य सात दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
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क्या है मामला
कार्मिक विभाग ने पुलिस अवर निरीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक के रिक्त पदों को 25 प्रतिशत विभागीय प्रोन्नति एवं 75 प्रतिशत सीधी बहाली से भरने का प्रस्ताव लाया है जिसका एसोसिएशन विरोध कर रही है।
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एसोसिएशन की मांग
वर्तमान में जो नियम लागू है, उसी के अनुसार रिक्त पदों को 50 प्रतिशत प्रोन्नति देकर भरा जाए। यदि इस प्रस्ताव को कार्मिक विभाग द्वारा 18 अप्रैल तक वापस नहीं लिया गया तो एसोसिएशन तीन चरणों में आंदोलन करेगी।
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आंदोलन की रणनीति
19,20 व 21 अप्रैल को सदस्य काला बिल्ला लगाएंगे।
22 से 23 अप्रैल तक उपवास पर रहकर कर्तव्य का होगा निर्वाह।
28 से सदस्य सात दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
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क्या है मामला
कार्मिक विभाग ने पुलिस अवर निरीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक के रिक्त पदों को 25 प्रतिशत विभागीय प्रोन्नति एवं 75 प्रतिशत सीधी बहाली से भरने का प्रस्ताव लाया है जिसका एसोसिएशन विरोध कर रही है।
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एसोसिएशन की मांग
वर्तमान में जो नियम लागू है, उसी के अनुसार रिक्त पदों को 50 प्रतिशत प्रोन्नति देकर भरा जाए। यदि इस प्रस्ताव को कार्मिक विभाग द्वारा 18 अप्रैल तक वापस नहीं लिया गया तो एसोसिएशन तीन चरणों में आंदोलन करेगी।
Police Union : मांगों को ले पुलिस एसोसिएशन आंदोलित
डालटनगंज : विभिन्न मांगों के समर्थन में पलामू पुलिस सहायक अवर निरीक्षक से पुलिस निरीक्षक तक काला बिल्ला लगाकर विरोध शुरू कर दिया है। यह 21 अप्रैल तक चलेगा। झारखंड पुलिस एसोसिएशन की पलामू इकाई की शनिवार को पुलिस कार्यालय में आयोजित बैठक में उक्त निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता पुलिस अवर निरीक्षक प्रदीप सिंह ने की। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि मांगें नहीं मानी गईं तो 22 व 23 अप्रैल की सुबह तक पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया जाएगा। बावजूद मांग नहीं मानी गई तो एसोसिएशन बाध्य होकर 28 अप्रैल की रात 12 बजे से पांच मई तक सभी पुलिस कर्मी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। एसोसिएशन की सरकार से मांग है कि प्रोन्नति में 75 प्रतिशत सीधी नियुक्ति व 25 प्रतिशत को रद्द करते हुए पूर्व की तरह 50 प्रतिशत सीधी नियुक्ति की जाए। साथ ही 50 प्रतिशत प्रोन्नति लागू की जाए। साथ ही एसीपी में विसंगति, राशन मनी केंद्र की तर्ज पर देने, उग्रवाद प्रभावित जिलों में भत्ता देने, रांची में नियमित अतिथिशाला उपलब्ध कराने समेत कई मांगें शामिल हैं। बैठक में शहर पुलिस निरीक्षक बीके चतुर्वेदी, सदर पुलिस निरीक्षक रामेश्वर प्रसाद, पाटन पुलिस निरीक्षक अर्जुन पासवान, अवर निरीक्षक बसंत कुमार, वीर सिंह, राजेश मंडल व जितेंद्र कुमार आजाद समेत कई पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे।
Police & Games : बीएसएफ जालंधर ने हाकी में पंजाब पुलिस को हराया
हॉक्स क्लब रोपड़ के स्टेडियम में आयोजित दशमेश ऑल इंडिया हॉकी फैडरेशन के 25वें फेस्टिवेल के फाइनल मुकाबले में बीएसएफ जालंधर ने पंजाब पुलिस जालंधर को टाइब्रेकर में 5-4 के अंतर हराकर ट्रॉफी पर कब्जा जमा लिया। रविवार को हुए रोचक मैच के १०वें मिनट में पंजाब पुलिस का खिलाड़ी सतविंदर सिंह गोल करने के मौके को भुना नहीं सका।
मैच के १५ मिनट में पंजाब पुलिस के हरदीप सिंह ने गोल करके अपनी टीम को बढ़त दिलाई। मैच के पहले हॉफ में पंजाब पुलिस की बढिय़ा डिफैंस के कारण बीएसएफ जालंधर की टीम कोई गोल नहीं कर सकी। मैच के दूसरे हॉफ में जीतने का ईरादा लेकर उतरी बीएसएफ के खिलाड़ी ने रणजीत सिंह ने ४०वें मिनट में गोल करके अपनी टीम को बराबरी ला खड़ा कर दिया। मैच के ६७ मिनट में पंजाब पुलिस के खिलाड़ी हरमीक सिंह ने पलान्टी कार्नर को गोल में तबदील करके २-१ के बढ़त बना ली। मैच के आखरी समय में बीएसएफ के स्टार खिलाड़ी रणजीत सिंह ने गोल करके मैच को बराबर कर दिया।
मैच का समय पूरा होने पर प्रबंध कमेटी ने एक्सट्रा समय दिया गया। लेकिन इस समय में दोनों टीमें किसी खिलाख कोई गोल नहीं कर सकी। ट्राईब्रेक में बीएसएफ जालंधर की टीम ने २ के मुकाबले तीन गोल करके यह मुकाबला 5-4 के अंतर से जीत लिया।
Punjab Police :लुधियाना की पुलिस और साइकिल! ना बाबा ना
लुधियाना। पुलिस मुलाजिमों की तोंद कम करने और भीड़ भाड़ वाले इलाकों में गश्त के लिए अफसरों ने मुलाजिमों को साइकिल पर गश्त करने की सलाह दी है। महकमा मुलाजिमों को यह साइकिल दे भी रहा है। लग्जरी कारों के आदी हो चुके मुलाजिमों को अफसरों का यह सुझाव पसंद नहीं आया है। मुलाजिमों ने इस सुझाव पर अफसरों को सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी है, लेकिन वह इसे मानने के मूड में भी नहीं हैं। यह भी एक वजह है कि साइकिल पिछले करीब 20 दिन से पुलिस लाइंस में खड़े हैं।
अफसरों का यह भी सुझाव है कि साइकिल चलाने से मुलाजिमों की फिटनेस बनी रहेगी। कसरत न करने और काम की अधिकता की वजह से मुलाजिमों का मोटापा भी कम हो जाएगा। यह 50 साइकिल मार्च में आयोजित साइकिल एक्सपो के दौरान उद्यमियों ने लुधियाना पुलिस को तोहफे में दिए थे।
पुलिस की योजना इन साइकिलों को निचले स्तर के मुलाजिमों को थमाने की है। पुलिस की योजना को उस दौर में लाया गया है, जब अधिकतर मुलाजिम कारों के मालिक बन चुके हैं।
डीसीपी युरिंदर सिंह हेयर के अनुसार जिन क्षेत्रों में साइकिल पर गश्त की जा सकती है, उन क्षेत्रों की पुलिस की पहचान कर ली है। यह क्षेत्र पुराने शहर के अंदरूनी इलाकों में हैं। मुलाजिम उन तंग क्षेत्रों में साइकिल पर गश्त कर सकते हैं जहां कार, मोटरसाइकिल आदि नहीं पहुंच पाते हैं।
कैसे लगेंगे साइकिल पर आरोपी को ले जाते हुए
साइकिल पर गश्त के नाम पर मुलाजिम नाक भौं सिकोड़ रहे हैं। मुलाजिमों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि भीड़ भाड़ वाले क्षेत्र में किसी घटना पर जाने के दौरान अगर साइकिल चोरी हो गया तो पुलिस की कितनी फजीहत होगी। किसी आरोपी को बैठा कर साइकिल पर पैडल चलाते पुलिस मुलाजिम उपहास का केंद्र बनेंगे। मुलाजिम यह भी मानते हैं कि साइकिल पर जाने से पुलिस का रौब भी कम हो जाएगा।
Sunday, April 17, 2011
Jharkhand Police : और ताकतवर होगी झारखंड पुलिस
रांची. झारखंड में अब नक्सलियों की खैर नहीं। पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत 1700 करोड़ रुपए खर्च कर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के हर थाने को आधुनिक हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट, नाइट विजन व एंटी लैंड माइन डिवाइसेज जैसे उपकरणों से लैस किया जाएगा।
यही नहीं महकमे के लिए कारगर संचार प्रणाली व तमाम अन्य सुविधाएं भी जुटाई जाएंगी। यह राशि अगले पांच सालों में खर्च होगी। राज्य में पुलिस आधुनिकीकरण के लिए मिलने वाली यह अब तक की सर्वाधिक राशि है।
क्या है सोच:
राज्य सरकार व पुलिस मुख्यालय का मानना है कि ऐसा होने से राज्य का हर व्यक्ति स्वयं को सुरक्षित महसूस करेगा।
इन उपकरणों की होगी खरीद
बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट, एक्सप्लोसिव डिटेक्शन एंड डिफ्यूजन इक्युपमेंट, बायनाकुलर, थानों के लिए सोलर एनर्जी बैकअप, बॉडी व बैगेज स्कैनर, नाइट विजन डिवाइस, वीएचएफ एवं एचएफ वायरलेस सेट, ग्रेनेड लांचर, मोर्टार लांचर, इंसास रायफल, थानों के लिए बुलेट प्रूफ गाड़ियां।
इन मदों में खर्च होगी राशि
सुरक्षा उपकरण, संचार उपकरण, प्रशिक्षण संरचना, खुफिया विभाग के लिए उपकरण, विधि विज्ञान प्रयोगशाला, भवन निर्माण, गृह रक्षा वाहिनी व हथियार।
खासियत क्या
इंसास: इस ऑटोमेटिक रायफल से एक बार में तीस गोलियां लगातार चलाई जा सकती है। तीन सौ गज की दूरी तक दुश्मन को मार गिराने की क्षमता
नाइट विजन डिवाइस: इससे रात में तीन किमी की दूरी तक साफ-साफ देखा जा सकता है। नक्सलियों के खिलाफ अभियान में यह कारगर हो सकता है।
ग्रेनेड लांचर: इससे 30 गज तक ग्रेनेड फेंका जा सकता है।
बुलेट प्रूफ व एंटी लैंड माइंस वाहन: इससे नक्सली क्षेत्र में पेट्रोलिंग व अभियान चलाना आसान होगा। विस्फोट का खतरा नहीं होगा।
11 वर्षो से पुलिस का आधुनिकीकरण हो रहा है। संचार व्यवस्था से लेकर प्रशिक्षण पर जोर है। जांच में मदद के लिए विश्वस्तरीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी तैयार हो चुकी है। पुलिस को प्रोफेशनल बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। आधुनिकीकरण से पुलिस की क्षमता लगातार बढ़ रही है।
जीएस रथ, डीजीपी, झारखंड
Jharkhand Police : Police & Court : पुलिस को शपथ पत्र देना होगा स्कूलों से हटाई गई फोर्स
रांची. झारखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर यह बताना होगा कि यहां के किसी सरकारी स्कूल में पुलिस पिकेट नहीं है। इसके लिए कोर्ट ने सात मई तक का वक्त दिया है।
सरकार को यह भी बताना होगा कि पूर्व में जिन स्कूलों से पुलिस बल हटाए गए हैं, वे सभी शिक्षा विभाग को सौंप दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रिट पिटीशन 102/2007 की सुनवाई के क्रम में झारखंड सरकार को शपथ पत्र देने का आदेश दिया है।
क्या है मामला:
रिट पिटीशन 102/2007 के अनुसार स्कूलों व कॉलेजों में पुलिस पिकेट नहीं होना चाहिए। अगर स्कूलों पर पुलिस का कब्जा है, तो उसे तुरंत हटाया जाए।
झारखंड सरकार ने बताया था 21 स्कूलों में है पुलिस पिकेट:
रिट पिटीशन 102/2007 की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राज्य के 47 स्कूलों व कॉलेजों में पुलिस पिकेट थे। इनमें से 26 स्कूलों से पुलिस पिकेट हटा लिए गए हैं।
शेष 21 स्कूलों से पुलिस बलों को दूसरी जगह भेजने की कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकार जिन स्कूलों से पुलिस पिकेट हटाने की बात कह रही है, उसके बारे में उसे एफिडेविट देना होगा।
हकीकत क्या है:
गुमला के कोटाम प्राथमिक स्कूल, मध्य विद्यालय बनारी बिशुनपुर, प्राथमिक विद्यालय गुड़मा पालकोट में पुलिस का कब्जा है। प्राथमिक विद्यालय जारी में तो बजाप्ता थाना ही चल रहा है। इस स्कूल में एक बैंक भी चलता है।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय कुसुम टोली (चतरो) में पिछले दो माह से पुलिस कैंप है। सिमडेगा जिला मुख्यालय में नेत्रहीन बच्चों के लिए बने स्कूल भवन पर पुलिस का कब्जा है। भवन निर्माण के बाद इसमें नेत्रहीन बच्चों का स्कूल खुला ही नहीं। प्रारंभ से ही यहां सीआरपीएफ के जवानों को रखा गया है।
किसी स्कूल में पुलिस कैंप नहीं है। सरकारी स्कूलों से पुलिस को हटा लिया गया है।
जीएस रथ, डीजीपी
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